Quoteसूरज जब ढलता है तो लाल रंग का होता है, उदय होता है तो केसरिया: प्रधानमंत्री मोदी 
Quoteभारत के चुनाव विश्लेषकों को समझना चाहिए कि यह ‘नो वन से वॉन’ (No One से Won) की यात्रा, शून्य से शिखर तक की यात्रा है: पीएम मोदी 
Quoteत्रिपुरा में क्रूर ताकतों और डर की राजनीति पर लोकतंत्र की जीत है, डर पर शांति और अहिंसा हावी हुई है: प्रधानमंत्री 
Quoteजितने मंत्री 70 साल में पूर्वोत्तर में गए होंगे, हमने 4 सालों में इतने मंत्री पूर्वोत्तर में भेजे हैं: प्रधानमंत्री मोदी 
Quoteये लोकतंत्र की ताकत है, गरीब से गरीब व्यक्ति ने भी इस चोट का जवाब वोट से दिया है: पीएम मोदी

भारतीय जनता पार्टी की विजय यात्रा के शिल्पी, हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमान अमित भाई शाह, पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागण और उत्साह और उमंग से भरे हुए मेरे कार्यकर्ता भाइयो और बहनो। मैं सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी के उन कार्यकर्ता को ...। हम दो मिनट के रूकेंगे। एक अजान पूरी हो जाए उसके बाद बोलेंगे। ...भारत माता की जय। भारत माता की जय।

साथियो।

भारतीय जनता पार्टी के अनेक कार्यकर्ताओं ने शहादत दी है। राजनीतिक विचारधारा के कारण हमारे निर्दोष कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतार दिया गया है। भय और भ्रम इन दो शस्त्रों को लेकरके विशेष करके माओवोदी विचार, लेफ्टिस्ट पार्टियां, उन्होंने जो जुल्म किया है। ये लोकतंत्र की ताकत है कि गरीब से गरीब, अनपढ़ से अनपढ़ मतदाता ने भी इस चोट का जवाब वोट से दिया है। हमारे कार्यकर्ताओं को खोने की पीड़ा जितनी हमलोगों को थी, उतनी ही पीड़ा त्रिपुरा के हर नागरिक को थी। और इसलिए मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को इस बात के लिए आदर से उनका स्मरण करता हूं कि उन्होंने कहा कि इस विजय को मैं आंख में नमी लेकर उन शहीदों को समर्पित करता हूं। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं कि इस विजय के अभूतपूर्व घटनाओं और माहौल के बीच हम दो मिनट के खड़े होकरके उन शहीदों को हम पहले श्रद्धांजलि देंगे।

...ऊं शांति शांति शांति।

साथियों।

लोकतंत्र में जय और पराजय बहुत स्वभाविक होते हैं। और यही तो लोकतंत्र की ब्यूटी है लेकिन राजनीतिक दलों को विजय को पचाना जितना जरूरी होता है, उतना ही पराजय के प्रति स्पोर्ट्समैन स्प्रिट होना बहुत आवश्यक है। अगर रगों में लोकतंत्र है तो पराजय को भी खेल दिली के साथ स्वीकार किया जा सकता है। 2014 से मैं लगातार देख रहा हूं, जो लोग लोकतंत्र की बार-बार दुहाई देते रहे हैं। वे पराजय के खेल दिली के साथ स्वीकार करने का संस्कार खो चुके हैं। मैं आज भी जो लेफ्टिस का बयान देखा, वह चौंकाने वाला है। मुझे विश्वास है कि देश के बुद्धिजीवी वर्ग इस अंहकार को, इस अलोकतांत्रिक मानसिकता को, भली भांति देश के सामने प्रस्तुत करेगा।

