Central Information Commission के इस नए भवन का लोकार्पण करके मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।
अलग-अलग विभागों के संयुक्त योगदान की वजह से इस इमारत का निर्माण तय समय के पहले पूरा किया गया है। इमारत के निर्माण से जुड़े तमाम विभागों और कर्मचारियों को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।
मुझे बताया गया है कि इस बिल्डिंग में environmental friendly Griha-IV rating प्राप्त की है। यानी
ये बिल्डिंग ऊर्जा की बचत के साथ ही पर्यावरण की रक्षा में भी सहायता करेगी। मुझे आशा है कि नई इमारत द्वारा कमीशन के कामकाज को और बेहतर तरीके से co-ordinate करने, integrate करने में मदद मिलेगी।
इससे कमीशन के पास आने वाले केसों की सुनवाई में भी तेजी आएगी। केस में तेजी आने का सीधा मतलब है कि कहीं न कहीं जनता से जुड़ी समस्याओं को निपटाने में भी गति आएगी।
साथियों, आज मुझे Central Information Commission के मोबाइल App को भी लांच करने का अवसर मिला है। इस App के माध्यम से नागरिकों को अपील फाइल करने, complaint दर्ज कराने में आसानी तो होगी ही, सूचना आयोग द्वारा दी जा रही जानकारी भी उन तक जल्द पहुँचेगी।
मुझे बताया गया है कि Central Information Commission द्वारा citizen service के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। लोगों की सुविधाएं बढ़ाने के लिए, शिकायतों के जल्द निपटारे के लिए CIC में ज्यादा से ज्यादा तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
ये प्रसन्नता की बात है कि जब से कमीशन ने कार्य करना शुरू किया है तब से सबसे ज्यादा disposal of cases पिछले साल हुए हैं। मैं उम्मीद करता हूँ कि देश के नागरिकों की शिकायतों और सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कमीशन लगातार ऐसे ही अपने सिस्टम में सुधार करता रहेगा।
साथियों,
Democratic और Participative governance के लिए Transparency और Accountability बहुत आवश्यक है।
जब व्यवस्थाओं में पारदर्शिता आती है, लोगों के प्रति जिम्मेदारी बढ़ती है, उत्तरदायित्व का भाव होता है तो सरकारों के काम करने का तरीका और योजनाओं का Impact दोनों ही बदल जाते हैं।
ऐसे में Central Information Commission जैसी संस्थाएं transparency और accountability दोनों को ही बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
ऐसी संस्थाएं trust based governance के लिए catalyst की तरह काम करती हैं। लोगों का सरकार पर भरोसा बढ़े और सरकार देश के Human Resource का पूरा इस्तेमाल कर सके, अपने देश के नागरिकों की आशाओं - आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए फैसले ले सके, इसके लिए, इस तरह की संस्थाओं की बहुत अहमियत है।
साथियों,
मैं मानता हूँ कि empowered citizen हमारे लोकतंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ है। पिछले 4 वर्ष में आपने देखा है कि किस तरह केंद्र सरकार ने अलग-अलग माध्यमों के जरिए देश के लोगों को Inform और Empower करने का प्रयास किया है।इतिहास में इस बात के अनेक उदाहरण मिलते हैं कि जब information को one way channel की तरह Treat किया जाता है, तो उसके कितने गंभीर परिणाम निकलते हैं। इसलिए हमारी सरकार one dimensional approach के बजाय, आधुनिक Information Highway के सिद्धांत पर काम करती है।
