उड़ीसा के राज्यपाल श्रीमान प्रोफेसर गणेशीलाल जी, राज्य के मुख्यमंत्री श्रीमान नवीन बाबू, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी जुएल ओराम जी, धर्मेन्द्र प्रधान जी, यहां उपस्थित सभी महानुभाव।
आज मैं तालचेर से आ रहा हूं। लंबे अर्से से बंद पड़ाफर्टिलाइजर का कारखाना, उसका पुनरुद्धार करने का प्रारंभ आज वहां किया गया, करीब 13 हजार करोड़ रुपये की लागत से। एक प्रकार से उस क्षेत्र की आर्थिक गतिविधि का केंद्र बनेगा।
उसी प्रकार से आज मुझे यहां पर आधुनिक उड़ीसा, आधुनिक भारत, उसमें आधुनिक infrastructure होता है, और उसी के तहत आज यहां वीर सुरेन्द्र साईं एयरपोर्ट का प्रारंभ करने का अवसर मिला है। वीर सुरेंद्र साईं एयरपोर्ट पर आने वाले यात्री वीर सुरेंद्र साईं का नाम सुनते ही उड़ीसा की वीरता, उड़ीसा का त्याग, उड़ीसा की समर्पण की गाथा; उसकीतरफ भी स्वाभाविक आकर्षित होंगे।
आज यहां मुझे एक साथ अनेक वृहद और योजनाओं का भी शुभारंभ करने का अवसर मिला है। ये हवाई अड्डा एक प्रकार से उड़ीसा का दूसरा बड़ा हवाई अड्डा बन रहा है। अब इतने साल क्यों नहीं बना, उसका जवाब आप लोगों ने खोजना है, हो सकता है मेरा इंतजार हो रहा था।
मैं गुजरात से आता हूं, हमारे यहां एक district है कच्छ। एक प्रकार से रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है। उस एक district में पांच हवाई अड्डे हैं, एक district में। आज इतने सालों के बाद उड़ीसा में दूसरा हवाई अड्डा बन रहा है। जबकि अभी सुरेश जी बता रहे थे कि देश में जिस प्रकार से हवाई उड़ान के क्षेत्र में प्रगति हो रही है, आपको जान करके हैरानी होगी, हमारे देश में देश आजाद हुआ, तब से अब तक जो कुल हवाई जहाज उड़ रहे हैं उसकी संख्या करीब साढ़े चार सौ है, आजादी से अब तक। और इस एक वर्ष में नए साढ़े नौ सौ हवाई जहाज का ऑर्डर बुक हुआ है। कोई कल्पना कर सकता है कि हम कहां से कहां पहुंच रहे हैं, किस तेजी से पहुंच रहे हैं।
और मैं समझता हूं कि वीर सुरेंद्र हवाई अड्डा एक प्रकार से एक ऐसे त्रिवेणी संगम पर है जो भुवनेश्वर, रांची, रायपुर- तीनों के साथ एकदम center point बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि विकास की कितनी संभावनाओं के पंख इसके कारण लगने वाले हैं। एक नई उड़ान उसके कारण भरने वाले हैं।
झारसुगुड़ा, संबलपुर और छत्तीसगड़ के आसपास के इलाकों को, उसके उद्योग जगत के लोगों को, जो investment करना चाहते हैं, उनके लिए सुविधा बहुत आवश्यक होती है। कभी जा करके वो सरलता से आना-जाना एक बार होता है तो फिर वो अपना बिजनेस की दृष्टि से भी रिस्क लेते हैं, उसको आगे बढ़ाते हैं। हम लोगों की सोच रही है कि ‘सबका साथ-सबका विकास’ का मतलब क्षेत्रीय संतुलन भी होना चाहिए। पश्चिमी भारत का विकास होता रहे और पूर्वी हिंदुस्तान का विकास न होता रहे, तो ये असंतुलन देश के लिए संकट पैदा करता है। और इसलिए हमारी लगातार कोशिश है कि पूर्वी हिंदुस्तान का विकास हो। उड़ीसा का विकास उसका एक अहम हिस्सा है। चाहे पूर्वी उत्तर प्रदेश हो, उड़ीसा हो, पश्चिम बंगाल हो, आसाम हो, नॉर्थ-ईस्ट हो- इस सारे क्षेत्र का विकास, ये अपने-आप में बहुत बड़ा महत्वपूर्ण है।
जैसे आज मैं यहां एक हवाई अड्डे का उद्घाटन कर रहा हूं। दो दिन के बाद परसों में सिक्किम में हवाई अड्डे का उद्घाटन करने जा रहा हूं। आप कल्पना कर सकते हैं कितनी तेजी से काम हो रहा है, कितना। आज मुझे एक कोयला खदान का भी लोकार्पण करने का अवसर मिला है। हम जानते हैं कि आज जीवन की गतिविधि के केंद्र में ऊर्जा है और उड़ीसा भाग्यवान है। उसके पास black diamond का खजाना है। लेकिन वो अगर पड़ा रहता है तो बोझ है, निकलता है तो रौनक है। और इसलिए उसे निकालने का काम, उसमें से ऊर्जा पैदा करने का काम, उसमें से विकास की संभावनाओं को तलाशने का काम, उसकी भी आज यहां शुरूआत हो रही है और थर्मल पॉवर, उसकी जो कोयले की आपूर्ति हो रही है, उसकी भी उसके साथ।
आज एक रेलवे का भी air connectivity का भी महत्व है, रेल connectivity का भी महत्व है। और बदले हुए युग में connectivity, ये सबसे बड़ा अनिवार्य अंग हो गया है विकास का। चाहे high way हो, चाहे रेलवे हो, चाहे airways हो या चाहे हो, waterways हो, internet connectivity’s में highwaysभी उतने ही जरूरी हो गए हैं।
आज पहली बार आदिवासी क्षेत्र के साथ रेल का जुड़ना, ये अपने-आप में एक बहुत बड़ा कदम है। मैं मानता हूं कि आने वाले दिनों में ये connectivity उड़ीसा के चहुं दिशा में विकास के लिए होगी। मैं फिर एक बार यहां के सभी नागरिकों को वीर सुरेंद्र साईं एयरपोर्ट का लोकार्पण करते हुए अत्यंत गर्व अनुभव करता हूं।
बहुत-बहुत धन्यवाद।