Quoteप्रधानमंत्री मोदी ने दबोई में ‘राष्ट्रीय जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के संग्रहालय’ का शिलान्यास किया
Quoteहम आदिवासी समुदायों से जुड़े हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं जिन्होंने उपनिवेशवाद के खिलाफ अपनी आवाज उठाई: पीएम मोदी
Quoteसरदार सरोवर बांध से गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteआज हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में बढ़ रहे हैं और यह सरदार पटेल की वजह से ही संभव हो पाया है: पीएम मोदी
Quoteएकता की प्रतिमा (स्टेचू ऑफ यूनिटी) सरदार पटेल को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि, विश्व भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगी: पीएम मोदी
Quoteभारत 1965 में भारतीय वायु सेना के मार्शल अर्जन सिंह के उत्कृष्ट नेतृत्व को कभी भुला नहीं सकता: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों।

दभोई बहुत बार आया; कभी बस में आता था, कभी स्‍कूटर पर आता था, कभी कार्यकर्ताओं की मीटिंग लेता था, कभी जनसभा को संबोधित करता था। न जाने कितनी-कितनी यादें आप सबके साथ जुड़ी हुई हैं। लेकिन दभोई में ऐसा विराट दृश्‍य पहले कभी नहीं देखा। ये विराट जनसागर      माँ नर्मदा की भक्ति का जीता-जागता प्रतीक है।

आज विश्‍वकर्मा जयंती है। भारत में सदियों से जो हाथ से काम करते हैं, पसीना बहाते हैं, श्रम करते हैं, निर्माण का कार्य करते हैं; technician हो, इंजीनियर हो, मिस्‍त्री हो, मिट्टी का काम करने वाले हों, चूने और सीमेंट का काम करने वाले हों, जो भी स्‍थापत्‍य से जुड़े हुए कामों से जुड़ा है, उन सबको भारत में विश्‍वकर्मा के रूप में देखा जाता है; आज ऐसे विश्‍वकर्मा की जयंती का पर्व है। और इसलिए इससे बड़ा कोई उत्‍तम संयोग नहीं हो सकता है कि जब विश्‍वकर्मा जयंती पर विश्‍वकर्मा के उपासक, जिन-जिन लोगों ने इस Sardar Sarovar Dam का निर्माण किया है; उन सबके उस परिश्रम का पुण्‍य स्‍मरण करते हुए, उनकी उस कठोर साधना का पुण्‍य स्‍मरण करते हुए, मां भारती को हिन्‍दुस्‍तान का एक बड़ा Sardar Sarovar Dam सौगात में देने का सौभाग्‍य प्रापत हुआ है।

भाइयो, बहनों, यहां मुझे आज मेरे जन्‍मदिन की भी बहुत सारी बधाइयां दी जा रही हैं। जिन-जिन लोगों ने बधाई दी है, जिन-जिन लोगों ने शुभकामना व्‍यक्‍त की है, मैं उनका हृदय से बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं और जन्‍मदिन के साथ-साथ जो भावनाएं प्रकट की हैं, उन भावनाओं के अनुकूल अपने-आप को निखारने का, बनाने का और पल-पल आपके सपनों के लिए जीने के लिए मैं अपने परिश्रम की पराकाष्‍ठा करने में कोई कमी नहीं रखूंगा। जिऊंगा तो आपके सपनों के लिए, खपूंगा तो भी आपके सपनों के लिए, और आपके सपने साकार हों, इसके लिए सवा सौ करोड़ देशवासियों की शक्ति जुटा करके एक नए भारत, एक New India, उसको पा करके रहना है।

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एक गांधी, दुबले-पतले गांधी, साबरमती के आश्रम में साधना करते-करते देशवासियों को आजादी के लिए जोड़ सकते हैं तो माँ नर्मदा के आशीर्वाद से, साबरमती के आशीर्वाद से, देश के वीर पुरुषों के त्‍याग-तपस्‍या के आशीर्वाद से, इस देश के महापुरुषों की साधना के आशीर्वाद से, सवा सौ करोड़ देशवासी, आजादी के 75 साल होने पर एक नए भारत का निर्माण बनाने में कोई कमी नहीं रखेंगे, ये मेरा पूरा-पूरा विश्‍वास है।

भाइयो, बहनों, ये Sardar Sarovar Dam ..आज भारत के लौहपुरुष, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की आत्‍मा जहां भी होगी, हम सब पर ढेर सारे आशीर्वाद वो हम पर बरसाती होगी। दीर्घदृष्‍टा किसको कहते हैं? 71 साल पहले, आजादी के पहले, मेरे भी जन्‍म से पहले, हम में से कईयों के जन्‍म से पहले, सरदार पटेल साहब ने Sardar Sarovar Dam का सपना देखा था।

