नागरिकता संशोधन का विषय सिर्फ असम या नॉर्थ ईस्ट से जुड़ा नहीं है, बल्कि देश के अनेक हिस्सों में मां भारती पर आस्था रखने वाली ऐसी संताने हैं, ऐसे लोग हैं जिनको अपनी जान बचाकर भारत आना पड़ा है: प्रधानमंत्री मोदी
ये पूरा देश देख रहा है कि चौकीदार की चौकसी से कैसे भ्रष्टाचारी बौखलाए हुए हैं और सुबह-शाम मोदी-मोदी के नाम की रट लगाए हुए हैं: पीएम मोदी
नॉर्थ ईस्ट और असम के विकास के लिए, यहां के सम्मान के लिए, अपने समर्पण को जारी रखते हुए आज अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया गया है: प्रधानमंत्री

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों।

इसके पीछे मैं देख रहा हूं, रोड है और अभी भी हजारों की तादाद में लोग आ रहे हैं। मुझे लगता है कि आगे से बड़ा मैदान रखना पड़ेगा। पिछले दिनों में मुझे चार बड़े कार्यक्रम करने का मौका मिला और मैंने देखा कि असम में उत्‍साह ऐसे बढ़ रहा है, ऐसे बढ़ रहा है कि एक रैली होती है, दूसरी पहले वाली का रिकॉर्ड तोड़ती है। और आज मैंने देखा है आपने सभी चारों रैलियों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

असम का ये प्‍यार, ये आशीर्वाद मां कामख्‍या की कृपा के सिवा कुछ नहीं हो सकता है।मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि गुवाहाटी से जो अखबार निकलते हैं, उसमें ये कुल कोई खबर कल नहीं आएगी, कारण क्‍या है वो तो अब देखेंगे। लेकिन आज सुबह जब मैंने देखा तो मुझे लगा कि कुछ बात है। यहां जोपत्रकार बेचारे आए हैं, मेहनत कर रहे हैं, लेकिन उनके मालिक उस मेहनत को पूरा नहीं होने देंगे।

आज नॉर्थ-ईस्‍ट के विकास में नया इतिहास जुड़ रहा है। थोड़ी देर पहले ही असम और नॉर्थ-ईस्‍ट के विकास से जुड़े हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण, उद्घाटन और शिलान्‍यास किया गया है। विकास के ये काम तभी हो पा रहे हैं जब हमारे ऋषियों ने, मुनियों ने, बलिदानियों ने, शहीदों ने हमें जो रास्‍ता दिखाया है, उस रास्‍ते पर चलने का हमने कुछ ठाना है। श्रीमान शंकरदेव, माधवदेव, अजान फकीर,स्‍वर्गदेव चालुंग, सुखाबाई जैसी विभूतियों को मैं आज इस धरती से नमन करता हूं। इस धरती के महान सपूत GeneralLachit Borphukanji की बहादुरी के किस्‍से यहां के कण-कण में रचे-बसे हैं।

संत श्रीमंत शंकर देव संघ का वार्षिक अधिवेशन, जो मोरीगांव में हो रहा है, उसकी सफलता की भी मैं कामना करता हूं। मैं भारत रत्‍न डॉक्‍टर भूपेन हजारिका को भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं।

साथियो, भूपेन दा ने असमिया भाषा और संस्‍कृति को देश और दुनिया तक पहुंचाने में अहम भूमिका तो निभाई; वंचितों और शोषितों के लिए भी वो आवाज बुलंद करते रहे। भूपेन दा के सुरों ने ब्रह्पुत्र के आसपास बसने वालों के जीवन में नई चेतना का संचार किया तो साथ ही गंगा के विस्‍तार में फैली मानवता को भी जगाने का प्रयास किया।

साथियो, असम और देश के लिए, समाज के लिए, अपने गीतों से, अपने सुरों से जिस महान व्‍यक्तित्‍व ने इतना योगदान दिया; वंचितों, पीड़ितों और शोषितों के लिए समर्पित भारत के उस सच्‍चे राष्‍ट्र-रत्‍न की पहचान करने में दश्‍कों की देरी हो गई, दशकों की देरी हो गई। हम सभी को खुशी होती अगर भूपेन दा जीवित होते और अपने हाथों से भारत रत्‍न का सम्‍मान ले पाते, लेकिन ये संभव नहीं हो पाया। इसके लिए जिम्‍मेदार कौन है, ये निर्णय आपको करना है।

सा‍थियो, आज मुझे असम के एक और महान सपूत गोपीनाथ बारडोलोई की, उनकी भी याद आ रही है। जिनको सच्‍ची श्रद्धां‍जलि देने के लिए, भारत रत्‍न देने के लिए भी असम को दशकों श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का इंतजार करना पड़ा। अभी मैंने पार्लियामेंट में बीसी और एडी की व्‍याख्‍या की थी; परसों सुना होगा आपने।BC और AD, यानी BCका मतलब है before Congress और AD का मतलब after dynasty.

