मैं अपनी बात शुरू करने से पहले, सबसे पहले श्री वसंत गोवारिकर जो हमारे देश के गणमान्य वैज्ञानिक थे और आज ही हमारे बीच नहीं रहे। मैं इसी धरती की संतान और भारत को विज्ञान जगत में आगे बढ़ाने में जिन्होंने बहुत अहम भूमिका निभाई थी ऐसे श्रीमान वसंत गोवारिकर जो को हृदय अंतःकरण पूर्वक श्रृद्धांजलि देता हूं।

देवियों और सज्जनों,

भारतीय विज्ञान कांग्रेस में शामिल होना एक बड़ा सम्मान है। मैं इस आयोजन के लिए मुम्बई विश्वविद्यालय का धन्यवाद करता हूं।

गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए मुझे विज्ञान कांग्रेस में शामिल होने का मौका मिला था। दस साल बाद दोबारा मिले इस अवसर से मुझे  खुशी हुई है।

मैं सौ साल पुरानी संस्था के समृद्ध इतिहास की प्रशंसा करता हूँ।

मैं वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कार्यों के लिए उनका आभारी हूं और मैं मानता हूं कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी, विकास और सुशासन के अमूल्य सहयोगी हैं।

मानव का स्वभाव दुनिया और ब्रह्माण्‍ड के बारे में जानने और समझने का है इसी वजह से मानव सभ्यता इतनी विकसित हुई है।

यह विश्वास के द्वारा संचालित एक खोज है जिसे हमारे वेदों में सत्य सर्वं प्रतिष्ठानां - सत्य में सबकुछ समाहित है के रूप में व्‍याख्‍या की गई है। ।

विज्ञान मानव मस्तिष्क की उपज हो सकता है लेकिन यह मानव जीवन को बेहतर बनाने की मानवीय भावनाओं द्वारा भी संचालित होता है।

हमारे साथ नोबल पुरस्कार विजेता मौजूद हैं, जिनके विज्ञान के क्षेत्र में कार्य ने जानलेवा बीमारियों से निपटने में नई उम्मीद जगाई है।

हमारे पास एक ऐसे व्यकित भी हैं जिनकी सामाज विज्ञान की समझ ने सबसे गरीब लोगों को आशा, अवसर और सम्मानजनक जीवन दिया है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी, गरीबी से निपटने और समृद्धि के विस्तार में सहायक है; भूख मिटाने और बेहतर पोषण; बीमारियों का खात्मा; स्वास्थ्य का स्तर सुधारने और बच्चों को जीवन देने के ज्यादा अवसर उपलब्ध कराने; अपने प्रियजनों और दुनिया से जुड़ने; शिक्षा और जागरुकता के प्रसार; और हमें पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उपलब्ध कराता है जो हमारे पर्यावास को ज्यादा वहनीय बनाता है।

राष्ट्र की प्रगति और मानव का विकास विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े हुए हैं। हाल के वर्षों में चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रुप में उभरा है साथ ही उसने खुद को समानांतर रुप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी  दूसरे स्थान पर स्थापित किया है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी राष्ट्र की सीमाओं को लांघते हुए विश्व को एक सूत्र में पिरोता और शांति का प्रसार करता है।  यह विश्व की चुनौतियों से निपटने के सामूहिक प्रयासों में गरीब और अमीर देशों को साथ ला सकता है।

लेकिन हम जानते हैं कि यह असमानता बढ़ा सकता है, युद्धों को ज्यादा संहारक बना सकता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। कभी कभी हमें जटिलताओं के बारे में बाद में पता चलता है जैसा कि हमने जलवायु परिवर्तन के साथ किया; कभी कभी ये हमारे अपने फैसलों का परिणाम होता है।

उदाहरण के तौर पर, सूचना प्रौद्योगिकी का विकास क्षमता और उत्पादकता बढ़ाने किया गया; यद्यपि इसके विभिन्न भटकाव सरलता से हमें पराजित कर सकते है। जैसा कई बार होता है कि हम किसी बैठक में हैं और मन में अपने संदेशों को पढ़ने का लालच रहता है!