देश आजाद हुआ, मैं आज बड़े विश्‍वास के साथ कहना चाहता हूं कि दो महापुरुष अगर कुछ और साल जीवित रहे होते तो ये Sardar Sarovar Dam 60-70 के दशक में ही बन करके, ये पश्चिम के सारे राज्‍य सुजलाम, सुफलाम बन गए होते, हरे-भरे हो गए होते। हिन्‍दुस्‍तान के अर्थजगत को एक अभूतपूर्व सामर्थ्‍य देने का सौभाग्‍य पश्चिम के इन राज्‍यों को मिला होता। वे दो महापुरुष थे- एक, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल, जिन्‍होंने नर्मदा नदी के महात्‍मय को, सामर्थ्‍य को, गुजरात की आवश्‍यकता को, मध्‍यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्‍थान के जीवन को, एक मां नर्मदा कैसे बदल सकती है, इसका सपना संजोया था, दीर्घ-दृष्टि से उस project की कल्‍पना की थी। और दूसरे- दूसरे महापुरुष थे, डॉ. बाबा साहेब अम्‍बेडकर। जिन लोगों को बाबा साहेब अम्‍बेडकर का अध्‍ययन करने का अवसर मिला है, वो देख सकते हैं कि भारत में जलक्रांति के लिए, जलशक्ति के लिए, waterways के लिए, सामुद्री सामर्थ्‍य के लिए, मंत्री-परिषद के अपने अल्‍पकाल में भी जितनी योजनाएं, जितनी कल्‍पनाएं, पूज्‍य बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने रखी थीं, शायद ही कोई एक सरकार इतना काम सोच भी सकती है, जो काम बाबा साहेब अम्‍बेडकर ने सोचा था।

अगर ये दो महापुरुष कुछ साल ज्‍यादा जीवित रहते, हमें उनकी सेवाओं का लाभ कुछ वर्ष अधिक मिला होता, तो मेरे प्‍यारे देशवासियों आज बाढ़ के कारण जो प्रदेश तबाह हो जाते हैं, सूखे के कारण जहां का किसान मर रहा है, ये सारी समस्‍याओं से देश बाहर निकल आता और देश प्रगति की नई ऊंचाइयों को पार कर लेता। लेकिन ये हमारा दुर्भाग्‍य रहा कि हमें इन दोनों महापुरुषों को बहुत पहले खो देना पड़ा। आज ये Sardar Sarovar Dam भारत को समर्पित हो रहा है, सवा सौ करोड़ देशवासियों को समर्पित हो रहा है, गांधी और सरदार की धरती से समर्पित हो रहा है। जिस धरती पर बाबा साहब अम्‍बेडकर की जिंदगी में एक नया बदलाव आया था, गायकवाड़ के कारण; उस धरती से समर्पित हो रहा है। देश की एक नई ताकत का ये प्रतीक बनेगा, इस विश्‍वास के साथ आज इन सभी महापुरुषों को, उनका स्‍मरण करते हुए, ये भव्‍य-दिव्‍य योजना आप सबके चरणों में समर्पित करता हूं, देशवासियों को समर्पित करता हूं, मां भारती को समर्पित करता हूं।

भाइयो, बहनों, योजनाएं बनना, योजनाएं पूरी होना बहुत स्‍वाभाविक होता है लेकिन शायद हिन्‍दुस्‍तान में जितनी तकलीफें माँ नर्मदा को झेलनी पड़ीं, इस योजना को झेलनी पड़ीं, दुनिया की कोई ताकत ऐसी नहीं थी, जिसने इसमें रुकावटें पैदा न की हों। World Bank है, फैसला कर लिया, Sardar Sarovar Dam के लिए पैसे नहीं देंगे। भारत के लिए हजारों करोड़ रुपये की इतनी बड़ी योजना आर्थिक मदद के बिना हो नहीं सकती थी। और उसी World Bank ने कहा कि पर्यावरण के विरोधी हैं, गलत प्रचार की आंधी चलाने वालों ने इतना झूठ फैला कर रखा था। भाइयो, बहनों हमने भी ठान ली थी, World Bank और No World Bank, हम भारत के पसीने से Sardar Sarovar Dam बना के रहेंगे, और आज- आज इसे बना दिया।

जिस World Bank ने environment के नाम पर, पर्यावरण के नाम पर, Sardar Sarovar Dam को मदद करने से इंकार कर दिया था। 2001 में कच्‍छ के भूकंप के बाद उसका पुनर्निमाण हुआ, और वो eco friendly, environment friendly development हुआ, उसी World Bank को गुजरात के भूकंप के काम को World Bank का environment का सबसे बड़ा award, Green Award, गुजरात को देने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

भाइयो, बहनों, अगर एक बार हिन्‍दुस्‍तान के लोग संकल्‍प कर लेते हैं तो दुनिया की हर चुनौती को चुनौती देने का सामर्थ्‍य ये देश रखता है। और उसी का परिणाम है। Sardar Sarovar Dam का काम, कभी-कभी हमारे देश में राज्‍यों की शक्ति, राज्‍यों की चुनौती, इसकी बहुत चर्चा होती रहती है, comparative study होता रहता है। लेकिन पश्चिम भारत के हम कुछ राज्‍य, अगर आजादी के बाद का इतिहास देखा जाए, हम ज्‍यादा से ज्‍यादा इन इलाकों में विकास के अंदर सबसे बड़ी कोई रुकावट बना है तो पानी बना है। पानी का अभाव, पशु हो, इंसान हो, अपना खेत-खलिहान, गांव छोड़ करके 200-200, 400-400 किलोमीटर दूर चले जाते थे, जहां पानी मिल जाए; वहीं पर 4-6 महीना गुजारा करके जब वर्षा होती थी तो वापस आते थे। कभी किसी ने इस दर्दनाक जिंदगी की कल्‍पना की है? बिना पानी के जिंदगी कैसी होती है?

