उपस्थित सभी महानुभाव,

यह कार्यक्रम कलकत्ता के एक सभागृह में हो रहा है, लेकिन देश के 115 स्था नों पर simultaneous यह कार्यक्रम चल रहा है। उस कार्यक्रम में उपस्थित भी सभी महानुभाव को मैं अपना प्रणाम करता हूं।

आज पूज्य। गुरूदेव रविंद्रनाथ टैगोर की जन्म जयंती का पावन पर्व है। बंगाल का स्म>रण करते हुए हर एक हिंदुस्ताटनी का सिर ऊंचा हो जाता है, आंखों में चमक आ जाती है, सीना चौड़ा हो जाता है। भारत के ऐतिहासिक जीवन की अनेक घटनाएं हैं, जिसकी प्रेरणा इस धरती से मिली। अगर परिवर्तन का कहीं प्रारंभ हुआ तो इसी धरती से हुआ। और गोखले जी कहा करते थे कि बंगाल जो आज सोचता है, हिंदुस्ताीन बाद में वही सोचता है।

और यह धरती एक समय था जब हिंदुस्ता्न की आर्थिक विकास की पूरी बागडोर उसके हाथ में थी। भारत की आर्थिक गतिविधि बंगाल से केंद्रित होती थी। इस धरती की विशेषता रही है कि मां दुर्गा की पूजा में तो लीन रहते हैं। लेकिन इसे सरस्वषती का भी आर्शीवाद है और साथ-साथ लक्ष्मी का भी आशीर्वाद है। और जहां सरस्वाती और लक्ष्मीm दोनों को आशीर्वाद मिले हो ऐसी यह धरती रही है। औद्योगिक जगत में भी manufacturing sector की बात करें, यही धरती है जिसने बहुत बड़ा योगदान किया है।

और अभी आदरणीय मुख्यजमंत्री जी अपने भाषण में उल्ले ख कर रहीं थी कि गांवों में बैंक भी नहीं है। 60 साल का हिसाब है यह। उनकी पीड़ा बहुत स्वालभाविक है, मैं भी उसमें अपना स्वनर जोड़ता हूं। लेकिन उन्हों ने यह बात मेरे सामने रखी, क्योंतकि उनको भरोसा है, अगर करेगा तो यही करेगा। आप कल्पूना कर सकते हैं कि देश में गरीबों के लिए बैंकों का राष्ट्री यकरण किया गया था। लेकिन इस देश के गरीब को कभी हमें बैंकों में देखने का अवसर नहीं मिला था।

आज भी यह जो स्कीाम लेकर के हम आए हैं, 80 से 90 Percent इस देश के लोग हैं, जिनको कोई insurance नहीं है, जिनको कोई पेंशन की संभावना नहीं है। सवा सौ करोड़ का देश, 80-90 प्रतिशत जनसंख्या, इन सामान्य आवश्यकताओं की पूर्ति उसके भाग्य में न लिखी हो तो कितनी पीड़ा होती है। और ये सारी योजनाएं जन्म ले रही हैं, आ रही हैं, वो गरीबों के प्रति हमारे दायित्व में से एक है, गरीबों के प्रति संवेदना में से एक है। और हम विकास कितना ही करें, नई ऊंचाइयों को कितना ही पाएं, प्राप्त करें। लेकिन अगर इसके सुफल गरीबों की झोंपड़ी तक नहीं पहुंचते हैं तो विकास अधूरा है। और इसलिए एक तरफ हम विकास की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए सारी दुनिया को झकझोर रहे हैं, Make in India के लिए प्रेरित कर रहे हैं तो दूसरी तरफ गरीब से गरीब का बैंक का खाता खुले इसके लिए दिन-रात कोशिश करते हैं। और मुझे खुशी है कि जब प्रधानमंत्री जन-धन योजना हम लेकर के हम आए, 15 अगस्त को मैंने घोषित किया, 26 जनवरी तक पूरा करने की कल्पना थी, लेकिन देश के बैंकों में काम करने वाले सभी मित्रों ने इतनी मदद की, एक ऐसा जनांदोलन बन गया। 15 करोड़ नए खाते खोल दिए और आज देश में करीब-करीब 95 percent से ज्यादा लोग अर्थव्यवस्था की जो मुख्यधारा होती है Banking Sector उससे जुड़ गए हैं। जो कभी आधे भी नहीं थे।

ये काम सौ-सवा सौ दिन में पूरा कर दिया गया। और मैंने गरीबों को कहा था कि ये देश आपके लिए हैं, सरकार आपके लिए हैं, बैंक आपके लिए हैं। आपको एक पैसा देना नहीं है, बैंक का खाता खोलना है, Zero balance से। लेकिन गरीबों में अमीरी बहुत होती है। अमीरों की गरीबी की चर्चा करने की तो हिम्मत लोगों में कम होती है, लेकिन गरीबों की अमीरी की चर्चा मैं आज करना चाहता हूं। हमने तो कहा था Zero balance से खाते खोल देंगे। लेकिन मैं आज उन गरीबों को सलाम करता हूं कि उन्होंने मन में सोचा कि ये तो अच्छा नहीं है, ये तो हमें शोभा नहीं देता है। और मैं आज गर्व से कहता हूं कि ये जो 15 करोड़ बैंक खाते खुले उसमें 15 हजार 800 करोड़ रुपए राशि गरीबों ने जमा कर दी।

इस देश के गरीबों की अमीरी की ताकत देखिए। और तब जाकर के मन करता है, इन गरीबों के लिए कुछ करते रहना चाहिए। और मेरा ये विश्वास है, गरीबों को सहारा नहीं चाहिए। हमें हमारी सोच बदलनी होगी, हमारे कार्यकलाप बदलने होंगे, हमारे तौर-तरीके बदलने होंगे। गरीबों को सहारा नहीं चाहिए, गरीबों को शक्ति चाहिए। अगर उसको शक्ति मिलेगी तो गरीब गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए तैयार है और गरीबी से मुक्ति का आनंद लेने के लिए वो पूरी शक्ति लगाने के लिए तैयार है, उसे शक्ति देने की आवश्यकता है।

