कल मैं मां गंगा के पास था, आज मां नर्मदा के पास हूं; कल बनारस था, आज भरूच हूं; बनारस इतिहास से भी पुराना हिन्दुस्तान का शहर है, भरूच गुजरात का पुरातन शहर है।
भाइयो, बहनों में सबसे पहले तो श्रीमान नितीन गडकरी जी को, उनकी पूरी टीम को, गुजरात सरकार को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। दुनिया को पता नहीं चलेगा इस ब्रिज बनने का मतलब क्या होता है, क्योंकि भरूच ने ब्रिज न होने से कष्ट कैसा होता है, वो बराबर झेला है। जब इतनी तकलीफें झेली हों, घंटों-घंटों तक Ambulance को भी रुके रहना पड़ा हो, तब ये सुविधा प्राप्त हो; वो कितना बड़ा मायना रखती है, ये गुजरात के लोग भली-भांति जानते हैं। और भाइयो-बहनों, ये ब्रिज का बनना ये सिर्फ भरूच एंकलेश्वर की समसया का मुद्दा नहीं है, ये हिन्दुस्तान के पश्चिमी भारत की हर किसी को तकलीफ देने वाली अवस्था थी।
हम जितने समय मुख्यमंत्री रहे, इस बात के लिए लड़ते रहे। लेकिन जब मुझे सेवा करने का अवसर मिला, समय-सीमा में, आधुनिक टेक्नोलॉजी के द्वारा हिन्दुस्तान में पहली बार इतना लम्बा इस टेक्नोलॉजी वाला ब्रिज बना और वो भी मां नर्मदा के तट पर बना।
नितीन जी ने जिस मन के साथ इस काम को हाथ में लिया, regular follow up किया, उनके department की पूरी टीम परिणाम लाने के लिए प्रयासरत रही। और उसी का नतीजा है, कि आज हम इस ब्रिज का उद्घाटन कर पा रहे हैं।
अभी मैं उत्तर प्रदेश में था। चुनाव सभाओं में अलग-अलग इलाके में जाता था, तो लोग मुझे कुछ स्मारक दिखाते थे। क्या स्मारक थे? कोई कहता था वो दूर जो दिखता है न खंभा, pillar दिखता है ना, ये 15 साल पहले ब्रिज का शिलान्यास हुआ था। अभी तक दो खंभे डले हैं, आगे नहीं हुआ है। काशी में भी 13 साल पुराना एक structure लटका पड़ा है। मैंने कहा अच्छा होता भारत सरकार को दे देते, मैं आ करके इसको पूरा कर देता। एक तरफ देश में कोई भी काम 10 साल, 12 साल, 15 साल, और ये सामान्य लगता था; उसके सामने निर्धारित समय में कार्य पूरा करने का culture जो गुजरात में हम लोगों ने लागू किया था, आज पूरे हिन्दुस्तान में लागू करने की दिशा में हम काम कर रहे हैं।
भाइयो, बहनों, आज मुझे DAHEJ जाने का सौभाग्य मिला। कोई कल्पना नहीं कर सकता है कि DAHEJ, वो सिर्फ भरूच का गहना नहीं है; DAHEJ पूरे ही हिंदुस्तान का गहना है। जब उसका पूर्ण विकास होगा और जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है, करीब-करीब 8 लाख लोगों को रोजगार देने की उसमें क्षमता होगी। आप विचार कीजिए इस क्षेत्र में इतना बड़ा रोजगार का अवसर पैदा हो, स्थिति, इस इलाके का स्थान, स्थिति कैसी बनेगी, इसका आप अंदाज कर सकते हैं भाईयो। और मैं बार-बार DAHEJ जाता था आप भलीभांति जानते हैं। उसके चप्पे-चप्पे से मैं वाकिफ हूं। अपनी आंखों से उसको विकसित होते देखा है। और आज जब पूर्णता की ओर कदम रख रहा है, PCPR, DHEJ, OPAL, भाइयो, बहनों देश की आर्थिक धरा को एक नई ताकत मिलने वाली है, और ये भरूच की धरती पर हो रहा है। मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