जब मैं गुजरात के मुख्‍यमंत्री के रूप में काम कर रहा था, सीमा पर जाना मेरा स्‍वभाव था। बीएसएफ के जवान हों, सेना के जवान हों; मैं दिवाली उनके बीच मनाया करता था। जब एक बार गुजरात की सीमा पर जा करके बीएसएफ के जवानों के साथ बैठा तो बीएसएफ के जवान पीने के लिए पानी, सैंकड़ों camel, सैंकड़ों ऊंट, पानी ढो करके लाते थे तब ये रेगिस्‍तान में देश की सुरक्षा करने वाले हमारे जवानों को पीने का पानी मिलता था। उस दर्द को मैंने भलीभांति अनुभव किया था। और जब Sardar Sarovar Dam का काम आगे बढ़ा तो मन में एक इच्‍छा जगी, कि मैं भारत और पाकिस्तान की सीमा पर मेरे बीएसएफ के जवान, जो बिना पानी रेगिस्‍तान में खड़े हैं, मैं नर्मदा का पानी उन तक ले जाऊंगा। पाइप लाइन लगाई 700 किलोमीटर दूर। कई वर्षों से, दशकों से ऊंट जब पानी ढो करके लाता था, तब मेरे देश की रक्षा करने वाला जवान पानी को पाता था। जिस दिन मैं पानी ले करके, नर्मदा का पानी ले करके पहुंचा, मैंने बीएसएफ के जवानों के चेहरे पर वो खुशी देखी थी, वो engineering miracle था कि हमें यहां से पानी उठा करके 700 किलोमीटर दूर नर्मदा का पानी पहुंचाया, और पहुंचाने के लिए पानी को कभी-कभी तो 60 मंजिला ऊंचाई तक उठा करके ले जाना पड़ा, फिर नीचे ले आए।

भाइयो, बहनों, पूरा Sardar Sarovar Dam एक  engineering miracle है। Canal network engineering miracle है। और मैं तो देश के architects को, engineers को, structure design करने वाले civil engineer, electrical engineer, इन सभी विद्यार्थियों से आग्रह करूंगा कि वो अपने अध्‍ययन में एक project के रूप में इसको लें। भविष्‍य में निर्माण कार्य के लिए कैसी नई दिशा मिलती है, उनको अवसर मिलेगा।

भाइयो, बहनों ये गुजरात के नहीं, ये मध्‍यप्रदेश, राजस्‍थान, महाराष्‍ट्र, इनके करोड़ों किसानों के भाग्‍य को बदलने वाला project है। गुजरात ने इसको lead लिया और भाइयो, बहनों हमने कोशिश की, दुनिया भर की हमारी आलोचना करने के प्रयास हुए, अनाप-शनाप झूठे आरोप लगाए गए। माँ नर्मदा की इस योजना को रोकने के लिए ढेर सारे षडयंत्र हुए। लेकिन हमने हमेशा ये करके रखा था कि हम इसको राजनीतिक विवादों का विषय नहीं बननें देंगे। ये 21वीं सदी की भावी पीढ़ी के भाग्‍य का निर्णय करने वाले हैं, इसलिए राजनीति की भाषा के साथ हम अपने-आपको नहीं जोड़ेंगे।

भाइयो, बहनों मैं आज भी उसका पालन करता आया हूं। कितनी मुसीबतें हुई हैं, किस-किस ने मुसीबत की हैं, मेरे पास कच्‍चा चिट्ठा है, लेकिन वो राजनीति मुझे करनी नहीं है, उस रास्‍ते पर मुझे जाना नहीं है।

मैंने देखा है गुजरात के साधु-महात्‍मा, आध्यात्म का संदेश देना जिनके जीवन का काम था, लेकिन जब-जब सरदार सरोवर नर्मदा योजना की बात आई, मैंने देखा है गुजरात का संतगण, उसने अगुवाई की लड़ाई लड़ी, अनशन पर बैठे। इतना ही नहीं जब World Bank ने पैसे देने से मना कर दिया था, तो गुजरात के मंदिरों से भी Sardar Sarovar Dam बनाने के लिए पैसे दिए गए थे और तब जा करके ये Sardar Sarovar Dam बना है। और इसलिए ये किसी एक दल का, किसी एक सरकार का कार्यक्रम है, ऐसा हमने कभी नहीं माना। ये कोटि-कोटि जनों का कार्यक्रम है, पानी लिए तरसते हुए लोगों के संकल्‍प का कार्यक्रम है, और ये पानी गुजरात की धरती को, सूखी धरती का है।

