उपस्थित सभी महानुभाव और मेरे परिवार के सभी सदस्य, बंधु गण, मैंने ये कहा कि मेरे परिवार के! दो कारण से - एक तो मैं बनारस का हो गया हूं और दूसरा बचपन से एक ही याद रही है, वो है, रेल। इसलिए रेल से जुड़ा हर व्यक्ति मेरे परिवार का सदस्य है और इस अर्थ में मैं परिवार जनों के बीच आज आया हूं। मुझे खुशी है कि आज यहां दो महत्वपूर्ण प्रकल्प, एक तो 4,500 horse power capacity का डीज़ल इजिंन राष्ट्र को समर्पित हो रहा है और ये हमारी capability है। भारत को आगे बढ़ना है, तो इस बात पर बल देना होगा कि हम, हमारे आत्मबल पर, हमारी शक्ति के आधार पर हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करने का काम करें।

एक समय था, ये देश पेट भरने के लिए अन्न बाहर से लाता था। जब विदेशों से अन्न आता था, तब हमारा पेट भरता था। लेकिन इस देश में एक ऐसे महापुरूष हुए जिसने बेड़ा उठाया, देश के किसानों को ललकारा, आवाह्न किया, उनको प्रेरणा दी, जय जवान जय किसान का मंत्र दिया और देश के किसानों ने अन्न के भंडार भर दिए। आज हिंदुस्तान अन्न विदेशों में दे सके, ये ताकत आ गई है। वो काम किया था, इसी धरती के लाल, लाल बहादुर शास्त्री ने। अगर हमारे किसान देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं, अन्न के भंडार भर सकते हैं, तो देश की उस ताकत को पहचान करके हमने देश की उस युवा शक्ति का आवाह्न किया है - Make in India! हमारी जितनी आवश्यकताएं हैं, उसका निर्माण देश में क्यों नहीं होना चाहिए? क्या कमी है! जिस देश के पास होनहार नौजवान हों, 65 प्रतिशत 35 साल से कम उम्र के नौजवान हों, वो देश क्या नहीं कर सकता है?

इसलिए भाइयों, बहनों, लाल बहादुर शास्त्री का मंत्र था- जय जवान जय किसान और उन्होंने देश के अन्न के भंडार भर दिए। हम Make in India का मंत्र ले करके आए हैं इंडिजिनस! भारत की विधा से, भारत के संसाधनों से भारत अपनी चीज़ों को बनाए। आज, डिफेंस के क्षेत्र में हर चीज़ हम बाहर से लाते हैं। अश्रु गैस भी बाहर से आता है, बताईए! रोने के लिए भी बाहर से हमको साधन लाने पड़ते हैं। ये बदलना है मुझे और उसमें एक महत्वपूर्ण पहल आज आपके यहां से.. indigenous .. मुझे बताया गया, ये जो इंजिंन बना है, इसमें 96% कंपोनेंट यहीं पर बने हैं, आप ही लोगों ने बनाए हैं। मैंने कहा है कि वो 4% भी नहीं आना चाहिए। बताइए कैसे करोगे? उन्होंने कहा- हम बीड़ा उठाते हैं, हम करेंगे। डिफेंस..सब चीज़ें हम बाहर से ला रहे हैं, मोबाइल फोन बाहर से ला रहे हैं, बताईए! हमारे देश में हमें एक वायुमंडल बनाना है और इस पर हम कोशिश कर रहे हैं।

रेलवे! आप ने मुझे, जब से प्रधानमंत्री बना हूं, बार बार मेरे मुंह से रेलवे के बारे में सुना होगा। घूम फिर करके कहीं भी भाषण करता हूं तो रेलवे तो आ ही जाता है। एक तो बचपन से आदत है और दूसरा, मेरा स्पष्ट मानना है कि भारत में रेलवे देश को आगे ले जाने की इतनी बड़ी ताकत रखती है, लेकिन हमने उसकी उपेक्षा की है। मेरे लिए रेलवे एक बहुत बड़ी प्राथमिकता है। आप कल्पना कर सकते हो, इतना बड़ा infrastucture! इतनी बड़ी संख्या में manpower! इतना पुराना experience! और विश्व में सर्वाधिक लोगों को ले जाने लाने वाला ये इतना बड़ा organization हमारे पास हो। इसको अगर आधुनिक बनाया जाए, इसको अगर technology upgradation किया जाए, management perfection किया जाए। service oriented बनाया जाए तो क्या हिंदुस्तान की शक्ल सूरत बदलने में रेलवे काम नहीं आ सकती? भाइयों, बहनों मैं ये सपना देख करके काम कर रहा हूं। इसलिए रेलवे तो आगे बढ़ना ही है, लेकिन रेलवे के माध्यम से मुझे देश को आगे बढ़ाना है। और, अब तक क्या हुआ है, रेल मतलब- दो-पांच किलोमीटर नई पटरी डाल दो, एक आद दो नई ट्रेन चालू कर दो, इसी के आस-पास चला है। हम उसमें आमूल-चूल परिवर्तन चाहते हैं।

