देश की सेवा करने वाले सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के लिए एक संग्रहालय बनाया जाएगा: प्रधानमंत्री मोदी
चंद्रशेखर जी को विदा हुए आज करीब 12 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी वो हमारे बीच अपने विचारों के साथ उसी रूप में जीवित हैं: पीएम मोदी
मैं पूर्व प्रधानमंत्रियों के जीवन के पहलुओं को साझा करने के लिए उनके परिवार के सदस्यों को आमंत्रित करता हूं: प्रधानमंत्री

आदरणीय उप-राष्‍ट्रपति जी, लोकसभा के स्‍पीकर श्री ओम बिड़ला जी, श्री गुलाम नबी जी और एक प्रकार से आज के कार्यक्रम के केंद्र बिंदु श्रीमान हरिवंश जी, चंद्रशेखर जी के सभी परिवारजन और उनकी विचार यात्रा के सभी सहयोगी बंधुगण।

आज के राजनीतिक जीवन में राजनीति के परिदृश्‍य में जीवन व्‍यतीत करने के विदाई के बाद, दो साल के बाद भी शायद जीवित रहना बहुत मुश्किल होता है। लोग भी भूल जाते हैं, साथी भी भूल जाते हैं और शायद इतिहास के किन्‍हीं कोने में ऐसे व्‍यक्तित्‍व खो जाते हैं।

इस बात को हमें दर्ज करना होगा कि उनकी विदाई के करीब 12 साल बाद, आज भी चंद्रशेखर जी हमारे बीच में उसी रूप में जीवित हैं। मैं हरिवंश जी को बहुत बधाई देना चाहता हूं- एक तो उन्‍होंने ये काम किया, और दूसरा ये काम करने की हिम्‍मत जुटाई। हिम्‍मत इसलिए कि हमारे देश में वातावरण ऐसा बन चुका है कुछ कालखंड से, जिसमें राजनीतिक छुआछूत इतनी तीव्रता पर है; कल तक हरिवंश जी एक पत्रकारिता जगत से आए हुए निष्‍पक्ष और वैसे ही राज्‍यसभा में डिप्‍टी चेयरमैन के रूप में काम करने वाले व्‍यक्ति, लेकिन शायद इस किताब के बाद पता नहीं हरिवंश जी पर क्‍या-क्‍या लेबल लगेंगे।

चंद्रशेखर जी- उनके साथ काम करने का तो हमें सौभाग्‍य नहीं मिला है, जब पहले उनको मिला था मैं 1977 में, मिलने का तो अवसर मिला। कुछ घटनाएँ मैं जरूर यहाँ शेयर करना चाहूँगा। एक दिन मैं और भैरोसिंह शेखावत, दोनों हमारी पार्टी के काम से दौरे पर जा रहे थे और दिल्‍ली एयरपोर्ट पर हम दोनों थे। चंद्रशेखर जी भी अपने काम से कहीं जाने वाले थे तो एयरपोर्ट पर; दूर से दिखाई दिया कि चंद्रशेखर जी आ रहे तो भैरोसिंह जी मुझे पकड़ कर साइड में ले गए और अपनी जेब में जो था सब मेरी जेब में डाल दिया। और इतनी जल्‍दी-जल्‍दी हो रहा था, ये सब मेरी जेब में क्‍यों डाल रहे हैं? इतने में चंद्रशेखर जी..., आते ही चंद्रशेखर जी ने पहला काम किया, भैरोसिंह जी की जेब में हाथ डाला और इतने लोग थे; मैं तब समझा कि क्‍यों डाला, क्‍योंकि भैरोसिंह जी को पान पराग और तम्‍बाकू ऐसे खाने की आदत थी और चंद्रशेखर जी इसके बड़े विरोधी थे। जब भी भैरोसिंह जी मिलते थे वो छीन लेते थे और कूड़े-कचरे में फेंक देते थे। अब इससे बचने के लिए भैरोसिंह जी ने अपना सामान मेरी जेब में डाल दिए।