ये BC और AD का ही गुणगान करने वालों से मैं आज यहां पूछना चाहता हूं कि आखिर आपने भारत के सच्‍चे रत्‍नों को न पहचानने का कठिन खेलदशकों तक क्‍यों खेला? आखिर ऐसा क्‍यों रहा कि कुछ लोगों के लिए जन्‍म लेते ही, उनके लिए भारत रत्‍न रिजर्व हो जाता है, तय हो जाता था और देश के मान-सम्‍मान के लिए जिन्‍होंने जीवन लगा दिया, उनको सम्‍मानित करने के लिए दशक बीत जाते थे। इसका जवाब असम सहित भारत का कोना-कोना मांग रहा है।

आज मुझे गर्व है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार के समय ही असम के दो सपूतों- गोपीनाथ बोरडोलोई और भूपेन हजारिका को भारत रत्‍न देने का काम, वो पवित्र कार्य करने का अवसर हमें मिला है।

साथियो, जो लोग अपने नायकों को भूल गए, वो लोग नॉर्थ-ईस्‍ट के, असम के विकास को भी भूल गए थे। यहां बैठे अनेक साथियों को वो चर्चाएं भलीभांति याद होंगी जब अखबारों में neglected paradise, the neglected state of the nation, ऐसी हेडलाइनें छपा करती थीं। यहां तो लोगों की शिकायत रहती थी कि कोलकाता के पूर्व में कोई रहता भी है या दिल्‍ली वाले भूल जाते हैं।

मेरे भाइयो और बहनों, अब आज अखबारों में क्‍या खबरें आती हैं, ये भी याद रखिए।Infra push in North-East, Digital push in North-East, किसी राज्‍य में पहली बार rail connectivity, कहीं पर पहली बार हवाई connectivity, गांवों में पहुंच रही बिजली, बरसों से अधूरे देश के सबसे लम्‍बे रेल-रोड ब्रिज का लोकार्पण; अब ऐसी खबरें अखबारों में आती हैं।

भाइयो और बहनों, कुछ दिन पहले जो अंतरिम बजट पेश किया गया है, उसमें भी नॉर्थ-ईस्‍ट के विकास के लिए हमारी निष्‍टा का पता चलता है। इस बजट में केन्‍द्र सरकार ने असम सहित पूरे नॉर्थ-ईस्‍ट के लिए 21 प्रतिशत से अधिक बजट की वृद्धि की है। इसके अलावा पांच लाख रुपये तक की आय वालों को टैक्‍स से जो छुट्टी दी है, उससे भी उत्‍तर-पूर्व आसाम के लोगों को बहुत फायदा हुआ है।

मुझे हमारे मुख्‍यमंत्री जी बता रहे थे कि असम में बड़ी संख्‍या में नौजवान अब टैक्‍स के दायरे से ही बाहर हो जाएंगे, उनको तो टैक्‍स देना ही नहीं पड़ेगा।

वैसे भाइयो और बहनों, इस बार चर्चा तो असम सरकार के बजट की भी बहुत हो रही है। असम के विकास को नई ऊंचाई देने वाले इस बजट के लिए मैं असम सरकार को और असम के नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियो नॉर्थ-ईस्‍ट और असम के विकास के लिए, यहां के सम्‍मान के लिए अपने समर्पण को जारी रखते हुए आज अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्‍यास किया गया है।

नुमलीगढ़ में बायोरिफाइनरी, नॉर्थ-ईस्‍ट गैस ग्रिड, बरौनी-गोहाटी प्राकृतिक गैस लाइन, होलान्‍ग मॉड्यूलर गैस प्रोसेसिंग प्‍लांट का उद्घाटन, और एलपीजी स्‍टोरेज बेसल, ये तमाम प्रोजेक्‍ट असम को ऑयल एंड गैस का एक बड़ा हब बनाने वाले तो हैं ही, देश की अर्थव्‍यवस्‍था को भीनई ताकत देने वाले हैं। चाहे वो बायो-फ्यूल का प्रोजेक्‍ट हो या फिर बरौनी तक जाने वाली गैस पाइप लाइन; ये clean fuel और clean energy based हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के संकल्‍प को और मजबूत करती है।

