अरूणाचल के मेरे प्‍यारे भाईयों और बहनों.. जयहिंद।

शायद हिंदुस्‍तान में इसी प्रदेश के लोग ऐसे हैं जो किसी को भी जब ग्रीट करते हैं, तो जयहिंद करके ग्रीट करते हैं और सारे देश के लिए भारत के हर नागरिक के लिए, अरूणाचल ने यह जो परंपरा बनाई है, यह परंपरा प्रेरणादायक है, अनुकरणीय है और इसके लिए मैं अरूणाचल के नागरिकों को, उसकी इस महान परंपरा को आदर पूर्वक वंदन करता हूं, मैं उनका अभिनंदन करता हूं।

मेरे लिए आज यह सौभाग्‍य की बात है कि राज्‍य की स्‍थापना दिवस के अववसर पर आपके बीच यह उत्‍सव बनाने का सौभाग्‍य मिला है। हमारे मतुख्‍यमंत्री जी, हमारे गवर्नर श्री, दोनों दिल्‍ली रू-ब-रू आए थे और मुझे आग्रह किया था कि आप आइए। अरूणाचल की जनता का प्‍यार इतना है कि मैं आए बिना रह नहीं सकता और मैं आज अरूणाचल के उज्‍जवल भविष्‍य के लिए यहां के विकास के लिए, और एक प्रकार से पूरे नॉर्थ ईस्‍ट के लिए अरूणाचल का विकास एक ग्रोथ इंजन बने, अरूणाचल इतनी तेजी से आगे बढ़े कि पूरे नॉर्थ ईस्‍ट को भी आगे बढ़ने की ताकत दें, क्‍योंकि भौगोलिक दृष्टि से अरूणाचल सबसे बड़ा प्रदेश है यहां का। जनसंख्‍या कम है, लेकिन ताकत बहुत है और इसलिए मैं आज इस राज्‍य उत्‍सव को इस अवसर पर अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं और मुझे विश्‍वास है कि पिछले 28 साल में आपने जितनी प्रगति की है, उससे अनेक गुणा प्रगति आने वाले पांच साल में आप कर पाएंगे, यह मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं।

आज एक प्रकार से इस राज्‍य उत्‍सव के अवसर पर अनेक महत्‍वपूर्ण कार्य हो रहे हैं और सबसे बड़ी बात हो रही है कि आज अरूणाचल प्रदेश नाहरलागुन से दिल्‍ली भारत की राजधानी से सीधा रेल से जुड़ जाएगा। करीब 2100 से भी अधिक लंबी यात्रा 38 घंटे में पार की जाएगी और यह New AC-Express इस राज्‍य के जन्‍मोत्‍सव पर भारत सरकार का एक अनमोल नजराना, एक अनमेाल भेंट आज आपके चरणों में समर्पित करते हुए मैं गर्व अनुभव कर रहा हूं। इतना ही नहीं अब आप नाहरलागुन से गुवाहाटी भी रात को बैठे, सुबह गुवाहाटी और रात को गुवाहाटी से बैठे सुबह सूरज उगते ही यहां पहुंच जाएंगे। आखिरकर North-East के विकास में अगर सबसे बड़ी कोई बाधा रही है तो वो बाधा रही है connectivity की। रेल, रोड, एयर यह connectivity जितनी बढ़ेगी, उतनी ही इस क्षेत्र की ताकत राष्‍ट्र के विकास में काम आने वाली है और एक प्रकार से आज अरूणाचल प्रदेश दिल्‍ली से जुड़ रहा है ऐसा नहीं है, आज पूरा हिंदुस्‍तान अरूणाचल प्रदेश के साथ जुड़ रहा है। बेहिसाब से जुड़ रहा है और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं आने वाले दिनों में इस रेल यात्रा के कारण इतनी बड़ी मात्रा में यहां Tourism बढ़ेगा, लोगों के लिए यहां आने की सुविधा बढ़ेगी, लोग ट्रेनें भर-भर कर यहां आएंगे और यहां की खूबसूरत वादियां देखेंगे, यहां के पेड़-पौधे, यहां के लोग, यहां का इतना शुद्ध माहौल, शायद हिंदुस्‍तान में किसी एक जगह पर इतना अच्‍छा climate हो, environment हो, तो शायद उस प्रदेश का नाम अरूणाचल है। जिस प्रकार के फल-फूल अरूणाचल में होते हैं वे अगर यहां की हवा शुद्ध नहीं होती, यहां की वायु शुद्ध न होती, यहां की प्रकृति शुद्ध नहीं होती, तो वो फूल-फल यहां हो ही नहीं सकते थे। इतनी बड़ी मात्रा में.. और यह यहां की शुद्ध हवा मान का परिचायक है और यह ऐसे ही नहीं रहा है आप लोगों ने प्रकृति को प्‍यार किया है, आप लोगों ने प्रकृति की पूजा अपनी जिंदगी मानी है और प्रकृति का विनाश आपको मंजूर नहीं है। यह आपके संस्‍कार, आपकी परंपरा इसने आज अरूणाचल को बचाया हुआ है और इसलिए आपकी इस महान परंपरा को भी मैं हृदय से वंदन करता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं।

