प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में पेपरलेस वाणिज्य भवन का शिलान्यास किया
सरकार आपसी समन्वय के साथ समाधान निकालने की दिशा में कार्य कर रही है: पीएम मोदी
हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को पूरा करना हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है: प्रधानमंत्री
भारत अब वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है: प्रधानमंत्री मोदी
आयात को कम करने के लिए घरेलू विनिर्माण उत्पादन बढ़ाने के प्रयास जरूरी: पीएम मोदी

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री सुरेश प्रभु जी, आवास और शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी जी, वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री श्री सी. आर. चौधरी जी, वाणिज्य मंत्रालय और संबंधित विभागों के अधिकारीगण और यहां उपस्थित अन्य महानुभाव

सबसे पहले मैं आप सभी को वाणिज्य भवन का शिलान्यास होने पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आज इसका कार्य शुरू हो गया है और जैसा कि मंच पर ही बताया गया है कि अगले वर्ष दिसंबर तक निर्माण का काम पूरा हो जाएगा। मुझे उम्मीद है कि समय की सीमाओं में ही वाणिज्य भवन बनेगा और जल्द से जल्द इसका लाभ लोगों को मिलने लगेगा।

साथियों, समय की बात सबसे पहले मैं इसलिए कर रहा हूं क्योंकि इस सरकार के दौरान जितने भी भवनों का शिलान्यास या उद्घाटन करने का अवसर मुझे मिला, उसमें ज्यादातर में एक बात कॉमन थी। कॉमन ये की इमारतों का निर्माण भी सरकारों के काम करने के तरीकों का प्रतिबिम्ब होता है। न्यू इंडिया की ओर बढ़ते देश और पुरानी व्यवस्थाओं के बीच का फर्क भी इसी से पता चलता है।

साथियों, मैं आपको कुछ उदाहरण देना चाहता हूं। मुझे याद है जब वर्ष 2016 में प्रवासी भारतीय केंद्र का लोकार्पण हुआ, तो उस समय ये बात भी सामने आई थी कि उस केंद्र का ऐलान अटल बिहारी वाजपायी जी के समय हुआ था। बाद में उसे मूर्त रूप में आते-आते 12 साल लग गए।

 

पिछले साल दिसंबर में जिस डॉक्टर आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर का लोकार्पण हुआ, उसे बनाने का निर्णय भी 1992 में लिया गया था। लेकिन इसका शिलान्यास हुआ वर्ष 2015 में  मैंने कहा , कहाँ 1992 कहाँ 2015, इसका  लोकार्पण 2017 में हुआ। यानि निर्णय होने के बाद 23-24 साल लग गए, सिर्फ एक सेंटर बनने में।

साथियों, इसी साल मार्च में मैंने Central Information Commission के नए भवन को भी देश को समर्पित किया था। CIC के लिए नए भवन की मांग भी 12 साल से हो रही थी लेकिन इसके लिए भी काम NDA की अभी की सरकार ने ही शुरू करवाया और तय समय में उसे पूरा भी किया।

एक और उदाहरण है अलीपुर रोड में बनी आंबेडकर राष्ट्रीय स्मारक का। दो महीना पहले इसका भी लोकार्पण किया गया है। इस स्मारक के लिए भी बरसों तक चर्चा हुई, अटल जी के समय काम में तेजी भी आई , लेकिन बाद में  दस बारह साल सब ठप पड़ गया।

दिल्ली की ये चार अलग-अलग इमारतें, प्रतीक हैं कि जब सरकार silos में काम नहीं होता, जब सारे विभाग, मंत्रालय, silos से निकलकर solution के लिए, एक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करते हैं, तो कितना अच्छा और कितना जल्दी  परिणाम निकलता है। हर काम को अटकाने-भटकाने-लटकाने की प्रवत्ति से देश अब आगे निकल चुका है।

मुझे खुशी है कि आज इसमें पाँचवाँ प्रतीक जुड़ने की शुरुआत हो गई है। इस वाणिज्य भवन में, एक छत के नीचे, commerce sector के हर क्षेत्र से silos को खत्म करने का कार्य और बेहतर तरीके से किया जाएगा, मेरी यही कामना है। मुझे विश्वास है की यह परिपूर्ण भी होगा| 