एक ऐसा हाईवे, जहां दोनों ही दिशा में Information तेजी से आने-जाने की व्यवस्था की गई है।
साथियों,
आज के आधुनिक information highway के पाँच Pillers हैं जिन पर हम एक साथ काम कर रहे हैं।
ये 5 Pillars हैं-
Ask,
Listen,
Interact,
Act, और
Inform ।
अगर मैं पहले स्तंभ Ask यानि सवाल पर विस्तार से बात करूं, तो सरकार की पॉलिसी और प्रोजेक्ट में, बेहतर governance के लिए लोगों के हर तरह के सवालों को प्राथमिकता दी जाती है। MyGov, जो दुनिया का सबसे बड़ा citizen engagement platform है, वहां लोग अपने तमाम सवालों के साथ सरकार के साथ जुड़ते हैं।
मैं आपको बिल्कुल ताजा उदाहरण दूंगा SRIJAN का। सृजन यानि- Station Rejuvenation Initiative by Joint Action. रेलवे के इस interesting Initiative में जनता अपने अनेक सवालों के माध्यम से सरकार का मार्गदर्शन कर रही है।
भाइयों और बहनों, Information highway का दूसरा Piller है- ‘Listen’।
आज देश में ऐसी सरकार है, जो लोगों की बात सुनती है। CP-GRAMS पर जो सुझाव दिए जाते हैं, सोशल मीडिया पर जो सुझाव दिए जाते हैं, उन पर सरकार गंभीरता से ध्यान देती है।
हमारी सरकार में अनेक बार लोगों से मिले सुझावों, उनके Feedback के बाद पॉलिसी में परिवर्तन तक किए गए हैं।
साथियों, सवाल और सुझाव जितना ही महत्वपूर्ण है Interaction और ये Information highway का तीसरा Pillar है।
मैं मानता हूं कि Interaction से सरकार और नागरिकों के बीच एक emotional connect भी स्थापित होता है।
लोगों के साथ Interaction बढ़ाने के लिए समय-समय पर सर्वे भी कराए जाते हैं। हर साल मई के महीने में हम ‘Rate My Government’ initiative भी लेकर आते हैं।
इसी तरह information highway का चौथा और महत्वपूर्ण Pillar है- ‘Act’।
सवाल-सुझाव-संवाद के बाद अगर Action में कमी रह जाए, तो सारी मेहनत व्यर्थ जानी तय है।
इसलिए लोगों के सुझावों के आधार पर, उनके सवालों के आधार पर पूरी सक्रियता दिखाई जाती है। GST के दौरान भी आपने देखा होगा कि कैसे शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए नए नियम बनाए गए और नियमों में बदलाव भी किया गया।GST के बाद घटी हुई कीमतों का लाभ उपभोक्ताओं को मिल सके, इसके लिए National Anti-Profiteering Authority का गठन, बहुत हद तक इसी संवाद का परिणाम है। इसके अलावा आपने ये भी देखा होगा कि कैसे हमारी सरकार के अनेक मंत्री और मंत्रालय सिर्फ एक ट्वीट पर बड़ी से बड़ी शिकायतों का निपटारा कर रहे हैं। लोगों को अब अपनी रोजमर्रा की अनेक समस्याओं का समाधान, एक ट्वीट से मिल जाता है।
साथियों,
Information Highway का पाँचवाँ स्तंभ है- ‘Inform’।
ये सरकार का कर्तव्य है कि वो नागरिकों को अपने Actions के बारे में सही सूचना दे। इसलिए हमारी सरकार ने Information को real-time, online उपलब्ध कराने का एक नया तंत्र विकसित कर दिया है।
वेबसाइट पर DashBoard के माध्यम से लोगों को योजनाओं के बारे में अपडेट देने का काम पहली बार इसी सरकार ने किया है। स्वच्छ भारत के तहत कितने शौचालय बने,
सौभाग्य योजना की क्या प्रोग्रेस है, उजाला योजना के तहत कितने LED वितरित किए गए, मुद्रा योजना के तहत कितने लोन स्वीकृत किए गए, ऐसी अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां अब online उपलब्ध हैं।
