पीएम उदय योजना से एक प्रकार से दिल्ली के नए उदय का प्रारंभ होना है: प्रधानमंत्री मोदी
आज हमारी सरकार एक तरफ विकास की नई ऊंचाइयों को पार कर रही है, वहीं दूसरी तरफ ऐसे भी बीज बो रही है कि आपके बच्चे जब बड़े होंगे उससे पहले ही वो उस पेड़ के फल खाना शुरू कर देंगे: पीएम मोदी
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का आजादी से ही बोर्ड लटकाया गया था, अनुच्छेद 370 को समाप्त करना ही मेरे ही नसीब में था: प्रधानमंत्री

अभी-अभी दीपावली का पावन पर्व पूरा हुआ है और दिल्‍ली वालों के लिए तो दो दिवाली आई है, और इसलिए मैं आपको हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। मुझे बताया गया कि आप सब मेरा अभिवादन करने के लिए यहां आए हैं। हकीकत ये है कि मुझे आपका अभिवादन करना चाहिए और मुझे आपका अभिवादन इसलिए करना चाहिए। क्‍योंकि आप में से अनेकों का जन्‍म ही, जिसे गैरकानूनी कहा जाता है, ऐसी कॉलानियों में हुआ है। पूरा बचपन उसी मुसीबतों से गुजारा है, जीवन के सपने देखने का समय आया तब भी तलवार लटकती रहती थी कि पता नहीं क्‍या होगा क‍ब कौन आ धमकेगा। जाएंगे तो कहां जाएंगे, गुजारा कैसे करेंगे, दशकों के बाद.... दशक बीतते चले गए लेकिन आप उस मुसीबत से मुक्ति नही पाए। आपकी हर सरकारों से आशा रही, हर व्‍यवस्‍था से आशा रही लेकिन आपको कभी परिणाम नहीं मिला।

इस सारी प्रक्रिया को आप सोचिए कि आप ट्रेन के अंदर बैठे हो, जा रहे हो और कोई आकर कहे कि ये तो मेरी सीट रिजर्व है.. आप कहोगे नहीं भाई ऐसा नहीं मुझे वो टीटी ने बिठाया है। क्‍या आपकी यात्रा लगातार प्रेशर में रहेगी कि नहीं रहेगी, यार पता नहीं कब उठाएगा, कब जाना पड़ेगा। इन सबके बावजूद भी आपने धैर्य नहीं खोया। कभी कोई ऐसा आंदोलन जो हिंसक हो जाए ये रास्‍ता नहीं अपनाया। आपने हो सके वहां तक जो भी सरकार, व्‍यवस्‍थाएं थी उसे सहयोग करने का प्रयास किया और प्रयास करके आपने इसी इंतजार में जो होगा... सो होगा। प्रयास पहले भी हुए लेकिन आधे-अधूरे हुए, राजनीतिक गणित से हुए। ये करेंगे तो वोट बैक संभलेगी ये नहीं करेंगे तो वोट बैक नहीं संभलेगी। इसी के ईद-गिर्द और हर चुनाव में इस इसी विषय को उठाना, उछालना जो जोर से बोलता था तो आपके लोग उसकी तरफ लुढ़क जाते थे कि हां यार ऐसा ये कर देगा। होने के बाद वो आपको भूल जाता था यही क्रम चला। और जैसा हरदीप जी ने कहा कि भारत विभाजन का भयंकर सदमा झेल करके लाखों परिवार आ करके इन जगह पर बसे थे। उनकी तो मुसीबत थी कि भाई आवाज भी कैसे उठायें वरना फिर से एक बार उजड़ जाएंगे। और इसलिए तो उनका तो आवाज ही एक प्रकार से खत्‍म हो चुकी थी। ये सरकार जब 2014 में बनी तब से हम इसके कोई ऐसे रास्‍ते खोज रहे थे  कुछ आशा थी कि स्‍थानीय जो सरकारें हैं वो भी कुछ जिम्‍मेवारी उठाएगी लेकिन सारे प्रयास, सारे प्रयोग कहीं न कहीं उलझते गए। आखिरकार ये तय किया कि कोई करे या न करे हम इसे किए बिना रह नहीं सकते। कोई जिम्‍मेवारी उठाए या न उठाए हम गैरजिम्‍मेवार नहीं बन सकते।