साथियों, आज भारत समय के बहुत महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। हमारा Demographic Dividendकिसी भी देश के लिए ईर्ष्या का विषय हो सकता है। हमारी democracy को हमारे नौजवान नई ऊर्जा देते हैं। ये नौजवान 21वीं सदी के भारत का आधार हैं। उनकी आशाओं-आकांक्षाओं की पूर्ति, सिर्फ कुछ मंत्रालयों की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हम सभी का सामूहिक दायित्व है।

भारत पिछली शताब्दी में औद्योगिक क्रांति का लाभ उठाने से चूक गया था। तब उसकी अनेक वजहें थीं। लेकिन अब उतनी ही वजहें हैं जिनकी वजह से भारत अब इस शताब्दी की औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व करने वालों में से एक बन सकता है।चौथी औद्योगिक क्रांति, जिसे 4th Industrial Revolution भी कहते हैं, उसका मुख्य आधार डिजिटल टेक्नोलॉजी है और निश्चित तौर पर भारत इसमें दुनिया के कई देशों से कहीं आगे है।

आज आप वाणिज्य मंत्रालयों के भी जितने लक्ष्यों को देखेंगे, जितने भी कार्यों को देखेंगे, तो उसमें डिजिटल टेक्नोलॉजी की प्रमुखता ही आपको नजर आएगी।

ये वाणिज्य भवन ही देखिए। जिस जमीन पर ये इमारत बनेगी, वो पहले Directorate General of Supplies and Disposal के अधिकार में थी। सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराना ये विभाग अब बंद हो चुका है और इसकी जगह ली है डिजिटल तकनीक पर आधारित Government-e-Marketplace- GeMने। सरकार किस तरह से अपनी जरूरत के सामान की खरीद करती है, उस व्यवस्था को GeM ने पूरी तरह से बदल दिया है।

आज की तारीख में1 लाख 17 हजार से ज्यादा छोटे-बड़े विक्रेता, कंपनियां इससे जुड़ी चुकी हैं। इन Sellers को 5 लाख से ज्यादा Orders GeM के माध्यम से दिए जा चुके हैं। बहुत कम समय में GeM पर 8700 करोड़ रुपए के सामान को खरीदा गया है।

जिस तरह GeM ने देश के सुदूर कोने में बैठे छोटे-छोटे उद्मियों को अपने Products सीधे सरकार को बेचने का अवसर मुहैया कराया है, उसके लिए Commerce Ministry प्रशंसा की पात्र है। लेकिन आप लोगों के लिए, मैं इसे एक लंबी यात्रा की शुरुआत मानता हूं।

GeM का विस्तार और कैसे बढ़ाया जाए, कैसे ये देश के MSME सेक्टर, छोटे उद्यमियों को International Commerce की तरफ ले जाए, इस बारे में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। आज देश में 40 करोड़ से ज्यादा स्मार्टफोन, इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की बढ़ती हुई संख्या, सस्ता डेटा, आपके कार्यों को और आसान कर रहा है।

साथियों, हमारे यहां कहा गया है- को हि भार: समर्थानाम् किम् दूर व्यवसायिनाम्। यानि जो व्यक्ति शक्तिशाली होता है, उसके लिए कोई चीज भारी नहीं होती। इसी तरह व्यवसायियों के लिए कोई जगह दूर नहीं होती। आज टेक्नोलॉजी ने व्यापार को इतना सुगम बना दिया है कि दूरी दिनोंदिन कम होती जा रही है। ये टेक्नोलॉजी देश के बिजनेस कल्चर में जितनी बढ़ेगी, उतना ही फायदा पहुंचाएगी।

हम देख रहे हैं कि किस तरह एक वर्ष से भी कम समय ने GST देश में बिजनेस का तरीका बदल दिया है। अगर टेक्नोलॉजी नहीं होती, तो क्या ये संभव होता? नहीं। आज GST की वजह से ही देश में Indirect Tax औऱ उससे जुड़ने वाले लोगों का विस्तार बहुत तेजी से  हो रहा है।

