हवाई सेवा केवल अमीरों के लिए नहीं है, हमारी सरकार ने हवाई सेवा को सभी वर्ग लोगों के लोगों के लिए सुलभ बनाने का काम किया है: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी का लोगों से आग्रह, पानी की उपयोग जिम्मेदारी से करें, बूंद- बूंद का करें संरक्षण
पिछले दिनों हैंडपंप को विकास का संकेत माना जाता था, आज नर्मदा नदी के जल से नागरिकों को लाभ मिल रहा है: प्रधानमंत्री
सुरसागर डेयरी का लोगों को लाभ मिलेगा: प्रधानमंत्री मोदी

विशाल संख्‍या में पधारे हुए सुरेन्‍द्रनगर जिले के मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनों।

यह चोटिला ने कभी सोचा होगा की यहां एयरपोर्ट आयेगा? सुरेन्द्र जिले ने कभी सोचा था? एयरपोर्ट आयेगा तो अच्छा लगेगा ना? एयरपोर्ट आना चाहिये ना? यह एयरपोर्ट आये, विमान उडे, सारी व्यवस्था हो, उसको विकास कहेंगे? यह विकास आपको पसंद है? विकास होना चाहिये? विकास जरूरी है? विकास गुजरात का भविष्य बदलेगा? विकास आपके संतानो का भविष्य बदलेगा? शाबाश|

आप गरीब से गरीब व्‍यक्ति को पूछो, जिस के पास घर नहीं है उससे पूछो, घर चाहिए वो कहेगा हां चाहिए। और उसको घर देना है, गरीब को रहने के लिए व्‍यवस्‍था देनी है तो विकास किए बिना ये संभव नहीं है। विकास पहले भी होता था लेकिन तब किसी गांव में किसी मोहल्‍ले में एक हैंडपंप लगा दिया तो नेता तीन-तीन चुनावो में कहता रहता था कि देखिए मैंने आपके यहां हैंडपंप लगा दिया है। मुझे चुनाव जीता दीजिए मैंने आपका विकास का काम किया है। यानि हैंडपंप लगाना, पानी के लिए हैंडपंप लगाना यही विकास की परिभाषा थी।

आज एक ऐसी सरकार है। जो इतनी बड़ी पाइप लाइन लगाकर के मां नर्मदा का पानी गांव-गांव, घर-घर पहुंचा रही है। और पूरे गुजरात में नर्मदा योजना के कारण सबसे अधिक लाभ अगर किसी को होने वाला है। उस जिले का नाम है। क्‍या नाम है उस जिले का? क्‍या नाम है? उस जिले का नाम है सुरेंद्र नगर। नर्मदा का पानी ये सूखी धरती को नंदनवन बनाने के लिए मां नर्मदा आपके घर तक आई है। और सिर्फ ग्रामीण और कृषि जीवन में ही ये नर्मदा का प्रभाव पैदा होगा ऐसा नहीं है। ये पानी एक ऐसी ताकत है कि सुरेंद्र नगर जिला नर्मदा के पानी के कारण आने वाले दिनों में औद्योगिक विकास का भी एक बहुत बड़ा का केंद्र बनेगा। रोजगार की सर्वाधिक संभावनाएं सुरेंद्र नगर जिले में पैदा होंगी। शिक्षा का ये बहुत बड़ा धाम बनेगा। क्‍योंकि जब पानी होता है तो व्‍यवस्‍थाएं विकसित करने की सरकार की हिम्‍मत और बढ़ जाती है। और ये airport बन रहा है उसका नतीजा भी यही है। कि सुरेंद्र नगर जिला और राजकोट जिला ये एक-दूसरे से आने वाले दिनों में स्पर्धा करने वाले थान आगे निकल जाये या मोरबी आगे निकल जाये| और यह तंदुरस्त स्पर्धा होने वाली है, विकास की तंदुरस्त स्पर्धा होने वाली है। और इसलिए जो तेज गति से आगे बढ़ने की संभावना वाले सुरेंद्र नगर जिला और राजकोट जिला उसके मध्‍य में भारत सरकार सैंकड़ों करोड़ों रूपए खर्च करके ये भव्‍य airport बनाने की दिशा में आज महत्‍वपूर्ण शिलान्‍यास करके कदम रख रही है। कुछ लोग होते हैं जिनको इसमें भी बुरा लगेगा। लेकिन उनको कहो बस में जाओ यहां विमान में क्‍यों जाते हो। नहीं नहीं बोले जल्‍दी जाना है। तो तुझे तो जाना है लोगों को नहीं जल्‍दी जाना है क्‍या?