सरकार में से जितने भी अफसर देने पड़ेंगे देंगे, सर्वे करने के लिए जितने लोगों को लगाना पड़ेगा लगाएंगें। भारत सरकार पूरी जिम्‍मेवारी के साथ इस काम को पूर्ण करेगी। हमनें पूरे क्षेत्र के लिए नीति बनाई। उस नीति बनाने से पहले भी आपके सभी सांसदों के साथ विस्‍तार से चर्चा की। उसकी हर बारीकी की चर्चा की। आपके सांसदों को वहां स्‍थान पर जाकर के सर्वे करने के लिए कहा जाकर देखकर आयो भाई। जो बताया जाता है वैसा है कि नहीं है। आपके जो एमएलए है उनको लगाया जो आपके भूतपूर्व एमएलए हैं, उनको लगाया। कुछ कॉर्पोरेटरों को जोड़ा। लेकिन एक मंत्र मैं सबको बताता था कि नीति वो बनेगी जिसका आत्‍मा यही होगा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्‍वास। उस आत्‍मा को केंद्र में रखकर ही नीति बनेगी। ऐसा नहीं होगा कि इस धर्म के लोग हैं तो उनको तो फायदा मिलेगा, उस धर्म वालों को नहीं मिलेगा। और वो हिंदू है, सिख है, ईसाई है, बौद्ध है ऐसे कोई भेदभाव को इस नीति को लागू करने में कहीं पर भी स्‍थान नहीं होगा। सबका साथ-सबका विश्‍वास का मतलब ही यही है और इसलिए यानी कोई ऐसा भी होगा कि इस नीति का विरोध करने के लिए कल जुलूस निकालेगा तो भी अगर वो हकदार होगा तो उसको फायदा मिलेगा। क्‍योंकि ये पूरी दिल्‍ली का भाग्‍य बदलना है मुझे... और दिल्‍ली का भाग्‍य बदले बिना हिन्‍दुस्‍तान का भाग्‍य नहीं बदलता है।    

दूसरा आपने देखा है कि आजाद देश हुआ तब से लेकर भारत-विभाजन से अब तक हमारे यहां एक ऐसा राजनीतिक कल्‍चर बन गया, एक ऐसी परंपरा विकसित हो गई... जिसमें लटकाना, अटकाना और भटकाना.... कोई निर्णय करना ही नहीं लटकाए रखो, कोई आकर करेगा देखेंगे। और मीठी-मीठी बातें करना... बहुत बढि़या आइए-आइए नहीं-नहीं बिल्‍कुल देखिए ये कैसे लोग हैं ऐसा ही बड़ी-बड़ी बातें करना। और मानों होता है लेकिन लगता है कि वो कर रहा है तो फिर अटकाना। होने नहीं देंगे, कोर्ट में जाएंगे, Stay ले आएंगे फलाना करेंगे ठिकना करेंगे और दोनों में कोई हैसियत नहीं है तो फिर भटकाएंगे...भटकाना। कोई ऊंटपंटाग चीज ऐसी करते रहेंगे कि सारा मामला ही भटक जाए। और आजादी के बाद आप देखिए कि इसके चलते कैसे-कैसे पड़ाव आए हैं। अनिश्चितता..... जीवन में अनिश्चितता सबसे ज्‍यादा परेशान करती है आपको मालूम है कि आपको ट्रेन में जाना है... टिकट है, Reservation है platform  पर खड़ें हैं और बस पांच मिनट में ट्रेन आने वाली है और announcement हो जाए कि ट्रेन लेट हो गई पता नहीं कब आएगी... अब मुझे बताइए वो समय कैसा जाता है। बहुत मुश्किल अनुभव होता है क्‍योंकि पता नहीं भाई मैं प्‍लेटफार्म पर आया हूं पता नहीं कब आएगी ट्रेन, कब आएगी, कब जाएगी-कब आएगी। अनिश्चितता मनुष्‍य के जीवन को घेर लेती है। देश आजाद हुआ आप कल्‍पना कर सकते हैं जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों का क्‍या हाल हुआ होगा क्‍योंकि temporary 370 का बोर्ड लटकाया गया था। धारा 370 के नाम पर ऐसी स्थिति बनाई थी कि ये उनको भी विश्‍वास नहीं होता था कि दिल्‍ली हमारे लिए कुछ करेगी कि नहीं करेगी। ये अनिश्चितता, ये दुविधा उसको समाप्‍त करना भी ये काम भी मेरे ही नसीब में था। आप देखिए तीन तलाक अब उस मुस्लिम मां-बेटी का सोचिए उसका क्‍या होता होगा कि जब ये तीन तलाक की तलवार लटकती रहती है तो उसको हमेशा डर रहता है कि सब्‍जी में नमक ज्‍यादा पड़ गया तो पता नहीं मुझे निकाल न दें। यानी उसके जीवन में कितना टेंशन रहता होगा। और उस बाप का विचार कीजिए जिसने बड़े उत्‍साह और उमंग के साथ अपनी बेटी की शादी करके विदाई दी है। उसको डर रहता था कहीं मेरी बेटी घर तो वापिस नहीं आएगी। उस मां की कल्‍पना कीजिए... उस भाई की कल्‍पना कीजिए जिसको लगता होगा कि मेरी बहन कहीं वापिस तो नहीं आ जाएगी। यानी एक प्रकार से पूरा समाज बेचैनी से जिंदगी गुजार रहा था। हमने उस अवस्‍था को भी खत्‍म किया, निश्‍चतता तय की। उसी प्रकार से आपके लिए भी पता नहीं कब municipal corporation आ जाएगा, कब और अफसर आ जाएंगे, पता नहीं कब गिरा देंगे। घर में बेटा बड़ा हुआ है शादी होने वाली है, ऊपर एक कमरा छोटा सा ठीक करना है पता नहीं करने जाएंगे तो मुसीबत न जाए। ये अनिश्चितता की जिंदगी बहुत कठिन थी। हर अनिश्चितताओं को समाप्‍त करते हुए मकम्‍ता के साथ जनता की भलाई के लिए निर्णय लेने के लिए हमने निर्णय लिया है।

