कई उपाय सुझाये जिसे महापौर अपने शहरों के कायाकल्प के लिए शुरू कर सकते हैं
" आधुनिकीकरण के इस दौर में हमारे इन शहरों की प्राचीनता की भी अहमियत है"
"हमारा शहर स्वच्छ रहे और स्वस्थ भी रहे, ये हमारा प्रयास होना चाहिए"
“नदियों को शहरी जीवन के केंद्र में वापस लाया जाना चाहिए। इससे आपके शहरों को एक नया जीवन मिलेगा”
“हमारे शहर हमारी अर्थव्यवस्था की प्रेरक शक्ति हैं। हमें शहर को वाइब्रेंट इकोनॉमी का हब बनाना चाहिए"
" हमारे विकास के मॉडल में एमएसएमई को कैसे बल मिले, इस पर विचार करने की जरूरत है"
“महामारी ने स्ट्रीट वेंडर्स के महत्व को दिखाया है। रेहड़ी-पटरी वाले हमारी अपनी ही यात्रा के अंग है, इनकी मुसीबतों को हम हर पल देखेंगे"
"मैं काशी के बारे में आपके सुझावों के लिए आभारी रहूंगा और मैं आपका पहला छात्र बनूंगा"
"सरदार पटेल अहमदाबाद के महापौर थे और देश उन्हें आज भी याद करता है"

हर-हर महादेव,

नमस्कार,

कार्यक्रम में उपस्थित उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री जन-जन के उपयोगी योगी आदित्यनाथ जी, कैबिनेट में मेरे सहयोगी श्री हरदीप सिंह पुरी जी, यूपी सरकार में मंत्री श्री आशुतोष टंडन जी, नीलकंठ तिवारी जी, ऑल इंडिया मेयर काउंसिल के चेयरमैन श्री नवीन जैन जी, काशीमें उपस्थित और देश के कोने-कोने से जुड़े आप सभी मेयर साथियों, अन्य महानुभाव, भाइयों और बहनों,

काशी के सांसद के नाते मेरी काशी में मैं आप सबका हदृय से बहुत- बहुत स्वागत करता हूँ। मेरे लिए यह बहुत ही सौभाग्य का अवसर होता कि मैं स्वंय वहां रहकर के मेरी काशी मैं आपका स्वागत करता आपका सम्मान करता। लेकिन समय की कुछ सीमाओं के कारण मैं खुद तो वहां रह करके आपका स्वागत नहीं कर पा रहा हूँ। लेकिन मुझे पक्का विश्वास है, काशीवासियों ने आपकी मेहमान नवाजी में कोई कमी नहीं रखी होगी। आपकी भरसकखातिरदारी की होगी, चिंता की होगी। और अगर कुछ कमी रह भी गई हो तो दोष काशिवासियों का नहीं होगा, वो दोष मेरा होगा और इसलिए आप जरुर क्षमा करेंगे। और काशी के आपके इस वाक्त्व्य को आप भरपेटenjoy भी करेंगे, और मिल बैठ करके भावी भारत के लिए, भारत के शहरों के उज्जवल भविष्य के लिए अपने अनुभवों को सांझा करेंगे। बहुत सी चीजें एक- दूसरे से सीखेंगे। और अपने- अपने शहर को अपने- अपने तरीके से और आगे बढ़ाने के लिए सुंदर से सुंदर शहर बनाने के लिए, vibrant शहर बनाने के लिए, एक जागृत शहर बनाने के लिए आप कोई कसर नहीं छोड़ेगें ऐसा मेरा पूरा विश्वास है। आप सभी मेयर साहिबान जरुर अपने कार्यकाल में अपने शहर को कुछ-न-कुछ देना चाहते होंगे। आप जरुर चाहते होंगे कि आप अपने शहर में कुछ ऐसा करके जाएं ताकि आने वाले समय में 5, 50, 20 साल के बाद जब भी को शहर में आएं तो चर्चा करे कि जब फलाने सज्जन यहां मेयर थे या फलानी बहन यहां मेयर थी तब यह शहर में यहाँ काम हुआ था। एक याद बन जाए, एक दिशा बन जाए और हर किसी के मन में यह सपना भी रहना चाहिए, यह संकल्प भी रहना चाहिए और इस संकल्प की पूर्ति के लिए जी-जान से जुट जाना भी चाहिए। और जनता ने जब हम पर विश्वास रखा हो नगर का पूरा दायित्व हमें दिया हो तो हमें भी इसको भली-भांति पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। और मुझे पक्का विश्वास है, कि आप सब उस दिशा में जरुर कुछ-न-कुछ करते होंगे। जरुर उसका अच्छा परिणाम मिले इसके लिए आपके प्रयास रहते होंगे। और मैं आजमैं शहरी विकास मंत्रालय को, यूपी सरकार को और आप सभी कोभी बहुत-बहुतबधाई देता हूँ कि आपने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए बनारस को चुना, मेरी काशी को चुना है।देश के विकास के लिए आपके संकल्पों से बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद जुड़ेगा, तो आप सबकुछ-न-कुछ नया प्राप्त करके, नई प्ररेणा ले करके, नया उमंग ले करके अवश्य अपने कार्य क्षेत्र में लौटेंगे।काशीमें हो रहे इस कार्यक्रम को मैं कई संभावनाओं के साथ जोड़कर देख रहा हूँ। एकऔरबनारस जैसा दुनिया का सबसे प्राचीन शहरों में से एक स्थान, और दूसरी ओर आधुनिक भारत के आधुनिक शहरों की रूपरेखा! अभी हाल में, जब मैं काशी में था तब मैंने कहा भी था, काशी का विकास पूरे देश के लिए विकास का एक रोडमैप बन सकता है। हमारे देश में ज़्यादातर शहर पारंपरिक शहर ही हैं, पारंपरिक तरीके से ही विकसित हुए हैं। आधुनिकीकरण के इस दौर में हमारे इन शहरों की प्राचीनता भी उतनी हीअहमियत है । हम अपने प्राचीन शहरोंमें उनकी हर गली से हर पत्थर से, हर पल से, इतिहासके हर तबारक सेबहुत कुछसीख सकते हैं। उनके ऐतिहासिक अनुभवों को, हमअपने जीवन की प्ररेणा बना सकते हैं। हमारीविरासत को सहेजने सँवारने केनये-नयेतौर तरीकोंहम विकसित करसकते हैं।हम सीख सकते हैं, लोकल कला-कौशल कोउसकोआगे बढ़ाने के तरीकों को, कैसे लोकल स्किल और प्रोडक्ट्स शहर की पहचान बन सकते हैं, इस अनुभव को!

