आयुष्मान भारत दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है: प्रधानमंत्री मोदी
"पानी की कमी के कारण हम जिन कठिनाइयों का सामना करते हैं, उन्हें देखते हुए यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम पानी की हर बूंद का संरक्षण करें: पीएम मोदी
पूरा देश इस बात से सहमत है कि आतंक के खतरे को खत्म करना आवश्यक है: प्रधानमंत्री

कैसे है सब! सुख में तो है न?

शिवरात्रि के पावन पर्व की आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

भोलेनाथ सबका भला करें।

मेरी बात शुरू करू उससे पहले तीन बार भारत माता की जयकार करनी है। मैं करवाऊंगा।

पराक्रमी भारत के लिए भारत माता की – जय

विजयी भारत के लिए भारत माता की – जय

वीर जवानों के लिए भारत माता की– जय

बड़ी तादाद में हमे आशीर्वाद देने के लिए पधारे हुए जामनगर के प्यारे भाईओ और बहनों,

आज शिवरात्रि का पावन पर्व है और गुजरात ऐसी धरती है कि जहाँ दो-दो ज्योतिर्लिंग है। सोमनाथ और नागेश्वर की ये धरती मेरे लिए बहुत ही सुखद अवसर की शिवरात्रि के पावन पर्व पर सोमनाथ और नागेश्वर की धरती पर आने का मुझे मौका मिला है।

जब मैं मुख्यमंत्री था और देश भर के सभी मुख्यमंत्रियों की मीटिंग में जाता था और उनको मैं कहता की भाई आप सब लोगों को लगता है कि गुजरात में क्या समस्या है, सब कुछ अच्छा-अच्छा है, आपको क्या तकलीफ है और जब उनको मैं अपनी बात समझाता था तो उन सब को आश्चर्य होता था। मैं उनसे कहता की भाई हमारा ऐसा राज्य है की जिसके पास कोई खदान या खनिज का भंडार बहुत बड़ा नहीं है। उससे भी बड़ी समस्या यानी पानी। हमारे कई गाँव पीने के पानी के लिए छटपटाते, हमारी सरकार की बहुत बड़ी शक्ति, दस साल में से सात साल सूखे में जाती, पीने का पानी कैसे पहुंचाया जाए उसमे जाती। अगर ईश्वर ने हमें पानी की सुविधा कर दी होती तो हम इतने ज्यादा ताकतवर थे इतने ज्यादा सशक्त थे कि हम पूरे हिंदुस्तान को जहाँ ले कर जाना हो वहाँ ले कर जा पाते, इतनी हमारे अंदर ताकत थी।

हमारा बज़ट, हमारी सरकार की शक्ति ये सारा कुछ हमे पानी के पीछे खर्चना पड़ता था, हिंदुस्तानभर में से आनेवाले मुख्यमंत्रियों को ये बात सच ही नहीं लगती थी, इतनी सारी समस्या है। उन्हें अंदाजा ही नहीं आता था। लेकिन उसके सामने हमारा संकल्प भी था। ठीक है हमारे पास बारह मास बहने वाली नदियों का अभाव है, बारिश कम होती है और गुजरात को विकास के पथ पर आगे बढ़ना है तो रोते - धोते बैठे रहने से कुछ नहीं होगा भाई। पहले पानी नहीं था तो कच्छ खाली होता था, हमने तय किया पानी नहीं है तो हम पानी की समस्या का ही पहले समाधान लाएंगे, पानी पहुँचाएंगे और देश गुजरात को पानीदार बनाएँगे और ये भी हकीकत है की सरदार सरोवर डैम उसमे इतनी सारी रूकावटे आई, इतनी सारी रूकावटे आई और उसके लिए उस समय की सभी सरकारे जिम्मेदार है। वे छुट नहीं सकती है, उन्हें जवाब देना पड़ेगा। अगर आज से चालीस साल पहले नर्मदा का कार्य पूरा हो गया होता तो गुजरात को पानी का पिछले 40 साल तक जो पैसे खर्चने पड़े, वो नहीं खर्चने पड़ते। और आज जब सरदार सरोवर डैम बन गया, पानी आया, तो उसके पहले डैम का कार्य पूरा होने से पहले ये पानी कच्छ और काठियावाड की धरती पर किस तरह पहुंचे उसके लिए भारी जहमत उठाई और एक योजना बनाई और मुझे अच्छी तरह से याद है, ये ‘सौनी’ योजना की कल्पना जब मैंने पहली बार पेश की थी राजकोट में आकर के तब तो ज्यादातर लोग... और वो कुछ लोग जो पुरे गाँव की चौराहट करनेवाले लोग होते है वो तो शुरू ही हो गए थे कि ये मोदी ने चुनाव आया इसलिए ये मुद्दा छोड़ा है, ये चुनाव आया इसलिए मोदी ने ऐसा किया है अरे चुनाव तो हमारे यहाँ कहीं न कहीं चलती ही रहती है भाई, किसी न किसी राज्य में चुनाव चलते ही रहते है भाई। मैं कोई भी कार्य करूँ उसको आप चुनाव के साथ जोड़ ही सकते है। उस वक्त आशंका थी की यह मुमकिन ही नहीं है, हजारो करोड़ो रूपये, पानी की पाइप लगवाना, पानी को बीस बीस फ्लोर, मकान जितना ऊँचा ले कर जाना और वो पानी... ये सारा कुछ मुमकिन ही नहीं लग रहा था। कारण, हमने ज्यादा से ज्यादा वो टेंकर देखे थी, हेंड पंप देखे थे, उससे लम्बा पानी का समाधान कभी सोचा ही नहीं था।

