प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय पुलिस स्मारक और नवनिर्मित पुलिस संग्रहालय का उद्घाटन किया
ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे राष्ट्र सेवा और समर्पण की अमर गाथा के प्रतीक,राष्ट्रीय पुलिस मेमोरियल को देश को समर्पित करने का अवसर मिला है: पीएम मोदी
पिछले कुछ सालों में हमने देखा है कि प्राकृतिक आपदा आने पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ लिखे जवान मदद करते नजर आते हैं, ये मेरे खाकी वर्दी वाले जवान हैं: प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर एक पुरस्‍कार की घोषणा की
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर पुरस्‍कार आपदा राहत श्रमिकों को नेता जी की जयंती पर 23 जनवरी को प्रदान किया जाएगा

हमारे देश के पूर्व उप-प्रधानमंत्री आदरणीय लाल कृष्‍ण आडवाणी जी, देश के गृहमंत्री माननीय श्री राजनाथ सिंह जी, मंत्रिमंडल के मेरे अन्‍य सहयोगीगण, संसद के मेरे साथी पुलिस बल के सम्‍मानित अधिकारीगण Hot Spring Incident के गवाह रहे वीर सपूत, यहां उपस्थित शहीदों के परिवारजन अन्‍य महानुभव और मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनों... हम सभी के जीवन में कुछ क्षण ऐसे आते हैं जब आपको शौर्य को नमन करना होता है। हम गर्व से भरे होते हैं। लेकिन साथ ही अपने भीतर संवेदना का एक ज्‍वार भी महसूस करते हैं। मेरे लिए ये क्षण ऐसा ही है।

देश की सुरक्षा में समर्पित प्रत्‍येक व्‍यक्ति को, यहां उपस्थित शहीदों के परिवारों को मैं पुलिस स्‍मृति दिवस पर आदरपूर्वक नमन करता हूं। आज का ये दिन आप सभी की सेवा के साथ-साथ आपके शौर्य और उच्‍च सर्वोच्‍च बलिदान को याद करने का है जो हमारी पुलिस और Paramilitary फोर्स की परिपाटी रही है।

पुलिस स्‍मृति दिवस उन साहसी पुलिस वीरों की गाथा का भी स्‍मरण है जिन्‍होंने लद्दाख की बर्फीली चोटियों में प्रथम रक्षा मंत्री का कार्य किया, अपना जीवन देश के लिए समर्पित किया। आज पुलिस बेड़े से जुड़े उन हजारों शहीदों को याद करने का भी अवसर है जिन्‍होंने आजादी से लेकर अब तक कर्तव्‍य पथ पर चलते हुए अपना सर्वस्‍व, अपनी जवानी, अपना जीवन न्योछावर कर दिया। ऐसे हर वीर वीरांगना को मैं शत-शत नमन करता हूं। हर शहीद के परिवार जिसमें से अनेक लोग यहां भी मौजूद है। मैं आप सभी के सामने भी नत-मस्‍तक हूं। जिन्‍होंने अपने देश के लिए इतना बड़ा त्‍याग किया है।

साथियों, ये मेरा सौभाग्‍य है कि मुझे राष्‍ट्र सेवा और समर्पण के अमर गाथा के प्रति राष्‍ट्रीय पुलिस मेमोरियल को, देश को समर्पित करने का अवसर मिला है। इस मेमोरियल में बना central structure हर पुलिस के सामर्थ्‍य, शौर्य और सेवा का, भाव का प्रतीक है।

शिला के नीचे का जल प्रवाह हमारे समाज में निरंतर बहती सदभावना का प्रतीक है। The Wall of Valour पर उन 34 हजार 844 पुलिस कर्मियों के नाम है। जिन्‍होंने देश के अलग-अलग राज्‍यों में, अलग-अलग चुनौतियों से निपटते हुए अपना सर्वोच्‍चय बलिदान दिया। मुझे विश्‍वास है कि इस मेमोरियल के नवनिर्मित्र म्‍यूजिम में रखी एक-एक वस्‍तु, एक-एक स्‍मृति यहां आने वाले हर देशवासी को, हमारे युवा साथियों को, हमारे देश के भविष्‍य, हमारे बच्‍चों को, अपनी पुलिस और Paramilitary व्‍यवस्‍था गौरवशाली इतिहास के बारे में प्रेरणा देगी। जिस प्रकार आप सभी अपने कर्तव्‍य के पथ पर दिन-रात, बिना रुके, बिना थूके अटल रहते हैं। हर मौसम में, गर्मी में, सर्दी में, बारिश में, बर्फ में हर समय, हर त्‍यौहार पर सेवा के लिए तैनात रहते हैं। कुछ यही भावना इस मेमोरियल को देखने भर से ही अपने भीतर झलकती है।