सामान्‍य मानवी को और आज हवाई यात्रा वो पुराने जमाने में राजा महाराजा जो हुआ करते थे न, वो नहीं रहा। और इसलिए मैंने कहा मैं देश के aviation sector का विकास ऐसा करना चाहता हूं। कि हवाई चप्‍पल पहना हुआ व्‍यक्ति भी हवाई जहाज में यात्रा करने लगेगा और उसी के तहत आप हैरान होंगे। आज पूरे विश्‍व में aviation sector का महात्‍मय है। लेकिन भारत में आजादी के बाद कभी aviation की policy ही नहीं बनी। कभी ऐसा सोचा है क्‍या आपने। हिन्‍दुस्‍तान सरकार हिन्‍दुस्‍तान के पास aviation की policy ही नहीं है। हमनें आकर के aviation की policy बनाई और बड़े-बड़े अहमदाबाद, मुंबई, चेन्‍नई यहां सीमित नहीं छोटे-छोटे स्‍थान पर हवाई यात्रा उपलब्‍ध कैसे हो उसका बीड़ा उठाया है। जहां दूर-दूर connectivity नहीं है। वहां एक घंटे से ज्‍यादा सफर हो, एक घंटे तक की सफर हो ढाई हजार की टिकट फिक्‍स करके aviation को बल दिया है अब तब आठ रूट काम करने लग गए हैं। गुजरात में भी कंडला का लाभ मिल रहा है। मीठापुर को लाभ मिल रहा है। छोटे-छोटे स्‍थानों को और इसके कारण भविष्‍य में आज हिन्‍दुस्‍तान में राज्‍य ऐसे है कि दो या तीन एयर पोर्ट, हवाई पट्टिया पड़ी हुई हैं। एक स्थिति ऐसी आएगी एक-एक राज्‍य में दस-दस, पंद्रह-पंद्रह, बीस-बीस हवाई अड्डे काम करते होंगे। और जिस प्रकार से देश में इन दिनों आप जानकर के खुश होंगे अभी ताजा मैंने खबर ली 14 प्रतिशत हवाई यात्रियों की संख्‍या में वृद्धि हुई है 14 प्रतिशत। और इसलिए राजकोट के अंदर ये जो ग्रीनफील्‍ड प्रोजेक्‍ट हो रहा है।

मैं गुजरात को इस क्षेत्र के नागरिकों को बधाई देता हूं। और मुझे खुशी है कि इतना बड़ा हवाई अड्डे का प्रोजेक्‍ट सिर्फ 4 प्रतिशत जमीन किसानों से लेनी पड़ी। 4 प्रतिशत, 96 प्रतिशत जमीन जो बंजर थी, वीरान थी। उस जमीन पर एयर पोर्ट बनाने का निर्णय हुआ है। ताकि अब सुरेंद्र नगर की जमीन कृषि के लिए महत्‍वपूर्ण है और इसलिए बंजर भूमि को पसंद किया है। और उसको हमने एयर पोर्ट के लिए आगे लाए हैं। अभी विजय भाई वर्णन कर रहे थे राजकोट के एयर पोर्ट का उसकी इतनी सीमाएं हैं। बस स्‍टेशन से भी उसकी सीमा ज्‍यादा दिखती है आजकल। और इसलिए राजकोट और ये पूरा क्षेत्र जब विकसित हो रहा है। तो यहां पर भविष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए और वो दिन भी दूर नहीं होगा। जब यहां से international service भी शुरू होगी। दुनिया के किसी भी कोने में जाना हो तो ये राजकोट चोटीला के बीच का ये हवाई अड्डा काम आने वाला है। ये बहुत महत्‍वपूर्ण काम आज हो रहा है।

आज सुरेन्द्रनगर और वढवाण, उनके भी दो महत्व के कार्यक्रम हम कर रहे है| सूर-सागर वह भविष्य में आपका सुख सागर ही बनने वाला है| पानी के कारण पशुपालन बढ़ने वाला है| पशु की दूध उत्पादकता भी बढ़नेवाली है| यह हमारी सूर-सागर डेरी, पांच-सात साल पहले, भूतकाल की सरकार ने एक ऐसा कानून बनाया था, कि डेरियां न बने| मुझे आश्चर्य होता है कि ऐसा क्यूं किया होगा ! जब मैं मुख्यमंत्री था तब मैंने तय किया कि जो लोग डेरी बनाने के लिये आगे आयेंगे, उनको राज्य सरकार की तिजोरी से मदद मिलेगी, और आज सौराष्ट्र के लगभग हर एक ज़िले में, डेरी का काम पूरे जोश के साथ आगे बढ़ा| पशुपालकों को इससे ज़्यादा कोई मदद नहीं हो सकती| दूध के पूर्ण भाव मिले, और आज उसके आधुनिकीकरण के एक प्लान्ट का भी मुझे लोकार्पण करने का अवसर मिला है| यह सूर-सागर, मां नर्मदा के आने के बाद, दूध के उत्पादन में इतना इज़ाफा होने वाला है कि, सही अर्थ में यह सुरेन्द्रनगर ज़िले की सुख सागर बन गई है और यह सुख सागर फलेफूले, ऐसी मेरी शुभकामनाएं दे रहा हूं|

