हर-हर महादेव ! त्रिलोचन महादेव की जय ! माता शीतला चौकिया देवी की जय ! उत्तर प्रदेश के ऊर्जावान और लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मेरे साथी डॉक्टर महेंद्रनाथ पांडे जी, यूपी सरकार में मंत्री श्री अनिल राजभर जी, नीलकंठ तिवारी जी, रविंद्र जायसवाल जी, संसद में मेरे साथी श्री बीपी सरोज जी, श्रीमती सीमा द्विवेदी जी, विधानसभा और विधानपरिषद के सभी माननीय साथीगण, बनास डेयरी के चेयरपर्सन श्री शंकर भाई चौधरी और विशाल संख्या में पधारे मेरे प्यारे किसान भाइयों और बहनों!

वाराणसी के इस पिंडरा क्षेत्र के लोगन के प्रणाम करत हईला ! पडोस के जिला जौनपुर के सब बंधु एवं भगिनी लोगन के भी प्रणाम! आज वाराणसी और आसपास का ये पूरा क्षेत्र, एक बार फिर से पूरे देश, पूरे उत्तर प्रदेश के गांवों, किसानों-पशुपालकों के लिए बहुत बड़े कार्यक्रमों का साक्षी बना है। आज का दिन इतिहास भी विशेष है और इसलिए भी विशेष है क्योंकि आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी की जन्मजयंती है। मैं उन्हे आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूँ। उनकी स्मृति में देश, किसान दिवस मना रहा है।

साथियों,

हमारे यहां गाय की बात करना, गोबरधन की बात करना कुछ लोगों ने ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं, जैसे कोई गुनाह कर रहे हैं। गुनाह बना दिया है। गाय कुछ लोगों के लिए गुनाह हो सकती है, हमारे लिए गाय माता है, पूजनीय है। गाय-भैंस का मजाक उड़ाने वाले लोग ये भूल जाते हैं कि देश के 8 करोड़ परिवारों की आजीविका ऐसे ही पशुधन से चलती है। इन्हीं परिवारों की मेहनत से आज भारत हर साल लगभग साढ़े 8 लाख करोड़ रुपए का दूध उत्पादन करता है। और ये राशि, जितना भारत में गेहूं और चावल का उत्पादन होता है, उसकी कीमत से भी कहीं ज्यादा यह दूध उत्पादन की कीमत है। इसलिए भारत के डेयरी सेक्टर को मजबूत करना, आज हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। इसी कड़ी में आज यहां बनास काशी संकुल का शिलान्यास किया गया है, साथियों अब मैदान छोटा पड़ गया है जगह नहीं है आप वहीं पर अपने आप को संभाल लीजिए। बनास डेयरी से जुड़े लाखों किसानों के खाते में करोड़ों रूपए ट्रांसफर किए गए हैं, रामनगर के दूध प्लांट को चलाने के लिए बायोगैस आधारित पावर प्लांट का भी शिलान्यास हुआ है। एक और महत्वपूर्ण बात हुई है, जिसका सकारात्मक प्रभाव पूरे देश के डेयरी सेक्टर पर पड़ेगा। आज यहां दूध की शुद्धता के प्रमाण के लिए देशभर में एकीकृत व्यवस्था और उसका LOGO भी जारी हुआ है। डेयरी सेक्टर से जुड़े इन प्रयासों के अलावा आज यूपी के लाखों लोगों को अपने घर के कानूनी दस्तावेज़ यानि घरौनी भी सौंपी गई है। वाराणसी को और सुंदर, सुगम और सुविधा संपन्न बनाने वाली 1500 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी हुआ है। इन सभी विकास परियोजनाओं के लिए आप सभी को बधाई, यूपी और देशभर के गोपालकों को विशेष बधाई।

साथियों,

एक जमाना था, जब हमारे गांवों के घर-आंगन में मवेशियों के झुंड ही संपन्नता की पहचान थे। और हमारे यहां तो कहा भी जाता था हर कोई इसे पशुधन कहता है। किसके दरवाज़े पर कितने खूंटे हैं, इसको लेकर स्पर्धा रहती थी। हमारे शास्त्रों में भी कामना की गई है- 