रेलवे इस यातायात का साधन नहीं होता है। एक जगह से दूसरी जगह पर पहुंचने के लिए जैसे स्‍कूटर है, साइकिल है, मोटर है, इतना मात्र रेलवे नहीं है। रेलवे का नेटवर्क एक प्रकार से विकास के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह काम करता है। जैसे शरीर में रीढ़ की हड्डी का रोल होता है, वैसे ही भारत के अर्थतंत्र को ताकत देने में रेलवे का योगदन हो सकता है और इसलिए अरूणाचल प्रदेश के अर्थतंत्र के विकास के लिए भी यह रेलवे एक ताकत बनेगी। रेलवे सिर्फ आवागमन का साधन नहीं, लेकिन विकास का एक इंजन बनकर रहेगी, जो अरूणाचल प्रदेश और पूरे North-East को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा, ऐसा मुझे पूरा विश्‍वास है।

कल मैं राजस्‍थान के आखिरी छोर पर था और आज हिंदुस्‍तान के पूरब के आखिरी छोर पर खड़ा हूं और कल राजस्‍थान में, मैं कृषि कर्मण अवॉर्ड दे रहा था। मैं अरूणाचल प्रदेश के लोगों का हृदय से अभिनंदन करता हूं कि कल जो राजस्‍थान में अवॉर्ड दिए गए उसमें North-East से एक अवॉर्ड पाने वाला हमारा अरूणाचल प्रदेश भी है। यहाँ पर आज, मैं राज्‍य सरकार को, कृषि विभाग को और यहां के किसानों को इस सिद्धि के लिए हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। कल यहां के लोग मुझे राजस्‍थान में मिले थे और कल उनको राजस्‍थान में अवार्ड दिया गया है। यह सम्‍मान किसानों की मेहनत का सम्‍मान है। इन पहाडि़यों में भी, विपरीत प्राकृतिक अवस्‍था में भी कृषि क्षेत्र में जो उन्‍होंने नई सिद्धि प्राप्‍त की है। इसके लिए उनका अभिनंदन है। कल इनाम पाने वालों में असम भी है, मेघालय भी है और अरूणाचल भी है। North-Eastके इन तीनों राज्‍यों ने यह जो इनाम पाया है इसके लिए मैं उनका अभिनंदन करता हूं।

आज अरूणाचल को गति भी मिल रही है, आज अरूणाचल को ऊर्जा का भी आरंभ हो रहा है और गति और ऊर्जा के बिना प्रगति संभव नहीं होती है। अगर प्रगति करनी है तो ऊर्जा भी चाहिए, गति भी चाहिए। रेल व्‍यवस्‍था आपको गति देती है और आज 132 केवी वाट का Power Transmission Line का भी शिलान्‍यास हुआ है। करीब-करीब तीन हजार दो सौ करोड़ रुपये का प्रोजेक्‍ट है। यह जो रेलवे का प्रोजेक्‍ट किया वो करीब-करीब चार हजार दो सौ करोड़ का प्रोजेक्‍ट और आज अभी यह बिजली पहुंचाने के लिए जो Transmission Line का काम होने वाला है, वो करीब-करीब तीन हजार दो सौ करोड़ रुपये की लागत से होगा। यह बिजली के खम्‍बे, यह बिजली के तार सिर्फ घर में दीया जलाने का काम करते हैं ऐसा नहीं है। यह ऊर्जा विकास यात्रा में अहम भूमिका अदा करती है। जैसे भारत सरकार ने रेलवे के विकास के लिए एक नया अभियान छेड़ा है, वैसा ही हमने सपना देखा है। क्‍या हमारे हर परिवार में 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए। मिलनी चाहिए? मेरी यह इच्‍छा है कि मिले, यह आपकी आशा पूरी हो। लेकिन ऐसे तो मिलेगी नहीं, बिजली उत्‍पन्‍न करनी पड़ेगी, बिजली पहुंचानी पड़ेगी, हर घर में लट्टू लगाना पड़ेगा। तब जाकर बिजली पहुंचेगी। काम बड़ा कठिन है, काम बड़ा भगीरथ है, लेकिन किसी न किसी को तो करना पड़ेगा। आपने मुझे आर्शीवाद दिए हैं इस भगीरथ काम करने के लिए और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि आपके आर्शीवाद कभी बेकार नहीं जाएंगे। आपके आर्शीवाद में वो ताकत है कि आपकी सारी आशाएं, आकांक्षाए पूरी हो सकती है।

