बंदरगाह के विकास के लिए सागरमाला परियोजना से न केवल बंदरगाहों बल्कि वहां से होने वाली गतिविधियों को भी बढ़ावा मिल रहा है: प्रधानमंत्री मोदी 
भारत सरकार जलमार्ग के विकास के लिए प्रतिबद्ध: पीएम मोदी 
भारत का विमानन क्षेत्र काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है। विमान यात्रियों की संख्या में काफी वृद्धि हो रही है। हम विमानन क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर बल दे रहे हैं: प्रधानमंत्री 
हमारी सरकार ने एक विमानन नीति लाई जिससे इस क्षेत्र में काफी बदलाव आ रहा है: प्रधानमंत्री मोदी

महाराष्ट्र के राज्यपाल श्रीमान विद्यासागर राव, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान देवेंद्र फडणवीस जी, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्रीमान नितिन गडकरी जी, अशोक गजपति राजू जी, राज्य सरकार के मंत्री श्रीमान रविंद्र चवाण जी, विधायक श्रीमान प्रशांत ठाकुर जी और विशाल संख्या में पधारे हुए प्यारे भाइयों और बहनो।

कल छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती का पर्व है और एक दिन पूर्व आज रायगढ़ जिले में अवसर अपने-आप में एक सुखद संयोग है। आज दो कार्यक्रमों का मुझे अवसर मिला है- एक हमारे नितिन गडकरी जी के नेतृत्‍व में भारत के shipping क्षेत्र को, port sector को और waterway को जिस प्रकार से एक नई चेतना मिली है और उसी के तहत मुम्‍बई में JNPT के चौथे टर्मिनल का आज लोकार्पण हो रहा है।

कई वर्षों से हम शब्‍द सुनते आए हैं - Globalization, विश्‍व व्‍यापार। सुनते तो बहुत सालों से आए हैं लेकिन ये विश्‍व व्‍यापार की संभावनाओं के संबंध में घर में बैठ करके चर्चा करते रहने से हम देश को कोई लाभ नहीं पहुंचा सकते। विश्‍व व्‍यापार का लाभ तब होता है कि विश्‍व के साथ जुड़ने के लिए आपके पास विश्‍व स्‍तर का infrastructure हो।

सामुद्रिक व्‍यापार उसमें एक बहुत बड़ी अहमियत रखता है। और भारत एक भाग्‍यवान देश रहा जहां कि सामुद्रिक शक्ति को पहचानने वाले सबसे पहले राजपुरुष, राष्‍ट्रपुरुष, छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ। और उसी का परिणाम है कि आज महाराष्‍ट्र में इतने सारे समुद्र से जुड़े हुए किलों की रचना और उसके साथ एक सामुद्रिक शक्ति का एहसास। आज जब इतने वर्षों के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज का स्‍मरण करते हैं और जो ये JNPT के चौथे टर्मिनल का हम लोकार्पण करते हैं तो हम कल्‍पना कर सकते हैं कि हमारे महापुरुष कितने दीर्घदृष्‍टा हुआ करते थे और कितने लम्‍बे vision के साथ सोचते थे।

अगर विश्‍व व्‍यापार में भारत को अपनी जगह बनानी है तो भारत के पास सबसे ज्‍यादा सामुद्रिक मार्ग की शक्ति को अनेक गुना बढ़ाने की जरूरत है। हमारे ports जितनी अधिक मात्रा में develop हों, आधुनिक हों, turnaround time minimum हो और तेज गति से चलने वाले जहाजों की संख्या बढ़े, millions of ton हमारा goods विश्‍व के बाजार में पहुंचे। और कभी-कभी पहुंचने की स्‍पर्धा होती है। एक बार ऑर्डर तय होने के बाद, आर्थिक कारोबार होने के बाद अगर कम समय में माल पहुंचता है तो खरीदने वाले व्‍यापारी को मुनाफा होता है। अगर वो देर से पहुंचता है तो उसको घाटा होता है। लेकिन वो तब पहुंचता है कि जब हमारे port sector में उस प्रकार की facility हो।

सागरमाला प्रोजेक्‍ट के तहत हम सिर्फ port का ही development करना चाहते हैं, ऐसा नहीं है। हम port led development पर बल दे रहे हैं ताकि हमारे समुद्री तट के साढ़े सात हजार किलोमीटर का विशाल समंदर हमारे पास है। हम सामुद्रिक क्षेत्र में एक महाशक्ति बनने की संभावना वाली.... हमें भौगोलिक रूप से व्‍यवस्‍था मिली हुई है। ये हमारे लिए चुनौती है कि हम कैसे फायदा उठाएं इस अवसर का। और हम अपनी व्‍यवस्‍थाओं को उस विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएं।

