कैसे है सब! सुख में तो है न?
शिवरात्रि के पावन पर्व की आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
भोलेनाथ सबका भला करें।
मेरी बात शुरू करू उससे पहले तीन बार भारत माता की जयकार करनी है। मैं करवाऊंगा।
पराक्रमी भारत के लिए भारत माता की – जय
विजयी भारत के लिए भारत माता की – जय
वीर जवानों के लिए भारत माता की– जय
बड़ी तादाद में हमे आशीर्वाद देने के लिए पधारे हुए जामनगर के प्यारे भाईओ और बहनों,
आज शिवरात्रि का पावन पर्व है और गुजरात ऐसी धरती है कि जहाँ दो-दो ज्योतिर्लिंग है। सोमनाथ और नागेश्वर की ये धरती मेरे लिए बहुत ही सुखद अवसर की शिवरात्रि के पावन पर्व पर सोमनाथ और नागेश्वर की धरती पर आने का मुझे मौका मिला है।
जब मैं मुख्यमंत्री था और देश भर के सभी मुख्यमंत्रियों की मीटिंग में जाता था और उनको मैं कहता की भाई आप सब लोगों को लगता है कि गुजरात में क्या समस्या है, सब कुछ अच्छा-अच्छा है, आपको क्या तकलीफ है और जब उनको मैं अपनी बात समझाता था तो उन सब को आश्चर्य होता था। मैं उनसे कहता की भाई हमारा ऐसा राज्य है की जिसके पास कोई खदान या खनिज का भंडार बहुत बड़ा नहीं है। उससे भी बड़ी समस्या यानी पानी। हमारे कई गाँव पीने के पानी के लिए छटपटाते, हमारी सरकार की बहुत बड़ी शक्ति, दस साल में से सात साल सूखे में जाती, पीने का पानी कैसे पहुंचाया जाए उसमे जाती। अगर ईश्वर ने हमें पानी की सुविधा कर दी होती तो हम इतने ज्यादा ताकतवर थे इतने ज्यादा सशक्त थे कि हम पूरे हिंदुस्तान को जहाँ ले कर जाना हो वहाँ ले कर जा पाते, इतनी हमारे अंदर ताकत थी।
हमारा बज़ट, हमारी सरकार की शक्ति ये सारा कुछ हमे पानी के पीछे खर्चना पड़ता था, हिंदुस्तानभर में से आनेवाले मुख्यमंत्रियों को ये बात सच ही नहीं लगती थी, इतनी सारी समस्या है। उन्हें अंदाजा ही नहीं आता था। लेकिन उसके सामने हमारा संकल्प भी था। ठीक है हमारे पास बारह मास बहने वाली नदियों का अभाव है, बारिश कम होती है और गुजरात को विकास के पथ पर आगे बढ़ना है तो रोते - धोते बैठे रहने से कुछ नहीं होगा भाई। पहले पानी नहीं था तो कच्छ खाली होता था, हमने तय किया पानी नहीं है तो हम पानी की समस्या का ही पहले समाधान लाएंगे, पानी पहुँचाएंगे और देश गुजरात को पानीदार बनाएँगे और ये भी हकीकत है की सरदार सरोवर डैम उसमे इतनी सारी रूकावटे आई, इतनी सारी रूकावटे आई और उसके लिए उस समय की सभी सरकारे जिम्मेदार है। वे छुट नहीं सकती है, उन्हें जवाब देना पड़ेगा। अगर आज से चालीस साल पहले नर्मदा का कार्य पूरा हो गया होता तो गुजरात को पानी का पिछले 40 साल तक जो पैसे खर्चने पड़े, वो नहीं खर्चने पड़ते। और आज जब सरदार सरोवर डैम बन गया, पानी आया, तो उसके पहले डैम का कार्य पूरा होने से पहले ये पानी कच्छ और काठियावाड की धरती पर किस तरह पहुंचे उसके लिए भारी जहमत उठाई और एक योजना बनाई और मुझे अच्छी तरह से याद है, ये ‘सौनी’ योजना की कल्पना जब मैंने पहली बार पेश की थी राजकोट में आकर के तब तो ज्यादातर लोग... और वो कुछ लोग जो पुरे गाँव की चौराहट