मैं मुख्यमंत्री जी का अभिनंदन करना चाहता हूं, क्योंकि जब बस Port की कल्पना की; मैं यहां मुख्यमंत्री था तो मेरे मन में एक विचार आता था कि ऐसी कैसी सरकार है, ये अमीर अगर हवाई अड्डे पर जाता है, हवाई जहाज में बैठने जाता है तो उसको हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध होती है। ठंडी हवा चलती है, ठंडा पानी मिलता है, जो खाने के लिए चाहे वो खाना मिलता है, क्या मेरे देश के गरीब को इसका हक नहीं होना चाहिए क्या? क्या हवाई जहाज में उड़ने वालों को ही ये सब होना चाहिए क्या? इस बात ने मेरे मन को हर पल झकझोरा।
और उसका परिणाम था कि बड़ोदरा में, बरोड़ में सबसे पहला PPP Model पर एक ऐसा बस अड्डा बना, एक ऐसा Port बना, जिसकी वीडियो You Tube पर दुनिया भर में लाखों लोग देखते रहे कि ऐसा भी कोई Bus Stand हो सकता है? और बस में गरीब से गरीब व्यक्ति जाता है। गरीब से गरीब आदमी अपने हाथ में झोला ले करके बस में जाता है। बीड़ी पीता है, कहीं पर भी बीड़ी डालता है। आज अगर बड़ौदा में जाइए, वो पूरी तरह साफ-सुथरा Bus Stand. उसी Model पर अहमदाबाद में बना। अब तक शायद चार बन चुके हैं, और मुझे खुशी है कि राज्य सरकार ने उसी योजना को आगे बढ़ाते हुए वैसा ही शानदार Bus Port भरूच में बनाने का फैसला किया है।
आप कल्पना कीजिए भरूच से Sardar Sarovar Dam (सरदार सरोवर डैम) तक करीब सवो सौ, डेढ़ सौ किलोमीटर का पूरा रास्ता ये पानी से पूरा लबालब भरा होगा, वो दृश्य कितना आनंदायक होगा। उस पूरे इलाके में जमीन में पानी जाने से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर का इलाका, दोनों तरफ 20-20 किलोमीटर पानी के अंदर ऊपर आएंगे।
भरूच में मैं जब मुख्यमंत्री था तब भी ये बात आती थी। तब हमारा रमेश यहां का एक विधायक हुआ करता था। तब भी ये बात आती थी कि यहां पीने का पानी।
मैं अपनी आंखों के सामने चित्र को भलीभांति देख पा रहा हूं और विश्व का सबसे बड़ा ऊंचा सरदार वल्लभ भाई पटेल का Statue बनेगा, Statue of Unity. विश्व भर के यात्री आएंगे, केवडि़या कोरिन तक बहुत उत्तम प्रकार का रोड हमारे नितीन जी department बना रहा है। लेकिन एक और संभावना के लिए भी मैंने नितीन जी से कहा है कि उसका भी अभी से अभ्यास शुरू करवा दिया जाये, अगर भाड़भूज का बीयर बन जाता है। और नर्मदा के अंदर पानी रहता है तो क्या टूरिस्टों को हम यहां ये छोटे-छोटे Steamer में Sardar Sarovar Dam (सरदार सरोवर डैम) तक ले जा सकते हैं क्या?
