"सभी समुदाय समाज के हित लिए अपनी क्षमता के अनुसार अपनी भूमिका निभाते हैं और पाटीदार समुदाय अपनी भूमिका निभाने में कभी पीछे नहीं रहता है"
"प्रधानमंत्री ने कहा कि स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी के रूप में, भारत ने सरदार पटेल को एक अच्छी श्रद्धांजलि दी है"
"कुपोषण अक्सर भोजन की कमी के बजाय भोजन के बारे में ज्ञान की कमी का परिणाम होता है"
"गुजरात को उद्योग 4.0 के मानकों तक पहुंचने में देश का नेतृत्व करना चाहिए, क्योंकि राज्य के पास ऐसा करने के लिए क्षमता और स्वभाव है"

नमस्कार

जय मां अन्नपूर्णा

जय-जय मां अन्नपूर्णा

गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल और संसद में मेरे साथी और गुजरात भाजपा के अध्यक्ष श्री सीआर पाटिल, अन्नपूर्णा धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष, संसद में मेरे साथ नरहरि अमीन, अन्य पदाधिकारी गण, जनप्रतिनिधिगण, समाज के वरिष्ठ साथी, बहनों और भाइयों...

मां अन्नपूर्णा के इस पावन धाम में आस्था, आध्यात्म और सामाजिक दायित्वों से जुड़े बड़े अनुष्ठानों से मुझे जुड़ने का जो निरंतर अवसर मिलता रहता है, मंदिर का भूमि पूजन हुआ हो, मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई हो, होस्टल का भूमि पूजन हुआ और आज उद्घाटन हो रहा है। मां के आशीर्वाद से हर बार मुझे किसी ना किसी तरह से आपके बीच रहने का मौका मिला है। आज श्री अन्नपूर्णा धाम ट्रस्ट, अडालज कुमार हॉस्टल और एजुकेशन कॉम्पलेक्स के उद्घाटन के साथ साथ जन सहायक ट्रस्ट हिरामणि आरोग्य धाम का भूमि पूजन भी हुआ है। शिक्षा, पोषण और आरोग्य के क्षेत्र में समाज के लिए गुजरात का स्वभाव रहा है। जिसकी जितनी ताकत, हर समाज कुछ ना कुछ सामाजिक दायित्व निभाता है और उसमें पाटिदार समाज भी कभी भी पीछे नहीं रहता है। आप सब सेवा के इस यज्ञ में मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से और अधिक समर्थ्य बनें, और अधिक समर्पित बने और अधिक सेवा की ऊंचाइयों को प्राप्त करते चलें। ऐेसे मां अन्नपूर्णा आपको आशीर्वाद दें। मेरी ओर से आप सभी को बहुत बहुत बधाई भी है। बहुत-बहुत शुभकामनाएं भी है।

साथियों, समृद्धि और धन धान्य की देवी मां अन्नपूर्णा के प्रति हमारी अगाध आस्था रही है। पाटिदार समाज तो धरती माता से सीधा जुड़ा रहा है। मां के प्रति इस अगाध श्रद्धा के कारण ही कुछ महीने पहले मां अन्नपूर्णा की मूर्ति को हम कनाडा से वापस काशी ले आए हैं। माता की इस मूर्ति को दशकों पहले काशी से चुराकर दशकों पहले विदेशों में पहुंचा दिया गया था। अपनी संस्कृति के ऐसे दर्जनों प्रतीकों को बीते सात-आठ साल में विदेशों से वापस लाया जा चुका है।