मैं सबसे नोर्थ ईस्ट के सभी नागरिकों को जो इस चुनाव में मतदाता थे। भारतीय जनता पार्टी की तरफ से ह्रदयपूर्वक बहुत-बहुत आभार व्यक्त करना चाहता हूं। क्योंकि अपप्रचार के बीच दूर-सुदूर नोर्थ ईस्ट में भारत सरकार की और भारतीय जनता पार्टी की सच्चाई सामान्य मानवी के दिलों तक पहुंच चुकी है। और ऐसी स्थिति में रहने वाले लोग, दूर-सुदूर उनके लिए कभी-कभी पुराना छोड़ना, नया स्वीकारना बहुत मुश्किल काम होता है, शहर के अंदर भी भी कभी-कभी मुश्किल होता है। लेकिन उन्होंने कितनी पीड़ाएं झेली होगी, कितनी बुराइयों को अपनी आंखों के सामने देखा होगा, कितनी मुसीबतों से गुजारा किया होगा कि आज उनका गुस्सा लोकतांत्रिक तरीके से मत पेटी मे प्रकट हो गया। हिन्दुस्तान के राजनीतिक विश्लेषकों को इस बात को समझना होगा कि नो वन से वॉन की यात्रा No one से Won की यात्रा, शून्य से शिखर तक की यात्रा। और आप जानते हैं कि सूरज जब ढलता है तो लाल रंग का होता है और जब सूर्योदय होता है तो केसरिया रंग लेकरके निकलता है। कल देश अनेक रंगों से रंगा हुआ था होली में। और आज सारे रंग केसरिया रंग में रंग गए।

जिस बात का मैं उल्लेख करूंगा, हो सकता है चुनाव विजय को जो लोग नीचा आंकने के लिए लगातार कोशिश करते रहते हैं। या जल्दी से कोई मुद्दा नया ढूंढ रहे हैं ताकि इससे निकलके कहीं और चले जाएं। वैसे एक बड़ी जमात है। हो सकता है जो बात मैं कहूंगा वो उनका काम आ जाए। जो बात मैं कह रहा हूं, वो मैंने सुनी है। मेरा न उसमें कोई ज्ञान है और न ही उसमें मेरा कोई आस्था है। लेकिन मैंने सुना है। कहते हैं कि जो वास्तु शास्त्र वाले लोग होते हैं, जो इमारत बनाते रहते हैं, वो एक मान्यता रखते हैं वास्तु शास्त्र वाले। मैंने तो घर बनाया नहीं तो मुझे मालूम नहीं क्या होता है। वो कहते हैं कि वास्तु शास्त्र के हिसाब से इमारत की जो रचना होती है, उसमें नोर्थ ईस्ट का जो कोना होता है, वह सबसे महत्वपूर्ण होता है। और इसलिए सारा फोकस वास्तु शास्त्री नोर्थ ईस्ट को केंद्र में रखते हुए मकान की रचना करते हैं। मतलब कि एक बार नोर्थ ईस्ट ठीक हो गया तो पूरी इमारत ठीक हो जाती है।

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भाइयो बहनो।

आज मुझे खुशी इस बात की है कि मेरे देश का नोर्थ ईस्ट आज विकास की इस यात्रा का शायद इस देश का नेतृत्व करने के लिए आगे आया है। देश के राजनीतिक विश्लेषकों को देखना होगा कि संगठन की शक्ति के आधार पर जनसंपर्क के माध्यम से लोकतंत्र में राजनीतिक दलों का दायित्व बनता है कि वो मतदाता को अपनी बात बताए, समझाए, उसको स्वीकार करने के लिए प्रेरित करें। एक लंबी प्रक्रिया है लेकिन दुर्भाग्य से भांति-भांति की राजनीति चली, जातिवाद की राजनीति चली, बम-बंदूक की राजनीति चली, मेरे-तेरे वाली राजनीति चली। उसने उस मूलभूत आत्मा को धीरे-धीरे क्षीण कर दिया। नोर्थ-ईस्ट के चुनावों ने और लगातार भारतीय जनता पार्टी की विजय यात्रा ने ये सिद्ध किया है। और मैं देश के पोलिटिकल पंडितों से कहूंगा कि एक बार इस पर गहराई से चिंतन हो। सामान्य से सामान्य से कार्यकर्ताओं को लेकरके, उनके विश्वास को लेकरके, जन सामान्य तक लगातार पहुंच करके, सही बात बताकरके उनके दिलों को भी जीता जा सकता है और चुनाव भी जीता जा सकता है। ये भारतीय जनता पार्टी ने  संगठन की शक्ति के द्वारा राजनीतिक परिवर्तन कैसे लाया जा सकता है।