लोग गोवा में जन्मदिन मनाना है, तो छोटे-छोटे Steamer में पानी के बीच चले जाते हैं। इस इलाके में भी सूरती लोगों को जन्मदिन मनाना होगा तो वो भी यहां पर आ जाएंगे; और भरूच वाले तो जाएंगे ही जाएंगे।
भाइयो, बहनों, एक ही व्यवस्था से कितना बदलाव लाया जा सकता है, अगर Vision साफ हो, नियत ठीक हो, नीतियां Perfect हों तो सफलता के आड़े कुछ नहीं आता भाइयो, बहनों; सफलता प्राप्त हो के रहती है।
मैं आज जब गुजरात में आया हूं, नितीन जी आए हैं तो उनकी इच्छा है कि उनके Department की घोषणा मैं करूं। भले मैं करता हूं लेकिन Credit नितीन जी को जाती है। ये उनकी कल्पना व उनकी साहसिक निर्णय करने की जो क्षमता है उसी का परिणाम है। उनके Department ने निर्णय किया है और मुझे खुशी होना बहुत स्वाभाविक है। उन्होंने गुजरात में आठ Highways को National Highway में convert करने का निर्णय किया है।
ये करने में करीब-करीब 12 हजार करोड़ रुपया Investment होगा, 12 हजार करोड़ रुपया। अकेले नितीन जी के Department से ये आठ रास्तों पर 12 हजार करोड़ रुपया लगेगा! आप कल्पना कर सकते हो, गुजरात के Infrastructure को चार चांद लग जाएंगे भाई, बहनों! चार चांद! और ये आठ रास्तों की लम्बाई करीब-करीब 1200 किलोमीटर है। जिसमें ऊना, धारी, बगसरा, अमरेली, बाबरा, जसदन, चोटिला, ये पूरा जो State Highway है, अब National Highway बनेगा। दूसरा, नागेसरी, खाम्बा, चलाला, अमरेली, State Highway हैं, National Highway बनेगा। पोरबंदर, भानवड़, जाम-जोधपुर, तालावाड़, State Highway हैं, National Highway बनेगा। आणंद, कठवाल, कपरवंच, पायड़, धनसुरा, मोढ़ासा, ये State Highway , National Highway बनेगा। पूरा, पूरा Tribal Belt को इसका सबसे बड़ा लाभ मिलने वाला है। लखपत, कच्छ का Development करना है, धौलाविरा का Development करना है, Tourism को बढ़ाना है।
लखपत, गढूली, हाजीपुर, खावड़ा, धैलाविरा, मौवाना, सांकलपुर; आप हिन्दुस्तान की सीमा की सुरक्षा कहो, कच्छ के Tourism का विकास कहो, धौलाविरा जो मानस संस्कृति का पुरातन और recognize city, 5 हजार साल पुराना; एक कोने में है। जब वो Centre Point बनेगा, दुनिया के टूरिस्टों को आकर्षित करेगा; जिसका गुजरात को लाभ मिलेगा।
खंभालिया, अड़वाना, पोरबंदर; चितौढ़ा, रापर, धौलाविरा; खंभालिया, वाणवढ़, राणावा; आप विचार कीजिए कि ये Infrastructure से इतनी बड़ी लागत से लोगों को तो रोजगार मिलेगा, काम मिलेगा, ये तो होना ही है। लेकिन सबसे बड़ी बात अकस्मात के कारण, खास करके हम हमारे नौजवान खो देते हैं। नौजवान बड़े उत्साह से गाड़ी तेज चलाता है, मोटरसाइकिल तेज चलाता है, अकस्मात होता है, लाखों लोग अकस्मात बेमौत मर जाते हैं। इस रचना के कारण अकस्मात में काफी मात्रा में Control किया जाता है, क्योंकि रोड की रचना ऐसी होती है। एक प्रकार से मानवता का भी काम है।
आप लोगों को अगर याद हो, अहमदाबाद, राजकोट, बगोदरा; कोई दिन ऐसा नहीं जाता था कि बगोदरा के पास अकस्मात न हुए हों और रात में मरे न हों, Daily. जब केशूभाई पटेल मुख्यमंत्री बने, उन्होंने इस दृश्य को रोज देखा था। वो राजकोट से आते जाते थे। हमारी पार्टी के भी कई वरिष्ठ नेता अहमदाबाद-राजकोट Highway पर accident में मारे गए थे। और मैं अहमदाबाद में, तब तो मैं राजनीति में नहीं था; औसत मुझे रात को फोन आता था कि इतना बड़ा अकस्मात आज हुआ है, अहमदाबाद-राजकोट के रोड़ को 4 Lane कर दिया, अकस्मातों में बहुत बड़ी कमी आ गई, बहुत बड़ी कमी आ गई।