साथियों, हमारी संस्कृति में हमारी परंपरा में भोजन, आरोग्य और शिक्षा पर हमेशा से बहुत बल दिया गया है। आज आपने इन्हीं तत्वों का मां अन्नपूर्णा धाम में विस्तार किया है। ये जो नई सुविधाएं विकसित हुई है, यहां जो आरोग्य धाम बनने जा रहा है, इससे गुजरात के सामान्य मानवी को बहुत अधिक लाभ होगा। विशेष रूप से एक साथ अनेकों लोगों के डायलिसिस और 24 घंटे ब्लड सप्लाई की सुविधा से अनेक मरीजों की बहुत बड़ी सेवा होगी। केंद्र सरकार ने जिला अस्पतालों में मुफ्त डायलिसिस की जो सुविधा शुरू की है, उस अभियान को आपके ये प्रयास और बल देने वाले हैं। इन सभी मानवीय प्रयासों के लिए, सेवाभाव के लिए समर्पण भाव के लिए आप सभी प्रशंसा के पात्र हैं।

गुजरात के लोगों के पास जब आता हूं, तो मुझे लगता है कि थोड़ी बात गुजराती में भी कर ली जाए। कई वर्षों से आपके बीच रहा हूं। एक प्रकार से कहूं, तो शिक्षा-दीक्षा सब आपने ही करी है और आपने जो संस्कार दिए हैं, जो शिक्षा दी है, इसे लेकर आज देश की जो जम्मेवारी सौंपी है, इसे पूरा करने में ही डूबा रहता हूं। इसके परिणाम स्वरूप नरहरि के बहुत आग्रह होने के बावजूद भी मैं रूबरू नहीं आ सका। यदि मैं रूबरू आया होता, तो मुझे काफी सारे पुराने महानुभावों से मिलने का अवसर प्राप्त होता। सबके साथ आनंद आया होता, किंतु अब टेक्नोलॉजी का माध्यम लेकर आप सभी को मिलने का अवसर मैं छोड़ नहीं सकता, इसलिए यहां से आप सभी के दर्शन कर रहा हूं। आप सभी को वंदन कर रहा हूं।

हमारे नरहरि भाई की काफी विशेषता है, वो मेरे पुराने मित्र है। नरहरिभाई की विशेषता यह है कि वो उनका जो सार्वजनिक जीवन है वह आंदोलन की कोख से जन्मा हुआ है। वे नवनिर्माण आंदोलन से जन्मे हैं, किंतु आंदोलन में से जन्मा हुआ जीव रचनात्मक प्रवृत्ति में मिल जाएं और वह वास्तव में संतोष की बात है, आनंद की बात है। और नरहरि भाई आंदोलन में से निकले हुए जीव हैं, राजनीति में रहते हुए भी इस प्रकार के रचनात्मक कार्यों को करते हैं और मैं तो मानता हूं कि इसका काफी बड़ा महत्व है। घनश्याम भाई भी को-ऑपरेटिव को पूरी तरह समर्पित हैं। यह एक प्रकार से कहा जाए तो परिवार के पूरे संस्कार ऐसे हैं, कि ऐसा कुछ ना कुछ अच्छा करते रहते हैं। और इसके लिए उनके और उनके परिवारजनों को भी, अब तो नरहरि भाई की एक नई पीढ़ी तैयार कर रहे हैं, इसलिए उनको भी मेरी शुभकामनाएं हैं।

हमारे मुख्यमंत्रीजी सख्त और नरम हैं। गुजरात को एक ऐसा नेतृत्व मिला है, मुझे यकीन है कि आने वाले दिनों में गुजरात को नई ऊंचाइयों को ले जाने के लिए उनकी आधुनिक विचारधारा और आधारभूत कार्यों की जिम्मेदारी की समानता वास्तव में हमारे राज्य के लिए उनकी ओर से बहुत बड़ा नेतृत्व मिल रहा है और आज उन्होंने जितनी भी बातें कही है और यहां मेरा अनुमान सभी लोगों को और खास करके स्वामी नारायण संप्रदाय के भाइयों को मैं आग्रह करता हूं कि जहां भी हमारे हरि भक्त हैं, वहां पर प्राकृतिक खेती करवने के लिए हम आगे बढ़ें। इस धरती माता को बचाने के लिए हम जितनी हो सके उतनी कोशिश करें। आप देखना तीन चार साल में उसके फल ऐसे दिखने लगेंगे, माता की ताकत इतनी होगी कि हम सब फूले-फले रहेंगे। और इसके लिए हम सब अवश्य रूप से काम करें।