अभी आपने देखा होगा परसों हमने एक निर्णय लिया, छोटा निर्णय नहीं है हमारे यहां मध्‍यम वर्ग के परिवार का व्‍यक्ति या गरीब के भी जीवन में सबसे बड़ी इच्‍छा क्‍या रहती है आप सौ लोगों को पूछ लीजिए वो कहेगा कि खुद का घर हो बस यही इच्‍छा है बस। खुद का घर हो यही इच्‍छा है क्‍यों.... क्‍योंकि उसे मालूम है कि फिर आने वाली सारी पीढि़या उस छत के नीचे अपना गुजारा कर लेंगी। खुद की छत हो, खुद का घर हो ये हर इंसान की इच्‍छा होती है। मध्‍यम वर्ग का परिवार बड़ी मेहनत करके पैसे बचा-बचा करके सोचे कि चलो रिटायर होने से पहले या बच्‍चे बड़ें होंगे, शादी से पहले एक मकान बनवा दूं। और बढि़या सा स्‍क्रीन, बढि़या सा brochure देख करके, फोटो बड़ी शानदार है, ऐसी टाइल्‍स है, ऐसा मारबल है, ऐसी खिड़की है। ऊपर झूमर लटका हुआ होता है वो भांति-भांति का पढ़कर वो पैसे दे देता है। और पैसे भी गए मकान भी नहीं आ रहा है किराये के मकान पर किराया दे रहा है। बैंक से पैसा लिया है ब्‍याज दे रहा है। मकान मिल नहीं रहा। पांच-पांच, दस-दस साल से ऐसी योजनाएं है कोई 60 प्रतिशत पूरी हुई है कोई 70 प्रतिशत पूरी हुई है, कोई 80 प्रतिशत पूरी हुई है, मकान नहीं मिलता।

