विभिन्न देशों के माननीय मंत्रीगण एवं महानुभाव, भागीदार देशों के प्रतिनिधिगण, कॉरपोरेट हस्तियां, आमंत्रित जन, प्रतिभागी, मंच पर उपस्थित गणमान्य व्यक्ति, युवा मित्र, देवियों और सज्जनों!
मुझे वाइब्रेंट गुजरात समिट के नौवें अध्याय में आपका स्वागत करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है।
जैसा कि आप देख सकते है, यह अब सही मायनों में एक वैश्विक आयोजन बन चुका है। यह एक ऐसा आयोजन है, जिसमें सभी के लिए यथोचित स्थान है। इसमें वरिष्ठ राजनेताओं की गरिमामयी मौजूदगी है। इसमें सीईओ और कॉरपोरेट हस्तियों की व्यापक ऊर्जा है। इसमें संस्थानों और राय-निर्माताओं का गौरव है और इसके साथ ही इसमें युवा उद्यमों एवं स्टार्ट-अप्स की जीवन शक्ति है।
‘वाइब्रेंट गुजरात’ ने हमारे उद्यमों के विश्वास निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दिया है। इसने क्षमता निर्माण के साथ-साथ सरकारी एजेंसियों द्वारा सर्वोत्तम वैश्विक तौर-तरीकों या प्रथाओं को अपनाने में भी काफी मदद की है।
मैं आप सभी के लिए उपयोगी, सार्थक और सुखद शिखर सम्मेलन की कामना करता हूं। गुजरात में यह पतंग उत्सव अथवा उत्तरायण का सीजन है। इस शिखर सम्मेलन के व्यस्त कार्यक्रम के बीच मैं यह उम्मीद करता हूं कि आप उत्सवों और राज्य के विभिन्न स्थलों का आनंद लेने के लिए कुछ समय निकाल पाएंगे। मैं विशेषकर वाइब्रेंट गुजरात के इस संस्करण के 15 साझेदार देशों का स्वागत और धन्यवाद करता हूं।
मैं 11 साझेदार संगठनों के साथ-साथ उन सभी देशों, संगठनों और संस्थानों का भी धन्यवाद करता हूं, जो इस फोरम में अपनी-अपनी संगोष्ठियों का आयोजन कर रहे हैं। यह भी अत्यंत संतोष की बात है कि आठ भारतीय राज्य अपने यहां उपलब्ध निवेश अवसरों पर प्रकाश डालने हेतु इस फोरम का उपयोग करने के लिए आगे आये हैं।
मुझे यह आशा है कि आप ‘ग्लोबल ट्रेड शो’ का अवलोकन करने के लिए कुछ समय निकाल पाएंगे, जिसका आयोजन अत्यंत बड़े पैमाने पर हो रहा है और जिसमें तरह-तरह के विश्वस्तरीय उत्पादों, प्रक्रियाओं और प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित किया जा रहा है। दरअसल, गुजरात उस सर्वोत्तम कारोबारी भावना एवं माहौल का प्रतिनिधित्व करता है, जो भारत में मौजूद है। इस आयोजन ने गुजरात को पिछले कई दशकों से हासिल बढ़त को अब और ज्यादा बढ़ा दिया है। वाइब्रेंट गुजरात समिट ने आठ सफल संस्करणों के व्यापक बदलाव वाली यात्रा पूरी की है।
विभिन्न विषयों पर अनेक सम्मेलन और संगोष्ठियां आयोजित की गई हैं। ये मुद्दे भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था के साथ-साथ समूचे वैश्विक समुदाय के लिए भी काफी मायने रखते हैं। उदाहरण के लिए, मैं कल आयोजित होने वाले अफ्रीका दिवस और 20 जनवरी को आयोजित किये जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय चैम्बरों के वैश्विक सम्मेलन का उल्लेख करना चाहता हूं।
मित्रों,
आज यहां उपस्थित लोग सही मायनों में गरिमामयी उपस्थिति का प्रतीक है। हम कई राष्ट्राध्यक्षों और कई अन्य प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों की उपस्थिति से सम्मानित महसूस कर रहे हैं। इससे यह पता चलता है कि अंतर्राष्ट्रीय द्विपक्षीय सहयोग अब केवल राष्ट्रीय राजधानियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका विस्तार अब हमारे राज्यों की राजधानियों तक हो गया है।
ज्यादातर उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तरह भारत में भी हमारी चुनौती क्षैतिज और लंबवत दोनों ही तरीकों से बढ़ेगी।
क्षैतिज दृष्टि से हमें विकास के लाभ उन क्षेत्रों और समुदायों तक पहुंचाने हैं, जो इस मामले में पीछे रह गये हैं।
लंबवत दृष्टि से हमें जीवन स्तर, सेवाओं की गुणवत्ता और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं की गुणवत्ता के लिहाज से लोगों की बढ़ी हुई अपेक्षाओं को पूरा करना है। हम इस बात से पूरी तरह अवगत हैं कि भारत में हमारी उपलब्धियां आबादी के छठे हिस्से को सीधे तौर पर प्रभावित करेंगी।