करनेवाले लोग होते है वो तो शुरू ही हो गए थे कि ये मोदी ने चुनाव आया इसलिए ये मुद्दा छोड़ा है, ये चुनाव आया इसलिए मोदी ने ऐसा किया है अरे चुनाव तो हमारे यहाँ कहीं न कहीं चलती ही रहती है भाई, किसी न किसी राज्य में चुनाव चलते ही रहते है भाई। मैं कोई भी कार्य करूँ उसको आप चुनाव के साथ जोड़ ही सकते है। उस वक्त आशंका थी की यह मुमकिन ही नहीं है, हजारो करोड़ो रूपये, पानी की पाइप लगवाना, पानी को बीस बीस फ्लोर, मकान जितना ऊँचा ले कर जाना और वो पानी... ये सारा कुछ मुमकिन ही नहीं लग रहा था। कारण, हमने ज्यादा से ज्यादा वो टेंकर देखे थी, हेंड पंप देखे थे, उससे लम्बा पानी का समाधान कभी सोचा ही नहीं था।
एक तरफ वो मानसिकता, ऐसे लोगों ने राज किया जिनको टेंकर से आगे कुछ दिखा ही नहीं और हम ऐसे लोग आए की जिन्होंने पाइपलाइन से 500-500, 700-700 किलोमीटर और ऐसी पाइपलाइन की जिसमें आप मारुती ले कर जा सकते है और उसी का नतीजा है की आज ‘सौनी’ योजना से पानी पहुंचा। कच्छ की सीमा पर बीएसएफ के जवान, उन्हें नर्मदा का ताजा पानी पीने को मिलता हो, ये कमाल टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और इच्छाशक्ति उसकी वजह से संभव हो पाता है। मुझे ख़ुशी है की गुजरात को छोड़ने के बाद भी हमारी टीम उतनी ही लगन से, समयबद्ध हो कर इस सपने को पूरा करने के लिए काम पर लगी हुई है और एक के बाद एक ‘सौनी’ योजना के फेज़ पुरे होते जा रहे है और उसी का परिणाम है कि आने वाले दिनों में, और में हमेशा कहता था की नर्मदा का पानी वो पानी नहीं पारस है। जिस तरह पारस के स्पर्श मात्र से लोहा सोना बन जाता है उसी तरह नर्मदा के स्पर्श से गुजरात की धरती हरियाली बन जाए, सोना उगे, हमारी धरती ऐसी बन जाए। हमारा किसान पसीना तो बहाएगा लेकिन उस पसीने के साथ जब नर्मदा का अभिषेक हो तब ये पसीना प्रज्वलित हो उठता है, उग जाता है और आज ये गुजरात ने कर के दिखाया है।
आज यहाँ मुझे गुरु गोबिंद सिंहजी मेडिकल कॉलेज के लिए भी, उसके विस्तार के लिए, उसकी नई-नई योजना के लोकार्पण का उसका भी अवसर मिला। हम में से सबको याद होना चाहिए, पता होना चाहिए की गुरु परंपरा के अंदर गुजरात का विशेष नाता रहा है। गुरु गोबिंद सिंहजी के जो पहले पंच प्यारे थे। उन पहले पंच प्यारों में एक हमारे द्वारिका का था और दर्जी समाज में से था और उसने गुरु गोबिंद सिंहजी के सामने शीश काट दो, मैं आपका शिष्य बनकर के आया हूँ। द्वारिका से जाकर के दर्जी का बेटा और वो गुरु गोबिंद सिंहजी ने सिख परंपरा के लिए जो काम किया उसमे एक पहले पांच सिपाहीयों में से एक हमारा द्वारिका का था और इसीलिए और उस वक्त द्वारिका जामनगर का हिस्सा था और परिणाम स्वरूप यह अस्पताल उसको गुरु गोबिंद सिंहजी के नाम के साथ जोड़ा गया है।
इतिहास की उस घटना को अमरत्व देने का वो प्रयास इस नाम के साथ जुड़ा हुआ है। और आज ये अस्पताल और आरोग्य के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति का कार्य हमने उठाया है। गुजरात में हो रहा है, देश में हो रहा है। यहाँ से मैं अहमदाबाद जाने वाला हूँ। वहाँ भी चार बड़े अस्पताल के प्रॉजेक्ट है। कारण? अस्पतालों की व्यवस्था के बिना, आधुनिक टेक्नोलॉजी बिना आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में आधुनिक इलाज नहीं हो सकता।