हमारे देश में सिर्फ महत्‍वपूर्ण शहरों में साढ़े चार लाख मकान ऐसें हैं जो किसी न किसी परिवार के पैसों से बने हैं, हक है उसका, लेकिन 10-20 प्रतिशत काम अटका हुआ है और पांच-पांच साल से अटका हुआ है। न उसे मकान मिला है न पैसे वापिस मिल रहे हैं, न उसका ब्‍याज कम हो रहा है। न उसका किराया कम हो रहा है। आखिरकर परसों सरकार ने एक योजना बनाई। करीब 25-30 हजार करोड़ रुपया लगाकर के ये साढे चार लाख लोग जिनके परिवार को आज जिंदगी अनिश्चितता में जीनी पड़ रही है। उनके जो मकान तय है उनमें 10-20 प्रतिशत काम है वो काम पूरा करवा दिया जाएगा। मकान... उस मध्‍यम वर्गीय परिवार को वो मकान दे ‍दिया जाएगा। कहने का तात्‍पर्य ये है कि निर्णय वो, नीतिया वो, जो समाज की समस्‍याओं को समाधना करें। उनको संकटों से मुक्ति दिलाए और अगर एक बार उनको जीवन में निश्चितता मिल जाती है तो उसको लगता है मैं भी खुश हुआ। कोई कल्‍पना कर सकता है कि कोई ये हिम्‍मत करे निर्णय करने की 2022 जब आजादी के 75 साल होंगे हिन्‍दुस्‍तान में कोई परिवार ऐसा नहीं होगा जिसका अपना खुद का घर न हो। बहुत बड़ा फैसला लिया है। अरबो-खरबों रुपये लग रहे हैं। करोड़ो-करोड़ो घर बन रहे हैं और गरीब को जब छत मिल जाती है तो उसकी जिंदगी की सोच भी बदल जाती है। फिर उसको लगता है कि अब घर मिला है तो चलो दो चेयर ले आएं पैसे थोड़े बचा लेंगे। खटिया जरा अच्‍छी ले आएं फिर लगता है कि खिड़की पर जरा कोई पर्दा-वर्दा लगा दें फिर लगता है घर में कोई शीशा नहीं है... यानी कुछ बचत करना जिंदगी का बदलाव शुरू हो जाता है और फिर उसको भी मन करता है ..........फिर धीरे-धीरे सोचेगा अब साईकिल नहीं स्‍कूटर लें आएं। इच्‍छाएं जगती है तभी तो प्रगति होती है जी। और फिर सोचेगा कि अब बहुत हो गया चलो इस मकान को बेचते हैं और एक दो कमरे वाला है तो तीन कमरे वाला लेते हैं। मनुष्‍य की प्रगति ऐसे ही होती है। कहीं न कहीं बीज बोना पड़ता है, उसकी जिंदगी को बदल देता है। और आज ये सरकार एक तरफ विकास की नई ऊंचाइयों को पार कर रही है। दूसरी तरफ ऐसे भी बीज बो रहे हैं कि आपके घर में जो आज बच्‍चे हैं वो बड़े होंगे उसके पहले फल खाना शुरू हो जाएगा।

और इसलिए ये जो पीएम-उदय योजना है। मेरा आप सबसे आग्रह है कि आप स्‍वयं जो भी कॉलोनी हो समझदार लोग एक टोली बनाएं,  टोली बनाकर के सारे कामों को आप भी जिम्‍मेवारी लीजिए और सरकार की मदद कीजिए। जितनी तेजी से आप मदद करेंगे आपको फायदा होगा। और मैं आपको बता दूं मेरे काम करने का तरीका कैसा है। कइयों के लिए बड़ा आश्‍चर्य होगा। गुजरात में भूकंप आया 2001 में तो भूकंप के अंदर हजारों घर खत्‍म हो गए थे, हजारों लोग मारे गए थे। स्‍कूलों, अस्‍पताल सब तबाह हो गए थे। अब वहां मुझे मुख्‍यमंत्री के नाते जाना पड़ा, मैंने वहां काम शुरू किया तो लोग शिकायत करने लगे कि मुझे ये नहीं मिला, मुझे वो नहीं मिला। मुझे ठिकना नहीं मिला। अब हजारों की तादाद में शिकायतें आने लगीं। अब सरकार कुछ भी कहे, अफसर कुछ भी कहे। लेकिन उसके मन में रहता है कि मुझे नहीं मिला। मुझे नहीं मिला। और मनुष्‍य के स्‍वभाव में भी रहता है कि मंदिर में जाए, अभी भी भाषण सुना हो कि भई सच बोलो और सच करो। फिर भी प्रसाद लेगा और यूं करके यूं कर लेगा। मनुष्‍य का स्‍वभाव है। मिल जाने के बाद उसका मन करता है कि और ले लूं। और फिर नियम तोड़ने का मन कर जाता है। अब ऐसी स्थिति में क्‍या करेंगे। तो मैंने गुजरात हाई कोर्ट को request की... मैंने कहा कि आप मेरे लिए जज दे दीजिए। और उस जज के एक कोर्ट बिठा दीजिए कच्‍छ में। अब मैंने लोगों से कहा कि आपको जो मिलने के लिए सरकार ने इतनी-इतनी घोषणा की है कि ऐसा है तो 50 हजार मिलेगा ऐसा है तो 1 लाख मिलेगा, ऐसा है तो ये मिलेगा, ऐसा है तो ये मिलेगा, ये लिखत है सब। आपको लगता है कि इसके बाद भी आपको अन्‍याय होता है तो आप अपनी ये चीजें लेकर के उस कोर्ट में चले जाइए। और उस कोर्ट में सरकार का कोई वकील नहीं होगा।