गुजरात देश के विकास के लिए है और मुझे याद है मैं जब काम करता था, तब हमारा एक मंत्र था कि भारत के विकास के लिए गुजरात का विकास। और हम गुजरात के विकास के लिए ऐसे-ऐसे मापदंड स्थापित करें। जो गुजरात की समृद्ध परंपरा है, उस समृद्ध परंपरा को भूपेंद्र भाई के नेतृत्व में हम सब मिलके आगे बढ़ाएं। मुझे खुशी है कि दो-चार दिन पहले मुझे किसी ने वीडियो भेजा, जिसमें मां अंबाजी का इस तरह से भूपेंद्र भाई कायाकल्प कर रहे हैं, क्योंकि अंबाजी के साथ मेरा विशेष लगाव रहा है। इसलिए मुझे और आनंद हुआ और गब्बर का उन्होंने जिस तरह से नया कलेवर धारण किया है, भूपेंद्र भाई अपने विजन को और साकार कर रहे हैं। और जिस तरह से मां अंबा के स्थान का विकास हो रहा है, जिस प्रकार से स्टेच्यु ऑफ यूनिटी के द्वारा सरदार साहब को गुजरात ने इतनी बड़ी श्रद्धाजंलि दी है। वो पूरी दुनिया में सरदार साहब का नाम आज सबसे ऊपर है और आजादी के इतने सारे सालों के बावजूद हुआ है। और इसी तरह मुझे यकीन है कि अंबाजी में मैं जब था तब 51 शक्तिपीठ की कल्पना की थी। यदि अंबाजी में कोई आए तो उसके मूल स्वरूप और उसकी मूल रचना कोई भी भक्त आता है, तो उनको 51 शक्तिपीठ के दर्शन करने का अवसर प्राप्त हो। आज भूपेंद्र भाई से वह कार्य को आगे बढ़ाया है। पूरी आन-बान और शान के साथ लोगों को समर्पित किया और उसी तरह गब्बर, जहां बहुत काफी कम लोग गब्बर से जाते थे। आज गब्बर को भी मां अंबा के स्थान जितना ही महत्व देकर और खुद वहां पर जाकर जिस तरह से मां गब्बर की ओर अपना ध्यान खींचा है। उसके कारण उत्तर गुजरात में टूरिज्म बढ़ा है। अभी मैंने देखा कि नड़ा बेट में जिस प्रकार से हिंदुस्तान के आखिरी गांव प्रयोग किया गया है।

भूपेंद्र भाई के नेतृत्व में पूरे उत्तर गुजरात में भी टूरिज्म की संभावनाएं अनेक गुना बढ़ गई है और हम सभी की जिम्मेदारी है कि जब ऐसी सारी जगहों का विकास हो रहा हो, तब हम स्वच्छता की ओर पूरा ध्यान दें और आरोग्य का काम हाथ में लिया है, तब स्वच्छता उसके मूल में रही है। उसके मूल में पोषण रहा है और मां अन्नपूर्णा जहां विराजमान हो, वहां अपने गुजरात में कुपोषण कैसे हो सकता है और कुपोषण में पोषण के अभाव से ज्यादा पोषण का अज्ञान इसका कारण होता है और इस अज्ञान की वजह से पता नहीं होता कि शरीर को किस चीज की जरूरत है, क्या खाना चाहिए? कौन सी उमर पर खाना चाहिए? बच्चे मां के दूध में सो जो ताकत मिलती है और अज्ञानता की वजह से यदि हम उससे विमुख हो जाते हैं, तो उस बच्चों को हम कभी भी शक्तिशाली नहीं बना सकते हैं, तो आधारभूत बाबत जब हम माता अन्नपूर्णा के सानिध्य में बैठे हो तब हम उनको याद करेंगे और मुझे यकीन है कि यह टाइमिंग हॉल 600 लोगों को खाना तो देगा ही साथ में मैं नरहरि जी को आज एक नया कार्य सौंप रहा हूं कि वहां पर एक वीडियो रखें, हमारे डायनिंग हॉल में जहां पर खाते हुए सब लोग स्क्रीन पर वीडियो देखते रहें, जिस वीडियो में सिर्फ यही दिखाया जाए कि क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। क्या खाने से शरीर को लाभ होगा, कौन से तत्व शरीर को चाहिए, उसकी समझ वीडियो में दी गई हो, ताकि खाते हुए उनके याद आए कि माता के प्रसाद के साथ मुझे यह ज्ञान साथ मिलकर जाना है और घर जाकर उसका अमन करना है। आजकल तो ऐसे जानकर लोग बड़ी संख्या में मिल जाते हैं।

