मैं अपनी बात शुरू करने से पहले, सबसे पहले श्री वसंत गोवारिकर जो हमारे देश के गणमान्य वैज्ञानिक थे और आज ही हमारे बीच नहीं रहे। मैं इसी धरती की संतान और भारत को विज्ञान जगत में आगे बढ़ाने में जिन्होंने बहुत अहम भूमिका निभाई थी ऐसे श्रीमान वसंत गोवारिकर जो को हृदय अंतःकरण पूर्वक श्रृद्धांजलि देता हूं।
देवियों और सज्जनों,
भारतीय विज्ञान कांग्रेस में शामिल होना एक बड़ा सम्मान है। मैं इस आयोजन के लिए मुम्बई विश्वविद्यालय का धन्यवाद करता हूं।
गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए मुझे विज्ञान कांग्रेस में शामिल होने का मौका मिला था। दस साल बाद दोबारा मिले इस अवसर से मुझे खुशी हुई है।
मैं सौ साल पुरानी संस्था के समृद्ध इतिहास की प्रशंसा करता हूँ।
मैं वैज्ञानिकों द्वारा किए गए कार्यों के लिए उनका आभारी हूं और मैं मानता हूं कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी, विकास और सुशासन के अमूल्य सहयोगी हैं।
मानव का स्वभाव दुनिया और ब्रह्माण्ड के बारे में जानने और समझने का है इसी वजह से मानव सभ्यता इतनी विकसित हुई है।
यह विश्वास के द्वारा संचालित एक खोज है जिसे हमारे वेदों में सत्य सर्वं प्रतिष्ठानां - सत्य में सबकुछ समाहित है के रूप में व्याख्या की गई है। ।
विज्ञान मानव मस्तिष्क की उपज हो सकता है लेकिन यह मानव जीवन को बेहतर बनाने की मानवीय भावनाओं द्वारा भी संचालित होता है।
हमारे साथ नोबल पुरस्कार विजेता मौजूद हैं, जिनके विज्ञान के क्षेत्र में कार्य ने जानलेवा बीमारियों से निपटने में नई उम्मीद जगाई है।
हमारे पास एक ऐसे व्यकित भी हैं जिनकी सामाज विज्ञान की समझ ने सबसे गरीब लोगों को आशा, अवसर और सम्मानजनक जीवन दिया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी, गरीबी से निपटने और समृद्धि के विस्तार में सहायक है; भूख मिटाने और बेहतर पोषण; बीमारियों का खात्मा; स्वास्थ्य का स्तर सुधारने और बच्चों को जीवन देने के ज्यादा अवसर उपलब्ध कराने; अपने प्रियजनों और दुनिया से जुड़ने; शिक्षा और जागरुकता के प्रसार; और हमें पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उपलब्ध कराता है जो हमारे पर्यावास को ज्यादा वहनीय बनाता है।
राष्ट्र की प्रगति और मानव का विकास विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े हुए हैं। हाल के वर्षों में चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रुप में उभरा है साथ ही उसने खुद को समानांतर रुप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी दूसरे स्थान पर स्थापित किया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी राष्ट्र की सीमाओं को लांघते हुए विश्व को एक सूत्र में पिरोता और शांति का प्रसार करता है। यह विश्व की चुनौतियों से निपटने के सामूहिक प्रयासों में गरीब और अमीर देशों को साथ ला सकता है।
लेकिन हम जानते हैं कि यह असमानता बढ़ा सकता है, युद्धों को ज्यादा संहारक बना सकता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है। कभी कभी हमें जटिलताओं के बारे में बाद में पता चलता है जैसा कि हमने जलवायु परिवर्तन के साथ किया; कभी कभी ये हमारे अपने फैसलों का परिणाम होता है।
उदाहरण के तौर पर, सूचना प्रौद्योगिकी का विकास क्षमता और उत्पादकता बढ़ाने किया गया; यद्यपि इसके विभिन्न भटकाव सरलता से हमें पराजित कर सकते है। जैसा कई बार होता है कि हम किसी बैठक में हैं और मन में अपने संदेशों को पढ़ने का लालच रहता है!