उसी प्रकार से human resource development. हम जानते हैं कि रेलवे में अभी भी बहुत लोगों को रोज़गार मिलने की संभावनाएं हैं। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वे हिम्मत नहीं करते। अगर आर्थिक रूप से उनको मजबूत बनाया जाए तो हज़ारो नौजवान रेलवे अभी भी absorb कर सकता है, इतनी बड़ी ताकत है। इसलिए योग्य manpower के लिए हम चार युनिवर्सिटी बनाना चाहते हैं, हिंदुस्तान के चार कोनों में। उस युनिवर्सिटी में जो आएंगे उन नौजवानों की शिक्षा दीक्षा होगी और उनको रेलवे के अंदर नौकरी मिलेगी। हमारे कई रेलवे के कर्मचारी हैं। उनकी संतानों को अगर वहां पर पढ़ने का अवसर मिलेगा तो अपने आप रेलवे में नौकरी करने के लिए उसकी सुविधा बढ़ जाएगी। उसको भटकना नहीं पड़ेगा। कुछ लोग अफवाहें फैलाते हैं। आप में से कई लोग होंगे जो 20 साल की उम्र के बाद, 22 साल की उम्र के बाद, पढ़ाई करने के बाद रेलवे से जुड़े होंगे। मैं जन्म से जुड़ा हुआ हूं। इसलिए आप लोगों से ज्यादा रेलवे के प्रति मेरा प्यार है, क्योंकि मेरा तो जीवन ही उसके कारण बना है। जो लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि रेलवे का privatization हो रहा है, वो सरासर गलत है। मुझ से ज्यादा इस रेलवे को कोई प्यार नहीं कर सकता और इसलिए ये जो गप्प चलाए जा रहे हैं, भाईयों, बहनों न ये हमारी इच्छा है, न इरादा है, न सोच है। हम इस दिशा में कभी जा नहीं सकते, आप चिंता मत कीजिए। हम क्या चाहते हैं - आज देश के गरीबों के लिए जो पैसा काम आना चाहिए, स्कूल बनाने के लिए, अस्पताल बनाने के लिए, रोड बनाने के लिए, गांव के अंदर गरीब आदमी की सुविधा के लिए, उन सरकारी खजाने के पैसे हर साल रेलवे में डालने पड़ते हैं। क्यों? रेलवे को जि़ंदा रखने के लिए। हम कितने साल तक हिंदुस्तान के गरीबों की तिजोरी से पैसे रेल में डालते रहेंगे? और अगर कहीं और से पैसा मिलता है, तो समझदारी इसमें है कि गरीबों के पैसे रेल में डालने के बजाए, जो धन्ना सेठ हैं, उनके पैसे रेल में डालने चाहिए। इसलिए कम ब्याज से आज दुनिया में पैसे मिलते हैं। हम उन पैसों को रेलवे के विकास के लिए लगाना चाहते हैं, जिसके कारण, आप जो रेलवे में काम कर रहे हैं, उनका भी भला होगा और हिंदुस्तान का भी भला होगा। रेलवे का privatization नहीं होने वाला है।