आपका एक नए प्रकार का डायनिंग हॉल प्रसिद्ध हो जाएगा और ये मीडिया वाले जब आपका यह वीडियो आएगा, तो आपका डायनिंग हॉल देखने आएंगे और मुझे यकीन है कि मैंने आज तक नरहरि भाई को जितनी भी सुझाव दिए हैं। उन्होंने आज तक किसी भी सुझाव का अनादर नहीं किया है, इसलिए इसको भी वह जरूर से ध्यान में लेंगे और हमारे यहां तो शास्त्रों में एक अच्छी बात की है और देखिए हमारे पूर्वज कितना अच्छा कर गए हैं। उसमें कहा है

देयं वैशजम आर्तस्य, परिश्रांतस्य च आसनम्। तृषि तश्याश्च पानी य:, सुधि तश्याश्च भोजनम्।

इसका अर्थ यहु हुआ कि पीड़ित को औषधि, थके हुए इंसान को आसन, प्यासे इंसान को पानी और भूखे इंसान को भोजन देना चाहिए। यह हमारे शास्त्रों में कहा गया है। इस काम को माता अन्नपूर्णा के सानिध्य में जिस काम का सुझाव दिया गया था, आरंभ हो रहा है और मेरे लिए गौरव की बात है। आपने और सभी साथियों ने मेरी बात को सिर पर चढ़ाकर परिपूर्ण की है, इसलिए मेरा उत्साह और बढ़ जाता है और वो दो कार्य नए बताने की इच्छा भी हो जाती है। भोजन, आरोग्य की सबसे पहली सीढ़ी है और इसलिए पोषण अभियान हमने पूरे देश में चलाना शुरू कर दिया है। मैं आज भी कहता हूं कि भोजन के अभाव की वजह से कुपोषण आता है, ऐसा नहीं है। भोजन के अज्ञान की वजह से कुपोषण आने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।

आज आप जानते हैं कि पिछले तीन साल, दो ढाई साल से, जब ये कोरोना आया तब से गुजरात में गरीब लोग भूखे पेट ना रहे। गरीबों के घर में शाम को चूल्हा ना जले, ऐसी स्थिति हमको चलेगी नहीं। और पूरी दुनिया को अचरज हो रहा है कि किस तरह से दो ढाई साल तक पूरे 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में अनाज मिलता रहे यह बात दुनिया के लिए आश्चर्य की है। पूरे विश्व में जो उथल-पुथल की परिस्थिति का निर्माण हुआ है, किसी को कोई चीज मिल नहीं रही है, जहां से हमें पेट्रोल मिल रहा है, तेल मिल रहा है, फर्टिलाइजर मिल रहा है, वह सारे दरवाजे बंद हो गए हैं।

युद्ध का ऐसा माहौल बन गया है कि सब अपना-अपना संभाल कर बैठे हैं। ऐसे में एक नई मुसीबत दुनिया के समक्ष आई है कि अन्न के भंडार कम होने लगे हैं। कल मैं जब अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ चर्चा कर रहा था, तो उन्हे भी कहा कि हमारे यहां पर यदि WTO परवानगी देता है तो थोड़ी राहत कर देंगे कि भारत में जो भंडार पड़े हैं, उसे यदि बाहर भेज सकते हैं तो हम उसे कल ही भेजने के लिए तैयार हैं। हम भारत को तो खिलाते ही हैं, हमारे अन्नपूर्णा माता के आशीर्वाद से हमारे देश के किसानों ने जैसे की पहले से ही दुनिया चिंता की हो ऐसे तैयारी कर ली है। किंतु अब दुनिया के कायदे कानून में रहना जरूरी है। इसलिए पता नहीं कब डब्ल्यूटीओ इसमें सुधार करेगा।