साथियों,

आप लोग जब बनारस घूमेंगे, और आप में से बहुत लोग आएं हैं जो पहले कभी-न-कभी तो आएं ही होंगे। तो पुरानी स्मृतियों के साथ नये बदलाव को जरुर तुलनात्मक रुप से देखेंगे। और साथ-साथ आपके दिमाग में अपना शहर भी सवार हो जायेगा। और आप हर पल देखेंगे कि मैं जिस शहर से हूँ, वहां कि गली और काशी की यह गली, मैं जिस शहर में हूँ वहां कि नदी और यहां की नदी हर चीज़ का आप पल-पल तुलना करने क प्रयास करेंगे। और आपके साथ जो और मेयर होंगे उनके साथ चर्चा करेंगे। उन्होने क्या किया है, कैसे किया है। हम सबको चर्चा करते करते नये विचार मिलेंगे। नई कल्पनाएं मिलेगी, नये कार्यक्रमों की रचना तय होगी। और वो अपने शहर में जा करके आपका नेतृत्व उस काम को करेगा, तो आपके शहर के लोगों को, आपके राज्य के लोगों को एक नयी खुशी मिलेगी नया विश्वास मिलेगा। और हमे कोशिश करनी चाहिए हमevolution में विश्वास करें, Revolution की आज भारत को जरुर नहीं है। हमें कायाकल्प की जरुरत है, पुराना सब तोड़ना- फोड़ना खत्म करना यह हमारा रास्ता नहीं है। लेकिन पुराना जो कुछ भी है उसको संवारते हुए आधुनिकता की तरफ हम कैसे जाएं, आधुनिक युग की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हम कैसे आगे बढ़े यह हम लोगों का प्रयास रहना चाहिए। अब आप देखिए स्वछता का अभियान चल रहा है, पूरे देश में हर वर्ष स्वच्छ शहर की घोषणा होती है। लेकिन मैं देख रहा हूँ धीरे-धीरे कि कुछ ही शहरों ने अपनी जगह बन ली है, अच्छी बात है। लेकिन बाकि शहर निराश हो करके बैंठ जाएं कि भई यह तो उन्ही को ईनाम जाने वाला है, वही आगे बढ़ गए हैं हम तो नहीं कर पाएंगे यह मानसिकता नहीं होनी चाहिए। आप सभी मेयर संकल्प करें, कि अगली बार स्वछता की स्पर्धा में आप किसी से पीछे नहीं होंगे, आपके शहर किसी से पीछे नहीं होगा यह संकल्प कर सकते हैं, नहीं कर सकते हैं। मैं तो कहूंगा हमारे हरदीप पुरी जी को अब हम यह भी कोशिश कर सकते हैं कि जो श्रेष्ठ, स्वच्छ शहर है उनको तो ईनाम देंगें ही देंगें उनको तोrecognize करेंगे सम्मानित करेंगें, लेकिन जो अच्छा होने का सबसे ज्यादा प्रयास कर रहे हैं उनको भी हमrecognize करें और जो बिल्कुल आँख बंद करके बैठ गए हैं कुछ करना ही नहीं है उनकी सूची भी निकाले और उन राज्यों मेंAdvertisement करें कि देखिए इस राज्य के तीन शहर जो स्वच्छता में कुछ नहीं कर रहे। तो जनता का दवाब इतना बढ़ेगा कि हर किसी को काम करने का मन कर जाएगा। और मेरा मेयरों से आग्रह है कि आप सिर्फ स्वच्छता को सालभर के कार्यक्रम के रुप में न देखे। क्या आप हर महीना बोर्ड के बीच हर बोर्ड के बीच स्वच्छता की स्पर्धाorganize कर सकते हैं क्या। जुरी बना करके इस महीने में कौनसा बोर्ड सबसे ज्यादा स्वच्छता का ईनाम ले रहा है। अगर शहर के बोर्डों मेंcompetition होगी, बोर्ड के काउंसिलर के बीच में स्पर्धा होगी तो उसकाcumulative effect, total जोeffect है वो पूरे शहर का रुप बदलने में काम आयेगा। और इसलिए मैं कहूंगा दूसरा जैसे स्वच्छता का एक महत्व है, सौन्दर्यकरण भी, beautification यह भी मैं तो चाहता हूँ। दुनिया मेंbeauty competition होती हैं जो होती हैं वो होती हैं मुझे उसमें