और आज जब गुरुदेव रविंद्र नाथ जी की जन्म जयंती की अवसर पर मैं बोल रहा हूं तब गुरुदेव ने 1906 में आत्मत्राण इस कविता में जो लिखा था, मैं समझता हूं 1906 की वो बात आज 2015 में भी हमें लागू हो रही है। गुरुदेव ने कहा था “It is not my prayer that you will save me from difficulties, give me the strength to overcome the difficulty. do not take away my burden or console me, give me the capacity to bear my burden” - यह बात गुरूदेव जी ने कही थी। और आज हमारा संकल्पe है उस आदेश का पालन करना जो गुरूदेव ने दिया है। और उसी में से यह योजना और कलकत्तेi की धरती पर हो रहा है। क्योंिकि मुझे विश्वांस है, जो चीज इस धरती से प्रारंभ होती है वो फिर आगे बढ़ती ही बढ़ती जाती है, परिणाम मिलता ही मिलता है। और रविंद्रनाथ जी के गुरूदेव की जन्मढ जंयती पर कोई चीज प्रारंभ होती हो और उन्होंंने जो भावना व्यिक्त की थी उसी की अभिव्य क्ति होती हो तो मुझे विश्वारस है गुरूदेव के आशीर्वाद इस योजना को सफल बनाएंगे और देश के गरीबों एक नई शक्ति प्राप्ति करने का अवसर प्रतिपादित होगा। यह मेरा पूरा विश्वारस है।

हमने जब प्रधानमंत्री जनधन योजना शुरू की तब कई लोगों को लग रहा था कि क्या् होगा, कैसे होगा लेकिन आज अनुभव यह आ रहा है कि गरीबों के लिए एक के बाद एक योजनाएं - एक बार बैंक खाता खुल गया, तो हम बात वहां रोकना नहीं चाहते। वो तो हमारा foundation था हम एक के बाद एक हमारी बातें unfold करते चले जा रहे हैं। हमने कहा आपको हैरानी होगी, इस देश में कुछ लोगों को सरकारी पेंशन मिलता है करीब 35 लाख लोग, करीब-करीब 35 लाख लोग और कितना पेंशन मिलता था? किसी को सात रुपया, किसी को 20 रुपया, किसी को सवा सौ, किसी को ढ़ाई सौ। बेचारे को पेंशन लेने के लिए जाना है इस उम्र में ऑटो रिक्शास में जाए या बस में जाए तो पेंशन से ज्याकदा खर्चा उसका बस में जाने से होता था। लेकिन यह चल रहा था। हमने आकर तय किया कि जिसको भी पेंशन मिलता है एक हजार से कम किसी को नहीं होगा। और हमने देना प्रारंभ कर दिया है। क्यों ? गरीब सम्माान से जीए, उसे शक्ति चाहिए। वो शक्ति देना का प्रयास उसको हमने आगे बढ़ाया।

हमारे देश में कभी-कभी लोगों को लगता है कि ये जो बहुत बड़े-बड़े औद्योगिक घराने हैं न वो देश में बहुत बड़ी आर्थिक क्रांति करते हैं। यह बहुत बड़ा भ्रम है। उनका योगदान है लेकिन बहुत सीमित है। देश के अर्थतंत्र को कौन चलाता है? जो छोटा-सा कारोबार करने वाला व्योक्ति है, चौराहे पर खड़े रहकर के सब्जीह बेचता है, धोबी की दुकान चलाता है, biscuit बेचता है, चाय-पान का गल्लाह चलाता है, कपड़े बेचता है, readymade garment बेचता है। छोटे-छोटे लोग! हिंदुस्ताान में करीब साढ़े पांच करोड़ से ज्याेदा ये लोग देश को अर्थतंत्र को गति देते हैं। और बड़े-बड़े औद्योगिक घराने बहुत कम लोगों को रोजगार देते हैं, यह पांच-साढ़े पांच करोड़ जो छोटे काम करने वाले लोग हैं, वे करीब 14 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं, आप कल्पोना कर सकते हैं यानि 14 करोड़ परिवारों का पेट भरने का काम इनके द्वारा होता है। और उनकी Total संपदा जो है इतने सारे लोगों की बहुत ज्या दा नहीं है। कोई 11-12 लाख करोड़ रुपया है। और वो जो पैसा उनको चाहिए interest से, बाजार से - कोई बैंक वाला उनको पैसा नहीं देता है, व्याोपारी बड़े छोटे हैं। इन सबका average जो कर्ज है वो seventeen thousand rupees है, average अगर निकाली जाए तो seventeen thousand. उनको साहूकारों से पैसा लेना पड़ता है। उस प्रकार की कंपनियों के वहां जाना पड़ता है पैसा लेने के लिए कि जिसमें उनका खून चूस लिया जाता है। हम गरीबों की भलाई के लिए काम करने वाली सरकार होने के कारण हम एक मुद्रा बैंक का Concept इस बजट में लाए हैं और बजट में लाए इतना ही नहीं अभी तो बजट सत्र चल रहा है, वो मुद्रा बैंक का काम आरंभ हो गया। और उसके अंतर्गत ये जो साढ़े पांच करोड़ सामान्य लोग हैं, जिनको 5 हजार, 10 हजार रुपया भी मिल जाए तो बहुत तेजी से अपने काम को बढ़ा सकते हैं। उनको बैंक loan देने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान हमने चलाया है। उनको पैसे मिलने चाहिए, सरकार सामने से जाकर के पूछ रही है कि बताओ भाई तुम्हारे आगे बढ़ने की कोई योजना है क्या? गरीबों के लिए काम करना है, एक के बाद एक कैसे काम होते हैं।

