प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू में विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास एवं उद्धाटन किया
सरकार उन क्षेत्रों के विकास को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है जो लंबे समय से विकास की मुख्य धार से अलग-थलग हैं: पीएम मोदी
‘आईसोलेशन से इंटीग्रेशन’ हमारा विजन: प्रधानमंत्री
सरकार का ध्यान क्षेत्र में राजमार्ग, रेलवे, जलमार्ग, आईवेज़ और रोपेवेज के विकास पर केंद्रित है: प्रधानमंत्री मोदी

मेरे प्यारे भाई बहनों।

काफी पुराने-पुराने चेहरे हमारे चमनलाल जी जैसे मैं देख रहा हूं। जम्मू कश्मीर के लिए आज का ये दिन बेहद अहम है। राज्य में ये मेरा आज चौथा कार्यक्रम है। आज सुबह से ही लेह-लद्दाख के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से, कश्मीर की घाटियों से होते हुए अब जम्मू की तराई तक, विकास की बहती धारा को मैं देख रहा हूं। और इसी कार्यक्रमों के सिलसिले में मैं लेट भी हो गया। समय पर नहीं पहुंच पाया इसके लिए मैं आप सबसे क्षमा चाहता हूं।

लेह को शेष भारत से कनेक्ट करने वाली Zojila Tunnel हो, बांदीपोरा का किशनगंगा प्रोजेक्ट हो या फिर किश्तवाड़ में चिनाब नदी पर बनने वाला Hydro Power Project, जम्मू-कश्मीर की 'खुशहाली का एक नया द्वार' खुल रहा है। जम्मू-कश्मीर की जल धारा आने वाले समय में यहां कि विकास धारा को गति देने वाली है।

एक हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट राष्ट्र को समर्पित करना तो दूसरे का शिलान्यास करना; आज का ये दिन अद्भुत और यादगार दिन बन गया। थोड़ी देर पहले मुझे जम्मू के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी 4 बड़ी परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण करने का अवसर मिला है। इसमें से दो माता वैष्णो देवी को समर्पित हैं। यहां अभी पकल डुल प्रोजेक्ट का भी शिलान्यास किया गया। ये कितना लाभकारी होने वाला है, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते है कि, जितनी बिजली आज जम्मू-कश्मीर में पैदा होती है उसकी एक तिहाई इसी एक पावर प्रोजेक्ट से पैदा होने वाली है।

ये प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री विकास कार्यक्रम के तहत बनाया जा रहा है। एक हजार मेगावाट का यह प्रोजेक्ट रफ्तार के साथ आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। 8 हज़ार करोड़ की ये परियोजना यहां रोज़गार के अनेक अवसर पैदा करने वाली है। लगभग ढाई हजार लोगों को तो सीधा-सीधा रोज़गार मिलेगा। इसके अतिरिक्त यहां के कोई सब्जी उगाने वाले होंगे, कोई दूध बेचने वाले होंगे। अरे हर प्रकार के काम करने वाले लोगों के लिए एक नया अवसर, नया लाभ का अवसर होने वाला है।

साथियों, हमारी सरकार देश के विकास को लेकर एक नई अप्रोच के साथ काम कर रही है । ये अप्रोच है Isolation to Integration. यानि देश के जो भी इलाके, किसी भी वजह से अलग-थलग पड़ गए, विकास की रोशनी जहां नहीं पहुंच पाई, उनको प्राथमिकता दी जा रही है। और यही कारण है कि चाहे North-East हो या फिर जम्मू कश्मीर, हमारा प्रयास रहा है कि जितना अधिक हो सके मैं अगर वहां पहुंच सकता हूं मैं खुद भी पहुंचने का प्रयास करूं। मुझे खुशी है। पहले किसी प्रधानमंत्री को ऐसा अवसर मिला है कि नहीं मुझे मालूम नहीं। राजनीतिक कामों के सिवाय शायद मैं एक दर्जन से अधिक बार जम्‍मू-कश्‍मीर आया हूं प्राइम मिनिस्‍टर के रूप में। पहले तो खैर आप लोगों ने मुझे काफी दिन रखा है, मेरा लालन-पालन किया है आप लोगों ने।

कनेक्टिविटी से डेवलपमेंट के सूत्र पर हम काम कर रहे हैं। कनेक्टिविटी चाहे रास्तों के जरिए हो या फिर दिलों की, किसी भी स्तर पर कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए भी हर वो कदम उठाए जा रहे हैं जो इस राज्य को New India का Rising Star बनाने की ताकत रखते हैं। ज़रा भारत के उस MAP की कल्पना करिए, जब देश का सरताज हीरे के मुकुट की भांति चमकेगा और यही चमक बाकी देश को विकास की राह दिखाएगी।

