राज्य सरकार और केंद्र सरकार झारखंड के विकास के लिए मिलकर काम कर रही है: प्रधानमंत्री मोदी
केंद्र सरकार महत्वपूर्ण संसाधन दलितों और जनजातीय समुदायों के सशक्तिकरण के लिए समर्पित कर रही है: पीएम मोदी
एम्स के आने से झारखंड में स्वास्थ क्षेत्र में बदलाव आएगा, गरीबों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल मिलेगी: प्रधानमंत्री
यह हमारी सरकार है जिसने विमानन सुलभ और किफायती बनाया, हम चाहते हैं कि अधिक भारतीय हवाई सेवा का लाभ लें, बेहतर कनेक्टिविटी से पर्यटन में सुधार आएगा: पीएम मोदी

मंच पर विराजमान झांरखंड के राज्‍यपाल श्रीमती द्रोपदी मुर्मू जी, यहां के लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री श्रीमान रघुबर दास जी, केंद्र में मंत्रीपरिषद के मेरे साथी श्रीमान आर.के.सिंह जी, अश्विनी जी, सुदर्शन भगत जी, झांरखंड सरकार में मंत्री श्री अमरकुमार जी, रामचंद्र जी, हमारे सांसद श्रीमान प्रेम सिंह जी, विधायक भाई फूलचंद जी और विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनों

मैं सबसे पहले भगवान बिरसा मुंडा की इस वीरधरा को नमन करता हूं। ये धरती त्‍याग और बलिदान की धरती है। ये जयपाल सिंह श्री मुंडा जी के संघर्ष की भूमि है। और ये अटल बिहारी वाजपेयी जी के सपनों की भी भूमि है। यहां का खनिज भंडार कोयले की खानें, देश के विकास के इंजन के रूप में एक ऊर्जा देने का काम कर रही हैं।

मुझे बताया गया कि आप लोग दो-दो तीन-तीन घंटे से आकर के यहां बैठे हैं। इतनी बड़ी मात्रा में आकर के गर्मजोशी से आकर के हमारा स्‍वागत किया। आपने आर्शीवाद दिए। आपके इस प्‍यार के लिए, मैं आपके इस आर्शीवाद के लिए आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। जब चुनाव के समय मैं झारखंड में आया था। तो मैं झारखंड के लिए कहा करता था। कि झारखंड के विकास के लिए डबल इंजन की जरूरत है। एक रांची वाला और दूसरा दिल्‍ली वाला और आपने चार साल में देख लिया। जब दोनों सरकारें मिलकर के एक ही दिशा में सबका साथ सबका विकास ये मंत्र लेकर के चलती है। लक्ष्‍य निर्धारित करती है। और लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ती है। तो विकास के कैसे परिणाम प्राप्‍त होते हैं। वो झारखंड की जनता ने भलीभांति अनुभव किया है।

मुझे विश्‍वास है जब हम सार्वजनिक जीवन में काम करते हैं। हमारा रास्‍ता सही है कि नहीं है। हमारा इरादा नेक है कि नहीं है। हम लोगों की भलाई के लिए काम कर रहे हैं कि नहीं कर रहे हैं। इसका मानदंड एक ही होता है लोकतंत्र में और वो होता है जनसर्मथक का, मैं झारखंड सरकार को मुख्‍यमंत्री रघुबर दास जी को और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं। कि पिछले दिनों जब यहां स्‍थानीय निकायों के चुनाव हुए, पंचायतों के चुनाव हुए और झारखंड की जनता ने जो भारी जनसमर्थन दिया वो झारखंड सरकार के और दिल्‍ली सरकार केकार्यों के प्रति जनसामान्‍य का भाव क्‍या है। उसे प्रकट करता है।

भाईयो बहनों, मैं जब यहां 2014 में चुनाव में आया था। तब मैंने कहा था कि झारखंड मुझे जो प्‍यार दे रहा है। मैं ब्‍याज समेत लौटाऊंगा। और विकास करके लौटाऊंगा। और आज जब एक के बाद एक हमने जो कदम उठाए हैं। उससे ये साफ नजर आ रहा है। कि दिल्‍ली में बैठी हुई सरकार झारखंड के विकास के लिए कितनी प्रतिबद्ध है। दलित हो, पीडि़त हो, शोषित हो, वंचित हो। मेरे आदिवासी भाई-बहनों, महिलाएं हो, युवा होंहर किसी के कल्‍याण के लिए एक के बाद एक विस्‍तृत योजनाओं के साथ हम आगे बढ़ते चले जा रहे हैं।