आपमें वो ताकत है कि आपके सपने पूरे होकर के रहेंगे। 24 घंटे बिजली, अगर हमें गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है। हमें गरीबी से बाहर आना है, तो सिर्फ नारेबाजी से गरीबी नहीं जाती है। गरीबी से मुक्ति का रास्‍ता ढूंढना पड़ता है, चुनना पड़ता है, रोड मैप बनाना पड़ता है और उस पर चल पड़ना पड़ता है। किसी घर में कमरे में अंधेरा हो और किसी को ले जाएं, बाहर एक कतार खड़ी कर दें और कहे आओ भाई यह अंधेरा दूर करो। एक जाएगा मानो और अंदर जाकर के पूजा-पाठ में बैठ जाएगा, मंत्र-तंत्र करता रहेगा, भूत-प्रेत को बुलाता रहेगा। अंधेरा जाएगा क्‍या? जाएगा क्‍या? दूसरे को बुलाएंगे, वो लेकर के कंबल लेकर के मार रहा हैं निकालो, अंधेरे को निकालो.. निकलेगा क्‍या? कोई आकर के वहां पर एक छोटा सा दीया जलाएगा तो अंधेरा जाएगा या नहीं जाएगा? उजाला आएगा या नहीं आएगा? यह गरीबी को भी हटाना है तो हम सिर्फ नारेबाजी करते रहेंगे तो गरीबी नहीं हटती है।

40 साल से हम यह नारे सुनते आए हैं। गरीबी हटाने की जड़ी-बूटियां पकड़नी पड़ेगी। उन जड़ी-बूटियों को लेकर के निकलना पड़ेगा जो जड़ीबूटी गरीबी को हटाती है। सबसे बड़ी जड़ीबूटी होती है शिक्षा। अगर हम गरीब केघर में अगर हर बच्‍चों को शिक्षित करे, हर गरीब की झोपड़ी में भी अगर लिखना-पढ़ना पहुंचा दें, तो वो शिक्षा गरीबी के खिलाफ लड़ने की उसको ताकत देती है और‍‍ फिर एक ही पीढ़ी में वो गरीबी से बाहर आ जाता है।

उसी प्रकार से एक और रास्‍ता है बिजली, उसके परिवार को अगर बिजली से जोड़ा जाए, तो उसके बच्‍चों को पढ़ने की सुविधा बढ़ती है। वे कम्‍प्‍युटर सीखना शुरू करते हैं। वे रात देर तक पढ़ पाते हैं और के साथ स्‍पर्धा में खड़े रहे सकते हैं और खड़े रह करके वे शिक्षा और दीक्षा के माध्‍यम से आगे बढ़ सकते हैं। अगर ऊर्जा आती है, तो गांव में छोटे-मोटे कारोबार शुरू होते हैं। छोटे मोटे उद्योग शुरू होते हैं। किसान है तो अपनी फसल को संभालने के लिए व्‍यवस्‍था कर सकता है, उसमें से value-addition कर सकता है, मूल्‍य वृद्धि कर सकता है। छोटे-मोटे उद्योगों का नेटवर्क खड़ा होता है, जो गरीबी के ‍खिलाफ लड़ने के लिए एक बहुत बड़ा साधन बनता है और इसलिए आज यह जो 3200 करोड़ रुपयों की लागत से Transmission Line लगाई जा रही है वो गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने का हमारे अभियान का हिस्‍सा है। आपकी गरीबी को हटाने का यह हमारा एक रास्‍ता है। उस रास्‍ते को लेकर के हम आज आपके पास आए हैं।

उसी प्रकार से हमने पिछले दिनों शिक्षा के क्षेत्र में एक "Ishan Vikas" योजना बनाई है। यह North-East के विकास की एक बृहद योजना बनाई है और उस बृहद योजना के अंदर North-East के जो होनहार बालक है भले ही गरीब क्‍यों न हो ऐसे एक हजार बालकों को पसंद करके, उनको special scholarship देकर के उनकी अच्‍छी से अच्‍छी पढ़ाई हो उस पर हम बल दे रहे हैं। जिसके कारण गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए वो भी हमारा एक मजबूत सिपाही बन जाए, हमारा साथी बन जाए, पढ़-लिखकर के वो भी गरीबी के खिलाफ लड़ने के लिए हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर के काम करें। गरीबी से मुक्ति पाने के लिए हमने इन रास्‍तों को चुना हुआ है। उन रास्‍तों के सहारे हम आगे बढ़ेंगे।

