संपूर्ण भारत के कोने-कोने में बसे हरेक व्यक्ति को डिजिटल शक्ति मिलनी चाहिए: प्रधानमंत्री
मेरा सपना एक ऐसे #DigitalIndia का है जहाँ साइबर सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अभिन्न हिस्सा हो: प्रधानमंत्री मोदी
मेरा सपना एक ऐसे #DigitalIndia का है जहाँ पूरा विश्व #India को अगली नई सोच के रूप में देखे: प्रधानमंत्री मोदी
मेरा सपना एक ऐसे #DigitalIndia का है जहाँ आपस में जुड़े 1.2 अरब भारतीय देश को आगे ले जाएं: प्रधानमंत्री मोदी

मंच पर विराजमान मंत्रि परिषद के मेरे सभी साथी, उद्योग जगत के सभी मित्र भिन्‍न भिन्‍न देशों के सभी राजदूत और बहुत बड़ी संख्‍या में पधारे हुए नौजवान दोस्‍तों,

मैं श्रीमान रविशंकर प्रसाद और उनकी टीम को ह्दय से बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं बधाई देता हूं कि उन्‍होंने comprehensive integrated approach के साथ भारत के भविष्‍य को बदलने का एक खाका खींचा है और जिस बारीकी से सारी योजनाओं की रचना की है, मुझे विश्‍वास है कि करोड़ों देशवासी जिन सपनो को संजो रहे हैं वे सपने साकार हो कर रहेंगे।

उद्योग जगत के कुछ मित्रों को यहां मंच पर, डिजिटल इंडिया के संदर्भ में वे क्‍या सोचते हैं वे क्‍या कर सकते हैं के विचार हमे सुनने को मिले। हमारे रविशंकरप्रसाद जी हिसाब लगा रहे थे बैठे बैठे, कि वो क्‍या बोल रहे हैं और उन्‍होंने मुझे बताया है कि करीब करीब साढे चार लाख करोड़ रूपये का investment.. और करीब करीब 18 लाख लोगों को रोजगार.. और यह तो जो ऊपर बैठे हैं उन्‍होंने बताया हैं और नीचे बहु‍त बड़ी मात्रा में बैठे हैं.. उनका अभी सुनना बाकी है। यहां बहुत बड़ी मात्रा में इस क्षेत्र में पहले से ही काम करने वाले उद्योग जगत के मित्र बैठे हैं।

वक्‍त बहुत तेजी से बदल चुका है। पहले हम लोग कभी किसी परिवार में जाते थे और छोटे बच्‍चे से बात करते थे तो बच्‍चा क्‍या करता था? अगर आपका चश्‍मा है तो खींच के ले जाता था या आपकी जेब में पेन है तो उसको उठाता था। लेकिन आज आप मार्क करना कि वह न चश्‍मे को हाथ लगाता है न पेन को हाथ लगाता है वह आपका मोबाइल फोन छीनता है। मोबाईल फोन हाथ में आते ही ठीक से पकड़ता है, आप मार्क करना.. और अपना शुरू कर देता है और अगर, जैसा चाहे वैसा आपरेशन नहीं होता तो रोने लगता है यानी बाकी वह कुछ समझे या ना समझे डिजिटल ताकत को समझता है। समय की मांग है कि हम इस बदलाव को समझें और अगर हम इस बदलाव को नहीं समझेंगे तो हम कहीं पड़ रहेंगे कोने में दुनिया दूर चली जाएगी और हम देखते ही रह जायेंगे एक समय था कि सदियों पहले लोग बसते थे, नदी के तट पर। गांव बसते थे, शहर बसते थे नदी के तट पर या समुंदर के किनारे पर।