आज करीब-करीब 27 हजार करोड़ रुपए ये राज्‍य सरकारों के बजट से भी बहुत बड़ा amount है। 27 हजार करोड़ रुपए के 5 बड़े project इसका झारखंड की धरती पर शिलान्‍यास हो रहा है। सिंदरी में हाथ का कारखाना, पत्रातु का power project, बाबा भोलेनाथ की नगरी, देवघर में airport और एम्‍स और रांची में पाइप लाइन से गैस पहुंचाने का project एक साथ 27 हजार करोड़ रुपए का काम आज झारखंड की धरती पर शिलान्‍यास हो रहा है। करीब-करीब 80 हजार करोड़ रुपए के और काम जो निर्धारित है। 50 से अधिक काम चल रहे हैं। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि झारखंड देश के अन्‍य राज्‍यों की तुलना में कितना आगे पहुंच जाएगा।

मैं हमेशा कहता रहा हूं। कि झारखंड की जनता हीरे पर बैठी हुई है। Diamond पर बैठी हुई है। काला हीरा black diamond ये हमारा कोयलावो भले काले रंग में रंगा हो लेकिन उजाला फैलाने की उसकी ताकत है। रोशनी पैदा करने की ताकत है। ऊर्जा से भर देने की ताकत है। और उसी को ध्‍यान में रखते हुए 18 हजार करोड़ रुपयों से अधिक की लागत से यहां पर पत्रातु में आज power project का शिलान्‍यास किया गया है। यहीं का कोयला, यहीं का पावर ये झारखंड कह आर्थिक ताकत तो बनेगा ही, ये झारखंड के नौजवानों को रोजगार भी देगा। और विकास के नए द्वार खोलने का काम आज ये पत्रातु का power plant से शुरू हो रहा है। कोयला खाद्दानों से जो विस्‍थपित हुए, उनके परिवारजनों को रोजगार मिले। उन परिवारजनों की चिंता की जाए।

मुझे खुशी है कि आज कुछ नौजवानों को मुझे उनके रोजगार के पत्र देने का भी अवसर मिला है। और आने वाले दिनों में हजारों नौजवानों के लिए ये रोजगार के अवसर इससे उपलब्‍ध होने वाले हैं।

हमारा सपना था कि हिंदुस्‍तान के हर गांव में बिजली पहुंचाने का। 2014 में जब मैंने कार्यभार संभाला, इस देश के 18 हजार गांव ऐसे थे जहां पर सदियों बीत गए, जिंदगी अंधेरे के बाहर नहीं निकल पाई थी। बिजली देखी नहीं थी। बिजली का खंभा नहीं देखा था। बिजली का तार नहीं आया था। बिजली का लट्टू नहीं देखा था। इन हजारों गांव को रोशनी देने का काम हमने बीड़ा उठाया। ये दुर्गम जगहें थी, उपेक्षित जगहें थी। वोटबैंक की राजनीति में डूबे हुए लोगों को उपेक्षित लोगों की परवाह नहीं होती है वो अपने सिर्फ वोट बैंक की ही चिंता करने के आदी होते हैं। हम सबका साथ, सबका विकास का मंत्र लेकर चलने वाले लोग हैं। और इसलिए 18 हजार गांव में बिजली पहुंचनी चाहिए। कितना ही दुर्गम क्‍यों न हो पहाड़ की चोटियों पर क्‍यों न हो, घने जंगलों में क्‍यों न हो। कार पहुंचाने के लिए हजारोंलाखों रूपया खर्च क्‍यों न लग जाए। लेकिन एक बार देश में हर गांव को बिजली पहुंचाना है।