भाइयो, बहनों- हमारी कोशिश है किहम उत्‍तर-पूर्व की अर्थव्‍यवस्‍था को हर तरह से मजबूत करें। इसी कोशिश में हम नॉर्थ-ईस्‍ट की connectivity को सुधार रहे हैं। चाहे बो‍गीविल का पुल या फिर भूपेन हजारिका पुल; हम वर्षों से अधूरी योजनाओं को ईमानदारी से पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं।

आज मुझे ब्रह्मपुत्र नदी पर उत्‍तर और दक्षिण गोहाटी को जोड़ने वाले पुल के उद्घाटन का अवसर मिला है। इससे उत्‍तर और दक्षिण गोहाटी के बीच की दूरी डेढ़ घंटे से घटकर 15 मिनट रह जाएगी। अभी यहां सिर्फ फेरी के जरिए ही जाया जा सकता है। करीब दो हजार करोड़ की लागत से बने इस पुल के बन जाने के बाद गोहाटी के state capital region में जाम की परेशानी भी कम होगी।

साथियो, बीते साढ़े चार वर्षों में हमारी सरकार द्वारा असम में oil & gas sector में ही लगभग 14 हजार करोड़ के प्रोजेक्‍ट्स पूरे किए जा चुके हैं, 14 हजार करोड़ रुपये के प्रोजेकट्स। लगभग साढ़े नौ हजार करोड़ रुपये के प्रोजेक्‍ट्स पर आज तेज गति से काम आगे बढ़ रहा है।

आज नुमाली गढ़ में 1200 करोड़ रुपये से बनने वाली bio-refinery का शिलान्‍यास किया गया है। देशभर में बन रही 12 आधुनिक bio-refineries में से ये सबसे बड़ी है। यहां पर बांस से हर साल 6 करोड़ लीटर इथेनॉल भी बनाया जाएगा। किसानों को कितना लाभ होगा, जंगलों में रहने वालों को कितना लाभ होगा; इसका आप हिसाब लगा सकते हैं। ये प्रोजेक्‍ट करीब-करीब 50 हजार परिवारों की अतिरिक्‍त आय का स्रोत बनने वाला है। इसके अलावा नुमाली गढ़ रिफाइनरी की क्षमता को लगभग तीन गुना करने के लिए भी सहमति दे दी गई है। असम में ये केन्‍द्र सरकार की तरफ से किया जा रहा बहुत बड़ा निवेश है।

साथियो, विदेशों से आयात कम करने और किसानों आदिवासियों के लिए आय के अतिरिक्‍त साधन जुटाने के लिए हम इथेनॉल ब्‍लैंडिंग और बायो फ्यूल पर तेजी से काम कर रहे हैं। गाड़ियां हो या हवाई जहाज, अब हम ईंधन में लगभग 10 प्रतिशत bio fuel की blending करने के लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने की ओर बढ़ रहे हैं।

भाइयो ओर बहनों, bio fuel के साथ-साथ असम से देश के ज्‍यादा से ज्‍यादा क्षेत्रों तक natural gas पहुंच सके, इसके लिए आज लगभग 9 हजार करोड़ रुपये की लागत के North-East gas grid की आधारशिला रखी गई है। इसमें पांच कम्‍पनियों का जो गठजोड़ बना है, उसकी ताकत North-East के आठ राज्‍यों में दिखेगी।

साथियो, देश के पूर्वी हिस्‍से में गैस-आधारित उद्योग और पाईप के माध्‍यम से घरों में गैस पहुंचाने का एक बड़ा अभियान भी चलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा योजना को सशक्‍त करने के लिए आज गोहाटी से बिहार के बरौनी तक जाने वाली natural gas pipe line का शिलान्‍यास किया गया है। इससे देश के अनेक शहरों के घरों को पाइप वाली रसोई गैस- पीएनजी से जोड़ने में मदद मिलेगी।