इसलिए, जब भी हम विज्ञान और मानव विकास की बात करते हैं, हम इसे समानता, सिद्धांत और पहुंच जैसे राजनीतिक फैसलों  से अलग नहीं कर सकते।

मानव विकास का वृहद उद्देश्य है जो भारतीय वैज्ञानिक गतिविधियों की असली ताकत है और विज्ञान आधुनिक भारत के निर्माण में सहयोग करता है।

आजादी की शुरूआत के साथ प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास के केंद्र में स्थापित किया था। हमारे वैज्ञानिकों ने मामूली संसाधनों के साथ भलि प्रकार देश की सेवा करने वाले अग्रणी अनुसंधान किए और अभूतपूर्व संस्थाओं का निर्माण किया।

तभी से हमारे वैज्ञानिकों ने कई क्षेत्रों में हमें विश्व में अग्रणी बनाए रखा है।

जब कभी विश्व ने हमारे लिए रास्ते बंद किए, हमारे वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय अभियान की भावना के साथ कार्य किया। जब भी विश्व ने हमसे सहयोग मांगा, हमारे वैज्ञानिकों ने खुलेपन से उनका स्वागत किया जो हमारे समाज में अंतर्निहित है।

उन्होंने मावन विकास की सबसे गंभीर और दूभर चुनौतियों का निवारण किया है। उन्होंने भोजन जैसी आधारभूत आवश्यक्ताओं को पूरा करने के लिए दूसरों पर निर्भरता को समाप्त करने में हमारी मदद की है। उन्होंने हमारी सीमाओं को सुरक्षित बनाया है, औद्योगिक प्रगति में सहायता की और हमारे लोगों को सम्मानजनक और अवसरों से पूर्ण जीवन प्रदान किया है।

हमारे वैज्ञानिकों ने पहले ही प्रयास में मंगलयान को मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया। मैं राधा कृष्णन की टीम को बधाई देता हूं - हुदहुद तूफान के बार में वैज्ञानिकों के सटीक अनुमान से हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी; हमारे परमाणु वैज्ञानिक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता के लिए काम कर रहे हैं और उन्होंने कैंसर के इलाज और अनुसंधान के मामले में एशिया क्षेत्र में भारत को अग्रणी बना दिया है।

हमारी उपलब्धियों पर हमें गर्व है लेकिन उन चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता जिनका हम देश में सामना करते हैं।

हम उसी तरह की उम्मीदों और उत्साह के माहौल में हैं जैसा कि देश की स्वाधीनता के समय था।

इस समय देश में परिवर्तन के लिए सकारात्मक माहौल है; इसे बनाए रखने के लिए ऊर्जा और इसे हासिल करने के लिए विश्वास की जरूरत है।

लेकिन भारत के बारे में हमारे जो सपने हैं - खेती को ज्यादा व्यवहारिक और उत्पादक बनाना; ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वहनीय और उपयुक्त तकनीकी विकसित करने; पानी की हर बूंद का बेहतर इस्तेमाल; और समुद्रीय  संसाधनों की क्षमता के इस्तेमाल; अपनी जैव विविधता के संरक्षण; अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए - विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर उतना ही नर्भर करते हैं जितना कि नीति और संसाधनों पर

गरीबों की पहुंच योग्य बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और दवाओं और स्वास्‍थ्‍य उपकरणों के विकास; पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा को वहनीय और ज्यादा कारगर बनाने के लिए;

प्रौद्योगिकी के प्रयोग से सभी के लिए घर और स्वच्छता के सपने को पूरा करने के लिए

हमारे शहरों को स्‍वच्‍छ और अधिक रहने योग्‍य बनाने के लिए हमें ही समाधान ढ़ढंना होगा

व्‍यर्थ को संपदा में बदलने और भविष्‍य के सतत ढांचा विकास के लिए संसाधन

मानव विकास के लिए इंटरनेट का उपयोग करना

भारत को प्रमुख विनिर्माण देश और ज्ञान तथा प्रौद्योगिकी आधारित उद्योग के लिए केन्‍द्र बनाना

मेरे लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की पहुंच सबसे गरीब, सबसे पिछड़े और सबसे असहाय लोगों तक होना है

यह राष्‍ट्रीय महत्‍व का उद्यम है जिसमें सरकार, उद्योग, राष्‍ट्रीय प्रयोगशालाओं, विश्‍वविद्यालयों और अनुसंधान संस्‍थानों को मिलकर कार्य करना होगा

अधिकतर विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर बातचीत बजट के प्रश्‍न तक ही सीमित होती है यह महत्‍वपूर्ण है और मुझे विश्‍वास है कि इसमें लगातार वृद्धि होगी