और मुझे खुशी है कि तय सीमा समय के पहले 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचा देनी है। इस देश में पहले कभी किसी को पहले फुर्सत नहीं थी। कि जाकर के पूछे कि आजादी के 50-60 साल बाद भी कितने गांव है जहां बिजली नहीं पहुंची है। लेकिन एक बार हमने बीड़ा उठाया तो आज लोग गांव-गांव जाकर के देख रहे हैं कि मोदी सही बोल रहा है कि गलत बोल रहा है। मैं इसे अच्‍छा मानता हूं जिन 18 हजार गांव को किसी को देखने की पहले फुर्सत नहीं थी। आज लोगों को कहने वाले करके उन गांव की धूल चाटने के लिए जाना पड़ रहा है। इससे बढ़कर खुशी की नौबत और क्‍या हो सकती है। और उससे सरकारी बाबू भी चौकन्‍ने रहते हैं उनको भी लगता है कि बोला है तो पूरा करके ही दिखाना पड़ेगा और उसी के कारण काम होता है। दबाव पैदा होता है। जब घोषणा करके काम करते हैं तो दबाव पैदा होता है। जब हम 18 हजार गांव की बात करते थे तो कुछ लोग देश को गुमराह करने के लिए बोल रहे थे। लेकिन गांव में खंभा लग गया, तार लग गया। 5-25 घरों में बिजली पहुंच गई। ये कोई काम हुआ है क्‍या? उनका ये सवाल भी बड़ा महत्‍वपूर्ण है।

ऐसे सवाल करने वालों को पता होना चाहिए कि आजादी के 70 साल के बाद इस देश में 20 प्रतिशत से ज्‍यादा घर ऐसे है, करीब 4 करोड़ घर ऐसे है जहां आजादी के 70 साल के बाद भी न बिजली का तार पहुंचा है न बिजली का लट्टू लगा है। न उन परिवारों ने कभी रोशनी देखी है। लेकिन ये मोदी ने आकर के किसी के घर में बिजली थी, और काट दी ऐसा नहीं है। ये उन्‍हीं लोगों का पाप था कि जिसके कारण 60 साल तक इन लोगों को अंधेरें की जिंदगी गुजारनी पड़ी। हमनें तो जिम्‍मेवारी उठाई है। कि हम आने वाले निर्धारित समय में जैसे 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाने का काम पूरा किया। सौभाग्‍य योजना से चार करोड़ घरों में भी बिजली पहुंचा करके ही दम लेंगे। ये हमने बीड़ा उठाया है।

जो लोग सुबह-शाम अमीरों को याद किए बिना सो नहीं पाते हैं, जिन लोगों को अमीरों को गाली देकर के अपनी गरीबों की भक्ति दिखाने का शौंक लगता है। फैशन हो गई है। वो दिन-रात कहते हैं कि मोदी अमीरों के लिए काम करता है। जिन 18 हजार गांवों में बिजलीपहुंची वहां कौन अमीर रहता है, मैं जरा ऐसे लोगों को पूछना चाहता हूं। जिन चार करोड़ घरों में आज भी अंधेरा है। जहां मोदी बिजली पहुंचाने के लिए दिन-रात लगा है। उन चार करोड़ घरों में कौन अमीर मां-बाप या बेटा रहता है। मैं जरा इन नामदारों से पूछना चाहता हूं।जो कामदारों की पीड़ा नहीं जानते और इसलिए भाईयो और बहनों मैं कहना चाहता हूं।

हम समाज के आखिर इंसान दलित हो, पीडि़त हो, शोषित हो, वंचित हो उसे हम विकास की यात्रा में जोड़ना चाहते हैं। झारखंड में भी इन चार करोड़ परिवारों में 32 लाख परिवार झारखंड में है। और मुझे खुशी है कि मुख्‍यमंत्री जी ने भी भारत सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर के समय सीमा इन 32 लाख घरों में भी बिजली पहुंचाने का बीड़ा उठाया है और सफल हो के रहेगा। ये मेरा विश्‍वास है।