भाइयो और बहनों, आज हम देश के हर घर को एलपीजी गैस से जोड़ने की तरफ तेज गति से बढ़ ही रहे हैं, साथ में पाइप वाली गैस को लेकर भी व्‍यापक काम किया गया है। मैं एक आंकड़ा आपको बता देता हूं, जिससे आपका हमारे काम की स्‍पीड और स्‍केल का पता चलेगा। साल 2014 में 25 लाख घरों में पाइप गैस का कनेक्‍शन था, और आज ये करीब-करीब डबल‍ हो गया है, यानी forty six lakh से अधिक हो चुका है। जिस गति से काम हो रहा है उससे आने वाले वर्षों में ये संख्‍या दो करोड़ पहुंचने वाली है। इसी तरह देशभर में सीएनजी स्‍टेशनों की संख्‍या भी 950 से बढ़कर लगभग 1500 तक पहुंच चुकी है।

साथियो, असम में भी city gas distribution network को विस्‍तार देते हुए दो नए प्रोजेक्‍ट का शिलान्‍यास किया गया है।इनसे कामरूप और कामरूप मेट्रोपोलिटिन के त्राचेर, हेलाकांडी, करीमंगज जिला के लोगों को भी लाभ मिलेगा। उत्‍तरी गोहाटी में एलपीजी सिलेंडरों की मांग को पूरा करने के लिए storage vessel हो या फिर तिनसुकिया में modular gas processing plant हो, ये सामान्‍य मानवी के जीवन को आसान बनाएंगे और रोजगार के नए अवसर पैदा करेंगे।

भाइयो और बहनों, बीते 50-55 महीनों में केन्‍द्र सरकार और राज्‍य सरकार निरंतर असम को देश के विकास के मानचित्र पर स्‍थापित करने में जुटी हैं। मैं सर्वानंद सोनोवाल जी और उनकी टीम को बधाई देता हूं कि वो असम को करप्‍शन और पहले की कार्य-संस्‍कृति से बाहर निकालने के लिए बहुत परिश्रम कर रहे हैं।

साथियो, पहले की सरकार ने करप्‍शन को जिस तरह से सिस्‍टम का हिस्‍सा बना दिया था, उसके पाप अभी परिचित और पीड़ित भी हो रहे हैं, लेकिन भ्रष्‍टाचारियों के ऊपर कार्रवाई करके यहां की सरकार ने कड़ा संदेश भी दिया है।

सा‍थियो, आप सभी देख ही रहे हैं कि गरीबों को लूटने वालों, देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों के साथ कितनी सख्‍ती से निपटा जा रहा है। जो गोता ले करके देश से भाग जाते थे, उनको वापस लाया जा रहा है, भारत के कानून के हवाले किया जा रहा है। ये पूरा देश देख रहा है कि चौकीदार की चौकसी से कैसे भ्रष्टाचारी बौखलाए हुए हैं, और सुबह-शाम रोज नई गाली, मोदी को रोज नई गाली, ये ही देते रहते हैं। असम को कैसे आगे बढ़ाएंगे, नॉर्थ-ईस्‍ट के लिए क्‍या करेंगे, देश के लिए क्‍या योजनाएं हैं; इस पर वो चुप हैं, नहीं बोलते हैं, लेकिन वहां पर एक ही मानदेय है- मोदी को कौन ज्‍यादा गाली दे सकता है, इस का competition चल रहा है।

साथियो, ये लोग- इनकी एक ही पहचान है, महामिलावट। ये महा-मिलावट है, समाज को भड़काने में जुटे हैं, और हम असम की अस्मिता और असम के विकास के लिए डटे हुए हैं। हम निरंतर ये कहते रहे हैं कि घुसपेठियों के लिए असम समेत देश के किसी भी हिस्‍से में कोई जगह नहीं है। असम को, देश को घुसपेठियों से मुक्‍त करने के लिए हमने हर बार जनता की आवाज को बुलंद किया है।

यही कारण है बंगला देश से हो रही घुसपैठ को रोकने के लिए हमने Chitmahal समझौता किया और अब भारत-बंगलादेश सीमा को पूरी तरह सील करने की तरफ तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। जिस एनआरसी को अमल में लाने से पुरानी सरकार बच रही थी, उस पर हमने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कार्रवाई की है। हमारा प्रयास है कि तय समय पर इस प्रक्रिया को पूरा किया जाए।