भारत सरकार ने इस दिशा में बीड़ा उठाया है। दुनिया environment की चर्चा करती है। Environment की समस्‍या के समाधान में एक महत्‍वपूर्ण क्षेत्र है transportation और उस transportation क्षेत्र के अंदर waterways…. 100 से ज्‍यादा waterways हमने identify किए हैं। और पूरे देश में हमें लगता है कि goods transportation के लिए अगर हम रेल या रोड के बजाय अगर waterways का उपयोग करें, हमारी नदियों का, हमारे समुद्र तट का; तो हम बहुत ही कम खर्च में चीजों को मुहैया करा सकते हैं, पहुंचा सकते हैं और environment को कम से कम नुकसान करके हम एक global warming के साथ जो लड़ाई चल रही है, उसमें भी अपना साकारात्‍मक contribution कर सकते हैं। उन विषयों को लेकर के अब हम देश में आगे बढ़ रहे हैं।

आज नवी मुम्‍बई में green field airport, और देश में आजादी के बाद इतना बड़ा green field project, aviation sector का, ये सबसे पहला हो रहा है। अब आप कल्‍पना कर सकते हैं कि 20 साल से आपने सुना है, कई चुनाव में इसके वादे किए होंगे। कई विधायक चुन करके आए होंगे इस वादे पर, कई एमपी बन करके आए होंगे। कई सरकारें बनी होंगी, लेकिन एयरपोर्ट नहीं बना। और उसका कारण क्या? इसके पीछे सरकार के काम करने के तौर-तरीके सबसे बड़ी बाधा है।

1997 में जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, तब इसका सपना देखा गया, उसका विचार किया गया और बात आगे बढ़ी। और जब मैं प्रधानमंत्री बना तो मुझे और कोई काम है नहीं, खाली आदमी हूं, तो दिन-रात यही करता रहता हूं। तो ढूंढते-ढूंढते मेरे ध्‍यान में आया कि सिर्फ नवी मुम्‍बई एयरपोर्ट नहीं, हिन्‍दुस्‍तान में अत्‍यंत महत्‍वूपूर्ण ऐसे projects, कभी 30 साल पहले घोषणा हुई,फाइल में मंजूरी मिल गई; कभी 20 साल पहले घोषणा हो गई, कभी तो नेताजी ने जा करके पत्‍थर भी जड़ दिया, फोटो भी निकलवा दिया, भाषण भी कर दिया; लेकिन वो कागज और फाइल  के बाहर प्रोजेक्‍ट कभी निकला ही नहीं। अब ये थोड़ी चिंता और चौंकाने वाली बात थी।

तो मैंने एक प्रगति नाम का कार्यक्रम चलाया। टेक्‍नोलॉजी का उपयोग करते हुए देश के सभी मुख्‍य सचिवों के साथ और भारत के सरकार के सभी सचिवों के साथ इन projects को ले करके मैं बैठता हूं। और खुद भी उसका monitoring review करता हूं। अब उसमें, जैसे अभी देवेन्‍द्र जी वर्णन कर रहे थे, ये प्रोजेक्‍ट मेरे सामने है - कुछ नहीं हुआ था जी। कागज पर था, कल आएगा, कल एक कोई तो बयान देगा, ये तो हमारे समय में हुआ था। ये ऐसे लोगों की कमी नहीं है। और इसलिए उस प्रगति के तहत सभी department को बिठा करके समस्‍याओं का समाधान करिए भाई । अगर योजना बनी थी तो उस समय गलती क्‍यों की? अगर उस समय गलती नहीं की है तो आज लागू क्‍यों नहीं किया? सटीक सवालों के द्वारा चीजों को आगे बढ़ाओ। आपको जान करके खुशी होगी, इस  प्रगति के monitoring के द्वारा 20-20, 30-30 साल पुराने लटके हुए, और पुरानी सरकारों का स्‍वभाव था-लटकाना, अटकाना, भटकाना। यही होता रहा। आप हैरान होंगे, करीब-करीब 10 लाख करोड़ रुपयों के प्रोजेक्‍ट्स जो ऐसे ही लटके हुए, अटके हुए,भटके हुए पड़े थे, उनको हमने कार्यान्वित किया, धन का प्रबंध किया और आज तेज गति से वो काम आगे चल रहे हैं। और उसी में नवी मुम्‍बई का एयरपोर्ट का काम है जी।