भाईयो बहनों, आज मुझे सिंदरी में यूरिया का कारखाना फिर से आरंभ करने का अवसर मिल रहा है। करीब 16 साल, ये कारखाना बंद रहा। लेकिन ये वो कारखाना है भारतीय जनसंघीय संस्‍था पर डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी जब केंद्र सरकार में मंत्री हुआ करते थे। उन्‍होंने इस सिंदरी के यूरिया के कारखाने का शिलान्‍यास किया था। बाद में वो बंद हो गया। और मैंने 2014 के चुनाव में आपको कहा था कि झारखंड का, ये सिंदरी का हो कारखाना हम उसको चालू करेगे।

भाईयो बहनों, समय के साथ टेक्‍नोलॉजी बदलनी चाहिए। वो बदली नहीं हमने गैस के आधार पर काम करने की दिशा में कदम उठाए और आने वाले कुछ समय में ये कारखाना भी चालू हो जाएगा। पूर्वी उत्‍तरप्रदेश में गोरखपुर में भी ऐसा ही एक कारखाना शुरू हो जाएगा।

भाईयो बहनों, सिंदरी और धनबाद एक प्रकार से एंकर सिटी के ध्रुव की तरह बंट सकते हैं। प्रगति की भारी संभावनाएं उसमें पड़ी हुई है। भाईयो बहनों, ये यूरिया का कारखानें जिनको आसानी से गैस मिलेगा। बिहार का बरौनी हो, पूर्वी उत्‍तरप्रदेश का गोरखपुर होया झारखंड का सिंदरी हो। यूरिया के ये तीनों कारखानें शुरू होंगे तो पूर्वी भारत में दूर-दूर से जो यूरिया transport करके लाना पड़ता है। वो खर्चा कम हो जाएगा। यहां के नौजवानों को रोजगार मिलेगा। और यूरिया प्राप्‍त होने के आसानी से होने के कारण देश की दूसरी कृषि क्रांति जो पूर्वी भारत में होने वाली है। उसमें बहुत बड़ा सहायक होने वाला है और उस काम को भी हम आगे बढ़ाना चाहते हैं।

हमनें नीमकोटी यूरिया का काम शुरू किया। पहले किसानों के नाम पर सब्सिडी जाती थी। यूरिया खेत में नहीं पहुंचता था। अमीरों के कारखानों में पहुंच जाता था। और जो नामदार अमीरों की सेवा में 70 साल सरकारें चलाई हैं उन्‍होंने कभी सोचा नहीं कि यूरिया चोरी होकर के केमिकल के कारखानों में चला जाता है। सरकारी खजानें से हजारों करोड़ रुपये की सब्सिडी चली जाती है ये यूरिया रोकने का रास्‍ता खोजना चाहिए। हमनें आकर के शत-प्रतिशत यूरिया का नीम कोटिंग कर दिया। नीम की जो फली होती है उसके तेल लगाने से यूरिया चोरी नहीं हो सकता, यूरिया किसी कारखानें में काम नहीं आ सकता। यूरिया सिर्फ और सिर्फ खेती के ही काम आ सकता है। और उसके कारण चोरी बंद हो गई।

अमीरों के लिए जीने-मरने वाले लोग, अब ये चोरी बंद हो गई उसके कारण परेशान हैं, लेकिन मेरा किसान उसके हक के यूरिया के लिए अब उसको कतार में खड़ा रहना नहीं पड़ता है। ब्‍लैक में यूरिया लाना नहीं पड़ता है। युरिया पाने के लिए कभी पोलिस की लाठियां खानी पड़ती थी। उससे वो बच गया है। आज दो साल हो गए। हिन्‍दुस्‍तान में यूरिया नहीं है। ऐसी एक आवाज नहीं उठी है। क्‍योंकि चोरी बंद हमने कर दी है।

भाईयो बहनों, मैं भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ने वाला इंसान हूं। बेईमानी के खिलाफ लड़ने वाला इंसान हूं। और एक के बाद एक कदम उसी से जुड़े हुए हैं। आज मुझे रांची में घर-घर में पाइप लाइन से गैस पहुंचाने का प्रोजेक्‍ट का भी शिलान्‍यास करने का अवसर मिलेगा। 21वीं सदी का infrastructure कैसा हो जिसमें गैस ग्रीड हो, optical fibre network हो, पानी की ग्रीड हो, बिजली की ग्रीड हो, हर प्रकार की आधुनिक व्‍यवस्‍थाएं हों। क्‍या कारण है कि मेरा झारखंड पीछे रह जाए। और इसलिए हिन्‍दुस्‍तान में तेज गति से आगे बढ़ने वाले शहरों की बराबरी अब रांची भी करने लग जाएगा। से सपना देखकर के गैस ग्रीड का काम हमने उठाया है। घर-घर में गैस पहुंचेगा और आगे जाकर के ये गैस यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और आसाम करीब 70 जिलों में पाइप लाइन से गैस पहुंचने वाला है।