एक तरफ वो मानसिकता, ऐसे लोगों ने राज किया जिनको टेंकर से आगे कुछ दिखा ही नहीं और हम ऐसे लोग आए की जिन्होंने पाइपलाइन से 500-500, 700-700 किलोमीटर और ऐसी पाइपलाइन की जिसमें आप मारुती ले कर जा सकते है और उसी का नतीजा है की आज ‘सौनी’ योजना से पानी पहुंचा। कच्छ की सीमा पर बीएसएफ के जवान, उन्हें नर्मदा का ताजा पानी पीने को मिलता हो, ये कमाल टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और इच्छाशक्ति उसकी वजह से संभव हो पाता है। मुझे ख़ुशी है की गुजरात को छोड़ने के बाद भी हमारी टीम उतनी ही लगन से, समयबद्ध हो कर इस सपने को पूरा करने के लिए काम पर लगी हुई है और एक के बाद एक ‘सौनी’ योजना के फेज़ पुरे होते जा रहे है और उसी का परिणाम है कि आने वाले दिनों में, और में हमेशा कहता था की नर्मदा का पानी वो पानी नहीं पारस है। जिस तरह पारस के स्पर्श मात्र से लोहा सोना बन जाता है उसी तरह नर्मदा के स्पर्श से गुजरात की धरती हरियाली बन जाए, सोना उगे, हमारी धरती ऐसी बन जाए। हमारा किसान पसीना तो बहाएगा लेकिन उस पसीने के साथ जब नर्मदा का अभिषेक हो तब ये पसीना प्रज्वलित हो उठता है, उग जाता है और आज ये गुजरात ने कर के दिखाया है।

आज यहाँ मुझे गुरु गोबिंद सिंहजी मेडिकल कॉलेज के लिए भी, उसके विस्तार के लिए, उसकी नई-नई योजना के लोकार्पण का उसका भी अवसर मिला। हम में से सबको याद होना चाहिए, पता होना चाहिए की गुरु परंपरा के अंदर गुजरात का विशेष नाता रहा है। गुरु गोबिंद सिंहजी के जो पहले पंच प्यारे थे। उन पहले पंच प्यारों में एक हमारे द्वारिका का था और दर्जी समाज में से था और उसने गुरु गोबिंद सिंहजी के सामने शीश काट दो, मैं आपका शिष्य बनकर के आया हूँ। द्वारिका से जाकर के दर्जी का बेटा और वो गुरु गोबिंद सिंहजी ने सिख परंपरा के लिए जो काम किया उसमे एक पहले पांच सिपाहीयों में से एक हमारा द्वारिका का था और इसीलिए और उस वक्त द्वारिका जामनगर का हिस्सा था और परिणाम स्वरूप यह अस्पताल उसको गुरु गोबिंद सिंहजी के नाम के साथ जोड़ा गया है।

