प्रधानमंत्री मोदी ने शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया
प्रौद्योगिकी को अपनाकर कृषि क्षेत्र में एक नई संस्कृति लाने की जरूरत: पीएम मोदी
केंद्र सरकार के नीतियों और निर्णयों का उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि करना है: प्रधानमंत्री
सरकार किसान को सिर्फ एक फसल पर निर्भर नहीं रखना चाहती, बल्कि अतिरिक्त कमाई के जितने भी साधन हैं उनको बढ़ावा देने का कार्य कर रही है: प्रधानमंत्री मोदी

यहां उपस्थित सभी महानुभाव और मेरे नौजवान साथियो।

साथियो आज सुबह जम्‍मू-कश्‍मीर के अलग-अलग हिस्‍सों में जाने का मुझे अवसर मिला। मुझे यहां आने में देर हुई, हम लोग करीब एक घंटा देर से पहुंचे, और सबसे पहले तो मैं आप सबसे क्षमा चाहूंगा हमें आने में विलंब हो गया। लेह से लेक‍र श्रीनगर तक विकास के कई projects का आज लोकार्पण हुआ है। कुछ नए कार्यों की शुरूआत हुई है। जम्‍मू के खेत-खलिहान से लेकर कश्‍मीर के बागान और लेह-लद्दाख की प्राकृतिक और आध्‍यात्मिक ताकत का हमेशा मैंने अनुभव किया है। मैं जब भी यहां आता हूं मेरा ये विश्‍वास और मजबूत हो जाता है कि देश का एक क्षेत्र विकास के पथ पर बहुत आगे निकलने का सामर्थ्‍य रखता है। यहां के करतृत्‍ववान, श्रमशील लोग आप जैसे प्रतिभाशाली युवाओं के सार्थक प्रयासों से हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और सफलता अर्जित कर रहे हैं।

साथियो इस यूनिवर्सिटी के लगभग 20 साल हो गए हैं और तब से लेकर अब तक अनेक छात्र-छात्राएं यहां से पढ़कर निकल चुके हैं। और वे सामाजिक जीवन में कहीं न कहीं अपना योगदान दे रहे हैं।

आज यूनिवर्सिटी का छठा Convocation समारोह है। इस मौके पर मुझे आप सभी के बीच आने का अवसर मिला। आमंत्रण के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन का मैं बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मुझे खुशी है कि आज यहां पर जम्‍मू के स्‍कूलों से भी कुछ बच्‍चे, कुछ विद्यार्थी उपस्थित हैं। आज यहां 400 से अधिक छात्र-छात्राओं को डिग्री, मैडल और सर्टिफिकेट दिए गए। ये आपके उस श्रम का परिणाम है जो देश के इस प्रतिष्ठित संस्‍थान का हिस्‍सा रहते हुए आपने सार्थक किया है। आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं, और विशेषकर बेटियों को क्‍योंकि आज मैदान उन्‍होंने मारा है।

आज देश में ऐसे खेलकूद देखिए, एजुकेशन देखिए; सब जगह पर बेटियां कमाल कर रही हैं। मैं मेरे सामने देख रहा हूं कि आपकी आंखों में एक चमक दिखाई दे रही है, आत्‍मविश्‍वास नजर आ रहा है। ये चमक भविष्‍य के सपनों को भी और चुनौतियों को, दोनों को समझने का जज्‍बा ले करके बैठी हैं।

साथियो, आपके हाथ ये सिर्फ डिग्री या सर्टिफिकेट नहीं हैं, लेकिन ये देश के किसानों का उम्‍मीद पत्र है। आपके हाथ में जो सर्टिफिकेट है उसमें देश के किसानों की आशा-आकांक्षाएं भरी हुई हैं। ये उन करोड़ों उम्‍मीदों का दस्‍तावेज है जो देश का अन्‍नदाता, देश का किसान आप जैसे मेधावी लोगों से बड़ी आस लगाए बैठा हुआ है।

समय के साथ टेक्‍नोलॉजी तेजी से बदल रही है और बदलती हुई टेक्‍नोलॉजी तमाम व्‍यवस्‍थाओं को आमूल-चूल परिवर्तित कर रही है। इस रफ्तार के साथ अगर सबसे तेज चल सकता है तो वो हमारा देश का नौजवान है, हमारा देश का युवा है। और इसलिए भी मैं आपके बीच, आज जब आपसे बात करने का मुझे अवसर मिला है, मैं इसे बहुत महत्‍वपूर्ण मानता हूं।