गावो मे सर्वतः

चैव गवाम् मध्ये वसाम्यहम्।।

यानि गायें मेरे चारों ओर रहें और मैं गायों के बीच निवास करुं। ये सेक्टर हमारे यहां रोजगार का भी हमेशा से बहुत बड़ा माध्यम रहा है। लेकिन बहुत लंबे समय तक इस सेक्टर को जो समर्थन मिलना चाहिए था, वो पहले की सरकारों में मिला नहीं। अब हमारी सरकार देशभर में इस स्थिति को बदल रही है। हमने कामधेनु आयोग का गठन किया है, डेयरी सेक्टर के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हज़ारों करोड़ रुपए का विशेष फंड बनाया है। हमने एक बहुत बड़ा अभियान चलाकर लाखों पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से भी जोड़ा है। किसानों को अच्छी गुणवत्ता का चारा बीज मिले, इसके लिए भी लगातार काम चल रहा है। पशुओं का घर पर ही इलाज हो, घर पर ही कृत्रिम गर्भाधान की व्यवस्था हो, इसके लिए भी देशव्यापी अभियान चलाया गया है। हमने पशुओं में Foot and Mouth Disease – खुरपका-मुंहपका के नियंत्रण के लिए भी राष्ट्रव्यापी टीकाकरण मिशन चलाया है। हमारी सरकार सिर्फ बच्चों का ही मुफ्त टीकाकरण नहीं कर रही, सिर्फ कोरोना वैक्सीन ही मुफ्त नहीं लगा रही, बल्कि पशुधन को बचाने के लिए भी अनेक टीके मुफ्त लगवा रही है।

साथियों,

देश में इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि 6-7 वर्ष पहले की तुलना में देश में दूध उत्पादन लगभग 45 प्रतिशत बढ़ा है। यानि करीब-करीब डेढ़ गुना हुआ है। आज भारत दुनिया का लगभग 22 प्रतिशत दूध उत्पादन करता है। करीब- करीब एक चौथाई। मुझे खुशी है कि यूपी आज देश का सबसे अधिक दूध उत्पादक राज्य तो है ही, डेयरी सेक्टर के विस्तार में भी बहुत आगे है।

भाइयों और बहनों,

मेरा अटूट विश्वास है, कि देश का डेयरी सेक्टर, पशुपालन, श्वेत क्रांति में नई ऊर्जा, किसानों की स्थिति को बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकती है। इस विश्वास के कई कारण भी हैं। पहला ये कि पशुपालन, देश के छोटे किसान जिनकी संख्या 10 करोड़ से भी अधिक है, उनकी अतिरिक्त आय का बहुत बड़ा साधन बन सकता है। दूसरा ये कि भारत के डेयरी प्रॉडक्ट्स के पास, विदेशों का बहुत बड़ा बाजार है। जिसमें आगे बढ़ने की बहुत सारी संभावनाएं हमारे पास हैं। तीसरा ये कि पशुपालन, महिलाओं के आर्थिक उत्थान, उनकी उद्यमशीलता को आगे बढ़ाने का बहुत बड़ा जरिया है। और चौथा ये कि जो हमारा पशुधन है, वो बायोगैस, जैविक खेती, प्राकृतिक खेती का भी बहुत बड़ा आधार है। जो पशु, दूध देने योग्य नहीं रह जाते, वो बोझ नहीं होते बल्कि वो भी हर दिन किसानों की आय बढ़ा सकते हैं।

भाइयों और बहनों,

डबल इंजन की हमारी सरकार, पूरी ईमानदारी से, पूरी शक्ति से, किसानों का, पशुपालकों का साथ दे रही है। आज यहां जो बनास काशी संकुल का शिलान्यास किया गया है, वो भी सरकार और सहकार की इसी भागीदारी का प्रमाण है। सहकारिता क्षेत्र में अहम भूमिका निभाने वाली बनास डेयरी और पूर्वांचल के किसानों, गोपालकों के बीच आज से एक नई साझेदारी शुरु हुई है। ये आधुनिक डेयरी प्लांट जब तैयार हो जाएगा, तो पिंडरा ही नहीं शिवपुर, सेवापुरी, रोहनिया, और गाजीपुर, जौनपुर, चंदौली, मिर्जापुर, बलिया, आजमगढ, मऊ जैसे जिलों के हज़ारों-लाखों किसानों को इससे लाभ होगा। बनास काशी संकुल की वजह से आसपास के अनेक गांवों में दूध समितियां बनेंगी, क्लेक्शन सेंटर बनेंगे और दूध के खराब होने की चिंता से मुक्ति मिलेगी। यही नहीं, यहां अच्छी नस्ल के पशुओं के लिए किसानों को मदद मिलेगी और पशुओं के लिए बढ़िया क्वालिटी का आहार भी उपलब्ध कराया जाएगा। दूध, दही, छाछ, मक्खन, पनीर के अलावा यहां आइसक्रीम और मिठाइयां भी बनेंगी। यानि, बनारस की लस्सी, छेने की एक से बढ़कर एक मिठाइयां, या फिर लौंगलता, इन सब का स्वाद अब और बढ़ जाएगा। वैसे अब तो मलइयो का मौसम भी आ ही गया है। एक प्रकार से, बनास काशी संकुल, बनारस के रस को और बढ़ा देगा।

