कार्डिनल जॉर्ज एलेंचेरी

मुख्‍य पादरी एन्‍ड्रयूज़ थाजत

मुख्‍य पादरी कुरियाकोस भरनीकुलांगरा

मुख्‍य पादरी अनिल कोउटू

श्री अरुण जेटली

डॉ. नजमा हेपतुल्‍ला

श्री पी जे कुरियन, उपाध्‍यक्ष, राज्‍यसभा

मॉनसेग्‍नर सेबास्टियन वाडाकुम्पडान

PM Modi at National Celebration of Elevation to Sainthood of Elias Chavara n Mother Euphrasia (1)

मैं केरल के दो महान संतों- सेंट कुरियाकोस एलियास चावरा और मदर यूफ्रेसिया को संत की उपाधि मिलने के अवसर पर आयोजित इस समारोह में भाग लेने पर आनंदित महसूस कर रहा हूं। पूरा देश उनके उत्कृष्‍ट पद को प्राप्‍त करने पर गौरवान्वित महसूस कर रहा है। उनके उन्‍नयन से पहले केरल की ही सेंट अल्‍फोन्‍सा ने इस पदवी को प्राप्‍त किया था।

सेंट कुरियाकोस एलियास चावरा और सेंट यूफ्रेसिया के जीवन और कार्य न केवल ईसाई समुदाय के लिए, बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणादायक हैं। ये संत मानवता की बेहतरी के लिए निःस्वार्थ सेवा के जरिए ईश्वर को समर्पण की मिसाल हैं।

प्रार्थना में महारथ हासिल कर चुके सेंट चावरा एक समाज सुधारक भी थे। ऐसे समय में जब शिक्षा की सुविधा सीमित लोगों को ही सुलभ थी, उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया था कि हर चर्च में एक स्कूल होना चाहिए। इस तरह उन्होंने शिक्षा के द्वार समाज के सभी तबकों के लोगों के लिए खोल दिये थे।

केरल से बाहर निवास करने वाले कुछ ही लोगों को यह जानकारी है कि उन्होंने एक संस्कृत स्कूल भी खोला था। उन्होंने एक प्रिंटिंग प्रेस की भी शुरुआत की थी। महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए भी उनका योगदान उल्लेखनीय था।

सेंट यूफ्रेसिया एक संत थीं, जिन्होंने अपना जीवन प्रार्थना और ईश्वर के प्रति श्रद्धा को समर्पित कर दिया था।

दोनों ही संतों ने अपना जीवन सहयोगियों की सेवा के जरिए ईश्वर को समर्पित कर दिया था। प्राचीन भारतीय कहावत हैः “आत्मानो मोक्षार्थम् जगत हितायाचा”- यह कहावत उनके जीवन को चरितार्थ करती है।

मित्रों,

अध्यात्मवाद भारत की विरासत में निहित है। हजारों साल पहले भारत एवं यूनान के संतों के बीच बौद्धिक एवं आध्यात्मिक आदान-प्रदान हुआ था। नये विचारों के प्रति भारत का खुलापन ऋग्वेद में स्पष्ट नजर आता है : आनो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः। यह दर्शन अनंत काल से हमारी बौद्धिक हस्तियों का मार्गदर्शन करता रहा है। भारत की मातृभूमि में अनेक धार्मिक एवं आध्यात्मिक धाराओं का जन्म हुआ है। इनमें से कुछ धाराएं तो भारतीय सीमा के पार भी चली गई हैं।

सभी धर्मों के लोगों का स्वागत करने एवं उनका सम्मान करने की परंपरा भारत में उतनी ही पुरानी है, जितना खुद भारत का इतिहास है। जैसा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा थाः हम न केवल सॉर्वभौमिक सहिष्णुता में विश्वास करते हैं, बल्कि हम यथार्थ के रूप में सभी धर्मों को स्वीकार करते हैं।