वक्‍त बदल गया बाद में जहां जहां से हाइवे गुजरते थे, शहर वहां बसना शुरू हुए लेकिन अब मानव जा‍ति वहीं पर बसेगी जहां से ऑप्टिकल फाइबर गुजरता होगा। ये बहुत बड़ा बदलाव आया है और इसलिए अगर विश्‍व के अंदर सवा सौ करोड़ का देश, अपनी ताकत का अहसास कराना चाहता है तो जो हजारो साल पुरानी महान संस्‍कति है.. हम सवा सौ करोड़ देश वासी हैं, हम 65 प्रतिशत 35 साल से कम उम्र के हैं, ये गीत गाने से बात बनने वाली नहीं है। ये जो भी विरासत है, जो सामर्थ्‍य है, उसके साथ आधुनिक विज्ञान को, आधुनिक टेक्‍नॉलॉजी को जोड़ना अनिवार्य है। अगर demographic dividend.. इसको अगर digital strength नहीं मिलेगी तो ये demographic dividend ..हम global level पर जितनी मात्रा में फायदा उठाना चाहिए नहीं उठा पायेंगे। इसलिए देश को तैयार करने की आवश्‍यकता है। आज हमारे देश में करीब करीब 25 करोड़-तीस करोड़ internet users हैं। users की संख्‍या में तो दुनिया में ये संख्‍या बहुत बड़ी है लेकिन जो इससे वंचित है वो संख्‍या भी दुनिया के हिसाब से बड़ी है। जिनकी अपनी पहुंच थी जिनकी अपनी ताकत थी जो खुद कर सकता था, जिसको ज़रूरत थी, उन्‍होंने तो अपना कर लिया। लेकिन जो खुद नहीं कर सकता है, उसको उसके नसीब पर छोड़ देना चाहिए क्‍या? देश का एक तबका.. वो तो Digital world के साथ बहुत तेज गति से आगे बढ़ता हो और देश का बहुत बड़ा तबका उससे वंचित रह जाए तो जो अमीर और गरीब की खाई के कारण समस्‍याएं पैदा होती हैं, शहर और गांव में सुविधा के कारण जो खाई पैदा होती है, उससे भंयकर स्थिति Digital Divide के कारण पैदा हो सकती है।

इसलिए यह हमारा दायितव बनता है, हमारी जिम्‍मेवारी बनती है कि हम इस आधुनिक विज्ञान, जो कि मानव की आवश्‍यकताओं की पूर्ति का एक बहुत बड़ा catalyst agent बना हुआ है, उससे गरीब से गरीब भी वंचित नहीं रहना चाहिए। यह सुविधा जब तक हम गांव, गरीब, किसान तक नहीं पहुंचाएंगे तो यह विकास की जो बातें हैं, न वो उसका लाभ उठा पाएगा, न हम उसको सेवा दे पाएंगे। इसलिए इस चुनौती को हमने स्‍वीकार किया है कि आने वाले वर्षों में, दूर-सुदूर गांव में भी गरीब से गरीब व्‍यक्ति को भी इस platform को उपलब्‍ध कराना चाहिए, जिस platform से वो अपनी आवश्‍यकताओं की पूर्ति का माध्‍यम..आवश्‍यकता के अनुसार उपयोग करता रहे। दुनिया जिस प्रकार से बदल रही है, आपने देखा होगा आपको घर में.. मान लीजिए कभी तय करें कि चलो भई किसी restaurant में आज अच्‍छा खाने जाना है, परिवार के चार लोग बैठकर के चर्चा करें कि कहां जाएंगे और आपका 15-16 साल का बच्‍चा है, वो सुनता है, तो वो क्‍या करता है.. तुरंत वो Google गुरू के पास जाता है। Google गुरू से पूछता है कि नजदीक में अच्‍छे से अच्‍छा restaurant कौन सा है, अच्‍छे से अच्‍छा menu कौन सा है? और वो table पर वहां बैठे बैठे बुक करा देता है। यह इतना बड़ा बदलाव है, इस बदलाव को समझते हुए हमने भी अपनी व्‍यवस्‍थाओं को विकसित करना चाहिए। minimum government maximum governance, इस सपने को साकार करने में technology बहुत बड़ा रोल प्‍ले करती है। e-governance, सामान्‍य मानव की.. जो शासकीय सेवाओं में उसका हक है, उसको प्राप्‍त करने के लिए उत्‍तम से उत्‍तम मार्ग है। e-governance बहुत ही तेजी से m-governanceमें बदलने वाला है। ‘m’ does not mean Modi Governance, it is mobile governance. सारा कारोबार, सारी आवश्‍यकतांए, सारी व्‍यवस्‍थाएं मोबाइल फोन के ईद-गिर्द.. पूरी सरकार आपके मोबाइल फोन में मौजूद होने वाली है, वो दिन दूर नहीं है।

