कार्डिनल जॉर्ज एलेंचेरी
मुख्य पादरी एन्ड्रयूज़ थाजत
मुख्य पादरी कुरियाकोस भरनीकुलांगरा
मुख्य पादरी अनिल कोउटू
श्री अरुण जेटली
डॉ. नजमा हेपतुल्ला
श्री पी जे कुरियन, उपाध्यक्ष, राज्यसभा
मॉनसेग्नर सेबास्टियन वाडाकुम्पडान
मैं केरल के दो महान संतों- सेंट कुरियाकोस एलियास चावरा और मदर यूफ्रेसिया को संत की उपाधि मिलने के अवसर पर आयोजित इस समारोह में भाग लेने पर आनंदित महसूस कर रहा हूं। पूरा देश उनके उत्कृष्ट पद को प्राप्त करने पर गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उनके उन्नयन से पहले केरल की ही सेंट अल्फोन्सा ने इस पदवी को प्राप्त किया था।
सेंट कुरियाकोस एलियास चावरा और सेंट यूफ्रेसिया के जीवन और कार्य न केवल ईसाई समुदाय के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणादायक हैं। ये संत मानवता की बेहतरी के लिए निःस्वार्थ सेवा के जरिए ईश्वर को समर्पण की मिसाल हैं।
प्रार्थना में महारथ हासिल कर चुके सेंट चावरा एक समाज सुधारक भी थे। ऐसे समय में जब शिक्षा की सुविधा सीमित लोगों को ही सुलभ थी, उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया था कि हर चर्च में एक स्कूल होना चाहिए। इस तरह उन्होंने शिक्षा के द्वार समाज के सभी तबकों के लोगों के लिए खोल दिये थे।
केरल से बाहर निवास करने वाले कुछ ही लोगों को यह जानकारी है कि उन्होंने एक संस्कृत स्कूल भी खोला था। उन्होंने एक प्रिंटिंग प्रेस की भी शुरुआत की थी। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी उनका योगदान उल्लेखनीय था।
सेंट यूफ्रेसिया एक संत थीं, जिन्होंने अपना जीवन प्रार्थना और ईश्वर के प्रति श्रद्धा को समर्पित कर दिया था।
दोनों ही संतों ने अपना जीवन सहयोगियों की सेवा के जरिए ईश्वर को समर्पित कर दिया था। प्राचीन भारतीय कहावत हैः “आत्मानो मोक्षार्थम् जगत हितायाचा”- यह कहावत उनके जीवन को चरितार्थ करती है।
मित्रों,
अध्यात्मवाद भारत की विरासत में निहित है। हजारों साल पहले भारत एवं यूनान के संतों के बीच बौद्धिक एवं आध्यात्मिक आदान-प्रदान हुआ था। नये विचारों के प्रति भारत का खुलापन ऋग्वेद में स्पष्ट नजर आता है : आनो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः। यह दर्शन अनंत काल से हमारी बौद्धिक हस्तियों का मार्गदर्शन करता रहा है। भारत की मातृभूमि में अनेक धार्मिक एवं आध्यात्मिक धाराओं का जन्म हुआ है। इनमें से कुछ धाराएं तो भारतीय सीमा के पार भी चली गई हैं।
सभी धर्मों के लोगों का स्वागत करने एवं उनका सम्मान करने की परंपरा भारत में उतनी ही पुरानी है, जितना खुद भारत का इतिहास है। जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा थाः हम न केवल सॉर्वभौमिक सहिष्णुता में विश्वास करते हैं, बल्कि हम यथार्थ के रूप में सभी धर्मों को स्वीकार करते हैं।
स्वामी विवेकानंद ने सौ साल पहले जो कहा था वह आज भी प्रासंगिक है और आगे भी सदा न केवल इस देश, बल्कि इस सरकार के लिए भी अथवा भारत में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार के लिए प्रासंगिक रहेगी। सभी धर्मों के लोगों के समान आदर का सिद्धांत हजारों साल से भारत की नैतिकता का एक हिस्सा रहा है और यह फिर कुछ इसी तरह से भारत के संविधान का अभिन्न अंग बन गया। हमारा संविधान शून्य में विकसित नहीं हुआ है। भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं में इसकी जड़ें समाई हुई हैं।
गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर ने हमें एक ऐसी भूमि का सपना देखने के लिए प्रेरित किया था, जहां मन में कोई भय न हो और सिर गर्व से ऊंचा रहे। यह आजादी का वह स्वर्ग है जिसका सृजन एवं संरक्षण करने के प्रति हम कटिबद्ध हैं। हम इसमें विश्वास रखते हैं : एकम सत विप्र बहुधा वदन्ति।
मित्रों,