सा‍थियो, एनआरसी के साथ-साथ मैं आप सभी से ये भी कहने आया हूं कि नागरिकता से जुड़े कानून को लेकर बहुत बड़ा भ्रम फैलाया जा रहा है। देश को जिन्‍होंने इतने साल बर्बाद किया, वो अपने हित के लिए ये भ्रम फैला रहे हैं; ऐसे लोगों को जानने की जरूरत है। दिल्‍ली में बैठे हुए लोगों को, एयरकंडीशनर कमरों में बैठे लोगों को, पार्लियामेंट में हमारा विरोध करने वाले लोगो को, जरा ये नजारिया देखिए; आसाम का मिजाज क्‍या है- जरा देखोगे तो पता चलेगा।

भाइयो, बहनों- असम और नॉर्थ-ईस्‍ट के राज्‍यों की भाषा, संस्‍कृति और संसाधनों पर आपके हक की रक्षा करने के लिए भारतीय जनता पार्टी-एनडीए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

भाइयो और बहनों, हमारा प्रयास है, Assam accord के clause 6को जल्‍द से जल्‍द लागू किया जाएऔर इसके लिए हमारी सरकार द्वारा एक committee भी बनाई जा चुकी है। और मुझे विश्‍वास है ये committee आपकी भावनाओं का, आपके हितों का, आपकी आशा-आकांक्षाओं का पूरा ख्‍याल रखते हुए रिपोर्ट करेगी, ऐसा मुझे पूरा विश्‍वास है।

आप ये भी भलीभांति जानते हैं कि जो दल, जो दल, दलदल में डूबे हुए दल, महामिलावटी दल आज भ्रम फैलाने में जुटे हैं। उन्‍होंने 30-35 साल तक Assam accord को लागू करने में कभी ईमानदारी नहीं दिखाई है। आप मुझे बताइए, 36 साल हो गए, Assam accord लागू होना चाहिए था कि नहीं होना चाहिए था? इन लोगों ने असम के साथ अन्‍याय किया है कि नहीं किया है?और जो लोग आज अपने निजी स्‍वार्थ के लिए उन लोगों के साथ खड़े हुए हैं, उनका भी स्‍वार्थ को खुला करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए?

और इसलिए भाइयो-बहनों, मैं आज आपके पास आया हूं, 36 साल पुरानी मांग आपकी अगर कोई पूरी करेगा तो मोदी सरकार करेगी, और जो लोग हमें सवाल पूछ रहे हैं, असम की जनता उनको सवाल पूछती है, 36 साल तक हां खो गए थे? कहां सो गए थे? असम के लोगों की भावनाओं से खेलने का खेल बंद कीजिए।

भाइयो-बहनों, हम राजनीतिक स्‍वार्थ के लिए, वोट बैंक की राजनीति के लिए, मेरे असम को बर्बाद नहीं होने दूंगा। वोट बैंक की राजनीति करने वालों ने जिस प्रकार से आज असम को चौराहे पर ला करके खड़ा कर दिया है, ये ऐसे वोट बैंक की राजनीति करने वालों से मैं ये लड़ाई लेने के लिए निकला हूं- भाइयो, बहनों; लोहा लेने के लिए निकला हूं। पहले देश बचना चाहिए, देश की एकता बचनी चाहिए, हमारा असम बचना चाहिए।

साथियो, आसाम और उत्‍तर-पूर्व के लोगों के साथ मेरा स्‍वाभाविक लगाव है। आपका स्‍नेह और आशीर्वाद मेरे लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है। जितना अधिकार आपका मुझ पर है, उतना ही दायित्‍व मेरा भी आपके प्रति है, और इसलिए मैं citizenship amendment bill पर भी आज इतनी बड़ी विराट जनसभा में आपसे बात करना चाहता हूं।

साथियो, हमें भारत के संसाधनों पर कब्‍जा करने के इरादे से भारत में घुसने वालों, यहां पर कब्‍जा जमाने के लिए घुसने वालों और आस्‍था की वजह से अत्‍याचार के कारण अपनाघरबार छोड़ने के लिए मजबूर लोगों का हमें फर्क समझना चाहिए। नागरिकता संशोधन का विषय सिर्फ आसाम या नॉर्थ-ईस्‍ट से जुड़ा नहीं है।