कहाँ जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के लोग, उनकी विचारधारा और कहाँ चंद्रशेखर जी और उनकी विचारधारा, लेकिन एक खुलापन, ये अपनापन और भैरोसिंह जी को भविष्‍य में कुछ न हो जाए, इसकी चिंता चंद्रशेखर जी को रहता, ये अपने-आप में बड़ी बात है। चंद्रशेखर जी अटल जी को हमेशा व्‍यक्तिगत तौर पर भी और सार्वजनिक तौर पर भी गुरू जी कह करके बुलाते थे और हमेशा संबोधन गुरू जी के नाते करते थे। और कुछ भी कहने से पहले सदन में भी बोलते थे, तो गुरू जी आप मुझे क्षमा करिए, मैं जरा आपकी आलोचना करूँगा; ऐसा करके कहते थे। अगर आप पुराने रिकॉर्ड देखेंगे तो ये उनके संस्‍कार और उनकी गरिमा, प्रतिपल झलकती थी।

आखिरकार, जिस समय कांग्रेस पार्टी का सितारा चमकता हो, चारों तरफ जय-जयकार चलता हो, वो कौन सा तत्‍व होगा जिस इंसान के भीतर, वो कौन सी प्रेरणा होगी कि इसने बगावत का रास्‍ता चुन लिया; शायद बागी बलिया के संस्‍कार होंगे, शायद बागी बलिया की मिट्टी में आज भी वो सुगंध होगी। और‍ जिसका परिणाम था इतिहास की दो घटनाएँ बड़ी महत्‍वपूर्ण मैं नजर करता हूँ- जयप्रकाश नारायण जी-बिहार, महात्‍मा गांधी-गुजरात, देश आजाद होने के बाद देश के प्रधानमंत्री का निर्णय एक गुजराती को करने की नौबत आई तो उसने एक बिन गुजराती को चुना और लोकतंत्र की लड़ाई में विजय होने के बाद एक बिहारी को प्रधानमंत्री तय करने की नौबत आई, उसने एक गुजराती को प्रधानमंत्री चुना।

उस समय ये था- चंद्रशेखर जी बनेंगे या मोरारजी भाई बनेंगे। और उस समय मोहन लाल धारिया, क्‍योंकि मुझे चंद्रशेखर जी के कुछ साथियों के साथ जो संपर्क में मैं ज्‍यादा रहा, उसमें मोहन धारिया जी के साथ रहा, जॉर्ज फर्नांडीस के साथ रहा। और उनकी बातों में चंद्रशेखर जी के आचार और विचार- ये हमेशा प्रतिबिम्बित होते थे और आदरपूर्वक होते थे। और भी लोग होंगे जिनसे शायद मेरा संपर्क नहीं आया होगा।

चंद्रशेखर जी बीमार रहे और मृत्‍यु के कुछ समय पहले, कुछ महीने पहले उनका टेलिफोन आया मुझे, मैं गुजरात में मुख्‍यमंत्री था, तो उन्‍होंने कहा- भाई दिल्‍ली कब आ रहे हो? मैंने कहा- बताइए साहब क्‍या है?नहीं, ऐसे ही एक बार अगर आते हो तो घर पर आ जाइए, बैठेंगे, मेरा स्‍वास्‍थ्‍य ठीक होता तो मैं खुद चला आता। मैंने कहा मेरे लिए बहुत बड़ी बात है आपने मुझे फोन करके याद किया है। तो मैं उनके घर गया और मैं हैरान था जी, स्‍वास्‍थ्‍य ठीक नहीं था, लंबे देर तक मुझसे बातें की और गुजरात के विषय में जानने का प्रयास किया, सरकार के रूप में क्‍या-क्‍या चल रहा है, वो जानने का प्रयास किया। लेकिन बाद में देश के संबंध में उनकी सोच क्‍या है, समस्‍याएँ क्‍या दिख रही हैं, कौन करेगा, कैसे करेगा- भई तुम लोग नौजवान हो देखो क्‍या, यानी बड़े भावुक भी थे; वो मेरी उनसे आखिरी मुलाकात थी। लेकिन आज भी वो अमिट छाया, विचारों की स्‍पष्‍टता, जन सामान्‍य के प्रति commitment, लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍थाओं के प्रति समर्पण- ये उनके हर शब्‍द में निखरता था, प्रकट होता था।

