प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में पेपरलेस वाणिज्य भवन का शिलान्यास किया
सरकार आपसी समन्वय के साथ समाधान निकालने की दिशा में कार्य कर रही है: पीएम मोदी
हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है: प्रधानमंत्री
भारत अब वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है: प्रधानमंत्री मोदी
आयात को कम करने के लिए घरेलू विनिर्माण उत्पादन बढ़ाने के प्रयास जरूरी: पीएम मोदी

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री सुरेश प्रभु जी, आवास और शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी जी, वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री श्री सी. आर. चौधरी जी, वाणिज्य मंत्रालय और संबंधित विभागों के अधिकारीगण और यहां उपस्थित अन्य महानुभाव

सबसे पहले मैं आप सभी को वाणिज्य भवन का शिलान्यास होने पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज इसका कार्य शुरू हो गया है और जैसा कि मंच पर ही बताया गया है कि अगले वर्ष दिसंबर तक निर्माण का काम पूरा हो जाएगा। मुझे उम्मीद है कि समय की सीमाओं में ही वाणिज्य भवन बनेगा और जल्द से जल्द इसका लाभ लोगों को मिलने लगेगा।

साथियों, समय की बात सबसे पहले मैं इसलिए कर रहा हूं क्योंकि इस सरकार के दौरान जितने भी भवनों का शिलान्यास या उद्घाटन करने का अवसर मुझे मिला, उसमें ज्यादातर में एक बात कॉमन थी। कॉमन ये की इमारतों का निर्माण भी सरकारों के काम करने के तरीकों का प्रतिबिम्ब होता है। न्यू इंडिया की ओर बढ़ते देश और पुरानी व्यवस्थाओं के बीच का फर्क भी इसी से पता चलता है।

साथियों, मैं आपको कुछ उदाहरण देना चाहता हूं। मुझे याद है जब वर्ष 2016 में प्रवासी भारतीय केंद्र का लोकार्पण हुआ, तो उस समय ये बात भी सामने आई थी कि उस केंद्र का ऐलान अटल बिहारी वाजपायी जी के समय हुआ था। बाद में उसे मूर्त रूप में आते-आते 12 साल लग गए।

 

पिछले साल दिसंबर में जिस डॉक्टर आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर का लोकार्पण हुआ, उसे बनाने का निर्णय भी 1992 में लिया गया था। लेकिन इसका शिलान्यास हुआ वर्ष 2015 में  मैंने कहा , कहाँ 1992 कहाँ 2015, इसका  लोकार्पण 2017 में हुआ। यानि निर्णय होने के बाद 23-24 साल लग गए, सिर्फ एक सेंटर बनने में।

साथियों, इसी साल मार्च में मैंने Central Information Commission के नए भवन को भी देश को समर्पित किया था। CIC के लिए नए भवन की मांग भी 12 साल से हो रही थी लेकिन इसके लिए भी काम NDA की अभी की सरकार ने ही शुरू करवाया और तय समय में उसे पूरा भी किया।

एक और उदाहरण है अलीपुर रोड में बनी आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक का। दो महीना पहले इसका भी लोकार्पण किया गया है। इस स्मारक के लिए भी बरसों तक चर्चा हुई, अटल जी के समय काम में तेजी भी आई , लेकिन बाद में  दस बारह साल सब ठप पड़ गया।

दिल्ली की ये चार अलग-अलग इमारतें, प्रतीक हैं कि जब सरकार silos में काम नहीं होता, जब सारे विभाग, मंत्रालय, silos से निकलकर solution के लिए, एक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करते हैं, तो कितना अच्छा और कितना जल्दी  परिणाम निकलता है। हर काम को अटकाने-भटकाने-लटकाने की प्रवत्ति से देश अब आगे निकल चुका है।

मुझे खुशी है कि आज इसमें पाँचवाँ प्रतीक जुड़ने की शुरुआत हो गई है। इस वाणिज्य भवन में, एक छत के नीचे, commerce sector के हर क्षेत्र से silos को खत्म करने का कार्य और बेहतर तरीके से किया जाएगा, मेरी यही कामना है। मुझे विश्वास है की यह परिपूर्ण भी होगा| 