अब मुझे बताईए, ये युनियन वालों को मैं पूछना चाहता हूं कि रूपया रेलवे में आए, डालर आए, पाउंड आए, अरे आपको क्या फर्क पड़ता है भई! आपका तो पैसा आ रहा है। दूसरी बात, रेलवे के स्टेशन जितने हैं, हमारे.. अब मुझे बताइए, मुझे रेलवे युनिवर्सिटी बनानी है..अगर रेलवे युनिवर्सिटी में मुझे जापान से मदद मिलती है, चाइना से मदद मिलती है, टेक्नॉलोजी की मदद मिलती है, expertise की मदद मिलती है, तो लेनी चाहिए कि नहीं लेनी चाहिए? ज़रा बताईए, सच्चा बोलिए, दिल से बोलिए- लेनी चाहिए कि नहीं लेनी चाहिए? यही काम ये सरकार करना चाहती है भाईयों! और इतना ही नहीं इतना ही नहीं. आज हम देखें हमारे रेलवे स्टेशन कैसे हैं? रेलवे स्टेशन पर रेलवे में 12-12 घंटे प्लेटफार्म पर काम करने वाले रेलवे के कर्मचारी को बैठने के लिए जगह नहीं होती है। ये सच्चाई है कि नहीं है? उसको बेचारे को बैठ करके खाना खाना हो, उसके लिए जगह नहीं है। क्या हमारे रेलवे स्टेशन सुविधा वाले होने चाहिए कि नहीं होने चाहिए? रेलवे पर आने वाले लोगों को सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? मैंने सर्वे किया कि बनारस स्टेशन पे जितने पैसेंजर आते हैं, उनको बैठने के लिए सीट है क्या? और मैं हैरान हो गया कि बहुत कम सीट हैं। ज्यादातर बेचारे बूढ़े पैसेंजर भी घंटों तक रेलवे के इंतज़ार में खड़े रहते हैं। क्या उनको बैठने की सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? मैंने क्या किया, मेरे MPLAD का जो फंड था, मैंने रेलवे वालों को कहा, सबसे ज्यादा, जितनी बैंच लगा सकते हो, प्लेटफार्म पर लगाओ ताकि यहां गरीब से गरीब व्यक्ति को रेलवे के इंतज़ार में बैठा है तो उसको बैठने की जगह मिले। और मैंने सभी एमपी को कहा है, हिंदुस्तान भर में सभी रेलवे स्टेशन पर वो अपने MPLAD फंड में से पैसे लगा करके वहां पर वहां पर बैंचें डलवाएं ताकि रेलवे स्टेशन पर आने वाले पैसेंजर की सुविधा बढ़े। मुझे बताईए, ये सुविधा बढ़ेगी तो आशीर्वाद आपको मिलेगा कि नहीं मिलेगा? सीधी सीधी बात है, सब आपके फायदे के लिए हो रहा है भई। आप मुझे बताईए आज रेलवे स्टेशन जो हैं बड़े बड़े, heart of the city हैं! दो दो चार किलोमीटर लंबे स्टेशन हैं। नीचे तो आपकी मालिकी मुझे मंज़ूर है लेकिन रेलवे में आसमान में कोई इमारत बना देता है और रेलवे के खजाने में हजार करोड़, दो हजार करोड़ आज जाते हैं तो रेलवे मजबूत बनेगी कि नहीं बनेगी? वो प्लेटफार्म के ऊपर, हवा में, आकाश में अपनी इमारत बनाता है, रेलवे के फायदे में जाएगी कि नहीं जाएगी? मालिकी रेलवे की रहेगी कि नहीं रहेगी? रेलवे के कर्मचारियों का भला होगा कि नहीं होगा? हम जो विकास की दिशा ले करके चल रहे हैं, ये चल रहे हैं, privatization की हमारी दिशा नहीं है। हमें दुनिया भर का धन लाना है, रेलवे में लगाना है। रेलवे को बढ़ाना है, रेलवे को आगे ले जाना है और रेल के माध्यम से देश को आगे ले जाना है। हमारे देश में रेलवे को केवल यातायात का साधन माना गया था, हम रेलवे को देश के आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी के रूप में देखना चाहते हैं।

इसलिए मेरे भाईयों, बहनों मैं देश भर के रेल कर्मचारियों को आज आग्रह करता हूं- आइए! हिंदुस्तान में सबसे उत्तम सेवा कहां की तो रेलवे की ये सपने को हम साकार करें। इन दिनों जो स्वच्छता का अभियान हमने चलाया है, कभी-कभार ट्विटर पर खबरें सुनने को मिलती हैं कि साहब मै पहले भी रेलवे में जाता था अब भी जाता हूं लेकिन अब जरा डिब्बे साफ-सुथरे नजर आते हैं, सफाई दिखती है देखिए लोगों को कितना संतोष मिलता है, आशीर्वाद मिलता है और ये कोई उपकार नहीं है, हमारी जिम्मेवारी का हिस्सा है। It is a part of our duty. धीरे-धीरे उस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारा पूरा रेलवे व्यवस्था तंत्र साफ-सुथरा क्यों न हो उसका सबसे ज्यादा लाभ गरीब लोगों को कैसे मिले, मैं तो देख रहा हूं. रेलवे Infrastructure का उपयोग देश के विकास में इतना हो सकता है जिसकी किसे ने कल्पना नहीं की थी। हमारे देश में पोस्ट ऑफिस का नेटवर्क और रेलवे का नेटवर्क इन दोनों का अगर बुद्धिपूर्वक उपयोग किया जाए तो हमारे देश के ग्रामीण विकास की वह धरोहर बन सकते हैं।