साथियों, ये आप सभी की सदस्‍यता का ही प्रमाण है कि देश को अशांत करने वाले तत्‍वों को निराशा हाथ लगती है। देश में डर और असुरक्षा का माहौल पैदा करने की अनेक साजिशों को आपने नाकाम किया है। ऐसी साजिशें जिनकी जानकारी भी बाहर नहीं आ पाती है। ऐसी दिलेरी जिस पर सार्व‍जनिक तौर पर कभी आपको प्रशंसा नहीं मिलती। शांति से गुजरने वाला देश का प्रत्‍येक पल, देशवासियों का प्रत्‍येक पल आपके इसी कर्तव्‍य भाव, सेवा भाव से ही संभव है।

साथियों, आज का दिन जम्‍मू-कश्‍मीर में शांति और व्‍यवस्‍था कायम करने के लिए आतंक से निपटने वाले हर जवान को याद करने का भी है। देश के नक्‍सल प्रभावित जिलों में जो जवान अभी ड्यूटी पर तैनात है। उनसे भी अभी हमें यही कहूंगा कि आप बेहतरीन काम कर रहें है। और शांति स्‍थापना की दिशा में आप तेजी से आगे बढ़ रहे है।

अगर आज नक्‍सल प्रभावित जिलों की संख्‍या कम हो रही है। उन इलाकों के ज्‍यादा नौजवान मुख्‍यधारा से जुड़ रहे हैं। तो इसमें आपके प्रयासों की भी बहुत बड़ी भूमिका है। North East में डटे हमारे साथियों का शौर्य और बलिदान भी अब शांति के रूप में हम अनुभव कर रहे हैं। शांति और समृद्धि का प्रतीक बन रहे हमारे उत्‍तर पूर्व के विकास में आपका भी योगदान है।

साथियों, आज का ये दिन देश में आपदा प्रबंधन में जुटे किसी प्राकृतिक संकट के समय या हादसे के समय राहत के काम में जुटने वाले उन जवानों को भी याद करने का है जिनकी सेवा की बहुत चर्चा नहीं की जाती है।

मैं आज देशवासियों को ये कहना चाहता हूं... पिछले कुछ वर्षों से कहीं पर भी प्राकृतिक आपदा होती है तो आपने देखा होगा एनडीआरएफ लिखे हुए या एसडीआरएफ लिखे हुए जवानों को यूनिफार्म में रात-दिन वहां कड़ी मेहनत करके लोगों की जान बचाते हुए आपने देखा होगा। लेकिन देश को पता नहीं है ये वही खाकी वर्दी वाले मेरे पुलिस के जवान हैं। देश..... उनके साहस को, उनके समर्पण को, उनकी सेवा को कभी न भूले। बहुतो को ये पता तक नहीं होता कि कोई इमारत गिरने पर, नाव हादसा होने पर, आग लगने पर, रेल के अंदर हादसे होने पर, राहत के काम की कमांड संभालने वाले लोग कौन हैं।

देश के हर राज्‍य में, हर पुलिस स्‍टेशन, हर पुलिस चौकी में तैनात, राष्‍ट्र की हर संपदा की सुरक्षा में जुटे साथियों को, राहत के काम में जुटे साथियों को, आप सभी को मैं आज इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर स्‍मृति दिवस पर अंतकरणपूर्वक बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों, ये स्‍मारक सेवा और शौर्य तो है ही साथ में ये सरकार की प्रतिबद्धता भी दर्शाता है। जिसका आधार राष्‍ट्र का प्रतीक सुरक्षा और राष्‍ट्र निर्माण से जुड़े हर भारतीय का सम्‍मान है। आज मुझे राष्‍ट्रीय पुलिस मेमोरियल पर गर्व है लेकिन कुछ सवाल भी है आखिरी इस मेमोरियल का अस्तित्‍व मानने में आजादी के 70 वर्ष क्‍यों लग गए। जिस Hot Spring Incident के बाद पुलिस स्‍मृति दिवस मनाया जाता है वो भी तो 60 वर्ष पहले की घटना है। फिर इतने वर्ष इंतजार क्‍यों।