चंद्रशेखर जी की ये किताब, हरिवंश जी ने जो लिखी है, उसमें हमें चंद्रशेखर जी को तो भलीभांति समझने का अवसर मिलेगा, लेकिन उस कालखंड की जो घटनाएँ हैं, उन घटनाओं के संबंध में अब तक जो हमें बताया गया है, उससे इसमें बहुत कुछ विपरीत है। और इसलिए हो सकता है कि एक वर्ग इस किताब को उस रूप में भी analysis करेगा, क्‍योंकि उस समय इतना...और एक हमारे देश में फैशन है कि कुछ लोगों को ही कुछ अधिकार प्राप्‍त हैं, रिजर्वेशन है वहाँ।

आज छोटा-मोटा लीडर भी 10-12 किलोमीटर पदयात्रा करे तो 24 घंटे टीवी चला लेगा, मीडिया के पहले पन्‍ने पर छपेगा; चंद्रशेखर जी ने चुनाव के इर्द-गिर्द नहीं, पूर्णतया गाँव-गरीब किसान को ध्‍यान में रख करके पदयात्रा की। इस देश ने उसको जो गौरव देना चाहिए, नहीं दिया, हम चूक गए। और दुर्भाग्‍य- मैं बड़ा दर्द के साथ कहना चाहता हूँ, दुर्भाग्‍य।

उनके विचारों के संबंध में विवाद हो सकता है, आज भी किसी को एतराज हो सकता है। वो ही तो लोकतंत्र की विशेषता है। लेकिन बहुत जान-बूझ करके, सोची-समझी रणनीति के तहत चंद्रशेखर जी की उस यात्रा कोdonation, corruption, पूँजीपतियों के पैसे- इसी के इर्द-गिर्द चर्चा में रखा गया। ऐसा घोर अन्‍याय सार्वजनिक जीवन में अखरता है। मैं नहीं जानता हूँ हरिवंश जी ने इसे पाठ्यकोष में लिया है कि नहीं लिया है, लेकिन मैंने उस बात को निकट से अध्‍ययन करने का प्रयास किया था।

हमारे देश की एक और बात रही। आज की पीढ़ी को पूछा जाए कि इस देश में कितने प्रधानमंत्री हुए- शायद किसी को पता नहीं। कौन हुए- बहुत कम लोगों को पता होगा, बहुत प्रयत्‍नपूर्वक भुला दिए गए। ऐसी स्थिति में हरिवंश जी, आपने बहुत बड़ी हिम्‍मत की है, आप बधाई के पात्र हैं। हर किसी का योगदान है, लेकिन एक जमात है, माफ करना मुझे- देश आजाद होने के बाद बाबा साहेब अम्‍बेडकर की छवि क्‍या बना दी गई, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की छवि क्‍या बना दी गई- ये तो कुछ समझते नहीं हैं, ये तो ढिकने हैं, फलाने हैं, वगैरह-वगैरह।

लाल बहादुर शास्‍त्री जी- वे भी अगर जिंदा लौट कर आए होते और जीवित होते तो ये जमात उनको भी पता नहीं क्‍या-क्‍या प्रकार के रूप में प्रदर्शित कर देती। लाल बहादुर शास्‍त्री जी बच गए क्‍योंकि उनकी शहादत बहुत बड़ी चीज बनी।

उसके बाद फलाना प्रधानमंत्री क्‍या पीता है- मालूम होगा मोरारजी भाई के लिए यही चर्चा चला दी गई, फलाना प्रधानमंत्री मीटिंग में भी सोता है, फलाना प्रधानमंत्री तो back stab करता है। यानि जितने भी- हरेक को एक ऐसे टाइटल दे दिए गए ताकि उनका काम, उनकी पहचान दुनिया को हो ही नहीं, भुला दिया गया।