आप देखिए गुजारत की ताकत आरोग्य के मामले में कितनी है। पूरी दुनिया में जो तेज गति से हमने कोरोना के सामने वैक्सीनेशन के अभियान चलाया है, और मैं भूपेन्द्र भाई को इसमें भी अभिनंदन देना चाहता हूं कि गुजारत में वैक्सीनेशन का काम बहुत ही तेज गति से किया है। बहुत उत्तम तरीके से किया है और इसी वजह से गुजरात को बचा लिया है। इतना बड़ा काम करने के लिए भी भूपेन्द्र भाई और उनकी पूरी सरकार बहुत ही अभिनंदन की पात्र है। और अब तो बच्चों के लिए भी हमने टीकाकरण के लिए, छूट दे दी है और अपने पाटीदार भाइयों को तो काफी टाइम विदेश जाना होता है, डायमंड वालों को जाना होता है। गुजरात के लोगों को व्यापार धंधे के लिए जाना होता है, ऐसे में यदि कोई बाहर जाता है, उनको कोई पूछता है कि आपने प्रेकॉशन डोज लिया है या नहीं तो अब हमें ऐसी सुविधा है कि अब किसी भी अस्पताल में जाकर डोज ले सकते हैं और निकल सकते हैं। चिंता की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए जो भी आवश्यकताएं हैं, उसको पूरा करने के लिए हम लगभग सभी तरह से प्रयास करते हैं और अब जो समय है, इस field में मैं समाज के लोगों को आग्रह करता हूं कि अपने बच्चों को कौशल विकास के लिए हम कितने प्राथमिकता देते हैं। और स्किल डेवलपमेंट भी वो पुराने जमाने वाला नहीं, अब इस समय में कोई साइकिल रिपेयरिंग का स्किल डेवलपमेंट नहीं होता है।

अब दुनिया बदल गई है। जब इंडस्ट्री 4.0 हो रहा है तब स्किल डेवलपमेंट भी इंडस्ट्री 4.0 के मुताबिक होना चाहिए। अब गुजरात को इंडस्ट्री 4.0 के स्किल डेवलपमेंट के लिए छलांग लगानी है और गुजरात को इस कार्य में हिन्दुस्तान का नेतृत्व करना चाहिए। गुजरात के उद्योग जगत के अग्रणि हैं, जो प्रोफेशनल हैं, जो इंटरप्राइज के लोग हैं उनके सहज प्रभाव में गुजरात है और गुजरात ने तो भूतकाल में ऐसा करके बताया है। मैं आपको एक उदाहरण दे रहा हूं। हमारे पूर्वजों ने गुजरात में एक फार्मेसी कॉलेज शुरू की थी। उसको अब 50-60 साल पूरे हो गए हैं। उस समय में नगर सेठ और महाजन के लोगों ने हिन्दुस्तान में सबसे पहली फार्मेसी कॉलेज शुरू की थी, लेकिन उन्होंने कॉलेज शुरू की थी लेकिन उसका परिणाम यह आया कि आज फार्मेसी में दुनिया में गुजरात का डंका बज रहा है और गुजरात की दवाई बनाने वाली कंपनियों का नाम पूरी दुनिया में गूंज रहा है और गरीबों को सस्ती दवा मिलने की चिंता हमारे लोग करने लगे। 50-60 साल पहले एक फार्मेसी कॉलेज बनी और उसकी वजह से जो विद्यार्थियों के लिए माहौल और ईको सिस्टम का निर्माण हुआ उसकी वजह से आज फार्मेसी उद्योग ने गुजरात को जगमग कर दिया है।