इसलिए, जब भी हम विज्ञान और मानव विकास की बात करते हैं, हम इसे समानता, सिद्धांत और पहुंच जैसे राजनीतिक फैसलों से अलग नहीं कर सकते।
मानव विकास का वृहद उद्देश्य है जो भारतीय वैज्ञानिक गतिविधियों की असली ताकत है और विज्ञान आधुनिक भारत के निर्माण में सहयोग करता है।
आजादी की शुरूआत के साथ प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को राष्ट्रीय विकास के केंद्र में स्थापित किया था। हमारे वैज्ञानिकों ने मामूली संसाधनों के साथ भलि प्रकार देश की सेवा करने वाले अग्रणी अनुसंधान किए और अभूतपूर्व संस्थाओं का निर्माण किया।
तभी से हमारे वैज्ञानिकों ने कई क्षेत्रों में हमें विश्व में अग्रणी बनाए रखा है।
जब कभी विश्व ने हमारे लिए रास्ते बंद किए, हमारे वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय अभियान की भावना के साथ कार्य किया। जब भी विश्व ने हमसे सहयोग मांगा, हमारे वैज्ञानिकों ने खुलेपन से उनका स्वागत किया जो हमारे समाज में अंतर्निहित है।
उन्होंने मावन विकास की सबसे गंभीर और दूभर चुनौतियों का निवारण किया है। उन्होंने भोजन जैसी आधारभूत आवश्यक्ताओं को पूरा करने के लिए दूसरों पर निर्भरता को समाप्त करने में हमारी मदद की है। उन्होंने हमारी सीमाओं को सुरक्षित बनाया है, औद्योगिक प्रगति में सहायता की और हमारे लोगों को सम्मानजनक और अवसरों से पूर्ण जीवन प्रदान किया है।
हमारे वैज्ञानिकों ने पहले ही प्रयास में मंगलयान को मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया। मैं राधा कृष्णन की टीम को बधाई देता हूं - हुदहुद तूफान के बार में वैज्ञानिकों के सटीक अनुमान से हजारों लोगों की जान बचाई जा सकी; हमारे परमाणु वैज्ञानिक ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता के लिए काम कर रहे हैं और उन्होंने कैंसर के इलाज और अनुसंधान के मामले में एशिया क्षेत्र में भारत को अग्रणी बना दिया है।
हमारी उपलब्धियों पर हमें गर्व है लेकिन उन चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता जिनका हम देश में सामना करते हैं।
हम उसी तरह की उम्मीदों और उत्साह के माहौल में हैं जैसा कि देश की स्वाधीनता के समय था।
इस समय देश में परिवर्तन के लिए सकारात्मक माहौल है; इसे बनाए रखने के लिए ऊर्जा और इसे हासिल करने के लिए विश्वास की जरूरत है।
लेकिन भारत के बारे में हमारे जो सपने हैं - खेती को ज्यादा व्यवहारिक और उत्पादक बनाना; ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वहनीय और उपयुक्त तकनीकी विकसित करने; पानी की हर बूंद का बेहतर इस्तेमाल; और समुद्रीय संसाधनों की क्षमता के इस्तेमाल; अपनी जैव विविधता के संरक्षण; अपने पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए - विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर उतना ही नर्भर करते हैं जितना कि नीति और संसाधनों पर
गरीबों की पहुंच योग्य बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और दवाओं और स्वास्थ्य उपकरणों के विकास; पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा को वहनीय और ज्यादा कारगर बनाने के लिए;
प्रौद्योगिकी के प्रयोग से सभी के लिए घर और स्वच्छता के सपने को पूरा करने के लिए
हमारे शहरों को स्वच्छ और अधिक रहने योग्य बनाने के लिए हमें ही समाधान ढ़ढंना होगा
व्यर्थ को संपदा में बदलने और भविष्य के सतत ढांचा विकास के लिए संसाधन
मानव विकास के लिए इंटरनेट का उपयोग करना
भारत को प्रमुख विनिर्माण देश और ज्ञान तथा प्रौद्योगिकी आधारित उद्योग के लिए केन्द्र बनाना