इतिहास की उस घटना को अमरत्व देने का वो प्रयास इस नाम के साथ जुड़ा हुआ है। और आज ये अस्पताल और आरोग्य के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति का कार्य हमने उठाया है। गुजरात में हो रहा है, देश में हो रहा है। यहाँ से मैं अहमदाबाद जाने वाला हूँ। वहाँ भी चार बड़े अस्पताल के प्रॉजेक्ट है। कारण? अस्पतालों की व्यवस्था के बिना, आधुनिक टेक्नोलॉजी बिना आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में आधुनिक इलाज नहीं हो सकता।

पहले जमाना था, सभी लोग इतने स्वस्थ हुआ करते थे की गाँव में बस एक वैद्यराज हुआ करते तो पूरा गाँव स्वस्थ रहता था। अब दुनिया बदल चुकी है। बायीं आँख का डॉक्टर एक होता है तो दायीं आँख का दूसरा होता है। स्पेशियालिटी का जमाना है। हमे भी उसके लिए तैयार होना पड़ता है और आज जो गुजरात के अंदर आधुनिक अस्पताल बन रहे है उसका सीधा लाभ मिलनेवाला है इतना ही नहीं, आयुष्मान भारत योजना हो या माँ योजना हो – मुख्यमंत्री अमृतम योजना। मैं जब यहाँ गुजरात में था तब एक चिरंजीवी योजना शुरू की थी। कई गरीब माताओं की प्रसूति अस्पताल में हो, माताओं की जिंदगी बचे, संतानों की जिंदगी बच जाए और उस में इतनी ज्यादा सफलता मिली थी उसके बाद एक के बाद एक गुजरात के अंदर आरोग्य के क्षेत्र में हम योजनाएं लाए और जब भारत सरकार में गया तो आयुष्मान भारत नाम की योजना आई और आयुष्मान भारत योजना विश्व की सबसे बड़ी योजना है।

आप सबको तो पता है की मुझे छोटा तो पसंद आता ही नहीं है। कुछ भी करना हो तो बड़ा ही करना होता है। हुआ या नहीं हुआ अभी? पाइपलाइन डलवानी है तो 500 किलोमीटर, 900 किलोमीटर, 700 किलोमीटर। रुक-रुक के काम नहीं करना है। और उसी तरह काम कर के आयुष्मान भारत योजना, अमेरिका की जनसंख्या, केनेडा की जनसंख्या, मैक्सिको की जनसंख्या- इन तीनो देशों की जनसंख्या को जोड़ा जाए उससे भी ज्यादा लोगों को भारत में आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिलने वाला है।

कोई भी गरीब परिवार पांच लाख रूपयें साल में, परिवार में कोई भी बीमार हो तो पांच लाख रूपयें तक का भुगतान भारत सरकार करेंगी, उसे कभी दीन-हीन नहीं रहना पड़ेगा। इतना ही नहीं, बड़े से बड़ी अस्पताल में वह इलाज करवा सकता है। ऐसा नहीं की वो उस सरकारी अस्पताल में जाए और फिर बेचारा शाम को वापस आए डॉक्टर की राह देख कर के नहीं। उसका भी हक़ है। इस देश में पन्द्रह हजार से भी बड़ा अस्पताल आज हमारे इस काम में सहभागी हुई है।

इतना ही नहीं, हमारा जामनगर का भाई भोपाल गया हो, और मान लीजिए भोपाल में वो बीमार हो गया, तो उसको जामनगर वापस आने की राह देखने की जरूरत नहीं है, वो भोपाल के अस्पताल में जाए और वो कार्ड दिखाए तो बिना पैसे भोपाल में भी सेवा हो। वो कोलकाता गया हो तो वहाँ भी हो और करांची... कोचीन गया हो तो भी हो। अभी जरा मेरे दिमाग में वो सब चीज़े ज्यादा भरी पड़ी हुई है। लेकिन अच्छा है या नहीं है? हाँ वो भी तो करना पड़ता है न भाई।