नौजवान साथियो टेक्‍नोलॉजी जैसे nature of job बदल रही है, रोजगार के नए-नए तरीके विकसित हो रहे हैं, वैसे ही आवश्‍यकता agriculture sector में भी नया culture विकसित करने की जरूरत है। अपने परम्‍परागत तरीकों को जितना ज्‍यादा हम technique पर केन्द्रित करेंगे उतना ही किसान को अधिक लाभ होगा। और इसी vision पर चलते हुए केंद्र सरकार देश में खेती से जुड़े आधुनिक तौर-तरीकों को बढ़ावा दे रही है।

देश में अब तक 12 करोड़ से ज्‍यादा soil health card बांटे जा चुके हैं। इसमें जम्‍मू-कश्‍मीर में भी 11 लाख किसानों को ये कार्ड मिल चुके हैं। इन कार्ड की मदद से किसानों को ये पता चल रहा है कि उनके खेत को किस तरह की खाद की जरूरत है, क्‍या आवश्‍यकता है।

यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग का लाभ भी किसानों को हुआ है। इससे उपज तो बढ़ी ही है, प्रति हेक्‍टेयर यूरिया की खपत भी कम हुई है।

सिंचाई की आधुनिक तकनीक और पानी की प्रत्‍येक बूंद का इस्‍तेमाल करने की सोच के साथ micro और sprinkler irrigation को प्रोत्‍साहित किया जा रहा है। Per drop more crop ये हमारा मिशन होना चाहिए।

पिछले चार साल में 24 लाख हेक्‍टेयर से ज्‍यादा जमीन को micro और sprinkler irrigation के दायरे में लाया गया है। अभी दो दिन पूर्व ही कैबिनेट ने micro irrigation के लिए पांच हजार करोड़ रुपये के फंड का ऐलान किया है उसको स्‍वीकृति दे दी है। ये सारी नीतियां, ये सारे निर्णय किसान की आय दोगुनी करने के हमारे लक्ष्‍य को और मजबूत करते हैं। ऐसे अनेक प्रयासों से बन रही व्‍यवस्‍था का एक अहम हिस्‍सा आप सभी लोग हैं।

यहां से पढ़कर जाने के बाद से scientific approach, technological innovation और research and development के माध्‍यम से कृषि को लाभकारी व्‍यवसाय बनाने में आप सक्रिय भूमिका निभाएंगे, ये देश की आपसे अपेक्षाएं हैं। खेती से लेकर पशुपालन और इससे जुड़़े दूसरे व्‍यवसायों को नई तकनीकों से बेहतर बनाने की जिम्‍मेदारी हमारी युवा पीढ़ी के कंधों पर है।

यहां आने से पहले आपके प्रयासों के बारे में सुन करके मेरी आशा और जरा बढ़ गई है। आपसे अपेक्षाएं भी मेरी जरा ज्‍यादा बढ़ गई हैं। किसानों की आय बढ़ाने के लिए आपने और आपकी इस यूनिवर्सिटी ने अपने क्षेत्र के लिए जो मॉडल विकसित किया है, उसके बारे में भी मुझे बताया गया। आपने इसको integrated farming system model यानी IFS Model का नाम दिया है। इस Model में अनाज भी है, फल-सब्‍जी और फूल भी हैं, पशुधन भी है, मछली और मुर्गीपालन भी है, कम्‍पोस्‍ट भी है, मशरूम, बायोगैस और मेढ़ पर पेड़ का concept भी है। इससे हर महीने आय तो सुनिश्चित होगी बल्कि ये एक वर्ष में लगभग दो गुना रोजगार उपलब्‍ध कराएगा।