पहले जमाना था, सभी लोग इतने स्वस्थ हुआ करते थे की गाँव में बस एक वैद्यराज हुआ करते तो पूरा गाँव स्वस्थ रहता था। अब दुनिया बदल चुकी है। बायीं आँख का डॉक्टर एक होता है तो दायीं आँख का दूसरा होता है। स्पेशियालिटी का जमाना है। हमे भी उसके लिए तैयार होना पड़ता है और आज जो गुजरात के अंदर आधुनिक अस्पताल बन रहे है उसका सीधा लाभ मिलनेवाला है इतना ही नहीं, आयुष्मान भारत योजना हो या माँ योजना हो – मुख्यमंत्री अमृतम योजना। मैं जब यहाँ गुजरात में था तब एक चिरंजीवी योजना शुरू की थी। कई गरीब माताओं की प्रसूति अस्पताल में हो, माताओं की जिंदगी बचे, संतानों की जिंदगी बच जाए और उस में इतनी ज्यादा सफलता मिली थी उसके बाद एक के बाद एक गुजरात के अंदर आरोग्य के क्षेत्र में हम योजनाएं लाए और जब भारत सरकार में गया तो आयुष्मान भारत नाम की योजना आई और आयुष्मान भारत योजना विश्व की सबसे बड़ी योजना है।
आप सबको तो पता है की मुझे छोटा तो पसंद आता ही नहीं है। कुछ भी करना हो तो बड़ा ही करना होता है। हुआ या नहीं हुआ अभी? पाइपलाइन डलवानी है तो 500 किलोमीटर, 900 किलोमीटर, 700 किलोमीटर। रुक-रुक के काम नहीं करना है। और उसी तरह काम कर के आयुष्मान भारत योजना, अमेरिका की जनसंख्या, केनेडा की जनसंख्या, मैक्सिको की जनसंख्या- इन तीनो देशों की जनसंख्या को जोड़ा जाए उससे भी ज्यादा लोगों को भारत में आयुष्मान भारत योजना का लाभ मिलने वाला है।
कोई भी गरीब परिवार पांच लाख रूपयें साल में, परिवार में कोई भी बीमार हो तो पांच लाख रूपयें तक का भुगतान भारत सरकार करेंगी, उसे कभी दीन-हीन नहीं रहना पड़ेगा। इतना ही नहीं, बड़े से बड़ी अस्पताल में वह इलाज करवा सकता है। ऐसा नहीं की वो उस सरकारी अस्पताल में जाए और फिर बेचारा शाम को वापस आए डॉक्टर की राह देख कर के नहीं। उसका भी हक़ है। इस देश में पन्द्रह हजार से भी बड़ा अस्पताल आज हमारे इस काम में सहभागी हुई है।
इतना ही नहीं, हमारा जामनगर का भाई भोपाल गया हो, और मान लीजिए भोपाल में वो बीमार हो गया, तो उसको जामनगर वापस आने की राह देखने की जरूरत नहीं है, वो भोपाल के अस्पताल में जाए और वो कार्ड दिखाए तो बिना पैसे भोपाल में भी सेवा हो। वो कोलकाता गया हो तो वहाँ भी हो और करांची... कोचीन गया हो तो भी हो। अभी जरा मेरे दिमाग में वो सब चीज़े ज्यादा भरी पड़ी हुई है। लेकिन अच्छा है या नहीं है? हाँ वो भी तो करना पड़ता है न भाई।
और इस प्रकार आरोग्य की सेवा सामान्य मानवी को मिले। अब आरोग्य की सेवा मिले सिर्फ ऐसा नहीं, इसकी वजह से जो छोटे-छोटे शहर है वहाँ पर बड़े-बड़े अस्पताल आने की संभावनाएं पैदा हुई है। देश में नए 2 से 3 हजार बड़े अस्पताल आने की संभावना इसकी वजह से पैदा हुई है। एक बड़ा क्षेत्र विकसित होने वाला है और एक अस्पताल बने यानि सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलता है। अनेक लोगों को उनको छोटे-छोटे टेक्नीशियन और कितने सारे लोगों की जरूरत पडती है, उसका काम मिलता होता है। देश में आरोग्य के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी क्रांति इसकी वजह से आने वाली है और ऐसे अस्पताल के काम के लिए आज यहाँ मुझे आने का अवसर मिला है।