मैं उदाहरण देता हूं- रेलवे के पास बिजली होती है, कहीं पर भी जाइए रेलवे के पास बिजली का कनेक्शन है। हिंदुस्तान की हर जगह पर। रेलवे के पास Infrastructure है। छोटे-छोटे गांव पर भी, छोटे-छोटे स्टेशन बने हुए हैं, भले ही वहां पर एक ट्रेन आती हो तो भी कोई न कोई वहां बैठा है, कोई न कोई व्यवस्था है। बाकी 24 घंटे वो खाली पड़ा रहता है उसी प्रकार से पोस्ट ऑफिस गांव-गांव तक उसका नेटवर्क है लेकिन वो पुराने जमाने की चल रही है उसमें बदलाव लाना है ये मैंने तय किया है और बदलाव लाने वाला हूं। अब मुझे बताइए गांव के अंदर जो रेलवे के स्टेशन हैं वहां पर दिन में मुश्किल से एक ट्रेन आती है मेरे हिसाब से हजारों की तादाद में ऐसी जगहें हैं, जहां बिजली हो, जहां Infrastructure हो वहीं पर अगर एक-दो कमरे और बना दिए जाएं और उन कमरों में Skill Development की Classes शुरू की जाएं क्योंकि Skill Development करना है तो Machine tools चाहिए और Machine tools के लिए बिजली चाहिए लेकिन बिजली गांव में नहीं है लेकिन रेलवे स्टेशन पर है, गांव के बच्चे Daily रेलवे स्टेशन पर आएंगे और रेलवे स्टेशन पर जो दो कमरें बने हुए होंगे उनमें जो Tools लगे हुए होंगे। Turner, Fitter के Course चलेंगे। एक साथ हिंदुस्तान में Extra पैसे खर्च किए बिना रेलवे की मदद से देश में हजारों की तादाद में Skill Development Centres खड़े हो सकते हैं कि नहीं।

मेरे भाईयों-बहनों थोड़ा दिमाग का उपयोग करने की जरुरत है, आप देखिए चीजें बदलने वाली हैं। मैं रेलवे के मित्रों से कहना चाहता हूं ऐसे स्टेशनों को Identify कीजिए जहां पर बिजली की सुविधा है वहां पर सरकार अपने खर्चे सेदो-तीन कमरे और बना दे और वहां पर उस इलाके के जो 500-1000 बच्चे हो उनके लिए Skill Development के Institutions चलें। ट्रेन ट्रेन का और Institutions, Institutions का काम करें रेलवे को Income हो जाए और गांव के बच्चों का Skill Development हो जाए। एक साथ हम अनेक व्यवस्थाएं विकसित कर सकते हैं और उस दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

आज एक तो सोलर प्लांट भी इसके साथ जुड़ रहा है। आधुनिक Loco shed का Expansion हो रहा है, करीब 300 करोड़ रुपए जब पूरा होगा। 300 करोड़ रुपए की लागत से यहां Expansion होने के कारण इस क्षेत्र के अनेक नौजवानों को रोजगार की नई संभावनाएं बढ़ने वाली हैं।

मैं फिर एक बार रेल विभाग को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। श्रीमान सुरेश प्रभु जी के नेतृत्व में बहुत तेज गति से रेल का विकास होगा। आजादी के बाद जितना विकास हुआ है उससे ज्यादा विकास मुझे आने वाले दिनों में करना है। रेलवे के बैठे सभी मेरे साथियों आप सभी मेरे परिवारजन हैं और इसलिए मेरा आप पर हक बनता है, रेलवे वालों पर मेरा सबसे ज्यादा हक बनता है कि हम सब मिलकर के रेल को सेवा का एक बहुत बड़ा माध्यम बनाएं, सुविधा का माध्यम बनाएं और राष्ट्र की आर्थिक गति को तेज करने का एक माध्यम बना दें। उस विश्वास के साथ आगे बढ़ें, इसी एक अपेक्षा के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद.