आज एक, तीसरे प्रोजेक्‍ट का भी प्रारंभ हुआ है और वो तीसरा प्रोजेक्‍ट है, जो लोग टीवी पर यह भाषण सुन रहे हैं, उनको यह सुनकर के आश्‍चर्य होगा कि ये जो तीसरा प्रोजेक्‍ट है वो ईटानगर के नागरिकों को पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने का प्रोजेक्‍ट है। करीब करीब सौ करोड़ से ज्‍यादा लागत ईटानगर के लोगों को पीने का शुद्ध पानी मिले। आज राज्‍य के 29वें जन्‍मदिन पर ईटानगर के नागरिकों को शुद्ध पानी पहुंचाने का यह प्रोजेक्‍ट अर्पित करते हुए मेरे मन को आनंद भी होता है थोड़ी पीड़ा भी होती है। जब दुनिया जानेगी कि ईटानगर राजधानी यहां के लोगों को पीने का शुद्ध पानी पहुंचाने में आजाद हिंदुस्‍तान को 60 साल लग गए। यह जब सुनता हूं तो पीड़ा होती है, लेकिन आज जब शुद्ध पीने का पानी पहुंच रहा है तो मन में संतोष होता है कि चलो भाई कुछ अच्‍छे काम मेरे ही नसीब में लिखे हुए हैं और इसलिए लेकिन इतने पहाड़ हो, भरपूर पानी हो, जितना पानी North-East के पास है। हिंदुस्‍तान में औरों के पास नहीं है लेकिन फिर भी यह इलाका प्‍यासा है। इससे बड़ी पीड़ादायक बात क्‍या हो सकती है। समंदर के तट पर रहने वाला प्‍यासा हो वो तो मैं समझ सकता हूं, क्‍योंकि समंदर विराट होने के बाद भी उसका पानी पीने योग्‍य नहीं होता है, लेकिन यहां तो शुद्ध पानी होता है लेकिन पानी आता है चला जाता है। हमारे यहां कहावत है कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, यह पहाड़ के काम नहीं आती है। ऐसा कहते हैं कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी, यह पहाड़ के काम नहीं आती है। जो जवान होता है पहाड़ में वो जितना जल्‍दी से जवान होगा, वो अपना पहाड़ छोड़कर के रोजी-रोटी कमाने कहीं चला जाता है। सेना में चला जाएगा या दिल्‍ली चला जाएगा, मुंबई चला जाएगा, मेहनत मजदूरी करेगा, रोजी रोटी कमाने का प्रयास करेगा। क्‍यों, क्‍योंकि अपने जहां रहता है वहां रोजी-रोटी के संसाधन नहीं होते। अपने बूढ़े मां-बाप के लिए, जवानी अपनी जिन पहाड़ों में बिताई, उन पहाड़ों को छोड़कर के घनी आबादी वाली जिंदगी जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है। पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती है। पहाड़ का पानी भी.. कितना भी पानी पहाड़ पर आए पहाड़ के काम नहीं आता है, वो आता है चला जाता है, बह जाता है। लेकिन मुझे इस कहावत को बदलना है। मुझे पहाड़ की शक्‍ल—सूरत ऐसे बदलनी है कि पहाड़ की जवानी भी पहाड़ के काम आए और पहाड़ का पानी भी पहाड़ के काम आए और आज का विज्ञान आज की टेक्‍नोलॉजी यह संभव कर सकती है। यह पहाड़ का पानी कैसे काम आएगा?

भाईयों बहनों मैं अरूणाचल के भाईयों से आग्रह करने आया हूं, आपके पास पानी एक बहुत बड़ी ताकत है। इस ताकत को पहचानिए, आपकी जवानी और आपका पानी दोनों दमदार है। अगर आप इसकी ताकत नहीं समझोगे और यह पानी बहता ही चला जाएगा, तो जैसे जवानी चली जाती है, पानी भी चला जाएगा और प्रगति ठहरकर आएगी, प्रगति रूक जाएगी। मैं जानता हूं अरूणाचल प्रदेश के लोग कुछ Hydro project जो है Power Project उसके विषय में उनकी राजी-नाराजी है। किसी समय नेपाल में भी ऐसा ही था, भूटान में भी ऐसा ही था। नेपाल के साथ हमने समझौता किया, भूटान के साथ हमने समझौता किया और वहां भी उतना ही पानी है जितना अरूणाचल प्रदेश में हैं और वहां पर बिजली के कारखाने लगाने के लिए भारत सरकार जुड़ी है। अकेली बिजली के माध्‍यम से नेपाल और भूटान की पूरी आर्थिक ताकत बदल जाएगी। सुखी देश में वो परिवर्तित होने वाले हैं और पानी से बिजली निकालकर के वो बिजली हिंदुस्‍तान खरीदेगा और कमाई भूटान और नेपाल को होगी।

भाईयों और बहनों हिमाचल प्रदेश ने हमारे ही देश में पानी में से बिजली में सफलतापूर्वक आगे बढ़ा, हिमाचल की आर्थिक स्थिति में बदलाव आया। यह ताकत आपके अंदर भी है। यह बात सही है कि इस प्रकार के प्रोजेक्‍ट के लिए जिन लोगों को विस्‍थापित होना पड़ता है। जिन लोगों को नुकसान झेलना पड़ता है, उनके लिए पूरी-पूरी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए, उनको कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए, दोनों चीजों पर बल देना चाहिए, कोई गरीब से गरीब परिवार दुखी नहीं होना चाहिए, उनको कोई मुसीबत नहीं आनी चाहिए। पहले से अच्‍छी जिंदगी का अवसर मिलना चाहिए और दूसरी तरफ बिजली पैदा करने की दिशा में अरूणाचल प्रदेश से आगे बढ़ना चाहिए। मैं विश्‍वास दिलाता हूं अरूणाचल प्रदेश हिंदुस्‍तान को उजाला दे सकता है। हिंदुस्‍तान क्‍या अरूणाचल प्रदेश को उजाला देगा! यह ताकत आपने पड़ी है, उस ताकत को अगर आप पहचानेंगे, तो अरूणाचल का भाग्‍य बदल जाएगा और इसलिए मैं आपके साथ जुड़कर के काम करना चाहता हूं, आपसे कंधे से कंधा मिलाकर के काम करना चाहता हूं। मैं आपके सेवक के रूप में आपके पास आया हूं, आपके साथी के रूप में आया हूं। आइये हम मिल-बैठ करके सिर्फ 132 किलोवाट की ही क्यों बल्कि हम पूरी ताकत से व्‍यवस्‍था क्‍यों खड़ी न करे। अरूणाचल हमारे साथ चले, हम अरूणाचल के साथ चले, हम कंधे से कंधा मिलाकर के चले। आप देखिए कि दुनिया बदलती है कि नहीं बदलती है।