पानी की जब बात करते है तो पानी में एक प्रॉब्लम है। पानी एक ऐसी चीज़ है की जब इन्सान मर्यादा लाँघ देता है और वहीँ पर संकट शुरू होता है। इतनी बड़ी ‘सौनी’ योजना करने के बाद भी हमे ऐसा लगता है की गुजरात की जरूरत को देखते हुए हमारे पास बारिश का पानी या नदियों का पानी पूरा नहीं हो पाएगा और इसीलिए बड़े स्तर पर समुद्र के पानी को मीठा बनाने की अरबो रूपये खर्च कर के योजना बनाने की जरूरत है और उसमे से एक प्रोजेक्ट का आज शिलान्यास हुआ है। समुद्र के पानी को मीठा कर के उसे लोगों तक पहुँचाना।
इसका अर्थ ये हुआ की पानी को परमात्मा का प्रसाद समझकर इस्तेमाल करना पड़ेगा, गुजरात को पानी बर्बाद करने का अधिकार बिलकुल नहीं। इतनी मेहनत करके गरीब को मिलता है, उसे एक रुपया मिलना चाहिए, 80 पैसा दिया 20 पैसा निकाले पानी पहुँचाने के लिए। कारण? पानी नहीं होगा तो जीवन संभव नहीं हो पाएगा, अनेक कार्य... स्कूल के कमरे बनवाने हो, लाख कमरे बनवाने हो तो दस हजार कमरे कम बनवाए लेकिन वो पैसे पानी में रखने पड़े। अस्पताल बनवानी हो तो कुछ पैसे अस्पताल में कम किए, पानी के लिए डाले।
गुजरात में सभी क्षेत्र के अंदर से पानी के लिए थोड़ा-थोड़ा निकालना ही पड़ता है। इसका मतलब ये हुआ की पानी सबसे ज्यादा मूल्यवान बन चुका है। ऐसे समय पर गुजरात के प्रत्येक नागरिक जिम्मेदारी है पानी बचाने की। किसान की जिम्मेदारी है ड्रिप इरीगेशन करने की। पानी बचाना वो हमारे लिए अनिवार्य है। बूंद-बूंद पानी का उपयोग करने का एक वातावरण बनाना पड़ेगा और जिस प्रकार देश में स्वच्छता अभियान ने एक बहुत बड़ी सफलता दिलाई, स्वच्छता अभियान जन आंदोलन बन गया और इसबार का कुंभ का मेला गुजरात के जो लोग आते थे, कुंभ के मेले में जाते थे और फिर आते जाते मिले तो स्वच्छता की इतनी तारीफ करते थे इतनी सारी तारीफ करते थे। कुंभ के मेले की स्वच्छता लोगों के छू गई। देश में स्वच्छता एक आंदोलन बन गया।
महात्मा गाँधी सो वर्ष पहले हरिद्वार के कुंभ में गए थे और उस वक्त उन्होंने कुंभ का मेला स्वच्छ होना चाहिए ऐसी इच्छा प्रकट की थी, 100 साल तक नहीं कर पाए, हमने कर के दिखाया और इसलिए जिस तरह स्वच्छता का आन्दोलन सफल हुआ तो गुजरात में पानी बचाओ आंदोलन सफल हो सकता या नहीं हो सकता? क्या हम उस दिशा में आगे बढ़ सकते है? और आज जब प्रभु शिव को नर्मदा का जल अभिषेक कर रहे है तो आज शिवरात्रि के पावन पर्व पर समग्र गुजरात संकल्प करे की हम पानी को भी बचाएंगे। आप देखिए एक बहुत बड़ी क्रांति आएगी।