एक मिनट-एक मिनट आपका प्‍यार- आशीर्वाद, धन्‍यावाद।

नागरिकता संशोधन का विषय सिर्फ असम या नॉर्थ-ईस्‍ट से जुड़ा नहीं है, बल्कि देश के अनेक हिस्‍सों में मां भारती पर आस्‍था रखने वाले, भारत मां की जय बोलने वाले, अपने-आपको अपनी आस्‍था के अनुसार जीने के लिए समर्पित करने वाले ऐसी संताने हैं, ऐसे लोग हैं जिनको अपनी जान बचाकर मां भारती की गोद में आना पड़ा है। चाहे वो पाकिस्‍तान से आए हों, अफगानिस्‍तान से आए हों या फिर बंगलादेश से; ये nineteen forty seven से पहले भारत का ही हिस्‍सा थे।

जब आस्‍था के आधार पर देश का विभाजन हुआ; हमसे अलग हुए देशों में जो अल्‍पसंख्‍यक यानी वहां जो अल्‍पसंख्‍यक थे, उन देशों में; मतलब वहां हिन्‍दू अल्‍पसंख्‍यक था, सिख वहां अल्‍पसंख्‍यक था, जैन वहां अल्‍पसंख्‍यक था, बौद्ध वहां अल्‍पसंख्‍यक था, पारसी वहां अल्‍पसंख्‍यक था, ईसाई वहां अल्‍पसंख्‍यक था; ऐसे लोग वहां रह रहे थे। उनको आशा थी कि वहां माहौल अच्‍छा बनेगा बाद में, सुख-शांति से गुजारा करेंगे, लेकिन उनके साथ जो हुआ, अगर उनको मिलोगे तो पता चलेगा कितनी यातनाएं झेल करके अपनी आस्‍था की खातिर, मां भारती की गोद में आए।

उनको संरक्षण देना, ये हिन्‍दुस्‍तान का कर्तव्‍य है, भारत का कर्तव्‍य है। ये एक राष्‍ट्रीय commitment था, जिसे हमने पूरा किया है। और मैं असम के लोगों को, नॉर्थ-ईस्‍ट के लोगों को ये भरोसा देता हूं कि इससे असम और उत्‍तर-पूर्व की कोई क्षति नहीं होने दूंगा।

मैं आपको ये भी ध्‍यान दिलाना चाहता हूं कि आवश्‍यक जांच-पडताल के बाद ये बात भी आप लोगों के ध्‍यान में रहे, आवश्‍यक जांच-पड़ताल के बाद, राज्‍य सरकार की सिफारिश के बाद ही किसी को नागरिकता प्रदान करने का निर्णय लिया जा सकता है, अपने-आप कुछ नहीं होता है। बिना जांच-पड़ताल, बिना राज्‍य की सिफारिश के किसी को नागरिकता देने का प्रश्‍न ही नहीं उठता है।

साथियो, मेरी सरकार असम और असमिया हितों के लिए पूरी तरह समर्पित है।Assam accord के अनुरूप ही हमारी सरकार छह समुदायों- छह समुदायों- अहम, मोटक, मोरन, शुटिया, कुशराजवंशी और साहजन गोष्‍ठी को जनजाति का दर्जा देने पर भी काम कर रही है। इसके लिए राज्‍यसभा में बिल लाने का काम भी हमारी ही सरकार ने किया है। और मैं आज इस अवसर पर ये भी कहना चाहता हूं कि इन छह समुदायों को tribe का दर्जा देते समय ये भी सुनिश्चित किया जाएगा कि असम की वर्तमान जनजातियों के हितों, उनके अधिकारों, उसकी पूरी तरह रक्षा की जाएगी।

आपने देखा होगा, अभी हमने एससीएसटीओबीसी, इनके अधिकारों को जरा भी आंच आए बिना 10 पर्सेंट समाज के अग्रिम जाति के लोग माने जाते हैं, सवर्ण समाज माना जाता है, उनके गरीबों के लिए दस पर्सेंट आरक्षण किया। किसी का नुकसान किए बिना भी हम कर सकते हैं, ये हमने दिखाया है। इन छह जातियों के संबंध में भी,‍ जितनी पुरानी जनजातियां हैं, उनके हकों की रक्षा करते हुए हम इस व्‍यवस्‍था को बनाएंगे।

साथियो, हर प्रकार की नकारात्‍मकता को पीछे छोड़ते हुए समृद्ध असम और सम्‍पन्‍न भारत के अपने बड़े संकल्‍प की तरफ पूरी शक्ति से आगे बढ़ना है।

अंत में एक बार फिर तमाम विकास परियोजनाओं के लिए मैं आप सबको बधाई देता।

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

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वंदे - मातरम

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बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

 

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.