लेकिन इसके लिए हमें अपने आप को सजग करना होगा, व्‍यवस्‍थाएं विकसित करनी होगी। e-governances easy governance, is economical governance.. आर्थिक रूप से अनुकुल यह governance.. और उसको हम जितना बल दे सकें, हमें उसको बल देना है। उसी प्रकार से हमारे सामने समस्‍या रहती है, सरकार में, एक ही काम के लिए इतनी multiple activity करनी पड़ती है, इतना समय बर्बाद होता है। आधुनिक विज्ञान के माध्‍यम से conversion इतना सरल होता है.. और जैसा अभी आपको presentation में बताया कि आज सरकार में 10 जगह पर 10 काम हैं तो सारे certificate दस जगह पर देने पड़ते हैं। अब वो सारी मुसीबत चली जाएगी। जब व्‍यवस्‍थाएं खड़ी हो जाएंगी तो आपके एक Digital number से उसको सारी चीजें उपलब्‍ध हो जाएंगी और कारोबार आगे चलता चला जाएगा। आने वाले दिनों में.. आज हम चर्चा करते हैं कि बच्‍चों को इतना बोझ उठाकर के स्‍कूल जाना पड़ता है। उनके बक्‍से में उनके वजन से ज्‍यादा किताबों का वजन होता है। इन बालकों की समस्‍या का समाधान भी Digital India में है। सारा syllabus एक छोटे से equipment में वो अपने साथ लेकर के घूम सकता है। इसलिए कुछ लोग, ऐसी जब बात होती है तो उनको लगता है कि यह तो बड़ा elite class के लिए काम है, बड़े लोगों के लिए काम है.. हकीकत नहीं है।

जब satellite छोड़े जाते थे, आज से कुछ वर्षों पहले, तो कुछ लोग डिबेट करते थे कि भारत जैसा गरीब देश! यह satellite किस के लिए छोड़े जा रहे हैं! क्‍या उपयोग है! लेकिन आज वही satellite, weather forecast अगर सही ढंग से करता है तो सीधा-सीधा फायदा गरीब किसान को होता है। जब खर्चा करते हैं तो आलोचना होती है लेकिन वही बाद में मानव की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करता है। यह सारी योजनाएं जो आपने देखीं.. अब देखिए आज, तो बैंक में जाना वगैरह सब है लेकिन वो दिन अब दूर नहीं है कि बैंक पेपर लेस होने वाला है, बैंक premises less होने वाला है। पूरा बैंकिंग कारोबार आपके मोबाइल फोन से चलने वाला है।