आज यहाँ रेलवे के भी प्रोजेक्ट्स की योजना बनी है। जिस गति से रेलवे का काम चल रहा है, इलेक्ट्रीफिकेशन का हो, गेज कन्वर्जन का हो, डबल लाइनिंग का काम हो, पहले होता था उससे दुगुनी स्पीड है। अब आप लोगों को कुछ नया नहीं लगेगा क्योंकि आप लोगों ने मुझे देखा है, में यहाँ किस तरह काम करता था, लेकिन देश के लोगों को आश्चर्य होता है कि ऐसा भी हो सकता है क्या? मैं उनको कहता हूँ जाओ गुजरात में देख कर आइए, होता है सब कुछ होता है, करे तब तो न भाई और आज देश में हो रहा है। देश में हो रहा है, रेलवे के काम में गति आई है। आधुनिक रेलवे... आधुनिक रेल, कोच की व्यवस्थाएं, ये सब संभव हो पाया है और डबल स्पीड से, पहले से.. पहले से जो काम होते थे उससे डबल स्पीड हो गई है।
हम प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की योजना लाए, 5 एकड़ और उससे कम ज़मीन ऐसे किसान को साल में 6 हजार रूपये सीधे उसके बेंक के खाते में पहुँच जाएंगे। हर सीजन से पहले 2 हजार रूपये पहुँच जाएंगे। उसको खाद खरीदना हो, उसे बीज खरीदने हो, दवाई लानी हो, उसे काम में आएँगे और एक ऐसा झूठ चलाया, ऐसा झूठ चलाया पुराने लोगों ने, हर दस साल में एक बार उनको बुखार चढ़ता है, कर्ज माफ़ करने का, चुनाव आए नहीं की कर्ज माफ़ करो, कर्ज माफ़ करो ये भाषण शुरू कर देते है, करना कुछ भी नहीं होता, दस साल तक किसान का जो भी होना हो वो होता रहे, कुछ भी नहीं करना और आपको आश्चर्य होगा की 2008-09 मुख्य चुनाव को ध्यान में रखते हुए उन्होंने ये कर्ज माफ़ी की बात की हुई थी, पुरानी सरकार ने 6 लाख करोड़ रूपये का कर्ज था, देश के किसानों का माफ़ कितना किया? 52 हजार करोड़ और सब के वोट छल के ले गए, सब की आँखों में धूल फेंकी और चुनाव खत्म होने के बाद किसान बेचारा क्या करेगा, उसको लगता है की नियम में मेरा नहीं हुआ था तो नहीं आया। उन लोगों ने ऐसे मुर्ख बनाने के ही कार्यक्रम किए है।
हम ऐसी योजना लाए हैं कि हर साल 75 हजार करोड़ रूपये किसान के खाते में जमा होंगे और दस साल में साड़े सात लाख रूपये किसान के खाते में पहुँच गए होंगे। इसका मतलब ये की गाँव में साढ़े सात लाख करोड़ रूपये इकठ्ठे हुए हो, गाँव में यानी गाँव की पूरी इकोनोमी बदल जाती है भाई। साढ़े सात लाख करोड़ रूपये गाँव में उड़ेले हो यानी गाँव का इन्सान पहले साइकिल न खरीदता हो तो साइकिल ख़रीदे, बच्चों के लिए शूज़ न खरीदता हो तो शूज़ ले कर आए, शूज़ लाता हो और शॅाक्स न लाता हो तो शॅाक्स भी ले कर आए, घर के अंदर अच्छे बर्तन ले कर आए, घर के अंदर अच्छा खाना बनाने की कोशिश करे, एक तरह से गाँव की पूरी इकोनोमी बदल जाए ऐसा काम हमने किया है और वो लोग जब कर्ज माफ़ी करते थे गाँव में सौ में से मुश्किल से 20-25 किसानों को लाभ मिलता था, हमारी योजना की वजह से सौ में से लगभग 90 किसानों को लाभ मिलने वाला है और हर साल मिलने वाला है।