भाइयों और बहनों, और इसी मिशन के साथ केंद्र सरकार राज्य की सरकार के साथ मिल करके हम कामों को आगे बढ़ा रहे है धरती पर उतार रहे हैं। थोड़ी देर पहले ही जम्मू शहर को जाम मुक्त करने के लिए, यहां की ट्रैफिक की समस्या को सुलझाने के लिए रिंग रोड का शिलान्यास किया गया। अगले 3 वर्षों में इस रिंग रोड को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा। जब ये रिंग रोड बन जाएगा तो आप सभी जम्मू वासियों को और यहां आने वाले लाखों पर्यटकों के लिए ये बहुत बड़ी सुविधा होगी।

और आप देख लीजिए जो लोग डेवलपमेंट के डिजाइन को समझते हैं, ये करीब 50 किलोमीटर से भी ज्‍यादा लम्‍बा रिंग रोड, ये अपने-आप में एक नया जम्‍मू बसा देगा। इसके दोनों तरफ एक नया जम्‍मू बस जाएगा। यानी किस प्रकार से expansion होगा, विकास कैसा होगा, मैं भलीभांति इसको देख पाता हूं। इससे जम्मू शहर के भीतर और उसके आसपास लगने वाले ट्रैफिक जाम तो कम होना ही होना है, इतना ही नहीं यह रिंग रोड पुंछ, राजौरी, नौशेरा और अखनूर क्षेत्र के सीमावर्ती और सामरिक क्षेत्रों में भी भारी मशीनरी ले जाने वाले सैन्य वाहनों के परिवहन को भी बहुत आसान बनाएगा।

साथियों, आपका ये जम्मू शहर Smart City मिशन के तहत चुना गया है। यहां Traffic से लेकर Sewage तक, Smart व्यवस्थाएं तैयार हो रही हैं। राज्य सरकार इस काम में जुटी है। केंद्र से इस काम के लिए पैसा भी स्वीकृत किया जा चुका है।

भाइयों और बहनों, विकास के लिए हमारा पूरा फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर पर है- Highway हो, Railways हो, Waterways हो, i-Ways हो, Roadways हो, ये सारे 21वीं सदी की अनिवार्यताएं हैं। सरकार की सोच स्पष्ट है, अगर सवा सौ करोड़ देशवासियों का जीवन स्तर ऊपर उठाना है तो पहले उसको सरल और सुगम बनाना होगा। दूसरे शब्दों में इसको Smart व्यवस्थाओं का नाम भी आप दे सकते हैं। इसी सोच का परिणाम है कि आज भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत देश भर में नेशनल हाईवे का जाल बहुत तेजी से विस्‍तार किया जा रहा है।

जम्मू कश्मीर हो, पश्चिम भारत हो या फिर नॉर्थ ईस्ट हो, देश को Highways की लड़ी में पिरोने का ये प्रोजेक्ट है। इस साल के बजट में इस योजना के तहत बनने वाले लगभग 35 हज़ार किलोमीटर रोड के लिए 5 ह़जार करोड़ से अधिक का प्रावधान इस बजट में किया गया है। जम्मू-कश्मीर में भी इस योजना के तहत लगभग two thousand seven hundred करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।

भाइयों और बहनों, जम्मू कश्मीर में, यहां भी हाईवे के अनेक प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। जम्मू को श्रीनगर और देश के दूसरे हिस्से से जोड़ने वाली हज़ारों करोड़ की कई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, और कुछ ऐसी हैं जिन पर तेज़ी से काम चल रहा है। जम्मू-पुंछ, उधमपुर-रामबन, रामबन-बनिहाल, श्रीनगर-बनिहाल और काज़ीगुंड-बनिहाल जैसे कई हाईवे प्रोजेक्ट्स, आज उस पर काम चल रहा है और जो आने वाले समय में इस क्षेत्र के लिए Life Line साबित होने वाले हैं। लगभग 15 हज़ार करोड़ रुपए इन सड़कों पर खर्च किया जाना है। इसके अतिरिक्त गांवों को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से जोड़ा जा रहा है। बीते दो वर्षों में लगभग एक लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें इस योजना के तहत बनाई जा चुकी हैं। जम्मू-कश्मीर के गांव में भी बीते दो साल में साढ़े तीन हजार किलोमीटर से ज्यादा की सड़कें बनाई गई हैं।

साथियों, जम्मू-कश्मीर के लिए टूरिज्म आमदनी का एक बहुत बड़ा स्रोत है। विशेषतौर पर यहां आस्था से जुड़े बड़े स्थान हैं। बाबा बर्फानी हों या फिर माता रानी का दरबार, देश विदेश से लाखों श्रद्धालु यहां जुटते हैं। आस्था से ओत-प्रोत श्रद्धालुओं को सुविधाएं मिलें और यहां की जनता को रोज़गार के अवसर मिले, इसके लिए अनेक प्रयास सरकार कर रही है।