कुछ कहना नहीं है। लेकिन क्या हमारे नगर में बोर्डbeauty competition कर सकते हैं क्या ! कौन सा बोर्ड सबसे ज्यादाbeautiful है। सफाई काperimeter हो सकता है, सौंदर्य की दृष्टि से किये गएinitativeका perimeter हो सकता है। हर नगर अपना भी सिद्ध करे जुरी बनाएं। दीवारों को कैसे रंगा गया है, दुकाने हैं तो बोर्ड कैसे लगे हुए हैं, गलियों के साइन बोर्ड हैं तो कैसे लिखे गए हैं, address कैसे लिखा जाता है। ऐसी अनेक बाते हैं उन सारी बातों को अगर आप लगातार शहर में यह जोड़ दे जैसे अभी एक स्पर्धाorganize हुई है। आजादी का अमृत महोत्सव अब आजादी का अमृत महोत्सव उसमें तीन चीज़े कहीं है जो आप सामान्य मानवी से करवा सके। एक- कि आजादी के अमृत महोत्सव की रंगोली स्पर्धा लेकिन रंगोली भी सौंदर्य के साथ जुड़ी हुई रंगोली नहीं आजादी की, आंदोलन की किसी न किसी घटना से जुड़ी हुई हो। अगर आप पूरे शहर में यह स्पर्धा करें। आने वाले 26 जनवरी तक इसको बड़ा माहौल बनाएं, देखिए बदल हो सकता है या नहीं हो सकता है। उसी प्रकार से आपके शहर में आजादी के आंदोलन में जो हुआ हो उसके लिए कुछ गीत लिखे जाएं, आपके शहर में आजादी के आंदोलन में घटी घटना के संबंध में कुछ गीत लिखे जाएं उन गीतों की स्पर्धा हो। आपके राज्य के अंदर जो घटनाएं घटी है उसके गीतों की स्पर्धा हो, देश की महान घटनाओं को जोड़करके उनकी स्पर्धा हो। आप देखिए बदलाव होगा कि नहीं होगा। उसी प्रकार से हमारी माताओं- बहनों को जोड़ने का एक बड़ा कार्यक्रम हो सकता है। हमारे यहां पुरानी पंरपरा थी लोरी गाने की बच्चे जब नवजात शिशु होते थे तो लोरी गाते थे हर घर में माताएं-बहनें अब क्या हम आधुनिक लोरी बना सकते हैं। आधुनिक रुप से भावी भारत कैसा होगा 2047 में जब देश 100 साल का होगा तो वो कौन-से सपने होंगें जो बच्चा जो आज पैदा हुआ है, जिसको उसकी माँ लोरी सुना रही है वो उज्जवल भविष्य की लोरी सुनाएं और उसको संस्कारित करें अभी से संस्कारित करें कि देखो हम सबने मिल करके 2047 में जब हिन्दुस्तान 100 साल की आजादी के वर्ष मनायेगा तो ऐसा- ऐसा करेंगे। ऐसा कर सकते हैं क्या!अब देखिये हमारे यहां कल आपने देखा शायद आपको मौका मिला होगा या तो आज जाने वाले होंगे, गंगा घाट देखे होंगे। दुनियाभर के टूरिस्ट आते हैं। काशी की इकोनॉमी को चलाने में माता गंगा का बहुत बड़ा रोल है। माता गंगा के तट पर जो कुछ भी हुआ है, उससे काशी की इकोनॉमी को ताकत मिलती है। क्या हम हमारे करीब- करीब अनेक शहर ऐसे हैं जो किसी न किसी नदी के तट पर हैं। या तो शहर में से नदी गुजरती है, लेकिन कालक्रम में वो नदी एक प्रकार से तबाह हो गई। कभी- कभी तो गंदी नाली बन गई है, या तो बारिश में पानी आता होगा तब वो नदी दिखती होगी फिर नदी नजर नही आती होगी। हमें इस नदी के प्रति एक बहुत संवेदनशील एप्रोच अपनाना चाहिए। आज जब पूरी दुनिया पानी के संकट की चर्चा करती है। आज जब सारी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग, क्लाईमेट चेंज की चर्चा करती है और हम हमारे नगर की नदी की परवाह ही न करें, उस नदी को संभालना, उस नदी को संवारना, उस नदी के महत्व को समझना यह अगर न करें तो फिर हम कैसे गौरव कर सकते हैं।