भाइयों बहनों, समस्याओ के स्थायी समाधान और किसी भी तरह के अपने पराये के बिना सबका साथ सबका विकास इस मंत्र के साथ काम करें उससे कितना सारा लाभ होता रहता है। अभी हमने किसानों को जो लाभ मिलता है वो सारे लाभ पशुपालकों को भी देना का फैसला किया है। किसान क्रेडिट कार्ड पशुपालक को भी मिलेगा। जिस तरह सस्ते दरो पर ब्याज बेंक के पैसे मिलते है, सस्ती ब्याज की दरों पर उसी तरह पशुपालक को भी मिलेगा और वही लाभ मछुआरे को भी दिया। मछुआरों के लिए भी इसकी व्यवस्था की गई, देश में पहली बार जब अटलजी की सरकार बनी थी तब पहली बार आदिवासी लोगों के लिए एक अलग विभाग बना था, आदीवासियों के लिए विभाग नहीं था हमारे देश में। इस देश में मोदी सरकार आने के बाद पहली बार मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय बनाया गया है और मछुआरों का, समुद्र तट के समग्र पूरे देश के मछुआरों की समस्याएं, मछुआरों का विकास, मछुआरों के क्षेत्र में आधुनिकता, मत्स्यपालन के क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए आधुनिक संसाधन उसका पूरा काम। मछुआरों को भी किसान क्रेडिट जैसी सुविधा, वो बैंक में से कम दरों पर ब्याज पर पैसे ले सके और उसको भी जिस प्रकार किसान को पैसे मिलते है उस प्रकार पैसे मिले उसका काम हमने किया है। स्थायी परिवर्तन कैसे लाया जा सकता है उसकी चिंता की है।
गहरे समुद्र में माछीमारी करने लिए हमारा मछुआरा भाई... आज मछुआरा किनारे-किनारे पर माछीमारी करता है इसलिए उसे कुछ ज्यादा नहीं मिलता, पर अंदर जाए तो कमाई बड़ी हो सकती है, कम महेनत में हो और उसके लिए जिस प्रकार के वेसल्स चाहिए उनको बनाने में उसका सुधार करने के लिए भारत सरकार सब्सिडी देती है 15 लाख रूपये की सब्सिडी जिससे की मेरा मछुआरा गहरे समुद्र में जा कर के बड़ी कमाई कर सके उसके लिए यह काम हमने किया है।
हमारा प्रयास है कि इस देश में हर एक के पास अपना घर हो, हर एक इन्सान को 2022 तक घर मिल जाए। मैंने जैसे कहाँ आपको की मुझे छोटा तो पसंद ही नहीं है, जो भी करना हो वो पूरा करना, बड़ा करना और जल्द ही करना। 2022 तक इस देश में एक भी व्यक्ति ऐसा न रहे, एक भी परिवार ऐसा न हो की जिसको अपनी मालिकी का घर न हो और पक्का घर न हो। भूतकाल में जो सरकार गई न, उसने 25 लाख मकान बनवाए थे, हमने इन 55 महीनों के भीतर 1 करोड़ 30 लाख मकान बना दिए है और इसलिए मैं कहता हूँ कि 2022 तक इस देश के प्रत्येक इन्सान को घर मिलेगा और घर मिले यानी सिर्फ चार दीवारें नहीं, गैस का कनेक्शन, बिजली का कनेक्शन, पानी का कनेक्शन, नजदीक में स्कूल, ये सब कुछ, आधा अधूरा कुछ भी नहीं। इस पूरी योजना के साथ काम चल रहा है और उस काम को पूरे करने की दिशा में आज जामनगर के अंदर भी मुझे मकान की चाबियाँ देने का अवसर मिला है और जिनको नहीं मिला है उनको भी मैं कह देता हूँ मोदी सरकार फिर से आने वाली है और 2020 में मेरा सपना है कि हर एक को घर देना है और वो मिलने वाला ही है। सबको मिलने वाला है और इसलिए मेरा आग्रह है हमारे यहाँ जामनगर यानी लघु उद्योगों का एक तरह का बड़ा विशाल फलक, लघु उद्योगों की वजह से जामनगर की आन बान और शान है। इस लघु उद्योग के विकास के लिए भारत सरकार ने अनेक योजना, पहली बार आप ऑनलाइन जा कर के लघु उद्योग के लोग खुद को बैंक लोन चाहिए तो बैंकों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है, सिर्फ आप ऑनलाइन भर दीजिए, 59 मिनिट में, 59 मिनिट में 1 करोड़ रूपये तक की लोन मंजूर होती है, सिर्फ 59 मिनिट में।