और इस प्रकार आरोग्य की सेवा सामान्य मानवी को मिले। अब आरोग्य की सेवा मिले सिर्फ ऐसा नहीं, इसकी वजह से जो छोटे-छोटे शहर है वहाँ पर बड़े-बड़े अस्पताल आने की संभावनाएं पैदा हुई है। देश में नए 2 से 3 हजार बड़े अस्पताल आने की संभावना इसकी वजह से पैदा हुई है। एक बड़ा क्षेत्र विकसित होने वाला है और एक अस्पताल बने यानि सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता है। अनेक लोगों को उनको छोटे-छोटे टेक्नीशियन और कितने सारे लोगों की जरूरत पडती है, उसका काम मिलता होता है। देश में आरोग्य के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी क्रांति इसकी वजह से आने वाली है और ऐसे अस्पताल के काम के लिए आज यहाँ मुझे आने का अवसर मिला है।

पानी की जब बात करते है तो पानी में एक प्रॉब्लम है। पानी एक ऐसी चीज़ है की जब इन्सान मर्यादा लाँघ देता है और वहीँ पर संकट शुरू होता है। इतनी बड़ी ‘सौनी’ योजना करने के बाद भी हमे ऐसा लगता है की गुजरात की जरूरत को देखते हुए हमारे पास बारिश का पानी या नदियों का पानी पूरा नहीं हो पाएगा और इसीलिए बड़े स्तर पर समुद्र के पानी को मीठा बनाने की अरबो रूपये खर्च कर के योजना बनाने की जरूरत है और उसमे से एक प्रोजेक्ट का आज शिलान्यास हुआ है। समुद्र के पानी को मीठा कर के उसे लोगों तक पहुँचाना।

इसका अर्थ ये हुआ की पानी को परमात्मा का प्रसाद समझकर इस्तेमाल करना पड़ेगा, गुजरात को पानी बर्बाद करने का अधिकार बिलकुल नहीं। इतनी मेहनत करके गरीब को मिलता है, उसे एक रुपया मिलना चाहिए, 80 पैसा दिया 20 पैसा निकाले पानी पहुँचाने के लिए। कारण? पानी नहीं होगा तो जीवन संभव नहीं हो पाएगा, अनेक कार्य... स्‍कूल के कमरे बनवाने हो, लाख कमरे बनवाने हो तो दस हजार कमरे कम बनवाए लेकिन वो पैसे पानी में रखने पड़े। अस्पताल बनवानी हो तो कुछ पैसे अस्पताल में कम किए, पानी के लिए डाले।

गुजरात में सभी क्षेत्र के अंदर से पानी के लिए थोड़ा-थोड़ा निकालना ही पड़ता है। इसका मतलब ये हुआ की पानी सबसे ज्यादा मूल्यवान बन चुका है। ऐसे समय पर गुजरात के प्रत्येक नागरिक जिम्मेदारी है पानी बचाने की। किसान की जिम्मेदारी है ड्रिप इरीगेशन करने की। पानी बचाना वो हमारे लिए अनिवार्य है। बूंद-बूंद पानी का उपयोग करने का एक वातावरण बनाना पड़ेगा और जिस प्रकार देश में स्वच्छता अभियान ने एक बहुत बड़ी सफलता दिलाई, स्वच्छता अभियान जन आंदोलन बन गया और इसबार का कुंभ का मेला गुजरात के जो लोग आते थे, कुंभ के मेले में जाते थे और फिर आते जाते मिले तो स्वच्छता की इतनी तारीफ करते थे इतनी सारी तारीफ करते थे। कुंभ के मेले की स्वच्छता लोगों के छू गई। देश में स्वच्छता एक आंदोलन बन गया।

महात्मा गाँधी सो वर्ष पहले हरिद्वार के कुंभ में गए थे और उस वक्त उन्होंने कुंभ का मेला स्वच्छ होना चाहिए ऐसी इच्छा प्रकट की थी, 100 साल तक नहीं कर पाए, हमने कर के दिखाया और इसलिए जिस तरह स्वच्छता का आन्दोलन सफल हुआ तो गुजरात में पानी बचाओ आंदोलन सफल हो सकता या नहीं हो सकता? क्या हम उस दिशा में आगे बढ़ सकते है? और आज जब प्रभु शिव को नर्मदा का जल अभिषेक कर रहे है तो आज शिवरात्रि के पावन पर्व पर समग्र गुजरात संकल्प करे की हम पानी को भी बचाएंगे। आप देखिए एक बहुत बड़ी क्रांति आएगी।