Solar Energy.. इन दिनों अपना अभियान चलाया हुआ है Solar Energy का। ऊंची-ऊंची पहाडि़या हैं, पांच-दस परिवार रहते हैं। मुझे उनको भी बिजली पहुंचानी है, Solar योजना के माध्‍यम से पहुंचानी है ताकि गरीब के घर में दीया जलें और गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए वो मेरा सिपाही बने। मुझे गरीबों की फौज तैयार करनी है इसी फौज से मुझे गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ना है और गरीबी से देश को मुक्ति दिलाने में सफलता पाकर रहना है और इसलिए ऊर्जा हो, शिक्षा हो, इन माध्‍यमों से आगे चलना भाईयों।

आज ईटानगर को शुद्ध पानी पहुंचने वाला है और आने वाले दिनों में यह व्‍यवस्‍थाएं Tourism को भी बल देतीह है, Tourism को भी ताकत देती है और इसलिए मैं आप सबसे आग्रह करता हूं कि हम Infrastructure पर बल दें, हम विकास की नई योजनाओं पर बल दें और इन योजनाओं के माध्‍यम से हम नई-नई स्थितियों को पाने का प्रयास करें। पूरे North-East के लिए 2014-15 के बजट में 53000 करोड़ रुपये की लागत के साथ विकास की नई-नई योजनाओं को हमने बनाया है। यह कम रकम नहीं है। पाई-पाई का उपयोग होना चाहिए। आप समझ गए। पाई-पाई का उपयोग होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए? यह पैसा जनता का है कि नहीं है? यह जनता के काम आना चाहिए कि नहीं आना चाहिए? यह किसी की जेब में नहीं जाना चाहिए न, हर पाई-पाई का ‍हिसाब मांगोगे या नहीं मांगोगे? मेरे से भी मांगना, मैं जवाबदार हूं, आपको जवाब दूंगा और सरकारे राज्‍य की हो या केंद्र की हो जनता को जवाबदेह होनी चाहिए। पैसों की कमी नहीं है, पैसो की कमी नहीं है, अगर पाई-पाई योजना के साथ सही ढंग से सही जगह पर खर्च की जाए, समय पर खर्च की जाए तो हिंदुस्‍तान कहीं से कहीं पहुंच सकता है। यह आप को में विश्‍वास दिलाने आया हूं भाईयों।

भाईयों बहनों हमने आने वाले दिनों में यहां पर FM रेडियो के लिए भी बड़ा नेटवर्क खड़ा करना तय किया है। कुछ ही समय में करीब-करीब 18 नई FM चैनल, जिसका auction होने वाला है, जिसका लाभ जरूर मिलेगा। 2G, 3G, 4G..अब मोबाइल फोन के बिना लोग जी नहीं सकते, वो जीवन का ‍हिस्‍सा बन गया है। लेकिन अगर connectivity नहीं है slow है तो आदमी तंग आ जाता है। स्थिति को बदलने के लिए भी North-East को लाभ कैसे मिले, उस दिशा में भी हमने काम प्रारंभ किया है।

छह नई Agriculture College... North-East की अपनी एक ताकत है। North-East हिंदुस्‍तान का Organic Farming का Capital बन सकता है, यह ताकत है। आज भी North-East में chemical fertilizer की आदत कम है, लेकिन Organic Farming का जितना ब्रांडिंग होना चाहिए, मार्केटिंग होना चाहिए उतना नहीं हुआ है। हम चाहते है कि पूरा North-East दुनिया के लिए Organic Farming पाने का एक बहुत बड़ा Capital बन जाए और दुनिया में जो भी लोग wholistic health-care में विश्‍वास करते हैं वो Organic चीजें पसंद करते हैं, वो यहां के फल हो, यहां का अनाज हो, यह Organic चीजें उनको बाजार में मिलेगी, दुनिया आपके यहां आकर के खड़ी रह जाएगी, माल खरीदने के लिए और रुपया डॉलर में जाएगा, मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं। यह ताकत है North-East में और हम इसके लिए 6 Agriculture Universities को चालू करने वाले हैं, Organic Farming को हम काम देने वाले हैं।