स्वतंत्रता के बाद से हमारे देश में Indirect Tax सिस्टम से जहां सिर्फ 60 लाख जुड़े हुए थे, वहीं GST के बाद के 11 महीनों में ही अब तक 54  लाख से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन दिया है और इनमें से 47 लाख से ज्यादा रजिस्टर हो चुके हैं। इस तरह रजिस्टर्ड लोगों की संख्या अब एक करोड़ से ज्यादा हो चुकी है।

ये इस बात को दर्शाता है कि प्रक्रियाओं को सरल करने पर, Minimum Government, Maximum Governance की राह पर चलने पर नतीजे भी आते हैं, और ज्यादा से ज्यादा लोग भी विकास की मुख्यधारा से जुड़ने के लिए कदम बढ़ाते हैं।

साथियों, आप भली-भांति जानते हैं कि पिछले 4 वर्षों में सरकार ने People friendly, Development friendly और Investment friendly माहौल बनाने का निरंतर प्रयास किया है। तमाम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के Macro-Economic Indicators stable बने हुए हैं। Inflation हो, Fiscal Deficit हो, या फिर Current Account Balance, इनमें पहले की सरकारों की तुलना में सुधार हुआ है।

भारत आज दुनिया की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अभी पिछले ही क्वार्टर में देश की विकास दर ने 7.7 प्रतिशत के आंकड़े को Touch किया है। पिछले 4 वर्षों में हुआ विदेशी निवेश, विदेशी मुद्रा का भंडार अपने आप में एक रिकॉर्ड है।

आज भारत FDI Confidence Index में top two emerging market performers में से एक है। Ease of doing Business की रैंकिंग में 142 से 100 नंबर पर पहुंचना, Logistics Performance Index में 19 अंकों का सुधार, Global Competitiveness Index में रैंकिंग 71 से सुधकर 39 पर पहुंचना, Global Innovation Index में 21 अंक का उछाल आना, ये इसी विजन का नतीजा है।

आपकी जानकारी में अवश्य होगा कि हाल ही में भारत ने दुनिया के top 5 Fin Tech countries में भी जगह बना ली है।

लेकिन इन Positive Indicators के साथ ही आगे बहुत बड़ा सवाल ये भी है कि अब आगे क्या? साथियों, सात प्रतिशत, आठ प्रतिशत की विकास दर से आगे बढ़कर हमें डबल डिजिट की विकास दर प्राप्त करने के लक्ष्य पर काम करना है। दुनिया की नजरें आज भारत को इस दृष्टि से भी देख रही हैं कि भारत कितने वर्षों में 5 ट्रिलियन डॉलर के क्लब में शामिल होता है?

मैं मानता हूं कि Commerce Ministry को, आप सभी जिम्मेदार अधिकारीगणों को इन लक्ष्यों को एक चैलेंज की तरह लेना चाहिए। आर्थिक मोर्चे पर की गई ये प्रगति सीधे-सीधे देश के सामान्य नागरिक के जीवन से जुड़ी हुई है।

इसलिए आपने ये भी देखा होगा कि जब भी मैं Ease of Trading, Ease of Doing Businessकी बात करता हूं, वो साथ ही Ease of Livingका विषय भी हमेशा  उठाता हूं। आज की Interconnected दुनिया में ये सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।

जब बिजली कनेक्शन लेना आसान होता है, कंस्ट्रक्शन को लेकर मंजूरी जल्दी मिलती है, जब उद्योगों को, कंपनियों को प्रक्रियाओं से उलझना नहीं होता, तो इसका लाभ जन सामान्य तक भी पहुंचता है। इसलिए आप लोगों के लिए भी ये एक चैलेंज है कि अब भी जो अलग-अलग सेक्टरों में जो bottleneck बचे हुए हैं, जहां पर silos में काम हो रहा है, उन्हें जितना जल्दी हो सके  दूर किया जाए।

विशेषकर Infrasector में जो दिक्कतें आती हैं, high Transaction cost होता है, Manufacturing को बढ़ाने में जो बातें गतिरोध पैदा करती हैं, services का inadequate diversification करती हैं, उन्हें रोका जाना, सुधारा जाना बहुत आवश्यक है।

मुझे खुशी है कि अभी हाल ही में Department of Commerce ने देश के logistics sector के integrated development का बीड़ा उठाया है। ये initiative देश में trade के environment को सुधारने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है।