उसी प्रकार से हमारे यहां, हम Corruption के खिलाफ भी बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं, एक ऐसी क्रांति ला रहे हैं जो इस प्रकार के Leakages को अपने आप ताले लग जाएंगे। हमारे यहां गैस सिलिंडर लेने वाले को सब्सिडी मिलती है। अमीर हो, गरीब हो सबको सब्सिडी मिलती है। हमने तय किया कि सब्सिडी Direct बैंक के खाते में जाएगी। जन-धन account खोल दिए, और उस बैंक के खाते में जिसके पास गैस सिलिंडर, Direct सब्सिडी जाएगी, ये दुनिया का सबसे बड़ा विक्रम है कि करीब 12 करोड़ से ज्यादा लोगों के खाते में भारत सरकार सीधी-सीधी गैस सिलिंडर की सब्सिडी देती है। और उसके कारण पहले किसी न किसी नाम से सब्सिडी जाती थी वो सारा बंद हो गया, पहले की तुलना में बहुत बड़ा फर्क आया है। आकंड़ा में बोलना नहीं चाहता हूं इसलिए क्योंकि मैं चाहता हूं कुछ खोज करने वाले लोग इसको खोजें, आप कल्पना नहीं कर सकते हैं अरबों-खरबों रुपयों का leakage था, अरबों-खरबों रुपयों का, जो हमने रोक दिया।

जन-धन account खुलते ही उसको follow-up में किस प्रकार से काम होता है, इसके ये उदाहरण है। और आज तीन नई योजनाएं हैं। हमारे देश, हम जब मुद्रा बैंक लाए तो हमने कहा था “Funding the Unfunded” जिनको Fund नहीं मिलता है, जिनके पैसे नहीं मिलते हैं, उनको Fund देंगे। जब हम जन-धन योजना लेकर के आए तो हमने कहा था, जिसको Banking की व्यवस्था नहीं है, उसको Banking की व्यवस्था, जिसका खाता नहीं, उसका खाता खोलेंगे और आज हम आए हैं कि जिसको सुरक्षा का कवच नहीं है, उसको हम सुरक्षा का कवच देंगे।

एक योजना है प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना - अभी फिल्म में हमने देखा, बड़ा चोट पहुंचाने वाला dialogue था कि 12 रुपए में कफन भी नहीं मिलता है। 12 रुपए में दो लाख रुपए की Insurance scheme हम लेकर के आए हैं, क्योंकि हम चाहते हैं कि देश के सामान्य व्यक्ति के जीवन में - क्योंकि संकट अमीर को नहीं आता है, संकट गरीब को आता है, फुटपाथ पर सोता है, बेचारे को मरना पड़ता है, साईकिल लेकर जाता है, मर जाता है, बच्चा स्कूल जाता है, बस के नीचे आता है, मरता है - उनकी सुरक्षा कौन करेगा? और इसलिए एक जागरुकता आए, भागीदारी बने और जैसे रविंद्रनाथ जी टेगौर ने हमें आदेश दिया है, गुरुदेव का आदेश है, उसको शक्ति दो - ये शक्ति देने का प्रयास है।

2 लाख रुपए का Insurance, अगर Injury हो गई, तो दो लाख रुपया भी मिल सकता है, एक लाख रुपया भी मिल सकता है। आप भी सोचिए, आपके यहां ड्राइवर होगा, आपके यहां झाड़ू-पोंछा करने वाले, कोई बाई काम करती होगी, खाना पकाने वाला कोई काम करता होगा। क्या आपको नहीं लगता है कि 12 रुपया खुद आपकी जेब से देकर के, उसको सुरक्षा का बीमा नहीं निकाल सकते आप? मैं इस देश के उन करोड़ों लोगों से आज प्रार्थना करना चाहता हूं कि आप अपनी जेब से, अपने यहां जो काम करने वाले लोग हैं, आपका ड्राइवर है, वो आपकी Society का lift man हो, गरीब लोग जिसके साथ आपका नेता, आपके मोहल्ले में झाडू लगाने आता है। आप उसे कहिए मेरे लिए 12 रुपये कुछ नहीं है। शाम को कभी कॉफी पीने जाता हूं तो 12 रुपये से ज्या दा खर्च करके आ जाता हूं। मैं तेरे लिए खर्च करूंगा। और अगर एक किस्तै बैंक में जमा कर दी और बैंक वालों को कह दिया कि ब्या ज उसका काटते रहिए, मुझे बताइये कि उसके जीवन को कितनी बड़ी सुरक्षा मिलेगी। और वो कभी आपको छोड़कर के जाएगा क्याउ? कभी नहीं जाएगा।

उसी प्रकार से प्रधानमंत्री जीवन ज्योोति बीमा योजना - पहले वाला जो 12 रुपये वाली स्की म में है Natural Calamity में भी अगर किसी के मृत्युन होती है तब भी उसको benefit मिलेगा। अगर आज ऐसी स्की म नेपाल में हुई होती, तो नेपाल में जो हादसा हुआ उसने परिवारजनों को सबको मदद मिल जाती। और Natural Calamity हमारे हाथ में नहीं होती है। उसी प्रकार से प्रधानमंत्री जीवन ज्योीति बीमा योजना 18 से 50 साल के उम्र के लोगों की है। आमतौर पर आपको मालूम है आप insurance निकालने जाए तो पता नहीं कितने डॉक्टेर आपको check करते हैं, कितना Medical checkup होता है - और वो तय करते हैं कि इनको दें या न दें। पता नहीं यह लुढ़क जाएगा तो। यह स्की म ऐसी है आपको सिर्फ form भरना है। अगर आप बीमार भी होंगे तो भी इसको बीमा मिल सकता है। पहली बार इस प्रकार की सोच के साथ हम आए हैं। गरीब से गरीब व्यीक्ति भी और per day एक रुपये से ज्यासदा नहीं है। 330 रुपये एक दिन का एक रुपया। अगर आप अपने ही employee को, even house wife भी अपना insurance निकाल सकती है। आप अपने छोटे-मोटे काम करने वाले अपने घर के साथ दुकान में काम करने वाले लोग, उनसे भी यह करवा सकते हैं। आप विचार कीजिए 330 रुपया एक व्यमक्ति के लिए साल में खर्च करना, न उनके लिए कोई कठिन है, न उनके लिए कोई करे तो भी कठिन नहीं है। लेकिन एक समाज को सुरक्षा देने का एक बहुत बड़ा काम हो सकता है।