मेरे लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार की पहुंच सबसे गरीब, सबसे पिछड़े और सबसे असहाय लोगों तक होना है
यह राष्ट्रीय महत्व का उद्यम है जिसमें सरकार, उद्योग, राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों को मिलकर कार्य करना होगा
अधिकतर विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर बातचीत बजट के प्रश्न तक ही सीमित होती है यह महत्वपूर्ण है और मुझे विश्वास है कि इसमें लगातार वृद्धि होगी
लेकिन हमारी उपलब्धियों ने यह दर्शा दिया है कि कई बार सफलता के लिए आवश्यकता, विजन और जोश अधिक महत्वपूर्ण होते हैं
और संसाधनों का हम कैसे उपयोग कर सकते है कि कैसे प्रभावी निर्धारण हो जिससे विज्ञान और प्रौद्योगिकी को हमारे लिए कारगर बनाया जा सके
हमारे विकास की चुनौतियां, स्वाभाविक रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारी प्राथमिकताएं तय करेगी
हम कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्रों में ध्यान दे रहे है लेकिन हमें अनुसंधान और विकास को कुछ पूर्व निर्धारित लक्ष्यों तक ही सीमीत नहीं रखने चाहिए
और अनुसंधान, विकास तथा नवाचार पर जितना ध्यान दिया जाता है उनता ही ध्यान आधारभूत अनुसंधान पर भी देना महत्वपूर्ण है
हमें यह भी मानना चाहिए कि विज्ञान सर्वव्यापी है लेकिन प्रौद्योगिकी स्थानीय हो सकती है
अगर हम पारंपरिक और स्थानीय ज्ञान, प्रणालियों और प्रौद्योगिकीयों को इसमें शामिल करें तो हम अधिक उचित, प्रभावी, वहन करने योग्य और सतत समाधान विकसित कर सकते है जो मानव विकास और प्रगति में बड़ा योगदान दे सकते हैं
सरकार को देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रमुख स्रोत के तौर पर विकसित करने के लिए भी कदम बढ़ाना चाहिए
जब मैं देश में रोजगार करने में आसानी की बात करता हूं तब मैं यह भी चाहता हूं कि देश में विकास और अनुसंधान में भी आसानी पर उतना ही ध्यान दिया जाए
प्रस्तावित धनराशि स्वीकृत करने में अधिक समय ना लगाया जाए, बैठक- आवेदन पत्र की आवश्यकताएं अनुसंधान से अधिक जटिल नहीं होनी चाहिए, स्वीकृति की प्रक्रिया अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए बाधा नहीं बननी चाहिए, हमारे वैज्ञानिक विभागों को अनुसंधान गतिविधियों में अंतर्निहित अनिश्चिताओं के आधार पर धनराशि के बारे में फैसला लेने में लचीला होना चाहिए
मैं चाहता हूं कि हमारे वैज्ञानिकों तथा शोधकर्ताओं को सरकारी प्रक्रियाओं के बजाए, विज्ञान के रहस्यों को उजागर करना चाहिए।
हम चाहते हैं कि उनके शोधकार्य ही उनकी सफलता के प्रतिमान हों और वे सरकारी मंजूरी के मोहताज नहीं हों। हमें जैव तकनीकी, नैनो साइंस, कृषि एवं क्नीनिकल शोध के क्षेत्र में शोध एवं विकास संबंधी स्पष्ट नियामक नीतियां बनानी है। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी मजबूत बौद्धित सपंदा व्यवस्था लगातार प्रभावी रूप से काम करती रहे और निजी क्षेत्र के प्रोत्साहन एवं सामाजिक बेहतरी के बीच सहीं संतुलन बना रहे।
इसके अलावा, न केवल वैज्ञानिक विभागों, बल्कि प्रत्येक सरकारी विभाग में एक ऐसा अधिकारी होना चाहिए जो अपने क्षेत्र से संबंध कार्य में विज्ञान एवं तकनीकी पर अधिक ध्यान दे और ऐसी गतिविधियों के लिए विभाग के बजट में से कुछ प्रतिशत धनराशि का आवंटन करें। हम यह अनुभव अतंरिक्ष तकनीकी के साथ शुरू कर चुके हैं