साथियों, Integrated logistics action plan आज समय की मांग है और New India की जरूरत भी है।Policy में बदलाव करके, जो वर्तमान में Procedures हैं, उन्हें सुधार करके,आज की आधुनिक तकनीक का उपयोग बढ़ाकर इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।

मुझे बताया गया है कि Department of Commerce इस दिशा में एक Online Portal पर भी काम कर रहा है। Global Trade में भारत की उपस्थिति को और मजबूत करने के लिए, नई ऊँचाई पर पहुंचाने के लिए सभी मंत्रालयों और सभी राज्यों का एकसाथ मिलकर काम करना भी आवश्यक है। जिसको हम कहते हैं, ‘Whole of Government’ Approach,उसे अपनाए जाने की जरूरत है।

ये भी एक अच्छा कदम है कि Council for Trade Development and Promotion राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों में International Trade को बढ़ावा देने वाला वातावरण बनाने के लिए काम कर रही है। भारत के Exports को बढ़ाना है तो राज्यों को Active Partner बनाकर ही आगे बढ़ना होगा।

मैं समझता हूं कि राज्यों में State level export strategy का निर्माण करके, उन्हें National Trade Policy के साथ तालमेल करते हुए, आर्थिक सहायता करते हुए, जितने भी stakeholders हैं, उन्हें साथ लेते हुए, इस दिशा में जितनी तेजी से आगे बढ़ेंगे, उतना ही देश का लाभ होगा।

साथियों, International मार्केट में भारत की उपस्थिति को बढ़ाने के लिए जो हमारे Traditional Products और Markets हैं, उन्हें बनाए रखते हुए नए Products और नए Markets पर ध्यान दिया जाना भी बहुत आवश्यक है।हमें देश के भीतर की चुनौतियों के साथ ही देश के बाहर की परिस्थितियों के लिए भी खुद को और मजबूत करना होगा।

जब हम short-term developmental gains और long-term sustainability के बीच एक संतुलन बनाकर चलेंगे तो उसके नतीजे भी दिखाई देंगे।

पिछले साल दिसंबर में Foreign Trade policy से जुड़ा जो Mid Term review किया गया था, उसे भी मैं बहुत सकारात्मक पहल मानता हूं। Incentive बढ़ाकर, MSME सेक्टर की Hand Holding करके निर्यात को बढ़ाने के लिए किया गया हर बदलाव प्रशंसनीय है। ये सीधे-सीधे देश की रोजगार जरूरतों से भी जुड़ा हुआ है।

एक और महत्वपूर्ण विषय है-Product की Quality. यही वजह है कि साल 2014 में मैंने 15 अगस्त को लाल किले से Zero Defect, Zero Effect का आह्वान किया था। उद्योग छोटा हो या बड़ा, हर मैन्यूफैक्चरर को इस बात के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए कि वो ऐसे Products बनाए, जिसमें Zero Defect हो, कोई हमारे exported goods को वापस न भेजे। इसके साथ ही मैंने Zero Effect की बात की थी, यानि हमारे Products पर्यावरण पर कोई negative effect न डालें।

Products की Quality को लेकर ये जागरूकता Make in India की चमक बढ़ाने और New India की पहचान को मजबूत करने का काम करेगी।

आप भी जब देखते होंगे कि जहां 2014 में हमारे देश में सिर्फ 2 मोबाइल मैन्यूपैक्चरिंग कंपनियां थीं, वो अब बढ़कर 120 हो गई हैं, बहुत ही कम कीमत पर विश्व स्तर के QualityProduct का निर्माण कर रही हैं, तो खुद को गौरवांवित महसूस करते होंगे।

साथियों, ये समय संकल्प का है, चुनौतियां स्वीकारने का है।

क्या Department of Commerce ये संकल्प ले सकता है की विश्व के कुल निर्यात में भारत के योगदान को बढ़ाकर दोगुना करे, अभी के 1.6 प्रतिशत से बढ़ाकर कम से कम 3.4 प्रतिशत तक ले जाए। ये world economy मेंGDP के भारत के योगदान के बराबर होगा। इस से देश में रोज़गार के और नए अवसर बनेंगे और हमारी per capita इनकम में भी बढ़ोतरी होगी।