पूरे साल भर किसान की आय सुनिश्चित करने वाला ये Model अपने आप में बहुत महत्‍वपूर्ण है। साफ-सुथरा ईंधन भी मिला, कृषि के कचरे से भी मुक्ति मिली, गांव भी स्‍वच्‍छ हुआ, पारम्‍परिक खेती से जो आय किसानों को प्राप्‍त होती है, उससे ज्‍यादा आय आपका ये मॉडल सुनिश्चित करता है। यहां के climate conditions को ध्‍यान में रखते हुए आपने जो ये मॉडल विकसित किया है, मैं उसकी विशेष प्रशंसा करना चाहता हूं। मैं चाहूंगा इस मॉडल को जम्‍मू और आसपास के इलाकों में ज्‍यादा से ज्‍यादा प्रचारित-प्रसारित किया जाए।

साथियो, सरकार किसान को सिर्फ एक फसल पर निर्भर नहीं रखना चाहती बल्कि अतिरिक्‍त कमाई के जितने भी साधन हैं, उनको बढ़ावा देने का कार्य और उस काम पर हम बल दे रहे हैं। Agriculture में भविष्‍य के नए sectors की उन्‍नति किसानों की उन्‍नति में एक अनिवार्य हिस्‍सा बनने वाली है, सहायक होने वाली है।

Green और White revolution के साथ ही जितना ज्‍यादा हम organic revolution, water revolution, blue revolution, sweet revolution, उस पर बल देंगे, उतना ही किसानों की आय बढ़ेगी। इस बार जो बजट हमने पेश किया उसमें भी सरकार की यही सोच रही है। डेयरी को बढ़ावा देने के लिए पहले एक अलग फंड की व्‍यवस्‍था की थी लेकिन इस बार मछली पालन और पशुपालन के लिए दस हजार करोड़ के दो नए फंड बनाए गए हैं। यानी कृषि और पशुपालन के लिए किसानों को अब आर्थिक मदद आसानी से मिल पाएगी। इसके अतिरिक्‍त किसान क्रेडिट कार्ड की जो सुविधा पहले सिर्फ खेती तक सीमित थी अब मछली और पशुपालन के लिए भी ये सुविधा किसान को उपलब्‍ध होगी।

कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए हाल ही में एक बड़ी योजना का भी ऐलान किया गया है। कृषि से जुड़ी 11 योजनाओं को हरित क्रांति कृषि उन्‍नति योजना में शामिल किया गया है। इसके लिए 33,000 करोड़ से अधिक का प्रावधान किया गया है। और तैंतीस हजार करोड़ रुपया अमाउंट कम नहीं है।

साथियो waste से wealth create करने की तरफ भी सरकार का बड़ा फोकस है। देश के अलग-अलग हिस्‍सों में अब इस तरह की मुहिम जोर पकड़ रही है कि जो agriculture waste से wealth के लिए काम कर रही है।

इस साल बजट में सरकार ने गोबर धन योजना का ऐलान भी किया है। ये योजना ग्रामीण स्‍वच्‍छता बढ़ाने के साथ ही गांव में निकलने वाले bio wastage से किसानों एवं पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने में मदद करेगी। ऐसा भी नहीं है कि सिर्फ by product से ही wealth बन सकती है। जो मुख्‍य फसल है main product है, कई बार उसका भी अलग इस्‍तेमाल किसानों की आमदनी बढ़ा सकता है। Coir waste हो, coconut सेल्‍स हों, bamboo waste हो, फसल कटने के बाद खेत में जो residue रहते हैं, इन सभी से आमदनी बढ़ सकती है।

इसके अलावा बांस से जुड़े, bamboo के संबंध में जो पुराना कानून था उसमें भी हमने संशोधन कर अब बांस की खेती की राह भी आसान कर दी है। आप हैरान हो जाएंगे करीब 15 हजार करोड़ रुपये का bamboo को हमारा देश import करता है। कोई logic नहीं है।