भाइयों और बहनों,

आमतौर पर दूध की क्वालिटी की प्रमाणिकता को लेकर भी हमारे यहां बहुत उलझन रही है। दूध खरीदें तो कौन सा सुरक्षित है, इसकी पहचान सामान्य व्यक्ति के लिए मुश्किल होती है। प्रमाणिकता के लिए अलग-अलग व्यवस्थाओं के कारण, पशुपालकों, दुग्ध संघों सहित पूरे डेयरी सेक्टर को भी अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। अब देशभर के डेयरी सेक्टर के लिए इस चुनौती का इसका समाधान किया गया है। आज भारतीय मानक ब्यूरो ने देशभर के लिए एकीकृत व्यवस्था जारी की है। सर्टिफिकेशन के लिए कामधेनु गाय की विशेषता वाला एकीकृत LOGO भी लॉन्च किया गया है। ये प्रमाण, ये LOGO दिखेगा तो शुद्धता की पहचान आसान होगी और भारत के दूध उत्पादों की विश्वसनीयता भी बढ़ेगी।

साथियों,

आज देश की बहुत बड़ी जरूरत, डेयरी सेक्टर से जुड़े पशुओं से जो अपशिष्ट निकलता है, उसके सही इस्तेमाल का भी है। रामनगर के दूध प्लांट के पास बायोगैस से बिजली बनाने वाले प्लांट का निर्माण ऐसा ही एक बहुत बड़ा प्रयास है। यह अपनी तरह की ऐसी परियोजना है जिसमें डेयरी संयंत्र की सारी ऊर्जा जरूरतों को बायोगैस प्लांट से ही पूरा किया जाएगा। यानि किसान न केवल दूध से बल्कि गोबर की बिक्री से भी कमाई कर पाएंगे। आमतौर पर किसानों को गोबर की जो कीमत मिलती है, उससे ज्यादा कीमत पर ये बायोगैस प्लांट किसानों से गोबर खरीदेगा। यहां जो बायो स्लरी बनेगी उसका उपयोग बायो स्लरी आधारित जैविक उर्वरकों के उत्पादन के लिए किया जाएगा। जो ठोस जैविक खाद बनेगी वो रासायनिक खादों की तुलना में काफी कम कीमत पर किसानों को उपलब्ध होगी। इससे जैविक खेती- प्राकृतिक खेती का भी विकास होगा और बेसहारा पशुओं की सेवा के लिए भी प्रोत्साहन मिलेगा।