धोरीधजा का डेम, मुझे बराबर याद है, जिस दिन धोरीधजा डेम में नर्मदा के पानी का स्वागत के लिए मैं आया था, पूरा जिला खुश था| पानी की तड़प किसे कहते हैं, उसका पता प्यासे को चलता है, यह कच्छ- सौराष्ट्र, गुजरात के लोगों को पता चलता है की पानी आये तो उसका मतलब क्या होता है| ऐसा वातावरण था, और वढवाण में तो पहले 15-20 दिन में एक दिन पानी आता था| मेहमान आनेवाले हों तो कहना पडता था की दोपहर में आना, रात को रूकने के लिये मत आना क्योंकि सुबह में नहाने के लिये पानी नहीं दे पायेंगे| ऐसे दिन गुज़ारे थे यह विस्तार ने| और आज वढवाण नगर के अंदर लोगों को ज़्यादा पानी मिले, सुविधाजनक पानी मिले, ऐसी 300-350 किलोमीटर की पाइपों की जाल बिछाई गई है| पानी की नवनिर्मित टंकी, इन सब के कारण पीने के पानी की सुविधा और मैं मानता हूं कि यह विस्तार की बहनें, जितने आशिर्वाद दें वह कम है| बहनों को जो कष्ट में से मुक्ति मिली है, यह बहनें जितने आशिर्वाद दें, वह कम है| आज मोरबी के साथ रोड का नवीनीकरण, अहमदाबाद से राजकोट तक रोड की चौड़ाई बढाने का काम, यह बात आज की पीढ़ी को जल्दी समझ में नहीं आयेगी| पर भाजपा की सरकार आने से पहले, आप के पास समय हो, और पुराने अखबार मिले तो ज़रा देखना| हफ्ते के चार दिन ऐसे थे कि अहमदाबाद-राजकोट हाईवे पर अकस्मात होते थे| अनेक मां खुद के युवा बच्चे गवां देती थी| परिवार के परिवार उजड़ जाते थे| साल में 100 से ज़्यादा बड़े अकस्मात होते थे| जिसका कारण रोड़ बहुत छोटा था| और मुझे बराबर याद है, उस समय मैं राजकारण में नहीं था| लिंबडी- बगोदरा से फोन आता था, और उस समय तो मोबाइल फोन नहीं थे, पुराने फोन थे| की बडा अकस्मात हुआ है और मैं अहमदाबाद से हमारे अशोकभाई और उनको दौडाता था| लगभग हफ्ते में दो-चार बार ऐसा करना ही पड़ता था| आप राजकोट के लोगों को पूछो, अनेक परिवार होंगे, कि अकस्मात में उन्होंने किसी को गंवाया होगा| सुरेन्द्रनगर के लोगों को पूछो, अनेक लोगों ने गवाये होंगे|

जब भाजपा की सरकार बनी 1995 में पहलीबार, केशुभाई मुख्यमंत्री थे और पहला काम तय हुआ की यह रोड की फिक्र करें और यह निर्दोष लोग जो मर रहे हैं, उनको बचायें और वह काम भाजपा की सरकार ने किया और उसका परिणाम है कि अकस्मातों की संख्या कम हुई| अब आज ट्रैफिक और बढ़ा है| भारत सरकार ने तय किया कि इसको 6 लेन बनाकर, आधुनिक स्थिति पर ले आये, क्योंकि विकास के लिये रोड-रास्ता अनिवार्य होते हैं| गति प्रगति के लिये ज़रूरी होती है| और गति ज़रूरी होती है तो गति की पूर्ति के लिये ज़रूरी चाहे हवाई जहाज़ की व्यवस्था करनी हो, चाहे रोड चौड़े करने हो, एकसाथ इन कामों को ध्यान देना चाहिये| चाहे मोरबी की ओर का रास्ता, मोरबी का रास्ता चौड़ा होने का मतलब, औद्योगिक गतिविधि को बल देना| कच्छ तक पूरा औद्योगिक पट्टे का निर्माण हुआ है| उसमें यह स्ट्रक्चर सुविधा करनेवाला है|