मित्रों,
ऐसे लोग जो भारत की यात्रा नियमित रूप से करते हैं, उन्हें यहां बह रही बदलाव की बयार का अहसास जरूर हुआ होगा। यह बदलाव दिशा और तीव्रता दोनों ही दृष्टि से हुआ है। पिछले चार वर्षों के दौरान हमारी सरकार का फोकस सरकार का आकार घटाने और गवर्नेंस बढ़ाने पर रहा है। मेरी सरकार का मंत्र यह है – रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म और आगे भी निरंतर परफॉर्म।
हमने कई ठोस कदम उठाये हैं। हमने ऐसे व्यापक ढांचागत सुधार भी लागू किये हैं, जिनसे हमारी अर्थव्यवस्था और राष्ट्र को नई मजबूती प्राप्त हुई है।
जैसा कि हमने कर दिखाया है, हमारी गिनती अब भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में की जाती है। प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों जैसे कि विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ-साथ कई जानी-मानी एजेंसियों जैसे कि मूडीज ने भी भारत की आर्थिक यात्रा में अपना विश्वास व्यक्त किया है।
हमने उन बाधाओं को हटाने पर फोकस किया है कि जो हमें अपनी पूरी क्षमता को हासिल करने से रोक रही थीं।
मित्रों,
भारत में कारोबार का माहौल अब जैसा हो गया है, वैसा पहले कभी नहीं था। हमनें कारोबार करना आसान कर दिया है।
पिछले चार वर्षों के दौरान हमने विश्व बैंक के ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक में 65 पायदानों की ऊंची छलांग लगाई है।
इस सूचकांक में भारत वर्ष 2014 के 142वें पायदान से काफी ऊपर चढ़कर अब 77वें पायदान पर पहुंच गया है, लेकिन हम अब भी संतुष्ट नहीं हैं। मैंने अपनी टीम से और भी कड़ी मेहनत करने को कहा है, ताकि भारत अगले वर्ष इस लिहाज से शीर्ष 50 देशों में शुमार हो जाए। मैं चाहता हूं कि हमारे नियमनों और प्रक्रियाओं की तुलना विश्व में सर्वोत्तम माने जाने वाले नियमनों और प्रक्रियाओं से हो। हमने कारोबार करना किफायती भी कर दिया है।
ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने और सरलीकरण के अन्य उपायों के साथ-साथ करों के समेकन से लेन-देन (ट्रांजैक्शन) लागत घट गई है और प्रक्रियाएं प्रभावशाली हो गई हैं।
हमने डिजिटल प्रक्रियाओं, ऑनलाइन लेन-देन और एकल बिन्दु पर परस्पर संवाद के जरिये कारोबार करने में काफी तेजी भी ला दी है।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की दृष्टि से हमारी गिनती अब सर्वाधिक खुले देशों में होती है। हमारी अर्थव्यवस्था के सर्वाधिक सेक्टर अब सिर्फ एफडीआई के लिए खुले हुए हैं। 90 प्रतिशत से भी अधिक मंजूरियां स्वत: या ऑटोमैटिक रूप से प्राप्त होती हैं। इन उपायों से हमारी अर्थव्यवस्था अब विकास के तेज पथ पर अग्रसर हो गई है। हमने 263 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया है। यह पिछले 18 वर्षों में हासिल एफडीआई का 45 प्रतिशत है।
मित्रों,
हमने इसके साथ ही कारोबार करने को स्मार्ट भी बना दिया है। हम सरकार की अधिप्राप्ति और खरीद में आईटी आधारित लेन-देन पर विशेष जोर दे रहे हैं। सरकारी लाभों के प्रत्यक्ष हस्तांतरण सहित डिजिटल भुगतान को अब पूरी तरह से लागू किया जा रहा है। हमारी गिनती अब स्टार्ट-अप्स के लिए दुनिया के सबसे बड़े परितंत्रों में होती है और इनमें से कई ने प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कदम रखा है। इसलिए मैं यह बात बिना किसी संकोच के कह सकता हूं कि हमारे साथ कारोबार करना अब एक बड़ा अवसर है।
