महामहिम राष्‍ट्रपति पार्क ग्‍यून ही

      महामहिम शिखा मोजाह

      महामहिम श्री बान की मून

      चोसून-इलबो के अध्‍यक्ष श्री बंग संग-हून



  राष्‍ट्रपति पार्क और शिखा मोजाह और बान की मून के साथ मंच साझा करना मेरे लिए एक बड़ा सम्‍मान है।

      ये सभी एशिया के विख्‍यात नेता हैं। ये सभी एशिया की विविधता और उसकी समान भावना को दर्शाते हैं।

      अपनी सरकार के पहले वर्ष में कोरिया गणराज्‍य का दौरा कर मैं प्रसन्‍न हूं।

      कोरिया के ब्रांडों के भारतीय घरों में पहुंचने से पहले ही कोरिया के लोगों ने भारतीयों के दिलों में अपना स्‍थान बना लिया था।

      लगभग 100 वर्ष पहले भारत के महान कवि रवीन्‍द्र नाथ टैगोर ने कोरिया को पूर्व का दीप कहा था। आज कोरिया उन्‍हें सही साबित कर रहा है।

      कोरिया की चमत्‍कारिक आर्थिक वृद्धि और प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्‍व से एशिया की सदी के दावे को और अधिक बल मिला है।

कोरिया एशिया और प्रशांत क्षेत्र में लोकतंत्र और स्‍थायित्‍व के लिए स्‍तंभ है।

एशिया का पुनरुत्‍थान हमारे दौर की सबसे बड़ी घटना है।

इसकी शुरुआत जापान से हुई और इसके बाद यह चीन, कोरिया एवं दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में पहुंचा।

पश्चिम में कतर जैसे देश अपने रेगिस्‍तान जैसे परिदृश्‍य को प्रगति की अर्थव्‍यवस्‍था में बदल रहे हैं।

एशिया की प्रगति को जारी रखने की बारी अब भारत की है।

 125 करोड़ आबादी का यह देश 80 करोड़ युवाओं के रूप में असाधारण संसाधनों का धनी है।

भारत की संभावनाओं पर कोई संदेह नहीं है और पिछले एक वर्ष से हम वादों को वास्‍तविकता और आशा को विश्‍वास में बदल रहे हैं।

भारत में वृद्धि दर प्रति वर्ष 7.5 प्रतिशत रही है तथा इसके और अधिक मजबूत होने की आशा है।

विश्‍व एक आवाज में यह कह रहा है कि विश्‍व और हमारे क्षेत्र के लिए भारत आशा की नई किरण है।

दुनिया की आबादी के छठे हिस्‍से की प्रगति विश्‍व के लिए एक अवसर होगी।

यह भारत को दुनिया के लिए और अधिक करने की क्षमता भी देगा।

इन सबसे ऊपर भारत की प्रगति एशिया की सफलता की कहानी होगी और यह एशिया के हमारे सपनों को सच करने में मददगार साबित होगी।

 जब एशिया के सभी देश प्रगति करेंगे तब एशिया को अधिक सफलता मिलेगी।

एशिया के दो चेहरे नहीं होने चाहिए- एक आशा और समृद्धि का तथा दूसरा कष्‍ट और हताशा का।

यह विकास और अवनति के देशों का महाद्वीप नहीं होना चाहिए जहां एक ओर स्‍थायित्‍व है और दूसरी ओर बिखरे हुए संस्‍थान हैं।

भारत साझा समृद्धि वाले एशिया की आशा करता है जहां एक देश की सफलता दूसरे देश की मजबूती बने।

वृद्धि देश के अंदर और देशों के बीच समेकित होनी चाहिए। यह राष्‍ट्रीय सरकार का दायित्‍व होने के साथ एक क्षेत्रीय जिम्‍मेदारी भी है।

इसलिए भारत के भविष्‍य का जो सपना मैं देखता हूं वही अपने पड़ोसियों के लिए भी चाहता हूं।

एशिया में कुछ देश अधिक समृद्ध हैं। हमें अपने संसाधनों और बाजारों को ऐसे देशों के साथ साझा करने के लिए तैयार होना चाहिए जिनकी उन्‍हें आवश्‍यकता है।

मुझे इस बात की प्रसन्‍नता है कि एशिया में कई देशों ने यह जिम्‍मेदारी उठाई है।

यह वह सिद्धांत है जो भारत की नीतियों को दिशा प्रदान करता है और यह संपूर्ण विश्‍व को एक परिवार 'वसुधैव कुटुम्‍बकम' के रूप में देखने की नैतिकता से आता है।

हमें अपने युवाओं को कौशल और शिक्षा से सशक्‍त करना होगा ताकि वे अपने भविष्‍य की ओर आशा से देख सकें।

अगले 40 वर्षों में एशिया के तीन अरब निवासी समृद्धि के अगले स्‍तर पर पहुंचेंगे। एशिया की समृद्धि और बढ़ती हुई जनसंख्‍या से हमारे सीमित संसाधनों की मांग बढ़ेगी।



इसलिए हमारी आर्थिक वृद्धि के साथ प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कम होना चाहिए। मैं इसलिए जीवन शैली और समृद्धि के मार्गों में बदलाव की बात करता हूं और मुझे विश्‍वास है कि यह हमारे भविष्‍य से समझौता किए बिना संभव है।

एशिया को नये उत्‍पादों के लिए अपनी क्षमता और मित्‍तव्‍ययी निर्माण का इस्‍तेमाल वहनीय नवीकरणीय ऊर्जा के लिए करना चाहिए।