क्या हम एक काम कर सकते हैं, हर वर्ष सात दिन के लिए जब भी आपकी सुविधा हो नदी उत्सव मनाएं। नदी उत्सव मना करके पूरे नगर को उसमें जोड़े उसमें सफाई का काम हो सकता है नदी का, नदी के इतिहास के संबंध में कुछ बातें हो सकती हैं, नदी के तट पर हुई घटनाओं को ले करके बातें हो सकती हैं, नदी को गुणगान करने वाली बातें हो सकती हैं। कभी नदी के तट पर जाकर कुछ समारोह हो सकते हैं कुछ कवि सम्मेलन हो सकते हैं। यानि नदी को केंद्र में नगर के विकास की यात्रा में नदी को फिर एक बार जीवंत स्थान जहां नदी है वहां इसको हमे हल्का- फुल्का नहीं छोड़ना चाहिए। आप देखिए आपके नगर में एक नई जान आ जाएगी, नया उत्साह आ जायेगा नदी का महत्व कैसे बढ़े इसके लिए हमें करना चाहिए।

इसी प्रकार आपने देखा होगा कि सिंगल यूज प्लास्टिक के संबंध में हम हमारे नगर में कितने सजग हैं। हम दुकानदारों को समझाएं, व्यापारियों को समझाएं कि हमारे नगर में हम सिंगल यूज़ प्लास्टिक का कहीं उपयोग नहीं करेंगे। हम व्यवस्था से उसको निकाल दे। और गरीब की बनाई हुई अखबार की रद्दी की जो छोटी- छोटी थैलियां होती हैं उनका उपयोग करो या तो आदत डालो कि घर से थैला लेकर खरीददारी करने जाने की आदत बनाई जाएं। और अब तो दुनिया भर में सर्कुलर इकोनॉमी का महत्व बढ़ रहा है, वेस्ट में से बेस्ट बनाने का बन रहा है। कभी- कभी नगर में यह भीcompetition हो सकती है, कि चलो भई वेस्ट में से बेस्ट बना करके उसकी एक प्रदर्शिनी, उसका एक मार्केटिंग एक मेला लगे। जितने भी टेलेंट हैं, डिजाइनर हैं पुरानी- पुरानी चीज़ों का और आपने देखा होगा कितनी बढ़िया- बढ़िया चीज़ लोग बनाते हैं। और एक प्रकार से एक चौराहें पर रखे तो एक स्मारक बन जाती है। हमे एक बेस्ट मेनेजमेंट को ले करके उसका एकrevenue मॉडल बन सकता है। वो मॉडल कैसे बन सकता है उस दिशा में हमें काम करना चाहिए और कुछ शहरों ने किया है। और सीवज का पानी रियूज़ हो सकता है। बगीचों में अगर हम आज पानी का उपयोग करते हैं। आप कल्पना कर सकते हैं अगर गांव के किसानों को पानी मिलना बंद हो जाएं और हम कहे कि शहर को पानी दो तो क्या स्थिति बनेगी।

हमारे जो पीने के सिवाए के काम हैं, उसमें सीवज वॉटर का ट्रीटमेंट कर करके उसमें से पानी बगीचों के लिए बाकि कामों के लिए बहुत बड़ी मात्रा में उपयोग कर सकते हैं। तो जो वेस्ट है वो वेल्थ मेंconvert होगा और जो पानी की गंदगी है वो भी दूर हो जाएगी। और शहर के आरोग्य में भी बहुत बड़ा बदलाव आएगा। अगर हम शहर में आरोग्य के लिए येpreventive चीज़ों पर बल नहीं देंगे तो कितने ही अस्पताल बनवाएं कम पड़ जाएंगें। स्वाभाविक है और इसलिए हम हमारा शहर स्वच्छ रहे, स्वस्थ भी रहे यह भी हम लोगों का प्रयास होना चाहिए। और मुझे पक्का विश्वास है कि हम घर से निकले कूढ़े-कचरे से ले करके, रसोई से निकले कूढ़े-कचरे से ले करके, गली मोहल्ले के कूढ़े कचरे तक या ईमारतें पुरानी तोड़ करके नयी बन रही है तो वो भी इन सारी के लिए एक जगह तय करे और कूढ़ा- कचरा फेंक दे ऐसा नहीं। हम कोशिश करें उसमें से कैसे आगे आ सकते हैं। अब जैसे सूरत में सीवेज वॉटर ट्रीटमेंट का एक आधुनिक मॉडल डेवलप किया गया है। वहां सीवज वॉटर को ट्रीटमेंट के बाद इंड्रस्टी को बेचा जा रहा है और लोकर बॉडी को कमाई हो रही है ऐसा कई शहरों में होता होगा। तो मुझे जानकारी थी इसलिए मैंने उसका उल्लेख किया ऐसे कई शहर हैं जो आज कर रहे हैं और उसके कारण शहर के रेवेन्यू को भी फायदा हो सकता है और हमारी ये कोशिश होनी चाहिए की शहर क रेवेन्यू में इस दिशा में, मैं मानता हूँ की शहर का जन्मदिवस हमें पता होना चाहिए हमारे शहर का जन्मदिवस कब है, नहीं है तो पुरानी चीज़ों को खोजना चाहिए निकालना चाहिए रिकॉर्ड परavailable होगा। शहर का जन्मदिवस बड़े धूम धाम से मानना चाहिए। अपने शहर क प्रति गौरव पैदा हो उसके साथ अनेक स्पर्धा हों और मेरा शहर कैसा हो हर नागरिक के दिल में एक भाव पैदा हो की मेरा शहर मुझे कुछ ऐसा बनाना है, मैं इसके लिए ऐसा ऐसा करने वाला हूँ मैं ये प्रयास करूँगा। यह जब तक हम नहीं करते हैं तो फिर क्या होता है टैक्स बढ़ाया की कम किया, फलाना किया की ढिकाना किया। इसी में चर्चा हो रही है I