भाइयो, बहनों जीवन में कुछ पल होते हैं जो व्‍यक्ति के जीवन में बड़ी भावुकता से भर देते हैं। मेरे जीवन में भी माँ नर्मदा के लिए कुछ भी करना, ये भावुकता से भरा हुआ है। क्‍योंकि मैं देखता हूं कि मेरी धरती माँ, ये रूखी-सूखी मेरी धरती माँ, पानी की बूंद के लिए तरसती हुई धरती माँ, उसको जब नर्मदा का पानी बेटा देता है, उस बेटे के लिए इससे बड़ी भावुक पल क्‍या हो सकता है? मेरे राज्‍य की कोटि-कोटि माताएं, बेटियां पढ़ाई छोड़ करके सर पर बर्तन ले करके, तीन-तीन किलोमीटर पीने का पानी लेने के‍ लिए जाती थीं। 6 साल, 8 साल, 10 साल की बच्‍ची माँ को पानी लाने में मदद करती थी। पढ़ाई छोड़ देती थी। एक बेटे के नाते, आज जब ये माँ नर्मदा का जल उनकी मुसीबतों को मुक्‍त करता है, तो इन कोटि-कोटि माताओं के आशीर्वाद मुझ जैसे बेटे को मिलें, इससे बड़ा जीवन का भावुक पल क्‍या होगा?

वो अबोध पशु जो बोल नहीं पाते, मानव जाति की सेवा के लिए उनका शरीर काम आता है। वो अबोध पशु, पीने का पानी, खाने के‍ लिए घास, चारा; इसको पाने के लिए 200-200 किलोमीटर पशु पैदल चले जाते थे। आज जब नर्मदा का पानी पहुंचेगा, हरा चारा मिलेगा, हरा चारा मेरा वो पशु खाएगा, अबोल पशु को पीने का पानी मिलेगा। अबोल पशु भी जब आशीर्वाद देता है तो भारत मां के बेटे के रूप में इन कोटि-कोटि पशुओं के आशीवार्द भी मेरे लिए भावना का सबसे बड़ा पल होना बहुत स्‍वाभाविक है।

भाइयो, बहनों मैं जन्‍मदिन मनाने वाले लोगों में से नहीं रहा। लेकिन जन्‍म दिन में और विश्‍वकर्मा जयंती हो, और कोटि-कोटि लोगों के पूरी शताब्‍दी के भाग्‍य का निर्माण होता हो तो ये पल, ऐसा पल इतने सालों में मेरे जीवन में कभी नहीं आया, जो आज गुजरात ने मुझे दिया है।

भाइयो, बहनों विकास की तो ये एक बहुत बड़ी मिसाल है। पंडित लोग इसको अध्‍ययन करेंगे, Concrete कितना उपयोग हुआ? कहते हैं कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी और कंडला से कोहिमा, आठ मीटर चौड़ा Cement concrete का रोड बनाया जाए, हिमालय से समंदर तक और कंडला से कोहिमा तक आठ मीटर चौड़ा  Cement concrete का रोड बनाया जाए, उसमें जितना concrete लगता है, इतना concrete इस project में लगाया है, भाई साहब। क्‍या कुछ नहीं करना पड़ा, और इसलिए भाइयो, बहनों, ये नर्मदा का पानी- ये पानी नहीं है, ये पारस है पारस। और जब पारस का plus लोहे से होता है तो लोहा भी सोना हो जाता है, वैसे ही ये पारस रूपी माँ नर्मदा का स्‍पर्श धरती के जिस कोने में होता है, वो स्‍वर्णिम बन जाती है, भाइयो, बहनों। और इसलिए भारत के स्‍वर्णिम भाग्‍य का काम ये नर्मदामयी पारस रूपी माँ के द्वारा होने वाला है ये मैं देख रहा हूं।

भाइयों, बहनों, किसान का भला होगा, पीने का पानी मिलेगा, गुजरात में आर्थिक क्रांति आएगी। लेकिन हमारे देश में देखिए- पश्चिम भारत पानी के लिए तरसता है और पूर्वी भारत- उसको विकास के लिए बिजली चाहिए, गैस चाहिए। और आपने देखा है जब से हम दिल्‍ली सरकार में बैठे हैं, केंद्र में सेवा करने का आपने मौका दिया है। हमने भारत का संतुलित विकास हो, पश्चिम को पानी मिले, पूर्व को बिजली मिले, गैस मिले, ताकि मेरा पूर्व भी ताकतवर बने, मेरा पश्चिम भी ताकतवर बने और मेरी भारत माँ की दोनों भुजाएं सामर्थ्‍यवान बनें, उस योजना को ले करके हम काम कर रहे हैं।