प्रकृति के प्रति सम्‍मान हमारी साझा विरासत का अंग है। जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटना हमारे स्‍वयं के सरोकारों के लिए आवश्‍यक है।

इसलिए भारत ने अगले पांच वर्षों में 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा उत्‍पादन की क्षमता का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। लेकिन कोयला और तेल लम्‍बे समय तक हमारी ऊर्जा के प्रमुख संसाधन बने रहेंगे। इसलिए उन्‍हें और अधिक स्‍वच्‍छ तथा पर्यावरण के लिए कम नुकसानदेह बनाने के लिए मिलकर काम करें।

समेकित वृद्धि के प्रति हमारी नीति तब तक अधूरी है जब तक कि हम अपने क्षेत्र में कृषि में बदलाव के लिए अपने नवाचार और प्रौद्योगिकी को साझा नहीं करते।

हम में से कइयों का समान पारिस्थितिक तंत्र और ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था है और एक -दूसरे से सीखने का हमारा लम्‍बा इतिहास रहा है।

वर्ष 2025 तक एशिया के अधिकतर निवासी शहरों में रह रहे होंगे। एशिया के शहरी क्षेत्रों की आबादी दुनिया के अन्‍य क्षेत्रों में मध्‍यम क्षेत्रफल के देशों से अधिक होगी। कुछ अनुमानों के अनुसार भारत में उस समय विश्‍व की 11 प्रतिशत शहरी जनसंख्‍या निवास कर रही होगी।

इसलिए रहने योग्‍य और भविष्‍य के लिए दीर्घकालिक शहरों का सृजन करना हम सबका सामूहिक लक्ष्‍य होना चाहिए।

इसलिए हमने भारत में शहरों के नवीकरण और स्‍मार्ट शहर बनाने पर अधिक ध्‍यान दिया है और हम इस बारे में सियोल जैसे शहरों से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

अगर एशिया समान रूप से प्रगति करेगा तो वह क्षेत्रीय भागों के बारे में नहीं सोचेगा। आज पश्चिम एशिया में होने वाली किसी भी घटना का पूर्वी एशिया में मजबूत प्रभाव पड़ता है और समुद्री क्षेत्र में होने वाली किसी भी घटना का पर्वतीय क्षेत्रों में असर पड़ता है।

भारत एशिया के मध्‍य में है और हम एक-दूसरे से जुड़े एशिया के निर्माण की जिम्‍मेदारी स्‍वीकार करेंगे।

हमें अपने क्षेत्रों को आधारभूत ढांचे से जोड़ना होगा और उनका एकीकरण व्‍यापार तथा निवेश के जरिये करना होगा।

हमें एशिया में चिर शां‍ति और स्‍थायित्‍व सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे।

इस वर्ष दो युद्धों की 100वीं और 70वीं बरसी पर हमें यह स्‍मरण करना चाहिए कि शांति अवश्यंभावी नहीं है।

हमें ऐसे संस्‍थानों का निर्माण करना चाहिए जो समानता सह अस्तित्‍व और अंतरराष्‍ट्रीय नियमों और मानकों को बढ़ावा देते हैं।  

इसका अर्थ यह भी है कि हमें अपने समुद्रों बाहरी अंतरिक्ष और साइबर स्‍पेस को सुरक्षित रखने और सभी को लाभ पहुंचाने के लिए मिलकर कार्य करना चाहिए।

यह हर देश की एक-दूसरे के प्रति जिम्‍मेदारी भी है।

यह हम सबका एक जैसी चुनौतियों आतंकवाद अंतरदेशीय अपराधों प्राकृतिक आपदाओं और रोगों से निपटने में सामूहिक कर्तव्‍य भी है।

जोश से भरे एशिया में अनिश्चितताएं भी हैं लेकिन इसकी दिशा तय करने में एशिया को नेतृत्‍व के लिए पहल करनी होगी।

लेकिन एशिया के तेजी से बढ़ते प्रभाव के कारण इसे दुनिया में अधिक जिम्‍मेदारी भी उठानी होगी और इसे अंतरराष्‍ट्रीय मुद्दों में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए।

हमें शासन प्रणाली के अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍थानों जैसे संयुक्‍त राष्‍ट्र और इसकी सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए एकजुट होकर कार्य करना होगा।

प्रतिद्वंद्विता का एशिया हमें आगे बढ़ने से रोकेगा जबकि एशिया की एकता विश्‍व की शक्‍ल निर्धारित करेगी।

अंत में मैं यह कहना चाहता हूं- इतिहास में एशिया धर्म संस्‍कृति ज्ञान और व्‍यापार के प्रवाह से जुड़ा रहा है।

और एशिया ने दुनिया को महान धर्म चाय और चावल बेहतरीन मानव सृजन और सबसे महत्‍वपूर्ण आविष्‍कार और प्रौद्योगिकी प्रदान की है।

हम दुखद संघर्षों और उपनिवेशवाद की लम्‍बी छाया से बाहर निकले हैं।

हमने एशिया की शक्ति और जोश देखा है।

आइए मिलकर हमारी विरासत और सहक्रियता हमारी प्राचीन बुद्धिमता और युवा ऊर्जा का उपयोग अपने और विश्‍व के लिए समान उद्देश्‍यों को प्राप्‍त करने के लिए करें।

धन्‍यवाद।

आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।