आज यहाँ रेलवे के भी प्रोजेक्ट्स की योजना बनी है। जिस गति से रेलवे का काम चल रहा है, इलेक्ट्रीफिकेशन का हो, गेज कन्वर्जन का हो, डबल लाइनिंग का काम हो, पहले होता था उससे दुगुनी स्पीड है। अब आप लोगों को कुछ नया नहीं लगेगा क्योंकि आप लोगों ने मुझे देखा है, में यहाँ किस तरह काम करता था, लेकिन देश के लोगों को आश्चर्य होता है कि ऐसा भी हो सकता है क्या? मैं उनको कहता हूँ जाओ गुजरात में देख कर आइए, होता है सब कुछ होता है, करे तब तो न भाई और आज देश में हो रहा है। देश में हो रहा है, रेलवे के काम में गति आई है। आधुनिक रेलवे... आधुनिक रेल, कोच की व्यवस्थाएं, ये सब संभव हो पाया है और डबल स्पीड से, पहले से.. पहले से जो काम होते थे उससे डबल स्पीड हो गई है।

हम प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की योजना लाए, 5 एकड़ और उससे कम ज़मीन ऐसे किसान को साल में 6 हजार रूपये सीधे उसके बेंक के खाते में पहुँच जाएंगे। हर सीजन से पहले 2 हजार रूपये पहुँच जाएंगे। उसको खाद खरीदना हो, उसे बीज खरीदने हो, दवाई लानी हो, उसे काम में आएँगे और एक ऐसा झूठ चलाया, ऐसा झूठ चलाया पुराने लोगों ने, हर दस साल में एक बार उनको बुखार चढ़ता है, कर्ज माफ़ करने का, चुनाव आए नहीं की कर्ज माफ़ करो, कर्ज माफ़ करो ये भाषण शुरू कर देते है, करना कुछ भी नहीं होता, दस साल तक किसान का जो भी होना हो वो होता रहे, कुछ भी नहीं करना और आपको आश्चर्य होगा की 2008-09 मुख्य चुनाव को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ये कर्ज माफ़ी की बात की हुई थी, पुरानी सरकार ने 6 लाख करोड़ रूपये का कर्ज था, देश के किसानों का माफ़ कितना किया? 52 हजार करोड़ और सब के वोट छल के ले गए, सब की आँखों में धूल फेंकी और चुनाव खत्म होने के बाद किसान बेचारा क्या करेगा, उसको लगता है की नियम में मेरा नहीं हुआ था तो नहीं आया। उन लोगों ने ऐसे मुर्ख बनाने के ही कार्यक्रम किए है।

हम ऐसी योजना लाए हैं कि हर साल 75 हजार करोड़ रूपये किसान के खाते में जमा होंगे और दस साल में साड़े सात लाख रूपये किसान के खाते में पहुँच गए होंगे। इसका मतलब ये की गाँव में साढ़े सात लाख करोड़ रूपये इकठ्ठे हुए हो, गाँव में यानी गाँव की पूरी इकोनोमी बदल जाती है भाई। साढ़े सात लाख करोड़ रूपये गाँव में उड़ेले हो यानी गाँव का इन्सान पहले साइकिल न खरीदता हो तो साइकिल ख़रीदे, बच्चों के लिए शूज़ न खरीदता हो तो शूज़ ले कर आए, शूज़ लाता हो और शॅाक्‍स न लाता हो तो शॅाक्‍स भी ले कर आए, घर के अंदर अच्छे बर्तन ले कर आए, घर के अंदर अच्छा खाना बनाने की कोशिश करे, एक तरह से गाँव की पूरी इकोनोमी बदल जाए ऐसा काम हमने किया है और वो लोग जब कर्ज माफ़ी करते थे गाँव में सौ में से मुश्किल से 20-25 किसानों को लाभ मिलता था, हमारी योजना की वजह से सौ में से लगभग 90 किसानों को लाभ मिलने वाला है और हर साल मिलने वाला है।