साथियों,

एक समय था जब भारत में नैचुरल फार्मिंग, प्राकृतिक खेती और प्राकृतिक तरीके से खेती होती थी। प्राकृतिक खेती यानि खेती में कोई बाहरी मिलावट नहीं। जो खेत से मिल रहा है, खेती में जुड़े पशुओं से मिल रहा है, वही तत्व खेती को बढ़ाने के काम में आते थे। खाद हो, कीटनाशक हो, सब कुछ प्राकृतिक तरीके से ही बनते थे, इस्तेमाल होते थे। लेकिन समय के साथ प्राकृतिक खेती का दायरा सिमटता गया, उस पर केमिकल वाली खेती हावी होती गई। धरती मां के कायाकल्प के लिए, हमारी मिट्टी की सुरक्षा के लिए, आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए, अब हमें एक बार फिर प्राकृतिक खेती की तरफ मुड़ना ही होगा। यही आज समय की मांग है। और इसलिए, अब सरकार, नैचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए, किसानों को जागरूक करने के लिए बहुत बड़ा अभियान भी चला रही है। और आज जब हम आजादी के 75 साल का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तब मैं देशवासियों से खासकरके मेरे किसान भाईयों- बहनों से विशेषकर के मेरे छोटे किसानों को आज किसान दिवस पर ये आग्रह करूंगा कि आप प्राकृतिक खेती की तरफ आगे बढ़े, प्राकृतिक खेती में खर्च भी कम होता है, उत्पाद भी बढ़ता है। ये खेती का सबसे सस्ता तरीका है, सबसे सुरक्षित तरीका है, और आज के विश्व में, प्राकृतिक खेती से पैदा हुई फसलों की कीमत भी बहुत ज्यादा है। ये हमारे कृषि सेक्टर को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी बड़ा कदम है। मैं देश के स्टार्टअप सेक्टर को भी नौजवानों को भी कहूंगा कि नैचुरल फार्मिंग में आपके लिए अनेक नई संभावनाएं हैं। हमारे नौजवानों को, युवाओं को इसका पूरा लाभ उठाना चाहिए। अभी यहां मंच पर आने से पहले मुझे यहां कई युवाओं से मिलने का मौका मिला। सरकारी योजनाओं से जुड़ने से कितने बड़े साहसपूर्ण काम उन्होंने किये हैं, कितना बड़ा बदलाव उनके जीवन में आया है मैं उसे सुन करके बहुत ही आन्नदित हुआ। योजनाओं के प्रति मेरा विश्वास और भी मजबूत हो गया।

भाइयों और बहनों,

गांवों को, किसानों को आत्मनिर्भर बनाने, उनको अवैध कब्ज़े से चिंतामुक्त करने में स्वामित्व योजना की भी बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे संतोष है कि योगी जी के नेतृत्व में यूपी इसमें भी अग्रणी है। यूपी के सभी 75 जिलों में 23 लाख से अधिक घरौनी तैयार हो चुके हैं। इनमें से करीब 21 लाख परिवारों को आज ये दस्तावेज़ दिए गए हैं। अपने घर की घरौनी जब हाथ में होगी तो गरीब, दलित, वंचित, पिछड़े को अपने घर पर अवैध कब्ज़े की चिंता से मुक्ति मिलेगी। पिछली सरकारों के दौरान अवैध कब्ज़ों की जो प्रवृत्ति यहां पनपी, उस पर भी लगाम लगेगी। घरौनी मिलने से ज़रूरत पड़ने पर बैंकों से लोन लेना भी अब आसान होगा। इससे गांवों के युवाओं को रोज़गार, स्वरोज़गार के लिए नए माध्यम उपलब्ध होंगे।

भाइयों और बहनों,

विकास की जब बात आती है, तो काशी अपने आप में एक मॉडल बनता जा रहा है। पुरातन पहचान को बनाए रखते हुए, हमारे शहर नूतन काया कैसे धारण कर सकते हैं, ये काशी में दिख रहा है। आज जिन प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है, वो भव्य काशी, दिव्य काशी अभियान को और गति देंगे। काल भैरव जी समेत, शहर के 6 वार्डों में जो पुनर्विकास काम है, 700 से अधिक स्थानों पर जो सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, उससे स्मार्ट और सुरक्षित सुविधाओं की तरफ बढ़ती काशी को और बल मिला है। महान संत पुज्य श्री रविदास जी की जन्मस्थली को विकसित करने का कार्य भी तेज़ी से चल रहा है। लंगर हॉल के बनने से यहां देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं को बहुत सुविधा होगी।

भाइयों और बहनों,

आज वाराणसी के जो चौराहे सुंदर हो रहे हैं, सड़कें चौड़ी हो रही हैं, नए पार्किंग स्थलों का निर्माण हो रहा है, उससे शहर में ट्रैफिक जाम की स्थिति में बहुत सुधार हुआ है। ये जो वाराणसी कैंट से लहरतारा होते हुए प्रयागराज की तरफ हाईवे जाता है, इस पर कितना दबाव रहता है, ये आपसे अच्छा कौन जानता है। अब जब ये 6 लेन का हो जाएगा तो दिल्ली, आगरा, कानपुर, प्रयागराज से आने-जाने वाले यात्रियों और सामान ढुलाई, सभी के लिए सुविधा होगी। यही नहीं, शहर के दूसरे क्षेत्रों के लिए भी अब आना-जाना और आसान हो जाएगा। ये सड़क जिले के प्रवेश द्वार की तरह विकसित होगी। वाराणसी- भदोही- गोपीगंज सड़क के चौड़ीकरण से शहर से निकलने वाली गाड़ियां रिंग रोड फेस-2 से होते हुए बाहर से जा पाएंगी। इससे भारी जाम से मुक्ति मिलेगी।