साथियो, मुझे भी ये भी जानकारी दी गई कि यहां पर आप लोगों ने 12 फसलों की वेरायटी विकसित की है। रणबीर बासमती, ये तो देशभर में शायद बहुत मशहूर है। आपका ये प्रयास प्रशंसनीय है। लेकिन आज जो खेती के सामने चुनौतियां हैं वो बीज की गुणवत्‍ता से भी कहीं आगे हैं। ये चुनौती जुडी है मौसम में जो बदलाव हो रहा है, उसके साथ भी। हमारे किसान, कृषि वैज्ञानिक की मेहनत और सरकार की नीतियों का ये असर है कि पिछले वर्ष हमारे देश में किसानों ने रिकॉर्ड उत्‍पादन किया है। गेहूं हो, चावल हो या फिर दाल; पुराने रिकॉर्ड सारे टूट गए हैं। तिलहन और कपास में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई है। लेकिन अगर आप बीते कुछ वर्षों का डेटा देखेंगे तो पाएंगे कि उत्‍पादन में एक अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है और इसका सबसे बड़ा कारण है हमारी खेती की बारिश पर निर्भरता।
क्‍लाइमेट चेंज के प्रभाव की वजह से जहां एक तरफ, जहां तापमान में बढ़ोत्‍तरी देखी जा रही है वहीं कुछ क्षेत्रों में बारिश भी कम होती जा रही है। जम्‍मू-कश्‍मीर में भी इसका प्रभाव देखा जा रहा है। धान की खेती हो, बागवानी हो या फिर टूरिज्‍म; पर्याप्त मात्रा में पानी इन सबके लिए बेहद आवश्‍यक है। जम्‍मू-कश्‍मीर की पानी की जरूरत ग्‍लेशियर पूरा करते हैं। लेकिन जिस प्रकार तापमान बढ़ रहा है उससे ग्‍लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। इसका परिणाम कुछ हिस्‍सों में कम पानी और कुछ क्षेत्रों में बाढ़ के रूप में भी सामने आ रहा है।

साथियों, यहां आने से पहले जब मैं आपकी यूनिवर्सिटी के बारे में पढ़ रहा था तो मुझे आपका FASAL फसल, प्रोजेक्ट के बारे में भी पता चला। इसके माध्‍यम से आप खेती के सीजन से पहले ही फसल की आउटपुट और सालभर कितनी नमी रहने वाली है, इसका अनुमान लगाते हैं। लेकिन अब इससे भी आगे जाने की आवश्‍यकता है। नई परिस्थितियों से निपटने के लिए नई रणनीति की जरूरत है। ये रणनीति फसलों के स्‍तर पर भी चाहिए और टेक्‍नोलॉजी के स्‍तर पर भी चाहिए। में ऐसी फसलों की वेरायटी पर ध्‍यान देना होगा जो कम पानी लेती हों। इसके अलाव agriculture products का किस तरह value addition किया जा सकता है, ये भी निरंतर आपके thought process में होना चाहिए।

जैसे में आपको sea buckthorn का उदाहरण देता हूं। आप सभी sea buckthorn के बारे में जानते होंगे। लद्दाख क्षेत्र में पाया जाने वाला ये प्‍लांट माइनस 40 से +40 डिग्री सेंटीग्रेड में कठोरतम तापमान को सहन करने की ताकत रखता है। चाहे जितना सूखा हो, ये अपने-आप फलता-फूलता है। इसके औषधीय गुणों का जिक्र 8वीं सदी में लिखे गए तिब्‍बती साहित्‍य में भी मिलता है। देश और विदेश के कई आधुनिक रिसर्च संस्‍थानों ने इस sea buckthorn को बहुत ही मूल्‍यवान माना गया है। ब्‍लड प्रेशर की समस्‍या हो, बुखार हो, ट्यूमर हो, स्‍टोन हो, अल्‍सर हो, या फिर सर्दी-खांसी हो; sea buckthorn से बनी अनेक तरह की दवाइयां इनमें लाभ देती हैं।

एक स्‍टडी के मुताबिक दुनिया में उपलब्‍ध sea buckthorn में पूरी मानव जाति की विटामिन सी की जरूरत अकेले ही पूरी करने की क्षमता है। इस एग्रीकल्चर प्रोडक्‍ट के value addition ने तस्‍वीर बदल दी है। sea buckthorn का इस्‍तेमाल अब हर्बल टी में, जैम, protective oil, protective cream और health drink में भी बहुत बड़़ी मात्रा में हो रहा है। बहुत ऊंचे पहाड़ों पर तैनात सुरक्षाबल के जवानों के लिए ये बहुत उपयोगी हो रहा है। sea buckthorn से कई तरह के antioxidant product बनाए जा रहे हैं।