साथियों, देश के पुलिस बल को समर्पित ऐसे मेमोरियल का विचार 25-26 वर्ष पहले कौं कोंधI था। तब भी सरकार ने इसको मंजूरी भी दे दी थी। लेकिन इसको जमीन पर उतारने के लिए पहला कदम अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार ने उठाया था और 2002 में तत्‍कालीन गृहमंत्री आदरणीय आडवाणी जी ने इसका शिलान्‍यास भी किया था। आज आडवाणी जी यहां स्‍वयं उपस्थित हैं अपने उस सपने को साकार होते हुए देखने के लिए वो गौरवान्वित होते हैं वो भली-भांति जानते हैं कि उनके द्वारा शिलान्‍यास के बाद किसी तरह इस मेमोरियल का काम आगे नहीं बढ़ पाया।

मैं मानता हूं कि कानूनों की वजह से कुछ वर्ष काम रूका लेकिन पहले की सरकार की इच्‍छा होती, उसने दिल से प्रयास किया होता तो ये मेमोरियल कई वर्ष पहले बन गया होता। लेकिन पहले की सरकार ने आडवाणी जी द्वारा स्‍थापित पत्‍थर पर धूल जमने दी।

2014 में जब फिर एनडीए की सरकार बनी तो हमने बजट आवंटन किया और आज ये भव्‍य स्‍मारक देश को समर्पित की जा रही है। शायद अच्‍छे काम करने के लिए ईश्‍वर ने मुझे ही चुना है, मुझे ही पसंद किया है। ये हमारी सरकार के काम करने का तरीका है आज समय पर लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने की कार्य संस्‍कृति विकसित की गई है।

आपको याद होगा यहीं दिल्‍ली में पिछले साल अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर का लोकार्पण किया गया है। इस सेंटर पर चर्चा भी 1992 के आस-पास शुरू हुई थी। लेकिन दो दशक तक इसकी भी फाइल दबी रही। इस सरकार के आने के बाद फाइल खोजी गई। सेंटर का शिलान्‍यास हुआ और लोकार्पण भी हो गया। ऐसे ही बाबा साहेब आंबेडकर के घर 26, अलीपुर रोड पर नेशनल मेमोरियल बनाने का काम अटल जी के समय शुरू हुआ था। उनकी सरकार के जाने के बाद इस प्रोजेक्‍ट पर भी काम रूक गया है। हमारी सरकार आने के बाद शिलान्‍यास हुआ और इसी साल अप्रैल में उसका भी लोकार्पण करने का सौभाग्‍य मिला। मुझे खुशी है कि आज ये भव्‍य स्‍मारक दुनिया को प्रेरित कर रहा है।

साथियों, कभी-कभी तो बड़ा गंभीर सवाल मेरे मन में उठता है। कि देश के लिए अपना सर्वस्‍व समर्पित करने वालों, वीरता और बलिदान देने वालों के प्रति पहले की सरकार की इतनी बेरूखी का कारण क्‍या है। ये तो हमारी परंपरा, हमारी संस्‍कृति का हिस्‍सा कभी नहीं रहा। हम तो वो लोग है जिन्‍होंने भूखे रहते हुए भी राष्‍ट्र की आन-बान-शान के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया।

मुझे गर्व है कि बीते चार वर्षों से हम फिर उस परंपरा को स्‍थापित करने में सफल हुए हैं। जहां हर उस व्‍यक्ति का सम्‍मान सुनिश्चित हुआ है जिसने राष्‍ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया है और राष्‍ट्र निर्माण का प्रहरी है।

आज राष्‍ट्रीय पुलिस मेमोरियल का लोकार्पण इसी परंपर को उसी परंपरा के एक कड़ी के रूप में है। आज से ठीक 10वें दिन 31 अक्‍टूबर को मुझे गुजरात के केवडि़या में सरदार वल्‍लभ भाई पटेल जी की एक गगनचुंबी प्रतिमा का अनावरण करने का सौभाग्‍य मिलेगा। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा सरदार साहब के देश के प्रति किए गए योगदान का ये प्रतिबिंब होगी।

साथियों, मेरा मानना है कि ये स्‍मारक सिर्फ घूमने-फिरने की स्‍थान भर न रहे बल्कि ऐसी एक व्‍यवस्‍था के तौर पर विकसित हो जहां से नई पीढ़ी को, हमारी परंपरा देश के गौरव का ज्ञान मिले। पुलिस के पराक्रमों की जानकारी मिले। मेरा तो सुझाव होगा कि देश के लिए त्‍याग और तप करने वाले हमारे हर शहीद की प्रतिमाएं उस स्‍कूलों में भी लगे जहां वो पढ़़े थे। उन गांवों में भी लगे जहां के वो रहने वाले थे। जब हमारे विद्यार्थी हमारे महावीरों की प्रतिमाओं को देखेंगे तो एक नई प्रेरणा उन्‍हें प्राप्‍त होगी।