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी गतिविधियों में निवेश, कारपोरेट सामाजिक दायित्व के व्यय का भी एक हिस्सा बनाया जाना चाहिए जिसे प्रत्यक्ष अथवा किसी स्वायत धनराशि से पूरा किया जा सकता है। हमें विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे विकासों, नवाचारों तथा विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए विभिन्न संख्याओं तथा क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने की मजबूत संस्कृति की आवश्यकता है। मेरा मानना है कि यह भारत में आदर्श से कहीं अधिक दूर है।
मैं हमारे मंत्रालयों से कहूंगा कि वे अनुसंधान के लिए धनराशि के अनुरोध पर सहायता करने और उनके संस्थानों के साथ सहयोग को आवश्यक बनाये
हमें देश में विश्वविद्यालय प्रणाली को अनुसंधान और विकास गतिविधियों में अग्रणी बनाना होगा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हमारा विनिवेश केन्द्र सरकार के एजेंसियों तक ही सीमित है और इसे अधिक क्षेत्रों में बढ़ाया जाना चाहिए
हमारे विश्वविद्यालय अत्यधिक नियमन के शिकंजे और बोझिल प्रक्रियाओं से मुक्त होने चाहिए। वहां पर अधिक अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायतता होनी चाहिए और शिक्षण के समान ही अनुसंधान पर भी जोर दिया जाना चाहिए ।
इसके परिणाम स्वरूप विश्वविद्यालयों की उच्च अकादमिक और अनुसंधान स्तरों पर जिम्मेदारी बढ़ेगी, जिसमें संपूर्ण समकक्ष समीक्षा शामिल होगी
हमें हमारे उच्च शिक्षण क्षेत्रों को तेजी से विस्तार करना होगा हालांकि हमारे मौजूदा संस्थानों में फेकल्टी की कमी है
हमारे पास केंद्रीय संस्थाओं और एजेंसियों में काम करने वाले प्रख्यात वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कमी नहीं है और मैं चाहता हूं कि वे प्रतिवर्ष किसी विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गतिविधियों में कुछ समय व्यतीत करे और पीएचडी के छात्रों को गाइड करें।
हमारे उद्योग जगत को पहल करते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में निवेश को बढ़ाना है।
भारत के फार्मास्यूटिकल उद्योग ने विश्व में अपनी पहचान बनाई है क्योंकि इसने शोध के क्षेत्र में काफी निवेश किया है। वस्तुत: हमारी लंबी वैश्विक प्रतिस्पर्धा दूसरों की यह नकल करने पर निर्भर नहीं करेगी कि उन्होंने क्या किया है बल्कि यह सतत विकास एवं नवाचार की प्रक्रिया पर आधारित होगी।
शोध एवं विकास के क्षेत्र में न केवल व्यापारिक जगत में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रवृत्ति बढ़ रही है बल्कि यह विश्वविद्यालयों और प्रयोगशालाओं में शोध कार्यों और विद्धानों में भी दिख रही है। हमें इसका पूर्ण रूप से लाभ उठाना चाहिए। इसी वजह से मैंने अपने कूटनीतिक एजेंडें में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सबसे आगे रखा है।
मैंने विश्व की अनेक देशों की यात्रा के दौरान वैज्ञानिकों से व्यक्तिगत रूप से स्वच्छ ऊर्जा, कृषि, जैव-तकनीकी, चिकित्सा, औषधि तथा स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्रों में सहयोग के बारे में जानकारी ली है।
विश्व के समक्ष आज विशाल चुनौतियों का समाधान करने के लिए हमने सभी अग्रणी देशों के साथ उत्कृष्ठ सहयोग स्थापित किया है और मैंने अपने पड़ोसी देशों तथा अन्य विकासशील देशों को अपनी विशेषज्ञता की पेशकश की है।
मैं अक्सर अपने देश के युवाओं के लिए कौशल विकास की बात करता हूं अगर हम अगली पीढी के विश्व स्तरीय वैज्ञानिकों, तकनीकविदों और प्रवर्तकों को तैयार कर सकें तो इससे हमारा भविष्य भी सुरक्षित रहेगा और हमारा वैश्विक नेतृत्व भी संभव हो सकेगा।