अब योगी जी अपने भाषण में एलईडी बल्ब की चर्चा कर रहे थे। क्या आप तय कर सकते हैं की मेरे नगर में एक भी गली एक भी खम्बा ऐसा नहीं होगा जिसपर एलईडी बल्ब ना लगा हो। आप देखिये नगरपालिका के महानगरपालिका के बिजली का बिल एकदम से कम हो जायेगा और रौशनी बदलेगी वो तो अलग। अब यह बड़ा अभियान के लिए तय करना चाहिए की ये काम मुझे दो महीने में, तीन महीने पूरा करना है। एक भी बल्ब ऐसा नहीं होगा जो एलईडी बल्ब ना हो उसी प्रकार से आप अपने मतदाताओं को अपने नगर के नागरिकों को उनको खुश करने के लिए भी एक काम कर सकते हैं। हर घर में एलईडी बल्ब हो मध्यमवर्ग के परिवार के घर में अगर एलईडी बल्ब से लाइट चलेगा, तो उसका बिजली का बिल दो सौ, पांच सौ, हज़ार दो हज़ार कम आएगा, मध्यम वर्ग के पैसे बच जायेंगे। यह प्रयास हम लोगों को करना चाहिए और ये सारे के लिए नयी योजनाएं उपलब्ध हैं। इन उपलब्ध योजनाओं का उपयोग करते हुए, हम इन बातों को कैसे आगे बढ़ाएं।

आज आजादी का अमृत महोत्सव चल रहा है। देखिये शहर का विकास भी जनभागीदारी से होना चाहिए, जनभागीदारी पर बल देना चाहिए, जितनी मात्रा में जनभागीदारी अब जैसे हमारा आग्रह है की अगर आपके नगर में एनसीसी की यूनिट चलती है स्कूलों में तो एनसीसी की यूनिट के लोगों से बात करो। जितने भी आपके यहांstatue लगे हुए हैं, बाबा साहब अंबेडकर की स्टेच्चू होगा, महात्मा गाँधी का स्टेच्चू होगा, कहीं स्वामी विवेकानंद जी का स्टेच्चू होगा, कहीं शहीद वीर भगत सिंह जी का स्टेच्चू होगा, कहीं महाराणा प्रताप जी का स्टेचू होगा, कहीं छत्रपति शिवाजी महाराज जी का होगा अलग-अलग स्टेच्चू होते हैं, लगाते समय तो हम बहुत जागरूक होते हैं। वाह ताम झाम मन लग जाता है लेकिन लग जाने के बाद कोई उसकी तरफ देखता नहीं। साल में एक दिन जब उनका जन्मदिन होगा तब तो हम देख लेते हैं क्या हम हमारे एनसीसी कैडेक्स उनकी टोलियां बना करके हर दिन सभी स्टेच्चू को साफ़ सुथरा करेंगे, उसकी सफाई करेंगे। और जो बच्चे इकट्ठे होंगे वो स्टेचू किसका है उसपर पांच मिनट भाषण करेंगे हर दिन नए-नए बच्चे आएंगे तो उनको पता चलेगा हाँ भाई यह उनका स्टेच्चू है। ये महापरुष ने यह यह काम किया था। और आज हमारी बारी है चलो इस चौराहे को साफ- सफाई का हमें मौका मिला है। चीज़ें छोटी हैं लेकिन पूरे नगर को बदलाव लाने की बड़ी ताक़त रखती है।

आपके कार्यकाल में, ये आजादी का अमृत महोत्सव आया है। जब आजादी का अमृत महोत्सव आया है। तो क्या आप कम से कम एक चौराहा अपने नगर में एक सर्कल, जहां से चार छह रास्ते निकलते हों । ऐसा बढ़िया सर्कल उसमे पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से सरकार काmunicipalके पैसों से नहीं अपनी जनभागीदारी से कोई ऐसा स्मारक बना सकते हैं। यूनिक स्मारक जो आजादी के अमृत महोत्सव से सुसंगत हो, आजादी के आंदोलन को या देश के कर्तव्य भाव को उज्जवल भविष्य के भारत की कुछ चीज़ दिखे ऐसा सर्कल का सुशोभनcompetition करें कलाकारों को कहे भाई आप बताइये क्या होना चाहिए डिज़ाइन करकेcompetition हो, competition में इनाम मिले। फिर इसमें से बनाने वाले चुने जाये। एक आपके जीवन की यादगार आप छोड़ करके जायेंगे। और मैं मानता हूँ कि ऐसी बहुत सी चीज़ें हैं, जिसपर हम बल देंगे। उसी प्रकार से आपके शहर की एक पहचान हो। क्या आपको नहीं लगता है कि आपके शहर की एक पहचान बने, हो सकता है कोई शहर हो जो खाने की किसी एक चीज़ के लिए जाना जाता हो। उसी को चलो कहो कि हमारा यह शहर की वहां के खाने की चीज़ बहुत प्रसिद्ध है। अब जैसे बनारस का पान, कहीं पर भी पूछो लोग बनारस का पान बोलते ही बोलते हैं। किसी ने मेहनत की होगी एक पहचान बन गयी, हो सकता है ये सारे मेयर भी टेस्ट करेंगे, बनारस के पान का। लेकिन कहने का मेरा मतलब है कि आपके नगर में वैसा ही कोई प्रोडक्ट होगा, वैसा ही कोई ऐतिहासिक स्थान होगा, आप अपने शहर का ब्रांडिंग अपने शहर की किसी उत्पाद I