ये अमित भाई के नेतृत्व में उनकी पूरी टीम ने, त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय की टीम ने सीमित संसाधनों के बीच, ये करके दिखलाया है। एक भ्रम फैला है कि बहुत बड़ा नाम हो, टीवी पर चमकता हो, चेहरा शानदार हो, भाषण बहुत बढ़िया हो, तभी राजनीतिक नेतृत्व होता है। इन तीनों राज्यों के किसी नेता को ..., अभी भी मीडिया को पता नहीं है कि सच्चा नेता कौन है। यानि संगठन का ताकत देखिए। कोई सेलिब्रिटी नहीं, कोई बड़ा हीरोइज्म नहीं, एक सामान्य मानवी ...। टीवी वाले, अखबार वाले और पोलिटिकल पंडित ढूंढने निकले कि आखिर था कौन। इसके पीछे था कौन। मोदी-शाह, मोदी-शाह करते रहेंगे लेकिन विजय की जड़ तो वहां है। हमें तो गुलदस्ता मिल रहा है।

शायद। मेरे पास पूरा आंकड़ा नहीं है। लेकिन शायद हिन्दुस्तान की विधानसभाओं का अगर एवरेज एज देखा जाए तो त्रिपुरा की बीजेपी की इलेक्टेड टीम, सबसे छोटी आयु की इलेक्टेड टीम है। हमारे कुछ उम्मीदवार तो ऐसे थे कि डर लग रहा था कि कहीं 25 की आयु पहुंचे न हो और कहीं हमारा नामांकन रद्द न हो जाए। और इसलिए नामांकन भरने से पहले बर्थ सर्टिफिकेट चेक करना पड़ा क्योंकि वो दिखने में इतने छोटे कार्यकर्ता थे। ऐसा लग रहा था कि अभी कॉलेज में एडमिशन हुआ होगा। लेकिन ऐसी-ऐसी हमारी बाल सेना। राजनीतिक जीवन की बाल सेना, उसने ये कमाल करके दिखाया है।

ये देश के पोलिटिकल पंडितों का ध्यान ..., मुझे आज टीवी देखने का मौका नहीं मिला। लेकिन अभी मैं रास्ते में आ रहा था तो कागज पर देख रहा था कि क्या-क्या हुआ है। ये चीजें हमारी ध्यान में आई है कि इतनी छोटी आयु के नौजवानों ने भी विश्वास मत प्राप्त कर लिया। मतलब कि भारतीय जनता पार्टी और भारत सरकार ने किस प्रकार से काम किया।

आपको मालूम होगा कि जब 2014 में दिल्ली में प्रधानमंत्री बनने का मुझे आप लोगों ने अवसर दिया। और भारतीय जनता पार्टी को सरकार बनाने का अवसर दिया। उन्हीं दिनों में दिल्ली में नोर्थ ईस्ट के बच्चों के साथ अत्याचार हुए थे। आपको याद होगा। और उस समय राजनाथ सिंह जी ने मुखर होकरके नोर्थ ईस्ट के नौजवानों के साथ लगातार मीटिंग की थी। ये नोर्थ ईस्ट के लोगों के लिए सरप्राइज था। कि अब दिल्ली में एक ऐसी सरकार बैठी है कि दिल्ली के अंदर नोर्थ ईस्ट के किसी लड़के के साथ कुछ अन्याय हो तो उसके लिए इतनी संवेदनशील है। सबसे पहला मैसेज 2014 में चला गया। बाद में, होम मिनिस्ट्री ने डिसीजन लिया कि दिल्ली के अंदर नोर्थ ईस्ट के नौजवानों को दिल्ली पुलिस के अंदर कोटा तय करने का निर्णय किया और उसको लागू किया। अब जो पोलिटिकल पंडित विश्लेषण करते होंगे ना ...। इनकी डायरी में ये चीजें होंगी नहीं क्योंकि कैसे-कैसे ...।