किसी का बीच में से खाना वाना सब बंध, बैंकर को चाय पिलाने की जरूरत नहीं पडती, साहब-साहब कहने की जरूरत नहीं, ऑनलाइन करो, 59 मिनिट में, अपने दस्तावेज रखिए, आपको हक़ मिल जाए, इस प्रकार की क्रांति लाने का काम आज इस सरकार ने किया है और उसकी वजह से इज़ ऑफ़ डूइंग बिजनेस, 142वे क्रम से 77 पर आ गया, इतना बड़ा जम्प लगा दिया क्योंकि उसमे जो लाइसेंस आदि की ये सब जो मुसीबतें थी उन सब को दूर कर दिया, जिसका लाभ जामनगर, मोरबी, राजकोट... ये सब छोटे-छोटे कारखाने में बहुत बड़ा एक जबरदस्त वातावरण बना है। ये लघु उद्योगों के लिए इतना बड़ा फायदा इंजीनियरिंग वर्क के अंदर काम करनेवाले लोगों के लिए फायदा, उत्पादन के क्षेत्र में जानेवाले लोगों को फायदा।
जीएसटी के सारे कानूनों में जैसे-जैसे हमे पता लगता गया की यहाँ जरूरत है यहाँ जरूरत है सुधार करते जा रहे है और जीएसटी आज सामान्य मानवी को उपकारक बने उस तरह का बना दिया गया है और उसका लाभ सामान्य मानवी को हो रहा है। एक तरह से सामान्य मानवी भारत सरकार या राज्य सरकार में खुद की बनाई हुई चीज़े बेच नहीं पाता था। छोटा सा काम हो, छोटी-छोटी चीज़े बनाता हो, कोई प्लास्टिक की बाल्टी बनाता हो या कोई टेबल के लिए की कोई चीज़े बनाता हो या छोटी-छोटी कुर्सियां बनाता हो, कुछ भी मेल ही नहीं खाता था। हम एक GeM पोर्टल लाए, GeM पोर्टल के अंदर आप रजिस्टर करवाएं, भारत सरकार में जिस को चाहिए वहाँ लिख ले, भेजने वाला वहाँ लिखे, करोड़ो रुपये का काम सामन्य मानवी आज सरकार में भेजता है, कोई टेंडर नहीं, कोई बिचोलिया नहीं, कोई अपना पराया नहीं, कोई किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं, और सामान्य मानवी जो चीज़े बनाता है वो आज सरकार के अंदर सीधी खरीदी जा रही है वरना पहले बड़े-बड़े टेंडर वाले आए, फिर छोटा इन्सान उससे बड़े को बेचे, बड़ा उससे बड़े को बेचे, बड़ा उससे बड़े को बेचे और फिर बड़ा इतना बड़ा होता था की जो सरकार को बोले इसलिए फिर सरकार उसे ले लेती थी, सारे पैसे बड़े के पास जाते थे, अब ये सीधे पैसे छोटे के पास जाते है ये काम करने की ताकत आज भारत सरकार में है और हमने कर के दिखाया है। उसका लाभ हम दे रहे है।
भाइयों बहनों, कोई भी देश शक्ति बिना नहीं चल सकता, सामर्थ्य बिना नहीं चल सकता, हमारे गुजरात में अक्सर कौमी दंगे होते थे या नहीं होते थे भाई? हमारे जामनगर में भी क्या था, होते थे या नहीं होते थे? सब बंद हो गया या नहीं हो गया? सब लोग सुख-चैन से जीने लगे या नहीं जीने लगे? सबकी प्रगति होने लगी या नहीं होने लगी? ये सब वैमनस्य करवाने वाले लोग ठिकाने लगे इसलिए सब कुछ अच्छे से चलने लगा या नहीं चलने लगा? अब मुझे बताइए भाई, इस देश में से आतंकवाद की बीमारी जानी चाहिए या नहीं जानी चाहिए? ऐसे नहीं, जरा जोर से बोलिए जामनगरवालों, ये आतंकवाद की बीमारी जानी चाहिए या नहीं जानी चाहिए? आतंकवाद को जड़ से उखाड़ कर फेंकना चाहिए या नहीं फेंकना चाहिए?