साथियों, आज भारत समय के बहुत महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। हमारा Demographic Dividendकिसी भी देश के लिए ईर्ष्या का विषय हो सकता है। हमारी democracy को हमारे नौजवान नई ऊर्जा देते हैं। ये नौजवान 21वीं सदी के भारत का आधार हैं। उनकी आशाओं-आकांक्षाओं की पूर्ति, सिर्फ कुछ मंत्रालयों की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हम सभी का सामूहिक दायित्व है।

भारत पिछली शताब्दी में औद्योगिक क्रांति का लाभ उठाने से चूक गया था। तब उसकी अनेक वजहें थीं। लेकिन अब उतनी ही वजहें हैं जिनकी वजह से भारत अब इस शताब्दी की औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करने वालों में से एक बन सकता है।चौथी औद्योगिक क्रांति, जिसे 4th Industrial Revolution भी कहते हैं, उसका मुख्य आधार डिजिटल टेक्नोलॉजी है और निश्चित तौर पर भारत इसमें दुनिया के कई देशों से कहीं आगे है।

आज आप वाणिज्य मंत्रालयों के भी जितने लक्ष्यों को देखेंगे, जितने भी कार्यों को देखेंगे, तो उसमें डिजिटल टेक्नोलॉजी की प्रमुखता ही आपको नजर आएगी।

ये वाणिज्य भवन ही देखिए। जिस जमीन पर ये इमारत बनेगी, वो पहले Directorate General of Supplies and Disposal के अधिकार में थी। सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराना ये विभाग अब बंद हो चुका है और इसकी जगह ली है डिजिटल तकनीक पर आधारित Government-e-Marketplace- GeMने। सरकार किस तरह से अपनी जरूरत के सामान की खरीद करती है, उस व्यवस्था को GeM ने पूरी तरह से बदल दिया है।

आज की तारीख में1 लाख 17 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े विक्रेता, कंपनियां इससे जुड़ी चुकी हैं। इन Sellers को 5 लाख से ज्यादा Orders GeM के माध्यम से दिए जा चुके हैं। बहुत कम समय में GeM पर 8700 करोड़ रुपए के सामान को खरीदा गया है।

जिस तरह GeM ने देश के सुदूर कोने में बैठे छोटे-छोटे उद्मियों को अपने Products सीधे सरकार को बेचने का अवसर मुहैया कराया है, उसके लिए Commerce Ministry प्रशंसा की पात्र है। लेकिन आप लोगों के लिए, मैं इसे एक लंबी यात्रा की शुरुआत मानता हूं।

GeM का विस्तार और कैसे बढ़ाया जाए, कैसे ये देश के MSME सेक्टर, छोटे उद्यमियों को International Commerce की तरफ ले जाए, इस बारे में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। आज देश में 40 करोड़ से ज्यादा स्मार्टफोन, इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की बढ़ती हुई संख्या, सस्ता डेटा, आपके कार्यों को और आसान कर रहा है।

साथियों, हमारे यहां कहा गया है- को हि भार: समर्थानाम् किम् दूर व्यवसायिनाम्। यानि जो व्यक्ति शक्तिशाली होता है, उसके लिए कोई चीज भारी नहीं होती। इसी तरह व्यवसायियों के लिए कोई जगह दूर नहीं होती। आज टेक्नोलॉजी ने व्यापार को इतना सुगम बना दिया है कि दूरी दिनोंदिन कम होती जा रही है। ये टेक्नोलॉजी देश के बिजनेस कल्चर में जितनी बढ़ेगी, उतना ही फायदा पहुंचाएगी।

हम देख रहे हैं कि किस तरह एक वर्ष से भी कम समय ने GST देश में बिजनेस का तरीका बदल दिया है। अगर टेक्नोलॉजी नहीं होती, तो क्या ये संभव होता? नहीं। आज GST की वजह से ही देश में Indirect Tax औऱ उससे जुड़ने वाले लोगों का विस्तार बहुत तेजी से  हो रहा है।