लेकिन हमारी उपलब्‍धियों ने यह दर्शा दिया है कि कई बार सफलता के लिए आवश्‍यकता, विजन और जोश अधिक महत्‍वपूर्ण होते हैं

और संसाधनों का हम कैसे उपयोग कर सकते है कि कैसे प्रभावी निर्धारण हो जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को हमारे लिए कारगर बनाया जा सके

हमारे विकास की चुनौतियां, स्वाभाविक रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारी प्राथमिकताएं तय करेगी

हम कुछ महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों में ध्‍यान दे रहे है लेकिन हमें अनुसंधान और विकास को कुछ पूर्व निर्धारित लक्ष्‍यों तक ही सीमीत नहीं रखने चाहिए

और अनुसंधान, विकास तथा नवाचार पर जितना ध्‍यान दिया जाता है उनता ही ध्‍यान आधारभूत अनुसंधान पर भी देना महत्‍वपूर्ण है

हमें यह भी मानना चाहिए कि विज्ञान सर्वव्‍यापी है लेकिन प्रौद्योगिकी स्‍थानीय हो सकती है

अगर हम पारंपरिक और स्‍थानीय ज्ञान, प्रणालियों और प्रौद्योगिकीयों को इसमें शामिल करें तो हम अधिक उचित, प्रभावी, वहन करने योग्‍य और सतत समाधान विकसित कर सकते है जो मानव विकास और प्रगति में बड़ा योगदान दे सकते हैं

सरकार को देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रमुख स्रोत के तौर पर विकसित करने के लिए भी कदम बढ़ाना चाहिए

जब मैं देश में रोजगार करने में आसानी की बात करता हूं तब मैं यह भी चाहता हूं कि देश में विकास और  अनुसंधान में भी आसानी पर उतना ही ध्‍यान दिया जाए

प्रस्‍तावित धनराशि स्‍वीकृत करने में अधिक समय ना लगाया जाए, बैठक- आवेदन पत्र की आवश्‍यकताएं अनुसंधान से अधिक जटिल नहीं होनी चाहिए, स्‍वीकृति की प्रक्रिया अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन के लिए बाधा नहीं बननी चाहिए, हमारे वैज्ञानिक विभागों को अनुसंधान गतिविधियों में अंतर्निहित अनिश्‍चिताओं के आधार पर धनराशि के बारे में फैसला लेने में लचीला होना चाहिए

मैं चाहता हूं कि हमारे वैज्ञानिकों तथा शोधकर्ताओं को सरकारी प्रक्रियाओं के बजाए, विज्ञान के रहस्‍यों को उजागर करना चाहिए।

हम चाहते हैं कि उनके शोधकार्य ही उनकी सफलता के प्रतिमान हों और वे सरकारी मंजूरी के मोहताज नहीं हों। हमें जैव तकनीकी, नैनो साइंस, कृषि एवं क्‍नीनिकल शोध के क्षेत्र में शोध एवं विकास संबंधी स्‍पष्‍ट नियामक नीतियां बनानी है। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी मजबूत बौद्धित सपंदा व्‍यवस्‍था लगातार प्रभावी रूप से काम करती रहे और निजी क्षेत्र के प्रोत्‍साहन एवं सामाजिक बेहतरी के बीच सहीं संतुलन बना रहे।

इसके अलावा, न केवल वैज्ञानिक विभागों, बल्‍कि प्रत्‍येक सरकारी विभाग में एक ऐसा अधिकारी होना चाहिए जो अपने क्षेत्र से संबंध कार्य में विज्ञान एवं तकनीकी पर अधिक ध्‍यान दे और ऐसी गतिविधियों के लिए  विभाग के बजट में से कुछ प्रतिशत धनराशि का आवंटन करें। हम यह अनुभव अतंरिक्ष तकनीकी के साथ शुरू कर चुके हैं

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी गतिविधियों में निवेश, कारपोरेट सामाजिक दायित्‍व के व्‍यय का भी एक हि‍स्‍सा बनाया जाना चाहिए जिसे प्रत्‍यक्ष अथवा किसी स्‍वायत धनराशि से पूरा किया जा सकता है। हमें विभिन्‍न क्षेत्रों में हो रहे विकासों, नवाचारों तथा विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए विभिन्‍न संख्‍याओं तथा क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने की मजबूत संस्‍कृति की आवश्‍यकता है। मेरा मानना है कि यह भारत में आदर्श से कहीं अधिक दूर है।