क्योंकि देश में नोर्थ ईस्ट के लोगों को हमेशा लगा कि दिल्ली हमसे बहुत दूर है। हमने ये स्थिति पैदा की कि दिल्ली उनके दरवाजे पर जाकरके खड़ी कर दी थी। ये अटल बिहारी जी की सरकार थी जिसने डोनर मंत्रालय बनाया। ये अटल बिहारी जी की सरकार थी जिन्होंने हर डिपार्टमेंट को 10 परसेंट एमाउंट डवलपमेंट के लिए नोर्थ ईस्ट के लिए डेडिकेटेड रखने के लिए निर्णय किया था। लेकिन बाद में, वो ऐसा का ऐसा ही ठहरा रह गया था। हमने आकरके उस बात को आगे बढ़ाया। और उसमें कुछ चीजें और जोड़ दी। आज डोनर मंत्रालय, हिन्दुस्तान में किसी भी सरकार के पास चाहे राज्य की हो, केंद्र की हो, कोई मंत्रालय मोबाइल नहीं है। हमारा डोनर मंत्रालय मोबाइल है जो महीने में एक बार पूरा डोनर मंत्रालय का सेक्रेटिएट नोर्थ ईस्ट के राज्यों में जाता है, वहां मुकाम करता है और नोर्थ ईस्ट के सवालों का समाधान, वहां जाकरके करता है। और महीने में एक राज्य में जाना, ये लगातार चल रहा है। इन पोलिटिकल पंडितों को ये भी पता नहीं होगा। क्योंकि ये कोई टीवी इंटरव्यू नहीं करते, ये बयानबाजी नहीं करते। ये काम करते हैं। यही लोग ...।

बहुत कम लोगों को मालूम होगा। देश आजाद होने के बाद नोर्थ ईस्ट के बाहर के जितने मंत्री नोर्थ ईस्ट में गए होंगे पूरे 70 साल में, हमने चार साल में उतने मंत्री, चार साल में नोर्थ ईस्ट में भेजे हैं। हर पंद्रह दिनों में कोई न कोई मंत्री भारत सरकार का किसी न किसी जिले में एक दिन-रात के साथ के बिताता है, 24 घंटे बिताता है। उनके भाव को हमने समझा। जो एलिएशन का भाव था। उनको लग रहा था कि हमारी उपेक्षा हो रही है। उसको खत्म करने का बीड़ा, चार साल से लगातार और चुपचाप करते रहे।

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ठान लिया कि इस काम को करना है। अनेक कार्यकर्ताओं ने ...। और वहां त्रिपुरा में तो हाल ये था कि कहीं काम करना मतलब आपको घर से कहीं निकलने के बाद मां-बाप को कहकर जाना पड़ता था कि पता नहीं शाम को लौटूंगा कि नहीं लौटूंगा। इस हाल में काम किया है। इसलिए देशभर के भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को कहना चाहूंगा कि केरल हो या त्रिपुरा हो या बंगाल हो। कुछ राज्यों में भी, इन दिनों उड़ीसा में भी खबरें आने लगी है। जिस प्रकार से राजनीतिक कारणों से भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को, कर्नाटक में पिछले छह महीने में हमारे दो दर्जन से ज्यादा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई।

भारतीय जनता पार्टी का उदय। लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ने का उनका सामर्थ्य नहीं है। वो हिंसा का मार्ग अपनाकरके हमें मौत के घाट उतारने की कोशिश कर रहे हैं। मेरे देश के कार्यकर्ता ये विश्वास रखिए। ये त्रिपुरा की मिसाल है हमारे सामने। हमारे कार्यकर्ता का एक बूंद भी कभी बेकार नहीं जाता है। और इसके बावजूद भी हम चुप रहे। और कभी-कभी हम कोई कदम उठाते हैं तो आता है ...वैनडाटा, वैनडाटा, वैन डाटा। अरे ये वैन डाटा नहीं मैनडाटा है। ये जनता जनार्धन का मैनडेट है हमें कि देश की भलाई के कदम उठाना ...। और हम उसके लिए कदम उठा रहे हैं।

आप कल्पना कर सकते हैं। और मैं जब संगठन का काम देखता था तो इस क्षेत्र में मुझे दौरा करने का काफी अवसर मिलता था। आठ-आठ, दस-दस घंटे दौरा करके पहुंचते थे। और पहुंचने के बाद भी, हाथ में जो थैला है, किस घर में रखेंगे, जगह नहीं मिलती थी। हमारी वो ताकत नहीं थी, पार्टी के लिए काम करने वाले लोग भी नहीं थे। कभी अता-पता लेकरके कोई परिचित के पास चला जाना पड़ता था और वहीं जाकरके शुरुआत करनी पड़ती थी। लेकिन आज वही भारतीय जनता पार्टी हर कोने में वटवृक्ष बनकरके उभरी है, कार्यकर्ताओं के परिश्रम से उभरी है।