आज इस मंच पर मैं उदाहरण इसलिए दे रहा हूं, ये बात इसलिए भी कह रहा हूं क्‍योंकि भविष्‍य में देश के जिस भी हिस्‍से को आप अपना कार्यक्षेत्र बनाएंगे वहां ऐसे आपको अनेक product मिलेंगे। वहां अपने प्रसायों से आप एक मॉडल विकसित कर सकते हैं। कृषि छात्र से कृषि वैज्ञानिक बनते हुए, value addition करते हुए आप अपने सिर पर कृषि क्रांति का नेतृत्‍व कर सकते हैं।

जैसे एक महत्‍वपूर्ण विषय है एग्रीकल्‍चर में artificial intelligence. ये आने वाले समय में खेती में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला है। देश के कुछ हिस्‍सों में सीमित स्‍तर पर किसान इसका इस्‍तेमाल कर भी रहे हैं जैसे दवाई और पेस्‍ट कंट्रोल के लिए drone जैसी तकनीक का इस्‍तेमाल आज, अब धीरे-धीरे शुरू हो रहा है।

इसके अलावा soil mapping और community pricing में भी टेक्‍नोलॉजी काम कर रही है। इसके अलावा आने वाले दिनों में block chain technology का भी बड़ा अहम रोल रहेगा। इस तकनीक से supply chain की real time monitoring हो पाएगी, इससे खेती में होने वाले लेनदेन में पारदर्शिता आएगी। सबसे बड़ी बात, बिचौलियों की बदमाशी पर भी लगाम लगेगी और उपज की बर्बादी पर भी लगाम लगेगी।

साथियो, ये भी हम सभी को भलीभां‍ति पता है कि किसान की लागत बढ़ने की एक वजह खराब क्‍वालिटी के बीज, फर्टिलाइजर और दवाइयां भी होती हैं। Block chain technology से इस समस्‍या पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इस तकनीक के माध्‍यम से प्रॉडक्‍शन की प्रक्रिया से लेकर किसानों तक पहुंचने तक, किसी भी चरण पर प्रॉडक्‍ट की जांच आसानी से की जा सकती है।

एक पूरा नेटवर्क होगा जिसमें किसान processing units, वितरक, regulatory authorities, और उपभोक्‍ता की एक chain होगी। इन सभी के बीच नियम और शर्तों के आधार पर बनाए गए smart contract पर ये तकनीक विकसित की जा सकती है। इस पूरी chain से जुड़ा व्‍यक्ति क्‍यों‍कि इस पर नजर रख सकता है, लिहाजा इसमें भ्रष्‍टाचार की गुंजाइश भी कम रहेगी।

इसके अतिरिक्‍त, परिस्थितियों के हिसाब से फसल की बदलती कीमतों की वजह से किसानों को होने वाले नुकसान से भी ये तकनीक निजात दिला सकती है। इस chain से जुड़ा हर व्‍यक्ति एक-दूसरे के द्वारा real time में जानकारियां साझा कर सकता है और आपसी शर्तों के आधार पर, प्रत्‍येक स्‍तर पर कीमतें तय की जा सकती हैं।

साथियो, सरकार पहले ही e-NAM जैसी योजना के जरिए देशभर की मंडियों को जोड़ रही है। इसके अतिरिक्‍त 22 thousand ग्राम मंडियों को थोक मंडियों और वैश्विक बाजारों से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार famer producer organization FPO को भी बल दे रही है, बढ़ावा दे रही है। किसान अपने क्षेत्र में, अपने स्‍तर पर छोटे-छोटे संगठन बनाकर भी ग्रामीण हॉट और बड़ी मंडियों से बड़ी आसानी से जुड़ सकते हैं।

अब Block chain जैसी तकनीक हमारे इन प्रयासों को और भी अधिक लाभप्रद बनाएगी। साथियो आप लोगों को ऐसे मॉडल विकसित करने के बारे में भी सोचना होगा जो स्‍थानीय जरूरतों के साथ-साथ futuristic technology friendly भी हो।

Agriculture sector में नए startup कैसे आएं, नए innovation कैसे आएं, इस पर हमारा ध्‍यान केन्द्रित होना चाहिए। स्‍थानीय किसानों को भी तकनीक से जोड़ने के लिए आपके प्रयास निरंतर होते रहने चाहिए। और मुझे बताया गया है कि आप सभी ने पढ़ाई के दौरान गांव के स्‍तर पर लोगों को organic खेती से जोड़ने के लिए काफी काम किया है। Organic खेती के अनुकूल फसलों की वेरायटी को लेकर भी आपके द्वारा रिसर्च की जा रही है। हर स्‍तर पर इस तरह के अलग-अलग प्रयास भी किसानों के जीवन को खुशहाल बनाने का काम करेंगे।