तीसरी हमारी योजना आज जिसका हम प्रांरभ कर रहे हैं - अटल पेंशन योजना। आप देखिए कि हिंदुस्तापन में 10-15% लोगों को ही यह नसीब होता है पेंशन। बाकी सबके लिए बुढ़ापा कहां बिताएंगे चिंता का विषय है, कैसे बिताएंगे चिंता का विषय है। हमारे 60 साल से ऊपर के लोगों की जिंदगी कैसी हो? यह योजना ऐसी है जिसको वोट से लेना-देना नहीं है, क्योंीकि यह योजना का लाभ जब वो 60 साल का होगा, तब शुरू होगा। और अभी तो लगेगा हां यार योजना में जोड़ गया, लेकिन जब लाभ मिलना शुरू होगा न तब उसको रविंद्रनाथ टैगोर की याद आएगी, तब यह कोलकाता के कार्यक्रम की याद आएगी - और तब यह प्रसंग याद आएगा कि हां यार उस दिन यह हुआ था। अब बुढ़ापे में बच्चेद तो नहीं देख रहे, लेकिन यह मोदी जी कुछ करके गए थे यार, कुछ काम आ गया। सामान्यच रहते राजनेता उन योजनाओं को लाते हैं जिसके कारण अगले चुनाव में फायदा हो जाए। लेकिन मैं राजनेता नहीं हूं। मैं एक प्रधान सेवक के रूप में आया हूं। और इसलिए आज जो योजना लाया हूं उन नौजवानों के लिए हैं ताकि आप जब 60 साल के होंगे आपको कभी किसी के सहारे की जरूरत न पड़े। आपके भीतर की शक्ति हो, आपकी अपनी शक्ति हो। आप अपना गौरव के साथ बुढ़ापा भी बिता सको।

अगर आपकी आवश्य कता एक हजार रुपये की पेंशन की है तो उसकी स्की म है, दो हजार पेंशन चाहते हो तो उसकी स्कीयम है, तीन हजार पेंशन चाहते है तो उसकी स्की,म है, चार हजार चाहो तो उसकी स्की म है, पांच हजार चाहो तो उसकी स्कीचम है। और जून महीने से मई महीने तक उसका tenure है, उसमें जुड़ने का। बचत आपको करनी है, लेकिन यह पहली बार ऐसी पेंशन स्कीसम है कि सरकार उसमें गांरटी देती है और आपके पैसे कम पड़ गए तो पैसे भरने का जिम्मास सरकार लेती है। अगर आपको उसका रिटर्न कम मिलेगा तो उसकी जिम्मेावारी सरकार लेती है। और उसके कारण, सामान्य गृहणी भी ये अटल पेंशुं योजना के साथ जुड़ सकती है। किसान - कभी किसान ने सोचा है कि मेरे लिए पेंशन हो सकता है? इस योजना के साथ अगर आज 18 से 40 की उम्र का किसान का बेटा जुड़ा जाता है तो वो जब 60 साल का होगा, अपने आप उसका पेंशन आना शुरू हो जाएगी। एक सुरक्षा का माहौल बनेगा और उसी माहौल को बनाने के लिए सामान्य मानव के जीवन में... और खासकर के गरीब और निम्न, मध्यम वर्ग के लोग जो जीवन को एक संतोष के साथ जीना चाहते हैं, उनके लिए सरकार की योजनाएं होनी चाहिए।

और इसलिए वोट की राजनीति से हटकर के भी, समाज में अगर शक्ति पैदा करेंगे तो शक्तिशाली समाज स्वंय गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए एक बहुत बड़ी सेना बनकर के खड़ा हो सकता है। और हमारी कोशिश ये है, हमें गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ना है लेकिन उस लड़ाई लड़ने के लिए हमारे सिपाही, हम गरीबों को वो ताकत देना चाहते हैं, वो स्वंय इस गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए हमारे सिपाही बनेंगे।

और इसलिए गरीबों के कल्याण के लिए आज इन तीन योजनाओं का आरंभ हो रहा है। मुझे विश्वास है कि देश के गरीब 115 स्थान पर इस कार्यक्रम को जो सुन रहे हैं। आज कार्यक्रम का आरंभ हो रहा है विधिवत रूप से, लेकिन हमने जब प्रधानमंत्री जन-धन योजना शुरू की थी तो एक हफ्ते पहले ट्रायल शुरू किया था कि भई देखो कैसे मामला गाड़ी चलती है। और तब हमारा अनुभव था प्रथम सप्ताह में जब हमने काम किया शुरू, नया था, लोगों को समझाना था। लेकिन एक सप्ताह के अंदर हम करीब 1 करोड़ लोगों के बैंक खाते खोलने में सफल हुए थे। वो भी अपने आप में एक बहुत बड़ा record था। इस बार भी हमने 1 मई से Trail basis पर काम शुरू किया था। बहुत बड़ा announcement नहीं किया था, ऐसे ही शुरू किया था। और आज मुझे गर्व के साथ कहना है कि इस 1 मई से शुरू किया हमने, इस 7 दिन के भीतर-भीतर 5 करोड़, 5 लाख लोगों ने enrolment करा दिया है।