आज कटरा में माता के दरबार तक रेल पहुंच गई है। प्रधानमंत्री बनने के फौरन बाद ही मुझे इस रेल रूट का लोकार्पण करने का अवसर मिला था। इस रेल रूट से माता के भक्तों को बहुत सुविधा मिली है। हम यहीं तक सीमित नहीं रहना चाहते, यही कारण है कि आज दो बड़े प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया गया। एक माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए एक वैकल्पिक मार्ग है तो दूसरा माता के द्वार तक सामान पहुंचाने के लिए रोपवे।

साथियों, माता के दर्शन के लिए अब श्रद्धालु ताराकोटा मार्ग से भी जा सकेंगे। कटरा और अर्द्धकुंवारी के बीच पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं के लिए ये वैकल्पिक पैदल मार्ग है। इससे भीड़भाड़ से भी छुटकारा मिलेगा। और मुझे बताया गया है कि इस मार्ग को डेढ़ किलोमीटर के लिंक रोड के द्वारा मौजूदा पैदल मार्ग से भी जोड़ा जाएगा। ताकि पैदल यात्री मंदिर तक यात्रा करने के लिए दोनों उपलब्ध मार्गों में से किसी एक को चुन सकें। माता रानी के भक्तों के लिए यह पूरी तरह से सुखद और सुरक्षित मार्ग है। जिसमें उनकी हर सुविधा का ध्यान रखा गया है।

साथियों, वैकल्पिक मार्ग के अतिरिक्त माता के द्वार तक Material Ropeway का उद्घाटन का भी आज मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इस Material Ropeway के सहारे सामानों की ढुलाई कहीं ज्यादा आसान होगी। Shri Mata Vaishno Devi Shrine Board इन अनूठी सुविधाओं का अधिक से अधिक उपयोग कर यात्रियों के लिए आसानी से खान-पान की सुविधाएं उपलब्ध करा सकेगा। मंदिर के पास कचरे के प्रबंधन में भी इस रोपवे से बड़ी मदद मिलने वाली है। कटरा से मंदिर तक सामान जाएगा और वहां से वापसी में कचरे को लाया जाएगा।

साथियों, मटीरियल रोपवे की तर्ज पर यात्रियों के लिए भी ऐसी सुविधा का निर्माण किया जा रहा है। 60 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा भवन- भैरों घाटी बहुत ही जल्द पूरा होने वाला है। इस Ropeway की क्षमता प्रतिघंटा 800 लोगों को ले जाने की होगी। इससे बुजुर्ग और दिव्यांग श्रद्धालुओं को एक बहुत मदद मिलने वाली है। जब ये रोपवे पूरी तरह से काम करना शुरु कर देगा, तो एक बार में 3 मिनट के भीतर 40-45 व्यक्तियों को ले जाया जा सकेगा। इस Ropeway सिस्टम में दिल्ली मेट्रो की तर्ज पर ऑटोमेटेड टिकटिंग सिस्टम भी होगा। श्रद्धालुओं को सुविधा देने के लिए श्राइन बोर्ड जिस प्रकार से काम कर रहा है उसके लिए मैं उसके अध्‍यक्ष जी को और उसकी पूरी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

भाइयों और बहनों, जम्मू-कश्मीर में इंफ्रास्ट्रक्चर से टूरिज्म बढ़ेगा और टूरिज्म से रोज़गार बढ़ेगा। लेकिन रोजगार के लिए शिक्षा और कौशल विकास का रोल अहम है। केंद्र सरकार ने राज्य में शिक्षा से जुड़े बड़े संस्थानों को मंजूरी दी है। जम्मू में बनने वाला IIM हो या फिर IIT हो, ये संस्थान राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होने वाले हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के 16 हज़ार से अधिक छात्र-छात्राओं को देश की प्रतिष्ठित Universities और Colleges में पढ़ाई के लिए Scholarship दी गई है।

भाइयों और बहनों, महिला सशक्तिकरण सरकार की प्राथमिकता रही है। बीते चार वर्षों में ऐसी कई योजनाएं चलाई गई हैं, जिससे महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक ताकत मिली है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत देशभर में लगभग साढ़े 9 करोड़ महिला उद्यमियों ने छोटे-छोटे कारोबार के लिए बिना गारंटी का ऋण प्राप्‍त किया है। इसमें जम्मू कश्मीर की 50 लाख से अधिक महिलाएं भी शामिल हैं।