भाइयों और बहनों, पहले ऐसा भी देखा जाता था कि अलग-अलग लोग एक ही तरह की Information मांगते हैं। ऐसे में अलग-अलग लोगों को Reply करने में सिस्टम का समय और संसाधन, दोनों ज्यादा खर्च होता था। इसके निदान के लिए हमारी सरकार ने जो कॉमन सवाल होते हैं, उससे जुड़ी Information को संबंधित विभागों और मंत्रालयों के वेब पोर्टल पर अपलोड करने पर जोर दिया।
इसका फायदा ये हुआ है नागरिकों को अब प्रक्रियाओं से जुड़ी information, योजनाओं से जुड़े statistics, Online उपलब्ध हैं। इसके अलावा हर मंत्रालय, जरूरी सूचनाओं को SMS द्वारा भी लोगों तक पहुंचा रहे हैं।
साथियों, आज भारत तेजी के साथ digitally empowered society की ओर बढ़ रहा है। Information technology का इस्तेमाल न सिर्फ प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए किया जा रहा है बल्कि इस तकनीक ने transparency और quality of service भी सुनिश्चित की है।
सरकार द्वारा Citizen services को ज्यादा से ज्यादा सुविधाजनक बनाने के लिए Digital Technology का विस्तार किया जा रहा है।
जनधन अकाउंट, आधार और मोबाइल यानि JAM की त्रिशक्ति से सरकार ये सुनिश्चित कर रही है कि सरकारी योजनाओं का लाभ सही हाथों तक पहुंचे। लोगों के बैंक खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर करके सरकार ने 57 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा गलत हाथों में जाने से बचाए हैं।अब ज्यादातर मंत्रालयों की वेबसाइट पर प्रोजेक्ट्स की Real Time Tracking हो रही है।
मनरेगा के तहत जो काम हो रहा है, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो काम हो रहा है, उसकी
जीओ-टैगिंग कराकर, सैटेलाइट तस्वीरों के माध्यम के निगरानी की जा रही है।
दशकों से जो सिंचाई परियोजनाएं अधूरी थीं, अटकी हुई थीं, उनकी मॉनीटरिंग के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
आप सभी के बीच मैं पिछले हफ्ते हुई प्रगति की बैठक का भी जिक्र करना चाहता हूं। पिछले हफ्ते हमने प्रधानमंत्री कार्यालय में केदारघाटी में जो पुनर्निर्माण का कार्य किया जा रहा है, उसकी ड्रोन कैमरे द्वारा Live मॉनीटरिंग की।
टेक्नोलॉजी का ऐसा इस्तेमाल संभवत: प्रधानमंत्री कार्यालय में भी पहली बार हुआ।
केदारघाटी में कैसे नए रास्ते बन रहे हैं, कैसे नई दीवारें बन रही हैं, बाबा भोले के मंदिर के आसपास की जगह को ठीक किया जा रहा है, वो सभी कुछ ड्रोन कैमरे ने सीधे हम सभी तक पहुंचाया।
साथियों,
प्रगति की बैठक भी देश के लोगों को एक अधिकार, एक Right देने का माध्यम बनी है।
ये अधिकार कानून में नहीं लिखा है, लेकिन मैं समझता हूं देश के लोगों को इसका भी अधिकार है।
ये Right है, सरकार की योजनाओं के समय पर पूरा होने का अधिकार।
हमारे यहां तीन-तीन, चार-चार दशकों से अनेक योजनाएं अटकी हुई थीं। इन्हें पूरा करने का बीड़ा हमारी सरकार ने उठाया। अब तक प्रगति की बैठकों में लगभग साढ़े 9 लाख करोड़ रुपए की योजनाओं की समीक्षा की जा चुकी है।
इस तरह के अनेक प्रयासों से ही Transparency बढ़ रही है और इसने बहुत बड़ा प्रभाव हमारे Work – Culture पर डाला है।
तय समय पर पूरी हो रही योजनाएं, तय लक्ष्य में पूरी हो रही योजनाएं, Next Generation Infrastructure बनाने में आई Speed, उनका Scale, ये तभी संभव हुआ है, जब बिल्कुल Ground Level पर जाकर प्रक्रियाओं को सुधारा गया है और Transparency स्थापित की गई है।