भाइयों बहनों, समस्याओ के स्थायी समाधान और किसी भी तरह के अपने पराये के बिना सबका साथ सबका विकास इस मंत्र के साथ काम करें उससे कितना सारा लाभ होता रहता है। अभी हमने किसानों को जो लाभ मिलता है वो सारे लाभ पशुपालकों को भी देना का फैसला किया है। किसान क्रेडिट कार्ड पशुपालक को भी मिलेगा। जिस तरह सस्ते दरो पर ब्याज बेंक के पैसे मिलते है, सस्ती ब्याज की दरों पर उसी तरह पशुपालक को भी मिलेगा और वही लाभ मछुआरे को भी दिया। मछुआरों के लिए भी इसकी व्यवस्था की गई, देश में पहली बार जब अटलजी की सरकार बनी थी तब पहली बार आदिवासी लोगों के लिए एक अलग विभाग बना था, आदीवासियों के लिए विभाग नहीं था हमारे देश में। इस देश में मोदी सरकार आने के बाद पहली बार मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया है और मछुआरों का, समुद्र तट के समग्र पूरे देश के मछुआरों की समस्याएं, मछुआरों का विकास, मछुआरों के क्षेत्र में आधुनिकता, मत्स्यपालन के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए आधुनिक संसाधन उसका पूरा काम। मछुआरों को भी किसान क्रेडिट जैसी सुविधा, वो बैंक में से कम दरों पर ब्याज पर पैसे ले सके और उसको भी जिस प्रकार किसान को पैसे मिलते है उस प्रकार पैसे मिले उसका काम हमने किया है। स्थायी परिवर्तन कैसे लाया जा सकता है उसकी चिंता की है।

गहरे समुद्र में माछीमारी करने लिए हमारा मछुआरा भाई... आज मछुआरा किनारे-किनारे पर माछीमारी करता है इसलिए उसे कुछ ज्यादा नहीं मिलता, पर अंदर जाए तो कमाई बड़ी हो सकती है, कम महेनत में हो और उसके लिए जिस प्रकार के वेसल्स चाहिए उनको बनाने में उसका सुधार करने के लिए भारत सरकार सब्सिडी देती है 15 लाख रूपये की सब्सिडी जिससे की मेरा मछुआरा गहरे समुद्र में जा कर के बड़ी कमाई कर सके उसके लिए यह काम हमने किया है।

हमारा प्रयास है कि इस देश में हर एक के पास अपना घर हो, हर एक इन्सान को 2022 तक घर मिल जाए। मैंने जैसे कहाँ आपको की मुझे छोटा तो पसंद ही नहीं है, जो भी करना हो वो पूरा करना, बड़ा करना और जल्द ही करना। 2022 तक इस देश में एक भी व्यक्ति ऐसा न रहे, एक भी परिवार ऐसा न हो की जिसको अपनी मालिकी का घर न हो और पक्का घर न हो। भूतकाल में जो सरकार गई न, उसने 25 लाख मकान बनवाए थे, हमने इन 55 महीनों के भीतर 1 करोड़ 30 लाख मकान बना दिए है और इसलिए मैं कहता हूँ कि 2022 तक इस देश के प्रत्येक इन्सान को घर मिलेगा और घर मिले यानी सिर्फ चार दीवारें नहीं, गैस का कनेक्शन, बिजली का कनेक्शन, पानी का कनेक्शन, नजदीक में स्‍कूल, ये सब कुछ, आधा अधूरा कुछ भी नहीं। इस पूरी योजना के साथ काम चल रहा है और उस काम को पूरे करने की दिशा में आज जामनगर के अंदर भी मुझे मकान की चाबियाँ देने का अवसर मिला है और जिनको नहीं मिला है उनको भी मैं कह देता हूँ मोदी सरकार फिर से आने वाली है और 2020 में मेरा सपना है कि हर एक को घर देना है और वो मिलने वाला ही है। सबको मिलने वाला है और इसलिए मेरा आग्रह है हमारे यहाँ जामनगर यानी लघु उद्योगों का एक तरह का बड़ा विशाल फलक, लघु उद्योगों की वजह से जामनगर की आन बान और शान है। इस लघु उद्योग के विकास के लिए भारत सरकार ने अनेक योजना, पहली बार आप ऑनलाइन जा कर के लघु उद्योग के लोग खुद को बैंक लोन चाहिए तो बैंकों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है, सिर्फ आप ऑनलाइन भर दीजिए, 59 मिनिट में, 59 मिनिट में 1 करोड़ रूपये तक की लोन मंजूर होती है, सिर्फ 59 मिनिट में।