जैसे आप कभी देख लेना आप उत्तर प्रदेश में कभी आए हो उत्तर प्रदेश में एक बहुत अच्छा कार्यक्रम चल रहा है। वन district वन प्रोडक्ट और उन्होंने मैपिंग करके किस जिले में कौन सी चीज ज्यादा मशहूर है, कौन सी चीजों का महत्व है, उसकाsouvenirभी है अगर हो सके तो वहां के मुख्यमंत्री जी आपको देंगे। आप देखें उसका इतना असर पैदा हुआ है, कि जैसे कोई एक क्षेत्र होगा। वहां खेलकूद के साधन बन रहे हैं, तो उसकी पहचान वो हो गई। आप अपने शहर का वैसी क्या विशेषता है, जो हिंदुस्तान में किसी को भी जैसे बनारसी साड़ीfamous हो गई। दुनिया में हिंदुस्तान के किसी भी कोने में शादी होती तो हर एक को मन करता है कि एक तो बनारसी साड़ी खरीदेंगे। किसी ने इसका ब्रांडिंग कर दिया। क्या आपके शहर की ऐसी चीज है, जो पूरे हिंदुस्तान के हर कोने में मालूम हो कि हां पटना की एक चीज बहुत बढ़िया है, हैदराबाद की यह चीज बढ़िया है, कोच्चि की यह चीज़ बढ़िया है, तिरुअनंतपुरम की यह चीज़ बढ़िया है, चेन्नई की यह चीज़ बढ़िया है। आपके शहर के अंदर ऐसी कौन-सी विशेषता है। पूरा शहर मिल करके तय करें हां हमारी यह सबसे बड़ी ताकत है उसको कैसे बढ़ाया जाए आप देखिए इकोनामिक एक्टिविटी का एक बहुत बड़ा साधन बन जाएगा। यानी शहरों का डेवलपमेंट उसको हमे एक नए स्तर पर ले जाना है, उसकी दिशा में हमें प्रयास करना है। अब आप देखते हैं शहरों में बढ़ती हुई जनसंख्याmobility के कारण, ट्रैफिक जैम के कारण समस्याएं आ रही है। अब हम कितने ही फ्लाईओवर बना दे। अब आप सूरत में जाएंगे। हर सौ मीटर जाने के बाद कोई न कोई फ्लाईओवर आ जाता है। शायद वह फ्लाईओवर की सिटी बन गई है। कितने फ्लाईओवर बनाएंगे समस्या का समाधान नहीं होगा। हमने लोगों के आने जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम, मेट्रो पर बड़ा बल चल रहा है, हमारे देश में मेट्रो पर काफी काम भी हो रहा है। लेकिन इसके सिवा और भी बहुत सी चीजें हैं। हम समाज जीवन में स्वभाव कैसे बनाएं इसके लिए हम कैसे प्रयास करें जब तक हम इन चीजों को ध्यान नहीं देंगे। इन चीजों का महत्व नहीं समझेंगे। अब देखिए दिव्यांगजन, मेरे नगर में दिव्यांगजनों के लिए जो कुछ भी आवश्यकता है। कोई भी नई इमारत की रचना होगी, कोई भी नया रोड बनेगा, कहीं भी क्रॉस सेक्शन आएगा। मैंसुग्मयभारत अभियान के तहत उसकी रचना के नियमों के अंदर वो डालूंगा, ताकि दिव्यांग जनों के लिए समाज में स्थान है। टॉयलेट बनेंगे तो एक तो दिव्यांगजनों की आवश्यकताओं के अनुसार बनेंगे, रास्ते बनेंगे तो दिव्यांगजनों को जो सुविधा है वह होगी, बस में चढ़ने उतरने का जो स्टेप्स है तो दिव्यांगजनों की तकलीफों को ध्यान में रखा जाएगा। यह हमें अपने योजनाओं के स्वभाव का हिस्सा बनाना पड़ेगा। तभी जाकर के होगा और एक बात सही है, कि हमारी इकोनॉमी का जो ड्राइविंग फोर्स है वह हमारा शहर है। हमें शहर कोvibrant economyहब बनाना चाहिए। उसके लिए हमारा ध्यान होना चाहिए, कि जहां पर नए उद्योग लग सकते हैं, वह जगहidentify करें। लोगों के रहने के लिए मजदूरों के रहने के लिए जगह भी साथ-साथ बनती रहे ताकि उनको बहुत लंबा जाना ना पड़े एक से दूसरी जगह पर वहीं पर उनको काम भी मिल जाए और वहीं पर उनको रहने की व्यवस्था भी मिल जाए सुविधा मिल जाए। हमारे डेवलपमेंट के मॉडल में हमें यह integrated approach, holistic approachयह हमें रखना ही होगा और तब जाकर के इकोनामिक एक्टिविटी के लिए हर कोई आएगा कि यहां एकecosystemहै। यह व्यवस्था है, मैं जा कर के अपना उद्योग लगा सकता हूं, अपना कारखाना लगा सकता हूं, और मैं रोजगार पैदा कर सकता हूं, मैं उत्पादन कर सकता हूं। हमारे विकास के मॉडल मेंMSMEको कैसे बल मिले यह में चिंता करनी चाहिए। और एक बात आप सब को मेरा बहुत आग्रह है और मैं सभी मेयर साहिबान से मैंने जितना बताया हो सकता है सब आप कर पाएं ना कर पाएं आपकीpriority हो ना हो लेकिन एक काम आप अगर करेंगे आपको बहुत सुख मिलेगा बहुत संतोष मिलेगा और वह है पीएम स्वानिधि योजना।