भाइयो, बहनों, ये Sardar Sarovar Dam किसी एक राज्‍य का नहीं है। मुझे बराबर याद है जब राजस्‍थान को पानी दिया, Sardar Sarovar Dam से राजस्‍थान को पानी दिया, वसुंधरा जी उस समय मुख्‍यमंत्री थीं, भैरोसिंह शेखावत और जसवंत‍ सिंह जी- भैरों सिंह जी भारत के उपराष्‍ट्रपति थे; वो मुझे मिलने आए। उन्‍होंने मुझे कहा था, भैरो सिंह जी और जसवंत सिंह जी ने कहा था कि मोदीजी आपको मालूम है, ये राजस्‍थान को पानी देने का मतलब क्‍या होता है? बड़े भावुक थे और बड़ी भावना से उन्‍होंने कहा, मोदीजी जरा इतिहास देख लीजिए। थोड़े से पानी के लिए सदियों पहले राज्‍यों के बीच तलवारें चलती थीं, लड़ाइयां होती थीं, राज्‍यों के राज्‍यों का पराजय हो जाता था, जय-विजय का इतिहास बन जाता था; और आपने कोई संघर्ष नहीं, कोई तनाव नहीं, कोई झगड़ा नहीं, कोई आंदोलन नहीं, सीधा सरदार सरोवर से नर्मदा का पानी राजस्‍थान की सूखी धरती को दे दिया! बाड़मेर, पाकिस्‍तान की सीमा तक पानी पहुंचा दिया? भाइयो, बहनों मैंने उन दो नेताओं की आंख में वो भावनाएं देखी हुई हैं। और मुझे खुशी है कि जब-जब ऐसे लोगों को शासन करने का मौका मिला है जिनके लिए दल से बड़ा देश है, तब-तब नर्मदा योजना ने प्रगति की है। जिनके लिए देश से बड़ा दल है, उस समय नर्मदा योजना को रुकावटें आई हैं।

आज ये Dam का काम पूरा हुआ है, मैं आदरपूर्वक मध्‍यप्रदेश की जनता का, मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का आदरपूर्वक धन्‍यवाद करना चाहता हूं। आज ये योजना पूरी हुई है, इसके लिए महाराष्‍ट्र के मुख्‍यमंत्री श्रीमान देवेन्‍द्र फडणवीस, महाराष्‍ट्र की जनता, उनका मैं हृदय से आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं। आज ये योजना परिपूर्ण हुई है, मैं उन मेरे आदिवासी भाइयों, बहनों का आदरपूर्वक नमन करना चाहता हूं, जिन्‍होंने ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ अपना कुछ छोड़ना भी पड़ा तो छोड़ने के लिए आगे आए और उनकी तरफ एक आदर के भाव के साथ आने वाली भी सरकारें देखेंगी ये मुझे विश्‍वास है। उनके सुख-दुख की चिंता आने वाली भी सरकारें करेंगी, ये मुझे पूरा भरोसा है। मैं उन मेरे आदिवासी भाई-बहनों को नमन करता हूं जिनके त्‍याग के कारण, जिनके बलिदान के कारण आज ये भारत माँ,प्यासी मेरी भारत माँ, नर्मदा के जल से पुष्पित-पल्‍लवित होने जा रही है, इससे बड़ा जीवन का क्‍या सौभाग्‍य हो सकता है।

भाइयो, बहनों, हमारे देश में भारत को एक बनाने का भगीरथ काम सरदार साहब ने किया। अगर सरदार साहब न होते तो देश कैसा बिखरा हुआ होता ये हम भली-भांति समझ सकते हैं। कश्‍मीर को छोड़ करके पूरे हिन्‍दुस्‍तान को एक करने का काम सरदार साहब के जिम्‍मे था, उन्‍होंने करके दिखाया। और आज हम एक भारत श्रेष्‍ठ भारत का सपना ले करके आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन आजादी के बाद इस महापुरुष को जिस रूप में देश को समझना चाहिए, जिस रूप में इस महापुरुष की देश की पीढ़ी को प्रेरणा मिलनी चाहिए, उसको किसी न किसी कारण से संभव नहीं हुआ।

मैं अपना पवित्र कर्तव्‍य मानता हूं कि हिन्दुस्‍तान की आने वाली पीढ़ियों में भी सरदार साहब का नाम अमर रहे, सरदार साहब का काम अमर रहे, सरदार साहब की प्रेरणा अमर रहे और कभी-कभी प्रतीकात्‍मक चीजें, वो प्रेरणा का कारण भी बनती हैं और उसी सपने को पूरा करने के लिए दुनिया में, आप मुझे भली-भांति जानते हैं, मुझे छोटा काम जमता ही नहीं है। न मैं छोटा सोचता हूं, न मैं छोटा करता हूं। सवा सो करोड़ का देश जब मेरे साथ हो, सवा सौ करोड़ देशवासियों के सपने हों, तो मुझे छोटे सपने देखने का हक भी नहीं है भाई। और इसलिए सरदार साहब को statue बनाने का निर्णय किया तो मन में ठान ली थी, ये दुनिया में सबसे ऊंचा होगा, दुनिया में सबसे ऊंचा। कुल मिलाकर करीब 190 मीटर और प्रतिमा होगी 182 मीटर। अमेरिका में जो statue of liberty है, उससे ये statue of unity, हमारे सरदार साहब की प्रतिमा अमेरिका के statue of liberty से दो गुना ऊंची होगी, double होगी भाई।