किसी का बीच में से खाना वाना सब बंध, बैंकर को चाय पिलाने की जरूरत नहीं पडती, साहब-साहब कहने की जरूरत नहीं, ऑनलाइन करो, 59 मिनिट में, अपने दस्तावेज रखिए, आपको हक़ मिल जाए, इस प्रकार की क्रांति लाने का काम आज इस सरकार ने किया है और उसकी वजह से इज़ ऑफ़ डूइंग बिजनेस, 142वे क्रम से 77 पर आ गया, इतना बड़ा जम्प लगा दिया क्योंकि उसमे जो लाइसेंस आदि की ये सब जो मुसीबतें थी उन सब को दूर कर दिया, जिसका लाभ जामनगर, मोरबी, राजकोट... ये सब छोटे-छोटे कारखाने में बहुत बड़ा एक जबरदस्त वातावरण बना है। ये लघु उद्योगों के लिए इतना बड़ा फायदा इंजीनियरिंग वर्क के अंदर काम करनेवाले लोगों के लिए फायदा, उत्पादन के क्षेत्र में जानेवाले लोगों को फायदा।

जीएसटी के सारे कानूनों में जैसे-जैसे हमे पता लगता गया की यहाँ जरूरत है यहाँ जरूरत है सुधार करते जा रहे है और जीएसटी आज सामान्य मानवी को उपकारक बने उस तरह का बना दिया गया है और उसका लाभ सामान्य मानवी को हो रहा है। एक तरह से सामान्य मानवी भारत सरकार या राज्य सरकार में खुद की बनाई हुई चीज़े बेच नहीं पाता था। छोटा सा काम हो, छोटी-छोटी चीज़े बनाता हो, कोई प्लास्टिक की बाल्टी बनाता हो या कोई टेबल के लिए की कोई चीज़े बनाता हो या छोटी-छोटी कुर्सियां बनाता हो, कुछ भी मेल ही नहीं खाता था। हम एक GeM पोर्टल लाए, GeM पोर्टल के अंदर आप रजिस्टर करवाएं, भारत सरकार में जिस को चाहिए वहाँ लिख ले, भेजने वाला वहाँ लिखे, करोड़ो रुपये का काम सामन्य मानवी आज सरकार में भेजता है, कोई टेंडर नहीं, कोई बिचोलिया नहीं, कोई अपना पराया नहीं, कोई किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं, और सामान्य मानवी जो चीज़े बनाता है वो आज सरकार के अंदर सीधी खरीदी जा रही है वरना पहले बड़े-बड़े टेंडर वाले आए, फिर छोटा इन्सान उससे बड़े को बेचे, बड़ा उससे बड़े को बेचे, बड़ा उससे बड़े को बेचे और फिर बड़ा इतना बड़ा होता था की जो सरकार को बोले इसलिए फिर सरकार उसे ले लेती थी, सारे पैसे बड़े के पास जाते थे, अब ये सीधे पैसे छोटे के पास जाते है ये काम करने की ताकत आज भारत सरकार में है और हमने कर के दिखाया है। उसका लाभ हम दे रहे है।

भाइयों बहनों, कोई भी देश शक्ति बिना नहीं चल सकता, सामर्थ्य बिना नहीं चल सकता, हमारे गुजरात में अक्सर कौमी दंगे होते थे या नहीं होते थे भाई? हमारे जामनगर में भी क्या था, होते थे या नहीं होते थे? सब बंद हो गया या नहीं हो गया? सब लोग सुख-चैन से जीने लगे या नहीं जीने लगे? सबकी प्रगति होने लगी या नहीं होने लगी? ये सब वैमनस्य करवाने वाले लोग ठिकाने लगे इसलिए सब कुछ अच्छे से चलने लगा या नहीं चलने लगा? अब मुझे बताइए भाई, इस देश में से आतंकवाद की बीमारी जानी चाहिए या नहीं जानी चाहिए? ऐसे नहीं, जरा जोर से बोलिए जामनगरवालों, ये आतंकवाद की बीमारी जानी चाहिए या नहीं जानी चाहिए? आतंकवाद को जड़ से उखाड़ कर फेंकना चाहिए या नहीं फेंकना चाहिए?