मैं हमारे मंत्रालयों से कहूंगा कि वे अनुसंधान के लिए धनराशि के अनुरोध पर सहायता करने और उनके संस्‍थानों के साथ सहयोग को आवश्‍यक बनाये

हमें देश में विश्‍वविद्यालय प्रणाली को अनुसंधान और विकास गतिविधियों में अग्रणी बनाना होगा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हमारा विनिवेश केन्‍द्र सरकार के एजेंसियों तक ही सीमि‍त है और इसे अधिक क्षेत्रों में बढ़ाया जाना चाहिए

हमारे विश्‍वविद्यालय अत्‍यधिक नियमन के शिकंजे  और बोझि‍ल प्रक्रियाओं से मुक्‍त होने चाहिए। वहां पर अधिक अकादमि‍क स्‍वतंत्रता और स्‍वायतता होनी चाहिए और शिक्षण के समान ही अनुसंधान पर भी जोर दिया जाना चाहिए ।

इसके परिणाम स्‍वरूप विश्‍वविद्यालयों की उच्‍च अकादमिक और अनुसंधान स्‍तरों पर जिम्‍मेदारी बढ़ेगी, जिसमें संपूर्ण समकक्ष समीक्षा शामिल होगी

हमें हमारे उच्‍च शिक्षण क्षेत्रों को तेजी से विस्‍तार करना होगा हालांकि हमारे मौजूदा संस्‍थानों में फेकल्‍टी की कमी है

हमारे पास केंद्रीय संस्थाओं और एजेंसियों में काम करने वाले प्रख्यात वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कमी नहीं है और मैं चाहता हूं कि वे प्रतिवर्ष किसी विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गतिविधियों में कुछ समय व्यतीत करे और पीएचडी के छात्रों को गाइड करें।

      हमारे उद्योग जगत को पहल करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाना है।

 भारत के फार्मास्यूटिकल उद्योग ने विश्व में अपनी पहचान बनाई है क्योंकि इसने शोध के क्षेत्र में काफी निवेश किया है। वस्तुत:  हमारी लंबी वैश्विक प्रतिस्पर्धा दूसरों की यह नकल करने पर निर्भर नहीं करेगी कि उन्होंने क्या किया है बल्कि यह सतत विकास एवं नवाचार की प्रक्रिया पर आधारित होगी।

शोध एवं विकास के क्षेत्र में न केवल व्यापारिक जगत में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रवृत्ति बढ़ रही है बल्कि यह विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं में शोध कार्यों और विद्धानों में भी दिख रही है। हमें इसका पूर्ण रूप से लाभ उठाना चाहिए। इसी वजह से मैंने अपने कूटनीतिक एजेंडें में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सबसे आगे रखा है।

      मैंने विश्व की अनेक देशों की यात्रा के दौरान वैज्ञानिकों से व्यक्तिगत रूप से स्वच्छ ऊर्जा, कृषि, जैव-तकनीकी, चिकित्सा, औषधि तथा स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रों में सहयोग के बारे में जानकारी ली है।

विश्व के समक्ष आज विशाल चुनौतियों का समाधान करने के लिए हमने सभी अग्रणी देशों के साथ उत्कृष्ठ सहयोग स्थापित किया है और मैंने अपने पड़ोसी देशों तथा अन्य विकासशील देशों को अपनी विशेषज्ञता की पेशकश की है।

      मैं अक्सर अपने देश के युवाओं के लिए कौशल विकास की बात करता हूं अगर हम अगली पीढी के विश्व स्तरीय वैज्ञानिकों, तकनीकविदों और प्रवर्तकों को तैयार कर सकें तो इससे हमारा भविष्य भी सुरक्षित रहेगा और हमारा वैश्विक नेतृत्व भी संभव हो सकेगा।

स्कूलों में विज्ञान और गणित की शिक्षा को अधिक प्रेरक तथा रचनात्मक बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा हमारे देश के बच्चों तथा युवाओं के साथ वैज्ञानिकों के प्रत्यक्ष सम्पर्क के लिए हमें इंटरनेट के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए जिस प्रकार स्कूल जाना एक बुनियादी अधिकार है उसी तरह डिजिटल कनेक्टिविटी को भी बनाया जाना चाहिए।

मैं विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हजारों बच्चों तथा युवाओं को शामिल करने के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रयासों का स्वागत करता हूं।

इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि हमारे युवा छात्र अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाएं जीत रहे हैं और उनमें से 12 के नाम पर कुछ छोटे धूमकेतुओं का नाम भी रखा गया है।