ये National का Network, ये इस प्रकार से बहुत बड़ा सुरक्षा की दृष्टि से, मानवता की दृष्टि से, एक व्यवस्था खड़ी हो रही है। अब रोड का Model भी हमने बदल दिया है। रास्ते पर व्यवस्थाएं भी विकसित हों, रास्तों के नजदीक में Helipad भी हो, रास्तों के नजदीकी खान-पान, शौचालय, ये सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध हों। क्योंकि ट्रैफिक, लोग रोज जाते-आते हैं, उनको ये व्यवस्था मिले, Washroom मिल जाए। ये सारी व्यवस्थाओं के युक्त National Highway बनाने की दिशा में, और आधुनिक रास्ते; नितीन जी अपनी नई कल्पनाओं के साथ इस काम को लगे हैं।
एक सागरमाला Project, देखिए एक दिल्ली में एक ऐसी सरकार बैठी है जो टुकड़ों में नहीं सोचती। हम समस्याओं का समाधान करने की दिशा में सोचते हैं। हमने एक सागरमाला योजना बनाई, इस सागरमाला योजना के तहत भारत का पूरा नक्शा आप जहां draw करते हो, उस पूरा का पूरा Infrastructure से बंध जाना चाहिए। रोड से कहीं पर भी disconnect नहीं होना चाहिए, एक छोर से निकले तो उसी रोड से पूरे हिन्दुस्तान का भ्रमण करके आप वापिस आ सकते हैं। ऐसी एक सागरमाला Project, भारतमाला Project, इसकी हम रचना कर रहे हैं। इस भारतमाल से रोड का network होगा, सागरमाला से जो समुद्री तट है उसके Infrastructure का काम होगा। भारतमाला और सागरमाला Port-Land Development को एक नई ताकत देगी। और उसके कारण अकेले Port Sector में सागरमाला के तहत 8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नया पूंजी निवेश आने वाले कुछ ही वर्षों में करने की की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। और उसका परिणाम गुजरात को विशेष लाभ मिलेगा, यहां के बंदरों को लाभ मिलेगा, यहां के बंदरों से जुड़ी हुई रेल हो, रोड हो, Connectivity हो, उसका लाभ मिलेगा।
एक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना हमने लागू की है। आप हैरान होंगे, हमारे देश में सरकारें कैसी चली हैं, Dam तो बना दिया लेकिन Dam से पानी कहां ले जाना, कैसे ले जाना; उसकी योजना ही नहीं बनाई। 20-20 साल पहले Dam बने हैं, पानी भरा पड़ा है, Canal नहीं है। मैंने ऐसा सारा खोज करके निकाला और करीब 90 हजार करोड़ रुपया से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत Dam to Drip यानी driprication करने तक खेत में Dam से ले करके driprication तक पूरा Chain खड़ा करना, 90 हजार करोड़ रुपया लगा करके किसान को पानी पहुंचाने का, पूरे देश में ऐसे बंद पड़े Project थे, उस पर काम में लगाया है।