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आप कल्‍पना कर सकते हैं, दुनिया भर से लोग statue of liberty देखने जाते हैं। हमारे यहां दक्षिण गुजरात में जाओ तो सापूतारा है, सौराष्‍ट में जाओ तो गिरि के lion हैं, कच्‍छ में जाओ तो बढ़िया सा रेगिस्‍तान है, उत्‍तर में जाओ तो मां अम्‍बे है, थोड़ा आगे जाओ तो आबू हैं। लेकिन ये एक मेरा इलाका ऐसा है कि जहां tourism की संभावनाएं हैं और इसलिए भाइयो, बहनों ये सरदार पटेल का statue, आप देख लेना मेरे शब्‍द लिखके रखना, रोजाना लाखों लोग यहां आते होंगे, लाखों लोग आते होंगे, tourism का एक ऐसा सेंटर बन जाएगा यहां के हजारों गांवों की रोजी-रोटी का वो कारण बनने वाला है; ये सपना मैंने देखा हुआ है।

और यहीं पर देश की आजादी के लिए मर-मिटने वाले लोग, कुछ लोगों को लगता है मुट्ठीभर लोगों ने ही देश को आजाद किया? मुट्ठीभर लोगों ने ही बलिदान दिए, और गीत भी कुछ ही लोगों के गाए गए।  देश की आजादी के इतिहास को भुला दिया गया है। देश के लिए मर मिटने वालों को याद करने में कुछ लोग कतराते रहे हैं। 1857 से 1947 तक मेरे आदिवासियों ने हर हुकूमत के सामने लड़ाई लड़ी है, बलिदान दिए हैं। एक साथ सौ-सौ आदिवासियों को फांसी पर लटका देते थे अंग्रेज, वे झुकने को तैयार नहीं थे। आजादी की जंग के अंदर हिन्‍दुस्‍तान के हर राज्‍य में, जहां-जहां आदिवासी हैं, आजादी के जंग में बलिदान देने में कभी वो पीछे नहीं रहे हैं। जंग की शुरूआत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। मेरे देश की भावी पीढ़ी को पता चलना चाहिए कि मेरे आदिवासी भाई जंगलों में रहे, पहाड़ों में रहे, पहनने के लिए कपड़े नहीं थे, लेकिन मां भारती की आजादी के लिए बलिदान देने में कभी पीछे नहीं रहे। उनका सम्‍मान होना चाहिए, उनका गौरव होना चाहिए, भावी पीढ़ी को उनकी प्रेरणा मिलनी चाहिए। और इसलिए हिन्‍दुस्‍तान में जहां-जहां, जिस-जिस राज्‍य में आदिवासियों ने 1857-1947 तक आजादी के जंग में जो कुछ भी किया है, हमारी सरकार उसका museum बनाना चाहती है।

देश को भी भावी पीढ़ी को हमारे आदिवासियों के लिए गौरव होना चाहिए, अभिमान होना चाहिए। माँ भारती के लिए मरने वाले उनके पूर्वजों के प्रति श्रद्धा भाव होना चाहिए और इसलिए हिन्‍दुस्‍तान के सभी राज्‍य, जहां-जहां आदिवासियों के पराक्रम की गाथा है, वहां ऐसा एक आधुनिक, digital technology वाला, virtual museum बनाना है। आज उसकी शुरूआत, शिलान्‍यास करने का मुझे अवसर गुजरात की धरती से मिला है। धीरे-धीरे हिन्‍दुस्‍तान के सभी राज्‍यों में ये पनपेगा। मैं इसे मेरे जीवन का बड़ा सौभाग्‍य मानता हूं और मेरे उन वीर आदिवासियों को भगवान बिरसा मुंडा से ले करके हमारे जाम्बुघोडा के नायका समाज तक के, हर किसी के प्रति श्रद्धा और आदर का नमन करते हुए आज इसका शिलान्‍यास भी करने का मुझे सौभाग्‍य मिला है और आने वाले समय में इसका भी लाभ मिलेगा।