अब हम यहाँ पर दवाई करें तो हो सकता है क्या भाई? जहाँ पर हो रहा है वहीँ पर करना पड़ता है की नहीं भाई? आप किसी भी डॉक्टर के पास जाओ तो उसको लगे की भाई आपकी ये बीमारी तो ठीक है लेकिन मुख्य समस्या आपके खून में है, खून जरा सही करना पड़ेगा, उसकी दवाई करनी पड़ेगी तो आपका ये ठीक हो जाएगा, कहता है की नहीं कहता डॉक्टर? मुख्य बीमारी साफ़ करनी पडती है या नहीं करनी पडती? अब मुख्य बीमारी पड़ोस में है, आप तो जामनगर में पड़ोस में ही है, वहाँ से खब़रे आती रहती होंगी, कच्छ और जामनगर को तो जल्दी ख़बरें आती रहती है।

मुझे इन जामनगर के लोगों को पूछना है भाई, आपको हमारे देश की सेना जो बोले उसमे भरोसा है या नहीं है? सेना जो कहे उसको सच मानना है या नहीं मानना है? मुझे भी मानना चाहिए या नहीं मानना चाहिए? लेकिन कुछ लोगों को पेट में दर्द करता है, अब उसमें भी उनको समस्या हो रही है।

भाइयों बहनों, इस देश को गर्व होना चाहिए कि हमारी सेना ये ताकत दिखा रही है साहब। मैंने अभी.. दिल्‍ली में मेरा एक भाषण था। उस भाषण में मैंने कहा देश पूरा गर्व कर रहा है, अदभुत पराक्रम किया है, जवानों ने पराक्रम किया है और किसी भी देश को होना चाहिए। उसमे मुर्दे की तरह रोते रहने की क्या जरूरत है भाई। मैंने उनसे कहा देखिए आज अगर हमारी वायुसेना के पास राफेल होता तो परिणाम कुछ और ही होता। अब जिनको मेरी बात समझ नहीं आती है उसमे मेरा दोष है क्या भाई? अब उनकी मर्यादा है मैं क्या करूँ? जब मैं ने ये कहाँ उन को तो उन्होंने ये कहा की मोदी तो ऐसे इंडियन एरफ़ोर्स ने जो किया उसी को प्रश्न पूछ रहा है। अरे मेहरबान, साबू इस्तेमाल कीजिए न साबु इस्तेमाल कीजिए न... साबु यानी सामान्य बुद्धि।

एयर स्ट्राइक्स के समय पर हमारे जवानों के हाथ में राफेल होता तो हमारा एक भी जाता नहीं और उनका एक भी बचता नहीं। ये मेरा हिसाब है भाई। लेकिन इन देश के वीरों को प्रणाम, इस देश की वीर प्रजा को प्रणाम और हमारा संकल्प है इस देश को तबाह करनेवाले कोई भी लोग होंगे उनके आका उस पार बैठे होंगे तब पर भी ये देश शांति से नहीं बैठेगा। अब उनका क्या है, हमारे विरोधी इसमें भी उनको समस्या हो गई मोदी क्या करता है, मोदी क्या करता है, मोदी क्या करता है अरे आ कर देख लीजिए न भाई ये किया। उनका मंत्र है आओ, साथ मिलो मोदी को ख़त्म करो। देश का मंत्र है आओ एक हो, और आतंकवाद ख़त्म करें। उनको मोदी को ख़त्म करना है हमे आतंकवाद को ख़त्म करना है, आप मुझे कहिए भाइयों, आतंकवाद खत्म करने वाले के साथ जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिए? आतंकवाद खत्म करनेवाले की इच्छा के साथ जुड़ना चाहिए या नहीं जुड़ना चाहिए?

बहुत-बहुत सलाम भाइयों। मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

धन्यवाद।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।