ऐसा इसलिए भी है क्योंकि हमारी गिनती अंकटाड द्वारा सूचीबद्ध शीर्ष 10 एफडीआई गंतव्यों में होती है। हमारे यहां वैश्विक स्तर का किफायती विनिर्माण परिवेश है। हमारे यहां बड़ी संख्या में बेहतरीन ज्ञान एवं ऊर्जा से युक्त कुशल प्रोफेशनल हैं। हमारे यहां विश्वस्तरीय इंजीनियरिंग आधार और बेहतरीन अनुसंधान एवं विकास सुविधाएं हैं। बढ़ते सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), बढ़ते मध्यम वर्ग और उनकी क्रय क्षमता से हमारे विशाल घरेलू बाजार का और तेजी से विस्तारीकरण हो रहा है। पिछले दो वर्षों के दौरान हम कॉरपोरेट दृष्टि से कम टैक्स दर वाली व्यवस्था की ओर उन्मुख हुये हैं। हमने नये निवेश के साथ-साथ छोटे एवं मझोले उद्यमों के लिए टैक्स दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया है। बौद्धिक संपदा अधिकारों (आईपीआर) से जुड़े मुद्दों के लिए हमने मानक (बेंचमार्किंग) नीतियां विकसित की हैं। अब हमें भी सबसे तेज ट्रेडमार्क व्यवस्थाओं में शुमार किया जाता है। दिवाला एवं दिवालियापन संहिता की बदौलत कारोबारियों को अब लंबी जटिल एवं वित्तीय लड़ाइयां लड़े बगैर ही अपने व्यवसाय से बाहर निकलने का मार्ग मिल गया है।
अत: कारोबार शुरू करने से लेकर इसका परिचालन जारी रहने और फिर बंद होने तक हमने नये संस्थानों, विधियों और प्रक्रियाओं को तैयार करने पर पूरा ध्यान दिया है। ये सभी न केवल कारोबार करने, बल्कि हमारी जनता के सहज जीवन यापन के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हम यह भी भलीभांति समझते हैं कि एक युवा राष्ट्र होने के नाते हमें रोजगार अवसर सृजित करने और बेहतर बुनियादी ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत है। दोनों ही निवेश से जुड़े हुये हैं। अत: हाल के वर्षों में विनिर्माण और बुनियादी ढांचागत सुविधाओं पर अभूतपूर्व ढंग से फोकस किया गया है।
हमने अपने युवाओं के लिए रोजगार सृजित करने हेतु विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए कड़ी मेहनत की हैं। हमारी ‘मेक इन इंडिया’ पहल के जरिये निवेश को अन्य कार्यक्रमों जैसे कि ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘कौशल भारत’ से व्यापक सहयोग प्राप्त हुआ है। हमारा फोकस अपनी औद्योगिक अवसंरचना, नीतियों और तौर-तरीकों या प्रथाओं को सर्वोत्तम वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाने और भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केन्द्र (हब) के रूप में तब्दील करने पर भी है।
स्वच्छ ऊर्जा एवं हरित विकास और जीरो डिफेक्ट एवं जीरो इफेक्ट वाले विनिर्मित उत्पाद बनाना – ये भी हमारी प्रतिबद्धताएं हैं। हमने पूरी दुनिया से यह वादा किया है कि हम जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की दिशा में काम करेंगे। ऊर्जा के मोर्चे पर हम अब दुनिया में नवीकरणीय ऊर्जा के पांचवें सबसे बड़े उत्पादक हैं। हम पवन ऊर्जा के चौथे सबसे बड़े उत्पादक और सौर ऊर्जा के पांचवें सबसे बड़े उत्पादक हैं।
हम सड़कों, बंदरगाहों, रेलवे, हवाई अड्डों, दूरसंचार, डिजिटल नेटवर्कों और ऊर्जा सहित अगली पीढ़ी की बुनियादी ढांचागत सुविधाओं में निवेश बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। हम अपने देश के लोगों की आय बढ़ाने और बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित करने के लिए अपने सामाजिक, औद्योगिक और कृषि से जुड़े बुनियादी ढांचे में भी भारी-भरकम निवेश कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, पिछले चार वर्षों के दौरान बिजली की सर्वाधिक क्षमता वृद्धि और उत्पादन हुआ है। पहली बार भारत बिजली का शुद्ध निर्यातक बना है। हमने बड़े पैमाने पर एलईडी बल्ब वितरित किये हैं। इसके परिणामस्वरूप ऊर्जा की व्यापक बचत हुई है। हमने अभूतपूर्व गति से पारेषण लाइनें बिछायी हैं। सड़क निर्माण में हमारी गति लगभग दोगुनी हो गई है। हमने प्रमुख बंदरगाहों में अभूतपूर्व क्षमता वृद्धि की है। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क कनेक्टिविटी अब 90 प्रतिशत हो गई है। नई रेल लाइनें बिछाने, आमान परिवर्तन और रेल पटरियों का दोहरीकरण एवं विद्युतीकरण दोगुना हो गया है। हम ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिये नियमित रूप से प्रमुख परियोजनाओं के कार्यान्वयन को अवरोध मुक्त कर रहे हैं। बुनियादी ढांचागत क्षेत्र से जुड़ी हमारी सार्वजनिक-निजी भागीदारी अब और अधिक निवेशक अनुकूल हो गई है। हमारी सरकार के पूरे कार्यकाल में जीडीपी वृद्धि दर औसतन 7.3 प्रतिशत आंकी गई है, जो वर्ष 1991 के बाद किसी भी भारतीय सरकार की सर्वाधिक आर्थिक विकास दर है। इसके साथ ही मंहगाई दर 4.6 प्रतिशत आंकी गई है जो वर्ष 1991, जब भारत ने उदारीकरण प्रक्रिया शुरू की थी, के बाद किसी भी भारतीय सरकार के कार्यकाल के दौरान न्यूनतम है।