ये पूरा Sardar Sarovar Dam- water sports के लिए, adventure water sports के लिए, recreation के लिए, tourism के बड़े सेंटर के लिए, एक ऐसा ये जगह बनने वाली है, जो गुजरात की सबसे आर्थिक गतिविधि वाला केंद्र, ये कल तक जो जंगल थे, रोजी-रोटी कमाने के लिए शहरों में लोगों को भटकना पड़ता था, अब वो रोजी-रोटी यहां घर के सामने आएंगी, ये काम होने वाला है। बड़ोदरा से ले करके, भडूच से ले करके, रोड का निर्माण, रेल का निर्माण, तेज गति से चलने वाली गाड़ियों का निर्माण; ताकि tourist लोग वहां आएं, आराम से आएं और हिन्‍दुस्‍तान का एक महत्‍वपूर्ण tourist centre बने। एक आगरा का ताजमहल सदियों पहले बना, आज भी हम दुनिया में सिर्फ एक आगरा का ताजमहल दिखाते रहते हैं। भाइयो हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में दुनिया को देने के लिए, दुनिया को दिखाने के लिए बहुत कुछ है। ये Sardar Sarovar Dam ये सरदार पटेल का statue, ये आदिवासियों के पराक्रम की गाथा गाने वाला museum, ये देश का और दुनिया के टूरिस्‍टों को आकर्षण का केंद्र बनने वाला है।

ऐसे इस महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम का आज शुभारंभ हो रहा है। Dam का लोकार्पण हो रहा है। मैंने आज सरदार साहब का statue के काम को भी detail में उसका परीक्षण किया। जिस गति से काम चल रहा है, जिस प्रकार की technology का उपयोग हो रहा है, सीखने-समझने जैसा लगा।

मैं सचमुच में आज देशवासियों को ये अमूल्‍य तोहफे देते हुए बहुत ही गर्व की और संतोष की अनुभूति करता हूं। मैं मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री को एक और काम के लिए बधाई देना चाहता हूं। पिछले दिनों, क्‍योंकि सबको मालूम होगा कि नर्मदा मईया पहाड़ से नहीं आती है, जंगलों से आती है। और इसलिए नर्मदा मईया को जंगलों को हरा-भरा रखने का भी अभियान मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री ने उठाया। करीब 8-9 महीने पैदल यात्रा चली। करोड़ों वृक्ष लगाने का अभियान चला। इन करोड़ों वृक्षों के माध्‍यम से उन्‍होंने आने वाली शताब्‍दी तक नर्मदा का पानी कम न हो, इसका बीड़ा उठाया है। मैं मध्‍यप्रदेश की जनता का, मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री का, इस पवित्र कार्य करने के लिए हृदय से बधाई देता हूं। नदी बचाने का काम शायद पहले इस देश में ऐसा नहीं हुआ है। आज मैंने देखा है, हमारे देश के कई संत, कई संस्‍थाएं नदी बचाने का अभियान चला रही हैं, त्‍याग-तपस्‍या के साथ चला रही हैं। पर्यावरण की रक्षा के लिए देश में जो प्रयास हो रहे हैं, ये प्रयास भी हृदय से अनेक-अनेक अभिनंदन के पात्र हैं और इसलिए इस महत्‍वपूर्ण कार्य के लिए भी मैं हृदय से सबको बधाई देता हूं।

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भाइयो, बहनों, कल मैं रात को जब दिल्‍ली से चला तब एक दुखद समाचार मिले, हमारे देश के एक वीर सैनिक, वीर सेनापति और मुझे जब-जब मैं मिला, हमारे देश के मार्शल, श्रीमान अर्जुन सिंह, 1965 की लड़ाई जिनके नाम से जुड़ गई है, ऐसे एक वीर यौद्धा, 98 की उम्र और अभी कुछ दिन पहले एक कार्यक्रम में हम मिले, पूरा uniform पहन करके आते थे। Wheel chair पर आना पड़ता था, और वो देखते ही खड़े हो करके salute करते थे। मैं उनको प्रार्थना करता था, मार्शल आपने खड़ा नहीं होना चाहिए। लेकिन वो एक ऐसे soldier थे, discipline उनकी रगों में ऐसी थी, वो ऐसे ही खड़े हो जाते थे।

कल जब उनको Heart attack आया, पता चला, मैं अस्‍पताल उनको मिलने चला गया। जज्बा वो ही था, spirit वो ही था, शरीर साथ नहीं दे रहा था लेकिन रगों में भरी पड़ी उस discipline की तड़पन नजर आती थी। ऐसे एक वीर यौद्धा, वीर सैनिक, उनको हमने खो दिया है। मैं उनकेा आदरपूर्वक नमन करता हूं। उनको श्रद्धांजलि देता हूं। और उनके पराक्रम को ये देश हमेशा-हमेशा याद रखेगा, उनकी discipline को याद रखेगा, उनकी त्‍याग-तपस्‍या को याद रखेगा, मां भारती के प्रति उनके समर्पण को याद रखेगा, और आने वाली पी‍ढ़ियां उनसे प्रेरणा लेते हुए मां भारती के लिए कुछ न कुछ करने का संकल्‍प करेंगी और 2022 में नया इंडिया बनाने की दिशा में सिद्धि प्राप्‍त करके रहेंगी।