पूर्ण परिवर्तन के लिए संपूर्ण रूप से किसी चीज के डवलपमेंट के लिए, एक शब्द प्रयोग बड़ा पोपुलर होता है - 360 डिग्री। 360 डिग्री यानि परफेक्ट आपका एप्रोच है, इस प्रकार से माना जाता है। परिणाम लाने के लिए हर कोने में, हर बारीकी से चीजें देखते हैं। ये 360 का अपना महत्व है। आज त्रिपुरा के उन शहीदों का स्मरण करते हुए, कर्नाटक के उन शहीदों का स्मरण करते हुए, पश्चिम बंगाल के उन शहीदों का स्मरण करते हुए, केरल के उन शहीदों को स्मरण करते हुए, हिन्दुस्तान के जिस कोने में राजनीतिक कारणों से हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है, ऐसे सभी शहीदों का स्मरण करते हुए क्या हम संकल्प कर सकते हैं, 360 डिग्री की उमर पहुंचने का ...।  

मुझे विश्वास है। अध्यक्ष जी तय करेंगे। उचित समय पर किस प्रकार आगे बढ़ना है, उसका फैसला करेंगे। लेकिन हम सभी कार्यकर्ता हैं। हम लोगों के लिए जो भी काम तय होगा, पार्टी जो हमें काम देगी, हम सब मिलकरके जी जान से जुटकरके आने वाले दिनों में इच्छित परिणाम लाकरके रहेंगे। भय और भ्रम फैलाने वाले, झूठ फैलाने वाले को सबसे अच्छा जवाब लोकतंत्र में मतदाता ही देता है। और लोकतंत्र ने सारे झूठ को जवाब दे दिए हैं।

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भाइयो बहनो।

मुझे खुशी है। क्योंकि अमित भाई को मैंने विद्यार्थी जीवन से देखा है। आज जब उनके नेतृत्व में सफलता के बाद सफलता आती है। तो आप कल्पना कर सकते हैं कि कितना गर्व होता है। और भारतीय जनता पार्टी ...। ये कितनी खुशी की बात है कि एक दल ऐसा है कि जिसका अध्यक्ष एक के बाद एक विजय को प्राप्त करते हुए आगे बढ़ता चला जा रहा है। और देश में ऐसे भी दल हैं कि जहां लोग पद में तो ऊपर चढ़ते जाते हैं लेकिन कद में छोटे होते जाते हैं। कांग्रेस पार्टी का कद इतना छोटा पहले कभी नहीं हुआ होगा जितना आज हुआ है।

मैं अभी पुदुचेरी गया था। पुदुचेरी में मैंने एक भाषण किया था। मैं भाषण किया था तो मैंने कहा था ...। वहां पुदुचेरी में मुख्यमंत्री कांग्रेस के हैं। केंद्र शासित प्रदेश है। मैंने उनको पब्लिकली बधाई दी। भारतीय जनता पार्टी का कार्यक्रम था। वे हमारे साथ थे। वो एयरपोर्ट पर चले गए। मैंने सार्वजनिक रूप से बधाई दी। मैंने कहा कि नारायण सामी जी, आप सबसे भाग्यवान व्यक्ति हैं  कांग्रेस में। आपके जैसा सौभाग्य किसी को प्राप्त नहीं हुआ है। क्योंकि मैंने कहा कि जून महीने के बाद, कांग्रेस के लिए एक स्पेसिमैन, ऐसी कांग्रेस थी। या कांग्रेस में भी मुख्यमंत्री होते थे। किसी जमाने में हम भी राज करते थे। आखिरकार तो स्पैसी मैन ही बचाने पड़ते हैं। पूरी कांग्रेस में आप ऐसे स्पैसी मैन बन जाओगे कि आपको पूरी कांग्रेस कंधे पर लेकरके नाचेगी। देखो, हमारे पास एक मुख्यमंत्री है, एक मुख्यमंत्री है।

मैंने कहा था कि आप नोर्थ ईस्ट में समाप्त हो जाओगे, अब कर्नाटक में भी समाप्त हो जाओगे। पंजाब तो न ये उनको अपना मानते हैं और न ही वो इनको अपना मानते हैं। वो स्वतंत्र फौजी है। कांग्रेस पार्टी का कद इतना छोटा पहले कभी नहीं था। लेकिन सब राजनीतिक दलों को सतर्क रहना होगा। भारतीय जनता पार्टी को विशेष रूप से सतर्क रहना होगा कि कांग्रेस कल्चर कहीं इधर-उधर घुस न जाए।