ये अपने आप में सरकार की बातों पर भरोसा कितना है, स्वंय की सुरक्षा के लिए सामान्य मानव जुड़ने के लिए कितना आतुर है और हमारे banking sector के लोग भी सरकार के इस काम को करने के लिए कितने उमंग और उत्साह के साथ जुड़ रहे हैं, इसका ये जीता-जागता उदाहरण है। और मैं पश्चिम बंगाल को भी बधाई देता हूं, ये 5 करोड़, 5 लाख में, 42 लाख पश्चिम बंगाल में भी है, 42 lakhs. आने वाले दिनों में... क्योंकि 1 जून से योजना विधिवत रूप से प्रारंभ होने वाली है। अधिकतम लोगों से मेरा आग्रह है कि 1 जून के पहले इस योजना का लाभ लेने के लिए अपने निकट बैंकों का संपर्क करके, वो जुड़ें। और अटल पेंशन योजना में सरकार की तरफ से जो special incentive दिया जा रहा है, जिसमें सरकार आपको गारंटी दे रही है, सरकार कुछ न कुछ धन दे रही है, ये 31 December तक है। मैं चाहता हूं कि 31 December तक अटल पेंशन योजना में जो भारत सरकार का आपको योगदान मिल रहा है उसका फायदा उठाइए, जून महीने से कार्यक्रम प्रारंभ हो रहा है लेकिन इस बार हमने 30 अगस्त तक उसको लंबा किया है। तो मैं चाहूंगा कि 30 अगस्त के पहले इन तीन योजनाओं में सर्वाधिक लोग जुड़ें।

मुझे विश्वास है कि एक ऐसी सुरक्षा की व्यवस्था हम लेकर के आए हैं जो मूलतः गरीबों के लिए है, सामान्य मानव के लिए है और जो संपन्न लोग हैं, वे भी अपने यहां काम करने वाले लोगों के लिए इस काम में जुड़कर के अपने यहां काम करने वाले और कुछ तो परिवार ऐसे होते हैं दो-दो पीढ़ी तक एक परिवार उनके यहां काम करता है। ड्राइवर होंगे तो तीन पीढ़ी से ड्राइवर उनके यहीं काम करने वाले होंगे, एक प्रकार से वो परिवार के अंग बन जाते हैं। सरकार की ये योजना आपके माध्यम से गरीब की सेवा का एक कारण बन सकता है, आपके जीवन में भी संतोष का कारण बन सकता है। और आखिरकर ये धरती ऐसी है स्वामी विवेकानंद ने हमें दरिद्र नारायण की सेवा करने की प्रेरणा दी थी। ये धरती ऐसी है जहां से रामकिशन मिशन के द्वारा आज भी गरीबों के कितने सेवा के काम हो रहे हैं। हम भी उस संकल्प को लेकर के आगे बढ़ें, इस व्यवस्था का फायदा उठाएं, जन-धन की योजना को जन-कल्याण में परिवर्तित करें। इसी एक अपेक्षा के साथ मैं आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्यवाद।

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'विकसित भारत' के संकल्प की पूर्ति में टेक्सटाइल सेक्टर का अहम योगदान: 'भारत टेक्स' में पीएम
February 16, 2025
Quoteभारत टेक्स दुनिया भर के नीति निर्माताओं, सीईओ और उद्योग जगत के नेताओं के लिए व्‍यवसाय, सहयोग और साझेदारी का एक मजबूत मंच बन रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत टेक्स हमारे पारंपरिक परिधानों के माध्यम से भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करता है: प्रधानमंत्री
Quoteपिछले साल भारत ने कपड़ा और परिधान निर्यात में 7 प्रतिशत की वृद्धि देखी, और वर्तमान में यह दुनिया में कपड़ा और परिधानों का छठा सबसे बड़ा निर्यातक है: प्रधानमंत्री
Quoteकोई भी क्षेत्र उत्‍कृष्‍टता तभी हासिल करता है जब उसके पास कुशल कार्यबल हो और कपड़ा उद्योग में कौशल की महत्वपूर्ण भूमिका है: प्रधानमंत्री
Quoteप्रौद्योगिकी के युग में हथकरघा कारीगरों की प्रामाणिकता बनाए रखना महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री
Quoteदुनिया पर्यावरण और सशक्तिकरण के लिए फैशन की दूरदर्शिता को अपना रही है, और भारत इस संबंध में अग्रणी भूमिका निभा सकता है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत का कपड़ा उद्योग ‘फास्ट फैशन वेस्ट’ को अवसर में बदल सकता है, कपड़ा रीसाइक्लिंग और अप-साइक्लिंग में देश के विविध पारंपरिक कौशल का लाभ उठा सकता है: प्रधानमंत्री

कैबिनेट में मेरे सहयोगी श्रीमान गिरिराज सिंह जी, पबित्रा मार्गरिटा जी, विभिन्न देशों के राजदूत, वरिष्ठ राजनयिक, केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारी, फैशन और टेक्सटाइल्स वर्ल्ड के सभी दिग्गज, entrepreneurs, छात्र-छात्राएं, मेरे बुनकर और कारीगर साथी, देवियों और सज्जनों।

आज भारत मंडपम्, Bharat Tex के दूसरे आयोजन का साक्षी बन रहा है। इसमें हमारी परम्पराओं के साथ ही विकसित भारत की संभावनाओं के दर्शन भी हो रहे हैं। ये देश के लिए संतोष की बात है कि हमने जो बीज रोपा है, आज वो वट वृक्ष बनने की राह पर तेज गति से बढ़ रहा है। Bharat Tex अब एक मेगा ग्लोबल टेक्सटाइल्स इवेंट बन रहा है। इस बार वैल्यू चेन का पूरा spectrum, इससे जुड़े 12 समूह एक साथ यहाँ हिस्सा ले रहे हैं। Accessories, garment, machinery, chemicals और dyes का भी प्रदर्शन किया गया है। Bharat Tex, दुनियाभर के पॉलिसी मेकर्स, सीईओ, और इंडस्ट्री लीडर्स के लिए engagement, collaboration और partnership का एक बहुत ही मजबूत मंच बन रहा है। इस आयोजन के लिए सभी stakeholders का प्रयास बहुत सराहनीय है, मैं इसके काम में जुटे हुए सब लोगों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