स्वतंत्रता के बाद से हमारे देश में Indirect Tax सिस्टम से जहां सिर्फ 60 लाख जुड़े हुए थे, वहीं GST के बाद के 11 महीनों में ही अब तक 54  लाख से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दिया है और इनमें से 47 लाख से ज्यादा रजिस्टर हो चुके हैं। इस तरह रजिस्टर्ड लोगों की संख्या अब एक करोड़ से ज्यादा हो चुकी है।

ये इस बात को दर्शाता है कि प्रक्रियाओं को सरल करने पर, Minimum Government, Maximum Governance की राह पर चलने पर नतीजे भी आते हैं, और ज्यादा से ज्यादा लोग भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए कदम बढ़ाते हैं।

साथियों, आप भली-भांति जानते हैं कि पिछले 4 वर्षों में सरकार ने People friendly, Development friendly और Investment friendly माहौल बनाने का निरंतर प्रयास किया है। तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के Macro-Economic Indicators stable बने हुए हैं। Inflation हो, Fiscal Deficit हो, या फिर Current Account Balance, इनमें पहले की सरकारों की तुलना में सुधार हुआ है।

भारत आज दुनिया की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अभी पिछले ही क्वार्टर में देश की विकास दर ने 7.7 प्रतिशत के आंकड़े को Touch किया है। पिछले 4 वर्षों में हुआ विदेशी निवेश, विदेशी मुद्रा का भंडार अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

आज भारत FDI Confidence Index में top two emerging market performers में से एक है। Ease of doing Business की रैंकिंग में 142 से 100 नंबर पर पहुंचना, Logistics Performance Index में 19 अंकों का सुधार, Global Competitiveness Index में रैंकिंग 71 से सुधकर 39 पर पहुंचना, Global Innovation Index में 21 अंक का उछाल आना, ये इसी विजन का नतीजा है।

आपकी जानकारी में अवश्य होगा कि हाल ही में भारत ने दुनिया के top 5 Fin Tech countries में भी जगह बना ली है।

लेकिन इन Positive Indicators के साथ ही आगे बहुत बड़ा सवाल ये भी है कि अब आगे क्या? साथियों, सात प्रतिशत, आठ प्रतिशत की विकास दर से आगे बढ़कर हमें डबल डिजिट की विकास दर प्राप्त करने के लक्ष्य पर काम करना है। दुनिया की नजरें आज भारत को इस दृष्टि से भी देख रही हैं कि भारत कितने वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर के क्लब में शामिल होता है?

मैं मानता हूं कि Commerce Ministry को, आप सभी जिम्मेदार अधिकारीगणों को इन लक्ष्यों को एक चैलेंज की तरह लेना चाहिए। आर्थिक मोर्चे पर की गई ये प्रगति सीधे-सीधे देश के सामान्य नागरिक के जीवन से जुड़ी हुई है।

इसलिए आपने ये भी देखा होगा कि जब भी मैं Ease of Trading, Ease of Doing Businessकी बात करता हूं, वो साथ ही Ease of Livingका विषय भी हमेशा  उठाता हूं। आज की Interconnected दुनिया में ये सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

जब बिजली कनेक्शन लेना आसान होता है, कंस्ट्रक्शन को लेकर मंजूरी जल्दी मिलती है, जब उद्योगों को, कंपनियों को प्रक्रियाओं से उलझना नहीं होता, तो इसका लाभ जन सामान्य तक भी पहुंचता है। इसलिए आप लोगों के लिए भी ये एक चैलेंज है कि अब भी जो अलग-अलग सेक्टरों में जो bottleneck बचे हुए हैं, जहां पर silos में काम हो रहा है, उन्हें जितना जल्दी हो सके  दूर किया जाए।

विशेषकर Infrasector में जो दिक्कतें आती हैं, high Transaction cost होता है, Manufacturing को बढ़ाने में जो बातें गतिरोध पैदा करती हैं, services का inadequate diversification करती हैं, उन्हें रोका जाना, सुधारा जाना बहुत आवश्यक है।

मुझे खुशी है कि अभी हाल ही में Department of Commerce ने देश के logistics sector के integrated development का बीड़ा उठाया है। ये initiative देश में trade के environment को सुधारने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है।