इसी एक भावना के साथ मैं फिर एक बार गुजरात सरकार का धन्‍यवाद करता हूं, गुजरात की जनता का धन्‍यवाद करता हूं, इन चारों सरकारों का अभिनंदन करता हूं, जिनका इस project में योगदान रहा है और बिजली घर-घर पहुंचाने में माँ नर्मदा भी काम आ रही है, वो जमीन को भी सुजलाम, सुखलाम करेगी, हमारे घरो में भी उजाला फैलाएगी। ऐसी माँ नर्मदा को नमन करते हुए आप सबसे मैं आग्रह करता हूं, दो मुट्ठी बंद करके मैं बोलूंगा- नर्मदे, आप बोलिए, सर्वदे। आज माँ नर्मदा है तो सब कुछ है।

नर्मदे – सर्वदे। पूरी ताकत से बोलिए,

नर्मदे – सर्वदे।

नर्मदे – सर्वदे। नर्मदे – सर्वदे।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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The World This Week On India
February 18, 2025

This week, India reinforced its position as a formidable force on the world stage, making headway in artificial intelligence, energy security, space exploration, and defence. From shaping global AI ethics to securing strategic partnerships, every move reflects India's growing influence in global affairs.

And when it comes to diplomacy and negotiation, even world leaders acknowledge India's strength. Former U.S. President Donald Trump, known for his tough negotiating style, put it simply:

“[Narendra Modi] is a much tougher negotiator than me, and he is a much better negotiator than me. There’s not even a contest.”

With India actively shaping global conversations, let’s take a look at some of the biggest developments this week.

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AI for All: India and France Lead a Global Movement

The future of AI isn’t just about technology—it’s about ethics and inclusivity. India and France co-hosted the Summit for Action on AI in Paris, where 60 countries backed a declaration calling for AI that is "open," "inclusive," and "ethical." As artificial intelligence becomes a geopolitical battleground, India is endorsing a balanced approach—one that ensures technological progress without compromising human values.

A Nuclear Future: India and France Strengthen Energy Security

In a world increasingly focused on clean energy, India is stepping up its nuclear power game. Prime Minister Narendra Modi and French President Emmanuel Macron affirmed their commitment to developing small modular nuclear reactors (SMRs), a paradigm shift in the transition to a low-carbon economy. With energy security at the heart of India’s strategy, this collaboration is a step toward long-term sustainability.

Gaganyaan: India’s Space Dream Inches Closer

India’s ambitions to send astronauts into space took a major leap forward as the budget for the Gaganyaan mission was raised to $2.32 billion. This is more than just a scientific milestone—it’s about proving that India is ready to stand alongside the world’s leading space powers. A successful human spaceflight will set the stage for future interplanetary missions, pushing India's space program to new frontiers.

India’s Semiconductor Push: Lam Research Bets Big

The semiconductor industry is the backbone of modern technology, and India wants a bigger share of the pie. US chip toolmaker Lam Research announced a $1 billion investment in India, signalling confidence in the country’s potential to become a global chip manufacturing hub. As major companies seek alternatives to traditional semiconductor strongholds like Taiwan, India is positioning itself as a serious contender in the global supply chain.

Defence Partnerships: A New Era in US-India Military Ties

The US and India are expanding their defence cooperation, with discussions of a future F-35 fighter jet deal on the horizon. The latest agreements also include increased US military sales to India, strengthening the strategic partnership between the two nations. Meanwhile, India is also deepening its energy cooperation with the US, securing new oil and gas import agreements that reinforce economic and security ties.

Energy Security: India Locks in LNG Supply from the UAE

With global energy markets facing volatility, India is taking steps to secure long-term energy stability. New multi-billion-dollar LNG agreements with ADNOC will provide India with a steady and reliable supply of natural gas, reducing its exposure to price fluctuations. As India moves toward a cleaner energy future, such partnerships are critical to maintaining energy security while keeping costs in check.

UAE Visa Waiver: A Boon for Indian Travelers

For Indians residing in Singapore, Japan, South Korea, Australia, New Zealand, and Canada, visiting the UAE just became a lot simpler. A new visa waiver, effective February 13, will save Dh750 per person and eliminate lengthy approval processes. This move makes travel to the UAE more accessible and strengthens business and cultural ties between the two countries.

A Gift of Friendship: Trump’s Gesture to Modi

During his visit to India, Donald Trump presented Prime Minister Modi with a personalized book chronicling their long-standing friendship. Beyond the usual diplomatic formalities, this exchange reflects the personal bonds that sometimes shape international relations as much as policies do.

Memory League Champion: India’s New Star of Mental Speed

India is making its mark in unexpected ways, too. Vishvaa Rajakumar, a 20-year-old Indian college student, stunned the world by memorizing 80 random numbers in just 13.5 seconds, winning the Memory League World Championship. His incredible feat underscores India’s growing reputation for mental agility and cognitive excellence on the global stage.

India isn’t just participating in global affairs—it’s shaping them. Whether it’s setting ethical AI standards, securing energy independence, leading in space exploration, or expanding defence partnerships, the country is making bold, strategic moves that solidify its role as a global leader.

As the world takes note of India’s rise, one thing is clear: this journey is just getting started.