Aviation sector हमारा तेज गति से आगे बढ़ रहा है। हमारे गजपति राजू जी आपको विस्‍तार से अभी बता रहे थे। आज से 20 - 25 साल पहले पूरे हिन्‍दुस्‍तान के एयरपोर्ट पर जितना ट्रैफिक था, पैसेंजर आते थे-जाते थे, आज उससे भी ज्‍यादा अकेले मुम्‍बई एयरपोर्ट पर ट्रैफिक है। आप सोचिए, पूरे देश में जो था इतना आज अकेले मुम्‍बई में है। आज वक्त ऐसा बदल चुका है कि जैसे आप बस की लाइन में लोगों को देखते हैं, अगर एयरपोर्ट पर जाएं, लम्‍बी कतार में लोग खड़े हैं जहाज में चढ़ने के लिए। और ये दिनभर हिन्‍दुस्‍तान के कई एयरपोर्ट पर आपको देखने को मिलेगा।

जिस तेजी से aviation sector का growth हो रहा है, उसकी आवश्यकता के अनुसार हम aviation sector के infrastructure में बहुत पीछे चल रहे हैं। हमारी कोशिश है स्‍पीड बढ़ाएं, उसको पूरा करने का प्रयास करें। हमने, अब ये आपने आज से कई वर्षों पहले, 80 के दशक में, 21वीं सदी आ रही है, 21वीं सदी आ रही है; रोजाना आता था अखबारों में। रोज प्रधानमंत्री जी के मुंह से 21वीं सदी की चर्चा आती थी। लेकिन 21वीं सदी शब्‍द से आगे कभी गाड़ी बढ़ी नहीं।

अगर 21वीं सदी का aviation sector कैसा होगा, उसके लिए किसी ने आज से 20-25 साल पहले सोचा होता, तो शायद हमें आज जितनी दौड़ लगानी पड़ती है, शायद न लगानी पड़ती। इस देश में आजादी के बाद किसी सरकार ने इतना महत्‍पूर्ण सेक्‍टर - आने वाले समय में इसकी महत्‍ता बढ़ने वाली है, इसमें कोई दुविधा होने का कारण नहीं था- फिर भी हमारे देश में कभी भी aviation policy नहीं थी। हमने आ करके aviation policy बनाई, और aviation  को अगर हम ये गलती करेंगे, क्‍योंकि एक जमाना था कि महाराजा की तस्‍वीर रहा करती थी उसके ऊपर। आज ये सामान्‍य common man का है। जब अटल जी की सरकार थी तो हमारे एक aviation  minister थे। मैं तो राजनीति में बहुत संगठन का एक कोने में काम करता था। मैंने उनको कहा कि आज भी हवाई जहाज पर ये महाराजा का चित्र क्‍यों लगाए रखते हो, उस जमाने में महाराज लोग के लेवल बैठते थे। मैंने कहा अब तो आपको लक्ष्‍मण के कार्टून में जो common man होता है ना, उसकी तस्‍वीर लगानी चाहिए, वो हवाई जहाज में बैठता है। और बाद में अटलजी की सरकार के समय वो शुरू भी किया गया।

हमने कहा कि क्‍यों न मेरे देश में जो हवाई चप्‍पल पहनता है, वो भी हवाई जहाज में उड़ना चाहिए। हमने उड़ान योजना लाई। देश में 100 से ज्‍यादा नए एयरपोर्ट बनाना या पुराने पड़े हैं तो उनको ठीक करना और उसको कार्यरत करने की दिशा में हम काम कर रहे हैं।

छोटे-छोटे स्‍थान पर हवाई जहाज चलें, छोटे चलें - 20 लोगों को ले जाने वाले, 30 लोगों को ले जाने वाले; लेकिन आज लोगों को गति चाहिए। और हमने एक योजना ऐसी बनाई- खास करके North-East के लोगों के लिए कि जिसमें ढाई हजार रुपये की टिकट और North-East में जो कठिनाई भरा क्षेत्र है, जहां connectivity बहुत जरूरी है, उस पर भी हम बल दे रहे हैं।

आपको जान करके खुशी होगी भाइयो-बहनों, हमारे देश में इतने वर्षों से जो हवाई जहाज खरीदे गए, चलाए गए- आज हमारे देश में करीब-करीब 450 हजाई जहाज ऑपरेशनल हैं, देश में सेवा में हैं - साढ़े चार सौ, सरकारी हो, प्राइवेट हो - सब मिला करके। आजादी से अब तक हम 450 पर पहुंचे हैं। आपको जान करके खुशी होगी इस एक वर्ष में इस देश के aviation sector से लोगों द्वारा 900 नए हवाई जहाज के ऑर्डर बुक किए गए हैं। यानी आजादी के 70 साल हो गए - 450 - और इस एक वर्ष में 900 नए हवाई जहाज खरीदने का ऑर्डर बुक हुआ। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि कितनी तेजी से aviation sector आगे बढ़ रहा है।