देश आधुनिक होना चाहिए। हम पुराणपंथी जीवन नहीं जी सकते। 20वीं सदी में रह करके हम 21वीं सदी की दुनिया का मुकाबला नहीं कर सकते हैं। अगर 21वीं सदी के विश्व का मुकाबला करना है तो हमें भी अपने-आप को 21वीं सदी में ले जाना होगा। और ये मान के चलिए भाइयो, बहनों, अब हिन्दुस्तान दुनिया के साथ बराबरी करने के मैदान में आ गया है। अब हम अपने घर में ये, वो, तू-तू, मैं, मैं, मैं समय बरबाद करने वालों में से नहीं हैं; हम दुनिया के फलक पर भारत को अपनी जगह दिलाने में लगे हुए हैं। और इसके कारण हमें भी हिन्दुस्तान 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुकूल बनाना होगा और उसमें हमें जैसे Highway चाहिए, वैसे Eye-ways भी चाहिए। I-ways का मेरा मतलब है Information Ways. पूरे देश में Optical Fiber Network. अभी जैसे ब्रिज बनाने गए, कुछ लोग उसकी credit लेने के लिए घूमते-फिरते रहते हैं, फायदा उठाओ, कुछ भी बोल दो फायदा उठाओ। करना-धरना कुछ नहीं।
भाइयो, बहनों हमारे देश में पुरानी सरकार में Optical Fiber Network, ये योजना बनी थी। वो योजना ऐसी बनी थी कि जब मैं प्रधानमंत्री बना तब तक उन्हें सवा लाख गांव में ये काम पूरा करने का उनकी फाइलों में लिखा हुआ है। 2014, मार्च तक सवा लाख गांवों में Optical Fiber लगाना, ये पुरानी सरकार का निर्णय था, योजना बनाई थी। और जब मैं प्रधानमंत्री बना तो मैंने पूछताछ की; मैंने कहा भाई सवा लाख गांव में से कितना हुआ? आप सोचोगे कितना हुआ होगा भाइयो सवा लाख गांव में से? कितना हुआ होगा? कोई सोचेगा, एक लाख हुआ होगा; कोई सोचेगा 50 हजार हुआ होगा; जब मैंने हिसाब लिया तो सिर्फ 59 गांव, 50 और 9; 60 भी नहीं, इतने गांवों में Optical Fiber लगा था।
अब ये काम करने का तरीका था, हमने काम हाथ में लिया, इस देश में ढाई लाख पंचायतें हैं, ढाई लाख पंचायतों में Optical Fiber Network डालना है। अब तक 68 thousand गांवों में काम हो चुका है। कहां 59 और कहां 68 thousand, ये फर्क है भाइयो, बहनों। अगर इरादा ने कहो, जनता-जनार्दन का भला करने का इरादा हो तो काम में कभी रुकावटें नहीं आती हैं। जनता का भी सहयोग मिलता है, काम होता है, देश आगे बढ़ता है।
गैस की Pipe Line, Optical Fiber Network, पानी की व्यवस्था। अभी हमने सपना देखा है 2022, जब हिन्दुस्तान आजादी के 75 साल मनाएगा। वो 2022 तक हिन्दुस्तान के गरीब से गरीब को भी उसका खुद का अपना घर रहने के लिए मिलना चाहिए और इस पर हम काम कर रहे हैं। दुनिया के छोटे-छोटे देश कह रहे हैं। एक प्रकार से इतने मकान बनाने पड़ेंगे कि भारत में ऐसा कोई नया छोटा देश बनाना पड़े, इतने मकान बनाने हैं। लेकिन भाइयो, बहनों, इस सपने को भी हम पूरा करेंगे हम लगे हैं।
आप कल्पना करोगे कैसा है देश। कोई भी देश, उसके पास अपना हिसाब-किताब होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? उसके पास क्या है, क्या नहीं, पता होना चाहिए कि नही होना चाहिए? मैं जब प्रधानमंत्री बना तो मैं मीटिंग ले रहा था, शुरू में मैंने कहा भाई, बताइए हमारे देश में आईलैंड कितने हैं? जैसे हमारे यहां Alia bet है या हमारा Beyt dwarka है, ऐसे आईलैंड कितने हैं? ये मैं पूछता था।