अब हम यहाँ पर दवाई करें तो हो सकता है क्या भाई? जहाँ पर हो रहा है वहीँ पर करना पड़ता है की नहीं भाई? आप किसी भी डॉक्टर के पास जाओ तो उसको लगे की भाई आपकी ये बीमारी तो ठीक है लेकिन मुख्य समस्या आपके खून में है, खून जरा सही करना पड़ेगा, उसकी दवाई करनी पड़ेगी तो आपका ये ठीक हो जाएगा, कहता है की नहीं कहता डॉक्टर? मुख्य बीमारी साफ़ करनी पडती है या नहीं करनी पडती? अब मुख्य बीमारी पड़ोस में है, आप तो जामनगर में पड़ोस में ही है, वहाँ से खब़रे आती रहती होंगी, कच्छ और जामनगर को तो जल्दी ख़बरें आती रहती है।
मुझे इन जामनगर के लोगों को पूछना है भाई, आपको हमारे देश की सेना जो बोले उसमे भरोसा है या नहीं है? सेना जो कहे उसको सच मानना है या नहीं मानना है? मुझे भी मानना चाहिए या नहीं मानना चाहिए? लेकिन कुछ लोगों को पेट में दर्द करता है, अब उसमें भी उनको समस्या हो रही है।
भाइयों बहनों, इस देश को गर्व होना चाहिए कि हमारी सेना ये ताकत दिखा रही है साहब। मैंने अभी.. दिल्ली में मेरा एक भाषण था। उस भाषण में मैंने कहा देश पूरा गर्व कर रहा है, अदभुत पराक्रम किया है, जवानों ने पराक्रम किया है और किसी भी देश को होना चाहिए। उसमे मुर्दे की तरह रोते रहने की क्या जरूरत है भाई। मैंने उनसे कहा देखिए आज अगर हमारी वायुसेना के पास राफेल होता तो परिणाम कुछ और ही होता। अब जिनको मेरी बात समझ नहीं आती है उसमे मेरा दोष है क्या भाई? अब उनकी मर्यादा है मैं क्या करूँ? जब मैं ने ये कहाँ उन को तो उन्होंने ये कहा की मोदी तो ऐसे इंडियन एरफ़ोर्स ने जो किया उसी को प्रश्न पूछ रहा है। अरे मेहरबान, साबू इस्तेमाल कीजिए न साबु इस्तेमाल कीजिए न... साबु यानी सामान्य बुद्धि।
एयर स्ट्राइक्स के समय पर हमारे जवानों के हाथ में राफेल होता तो हमारा एक भी जाता नहीं और उनका एक भी बचता नहीं। ये मेरा हिसाब है भाई। लेकिन इन देश के वीरों को प्रणाम, इस देश की वीर प्रजा को प्रणाम और हमारा संकल्प है इस देश को तबाह करनेवाले कोई भी लोग होंगे उनके आका उस पार बैठे होंगे तब पर भी ये देश शांति से नहीं बैठेगा। अब उनका क्या है, हमारे विरोधी इसमें भी उनको समस्या हो गई मोदी क्या करता है, मोदी क्या करता है, मोदी क्या करता है अरे आ कर देख लीजिए न भाई ये किया। उनका मंत्र है आओ, साथ मिलो मोदी को ख़त्म करो। देश का मंत्र है आओ एक हो, और आतंकवाद ख़त्म करें। उनको मोदी को ख़त्म करना है हमे आतंकवाद को ख़त्म करना है, आप मुझे कहिए भाइयों, आतंकवाद खत्म करने वाले के साथ जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिए? आतंकवाद खत्म करनेवाले की इच्छा के साथ जुड़ना चाहिए या नहीं जुड़ना चाहिए?
बहुत-बहुत सलाम भाइयों। मेरे साथ बोलिए,
भारत माता की – जय
भारत माता की – जय
धन्यवाद।