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नया कॉम्प्लेक्स दिल्ली में सांसदों के Ease of Living को बढ़ाएगा: पीएम मोदी
August 11, 2025
Quoteकुछ दिन पहले ही मैंने कर्तव्य भवन का लोकार्पण किया है, और आज मुझे संसद में अपने सहयोगियों के लिए इस रेजिडेंशियल कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन करने का अवसर मिला है: पीएम
Quoteदेश आज अपने सांसदों के लिए नए घरों की ज़रूरत पूरी करता है, तो पीएम-आवास योजना के जरिए 4 करोड़ गरीबों का गृह-प्रवेश भी करवाता है: प्रधानमंत्री
Quoteआज देश कर्तव्य पथ व कर्तव्य भवन का निर्माण करता है, तो करोड़ों देशवासियों तक पाइप से पानी पहुंचाने का कर्तव्य भी निभाता है: प्रधानमंत्री
Quoteसौर ऊर्जा से चलने वाले बुनियादी ढांचे से लेकर सौर ऊर्जा में देश के नए कीर्तिमानों तक, देश सतत विकास के विजन को निरंतर आगे बढ़ा रहा है: प्रधानमंत्री

कार्यक्रम में उपस्थित श्रीमान ओम बिरला जी, मनोहर लाल जी, किरेन रिजिजू जी, महेश शर्मा जी, संसद के सभी सम्मानित सदस्यगण, लोकसभा के महासचिव, देवियों और सज्जनों !

अभी कुछ ही दिन पहले मैंने कर्तव्य पथ पर कॉमन सेंट्रल सेक्रेटरिएट, यानि कर्तव्य भवन का लोकार्पण किया है। और, आज मुझे संसद में अपने सहयोगियों के लिए इस residential complex के उद्घाटन का अवसर मिला। ये जो चार टॉवर्स हैं, उनके नाम भी बहुत सुंदर हैं- कृष्णा, गोदावरी, कोसी, हुगली, भारत की चार महान नदियां, जो करोड़ों जनों को जीवन देती हैं। अब उनकी प्रेरणा से हमारे जनप्रतिनिधियों के जीवन में भी आनंद की नई धारा बहेगी। कुछ लोगों को परेशानी भी होगी, कोसी नदी रखा है नाम, तो उनको कोसी नदी नहीं दिखेगी, उनको बिहार का चुनाव नजर आएगा। ऐसे छोटे मन के लोग जो होते हैं उनकी परेशानियों के बीच भी मैं जरूर कहूंगा कि ये नदियों के नामों की परंपरा देश की एकता के सूत्र में हमें बांधती है। दिल्ली में हमारे सांसदों का Ease of Living बढ़े, हमारे सांसदों के लिए दिल्ली में उपलब्ध सरकारी घर की संख्या अब और ज्यादा हो जाएगी। मैं सभी सांसदों को बधाई देता हूं। मैं इन फ्लैट्स के निर्माण से जुड़े सभी इंजीनियर्स और श्रमिक साथियों का भी अभिनंदन करता हूँ, जिन्होंने मेहनत और लगन से ये काम पूरा किया है।

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साथियों,

हमारे सांसद साथी जिस नए आवास में प्रवेश करेंगे, अभी मुझे उसका एक sample फ्लैट देखने का मौका मिला। मुझे पुराने सांसद आवासों को देखने का भी मौका मिलता ही रहा है। पुराने आवास जिस तरह बदहाली का शिकार होते थे, सांसदों को जिस तरह आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता था, नए आवासों में गृह प्रवेश के बाद उससे मुक्ति मिलेगी। सांसद साथी अपनी समस्याओं से मुक्त रहेंगे, तो वो अपना समय और अपनी ऊर्जा, और बेहतर तरीके से जनता की समस्याओं के समाधान में लगा पाएंगे।