साथियों, हमें वो वातावरण तैयार करना चाहिए कि जब भी पुलिस का Paramilitary फोर्स का सेना का जवान कहीं से गुजरे तो सहज ही सम्‍मान का भाव जाग जाए। ये पुलिस मेमोरियल शहीदों की प्रतिमाएं, उनकी गाथाएं हमें इसी दिशा की ओर ले जा रही है। आज इस अवसर पर मैं आपके बीच एक महत्‍वपूर्ण और ऐतिहासिक ऐलान भी करना चाहता हूं।

साथियों, देश में विपदा की स्थिति में, किसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में सबसे पहले हमारी पुलिस और Paramilitary के जवान ही पहूंचते हैं। इनके बिना National Disaster Response Force (NDRF) की कल्‍पना भी नहीं की जा सकती। संकट के समय ये दूसरो का जीवन बचाने के लिए अपने जीवन को दाव पर लगा देते हैं। लेकिन ये भी सच है कि उन विकट परिस्थितियों में अक्‍सर इस बात पर ध्‍यान ही नहीं जाता। स्थितियां समान्‍य होने के बाद तो अपने-अपने स्‍थानों, अपनी-अपनी बटालियन में वो वापिस लौट चले जाते हैं। आपदा प्रबंधन में दूसरों का जीवन बचाने वाले ऐसे पराक्रमी सेवावर्ती वीरों के लिए आज मैं एक सम्‍मान का ऐलान कर रहा हूं। ये सम्‍मान भारत माता के वीर सपूत नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी के नाम पर प्रतिवर्ष 23 जनवरी उनकी जन्‍मतिथि पर घोषित किया जाएगा। असंभव को संभव बना देने वाले, अंग्रेंजो को भारत छोड़ने के लिए मजबूर करने में बड़ी भूमिका निभाने वाले हमारे सुभाष बाबू का नाम इस सम्‍मान का और गौरव बढ़ाएगा। हम सभी के लिए ये भी गौरव की बात है कि आज ही उनके द्वारा स्‍थापित आजाद हिंद सरकार के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं।

भाईयो और बहनों शौर्य, पराक्रम और बलिदान की वैभवशाली परंपरा शानदार अतीत के साथ ही वर्तमान और भविष्‍य की चुनौतियों पर भी आपका ध्‍यान दिलाना चाहता हूं।

आज तकनीक ने जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। जाहिर है इसका असर क्राइम के तौर-तरीकों पर भी पड़ रहा है। अपराधी टेक्‍नोलॉजी को हथियार बना रहे हैं। अफवाह और साइबर क्राइम एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है। ऐसे में दूसरी एंजेंसियों के साथ बेहतर तालमेल के अलावा पुलिस तंत्र को टेक्‍नोलॉजी और इनोवेशन का समावेश अपने काम-काज में अधिक करना पड़ रहा है।

साथियों, इस दिशा में देश भर में अनेक सार्थक प्रयास भी हो रहे हैं। देश के अनेक राज्‍यों में सोशल मीडिया पर या फिर ऑनलाइन एफआईआर जैसी सुविधा पुलिस दे रही है। Traffic संबंधी शिकायतें भी सोशल मीडिया के माध्‍यम से हैंडिल हो रही है। ये सराहनीय कदम है। इनको हमें उस स्‍तर पर ले जाना है। कि सामान्‍य शिकायतों के लिए छोटी-छोटी वेरिफिकेशन के लिए किसी को थाने तक आने की नौबत न पड़ें।

साथियों, आप सभी को ये भी जानकारी है कि पिछले वर्ष ही पुलिस सुधार की तरफ सरकार ने बड़ी पहल की थी। एमपीएफ यानी Modernization of police force scheme के तहत करीब 45 हजार करोड़ रुपये 2019-20 तक Police infrastructure technology or training पर खर्च किए जा रहे हैं। इस योजना से आधुनिक हथियार पुलिस की मूवमेंट तेजी से हो, इसके लिए जरूरी सामान और टेक्‍नोलॉजी कम्‍यूनिकेशन, सिस्‍टम का आधुनिकीकरण ऐसे अनेक कार्य किए जा रहे हैं। इसके अलावा पुलिस स्‍टेशन को इंटिग्रेट कर नेशनल डेटाबेस ऑफ क्राइम एंड क्रिमिनल रिकॉर्डस बनाने की योजना पर भी काम चल रहा है। इस डेटाबेस को न्‍याय प्रणाली के दूसरे संस्‍थानों जैसे forensic lab हो या फिर न्‍यायलय हो... इनके साथ जोड़ने का भी प्रयास किया जा रहा है।