यह जो बदलाव आ रहा है, इस बदलाव के लिए हमें अपने आप को सजग करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए। अगर हम देखें तो हम 19वीं शताब्‍दी से.. तब से इन कामों को तेज गति से आगे बढ़ाने की आवश्‍यकता थी। जब दुनिया ने Industrial revolution देखा, हम पिछड़ गए, क्‍यों? क्‍योंकि हम गुलाम थे। औद्योगिक क्रांति का हमें लाभ नहीं मिला। लेकिन आज जब IT revolution आया, हम आजाद हैं, हम youthful nation हैं और हमारे पास talent है। जहां तक IT की बात होगी, दुनिया हिंदुस्‍तान का लोहा मानती है। हमें यह मौका गंवाना नहीं है। गुलामी के कालखंड में हमने जो मौका गंवाया, यह मौका हमें IT revolution में गंवाना नहीं है। इसके सामने कुछ और चीजों पर भी बल देने की आवश्‍यकता है। Petroleum Import की हमारी मजबूरी है, ऊर्जा की आवश्‍कयता है, जरूरत पड़ती है, हमारे पास source कम है, लाना पड़ता है। लेकिन यह बात गले नहीं उतरती है कि हिंदुस्‍तान का second highest import electronic goods हैं। क्‍या यह देश, जहां पर इतने IT Professionals हो, जहां इतनी बड़ी मात्रा में उद्योगकार हों.. और कोई इतनी बड़ी technology भी नहीं है। क्‍या हम हमारे देश में electronic goods इतनी बड़ी मात्रा में न बना पाएं कि जो qualitatively globally competitive हों, और भारत का बना हुआ हो ताकि भारत को कभी बाहर से import न करना पड़े।

Digital India के माध्‍यम से हम electronic good को हिंदुस्‍तान में manufacture करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। हम देश के उद्योग जगत को निमंत्रित करना चाहते हैं। मैं नौजवानों को भी, start-up के लिए जो मदद चाहिए, सरकार देने के लिए तैयार है। और आज दुनिया में start-up की दिशा में हिंदुस्‍तान के नौजवानों की संख्‍या बहुत बड़ी मात्रा में है। आने वाले दिनों में शायद अमेरिका के बाद हम नंबर दो पर आ जाएंगे, start-up के लिए। लेकिन इसे और बढ़ाना है। मैं देश के नौजवानों को भी चुनौती देता हूं, अगर IT Professional हमारे हैं, दुनिया के IT कंपनियों में ढेर सारी मात्रा में भारतीय मूल के लोग नजर आते हैं, लेकिन क्‍या कारण है कि Google का innovation हमारे यहां नहीं होता है। क्‍या कारण है कि innovation बाहर होते हैं। Digital India के माध्‍यम से हम देश के नौजवानों कोinnovations के लिए आह्वान कर रहे हैं, कि आप आइए, इस चुनौती को स्‍वीकार कीजिए।

भारत जैसे देश को सबसे पहली आवश्‍यकता है.. जैसे Make in India का महत्‍व है, वैसे ही Design in India भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है। हमारे देश के नागरिकों की रूचि, प्रकृति, प्रवृति के अनुसार हमारा प्रोडक्‍ट तैयार हो। वो जिस भाषा में समझता है, उस भाषा में प्रोडक्‍ट तैयार है। जिस age group को address करना है, उसकी आवश्‍यकता है के अनुसार प्रोडक्‍ट तैयार हो। सवा सौ करोड़ देशवासियों का बाजार है। हमारे देश के नौजवान अपने talent का उपयोग करते हुए, innovations को ध्‍यान में रखते हुए Design in India.. इस concept को पकड़ते हुए Digital India के अंदर नई ताकत, नए प्राण भर सकते हैं.. और उसको बल देने के लिए मैं देश के नौजवानों का आह्वान करता हूं। विश्‍व की ओर नजर करें, मैं मानता हूं कि भारत को एक बहुत बड़ी जिम्‍मेवारी अदा करने का समय आ गया है। हम देख सकते हैं कि दुनिया में रक्‍तविहीन युद्ध.. और मैं बहुत जिम्‍मेवारी के साथ बोल रहा हूं, रक्‍तविहीन युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। इस रक्‍तविहीन युद्ध के जब बादल मंडरा रहे हैं तो ऐसे में सुख-चैन की जिंदगी जी सके, क्‍या भारत इसका नेतृत्‍व कर सकता है कि नहीं कर सकता है?विश्‍व को सुख-चैन की जिंदगी जीने के लिए रक्‍तहीन युद्ध से सुरक्षा देने के लिए क्‍या भारत का talent काम आ सकता है कि नहीं आ सकता है? मैं जो रक्‍तहीन युद्ध की बात करता हूं, वो मु्द्दा है – cyber security का, उस पर हम बल देना चाहते हैं। और आज जब हम इस Digital India को launch कर रहे हैं तब उनको सपनों को साकार करने का हमारा प्रयास है तब मैं जरूर कहना चाहूंगा...