आप भली-भांति जानते हैं कि हर शहर मेंstreet vendor होते हैं, जो रेहड़ी पटरी वाले लोग होते हैं। इनका हर एक के जीवन में बहुत महत्व होता है माइक्रो इकोनॉमी में भी वो एक बहुत बड़ी ताकत होते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा उपेक्षित रहे हैं कोई उनको पूछने वाला नहीं है। वह बेचारे बहुत महंगे ब्याज से साहूकार से कहीं से पैसे ले आते हैं, अपना घर बार चलाते हैं, आधा पैसा ब्याज में चला जाता है वह गरीबी से लड़ना चाहता है मेहनत करना चाहता है दिन में चिल्ला चिल्ला कर गलियों में जा करके अपना माल बेचता है क्या कभी उसकी चिंता हमने की है। यह पीएम स्वानिधि योजना इसके लिए है। और करोना कॉल में तो अच्छे अच्छा ने देख लिया है कि इन लोगों के बिना जीना मुश्किल है। क्योंकि कोरोना काल में वो लोग नहीं थे पहले तो पता नहीं चलता था लेकिन जब 2 दिन तक सब्जी वाला नहीं आता था, तो फिर बड़ी परेशानी होती थी। फिर याद आता था, कि अरे सब्जी बना नहीं आया दूध वाला नहीं आया अखबार वाला नहीं आया, घर में सफाई करने वाला नहीं आया, खाना पकाने वाला नहीं आया, कपड़े धोने वाला नहीं आया, सब का पसीना निकल गया था।

कोराना ने हमारे यह जो हमारी मदद करने वाला पूरा वर्ग है जिनके भरोसे हमारी जिंदगी चलती है। यह कितने मूल्यवान है, कितने बहुमूल्य है यह हमको समझा दिया है उसकी ताकत का हमें एहसास करा दिया है। हमारा दायित्व बनता है कि हम अब एक जीवन का जिम्मेदारी का हिस्सा बनाएं, कि हम इनको कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे। यह हमारे अपने ही यात्रा के अंग है। इनकी मुसीबतों को हम हर पल देखेंगे और इसके लिए पीएम स्वानिधि योजना लाए हैं। पीएम स्वानिधि योजना बहुत ही उत्तम है। आप अपने नगर में उनकी लिस्ट बनाइए और उनको मोबाइल फोन से लेन-देन सिखा दीजिए। बैंक से उनको पैसा मिलेगा। थोक व्यापारी के यहां से वो माल लेने जाए। जहां सब्जी बेचता है, सुबह वो मार्केट में जाकर के 500 रुपये की सब्जी ले करके अपनी लॉरी भर देता है, तो वो पैसे उनको मोबाइल फोन से ही दे। तो फिर वह 200 300 घरों में सब्जी बेचने जाता है उनसे वह मोबाइल फोन से ही पैसे ले कैश ना ले डिजिटल ले। अगर उसका 100%डिजिटल रिकॉर्ड बनता है तो पता चलेगा बैंक वालों को पता चलेगा कि इनका तो कारोबार अच्छा है। तो अभी 10000रुपये दिया है तो वह 20,000 कर देगा, 20000 दिया है, तो 50000 तक कर देगा। और मैंने तो यह भी कहा है कि अगर आप 100%डिजिटल ट्रॉजेक्शन करते हो तो जो हिसाब किताब बैठता है ब्याज करीब-करीब जीरो हो जाता है।