इसके लिए सरकार के सभी विभागों और यहाँ उपस्थित एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल्स के सभी लोगों को मिलकर प्रयास करना होगा।

इसके अलावा एक और संकल्प लिया जा सकता है इम्पोर्ट को लेकर। क्या हम कुछ चुने हुए क्षेत्रों में इम्पोर्ट पर अपनी निर्भरता को कम कर सकते हैं?  चाहेवो एनर्जी इम्पोर्ट हो, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स का इम्पोर्ट हो, डिफेन्स मैन्युफैक्चरिंग का क्षेत्र हो या मेडिकल devices का क्षेत्र हो। Make in india के द्वारा ये संभव है।

डोमेस्टिकमैन्यूफैक्चरिंग के द्वारा इम्पोर्ट में 10% की कमी देश में साढ़े तीन लाख करोड़रुपए कीआय बढ़ा सकती है। ये देश की GDP में वृद्धि को डबल डिजिट में ले जाने में एक Effective tool बन सकती है।

मैं आपको इलेक्ट्रॉनिक गुड्स की मैन्यूफैक्चरिंग का ही उदाहरण देना चाहता हूं। क्या ये आप सभी लोगों के लिए एक चुनौती नहीं है कि देश में इलेक्ट्रॉनिक गुड्स की कुल मांग का 65 प्रतिशत हमें बाहर से खरीदना पड़ता है?

जैसा मोबाइल फोन के क्षेत्र में हुआ है, वैसे हीक्या आप इस चुनौती को स्वीकार कर, देश को इलेक्ट्रॉनिक गुड्स की मैन्यूफैक्चरिग में आत्मनिर्भर बना सकते हैं?

साथियों, आप इससे भी परिचित हैं कि इम्पोर्ट पर निर्भरता को कम करने की दिशा में एक बहुत महत्वपूर्ण कदम पिछले वर्ष उठाया गया है। Public Procurement (Preference to Make in India)आदेश के द्वारा सरकार के तमाम विभागों और संस्थानों में खरीदी जा रही वस्तुओं और सेवाओं के Domestic Source से खरीदने पर बल दिया जा रहा है। इस आदेश को पूरी गंभीरता के साथ लागू करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

इसके लिए आप सभी लोगों को, सरकार के सभी निकायों को, अपनी मॉनीटरिंग व्यवस्था को, इस आदेश के पालन के लिए और सुदृढ़ करना होगा।

घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने कई और अहम फैसले भी लिए हैं। वो चाहे regulatory framework हों, regulatory frameworkमें सरलता लाने की बात हो, investor friendly policyहो, इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजीस्टिक्स पर बल हो, ये सभी इसलिए किया जा रहा है ताकि भारत आत्मनिर्भर बने, 21वीं सदी की औद्योगिक क्रांति में एक कदम भी पीछे न रह जाए।

Make in India के साथ बढ़ता ये गौरव, नए बनने वाले वाणिज्य भवन का भी गौरव बढ़ाए, मेरी यही कामना है।

 

साथियों, यहां आने से पहले एक और शुभ कार्य आप लोगों ने मुझसे कराया है। इस परिसर में मौलश्री या बकुल के पौधे को लगाने का सौभाग्य मुझे मिला। मौलश्री की बहुत पौराणिक मान्यता है, कितने ही औषधीय गुणों से संपन्न है और इसका वृक्ष सालों-साल छाया देता है। मुझे बताया गया है कि इसके अलावा भी यहां करीब हजार पेड़ और लगाए जाने की योजना है।

नए बनने वाले वाणिज्य भवन का, प्रकृति के साथ ये संवाद, उसमें काम करने वाले लोगों को भी स्फूर्त रखेगा, उन्हें राहत देगा।

पर्यावरण के लिए अनुकूल, लेकिन आधुनिक तकनीक से संपन्न वातावरण में आप सभी न्यू इंडिया के लिए अपना श्रेष्ठतम दें, Best Effort करें, इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं।

एक बार फिर आप सभी को वाणिज्य भवन के निर्माण का काम शुरू होने पर बहुत-बहुत बधाई।

धन्यवाद !!!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।