साथियों,

आप सभी जानते हैं, दिल्ली में पहली बार जीतकर आए सांसदों को घर allot करवाने में कितनी कठिनाई आती थी, नए भवनों से ये परेशानी भी दूर होगी। इन मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग्स में 180 से ज्यादा सांसद एक साथ रहेंगे। साथ ही, इन नए आवासों का एक बड़ा आर्थिक पक्ष भी है। अभी कर्तव्य भवन के लोकार्पण पर ही मैंने बताया था, अनेक मंत्रालय जिन किराए की बिल्डिंग्स में चल रहे थे, उनका किराया ही करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपए साल भर होता था। ये देश के पैसे की सीधी बर्बादी थी। इसी तरह, पर्याप्त सांसद आवास ना होने की वजह से भी सरकारी खर्च बढ़ता था। आप कल्पना कर सकते हैं, सांसद आवास की कमी होने के बावजूद, 2004 से लेकर 2014 तक लोकसभा सांसदों के लिए एक भी नए आवास का निर्माण नहीं हुआ था। इसलिए, 2014 के बाद हमने इस काम को एक अभियान की तरह लिया। 2014 से अब तक, इन फ्लैट्स को मिलाकर करीब साढ़े तीन सौ सांसद आवास बनाए गए हैं। यानि एक बार ये आवास बन गए, तो अब जनता का भी पैसा बच रहा है।

साथियों,

21वीं सदी का भारत, जितना विकसित होने के लिए अधीर है, उतना ही संवेदनशील भी है। आज देश कर्तव्य पथ और कर्तव्य भवन का निर्माण करता है, तो करोड़ों देशवासियों तक पाइप से पानी पहुंचाने का अपना कर्तव्य भी निभाता है। आज देश अपने सांसदों के लिए नए घर का इंतज़ार पूरा करता है, तो पीएम-आवास योजना के जरिए 4 करोड़ गरीबों का गृह प्रवेश भी करवाता है। आज देश संसद की नई ईमारत बनाता है, तो सैकड़ों नए मेडिकल कॉलेज भी बनाता है। इन सबका लाभ हर वर्ग, हर समाज को हो रहा है।

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साथियों,

मुझे खुशी है कि नए सांसद आवासों में sustainable development इसका भी विशेष ध्यान रखा गया है। ये भी देश के pro-environment और pro-future safe initiatives का ही हिस्सा है। सोलर enabled इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर सोलर एनर्जी में देश के नए records तक, देश लगातार sustainable development के विज़न को आगे बढ़ा रहा है।

साथियों,

आज मेरा आपसे कुछ आग्रह भी हैं। यहाँ देश के अलग-अलग राज्यों और क्षेत्रों के सांसद एक साथ रहेंगे। आपकी उपस्थिति यहाँ ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का प्रतीक बनेगी। इसलिए अगर इस परिसर में हर प्रांत के पर्व त्योहारों का समय-समय पर सामूहिक आयोजन होगा, तो इस परिसर को चार चांद लग जाएंगे। आप अपने क्षेत्र की जनता को भी बुलाकर इन कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी करवा सकते हैं। आप अपने-अपने प्रांतों की भाषा के कुछ शब्द भी एक दूसरे को सिखाने का प्रयास कर सकते हैं। Sustainability और स्वच्छता, ये भी इस बिल्डिंग की पहचान बनें, ये हम सबका कमिटमेंट होना चाहिए। न केवल सांसद आवास, बल्कि ये पूरा परिसर हमेशा साफ-स्वच्छ रहे, तो कितना ही अच्छा होगा।

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साथियों,

मुझे आशा है, हम सब एक टीम की तरह काम करेंगे। हमारे प्रयास देश के लिए एक रोल मॉडल बनेंगे। और मैं मंत्रालय से और आपकी आवास कमेटी से आग्रह करूंगा, क्या साल में दो या तीन बार ये सांसदों के जितने परिसर हैं, उनके बीच स्वच्छता की कंपटीशन हो सकती है क्या? और फिर घोषित किया जाए कि आज ये जो ब्लॉक था वो सबसे ज्यादा स्वच्छ पाया गया। हो सकता है एक साल के बाद हम ये भी तय करें कि सबसे अच्छे वाला कौन सा, और सबसे बुरे वाला कौन सा, दोनों घोषित करें।

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साथियों,

मैं जब ये नवनिर्मित फ्लैट देखने गया, तो मैंने जब अंदर प्रवेश किया, तो पहला मेरा कमेंट था, इतना ही है क्या? तो उन्होंने कहा नहीं साहब ये तो शुरुआत है, अभी अंदर चलो आप, मैं हैरान था जी, मुझे नहीं लगता कि सारे कमरे आप भर पाएंगे, काफी बड़े हैं। मैं आशा करूंगा, इन सबका सदुपयोग हो, आपके व्यक्तिगत जीवन में, आपके पारिवारिक जीवन में, ये नए आवास भी एक आशीर्वाद बनें। मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।