अब मैं उस मुद्दे का जिक्र करना चाहता हूं जो समकालीन विश्व में शांति एवं सौहार्द के केन्द्र में है। विश्व में धार्मिक मसले पर विभाजन की भावना एवं शत्रुता बढ़ती जा रही है। यह वैश्विक चिंता का विषय बन गयी है। इस संदर्भ में सभी धर्मों के पारस्परिक सम्मान की प्राचीन भारतीय अवधारणा अब वैश्विक स्तर पर अपनी पैठ बनाने लगी है।
लम्बे समय से महसूस की जा रही इस जरूरत और पारस्परिक सम्मानीय रिश्तों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए ही 10 दिसम्बर, 2008 को हेग में ‘मानवाधिकारों में विश्वास’ पर अंतर-धार्मिक सम्मेलन आयोजित किया गया था। संयोगवश यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 60वीं वर्षगांठ भी थी।
विश्व में हर प्रमुख धर्म-ईसाईयत, हिन्दुत्व, यहूदीवाद, बहाई, बौद्ध धर्म, इस्लाम व ताओवाद एवं स्वदेशी धर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले धार्मिक नेताओं ने बैठक की, विचार-विमर्श किया और सार्वभौमिक घोषणा पत्र एवं धार्मिक अथवा आस्था की आजादी को अक्षुण्ण रखने का संकल्प व्यक्त किया।
अपने ऐतिहासिक घोषणा पत्र में उन्होंने यह परिभाषित किया कि आस्था की आजादी में क्या-क्या शामिल हैं और उन्हें कैसे अक्षुण्ण रखना है।
हमारा यह मानना है कि किसी धर्म अथवा आस्था को अपनाने, उसे बनाये रखने और उसका पालन करने की आजादी किसी भी नागरिक की व्यक्तिगत पसंद है।
विश्व आज एक चौराहे पर है जिसे सही ढंग से पार नहीं किया गया तो वह हमें फिर से धार्मिक उन्माद, कट्टरता और खून-खराबे वाले अंधेरे दिनों में धकेल सकता है। सभी धर्मों का यह सदभावनापूर्ण मिलन कतई संभव नहीं था। हालांकि, विश्व तीसरे सहस्राब्दी में प्रवेश कर चुका है। लेकिन अब यह संभव हुआ है। यह दर्शाता है कि शेष विश्व भी प्राचीन भारत के पदचिन्हों पर चल पड़ा है।
भारत और मेरी सरकार की ओर से मैं यह घोषणा करता हूं कि मेरी सरकार उक्त घोषणाओं का अक्षरश: पालन करती है। मेरी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि पूरी धार्मिक स्वतंत्रता हो और हर किसी को अपनी पसंद के धर्म में बने रहने या किसी अन्य धर्म को बिना किसी दबाव या मजबूरी के अपनाने की पूरी आजादी हो। मेरी सरकार किसी भी धार्मिक समूह को, चाहे वह अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक वर्ग से संबंधित हो, प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी के खिलाफ द्वेष फैलाने की मंजूरी नहीं देगी। मेरी सरकार ऐसी होगी जो सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान देगी।
भारत बुद्ध और गांधी की भूमि है। सभी धर्मों का सम्मान प्रत्येक भारतीय के डीएनए में अवश्य होनी चाहिए। किसी भी बहाने अन्य धर्म के खिलाफ हिंसा हमें मंजूर नहीं हो सकती और मैं ऐसी हिंसाओं की कड़ी निंदा करता हूं।
इस प्रतिबद्धता के साथ मैं सभी धार्मिक समूहों से अपील करता हूं कि वे प्राचीन राष्ट्र की सच्ची भावनाओं के अनुरूप संयम, एक-दूसरे के सम्मान और सहिष्णुता के साथ आगे बढ़ें। यह भावना हमारे संविधान में निहित है और यह हेग घोषणापत्र के अनुरूप है।
मित्रों
मेरे पास आधुनिक भारत के लिए एक दृष्टिकोण है। मैंने एक बड़ा मिशन हाथ में लिया है जिसके तहत इस दृष्टिकोण को यथार्थ में तब्दील करना है। मेरा मंत्र विकास है- 'सबका साथ, सबका विकास'।
सरल शब्दों में इसका मतलब सभी की थाली में भोजन, सभी बच्चों को स्कूल, हरेक के लिए रोजगार और सभी परिवारों के लिए शौचालय और बिजली के साथ एक आवास मुहैया कराना है। हम एकजुट होकर इस लक्ष्य को पा सकते हैं। एकजुटता हमें ताकत देगी। बंटने पर हम कमजोर होंगे। मैं यहां उपस्थित आप सभी और हर भारतीय से आग्रह करता हूं कि इस विशाल चुनौती से निपटने में मुझसे सहयोग करें।
सेंट चावरा व सेंट यूफ्रेसिया को दी गई संत की पदवी और उनके अच्छे कर्म हमें:
- हमारी आंतरिक शक्ति को बढ़ाने
- नि:स्वार्थ सेवा से समाज को सुधारने में इस बढ़ी हुई शक्ति का इस्तेमाल करने
- विकसित व आधुनिक भारत की हमारी सामूहिक परिकल्पना को पूरा करने
के लिए प्रेरित करें।
धन्यवाद