इसी तरह से इंडस्ट्री 4.0, आधुनिक और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ टेक्नोलॉजी वाले हमारे युवा स्किल डेपलमेंट में तैयार होंगे तो मुझे पूरा यकीन है, इसका नेतृत्व भी हम कर सकते हैं और गुजरात में सामर्थ्य है कि वो इन सारे कार्यों को काफी आसानी से कर पाएगा। इस दिशा में हम जितना आगे बढ़ेंगे, उतना लाभ होगा। आज जब आरोग्य की चर्चा चल रही है, हम जानते हैं कि जब मैं आया तब मेरे समक्ष काफी बड़ी समस्या थी, किडनी के मरीज बढ़ रहे थे, डायालिसिस बढ़ रही थी और लोग सुबह घर से निकलते थे 200-250 रुपए का किराया खर्च करते थे, बड़े अस्पताल में जाते थे,जिनको हफ्ते में डालिसिस करवाना होता था, उनको दो महीने में चांस मिलता था, यह सब स्थिति की वजह से काफी चिंताजनक परिस्थिति का निर्माण हो रहा था और हमारे अपर्याप्त साधनों के बीच में भी हमने एक अभियान शुरू किया कि हिन्दुस्तान के डायालिसिस सुविधा उपलब्ध हो और वह भी मुफ्त मिले, ताकि जिन्हें भी डायलिसिस की जरुरत हो उन्हें डायलिसिस की सेवाएं उपलब्ध हो यह चिंता की और आज हम सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहे हैं और ऐसे रोगियों को इसकी सहायता मिल रही है। हमने बहुत ही महत्व का काम किया है, उसकी चर्चा काफी कम होती है।

अखबारों में तो मैंने ज्यादा देखा नहीं है, क्योंकि उनको बाकि सभी कार्यों में से फुर्सत कब मिलती है, लेकिन हमने एक बहुत ही महत्व का कार्य किया है, इस देश के मध्यम और गरीब वर्ग को हमने सबसे ज्यादा लाभ दिया है। यह जन औषधि केंद्र है, यदि कोई घर में किसी बड़े को डायाबिटीज होता है तो उस परिवार को हजार दो हजार का खर्चा होता है। यदि मध्यम वर्ग के व्यक्ति पर दवा के खर्चे का बोझ आता है तो वह मुश्किल में आ जाता है कि यह सब कैसे करें, लेकिन अब चिंता नहीं है। हमने जन औषधि, जन औषधि की दवा में कोई समझौता नहीं किया है, फिर भी जो दवा 100 रुपए में मिलती है वही दवा जन औषधि केंद्र पर 10-12 या 15 रुपए में मिलती है। हम जितना भी जन औषधि केंद्र का प्रचार करेंगे और हमारा मध्यम वर्ग का इंसान जनऔषधि केंद्र पर से दवा खरीदने लगेगा तो उसकी काफी सारी बचत होगी। गरीबों को सहायता मिलेगी। कई बार ऐसा होता है कि गरीब लोग दवाई नहीं लेते हैं, उसकी वजह से उनको परेशानी होती है। वे बिल चुका नहीं पाते हैं। जन औषधि की वजह से आम आदमी भी दवा खरीद पाए, अपना उपचार कर पाए, ऐसी हम चिंता कर रहे हैं।

स्वच्छता का अभियान हो, डायलिसिस का कार्य हो, पोषण का कार्य हो या फिर जन औषधि द्वारा सस्ती दवा की बात हो, हमने चिंता की है। अब तो हमने ह्रदय रोग की बीमारी हो तो स्टेंट का पैसा कम करने के लिए अभियान चलाया है। घुटनों का ऑपरेशन का पैसा कम करने के लिए अभियान चलाया। ऐसे बहुत सारे कार्य हैं,ताकि सामान्य व्यक्ति को तकलीफ न हो। और सबसे बड़ा काम किया है, आयुष्मान भारत योजना। आयुष्मान भारत योजना के द्वारा, हिन्दुस्तान के सामान्य लोगों को हर साल उनके परिवार को 5 लाख तक का बीमारी के उपचार का खर्च सरकार दे रही है और मैंने देखा है कि अनेक, जिसमें खास कर हमारी माताओं को यदि गंभीर बीमारी हुई हो तो पहले अपने बच्चों को नहीं कहती थीं, क्योंकि सोचती थी कि बच्चों को दुख होगा, इसलिए वे पीड़ा सहन करते रहती थीं ।