स्वामी विवेकानंद ने सौ साल पहले जो कहा था वह आज भी प्रासंगिक है और आगे भी सदा न केवल इस देश, बल्कि इस सरकार के लिए भी अथवा भारत में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार के लिए प्रासंगिक रहेगी। सभी धर्मों के लोगों के समान आदर का सिद्धांत हजारों साल से भारत की नैतिकता का एक हिस्सा रहा है और यह फिर कुछ इसी तरह से भारत के संविधान का अभिन्न अंग बन गया। हमारा संविधान शून्य में विकसित नहीं हुआ है। भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं में इसकी जड़ें समाई हुई हैं।

गुरुदेव रबिन्द्रनाथ टैगोर ने हमें एक ऐसी भूमि का सपना देखने के लिए प्रेरित किया था, जहां मन में कोई भय न हो और सिर गर्व से ऊंचा रहे। यह आजादी का वह स्वर्ग है जिसका सृजन एवं संरक्षण करने के प्रति हम कटिबद्ध हैं। हम इसमें विश्वास रखते हैं : एकम सत विप्र बहुधा वदन्ति।

मित्रों,

अब मैं उस मुद्दे का जिक्र करना चाहता हूं जो समकालीन विश्व में शांति एवं सौहार्द के केन्द्र में है। विश्व में धार्मिक मसले पर विभाजन की भावना एवं शत्रुता बढ़ती जा रही है। यह वैश्विक चिंता का विषय बन गयी है। इस संदर्भ में सभी धर्मों के पारस्परिक सम्मान की प्राचीन भारतीय अवधारणा अब वैश्विक स्तर पर अपनी पैठ बनाने लगी है।

लम्बे समय से महसूस की जा रही इस जरूरत और पारस्परिक सम्मानीय रिश्तों की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए ही 10 दिसम्बर, 2008 को हेग में ‘मानवाधिकारों में विश्वास’ पर अंतर-धार्मिक सम्मेलन आयोजित किया गया था। संयोगवश यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा की 60वीं वर्षगांठ भी थी।

विश्व में हर प्रमुख धर्म-ईसाईयत, हिन्दुत्व, यहूदीवाद, बहाई, बौद्ध धर्म, इस्लाम व ताओवाद एवं स्वदेशी धर्मों का प्रतिनिधित्व करने वाले धार्मिक नेताओं ने बैठक की, विचार-विमर्श किया और सार्वभौमिक घोषणा पत्र एवं धार्मिक अथवा आस्था की आजादी को अक्षुण्ण रखने का संकल्प व्यक्त किया।

अपने ऐतिहासिक घोषणा पत्र में उन्होंने यह परिभाषित किया कि आस्था की आजादी में क्या-क्या शामिल हैं और उन्हें कैसे अक्षुण्ण रखना है।

हमारा यह मानना है कि किसी धर्म अथवा आस्था को अपनाने, उसे बनाये रखने और उसका पालन करने की आजादी किसी भी नागरिक की व्यक्तिगत पसंद है।

विश्‍व आज एक चौराहे पर है जिसे सही ढंग से पार नहीं किया गया तो वह ह‍में फिर से धार्मिक उन्‍माद, कट्टरता और खून-खराबे वाले अंधेरे दिनों में धकेल सकता है। सभी धर्मों का यह सदभावनापूर्ण मिलन कतई संभव नहीं था। हालांकि, विश्‍व तीसरे सहस्राब्‍दी में प्रवेश कर चुका है। लेकिन अब यह संभव हुआ है। यह दर्शाता है कि शेष विश्‍व भी प्राचीन भारत के पदचिन्‍हों पर चल पड़ा है।