आज Bharat Tex में 120 से ज्यादा देश हिस्सा ले रहे हैं, जैसा गिरिराज जी ने बताया 126 countries, यानि यहां आने वाले हर entrepreneurs को 120 देशों का exposure मिल रहा है। उन्हें अपने बिज़नेस को लोकल से ग्लोबल बनाने का अवसर मिल रहा है। जो entrepreneurs नए बाजारों की तलाश में हैं, उन्हें यहां विभिन्न देशों की cultural needs की जानकारी मिल रही है। थोड़ी देर पहले मैं प्रदर्शनी में लगे स्टॉल्स को देख रहा था, ज्यादा तो नहीं देख पाया, अगर पूरा देखता तो शायद मुझे दो दिन लगते और इतना समय तो आप मुझे परमिट भी नहीं करेंगे। लेकिन जितना समय में निकाल सका, इस दौरान मैंने इन स्टॉल्स के कई representatives से भी बहुत सारी बातें की, चीजों को समझने का मैंने प्रयास किया। कई साथी बता रहे थे कि पिछले साल Bharat Tex से जुड़ने के बाद उन्हें बड़े स्केल पर नए buyers मिले, उनके बिजनेस का विस्तार हुआ। और मैं तो देख रहा था एक बड़ी, यानी मधुर कंप्लेंट मेरे सामने आई, उन्होंने कहा कि साहब डिमांड इतनी है कि हम पहुंच नहीं पाते हैं। और कुछ साथियों ने मुझे कहा कि साहब एक फैक्ट्री लगानी है तो एवरेज हमें 70-75 करोड़ रुपया खर्च लगता है और 2000 लोगों को काम देते हैं। मैं बैंकिंग क्षेत्र के लोगों को सबसे पहले कहूंगा कि इन सबकी क्या मांग है, प्रायोरिटी समझो और दो।

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साथियों,

इस आयोजन से टेक्सटाइल सेक्टर में investments, exports और overall growth को जबरदस्त बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

भारत टेक्स के इस आयोजन में हमारे परिधानों के जरिए भारत की सांस्कृतिक विविधता के भी दर्शन होते हैं। पूरब से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण, हमारे यहाँ कितने तरह के पारंपरिक परिधान हैं, एक-एक परिधान के कितने-कितने प्रकार हैं। लखनवी चिकन, राजस्थान और गुजरात की बांधनी, गुजरात का पटोला और मेरी काशी का बनारसी सिल्क, दक्षिण में कांजीवरम सिल्क, जम्मू कश्मीर का पश्मीना, ये सही समय है, ऐसे आयोजनों के जरिए हमारी ये विविधता और विशेषता वस्त्र उद्योग के विस्तार का भी माध्यम बने।

साथियों,

पिछले साल मैंने टेक्सटाइल इंडस्ट्री में farm, fiber, fabric, fashion और foreign, इन five ‘F’ factors की बात की थी। Farm, Fiber, Fabric, Fashion और Foreign का ये विज़न अब भारत के लिए एक मिशन बनता जा रहा है। ये मिशन किसान, बुनकर, डिज़ाइनर और व्यापारी, हर किसी के लिए ग्रोथ के नए रास्ते खोल रहा है। पिछले वर्ष भारत के textile और apparel exports में 7 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। अब आप 7 परसेंट में ताली बजाओगे तो मेरा होगा क्या, अगली बार 17 परसेंट हो तो फिर ताली हो जाए। आज हम दुनिया के छठे सबसे बड़े textiles और apparels exporter हैं। हमारा टेक्सटाइल निर्यात 3 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच चुका है। अब हमारा लक्ष्य है- 2030 तक हम इसे 9 lakh crore रुपए तक लेकर जाएंगे। मैं भले बोलता यहां हूं ये 2030 की बात, लेकिन आज जो मैंने वहां जो मिजाज देखा है, तो मुझे लगता है कि शायद आप ये मेरा आंकड़ा गलत सिद्ध कर देंगे, और 2030 के पहले ही काम पूरा कर देंगे।

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साथियों,

इस सफलता के पीछे पूरे एक दशक की मेहनत है, एक दशक की consistent पॉलिसी हैं। इसीलिए, पिछले एक दशक में हमारे टेक्सटाइल सेक्टर में विदेशी निवेश दोगुना हुआ है। और आज मुझे कुछ साथी बता रहे थे कि साहब बहुत सारी विदेशी कंपनियां भारत में इन्वेस्टमेंट करने के लिए आना चाहती है, तो मैंने उनसे कहा कि देखिए आप हमारे सबसे बड़े एंबेसडर है, जब आप कहेंगे तो कोई भी बात मान लेगा, सरकार कहेगी तो जांच करने जाएगा, ये सही है, गलत है, ठीक है, नहीं है, लेकिन अगर उसी फील्ड का व्यापारी जब कहता है तो मान लेता है कि हां यार मौका है, चलो।

साथियों,

आप सब जानते हैं, टेक्सटाइल देश में सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर देने वाली इंडस्ट्रीज़ में से एक महत्वपूर्ण इंडस्ट्री है। भारत की मैन्युफैक्चरिंग में ये सेक्टर 11 परसेंट का योगदान दे रहा है। और इस बार आपने बजट में देखा होगा, हमने मिशन मैन्युफैक्चरिंग पर बल दिया है, उसमें आप सब भी आ जाते हैं। इसलिए, जब इस सेक्टर में निवेश आ रहा है, ग्रोथ हो रही है, तो उसका फायदा करोड़ों textile workers को मिल रहा है।