मैं इस चुनाव में, विशेष करके हमारे सुरक्षा बलों को बधाई देना चाहता हूं। क्योंकि स्वभाविक रूप से नोर्थ ईस्ट में चुनाव में हिंसा की वारदात की घटनाएं इतनी तीव्र हुई है भूतकाल में। लेकिन इस चुनाव में, चुनाव के दरम्यान हमारे कार्यकर्ताओं की जो हत्याएं हुई, चुनाव के दरम्यान एक हुई। बाकी जो हुई वो चुनाव से पहले हुई। 500 से अधिक हमारे कार्यकर्ताओं पर हमले हुए। कभी-कभी तो जीवन और मौत के बीच लड़ाई लड़नी पड़े, उस प्रकार के हमले हुए। लेकिन कुल मिलाकर चुनाव संपन्न कराने में, शांति बरकरार रखने में हमारे सुरक्षा बलों ने बहुत उत्तम भूमिका निभाई। मैं ह्रदय से उनका अभिनंदन करना चाहता हूं। मैं भारत के इलेक्शन कमीशन को भी बधाई देना चाहता हूं क्योंकि इस इलाके में संकट रहता है। लेकिन शांतिपूर्ण चुनाव संपन्न कराने में, सुरक्षा बलों से उचित काम लेने में क्योंकि सुरक्षा बल चुनाव घोषित होने के बाद सरकार के हाथ में नहीं होते हैं। वो पूरी तरह इलेक्शन कमीशन के अंडर में होते हैं। लेकिन उन्होंने जो कुछ भी किया। इसके लिए सुरक्षा बल विशेष रूप से अभिनंदन के अधिकारी हैं। इलेक्शन कमीशन अभिनंदन का अधिकारी है। मैं फिर एक बार भारतीय जनता पार्टी को अभूतपूर्व विजय दिलाने वालीमतदाताओं को अभिनंदन करता हूं, वहां के नागरिकों का अभिनंदन करता हूं।

मैंने चुनाव सभाओं में कहा था, हम वो इंसान हैं जो चीजों को पूरा करने में लगे रहते हैं। हमने कहा था, क्योंकि वही नजर आता था। जब भ्रमण करता था तो पता चल रहा था कि किस प्रकार का बाइब्रेशन है। तब मैंने कहा था कि आप जो प्यार दे रहे हैं, आप जो आशीर्वाद दे रहे हैं। हम उसे ब्याज समेत लौटाएंगे। और मैंने कहा था कि जब हम ब्याज समेत कहता हूं तो विकास करके ब्याज समेत लौटाएंगे। मैं आज फिर वहां के नागरिकों को विश्वास दे रहा हूं यहां से कि हम विकास को उस ऊंचाई पर ले जाएंगे कि आपके प्यार को ब्याज समेत विकास के द्वारा लौटाएंगे। तभी हम चैन से बैठेंगे। इसी एक विश्वास के साथ सबका बहुत-बहुत धन्यवाद। देशभर के लोगों को बहुत-बहुत बधाई धन्यवाद।

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PM Modi’s remarks at the BRICS session: Environment, COP-30, and Global Health
July 07, 2025

Your Highness,
Excellencies,

मुझे खुशी है कि ब्राजील की अध्यक्षता में ब्रिक्स ने पर्यावरण और स्वास्थ्य सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को उच्च प्राथमिकता दी है। ये विषय न केवल आपस में जुड़े हुए हैं, बल्कि मानवता के उज्जवल भविष्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

Friends,

इस वर्ष, COP-30 का आयोजन ब्राज़ील में हो रहा है। ऐसे में BRICS में पर्यावरण पर चर्चा प्रासंगिक भी है और समयानुकूल भी।

भारत के लिए Climate Change और पर्यावरण सुरक्षा हमेशा से उच्च प्राथमिकता के विषय रहे हैं। हमारे लिए Climate Change केवल ऊर्जा का विषय नहीं है। ये जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन का विषय है।

जहां कुछ लोग इसे आंकड़ों में मापते हैं, भारत इसे संस्कारों में जीता है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति में, पृथ्वी को माँ का दर्जा दिया गया है। इसीलिए जब पृथ्वी माँ पुकारती है, तो हम चुप नहीं रहते। हम अपनी सोच, अपने व्यवहार और अपनी जीवनशैली में बदलाव करते हैं।