यह हमारे रेहड़ी पटरी वालों को इतना बड़ा पैसों का कारोबार बिना ब्याज के मिल जाए मैं पक्का मानता हूं वह बहुत अच्छा कर लेंगे अपने बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देंगे, वह अच्छा क्वालिटी माल बेचना शुरू कर देंगे, ज्यादा बड़ा व्यापार करना शुरू कर देंगे, और आपके नगर में लोगों की सेवा अच्छी होगी। क्या आप प्रधानमंत्री स्वानिधि योजना इस को प्राथमिकता बना सकते हैं। काशी की धरती से मां गंगा के तट पर आप संकल्प ले करके जाइये कि इसी 2022 में जब 26 जनवरी आएगी, 26 जनवरी को पहले हम यह कर करके जाएंगे। 26 जनवरी के पहले हमारे नगर के 200,500, 1000, 2000जो भी रेहडी पटरी वाले हैं इनका बैंक का खाता खुल जाएगा, उनको डिजिटल लेनदेन की ट्रेनिंग दी जाएगी। उनके जो जिन व्यापारियों से से माल खरीदते हैं उनको भी डिजिटल की ट्रेनिंग दी जाएगी। जहां वह जा करके अपना माल बेचते हैं उनको डिजिटल ट्रेनिंग दी जाएगी देखते ही देखते यह डिजिटल का कारोबार भी बढ़ जाएगा। और मेरे रेहड़ी पटरी वालों को कम से कम कम से कम ब्याज में हो सके तो जीरो ब्याज से अपना कारोबार बढ़ाने का एक बहुत ही बड़ा अवसर मिल जाएगा।

बहुत सी बातें हैं साथियों आप यहां आए हैं काशी में, काशी को बहुत बारीकी से देखेंगे भी और अनेक नए-नए सुझाव आपके मन में होंगे, अगर आप सुझाव मुझे भेजेंगे तुम मुझे मेरे काशी में काम करने में बहुत मदद करेगा। आप अपने मेयर के नाते किए हुए काम और आपको लगता है ऐसा काम मोदी जी को काशी में करना चाहिए। अगर आप मुझे यह देंगे तो मै आपका आभारी रहूंगा। क्योंकि मैं तो आप लोगों से सीखना चाहता हूं। सब मेरे को वहां बुलाया है इसलिए बुलाया है कि आप हमारे काशी वालों को कुछ सिखाइए, कुछ समझाइए जो आपने नया किया है उन्हें बताइए, हम काशी में जरूर आपसे सीखेंगे। आपसे चीजें सीख करके हम जरूर मेरे काशी में लागू करेंगे और मैं सबसे पहला विद्यार्थी बनूंगा। मैं इसको सीखूंगा दूसरा हम सब राजनीति से जुड़े हुए लोग हैं। आप सबको पता होगा की ये एक ऐसा पद होता है, जहां से राजनीति जीवन में आगे बढ़ने के बहुत अच्छे अवसर मिलते हैं। आप सबको पता होगा सरदार वल्लभभाई पटेल जब अहमदाबाद शहर बहुत छोटा था एक नगरपालिका थी, सरदार साहब गुलामी के कालखंड में उसके मेयर बने थे अध्यक्ष बने थे, और वहीं से उनके जीवन यात्रा शुरू हुई। और आज भी देश उनको याद कर रहा है। बहुत से नेता ऐसे हैं, जिनके जीवन का प्रारंभ ऐसे ही किसीmunicipality से शुरू हुआ है,किसी नगरपालिका से शुरू हुआ है,किसी महानगर पालिका से शुरू हुआ है। आपका जीवन भी एक ऐसे पड़ाव पर है मुझे पक्का विश्वास है कि आप भी अपने राजनीतिक उज्जवल भविष्य के लिए भी पूरे समर्पण भाव से अपने क्षेत्र के विकास के लिए जुड़ जाएंगे आधुनिक शहर बनाने ही होंगे विरासत को सवारने भी होंगे I विरासत भी चाहिए विकास भी चाहिए, पूरे सपनों को लेकर आप चलेंगे I मेरी तरफ से फिर से एक बार काशी में आपका बहुत-बहुत स्वागत है और मुझे पक्का विश्वास है, काशी में आप सबकी खातिरदारी बहुत उत्तम होगी काशी के लोग बहुत प्यार करते हैं, बहुत प्यार करने वाले लोग हैं, आपको कभी कमी महसूस होने नहीं देंगे उस प्यार को ले करके आप जाइए।

बहुत-बहुत धन्यवाद बहुत-बहुत शुभकामनाएं

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PM Modi remembers the unparalleled bravery and sacrifice of the Sahibzades on Veer Baal Diwas
December 26, 2024

The Prime Minister, Shri Narendra Modi remembers the unparalleled bravery and sacrifice of the Sahibzades on Veer Baal Diwas, today. Prime Minister Shri Modi remarked that their sacrifice is a shining example of valour and a commitment to one’s values. Prime Minister, Shri Narendra Modi also remembers the bravery of Mata Gujri Ji and Sri Guru Gobind Singh Ji.

The Prime Minister posted on X:

"Today, on Veer Baal Diwas, we remember the unparalleled bravery and sacrifice of the Sahibzades. At a young age, they stood firm in their faith and principles, inspiring generations with their courage. Their sacrifice is a shining example of valour and a commitment to one’s values. We also remember the bravery of Mata Gujri Ji and Sri Guru Gobind Singh Ji. May they always guide us towards building a more just and compassionate society."