इतना ही नहीं भाईयों और बहनों हमने एक और काम शुरू किया है पहले North-East के लोगों को छोटा सा भी काम हो तो दिल्‍ली जाना पड़ता था। बार-बार मुख्‍यमंत्री हो, मंत्री हो, अवसर हो, जब भी देखो दिल्‍ली। क्‍यों, क्‍योंकि दिल्‍ली वाले यहां देखते नहीं थे। हमने बदल दिया है मैं मेरे मंत्रियों को महीने में दो बार यहां भेजता हूं दौरा करने और पूछने लगे कि बताओ भई पैसे भेजे थे क्‍या हुआ। हिसाब मांगना शुरू किया है। मैं भारत सरकार के अवसरों को लगातार भेज रहा हूं DONER(Development of North Eastern Region) Ministry के द्वारा अवसर आते हैं, वरिष्‍ठ अवसर आते हैं यहां के अवसरों के साथ बैठते हैं बाताओं भई क्‍या कठिनाई है, हम रास्‍ता निकालेंगे। यह जिम्‍मेवारी है और भारत सरकार pro-active होकर के जिम्‍मेवारी निभा रही है। पिछले दो महीने से काम मैंने शुरू किया है। आने वाले दिनों में यह बहुत तेजी से आगे बढ़ेगा।

इन दिनों में Make in India का अभियान चला रहा हूं, लेकिन मैंने DONER(Development of North Eastern Region) Ministry से कहा है कि जैसे Make in India का हमारा अभियान है, लेकिन DONER Ministry के लोग Make in North-East उसका Perspective Plan तैयार करें, योजना बनाए, Make in North के लिए हम क्‍या कर सकते हैं उस पर योजना बनाएं। इस पर काम चल रहा है और मुझे विश्‍वास है कि आने वाले दिनों में विकास की नई ऊंचाईयों पर हम North-East को ले जाएंगे।

आज इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर, राज्‍य के स्‍थापना दिवस पर आपके सबके बीच आने का मुझे अवसर मिला, आपने मेरा स्‍वागत सम्‍मान किया, प्‍यार दिया और इतनी बड़ी संख्‍या में आप लोग यहां आए और मैं देख रहा हूं वहां पहाडि़यों पर भीड़ ही भीड़ है, हर मंजिल पर कोई न कोई खड़ा है। चारों तरफ अरूणाचल प्रदेश का यह प्‍यार। मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं अब दिल्‍ली हर पल आपकी सेवा में तैनात है और मैं आपका सेवक दिल्‍ली में बैठा हूं। मैं आपके लिए काम करने के लिए हर पल तैयार हूं। और आज इस राज्‍य के स्‍थापना दिवस के Festival को उसका उद्घाटन करते हुए मुझे गर्व हो रहा है और मैं इस Festival का उद्घाटन घोषित करता हूं और आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिये दोनों मुट्ठी बंद करके, हाथ ऊपर करके बोलिये जयहिंद, पूरी ताकत से बोलिये, आप लोग तो जयहिंद पूरे हिंदुस्‍तान को सुनाते हो – जयहिंद, जयहिंद, जयहिंद।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
India shipped record 4.5 million personal computers in Q3CY24: IDC

Media Coverage

India shipped record 4.5 million personal computers in Q3CY24: IDC
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
हमारा संविधान हमारे वर्तमान और भविष्य का मार्गदर्शक है: संविधान दिवस पर पीएम मोदी
November 26, 2024
प्रधानमंत्री ने भारतीय न्यायपालिका की वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 जारी की
हमारा संविधान केवल कानून की किताब नहीं है, यह निरंतर प्रवाहमान, जीवंत धारा है: प्रधानमंत्री
हमारा संविधान हमारे वर्तमान और भविष्य का मार्गदर्शक है: प्रधानमंत्री
आज हर नागरिक का एक ही लक्ष्य है, विकसित भारत का निर्माण: प्रधानमंत्री
त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक नई न्याय संहिता लागू की गई है, दंड आधारित व्यवस्था अब न्याय आधारित व्यवस्था में बदल चुकी है: प्रधानमंत्री

भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस संजीव खन्ना जी, जस्टिस बीआर गवई जी, जस्टिस सूर्यकांत जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्रीमान अर्जुन राम मेघवाल जी, अटॉर्नी जनरल श्री वेंकटरमानी जी, बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र जी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री कपिल सिब्बल जी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति गण, पूर्व मुख्य न्यायधीश गण, उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

आपको, सभी देशवासियों को संविधान दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। भारत के संविधान का ये 75वां साल, पूरे देश के लिए एक असीम गौरव का विषय है। मैं आज भारत के संविधान को, संविधान सभा के सभी सदस्यों को आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

हम लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण पर्व का जो स्मरण कर रहे हैं, उस समय ये भी नहीं भूल सकते कि आज मुंबई में हुए आतंकी हमले की भी बरसी है। इस हमले में जिन व्यक्तियों का निधन हुआ, उन्हें मैं अपनी श्रद्धांजलि देता हूं। मैं देश को ये संकल्प भी दोहराता हूं कि भारत के सुरक्षा को चुनौती देने वाले हर आतंकी संगठन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