भाइयों और बहनों,

हेल्थ, एजुकेशन और रिसर्च हब के रूप में काशी की पहचान को सशक्त करने के लिए निरंतर प्रयास चल रहे हैं। आज एक आयुष अस्पताल का लोकार्पण हुआ है तो नए होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की स्थापना का काम शुरु हुआ है। इस प्रकार की सुविधाओं से भारतीय चिकित्सा पद्धति के अहम सेंटर के रूप में भी काशी उभरने वाला है। क्षेत्रीय निर्देश मानक प्रयोगशाला के बनने से जल परीक्षण, कपड़े और कालीन से जुड़े परीक्षण यहां हो पाएंगे। इससे वाराणसी और आसपास के अनेक उद्योगों को, बुनकरों को सीधा लाभ होगा। वहीं अंतरराष्ट्रीय राइस रिसर्च सेंटर में जो नई स्पीड ब्रीडिंग फैसलिटी स्थापित की गई है, उससे धान की नई किस्म विकसित करने में अब पहले के मुकाबले बहुत कम समय लगेगा।

भाइयों और बहनों,

मैं जब काशी के, उत्तर प्रदेश के विकास में डबल इंजन की डबल शक्ति और डबल विकास की बात करता हूं, तो कुछ लोगों को बहुत कष्ट होता है। ये वो लोग हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति को सिर्फ और सिर्फ जाति, पंथ, मत-मज़हब के चश्मे से ही देखा। इन लोगों ने कभी नहीं चाहा कि यूपी का विकास हो, यूपी की आधुनिक पहचान बने। स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, सड़क, पानी, बिजली, गरीबों के घर, गैस कनेक्शन, शौचालय, इनको तो वो विकास मानते ही नहीं। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की ये भाषा भी उनके सिलेबस में उनकी डिक्शनरी में यह बातें हैं ही नहीं। उनके सिलेबस में क्या है, उनकी डिक्शनरी में क्या है, उनकी बोल-चाल में क्या है, उनकी सोच में क्या है आप सब जानते हैं। उनके सिलेब्स में है - माफियावाद, परिवारवाद। उनके सिलबस में है- घरों-जमीनों पर अवैध कब्जा। पहले की सरकारों के समय यूपी के लोगों को जो मिला और आज यूपी के लोगों को हमारी सरकार से जो मिल रहा है, उसका फर्क साफ है। हम यूपी में विरासत को भी बढ़ा रहे हैं, यूपी का विकास भी कर रहे हैं। लेकिन सिर्फ अपना स्वार्थ सोचने वाले इन लोगों को यूपी का विकास पसंद नहीं आ रहा। हालात तो ये है कि इन लोगों को पूर्वांचल के विकास से, बाबा के काम से, विश्वनाथ धाम के काम से भी आपत्ति होने लगी है। मुझे बताया गया है कि बीते रविवार, काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन के लिए डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे। यूपी को दशकों पीछे धकेलने वाले इन लोगों की नाराजगी अभी और बढ़ेगी। जिस तरह पूरे यूपी के लोग डबल इंजन की सरकार के साथ डटकर खड़े हैं, हमें आशीर्वाद दे रहे हैं, और जैसे- जैसे आशीर्वाद बढ़ता जाता है उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंचेगा।

साथियों,

डबल इंजन की सरकार, यूपी के विकास के लिए दिन रात ऐसे ही मेहनत करती रहेगी। महादेव के आशीर्वाद और काशीवासियों के स्नेह से विकास के नए रिकॉर्ड बनाते रहेंगे, इसी विश्वास के साथ सभी विकास परियोजनाओं की आप सबको बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। मेरे साथ बोलिए भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। बहुत- बहुत धन्यवाद।

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.