अब इस इमारत का ही उदाहरण लीजिए। Central Information Commission का गठन करीब 12 साल पहले किया गया था। तब से लेकर आयोग का कार्य किराए की इमारतों में चल रहा था।
2014 में NDA सरकार बनने के बाद सभी प्रक्रियाओं को तेज किया, इस इमारत के लिए 60 करोड़ रुपए स्वीकृत किए और तेजी से काम शुरू करवाया गया।
महत्वपूर्ण ये कि इसका निर्माण कार्य इस महीने के आखिर में पूरा होना था, लेकिन संबंधित विभागों ने सारा कार्य पूरा करके पिछले साल नवंबर में ही Commission को इसका कब्जा दे दिया।
मुझे याद है पिछले साल ही मुझे दिल्ली में ही डॉक्टर आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर के लोकार्पण का भी अवसर मिला था। इस सेंटर को बनाने का फैसला हुआ था 1992 में। लेकिन 23 साल तक कुछ नहीं हुआ।
इसके बाद, इसी सरकार में शिलान्यास हुआ और लोकार्पण भी।व्यवस्थाओं में जो ये बदलाव है, इसका विस्तार संसद से लेकर सड़क तक, प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर पंचायत भवन तक, हर तरफ देखा जा रहा है।
आपकी जानकारी में होगा कि अभी हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय में कई दशक पुराना एक विभाग बंद हुआ है।
ये विभाग था Directorate General of Supplies and Disposals. इसमें करीब ग्यारह सौ कर्मचारी थे, जिन्हें अब अलग-अलग विभागों में शिफ्ट किया जा रहा है।आपकी जानकारी में ये भी होगा कि ये विभाग क्यों बंद हुआ है।
साथियों,
जब नई व्यवस्थाएं जन्म लेती हैं, तो पुराने को Replace करती हैं। हमारी सरकार ने Goods और Services के Public Procurement के लिए Government-e-Market यानि GeM प्लेटफॉर्म बनाया है, ये उसी का परिणाम है।
सरकारी खरीद में होने वाले भ्रष्टाचार को खत्म करने में, सरकारी खरीद की प्रक्रिया को Transparent बनाने में GeM पोर्टल बड़ी भूमिका निभा रहा है।
GeM पोर्टल के माध्यम से अब देश का छोटे से छोटा उद्यमी, देश के दूर-दराज इलाकों में रहने वाला आदिवासी भी अपना Product सीधे सरकार को बेच सकता है।
इसके अलावा सरकार ने अलग-अलग स्तर पर प्रक्रियाओं को सरल करके भी सिस्टम में पारदर्शिता लाने का प्रयास किया है।
ग्रुप सी और डी की नौकरी के लिए इंटरव्यू खत्म किए जा चुके हैं। श्रम कानूनों के पालन के लिए 56 रजिस्टरों की संख्या को घटाकर अब मात्र 5 कर दिया गया है। श्रम सुविधा पोर्टल पर अब सभी फॉर्म ऑनलाइन भरे जाते हैं।
ऐसी हर window जहां government और public का interaction होता हो, वहां Human Interface कम करने और उस व्यवस्था को digitize करने का प्रयास किया जा रहा है।
Artificial intelligence और data mining के द्वारा नागरिक को reliable और meaningful information दी जा रही है।
साथियों,
ये हमारी ही सरकार में संभव हुआ है कि दशकों पुराने 1400 से ज्यादा अनावश्यक कानूनों को खत्म किया गया है।आपने बीते दो-तीन वर्ष में देखा होगा कि कैसे पद्म सम्मान को लेकर भी सरकार ने एक पारदर्शी सिस्टम तैयार किया है।
इस पारदर्शी सिस्टम की वजह से अब देश के दूर-सुदूर इलाकों में, समाज के हित में अपनी जिंदगी खपा देने वाले लोगों को भी सामने आने का अवसर मिला है।
साथियों,
जब सरकार और जनता के बीच की दूरी कम होती है, संवाद के नए और प्रभावी रास्ते बनते हैं, तो जनता भी खुद को decision making process का integral part मानकर, राष्ट्र निर्माण के कार्यों के लिए आगे आती है।
