पीएम मोदी ने ब्रिक्स में रीजनल आउटरीचशुरू करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जुमा की सराहना की
यूरेशिया विश्व के एक प्रमुख आर्थिक गलियारे और व्यापार केंद्र के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है: प्रधानमंत्री
भारत यूरेशियाई क्षेत्र के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है: प्रधानमंत्री मोदी

 

महामहिम राष्ट्रपति पुतिन, मेरे प्रख्यात ब्रिक्स साथियों, गणमान्य नेताओं


सबसे पहले मैं राष्ट्रपति Zuma जी का धन्यवाद देना चाहूंगा कि उन्होंने BRICS Summit के margin पर Regional Outreach की शुरूआत की। इससे अन्य देशों के साथ और अधिक समझ और भागीदारी विकसित करने का मौका मिलता है, जिससे BRICS को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सुविधा होती है।

इस Outreach meeting को आयोजित करने में राष्ट्रपति पुतिन ने जो दूरदर्शिता दिखाई है उसके लिए मैं उनका अभिनन्दन करता हूं। यह एक ऐतिहासिक बैठक है। इसमें Eurasian क्षेत्र के सभी बड़े देश एकत्रित हुए हैं। इस शताब्दी में यूरेशिया के स्वरूप में बदलाव आया है। इसमें उत्साह और गतिशीलता आई है। यह विश्व के एक प्रमुख Economic Corridor और Trade Route के रूप में पुनः एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने का सामर्थ्य रखता है।

भारत इस क्षेत्र के साथ अपने संबंधों को बहुत महत्व देता है।

Brazil और दक्षिण अफ्रीका, Latin America तथा अफ्रीका महाद्वीपों के दो प्रमख राष्ट्र हैं। ये देश Eurasia को इन दोनों महाद्वीपों से जोड़ते हैं, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के दो अहम ध्रुव होंगे।

Eurasia क्षेत्र में संसाधनों का विशाल भंडार है। विश्व में तेज़ गति से विकास करने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं इसका भाग हैं। इस क्षेत्र को advanced technologies तथा skill and talent का विशाल स्त्रोत होने का सौभाग्य हासिल है।

हमारे पास एक ऐसे भविष्य का निर्माण करने के सभी संसाधन हैं जिसमें सबका विकास सुनिश्चित किया जा सके।

इसके लिए हमें कुछ और भी कदम उठाने होंगे: –

सबसे पहले, हमें इस क्षेत्र में शांति, सद्भावना और विश्वास का वातावरण तैयार करना होगा। यहां पर लम्बे समय से चले आ रहे मुद्दे और अनसुलझे प्रश्न मौजूद हैं। लेकिन हमें एक सहयोगपूर्ण भविष्य के निर्माण में मतभेदों और विवादों को नहीं आने देना चाहिए। इस क्षेत्र की उन्नति के लिए आवश्यक है कि सभी देशों में स्थायी शांति कायम रहे।

दूसरा, हमें क्षेत्रीय कनेक्टिविटी – physical and digital और क्षेत्रीय एकीकरण को मज़बूत करना होगा। यूरेशिया की समृद्धि के लिए जरूरी है कि यहां के विभिन्न क्षेत्त्रों में बेहतर connectivity हो और एक-दूसरे की ताकत बनें। हमें व्यापार में आने वाली बाधाओं को खत्म करना होगा और logistics arrangements में सुधार करने की आवश्यकता है।

तीसरा, क्षेत्रीय विकास के लिए नई संस्थाएं, जैसे कि BRICS New Development Bank दीर्घकालिक finance की नई सुविधा उपलब्ध कराती हैं।

चौथा, हमें इस विशाल क्षेत्र को जोड़ने वाली प्राचीन आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कड़ियों को पुनः जागृत करना चाहिए।

अंत में, हमें आतंकवाद, चरमपंथी ताकतों तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय अपराधों जैसे कि money laundering और drug trafficking का मुकाबला करने के लिए एकजुट होना होगा। आतंकवाद का खतरा हमारी कल्पनाओं से भी कहीं अधिक है और दीर्घकालिक है। यह इस क्षेत्र की स्थिरता को खत्म करने और विकास के मार्ग में बड़ी बाधा बनने की क्षमता रखता है।

International North-South Transport Corridor, Conference on Interaction and Confidence Building in Asia, Eurasian Economic Union और Ashgabat Agreement जैसे initiatives इस क्षेत्र को सही दिशा में ले जा रहे हैं। भारत ने भी क्षेत्रीय connectivity के लिए कई initiatives शुरु किए हैं जिससे यूरेशिया क्षेत्र के साथ हमारे संबंध और गहरे होंगे।

BRICS को इस क्षेत्र के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में एक भागीदार बनने में खुशी होगी। यह क्षेत्र वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास में एक नया साधन बनकर उसे अधिक मज़बूती और स्थिरता प्रदान करेगा।

धन्यवाद।

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प्रधानमंत्री 23 दिसंबर को नई दिल्ली के सीबीसीआई सेंटर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में शामिल होंगे
December 22, 2024
प्रधानमंत्री कार्डिनल और बिशप सहित ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं से बातचीत करेंगे
यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 23 दिसंबर को शाम 6:30 बजे नई दिल्ली स्थित सीबीसीआई सेंटर परिसर में कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में भाग लेंगे।

प्रधानमंत्री ईसाई समुदाय के प्रमुख नेताओं के साथ बातचीत करेंगे, जिनमें कार्डिनल, बिशप और चर्च के प्रमुख नेता शामिल होंगे।

यह पहली बार होगा, जब कोई प्रधानमंत्री भारत में कैथोलिक चर्च के मुख्यालय में इस तरह के कार्यक्रम में भाग लेंगे।

कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया (सीबीसीआई) की स्थापना 1944 में हुई थी और ये संस्था पूरे भारत में सभी कैथोलिकों के साथ मिलकर काम करती है।