सरकार का प्रयास है कि हमारी कानून व्‍यवस्‍था और ट्रेफिक की व्‍यवस्‍था बेहतर करने के लिए स्‍मार्ट टेक्‍नोलॉजी हर राज्‍य, हर शहर तक पहुंचे। लेकिन टेक्‍नोलॉजी मानवीय संवेदनाओं की भरपाई कभी नहीं कर सकती। यही कारण है की पुलिस फोर्स की हर सदस्‍य की भूमिका बहुत महत्‍वपूर्ण है। आप समाज के सबसे कमजोर दबे, पीडि़त, कुचले, शोषित का सबसे पहला डिफेंस है। पहले दोस्‍त है जिसको मुश्किल परिस्थितियों में सबसे पहले आपको याद किया जाता है। लिहाजा, आपकी भूमिका कानून-कायदे को स्‍थापित करने की तो है, संवेदना के साथ लोगों का दुख समझना, उनके आंसु पोछने की भी है। थाने में पहुंचे हर पीडि़त, शोषित को एक गिलास ठंडा पानी पिलाने से, दो बोल प्‍यार से बोलने से पुलिस और समाज का ये बंधन और मजबूत हो जाएगा। जब ये बंधन मजबूत होगा तो सहयोग और जनभागीदारी की व्‍यवस्‍था भी और मजबूत होगी।

इससे अपराध कम करने में आप सभी को समाज की तरफ से बहुत बड़ी मदद मिलेगी। और ये मेरा पक्‍का विश्‍वास है। अंत में एक बार फिर पुलिस स्‍मृति दिवस पर इस आधुनिक राष्‍ट्रीय पुलिस मेमोरियल के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं राज्‍य के सभी मुख्‍यमंत्रियों से भी आग्रह करूंगा कि वे भी एक विशेष कार्यक्रम बनाकर के यहां आए, इन पुलिस कमिर्यों को श्रद्धांजलि दें। और अपने राज्‍य के जो लोगों की सूचि हैं। उनका भी विशेष रूप से सम्‍मान करें। जरूर यहां आएं, अधिकारियों के साथ मिलकर के वो अपनी योजना बनाएं। आपकी सेवा और समर्पण को नमन करते हुए, मैं मेरे इन पुलिस परिवारों को आने वाले त्‍यौहारों की बहुत-बहुत शुभकानाओं के साथ मैं अपनी बात समाप्‍त करता हूं और आप सबका ..... बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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PM Modi meets the Amir of Kuwait
December 22, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi met today with the Amir of Kuwait, His Highness Sheikh Meshal Al-Ahmad Al-Jaber Al-Sabah. This was the first meeting between the two leaders. On arrival at the Bayan Palace, he was given a ceremonial welcome and received by His Highness Ahmad Al-Abdullah Al-Ahmad Al-Sabah, Prime Minister of the State of Kuwait.

The leaders recalled the strong historical and friendly ties between the two countries and re-affirmed their full commitment to further expanding and deepening bilateral cooperation. In this context, they agreed to elevate the bilateral relationship to a ‘Strategic Partnership’.

Prime Minister thanked His Highness the Amir for ensuring the well-being of over one million strong Indian community in Kuwait. His Highness the Amir expressed appreciation for the contribution of the large and vibrant Indian community in Kuwait’s development.

Prime Minister appreciated the new initiatives being undertaken by Kuwait to fulfill its Vision 2035 and congratulated His Highness the Amir for successful holding of the GCC Summit earlier this month. Prime Minister also expressed his gratitude for inviting him yesterday as a ‘Guest of Honour’ at the opening ceremony of the Arabian Gulf Cup. His Highness the Amir reciprocated Prime Minister’s sentiments and expressed appreciation for India's role as a valued partner in Kuwait and the Gulf region. His Highness the Amir looked forward to greater role and contribution of India towards realisation of Kuwait Vision 2035.

 Prime Minister invited His Highness the Amir to visit India.