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साथियों,

भारत के टेक्सटाइल सेक्टर की समस्याओं का समाधान, और संभावनाओं का सृजन, ये हमारा संकल्प है। इसके लिए हम दूरदर्शी और long term ideas पर काम कर रहे हैं। हमारे इन प्रयासों की झलक इस बार के बजट में भी दिखती है। हमारे देश में कॉटन सप्लाइ reliable बने, भारतीय कॉटन globally competitive बने, इसके लिए हमारी वैल्यू चेन मजबूत हो, इंडस्ट्री की ऐसी सभी जरूरतों को ध्यान में रखते हुये हमने Mission for Cotton Productivity का एक ऐलान किया है। हमारा फोकस technical textile जैसे सन-राइज़ सेक्टर्स पर भी है। और मुझे याद है, मैं जब गुजरात में था, मुख्यमंत्री के नाते मुझे सेवा करने का अवसर मिला था, तो आपके टेक्सटाइल वालों से मेरा मिलना-जुलना होता था, और उस समय जब मैं उनको टेक्निकल टैक्सटाइल की बातें करता था, तो वो मुझे पूछते थे, आप क्या चाहते हैं, आज मुझे खुशी है कि भारत इसमें अपनी पहचान बना रहा है। हम स्वदेशी कार्बन फाइबर और उससे बने उत्पादों को बढ़ावा दे रहे हैं। भारत high-grade carbon fibre बनाने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। इन प्रयासों के साथ ही, टेक्सटाइल सेक्टर के लिए जो नीतिगत फैसले चाहिए, हम वो भी ले रहे हैं। जैसे कि, इस साल के बजट में MSMEs के classification criteria में बदलाव करके इसका विस्तार किया गया है। साथ ही credit availability बढ़ाई गई है। हमारा टेक्सटाइल सेक्टर, जिसमें 80 परसेंट योगदान हमारे MSMEs का ही है, उसको इसका बहुत बड़ा लाभ मिलने वाला है।

साथियों,

कोई भी सेक्टर एक्सेल तब करता है, जब उसके लिए skilled workforce उपलब्ध हो। वस्त्र उद्योग में तो सबसे बड़ा रोल ही स्किल यानी हुनर का होता है। इसीलिए, हम टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए skilled talent pool बनाने के लिए भी काम कर रहे हैं। हमारे National Centres of Excellence for Skilling इस दिशा में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। वैल्यू चेन के लिए जो स्किल्स चाहिए, उसमें हमें समर्थ योजना से मदद मिल रही है। और मैं आज समर्थ से trained हुई कई बहनों के साथ बात कर रहा था, और उन्होंने जो 5 साल, 7 साल, 10 साल में जो प्रगति की है, यानी गर्व से मन भर गया मेरा सुनकर के। हमारी ये भी कोशिश है कि टेक्नोलॉजी के इस दौर में hand-loom की authenticity को, हाथ के कौशल को भी उतना ही महत्व मिले। हथकरघा कारीगरों का हुनर दुनिया के बाज़ारों तक पहुंचे, उनकी क्षमता बढ़े, उन्हें नए अवसर मिलें। हम इस दिशा में भी काम कर रहे हैं। पिछले 10 वर्षों में हैंडलूम्स को बढ़ावा देने के लिए 2400 से ज्यादा बड़े मार्केटिंग इवेंट्स का आयोजन किया गया, 2400 से ज्यादा। हैंडलूम प्रोडक्ट्स की ऑनलाइन मार्केटिंग को बढ़ावा देने के लिए India-hand-made नाम से ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म भी बनाया गया है। इस पर हजारों हैंडलूम ब्रांड रजिस्टर भी कर चुके हैं। हैंडलूम प्रोडक्ट्स की GI tagging इसका भी बहुत बड़ा लाभ इन ब्रांड्स को हो रहा है।

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साथियों,

पिछले वर्ष Bharat Tex के आयोजन के दौरान Textiles Startup Grand Challenge को लॉन्च किया गया था। उसमें युवाओं से टेक्सटाइल सेक्टर के लिए innovative sustainable solutions मांगे गए थे। इस चैलेंज में देशभर के युवाओं ने बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया। इस चैलेंज के विजेता युवाओं को यहाँ invite भी किया गया है। वो यहां हमारे बीच में बैठे भी हैं। आज यहां ऐसे स्टार्ट-अप्स को भी बुलाया गया है, जो इन युवाओं को आगे बढ़ाना चाहेंगे। ऐसे pitch fest को IIT Madras, अटल इनोवेशन मिशन और कई बड़े private textile organizations का सपोर्ट मिल रहा है। इससे देश में स्टार्ट-अप कल्चर को बढ़ावा मिलेगा।

मैं चाहूँगा, हमारे युवा नए techno-textile स्टार्ट-अप्स लेकर आयें, नए ideas पर काम करें। एक सुझाव हमारी इंडस्ट्री को भी है। हमारी टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी IIT जैसे इंस्टीट्यूट्स के साथ नए टूल्स develop करने के लिए collaborate कर सकती है। आजकल हम सोशल मीडिया और ट्रेंड्स में देख रहे हैं, नई पीढ़ी अब आधुनिकता के साथ-साथ पारंपरिक परिधानों को भी पसंद कर रही है। इसलिए, आज tradition और innovation के fusion का महत्व भी काफी बढ़ गया है। हमें ऐसे पारंपरिक परिधानों से inspired ऐसे products लॉन्च करने चाहिए, जो न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में नई पीढ़ी को आकर्षित करें। एक और अहम विषय टेक्नोलॉजी की बढ़ती भूमिका का भी है। नए ट्रेंड्स discover करने में, नए styles create करने में अब AI जैसी technology की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। अभी जब मैं निफ्ट के स्टॉल पर गया तो वो मुझे बता रहे थे कि हम AI के माध्यम से 2026 का ट्रेंड क्या होगा, हम उसको अब प्रमोट कर रहे हैं। वरना पहले दुनिया के और देश ही हमें कहते थे काला पहनो, हम पहन लेते थे, अब हम दुनिया को कहेंगे, क्या पहनना है। इसीलिए, आज एक ओर पारंपरिक खादी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, साथ ही AI के जरिए फैशन के ट्रेंड्स को भी analyze किया जा रहा है।