साथियों, Integrated logistics action plan आज समय की मांग है और New India की जरूरत भी है।Policy में बदलाव करके, जो वर्तमान में Procedures हैं, उन्हें सुधार करके,आज की आधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ाकर इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

मुझे बताया गया है कि Department of Commerce इस दिशा में एक Online Portal पर भी काम कर रहा है। Global Trade में भारत की उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए, नई ऊँचाई पर पहुंचाने के लिए सभी मंत्रालयों और सभी राज्यों का एकसाथ मिलकर काम करना भी आवश्यक है। जिसको हम कहते हैं, ‘Whole of Government’ Approach,उसे अपनाए जाने की जरूरत है।

ये भी एक अच्छा कदम है कि Council for Trade Development and Promotion राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों में International Trade को बढ़ावा देने वाला वातावरण बनाने के लिए काम कर रही है। भारत के Exports को बढ़ाना है तो राज्यों को Active Partner बनाकर ही आगे बढ़ना होगा।

मैं समझता हूं कि राज्यों में State level export strategy का निर्माण करके, उन्हें National Trade Policy के साथ तालमेल करते हुए, आर्थिक सहायता करते हुए, जितने भी stakeholders हैं, उन्हें साथ लेते हुए, इस दिशा में जितनी तेजी से आगे बढ़ेंगे, उतना ही देश का लाभ होगा।

साथियों, International मार्केट में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने के लिए जो हमारे Traditional Products और Markets हैं, उन्हें बनाए रखते हुए नए Products और नए Markets पर ध्यान दिया जाना भी बहुत आवश्यक है।हमें देश के भीतर की चुनौतियों के साथ ही देश के बाहर की परिस्थितियों के लिए भी खुद को और मजबूत करना होगा।

जब हम short-term developmental gains और long-term sustainability के बीच एक संतुलन बनाकर चलेंगे तो उसके नतीजे भी दिखाई देंगे।

पिछले साल दिसंबर में Foreign Trade policy से जुड़ा जो Mid Term review किया गया था, उसे भी मैं बहुत सकारात्मक पहल मानता हूं। Incentive बढ़ाकर, MSME सेक्टर की Hand Holding करके निर्यात को बढ़ाने के लिए किया गया हर बदलाव प्रशंसनीय है। ये सीधे-सीधे देश की रोजगार जरूरतों से भी जुड़ा हुआ है।

एक और महत्वपूर्ण विषय है-Product की Quality. यही वजह है कि साल 2014 में मैंने 15 अगस्त को लाल किले से Zero Defect, Zero Effect का आह्वान किया था। उद्योग छोटा हो या बड़ा, हर मैन्यूफैक्चरर को इस बात के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए कि वो ऐसे Products बनाए, जिसमें Zero Defect हो, कोई हमारे exported goods को वापस न भेजे। इसके साथ ही मैंने Zero Effect की बात की थी, यानि हमारे Products पर्यावरण पर कोई negative effect न डालें।

Products की Quality को लेकर ये जागरूकता Make in India की चमक बढ़ाने और New India की पहचान को मजबूत करने का काम करेगी।

आप भी जब देखते होंगे कि जहां 2014 में हमारे देश में सिर्फ 2 मोबाइल मैन्यूपैक्चरिंग कंपनियां थीं, वो अब बढ़कर 120 हो गई हैं, बहुत ही कम कीमत पर विश्व स्तर के QualityProduct का निर्माण कर रही हैं, तो खुद को गौरवांवित महसूस करते होंगे।

साथियों, ये समय संकल्प का है, चुनौतियां स्वीकारने का है।

क्या Department of Commerce ये संकल्प ले सकता है की विश्व के कुल निर्यात में भारत के योगदान को बढ़ाकर दोगुना करे, अभी के 1.6 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 3.4 प्रतिशत तक ले जाए। ये world economy मेंGDP के भारत के योगदान के बराबर होगा। इस से देश में रोज़गार के और नए अवसर बनेंगे और हमारी per capita इनकम में भी बढ़ोतरी होगी।