आपने खुद देखा है कि कैसे एक छोटी सी अपील पर देश के 1 करोड़ से ज्यादा लोगों ने गैस पर ली जा रही सब्सिडी का त्याग कर दिया।
Give it Up Campaign जनता और इस सरकार के बीच भावनात्मक संवाद का एक बेहतरीन उदाहरण है।
इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन की बात करें तो, सड़क-गली-मोहल्लों में स्वच्छता, देश भर में शौचालयों के निर्माण, उनके उपयोग को लेकर जिस तरह का संवाद स्थापित किया गया, वो पहले कभी नहीं हुआ।
आयु-समाज-वर्ग के बंधनों को तोड़कर स्वच्छ भारत मिशन के साथ लोग पूरी तन्मयता के साथ, पूरे हृदय के साथ जुड़े हैं।एक और उदाहरण है बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना का।
डंडा चलाकर नहीं, बल्कि समाज को जागृत करके, जिन क्षेत्रों में बेटियों का जन्म लेना ही अपराध माना जाता था, वहां के समाज को जागरूक करके, बड़े सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। दो दिन बाद ही बेटी-बचाओ,बेटी पढ़ाओ के दो / तीन वर्ष पूरे हो रहे हैं और इस उपलक्ष्य में हमारी सरकार बेटियों के साथ सीधे संवाद का एक कार्यक्रम भी आयोजित कर रही है।
साथियों,
सिस्टम में जितनी ज्यादा Transparency बढ़ती है, Information का Flow आसान होता है, उतना ही लोगों का सरकार पर भरोसा बढ़ता है। पिछले तीन-साढ़े तीन वर्ष में हमारी सरकार ने व्यवस्थाओं में परिवर्तन लाकर लोगों के इस भरोसे को निरंतर बढ़ाने का काम किया है।
निश्चित तौर पर सूचना के इस प्रवाह में Central Information Commission की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
साथियों, आज इस मंच पर मैं एक और विषय चर्चा में लाना चाहता हूं। हमारे देश में RTI ACT की तरह ही ACT Rightly के सिद्धांत पर भी गंभीरता से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। यानि अधिकार के साथ ही कर्तव्य की भी बात। नागरिकों के अधिकार के साथ ही उनके कर्तव्य क्या हैं, इस बारे में भी जागरूक किया जाना बहुत अहम है।
मैं मानता हूं, CIC जैसी संस्थाएं, जहां पर Public Interaction इतना ज्यादा होता है, वहां लोगों को ACT Rightly के बारे में ज्यादा बेहतर तरीके से समझाया जा सकता है।
कई बार ऐसा देखा जाता है कि कुछ लोग, जनसामान्य को मिले अधिकार का अपने फायदे के लिए गलत इस्तेमाल करने लग जाते हैं। ऐसी गलत कोशिशों का भार भी व्यवस्था को उठाना पड़ता है।
साथियों, अधिकार की बात करते हुए अपने कर्तव्यों को भूल जाना, संविधान द्वारा जो अपेक्षाएं की गई हैं, उन्हें भूल जाना, लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, नई सुविधाओं का इस्तेमाल मानवहित में हो, तभी बेहतर होगा। इससे किसी की स्वार्थ सिद्धि तो नहीं हो रही,
इसे देखना भी बहुत जरूरी है।
वर्तमान हालात का आकलन करते हुए, भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, हर जिम्मेदार संस्था को अपने अधिकार और अपने उत्तरदायित्व के बीच संतुलन बनाकर काम करना होगा।
मैं इस उम्मीद के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं कि Central Information Commission, Information के माध्यम से लोगों को Empower करने का कार्य इसी तरह जारी रखे।
एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
धन्यवाद !!!