वहीं उज्ज्वला योजना के तहत सरकार देश की गरीब माताओं और बहनों को धुआं मुक्त रसोई देने का प्रयास कर रही है। क्‍लीन कुकिंग- विशेष रूप से गांव की माताएं-बहनें, दलित हों, वंचित हों, पिछड़े हों, ऐसे सभी समाजों से आने वाली माताओं-बहनों के लिए ये योजना बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो रही है। देशभर में जहां लगभग 4 करोड़ मुफ्त में एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर में भी साढ़े 4 लाख से अधिक माताओं-बहनों की रसोई तक भी उज्ज्वला पहुंच चुकी है।

साथियों, स्वच्छ भारत अभियान के तहत पूरे देश को खुले में शौच से मुक्त करने का अभियान चलाया गया है। ये सिर्फ स्वच्छता से जुड़ा मामला नहीं है बल्कि ये महिलाओं के सम्मान का भी विषय है। जम्मू-कश्मीर की माताएं-बहनें इस अभियान को लेकर कितनी जागरुक हैं, इसकी एक मिसाल हाल में ही देश और दुनिया ने देखी। मैंने खुद मीडिया में उधमपुर की 87 साल की बुजुर्ग माता के हौसले को देखा। ये माता इस उम्र में खुद एक-एक ईंट को गारे से जोड़कर टॉयलेट बनाने में जुटी थीं। ना किसी की मदद ना कोई औज़ार, बस एक ही धुन है, स्वच्छता के अभियान से जुड़ने की।

साथियों, ऐसे प्रयास जब होते हैं तो हौसला और साहस अनेक गुना बढ़ जाता है। कहीं 5 वर्ष की बच्चियां इस अभियान से जुड़ रही हैं तो कहीं 87 साल की माताएं जुड़ रही हैं। इसी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि स्वच्छता और सम्मान की भावना कितनी गहरी है। यही कारण है कि अब तक ग्रामीण स्वच्छता का दायरा 80 प्रतिशत से भी अधिक हो चुका है। जम्मू-कश्मीर में भी इस योजना के तहत लगभग साढ़े 8 लाख घरों में टॉयलेट बनाए गए हैं।

साथियों, महिलाओं का आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण तब तक अधूरा रहेगा जब तक Skill Development पर ध्यान नहीं दिया जाएगा। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर की महिलाओं के कौशल विकास के लिए भी अनेक प्रकार से प्रयास किए जा रहे हैं। लगभग 5 हज़ार महिलाओं को Handicrafts, Tailoring, Agriculture और संबंधित व्यवसायों के लिए प्रशिक्षण दिया गया है।
भाइयों और बहनों, दो साल पहले जब मैं यहां आया था तब मैंने यहां के नौजवानों से, आप सभी से अपील की थी कि सरकार जो भी योजनाएं चला रही है उनका फायदा उठाइए। आज मुझे ये बताते हुए खुशी हो रही है कि यहां के नौजवानों ने इन योजनाओं का भरपूर लाभ उठाया है।

प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत राज्य में लगभग 20 लाख लोगों ने बैंक में खाते खुलवाए हैं। इन खातों में आज की तारीख में लगभग eight hundred करोड़ रुपया जमा है, मैं सिर्फ जम्‍मू-कश्‍मीर की बात कर रहा हूं। Un-organised Sector में काम करने वाले जो मेरे श्रमिक भाई-बहने हैं उनके लिए बनाई गई अटल पेंशन योजना में यहां के 40 हज़ार से अधिक लोग जुड़े हैं। कम प्रीमियम वाली दो जीवन बीमा योजनाएं जो सरकार चला रही है, उनसे राज्य के लगभग 9 लाख लोग जुड़े हैं। इन योजनाओं के माध्यम से लगभग तीन करोड़ की क्लेम राशी भी दी चुकी है।

साथियों, यहां के नौजवान सेना में भर्ती के लिए हमेशा आगे रहे हैं। परंपरा के मुताबिक ही सुरक्षा बलों में इस राज्य के नौजवानों को बहुत सारे अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। Army, Central Armed forces, Police Forces, India Reserve Battalions द्वारा चलाई गईं ये special recruitment drives में 20 हज़ार से ज्यादा नौकरियां दी गई हैं।

साथियों, ये डोगरों की धरती है, ये वीरों की भूमि है। यहां शौर्य भी है, संयम भी है, तो यहां मधुर संगीत भी है। यहां बासमती के खेतों से आती खुशबू भी है, तो आधुनिक कल कारखानों की गुंजाइश भी पड़ी है। हमारा संकल्प भी मजबूत है और रास्ता भी सही है।
मुझे रत्ती भर भी संदेह नहीं कि मां वैष्णो के आशीर्वाद से, और आप सभी के परिश्रम से ये राज्य विकास की नई उंचाइयों को छू करके रहेगा, सिद्धि प्राप्‍त करके रहेगा।

धन्‍यवाद।

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