I dream of a DIGITAL INDIA where:

High-speed Digital Highwaysunite the Nation

एक जमाना था Highwaysके लिए मांग होती थीअब अकेले Highwaysसे चलने वाला नहीं है Highwaysभी चाहिए information Highwaysभी चाहिए

I dream of a DIGITAL INDIA where:1.2 billion Connected Indians drive Innovation

I dream of a DIGITAL INDIA where:Knowledge is strength – and empowers the People

I dream of a DIGITAL INDIA where:Access to Information knows no barriers

I dream of a DIGITAL INDIA where:Government is Open - and Governance Transparent...और मैं जब कह रहा हूं भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने में technology बहुत बड़ी मदद कर सकती है। सारे लीकेजेस को रोका जा सकता है। हमने जो अभी कोयले का auction किया सारा Digital platform का उपयोग किया था। अनेक खादानों का auction हुआ, लाखों करोड़ों का काम हुआ, लेकिन यह सरकार पर एक भी इल्‍जाम नहीं लगा। क्‍यों, क्‍योंकि हमने इस Digital platform का उपयोग किया, सम्‍पूर्ण रूप से transparency पर हमने बल दिया। और इसलिए भ्रष्‍टाचार को रोकने के लिए भी information and communication technology एक बहुत बड़ा instrument के रूप में उपयोग किया जा सकता है।

I dream of a DIGITAL INDIA where: Technology ensures the Citizen-Government Interface is Incorruptible

I dream of a DIGITAL INDIA where:Government Services are easily and efficiently available to citizens on Mobile devices

I dream of a DIGITAL INDIA where: Government proactively engages with the people through Social Media

I dream of a DIGITAL INDIA where:Quality Education reaches the most inaccessible corners driven by Digital Learning

I dream of a DIGITAL INDIA where: Quality Healthcare percolates right up to the remotest regions powered by e-Healthcare

I dream of a DIGITAL INDIA where: Farmers are empowered with Real-time Information to be connected with Global Markets

I dream of a DIGITAL INDIA where: Mobile enabled Emergency Services ensure Personal Security

I dream of a DIGITAL INDIA where: Cyber Security becomes an integral part of our National Security

I dream of a DIGITAL INDIA where: Mobile and e-Banking ensures Financial Inclusion

I dream of a DIGITAL INDIA where:e-Commerce drives Entrepreneurship

I dream of a DIGITAL INDIA where: the World looks to India for the next Big Idea

I dream of a DIGITAL INDIA where: the Netizen is an Empowered Citizen

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भारत और कुवैत का रिश्ता; सभ्यताओं, सागर और कारोबार का है: पीएम मोदी
December 21, 2024
कुवैत में प्रवासी भारतीयों की गर्मजोशी और स्नेह असाधारण है: प्रधानमंत्री
43 वर्षों के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत की यात्रा कर रहा है: प्रधानमंत्री
भारत और कुवैत के बीच सभ्यता, समुद्र और वाणिज्य का रिश्ता है: प्रधानमंत्री
भारत और कुवैत हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़े रहे हैं: प्रधानमंत्री
भारत कुशल प्रतिभाओं की वैश्विक मांग को पूरा करने के लिए पूरी तरह से सुसज्जित है: प्रधानमंत्री
भारत में स्मार्ट डिजिटल प्रणाली अब विलासिता की वस्तु नहीं रह गयी है, बल्कि यह आम आदमी के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गयी है: प्रधानमंत्री
भविष्य का भारत वैश्विक विकास का केंद्र होगा, दुनिया का विकास इंजन होगा: प्रधानमंत्री
भारत, एक विश्व मित्र के रूप में, विश्व की भलाई के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रहा है: प्रधानमंत्री

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।