साथियों,

संविधान सभा की लंबी बहस के दौरान भारत के गणतांत्रिक भविष्य पर गंभीर चर्चाएं हुई थी। आप सभी उस डिबेट से भली-भांति परिचित हैं। और तब बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा था- Constitution is not a mere lawyers’ document…its spirit is always the spirit of Age. जिस स्पिरिट की बात बाबा साहेब कहते थे, वो बहुत ही अहम है। देश-काल-परिस्थिति के हिसाब से उचित निर्णय लेकर हम संविधान की समय-समय पर व्याख्या कर सकें, ये प्रावधान हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें दिया है। हमारे संविधान निर्माता ये जानते थे कि भारत की आकांक्षाएं, भारत के सपने समय के साथ नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे, वो जानते थे कि आज़ाद भारत की और भारत के नागरिकों की ज़रूरतें बदलेंगी, चुनौतियां बदलेंगी। इसलिए उन्होंने हमारे संविधान को महज़ कानून की एक किताब बनाकर नहीं छोड़ा...बल्कि इसको एक जीवंत, निरंतर प्रवाहमान धारा बनाया।

साथियों,

हमारा संविधान, हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य का मार्गदर्शक है। बीते 75 वर्षों में देश के सामने जो भी चुनौतियां आई हैं, हमारे संविधान ने हर उस चुनौती का समाधान करने के लिए उचित मार्ग दिखाया है। इसी कालखंड में आपातकाल जैसा समय भी आया...और हमारे संविधान ने लोकतंत्र के सामने आई इस चुनौती का भी सामना किया। हमारा संविधान देश की हर जरूरत, हर अपेक्षा पर खरा उतरा है। संविधान से मिली इस शक्ति की वजह से ही...आज जम्मू-कश्मीर में भी बाबा साहेब का संविधान पूरी तरह लागू हुआ है। आज वहां पहली बार संविधान दिवस मनाया गया है।

साथियों,

आज भारत, परिवर्तन के इतने बड़े दौर से गुजर रहा है, ऐसे अहम समय में भारत का संविधान ही हमें रास्ता दिखा रहा है, हमारे लिए गाइडिंग लाइट बना हुआ है।

साथियों,

भारत के भविष्य का मार्ग अब बड़े सपनों, बड़े संकल्पों की सिद्धि का है। आज हर देशवासी का एक ही ध्येय है- विकसित भारत का निर्माण। विकसित भारत का मतलब है, जहां देश के हर नागरिक को एक quality of life मिल सके, dignity of life मिल सके। ये सामाजिक न्याय, सोशल जस्टिस का भी बहुत बड़ा माध्यम है। और ये संविधान की भी भावना है। इसलिए, बीते वर्षों में, देश में लोगों के बीच आर्थिक और सामाजिक समानता लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। बीते 10 वर्षों में 53 करोड़ से ज्यादा ऐसे भारतीयों का बैंक खाता खुला है...जो बैंक के दरवाजे तक नहीं पहुंच पाते थे। बीते 10 वर्षों में 4 करोड़ ऐसे भारतीयों को पक्का घर मिला है, जो कई-कई पीढ़ियों से बेघर थे, बीते 10 वर्षों में 10 करोड़ से ज्यादा ऐसी महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन मिला है, जो बरसों से अपने घर में गैस पहुंचने का इंतजार कर रही थीं। हमें आज के जीवन में बहुत आसान लगता है कि घर में नल खोला और पानी आ गया। लेकिन देश में आजादी के 75 साल बाद भी सिर्फ 3 करोड़ घर ही ऐसे थे, जिनमें नल से जल आता था। करोड़ों लोग तब भी अपने घर में नल से जल का इंतजार कर रहे थे। मुझे संतोष है कि हमारी सरकार ने 5-6 साल में 12 करोड़ से ज्यादा घरों को नल से जल देकर नागरिकों का और विशेषकर महिलाओं का जीवन आसान बनाया है, संविधान की भावना को सशक्त किया है।

साथियों,

आप सभी जानते हैं कि हमारे संविधान की मूल प्रति में प्रभु श्रीराम, माता सीता, हनुमान जी, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, गुरू गोविंद सिंह जी...सभी के चित्र हैं। भारत की संस्कृति के प्रतीक...इन चित्रों को संविधान में इसलिए स्थान दिया गया ताकि वो हमें मानवीय मूल्यों के प्रति सजग करते रहें। ये मानवीय मूल्य...आज के भारत की नीतियों और निर्णयों का आधार हैं। भारतीयों को त्वरित न्याय मिले, इसके लिए नई न्याय संहिता लागू की गई है। दंड आधारित व्यवस्था अब न्याय आधारित व्यवस्था में बदल चुकी है। महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम का ऐतिहासिक निर्णय हुआ है। हमने third gender को उनकी पहचान और उनका हक दिलाने के लिए भी कदम उठाए हैं। हमने दिव्यांगजनों के जीवन को आसान बनाने के लिए भी व्यवस्थाएं बनाईं हैं।