साथियो, जम्‍मू-कश्‍मीर के किसानों और बागवानों के लिए बीते चार वर्षों में केंद्र सरकार ने भी कई योजनाएं स्‍वीकृत की हैं। बागवानी और कृषि से जुड़ी अन्‍य योजनाओं के लिए 500 करोड़ रुपये स्‍वीकृत किए गए हैं जिसमें से 150 करोड़ रुपये रिलीज भी किए जा चुके हैं। लेह और करगिल में कोल्‍ड स्‍टोरेज बनाने के लिए भी काम हो रहा है। इसके अतिरिक्‍त solar dryer setup करने वालों के लिए 20 करोड़ रुपये की सब्सिडी का भी प्रावधान किया गया है।

मुझे उम्‍मीद है कि बीज से ले करके बाजार तक किए जा रहे सरकार के ये प्रयास यहां के किसानों को और अधिक सशक्‍त करेंगे।
साथियो, साल 2022, देश अपनी स्‍वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाने जा रहा है। मेरा विश्‍वास है कि तब तक आप में से अनेक छात्र खुद को एक बेहतरीन वैज्ञानिक के तौर पर स्‍थापित कर चुके होंगे। मेरा आग्रह है कि साल 2022 को ध्‍यान में रखते हुए आपकी यूनिवर्सिटी और यहां के छात्र अपने लिए कोई न कोई लक्ष्‍य अवश्‍य निर्धारित करेंगे। जैसे यूनिवर्सिटी के स्‍तर पर ये सोचा जा सकता है कि कैसे इसे देश ही नहीं बल्कि दुनिया की top 200 universities की लिस्‍ट में हम हमारी यूनिवर्सिटी को शामिल करा जाए।
इसी तरह यहां के छात्र प्रति हेक्‍टेयर कृषि उत्‍पादन बढ़ाने, ज्‍यादा से ज्‍यादा किसानों तक आधुनिक तकनीक को ले जाने संबंधी कोई न कोई संकल्‍प ले सकते हैं। साथियो जब हम खेती को technology lead और entrepreneurship driven बनाने की बात करते हैं तब quality human resources तैयार करना अपने-आप में एक बहुत बड़ी चुनौती होती है।

आपकी यूनिवर्सिटी समेत देश के जितने भी ऐसे संस्‍थान हैं उनकी जिम्‍मेदारी और बढ़ जाती है। और ऐसे में five T पांच टी- training, talent, technology, timely action और trouble free approach का महत्‍व मेरी दृष्टि से बहुत बढ़ता जाता है। ये पांच टी देश की कृषि व्‍यवस्‍था में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए बहुत आवश्‍यक हैं। मुझे उम्‍मीद है कि अपने संकल्‍प तय करते समय इनका भी ध्‍यान रखा जाएगा।

साथियो, आज आप यहां एक close classroom environment से बाहर निकल रहे हैं, मेरी आपको शुभकामनाएं हैं। लेकिन ये दीवारों वाला क्‍लासरूम अब छूट रहा है एक बहुत बड़ा ओपन क्‍लासरूम बाहर आपका इंतजार कर रहा है। यहां आपकी सीखने की प्रक्रिया का सिर्फ एक पड़ाव खत्‍म हुआ है, असल जीवन की गंभीर शिक्षा अब शुरू हो रही है। इसलिए अपने स्‍टूडेंट वाले mind set को हमेशा जीवित रखना होगा। भीतर के विद्यार्थी को कभी मरने मत दीजिए। तभी आप innovative ideas से देश के किसानों के लिए बेहतर मॉडल विकसित कर पाएंगे।

आप संकल्‍प लें अपने सपनों को, अपने माता-पिता के सपनों को पूरा करें। राष्‍ट्र निर्माण में आपका भी सक्रिय योगदान दें। इसी कामना के साथ मैं मेरी बात को समाप्‍त करता हूं और सभी यशस्‍वी साथियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं। उनके परिवारजनों को भी हृदयपूर्वक बहुत शुभकामनाएं, बधाई।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।