हमारा यह मानना है कि विकास के लाभ लोगों तक अवश्य ही बड़ी आसानी और दक्षता के साथ पहुंचने चाहिए।
इस संबंध में मैं कुछ उदाहरण आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं। अब हमारे देश में प्रत्येक परिवार का एक बैंक खाता है। हम छोटे उद्यमों को बिना किसी जमानत या गारंटी के ऋण दे रहे हैं। अब हमारे देश के प्रत्येक गांव में बिजली पहुंच चुकी है। अब हमारे देश के लगभग सभी घरों में भी बिजली पहुंच चुकी है। हमने बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को रसोई गैस मुहैया कराई है, जो अब तक इसे वहन करने में सक्षम नहीं थे। हमने शहरी तथा ग्रामीण यानी सभी क्षेत्रों में समुचित स्वच्छता सुनिश्चित की है। हम घरों में शौचालयों की पूर्ण कवरेज और उनके समुचित उपयोग की दिशा में काम कर रहे हैं।
देवियों और सज्जनों,
हमारी गिनती भी वर्ष 2017 में विश्व के सबसे तेजी से बढ़ते पर्यटन गंतव्यों में हुई थी। वर्ष 2016 की तुलना में भारत की वृद्धि दर 14 प्रतिशत रही थी, जबकि उसी वर्ष वैश्विक स्तर पर वृद्धि दर औसतन 7 प्रतिशत ही थी। भारत पिछले चार वर्षों के दौरान यात्री टिकटों में दहाई अंकों में वृद्धि की दृष्टि से दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता विमानन बाजार भी रहा है।
अत: एक ‘नया भारत’ उभर रहा है, जो आधुनिक एवं प्रतिस्पर्धी होगा और इसके साथ ही वह लोगों की परवाह करने वाला एवं सहानुभूतिशील भी होगा। इस सहानुभूतिशील दृष्टिकोण का एक नायाब उदाहरण ‘आयुष्मान भारत’ नामक हमारी चिकित्सा आश्वासन योजना है। इससे लगभग 50 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे जो अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको की संयुक्त आबादी से भी अधिक है। आयुष्मान भारत योजना स्वास्थ्य से जुड़ी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं, चिकित्सा उपकरणों के निर्माण और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में व्यापक निवेश अवसर उपलब्ध कराएगी।
मैं कुछ और उदाहरण प्रस्तुत करना चाहता हूं। भारत में 50 शहर मेट्रो रेल प्रणालियों का निर्माण करने के लिए तैयार हैं। हमें 50 मिलियन मकानों का निर्माण करना है। सड़क, रेल और जलमार्गों से जुड़ी आवश्यकता अत्यंत व्यापक है। हम त्वरित एवं स्वच्छ ढंग से अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकियां चाहते हैं।
मित्रों,
अत: भारत असीम अवसरों का देश है। यह एकमात्र ऐसा स्थल है, जहां आपके लिए लोकतंत्र, युवा आबादी और व्यापक मांग तीनों ही उपलब्ध हैं। ऐसे निवेशक जो भारत में पहले ही निवेश कर चुके हैं, उन्हें मैं इस बात का आश्वासन देना चाहता हूं कि हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली, मानवीय मूल्य एवं सुदृढ़ न्यायिक प्रणाली आपके निवेश की सुरक्षा और हिफाजत सुनिश्चित करेगी। हम निवेश माहौल को और बेहतर करने तथा स्वयं को अधिक से अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में निरंतर काम कर रहे हैं।
ऐसे निवेशक जिन्होंने अब तक भारत में अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं कराई है, उन्हें मैं यहां उपलब्ध अवसरों की तलाश करने के लिए निमंत्रित एवं प्रोत्साहित करता हूं। यह भारत में निवेश करने का सबसे अच्छा समय है। हमने एक-एक करके सभी निवेशकों की मदद करने के लिए समर्पित उपाय किये हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि मैं आपको यह आश्वासन देता हूं कि मैं आपकी यात्रा में आपका साथ देने के लिए सदैव उपलब्ध रहूंगा।
धन्यवाद! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। बहुत-बहुत धन्यवाद।