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मुझे याद है, मैं जब नया-नया मुख्यमंत्री बना था, तो गांधी जयंती पर शायद 2003 होगा, मैंने पोरबंदर में, गांधी जी का जहां जन्म स्थान है, वहां फैशन शो ऑर्गेनाइज किया था और खादी का फैशन शो। और निफ्ट के स्टूडेंट्स और हमारे एनआईडी के स्टूडेंट्स मिलकर के उस काम को आगे बढ़ाया था। और वैष्णव भजन तो तेरे रे कहिए, वो बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ वो फैशन शो हुआ था। और उस समय विनोबा जी के कुछ अनन्य साथी जो थे, उनको मैंने इनवाइट किया था, तो वो मेरे साथ बैठे थे क्योंकि फैशन शो भरके शब्द ऐसे हैं कि पुरानी पीढ़ी के लोगों को जरा कान खड़े हो जाते हैं कि ये क्या सब तूफान चल रहा है। लेकिन मैंने उनसे बड़ा आग्रह किया, उनको मैंने बुलाया, वो आए और बाद में उन्होंने मुझे कहा कि खादी को अगर हमें पॉपुलर करना है, तो यही रास्ता है। और मैं बताता हूं आज खादी जिस प्रकार से प्रगति कर रही है और दुनिया के लोगों का आकर्षण का कारण बन रही है, हमने इसको और बढ़ावा देना चाहिए। और पहले जब आजादी का आंदोलन चला, तब खादी फोर नेशन था, अब खादी फोर फैशन होना चाहिए।

साथियों,

कुछ दिनों पहले, जैसे अभी एनाउंसर बता रहे थे, मैं विदेश दौरे पर से ही आया हूं, मैं पेरिस में था, और पेरिस को Fashion capital of world कहा जाता है। इस यात्रा के दौरान विभिन्न मुद्दों पर दोनों देशों के बीच अहम साझेदारी हुई। हमारी चर्चा के मुख्य बिंदुओं में environment और climate change का विषय भी शामिल रहा। आज पूरी दुनिया sustainable lifestyle के महत्व को समझ रही है। Fashion world भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। आज दुनिया Fashion for Environment और Fashion for Empowerment के लिए इस विजन को अपना रही है। इस संबंध में भारत दुनिया को रास्ता दिखा रहा है। Sustainability हमेशा से भारतीय टेक्सटाइल्स की परंपरा का अभिन्न हिस्सा रही है। हमारी खादी, tribal textiles, natural dyes का उपयोग, ये सभी सस्टेनेबल लाइफ स्टाइल के ही उदाहरण हैं। अब भारत की पारंपरिक sustainable techniques को cutting-edge technologies का साथ मिल रहा है। इससे इंडस्ट्री से जुड़े कारीगरों, बुनकरों और करोड़ों महिलाओं को सीधा-सीधा लाभ हो रहा है।

साथियों,

मैं समझता हूं, संसाधनों का पूरा उपयोग और कम से कम waste generation, टेक्सटाइल इंडस्ट्री की पहचान बननी चाहिए। आज दुनिया में करोड़ों कपड़े हर महीने इस्तेमाल से बाहर हो जाते हैं। इनमें बहुत बड़ा हिस्सा ‘फ़ास्ट फ़ैशन वेस्ट’ का होता है। यानी, वो कपड़े जिन्हें फ़ैशन या ट्रेंड चेंज होने के कारण लोग पहनना छोड़ देते हैं। इन कपड़ों को दुनिया के कई हिस्सों में डंप किया जाता है। इससे environment और ecology के लिए भी बड़ा खतरा पैदा हो रहा है।

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एक आंकलन के मुताबिक, 2030 तक फ़ैशन वेस्ट 148 मिलियन टन तक पहुँच जाएगा। आज टेक्सटाइल वेस्ट का एक चौथाई हिस्सा भी recycle नहीं हो रहा है। हमारी टेक्सटाइल इंडस्ट्री इस चिंता को अवसर में बदल सकती है। आपमें से अनेक साथी जानते हैं, हमारे भारत में textile recycling, और ख़ासकर, up-cycling का बहुत diverse traditional skill मौजूद है। जैसे कि, हमारे यहाँ पुराने या बचे हुये कपड़ों से दरियां बनाई जाती हैं। बुनकर लोग, और यहाँ तक कि घर की महिलाएं भी ऐसे कपड़ों से कितने तरह के mats, rugs और coverings बनाती हैं। महाराष्ट्र में पुराने, और यहाँ तक कि फटे कपड़ों तक से अच्छे-अच्छे गोधडी बनाए जाते हैं। हम इन पारंपरिक आर्ट्स में नए इनोवेशन करके इन्हें ग्लोबल मार्केट तक पहुंचा सकते हैं। टेक्सटाइल मिनिस्ट्री ने up-cycling को प्रमोट करने के लिए Standing Conference of Public Enterprises और e-Marketplace के साथ MoU भी साइन किया है। देश के कई up-cyclers ने इसमें रजिस्टर भी किया है। नवी मुंबई और बैंग्लोर जैसे शहरों में टेक्सटाइल वेस्ट के door to door कलेक्शन के लिए पायलट प्रोजेक्ट्स भी चलाये जा रहे हैं। मैं चाहूँगा, हमारे स्टार्ट-अप्स इन प्रयासों से जुड़ें, इन अवसरों को explore करें, और early steps लेकर इतने बड़े ग्लोबल मार्केट में lead लें। अगले कुछ वर्षों में भारत की textile recycling market 400 million डॉलर तक पहुँचने की संभावना है। जबकि, ग्लोबल recycled textile market करीब साढ़े 7 बिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। अगर हम सही दिशा में आगे बढ़ें, तो भारत इसमें और बड़ा शेयर हासिल कर सकता है।

साथियों,

सैकड़ों वर्ष पहले जब भारत समृद्धि के शिखर पर था, हमारी उस समृद्धि में टेक्सटाइल इंडस्ट्री की बहुत बड़ी भूमिका थी। आज जब हम विकसित भारत का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं, तो एक बार फिर टेक्सटाइल सेक्टर का इसमें बहुत बड़ा योगदान होने वाला है। Bharat Tex जैसे आयोजन इस सेक्टर में भारत की स्थिति को मजबूत बना रहे हैं। मुझे विश्वास है, ये आयोजन इसी तरह हर वर्ष सफलता के नए कीर्तिमान गढ़ेगा, नई ऊंचाइयों को छुएगा। मैं एक बार फिर इस आयोजन के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।