भारत और मेरी सरकार की ओर से मैं यह घोषणा करता हूं कि मेरी सरकार उक्‍त घोषणाओं का अक्षरश: पालन करती है। मेरी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि पूरी धार्मिक स्‍वतंत्रता हो और हर किसी को अपनी पसंद के धर्म में बने रहने या किसी अन्‍य धर्म को बिना किसी दबाव या मजबूरी के अपनाने की पूरी आजादी हो। मेरी सरकार किसी भी धार्मिक समूह को, चाहे वह अल्‍पसंख्‍यक या बहुसंख्‍यक वर्ग से संबंधित हो, प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से किसी के खिलाफ द्वेष फैलाने की मंजूरी नहीं देगी। मेरी सरकार ऐसी होगी जो सभी धर्मों को समान रूप से सम्‍मान देगी।

भारत बुद्ध और गांधी की भूमि है। सभी धर्मों का सम्‍मान प्रत्‍येक भारतीय के डीएनए में अवश्‍य होनी चाहिए। किसी भी बहाने अन्‍य धर्म के खिलाफ हिंसा हमें मंजूर नहीं हो सकती और मैं ऐसी हिंसाओं की कड़ी निंदा करता हूं।

इस प्रतिबद्धता के साथ मैं सभी धार्मिक समूहों से अपील करता हूं कि वे प्राचीन राष्‍ट्र की सच्ची भावनाओं के अनुरूप संयम, एक-दूसरे के सम्‍मान और सहिष्‍णुता के साथ आगे बढ़ें। यह भावना हमारे संविधान में निहित है और यह हेग घोषणापत्र के अनुरूप है।

मित्रों

मेरे पास आधुनिक भारत के लिए एक दृष्टिकोण है। मैंने एक बड़ा मिशन हाथ में लिया है जिसके तहत इस दृष्टिकोण को यथार्थ में तब्दील करना है। मेरा मंत्र विकास है- 'सबका साथ, सबका विकास'।

सरल शब्‍दों में इसका मतलब सभी की थाली में भोजन, सभी बच्‍चों को स्‍कूल, हरेक के लिए रोजगार और सभी परिवारों के लिए शौचालय और बिजली के साथ एक आवास मुहैया कराना है। हम एकजुट होकर इस लक्ष्‍य को पा सकते हैं। एकजुटता हमें ताकत देगी। बंटने पर हम कमजोर होंगे। मैं यहां उपस्थित आप सभी और हर भारतीय से आग्रह करता हूं कि इस विशाल चुनौती से निपटने में मुझसे सहयोग करें।

सेंट चावरा व सेंट यूफ्रेसिया को दी गई संत की पदवी‍ और उनके अच्‍छे कर्म हमें:

- हमारी आंतरिक शक्ति को बढ़ाने

- नि:स्‍वार्थ सेवा से समाज को सुधारने में इस बढ़ी हुई शक्ति का इस्‍तेमाल करने

- विकसित व आधुनिक भारत की हमारी सामूहिक परिकल्‍पना को पूरा करने

के लिए प्रेरित करें।

धन्यवाद

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भारत और कुवैत का रिश्ता; सभ्यताओं, सागर और कारोबार का है: पीएम मोदी
December 21, 2024
कुवैत में प्रवासी भारतीयों की गर्मजोशी और स्नेह असाधारण है: प्रधानमंत्री
43 वर्षों के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत की यात्रा कर रहा है: प्रधानमंत्री
भारत और कुवैत के बीच सभ्यता, समुद्र और वाणिज्य का रिश्ता है: प्रधानमंत्री
भारत और कुवैत हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं: प्रधानमंत्री
भारत कुशल प्रतिभाओं की वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित है: प्रधानमंत्री
भारत में स्मार्ट डिजिटल प्रणाली अब विलासिता की वस्तु नहीं रह गयी है, बल्कि यह आम आदमी के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गयी है: प्रधानमंत्री
भविष्य का भारत वैश्विक विकास का केंद्र होगा, दुनिया का विकास इंजन होगा: प्रधानमंत्री
भारत, एक विश्व मित्र के रूप में, विश्व की भलाई के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।