और aviation sector रोजगार की भी नई संभावनाएं ले करके आता है।  और अभी जब देवेन्‍द्र बता रहे थे कि इसके साथ infrastructure बनेगा- जल से, जमीन से, आकाश से, इसके कारण economical activity कितनी vibrate होती है। दुनिया का एक स्‍टडी है कि aviation sector के infrastructure में जब सौ रुपया लगाया जाता है तो समय रहते उसमें से सवा तीन सौ रुपये निकलता है। इतनी ताकत है, रोजगार देने की संभावनाएं बहुत हैं। भारत के tourism को भी बढ़ावा है।

भारत इतना विविधताओं से भरा देश है, अगर proper connectivity मिल जाए तो दुनिया के लोग एक जिले में अगर महीना भी निकाल दें, तो भी शायद पूरा देख करके नहीं जा सकते, इतनी विविधताओं से भरा हुआ हमारा देश है। ये aviation sector, इसकी ताकत देश के tourism को भी बहुत बड़ा बल देगी। और tourism एक ऐसा sector है कि जहां कम से कम पूंजी निवेश से अधिकतम रोजी-रोटी कमाई जा सकती है। अब tourism में हर कोई कमाएगा- टैक्‍सी वाला कमाएगा, ऑटो-रिक्‍शा वाला कमाएगा, गेस्‍ट हाउस वाला कमाएगा, फल-फूल बेचने वाला कमाएगा, मंदिर के बाहर बैठा हुआ पूजा-पाठ करने वाला भी कमाएगा; हर कोई कमाता है।

ये जो aviation sector को बढ़ावा देने के पीछे हमारा जो प्रयास है वो tourism के साथ भी सीधा-सीधा जोड़ा हुआ है। मुझे विश्‍वास है कि आज का ये नवी मुम्‍बई greenfield airport का शिलान्‍यास, और मैं हमेशा कार्यक्रम में पूछता रहता हूं, भई पूरा कब होगा। क्‍योंकि वो पुराने जमाने का अनुभव कैसा है, आप लोगों को मालूम है। तो हमने देश को उस कल्‍चर से बाहर निकालने के लिए बड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। लेकिन करेंगे- आपने काम दिया है तो हम उसको पूरा करके रहेंगे।

और मैं देख रहा हूं कि जो प्रोजेक्‍ट इन दिनों में देख रहा हूं मुम्‍बई और महाराष्‍ट्र में - मैं मोटा-मोटा अंदाज लगाऊं कि 2022 और 2022 के तुरंत का कालखंड कैसा होगा। थोड़ा visualize कीजिए आप - क्‍या होगा? शायद इसके पहले 20 साल, 25 साल में भी आप सोच नहीं पाए होंगे। अगर 2022, 23, 24, 25, इस कलाखंड को देखें तो आप देखेंगे कि यहीं पर आपकी आंखों के सामने नवी मुंबई के एयरपोर्ट से विमान उड़ने लगे होंगे।

इसी कालखंड में जब समंदर पार 22 किलोमीटर लंबे Trans Harbour Link Road पर आपकी गाड़िया पूर्ण झड़प से दौड़ती होंगी। इसी कालखंड में मुम्‍बई double line suburban corridor का काम पूरी तेज गति से पूरा हो गया होगा। उसी प्रकार से, उसी समय आपके यहां समुंद्र से जुड़े हुए जतिने भी प्रोजेक्‍ट हैं - पानी से जुड़े हुए, जमीन से जुड़े हुए, रेल से जुड़े हुए, एक साथ 22 के आसपास के समय में आपको नजर आने लगेंगे। और दूसरी तरफ छत्रपति शिवाजी महाराज का भव्‍य statue भी तैयार हो गया होगा। आप कल्‍पना कर सकते हैं कि कैसे बदल जाएगा।

तो मैं सारे इन initiatives के लिए श्रीमान देवेन्‍द्र जी को, केंद्र में मेरी टीम के साथी गजपति राजू जी, नितिन गडकरी जी, इन सबको बधाई देते हुए, आप सबको बहुत जल्‍द इस हवाई यात्रा का अवसर यहीं से मिल जाए, इसके लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्‍यवाद।

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।