और इसीलिये आज जब इस धरती पर, पंचाल पंथक में एकसाथ पांच योजनाओं के शिलान्यास का, लोकार्पण का मुझे अवसर मिला है| और अब तो थोड़े दिन में गुजरात सरकार ने यह पंचाल पंथक को धार्मिक यात्रा के लिये भी उसका एक महत्व बनाकर खड़ा किया है| और उसके कारण चोटीला के मां चामुंडा, त्रिनेत्रेश्वर तरणेतर, सुंदरीभवानी, सूरजदेवल, बांदियावेली, जरियामहादेव, गेबीनाथ, अवालियाठाकर, यह सब हमारे पंचाल पंथक के तीर्थधाम हैं, उनको एक-दूसरे के साथ जोड़कर यात्राधाम का बहुत बड़ा विकास का काम भी गुजरात सरकार ने शुरु किया है| इस तरणेतर के मेले में विदेशी आये ऐसा हम सोच रहे थे, पर अब जब चोटीला में एयपोर्ट बनेगा, तो आपका तरणेतर के मेले को भी अंतर्राष्‍ट्रीय मेला बनने में देर नहीं लगेगी| एक प्रकार से विकास अर्थव्यवस्था के साथ सीधा जुड़ा हुआ हो, आर्थिक उन्नति का कारण बननेवाला हो, आर्थिक गतिविधि को तेज़ गति देनेवाला हो, ऐसे स्पष्ट दृष्‍टिकोण के साथ आज भारत सरकार हिन्दुस्तान के अनेक कोने में विकास की इस यात्रा को बल दे रही है| मैं गुजरात सरकार को भी अभिनंदन देता हूं, उन्होंने भी इस विकास की यात्रा को उत्तरोत्तर गति दी है, नये आयाम दिये है, विकसित गुजरात, आधुनिक गुजरात, समृद्ध गुजरात, उसके संकल्प के साथ आज हम आगे बढ रहे हैं|

2022, आज़ादी के 75 साल हो रहे हैं| पांच साल का समय है| इस पांच साल में हर एक नागरिक तय करें कि हमें देश को क्या देना है| कोई और कुछ करें, सरकार यह करे, नगरपालिका करे ऐसा नहीं, मैं यह करूंगा| मेरे देश के लिये पांच साल में मैं यह ज़रूर करूंगा| ऐसा संकल्प प्रत्येक नागरिक को करना चाहिये| सुरेन्द्रनगर ज़िले को मैं विनती करता हूं कि जब मबलख फसल की संभावना पैदा हुई, मां नर्मदा हमारे घर पधारे है तब सुरेन्द्रनगर ज़िले में एक भी खेत ऐसा न हो, की जहां टपक सिंचाई न हो| और टपक सिंचाई द्वारा माईक्रो ईरिगेशन, स्प्रिंकलर द्वारा, इस खेती को हम आधुनिक बनायें| अगर सुरेन्द्रनगर ज़िले का किसान इस टपक सिंचाई से खेती करना शुरू कर दें, तो आप कल्पना भी नहीं करेंगे ऐसी एक बडी क्रांति हम ला सकेंगे| और मां नर्मदा का पानी ज़्यादा अच्छी तरह से इस्तेमाल करने में हमें उपयोगी होगा और इसीलिये, गुजरात के लिये पानी हरहंमेश एक प्राणप्रश्न रहा है और अब जब पानी आया है तब, वह प्राण से भी प्यारा होना चाहिये, उसका ज़रा भी व्यय न करें, ज़रा भी उसको बिन उपयोगी, नष्ट न होने देना चाहिये, वह ज़िम्मेदारी समग्र गुजरात के नागरिक की है|

2022 तक आज़ादी के 75 साल मनायेंगे तब, हम हमारी तरफ से एक एक संकल्प करें, और 2022 में हिन्दुस्तान के किसानो की आय जो दुगुनी करनी है उसके अंदर यह टपक सिंचाई, माईक्रोईरिगेशन, वैज्ञानिकता, टेक्नोलॉजी, वह बहुत बड़ी भूमिका अदा करनेवाला है और उस दिशा में हम आगे बढें|

मै फिर से एकबार इतनी विशाल संख्या में, चोटीला से भी इतना दूर जहां मेरी नजर पहुंचती है, लोग ही लोग मुझे दिखते है| आपने जो यह अद्भुत प्रेम बरसाया, इतनी गरमी में बड़ी संख्या में आप उपस्थित रहें, आपने आशीर्वाद दिये, मैं आपका हृदयपूर्वक आभार व्यक्त करता हूं|

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