लेकिन आप सबके आशीर्वाद से मैंने ठान ली है- दिल्‍ली में सभी पूर्व प्रधानमंत्री, सभी- उनका एक बहुत बड़ा आधुनिक म्‍यूजियम बनेगा। सभी पूर्व प्रधानमंत्री के परिवारजनों से, मित्रजनों से मेरा आग्रह है कि वो सारी चीजें इक्‍ट्ठी करें ताकि आने वाली पीढ़ी को पता चले हाँ- चंद्रशेखर जी हमारे प्रधानमंत्री थे और उनके जीवन में ऐसी-ऐसी विशेषताएँ थीं, उनका ये-ये योगदान था; चरण सिंह जी के ये-ये विशेषताएँ थीं, योगदान था; देवगौड़ा जी का ये-ये योगदान है; आई. के.गुजराल जी का ये-ये योगदान है; डॉक्‍टर मनमोहन सिंह जी का ये-ये योगदान है, सभी- राजनीतिक छुआछूत के परे।

एक नए राजनीतिक कल्‍चर की देश को आवश्‍यकता है, उसको हम इसी प्रकार लाने का प्रयास कर रहे हैं। चंद्रशेखर जी आज भी, अगर सही prospective में लोगों के सामने लिया जाए तो आज भी नई पीढ़ी को प्रेरणा दे सकते हैं। आज भी उनके चिंतन से youngsters का मिजाज democratic values के साथ उभरकरके आ सकता है। Undemocratic रास्‍ते को उसको छूने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

मुझे बराबर याद है जब प्रधानमंत्री पद से इस्‍तीफा देना था उनको, यहाँ दिल्‍ली में तूफान मच गया था और वो भी कोई आईबी के पुलिस वाले के कारण, यानी कि सरकार, दुनिया में जब लिखा जाएगा कि किसी पुलिसवाले के कारण सरकारें गिर सकती हैं।

उस दिन मैं नागपुर में था, अटल जी, आडवाणी जी का एक कार्यक्रम था वहाँ। लेकिन उनका जहाज बाद में आना था, मैं पहले पहुँचा था। तो जहाँ मेरा स्‍थान था, वहाँ पर चंद्रशेखर जी का फोन आया। मैंने फोन उठाया, सीधे ही वो फोन पर थे। उन्‍होंने कहा- भई, गुरूजी कहाँ हैं? मैंने कहा साहब, अभी तो उनका जहाज पहुँचा नहीं है, शायद आने में एक घंटा लगेगा। बोले- मैं wait कर रहा हूं, तुरंत मुझसे बात कराइए और उनको बता दीजिए मैं इस्‍तीफा देने का मन बना चुका हूँ, लेकिन मैं उनसे बात करना चाहता हूँ।

दिल्‍ली में जो कुछ भी घटनाएँ हो रही थीं, अटल जी उस दिन नागपुर थे, मैं उस कार्यक्रम के लिए व्‍यवस्‍था के लिए वहाँ पहुँचा था, लेकिन चंद्रशेखर जी उस समय भी, गुरू जी जिनको कहते थे, अपने आखिरी निर्णय से पहले उनसे बात करने के लिए वो बड़े आतुर थे।

ऐसी अनेक विशेषताओं के साथ जिन्‍होंने देश के लिए इतना पूरा जीवन और ये परिसर, एक प्रकार से देश के पीड़ित, शोषित, वंचित, गरीब- जिनके दुख-दर्द को अपने में समेटे हुए एक इंसान 40 साल तक अपनी जवानी इसी परिसर में खपा कर गया, एमपी के रूप में। उसी परिसर में आज हम शब्‍द-देह से उनको फिर से एक बार पुन: स्‍मरण कर रहे हैं, पुनर्जीवित कर रहे हैं। उनसे प्रेरणा ले करके हम भी देश के सामान्‍य मानवी के लिए कुछ करें। यही उनके प्रति सच्‍ची आदरांजलि होगी।

मैं फिर एक बार हरिवंश जी को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देते हुए उनके परिवारजनों को भी याद करते हुए अपनी वाणी को विराम देता हूँ।

धन्‍यवाद।

 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।