अलग-अलग department, कोई 900 कहता था, कोई 800 कहता था, कोई 600 कहता था, कोई 1000 कहता था। मैंने कहा क्या सरकार है भाई? ये इतने कहता है, ये इतने कहता है! कोई गड़बड़ लगती है। फिर मुझे पता चला कि किसी ने Scientific Study ही नहीं किया था। अब भारत के पास कितने आईलैंड हैं? इसकी क्या विशेषता है? क्या हिन्दुस्तान को आगे ले जाने में उसका कोई उपयोग हो सकता है क्या? मैं हैरान था भाई, उनके पास जानकारी ही नहीं थी। मैंने टीम बिठाई, Satellite Technology का उपयोग किया, और पूरा खाका खोल करके निकाल दिया। भारत के पास 1300 से ज्यादा आईलैंड हैं। 1300 से ज्यादा और उसमें कुछ आईलैंड तो सिंगापुर से भी बड़े हैं। यानी हम अपने आईलैंड का कितना विकास कर सकते हैं, कितनी विविधताओं से भर सकते हैं, Tourism के development के लिए क्या कुछ नहीं कर सकते हैं। भारत सरकार ने अलग व्यवस्था की है और आने वाले दिनों में हिन्दुस्तान के समुद्री तट पर जितने टापू हैं, अभी उसमें से 200 छांट करके निकाले हैं।
पहले तौर पर उन 200 के विकास का एक Model तैयार हो रहा है। भाइयो, बहनों अगर ऐसी चीजें बनती हैं तो सिंगापुर का चक्कर काटने की क्या जरूरत पड़ेगी? सब कुछ मेरे देश में हो सकता है भाई। हमारा देश सामर्थ्यवान है, शक्तिवान है। हम भी विकास की नई ऊंचाइयों को पार कर सकते हैं। और इसलिए भाइयो, बहनों रेलवे, जैसे नितीन जी बना रहे थे ना, कि पहले हमारे देश में एक दिन में, सारे, सारे हिन्दुस्तान के कोने का हिसाब लगाते थे तो average एक दिन में दो किलोमीटर रास्ते बनते थे। हमारी सरकार बनने से पहले एक दिन में दो किलोमीटर। नितीन जी ने आ करके ऐसा धक्का लगाया, और जैसा अभी वो बता रहे थे, एक दिन में 22 किलोमीटर का काम होता है; 11 गुना ज्यादा। भाइयो, बहनों, रेलवे, पहले हमारे देश में रेलवे का gaze conversion कहो या नहीं पटरी बिठाने का काम कहो; एक साल में 1500 किलोमीटर का काम होता था।
अब इतना बड़ा देश, रेल की मांग, उससे आगे नहीं बढ़ रहा था। हमने आ करके बीड़ा उठाया, ये बढ़ना है, और मुझे खुशी है कि आज एक साल में हम पहले की तुलना में डबल काम करते हैं रेलवे की पटरी का, डबल; 3000 किलोमीटर। काम अगर करने का इरादा हो, जैसे Bus Port का काम देखा आपने, इसी से लेकर करके मैंने रेलवे वालों से मीटिंग की। मैंने कहा भई ये रेलवे स्टेशन हमारे, ये मरे पड़े हैं। 19वीं शताब्दी के हैं जरा उसमें बदलाव आ सकता है कि नहीं आ सकता है?
अभी रेलवे के development का बड़ा बीड़ा उठाया है। हिन्दुस्तान के 500 रेलवे स्टेशन बनाने हैं। अभी शुरू में सूरत, गांधीनगर, गुजरात में दो प्रोजेक्ट अभी तय हुए हैं। आने वाले दिनों में सभी रेलवे स्टेशन multistory क्यों न हों? रेलवे स्टेशन पर थियेटर भी हो सकता है, रेलवे स्टेशन पर Mall भी हो सकता है। रेलवे स्टेशन पर recreation centre हो सकते हैं, खानपान का बाजार लग सकता है। पटरी पर गाड़ी चलती रहेगी, बाकी जगह का तो विकास होना चाहिए। भाइयो, बहनों विकास के लिए vision होना चाहिए, सपने भी चाहिए, संकल्प भी चाहिए, सामर्थ्य भी चाहिए, तो सिद्धि अपने-आप हो जाती है। और उस काम को ले करके हम चले हुए हैं।
मेरे भरूच के प्यारे भाइयो, बहनों, आज मां नर्मदा के तट पर इतना बड़ा काम हुआ है। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए
मैं कहूंगा नर्मदे, आप लोग दोनों मुट्ठी ऊपर करके बोलेंगे सर्वदे।
नर्मदे – सर्वदे
नर्मदे – सर्वदे
नर्मदे – सर्वदे
नर्मदे – सर्वदे
नर्मदे – सर्वदे
बहुत-बहुत धन्यवाद आपका।