भारत ने "People, Planet और Progress” की भावना से Mission LiFE, यानि, Lifestyle for Environment, एक पेड़ माँ के नाम, International Solar Alliance, Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, Green Hydrogen Mission, Biofuels Alliance, Big Cats Alliance, जैसे कई initiatives की शुरुआत की है।

भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान, हमने sustainable development और North-South के gap को कम करने पर जोर दिया था। इस उद्देश्य से हमने सभी देशों के साथ Green Development Pact पर सहमति बनाई थी। Environment-friendly actions को प्रोत्साहित करने के लिए Green Credits Initiative की शुरुआत की है।

विश्व की fastest growing major economy होते हुए भी, भारत Paris Commitments को समय से पहले पूरा करने वाला पहला देश है। हम 2070 तक Net Zero के लक्ष्य की ओर भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं।

पिछले दस वर्षों में भारत में solar energy की installed capacity में 4000 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। इन प्रयासों से हम एक sustainable और green future की मजबूत नींव रख रहे हैं।

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Friends,

भारत के लिए Climate Justice कोई विकल्प नहीं, एक नैतिक कर्तव्य है। भारत का मानना है कि ज़रूरतमंद देशों को technology transfer और affordable financing के बिना, climate एक्शन सिर्फ climate talks तक ही सीमित रहेगा।

Climate Ambition और Financing के बीच gap को कम करने में विकसित देशों की विशेष और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। हमें उन सभी देशों को साथ लेकर चलना होगा जो विभिन्न तनावों के चलते food, fuel, fertiliser और financial crisis से जूझ रहे हैं।

भविष्य को लेकर जो आत्मविश्वास विकसित देशों में है, वही आत्मबल इन देशों में भी होना चाहिए। किसी भी प्रकार के दोहरे मापदंड के रहते, मानवता का सतत और समावेशी विकास संभव नहीं है। आज जारी किया जा रहा "Framework Declaration on Climate Finance” एक सराहनीय कदम है। भारत इसका समर्थन करता है।

Friends,

पृथ्वी का स्वास्थ्य और मनुष्य का स्वास्थ्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। कोविड महामारी ने हमें सिखाया है कि वायरस वीसा लेकर नहीं आते, और समाधान भी पासपोर्ट देखकर नहीं चुने जाते ! साझा चुनौतियों का हल सिर्फ साझे प्रयासों से ही संभव है।

भारत ने "One Earth, One Health” के मूलमंत्र से, सभी देशों के साथ सहयोग बढ़ाया है। आज भारत में विश्व की सबसे बड़ी insurance scheme, "आयुष्मान भारत” 500 मिलियन से भी ज्यादा लोगों के लिए वरदान बनी है। आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्धा जैसे traditional medicine systems का ecosystem खड़ा किया गया है। Digital Health के माध्यम से हम देश के हर कोने में ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा रहे हैं। इन सभी क्षेत्रों में भारत का सफल अनुभव साझा करने में हमें खुशी होगी।

मुझे खुशी है कि ब्रिक्स में भी स्वास्थ्य सहयोग बढ़ाने पर विशेष बल दिया गया है। 2022 में लॉन्च किया गया BRICS वैक्सीन R&D Centre इस दिशा में एक मजबूत पहल है। आज जारी की जा रहा Leader’s statement on "BRICS Partnership for Elimination of Socially Determined Diseases”, हमारे सहयोग को मजबूत करने के लिए नई प्रेरणा देगा।

Friends,

आज की बहुत ही महत्वपूर्ण एवं उपयोगी चर्चाओं के लिए मैं सभी का आभार व्यक्त करता हूँ। अगले वर्ष भारत की ब्रिक्स अध्यक्षता में हम सभी विषयों पर करीबी सहयोग जारी रखेंगे। भारत की BRICS अध्यक्षता में हम BRICS को नए रूप में परिभाषित करने पर काम करेंगे। BRICS का मतलब होगा – Building Resilience and Innovation for Cooperation and Sustainability.

जिस तरह, अपनी अध्यक्षता के दौरान, हमने G-20 को व्यापकता दिलाई, Global South के विषयों को agenda में प्राथमिकता दिलाई, उसी तरह BRICS की अध्यक्षता के दौरान हम इस Forum को people-centric और humanity First की भावना से आगे बढाएंगें।

एक बार फिर, राष्ट्रपति लूला को सफल BRICS Summit की हार्दिक शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।