सरकार की तरफ ये कोई Argument नहीं होगा। आप जाइए उस जज के सामने रखिए और जज देखेगा कि भई ये नियम के अंदर आता है और जज जो निर्णय करेगा हम मान लेंगे हम कोई वकालत हम आपके विरुद्ध खड़े ही नहीं होंगे। आप हैरान हो जाएंगे करीब 35 हजार मामले उसी प्रकार से हल हुए। सरकार ने एक Argument नहीं किया। यहां भी मैं चाहूंगा कि आप ऐसा काम कीजिए कि बाद में कोई विवाद न रहे। उदय यानी सच्‍चे अर्थ में उदय शुरू हो जाना चाहिए। ये पीएम उदय योजना यानी दिल्‍ली के एक प्रकार से पूरे जीवन के नए उदय का प्रारंभ है ये। ऐसी ये पीएम उदय योजना है। और इसलिए आप स्‍वंय सक्रिय होकर उन नियमों को पढ़कर के किसके साथ कैसे जुड़ सकते हैं इसकी चिंता कीजिए। इतने बड़े शहर में इतनी बड़ी आबादी और दूसरा आज नहीं तो दो महीने, चार महीने, छ: महीने के बाद अगर कॉलोनी के लोग मिलकर के तय करेंगे कि तो आज जहां रहते हैं वो सारा तोड़ करके बहुत बढि़या उत्‍तम मल्‍टी स्‍टोरी बिल्डिंग बना सकते हैं। आप जहां रहते हैं उससे ज्‍यादा जगह भी मिल सकती है। और बच्‍चों के लिए बाग-बगीचे सब उसी जगह बन सकते हैं। दिल्‍ली एफआईजेड है तो उसके कारण सब बर्बादी है वर्ना ये बहुत अच्‍छा हो सकता था।

मेरा आपसे आग्रह है कि आप उससे जुडि़ए और आपको अपना जीवन तो बदलना है। दिल्‍ली का जीवन भी बदलना है। और इसके लिए आपने मुझे साथ देना है। बाकी इस योजना का विस्‍तार तो काफी कुछ चर्चा हो चुकी है। आप लोग आए। आपकी खुशी में मुझे शरीक होने का मौका दिया इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। मैं विशेष रूप से हमारे जितने लोग चुनकर के आए हैं, उनको भी बधाई देता हूं। क्‍योंकि जी-जान से वो लगे रहे वर्ना थक जाते कि इतने सालों से किसी ने नहीं किया मोदी क्‍या करना वाला है। कोई नहीं आता लेकिन ये आते थे। ये करो, वो करो पीछा करते थे। मैं हरदीप जी और उनकी टीम को भी बधाई देता हूं उन्‍होंने जी-जान से इस काम को पूरा करने के लिए बारीक से बारीक चीजों को संभालने का काम किया है। जैसे ही Parliament शुरू होगी, कानून पारित हो जाएगा। कानून पारित होते ही ये आपके यहां लागू कर दिया जाएगा। तो मैं फिर एक बार आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और अब आप अपने परिवार को सही रास्‍ते पर बच्‍चों का विकास हो, पढ़ाई-लिखाई और जिंदगी मौज से जीये यही मेरी शुभकामना है।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद

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Under Rozgar Mela, PM to distribute more than 71,000 appointment letters to newly appointed recruits
December 22, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will distribute more than 71,000 appointment letters to newly appointed recruits on 23rd December at around 10:30 AM through video conferencing. He will also address the gathering on the occasion.

Rozgar Mela is a step towards fulfilment of the commitment of the Prime Minister to accord highest priority to employment generation. It will provide meaningful opportunities to the youth for their participation in nation building and self empowerment.

Rozgar Mela will be held at 45 locations across the country. The recruitments are taking place for various Ministries and Departments of the Central Government. The new recruits, selected from across the country will be joining various Ministries/Departments including Ministry of Home Affairs, Department of Posts, Department of Higher Education, Ministry of Health and Family Welfare, Department of Financial Services, among others.