साथियों,

आज देश का बहुत ज्यादा जोर, देश के नागरिकों की Ease of Living पर है। एक समय था जब पेंशन पाने वाले सीनियर सीटिजन्स को बैंक में जाकर साबित करना होता था कि वो जीवित हैं। आज सीनियर सिटीज़न्स को घर बैठे ही डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट्स की सुविधा मिल रही है। करीब-करीब डेढ़ करोड़ सीनियर सीटिजन्स अब तक इस सुविधा का लाभ उठा चुके हैं। आज भारत वो देश है जो हर गरीब परिवार को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देता है। आज भारत वो देश है, जो 70 वर्ष से ऊपर के हर बुजुर्ग को फ्री हेल्थकेयर की सुविधा देता है। देश के हजारों जनऔषधि केंद्रों पर आज 80 परसेंट डिस्काउंट पर सस्ती दवाइयां मिल रही हैं। एक समय में हमारे देश में इम्यूनाइजेशन की कवरेज भी 60 परसेंट से भी कम थी। करोड़ों बच्चे हर साल टीकाकरण से छूट जाते थे। आज मुझे संतोष है कि अब मिशन इंद्रधनुष की वजह से भारत में इम्यूनाइजेशन की कवरेज शत प्रतिशत पहुंच रही है। आज दूर-सुदूर के गांवों में भी समय पर बच्चों का टीकाकरण हो पा रहा है। इन प्रयासों ने गरीबों की, मध्यम वर्ग की बहुत बड़ी चिंता कम की है।

साथियों,

आज देश में कैसे काम हो रहा है...इसका एक उदाहरण Aspirational District अभियान भी है। देश के 100 से अधिक ऐसे जिले जिन्हें पिछड़ा कहा जाता था...हमने उन्हें Aspirational District माना और वहां हर पैरामीटर में विकास की गति तेज़ की गई है। आज देश के अनेक Aspirational Districts, दूसरे जिलों से बहुत बेहतर कर रहे हैं। अब इसी मॉडल के आधार पर हमने aspirational block program भी शुरु किया है।

साथियों,

लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से परेशानियां खत्म करने पर भी आज देश का बहुत ज्यादा जोर है। कुछ साल पहले तक भारत में ढाई करोड़ घर ऐसे थे, जो शाम होते ही अंधेरे में डूब जाते थे, उन घरों में बिजली कनेक्शन ही नहीं था। सबको बिजली का मुफ्त कनेक्शन देकर, देश ने उनके जीवन को रोशन कर दिया है। बीते वर्षों में दूर-सुदूर इलाकों में भी हजारों की संख्या में मोबाइल टावर्स लगाए गए हैं...ताकि लोगों को 4G/5G कनेक्टिविटी मिलती रहे। पहले कभी आप अंडमान या लक्ष्यद्वीप जाते थे तो वहां ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी नहीं मिलती थी। आज अंडरवॉटर ऑप्टिकल फाइबर ने ऐसे द्वीपों तक भी अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट पहुंचा दिया है। हमारे यहां गांव के घरों, गांव की ज़मीन से जुड़े कितने विवाद होते रहे हैं...ये भी हम भली-भांति जानते हैं। पूरी दुनिया में विकसित देशों के सामने भी लैंड रिकॉर्ड एक बहुत बड़ा चैलेंज रहा है। लेकिन आज का भारत, इसमें भी लीड ले रहा है। पीएम स्वामित्व योजना के तहत, आज गांव के घरों की ड्रोन मैपिंग की जा रही है और लीगल डॉक्यूमेंट इश्यू किए जा रहे हैं।

साथियों,

देश के विकास के लिए आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का तेज निर्माण भी उतना ही जरूरी है। इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे होने से देश का धन भी बचता है...और प्रोजेक्ट भी, उसकी उपयोगिता भी बहुत बढ़ जाती है। इसी सोच के साथ प्रगति नाम से एक प्लेटफॉर्म बनाया गया है जिसमें इंफ्रा प्रोजेक्ट्स का रेगुलर रिव्यू होता है। और इनमें से कुछ प्रोजेक्ट्स तो ऐसे थे जो 30-30, 40-40 साल से पेंडिंग थे। मैं खुद इसकी मीटिंग्स को चेयर करता हूं। आपको जानकर अच्छा लगेगा कि अभी तक 18 लाख करोड़ रुपए के ऐसे प्रोजेक्ट्स को रिव्यू करके, उनके सामने की अड़चनों को दूर किया जा चुका है। समय पर पूरे हो रहे प्रोजेक्ट्स लोगों के जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। देश में हो रहे ये प्रयास...देश की प्रगति को भी गति दे रहे हैं और संविधान की मूल भावना को भी सशक्त कर रहे हैं।

साथियों,

मैं अपनी बात डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी के शब्दों के साथ समाप्त करना चाहूंगा...26 नवंबर...आज के ही दिन 1949 में संविधान सभा में अपने समापन भाषण में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी ने कहा था...“भारत को आज ईमानदार लोगों के एक समूह से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए जो अपने हितों से आगे देश का हित रखेंगे। नेशन फर्स्ट, राष्ट्र सर्वप्रथम की यही भावना भारत के संविधान को आने वाली कई-कई सदियों तक जीवंत बनाए रखेगी। मैं, संविधान ने मुझे जो काम दिया है, मैंने उसी मर्यादा में रहने का प्रयास किया है, मैंने कोई encroachment की कोशिश नहीं की है। क्योंकि संविधान ने मुझे वो काम कहा इसलिए मैंने अपनी मर्यादाओं को संभालते हुए अपनी बात को रखा है। यहां तो इशारा ही चल रहा होता है ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं होती है।

बहुत-बहुत धन्यवाद।