स्कूलों में विज्ञान और गणित की शिक्षा को अधिक प्रेरक तथा रचनात्मक बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा हमारे देश के बच्चों तथा युवाओं के साथ वैज्ञानिकों के प्रत्यक्ष सम्पर्क के लिए हमें इंटरनेट के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए जिस प्रकार स्कूल जाना एक बुनियादी अधिकार है उसी तरह डिजिटल कनेक्टिविटी को भी बनाया जाना चाहिए।
मैं विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हजारों बच्चों तथा युवाओं को शामिल करने के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रयासों का स्वागत करता हूं।
इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि हमारे युवा छात्र अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाएं जीत रहे हैं और उनमें से 12 के नाम पर कुछ छोटे धूमकेतुओं का नाम भी रखा गया है।
हमारे देश के बच्चों को खेलों की तरह विज्ञान में भी अपने रोल मॉडल चुनने चाहिए। व्यापार और सिविल सेवाओं की तरह विज्ञान में भी अपना भविष्य चुनने वाले बच्चों पर उनके माता पिता को गर्व होना चाहिए, मगर इसके लिए विज्ञान की शक्ति तथा संभावनाओं को बेहतर तरीके से बताया जाना जरूरी है।
आईए, अब हम निकट भविष्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को गणतंत्र दिवस की परेड थीम बनाएं। जिस प्रकार हम अन्य क्षेत्रों में अर्जित सफलताओं पर जश्न मनाते हैं, उसी तरह वैज्ञानिक जगत की उपलब्धियों पर भी उत्सव मनाने की आवश्यकता है।
हमें उन युवा सहभागियों और प्रतियोगियों को समाज में विशेष पहचान देनी चाहिए जो विज्ञान प्रदर्शनियों में शीर्ष स्थान पाते हैं और सरकार की तरफ से भी उन्हें लगातार सहयोग देना चाहिए।
मैं अपने श्रेष्ठ युवा वैज्ञानिकों से व्यक्तिगत रूप से मिलना बेहद पसंद करूंगा। अंत में मुझे यह कहना है कि ज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित इस विश्व में भारत के लिए एक सुरक्षित, सतत और समृद्ध भविष्य या वैश्विक नेतृत्व के लिए हमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा नवाचर को अपनी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर रखने की आवश्यकता है।
मुझे पूरा भरोसा है कि हम यह कर सकते हैं।
हम प्राचीन समय से ही विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में भारत की हमेशा उन्नतिशील परपंरा के उत्तराधिकारी हैं। गणित, चिकित्सा, धातुकर्म एवं खनन, गणना एवं वस्त्र, वास्तुकला तथा खगोल विज्ञान के क्षेत्र में विश्व की भारतीय सभ्यता की देन काफी समृद्ध रही है।
पिछले 6 दशकों में विभिन्न कठिन परिस्थितियों में हमने जो सफलताएं हासिल की हैं हम उनसे प्रेरणा तथा विश्वास हासिल कर सकते हैं। कई संस्थानों की मजबूती विज्ञान के क्षेत्र में भारत की समृद्ध प्रतिभा तथा बारत के पांच प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों के रुप में है और जिनका हाल में ही सम्मान किया है।
सबसे पहले हमें विज्ञान एवं वैज्ञानिकों के अपने गौरव को बरकरार रखना है। समाज में विज्ञान के प्रति लोगों की उत्सुकता को पुर्नजीवित करना है। हमारे बच्चों में वैज्ञानिक शिक्षा के प्रति प्रेम को फिर से जगाना है और देश के वैज्ञानिकों को कल्पना करने, सपने देखने तथा उन पर काम करने के लिए प्रेरित करना है।
आपको मुझसे बेहतर सहारा देने वाला कल नहीं मिलेगा और इसके बदले मैं भारत को बदलने के लिए आपकी मदद चाहता हूं।
आप सभी का धन्यवाद, सभी को शुभकामनाएं!!