आप कल्‍पना कर सकते हैं धुएं से मुक्‍त रसोई घर ये जो हमारा सपना था। उसको पूरा करने में हमने उज्‍ज्‍वला योजना चलाई। अब दूसरा कदम है पाइप लाइन से गैस पहुंचाना और एक तीसरे पर काम चल रहा है। क्‍लीन कुकिंग का सोलर एलर्जी वाले चूल्‍हे ताकि गरीब को सूर्य शक्ति से ही खाना पक जाए उसको ईंधन का खर्चा भी न आ जाए। उस दिशा में भी शोध कार्य चल रहे है।

आज मुझे यहां देवघर में एम्‍स के निर्माण करने का भी शिलान्‍यास करने का अवसर मिला है। सारे पूर्वी भारत से बहुत मात्रा में मरीज को दिल्‍ली एम्‍स तक पहुंचना पड़ता हैं। गरीब के पास पैसे नहीं होते, दिक्‍कतें होती हैं। हमनें पूर्वी भारत में एम्‍स का जाल बिछाकर के देश के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को अच्‍छी से अच्‍छी सुविधा मिले उस दिशा में काम आरंभ किया है और उसी के द्वारा आज देवघर में एम्‍स का आरंभ हो रहा है, शिलान्‍यास हो रहा है। उसी प्रकार से देवघर एक तीर्थस्‍थल है, बाबा भोलेनाथ की धरती है। ये शक्तिपीठ भी है। देशभर के यात्री यहां आना चाहते है। टूरिज्‍म के लिए भरपूर संभावना है। और इसलिए उसको एयरपोर्ट की कनेक्‍टीविटी में उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

पर्याटन मंत्रालय भी इस काम को कर रहा है। और हमारा सपना है कि हवाई चप्‍पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जाए, हवाई चप्‍पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जाए। ये हमारा सपना है। और आपको जानकर के खुशी होगी पिछले वर्ष रेलवे के एसी डिब्‍बे में सफर करने वालों से ज्‍यादा हवाई जहाज में सफर करने वालों की संख्‍या निकली है। ये बताता है कि देश किस प्रकार से सामान्‍य व्‍यक्ति की जिंदगी के साथ बदलाव ला रहा है।

भाईयो बहनों, विकास के अनेक project लेकर के आज हम आगे बढ़ रहे हैं तब 2022 तक गरीब को घर देने का सपना है। और घर भी हो, शौचालय भी हो, जल भी हो, बिजली भी हो और बच्‍चों के लिए नज़दीक में पढ़ने की सुविधा भी होऐसे घर की योजना बहुत तेज गति से आगे बढ़ रही है। 2022 आजादी के 75 साल हो देश में कोई बिना घर न हो। ये सपना लेकर के हम चल रहे हैं।

भाईयो बहनों मेरा आपसे आग्रह है कि हम विकास की यात्रा में भागीदार बनें, आज देश ईमानदारी की ओर चल पड़ा है। और हिन्‍दुस्‍तान का सामान्‍य मानवी ईमानदारी से जीता है। ईमानदारी के लिए जूझता है। और ये सरकार उन सामान्‍य लोगों के साथ खड़ी है जो ईमानदारी के लिए जीते हैं ईमानदारी के लिए जूझते हैं। और इसलिए भाईयो बहनों आपके सपनों को पूरा करने के लिए एक अहम जिम्‍मेवारी के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। इतनी बड़ी तादाद में आकर के आपने आर्शीवाद दिए, इतने बड़े कार्यक्रमों के बीच आज झारखंड एक नई ऊचाइयों पर, नए झारखंड की ओर आगे बढ़ेगा। इस विश्‍वास के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.