इसके लिए सरकार के सभी विभागों और यहाँ उपस्थित एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल्स के सभी लोगों को मिलकर प्रयास करना होगा।

इसके अलावा एक और संकल्प लिया जा सकता है इम्पोर्ट को लेकर। क्या हम कुछ चुने हुए क्षेत्रों में इम्पोर्ट पर अपनी निर्भरता को कम कर सकते हैं?  चाहेवो एनर्जी इम्पोर्ट हो, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का इम्पोर्ट हो, डिफेन्स मैन्युफैक्चरिंग का क्षेत्र हो या मेडिकल devices का क्षेत्र हो। Make in india के द्वारा ये संभव है।

डोमेस्टिकमैन्यूफैक्चरिंग के द्वारा इम्पोर्ट में 10% की कमी देश में साढ़े तीन लाख करोड़रुपए कीआय बढ़ा सकती है। ये देश की GDP में वृद्धि को डबल डिजिट में ले जाने में एक Effective tool बन सकती है।

मैं आपको इलेक्ट्रॉनिक गुड्स की मैन्यूफैक्चरिंग का ही उदाहरण देना चाहता हूं। क्या ये आप सभी लोगों के लिए एक चुनौती नहीं है कि देश में इलेक्ट्रॉनिक गुड्स की कुल मांग का 65 प्रतिशत हमें बाहर से खरीदना पड़ता है?

जैसा मोबाइल फोन के क्षेत्र में हुआ है, वैसे हीक्या आप इस चुनौती को स्वीकार कर, देश को इलेक्ट्रॉनिक गुड्स की मैन्यूफैक्चरिग में आत्मनिर्भर बना सकते हैं?

साथियों, आप इससे भी परिचित हैं कि इम्पोर्ट पर निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बहुत महत्वपूर्ण कदम पिछले वर्ष उठाया गया है। Public Procurement (Preference to Make in India)आदेश के द्वारा सरकार के तमाम विभागों और संस्थानों में खरीदी जा रही वस्तुओं और सेवाओं के Domestic Source से खरीदने पर बल दिया जा रहा है। इस आदेश को पूरी गंभीरता के साथ लागू करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

इसके लिए आप सभी लोगों को, सरकार के सभी निकायों को, अपनी मॉनीटरिंग व्यवस्था को, इस आदेश के पालन के लिए और सुदृढ़ करना होगा।

घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने कई और अहम फैसले भी लिए हैं। वो चाहे regulatory framework हों, regulatory frameworkमें सरलता लाने की बात हो, investor friendly policyहो, इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजीस्टिक्स पर बल हो, ये सभी इसलिए किया जा रहा है ताकि भारत आत्मनिर्भर बने, 21वीं सदी की औद्योगिक क्रांति में एक कदम भी पीछे न रह जाए।

Make in India के साथ बढ़ता ये गौरव, नए बनने वाले वाणिज्य भवन का भी गौरव बढ़ाए, मेरी यही कामना है।

 

साथियों, यहां आने से पहले एक और शुभ कार्य आप लोगों ने मुझसे कराया है। इस परिसर में मौलश्री या बकुल के पौधे को लगाने का सौभाग्य मुझे मिला। मौलश्री की बहुत पौराणिक मान्यता है, कितने ही औषधीय गुणों से संपन्न है और इसका वृक्ष सालों-साल छाया देता है। मुझे बताया गया है कि इसके अलावा भी यहां करीब हजार पेड़ और लगाए जाने की योजना है।

नए बनने वाले वाणिज्य भवन का, प्रकृति के साथ ये संवाद, उसमें काम करने वाले लोगों को भी स्फूर्त रखेगा, उन्हें राहत देगा।

पर्यावरण के लिए अनुकूल, लेकिन आधुनिक तकनीक से संपन्न वातावरण में आप सभी न्यू इंडिया के लिए अपना श्रेष्ठतम दें, Best Effort करें, इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

एक बार फिर आप सभी को वाणिज्य भवन के निर्माण का काम शुरू होने पर बहुत-बहुत बधाई।

धन्यवाद !!!

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