जब मामला बिगड़ जाए और ऑपरेशन की बात आए तब माता कहती थी कि मैं आपको कर्ज में नहीं डालना चाहती, मुझे वैसे भी कहां ज्यादा जीना है, और जीवन में पीड़ा सहन करती थीं। ऐसे में माता की कौन चिंता करे। जहां पर मां अंबा का धाम हो, मां काली का धाम हो, जहां पर मां खोड़ियार हो, मां उमिया हो, जहां पर मां अन्नपूर्णा हो, वहां पर मां की चिंता कौन करे और हमने तय किया कि प्रधानमंत्री जन आरोग्य के माध्यम से आयुष्मान भारत योजना से 5 लाख रुपए तक का उपचार अच्छे से अच्छे अस्पताल में करने की जवाबदेही सरकार उठाएगी। चाहे उनका ऑपरेशन करना हो, उनकी किडनी की बीमारी हो, सभी का खर्च उठाएगी। इतना ही नहीं, अहमदाबाद में हो और वो मुंबई में बीमार पड़ता है तो उनके उपचार की जवाबदेही सरकार उठाएगी। उनको ऑपरेशान करवाना हो, इमरजेंसी का उपचार हो, इतना ही नहीं अहमदाबाद का ये आदमी मुंबई में गया हो तो वहां उसका लाभ मिलेगा, हैदराबाद गया हो तो वहां मिलेगा। एक प्रकार से आरोग्य के लिए जितने भी सुरक्षा कवच संभव हो, आरोग्य की रक्षा के लिए जितना भी हो सके, उन सभी कार्य के लिए हम प्रयत्न कर रहे हैं और गुजरात की तो विशेषता रही है कि गुजरात हमेशा सबके साथ चलने वाला राज्य है।

हमारे यहां पर जब कभी आपत्ति आयी हो और फूड पैकेट पहुंचाने हों तो सरकार को मशक्कत कम करनी पड़ती है। हमारे यहां पर स्वामी नारायण संस्था में एक फोन कर देंगे, संतराम संस्था में एक फोन कर देंगे तो फटाफट गुजरात में फूड पैकेट पहुंच जाते हैं। कोई भूखI नहीं रहता। यह सब माता अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से होता है। यह जरुरत गुजरात की है और इसी के आधार पर हम गुजरात को प्रगति को प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ा रहे हैं। शिक्षण के लिए, आरोग्य के लिए बहुत की अच्छी व्यवस्था की है और आध्यात्म की भी चिंता कर रहे हैं। त्रिवेणी मिली है, तब मेरी आप सभी को बहुत ही शुभकामनाएं है।

बहुत-बहुत धन्यवाद

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Prime Minister condoles passing away of former Prime Minister Dr. Manmohan Singh
December 26, 2024
India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji: PM
He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years: PM
As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has condoled the passing away of former Prime Minister, Dr. Manmohan Singh. "India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji," Shri Modi stated. Prime Minister, Shri Narendra Modi remarked that Dr. Manmohan Singh rose from humble origins to become a respected economist. As our Prime Minister, Dr. Manmohan Singh made extensive efforts to improve people’s lives.

The Prime Minister posted on X:

India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji. Rising from humble origins, he rose to become a respected economist. He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years. His interventions in Parliament were also insightful. As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives.

“Dr. Manmohan Singh Ji and I interacted regularly when he was PM and I was the CM of Gujarat. We would have extensive deliberations on various subjects relating to governance. His wisdom and humility were always visible.

In this hour of grief, my thoughts are with the family of Dr. Manmohan Singh Ji, his friends and countless admirers. Om Shanti."