हमारे देश के बच्चों को खेलों की तरह विज्ञान में भी अपने रोल मॉडल चुनने चाहिए। व्यापार और सिविल सेवाओं की तरह विज्ञान में भी अपना भविष्य चुनने वाले बच्चों पर उनके माता पिता को गर्व होना चाहिए, मगर इसके लिए विज्ञान की शक्ति तथा संभावनाओं को बेहतर तरीके से बताया जाना जरूरी है।

आईए, अब हम निकट भविष्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को गणतंत्र दिवस की परेड थीम बनाएं। जिस प्रकार हम अन्य क्षेत्रों में अर्जित सफलताओं पर जश्न मनाते हैं, उसी तरह वैज्ञानिक जगत की उपलब्धियों पर भी उत्सव मनाने की आवश्यकता है।

हमें उन युवा सहभागियों और प्रतियोगियों को समाज में विशेष पहचान देनी चाहिए जो विज्ञान प्रदर्शनियों में शीर्ष स्थान पाते हैं और सरकार की तरफ से भी उन्हें लगातार सहयोग देना चाहिए।

मैं अपने श्रेष्ठ युवा वैज्ञानिकों से व्यक्तिगत रूप से मिलना बेहद पसंद करूंगा। अंत में मुझे यह कहना है कि ज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित इस विश्व में भारत के लिए एक सुरक्षित, सतत और समृद्ध भविष्य या वैश्विक नेतृत्व के लिए हमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवाचर को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखने की आवश्यकता है।

मुझे पूरा भरोसा है कि हम यह कर सकते हैं।

हम प्राचीन समय से ही विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में भारत की हमेशा उन्नतिशील परपंरा के उत्तराधिकारी हैं। गणित, चिकित्सा, धातुकर्म एवं खनन, गणना एवं वस्त्र, वास्तुकला तथा खगोल विज्ञान के क्षेत्र में विश्व की भारतीय सभ्यता की देन काफी समृद्ध रही है।

      पिछले 6 दशकों में विभिन्न कठिन परिस्थितियों में हमने जो सफलताएं हासिल की हैं हम उनसे प्रेरणा तथा विश्वास हासिल कर सकते हैं। कई संस्थानों की मजबूती विज्ञान के क्षेत्र में भारत की समृद्ध प्रतिभा तथा बारत के पांच प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों के रुप में है और जिनका हाल में ही सम्मान किया है।

      सबसे पहले हमें विज्ञान एवं वैज्ञानिकों के अपने गौरव को बरकरार रखना है। समाज में विज्ञान के प्रति लोगों की उत्सुकता को पुर्नजीवित करना है। हमारे बच्चों में वैज्ञानिक शिक्षा के प्रति प्रेम को फिर से जगाना है और देश के वैज्ञानिकों को कल्पना करने, सपने देखने तथा उन पर काम करने के लिए प्रेरित करना है।

      आपको मुझसे बेहतर सहारा देने वाला कल नहीं मिलेगा और इसके बदले मैं भारत को बदलने के लिए आपकी मदद चाहता हूं।

      आप सभी का धन्यवाद, सभी को शुभकामनाएं!!

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PM Modi hails diaspora in Kuwait, says India has potential to become skill capital of world

Media Coverage

PM Modi hails diaspora in Kuwait, says India has potential to become skill capital of world
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
भारत और कुवैत का रिश्ता; सभ्यताओं, सागर और कारोबार का है: पीएम मोदी
December 21, 2024
कुवैत में प्रवासी भारतीयों की गर्मजोशी और स्नेह असाधारण है: प्रधानमंत्री
43 वर्षों के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत की यात्रा कर रहा है: प्रधानमंत्री
भारत और कुवैत के बीच सभ्यता, समुद्र और वाणिज्य का रिश्ता है: प्रधानमंत्री
भारत और कुवैत हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं: प्रधानमंत्री
भारत कुशल प्रतिभाओं की वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित है: प्रधानमंत्री
भारत में स्मार्ट डिजिटल प्रणाली अब विलासिता की वस्तु नहीं रह गयी है, बल्कि यह आम आदमी के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गयी है: प्रधानमंत्री
भविष्य का भारत वैश्विक विकास का केंद्र होगा, दुनिया का विकास इंजन होगा: प्रधानमंत्री
भारत, एक विश्व मित्र के रूप में, विश्व की भलाई के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।