योग ने मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य स्थापित किया है। यह स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण है: प्रधानमंत्री
योग मानवता के लिए एक सौहार्दपूर्ण भविष्य का एक सपना है: प्रधानमंत्री मोदी
एक स्वस्थ शरीर और अनुशासित मन भयमुक्त संसार का आधार है: प्रधानमंत्री

आज यहां उपस्थित और दुनिया भर में योग के प्रशंसक साथियों, 

आज हम पहला अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस मना रहे हैंा जब मैंने 27 सितंबर, 2014 को संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में भाषण के दौरान वैश्विक समुदाय से अनुरोध किया था कि अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस मनाया जाए। उसके बाद जो उत्‍साह देखा गया वैसा मैंने बहुत कम देखा है।

देशों के समुदाय ने एकजुट होकर जवाब दिया। 11 दिसंबर, 2014 को 193 सदस्‍यों की संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने रिकॉर्ड 177 समर्थक देशों के साथ आमसहमति से इस प्रस्‍ताव का अनुमोदन कर दिया। वैसे UN के इतिहास में अपने आप में एक बहुत बड़ी घटना है। 
आज जब मैं यहां अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस पर खड़ा हूं तो दुनिया भर में योग दिवस मनाया जा रहा है। 
दुनिया भर में लाखों लोग इस आयोजन में भाग ले रहे हैं। सुदूर पूर्व में सूर्योदय से लेकर पश्चिम में सूर्यास्‍त तक लोग आज इस भव्‍य योग दिवस का आयोजन करेंगे।

भारत में, आज सुबह राजपथ पर, राज्‍यों में और जिला मुख्‍यालयों, समुदाय समूहों में और अपने घरों में भी लाखों लोगों ने सरल योगासन किए। योग दिवस पर अन्‍य देशों के हमारे भाइयों-बहनों में यह एकता की भावना हमारे दिलों और दिमागों को करीब लाई है। मुझे यहां इस अवसर पर स्‍मारक सिक्‍का और डाक टिकट जारी करते हुए बहुत खुशी हो रही है।

मैं समर्थन के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय समुदाय का आभारी हूं। मैं पूरी विनम्रता से स्‍वीकार करता हूं कि यह समर्थन सिर्फ भारत के लिए ही नहीं है। यह समर्थन योग की महान परंपरा के लिए है। वह परंपरा जो व्‍यक्तियों और समाजों को आत्‍मएकता और एक दूसरे के साथ एकता की भावना की खोज करने में मदद करती है।

कहा जाता है कि योग जीवन का कायाकल्‍प करता है । जो लोग योगा से परिचित है उन्‍हें पता है कि योगा एक प्रकार से अगर हममें से कोई ऐसा नहीं होगा दुनिया में कोई इंसान ऐसा नहीं होगा जो ये न चाहता हो कि वो जीवन को जी-भर जीना चाहता है। हर कोई जीवन को जी-भरके जीना चाहता है और मैं विश्‍वास से कहता हूं कि योग ये जीवन को जी-भरके जीने की जड़ी-बूटी है। 

योग से पूरा फायदा उठाने के लिए, योग को सम्‍पूर्णता से समझने के लिए हमे समझना चाहिए कि योगी कौन है।

योगी वह व्‍यक्ति है जो सामंजस्‍य के साथ अपने आप में, अपने शरीर और अपने आसापास प्रकृति के साथ रहता है। योग का मतलब यही समांजस्‍य हासिल करना है।

उपनिषदों में योग का मतलब है शरीर के नियंत्रण के जरिए और स्थिर अभ्‍यास के जरिए भावना पर नियंत्रण के माध्‍यम से मानव चेतना का कायाकल्‍प। शरीर उस सर्वोच्‍च अवस्‍था को साक्षात बनाने का माध्‍यम है।

भगवद गीता दुनिया का गीत है जो योगशास्‍त्र को परिभाषित करती है। योगशास्त्र . गीता कहती है,  “योग कर्मेषु कौशलम्” – अर्थात योग कार्य की उत्‍कृष्‍टता है। समर्पण और निस्‍वार्थ कर्म ही योग है।

गीता यह भी कहती है  “योगस्य तथा कुरू कर्माणी” – योगी के विवेक से कर्म। 

इसलिए योग मानवता के लिए साकल्‍यवादी भविष्‍य के लिए दृष्टिकोण है। यह एक “अवस्था” है। जो दिमाग की अवस्‍था है, एक  “व्यवस्था”. कई लोगों को योग एक व्यवस्था के रूप में दिखता है, योग एक अवस्था है, योग कोई संस्था नहीं है। योग य़ह आस्था है और जब तक हम उसे उस रूप में नही पाते, जब तक हम उसे टुकड़ो में देखते हैं उसकी पूर्णता को पहचान नहीं पाते। 

योग के बहुत से लाभ हैं। जो सही ढंग से अनुशासन के साथ योग करते हैं। योग उन्‍हें -

हमारे शरीर की ताकत, कौशल और सामन्‍य भलाई, शांतिपूर्ण एवं तनावमुक्‍त जीवन की ओर ले  जाता है। कभी- कभार योगा की शक्ति को पहचानने में भी हम वैसी ही गलती कर देते हैं, जैसी हम अपने आप को पहचानने में करते हैं। जिस व्यक्ति ने वृक्ष नही देखा है, बीज से वृक्ष बनता है उसका ज्ञान नही है और उसे कोई बीज बता दे कि देखो कि इसमें ये व्‍यक्तिगत है कि इतना महान वृक्ष बन सकता है, तो वो विश्वास नही करेगा वो सैंकड़ो सवाल पूछेगा । लेकिन उसी छोटे से बीज का अगर उचित लालन-पालन हो खान-पान हो, ऊर्जा हो, पानी हो, प्रकृति का साथ हो तो वही बीज वटवृक्ष में रूपांतरित  हो जाता है| मनुष्य के भीतर भी परमात्मा ने सभी शक्तियां दी हुई है। मुझे दिया है और आपको नही दिया है, ऐसा नही है | मानव मात्र को यह सामर्थय दिया हुआ है लेकिन जो उसके लालन-पालन की कला जानता है, जो उसे विकसित करने का अवसर प्राप्त करता है, जो व्यव्स्था के तहत, आस्था के तहत, practice के तहत धीरे-धीरे विकसित करता है तो वो भी उत्कृष्ट जीवन की उंचाईयों को प्राप्त कर सकता है और परमात्मा ने जीव मात्र मे जहां है वहां से ऊपर उठने की सहज इच्छाशक्ति दी है और योग उस परिस्थिति को पैदा करने का एक माध्यम है और इसलिए जिसको ज्ञान नही है, अनुभव नही है उसको शक होता है कि क्या योगा से संभव हो सकता है लेकिन जिसने बीज से बने वृक्ष की कथा को समझा है, उसके लिए यह संभव है। यदि बीज वटवृक्ष में परिवर्तित हो सकता है तो नर भी नारायण की स्थिति प्राप्त कर सकता है। अहम् बर्ह्मास्मि। रामदेव जी कह रहे थे अहम् बर्ह्मास्मि। जल, चेतन सबकुछ को अपने में समाहित करने का सामर्थय तब प्राप्त होता है जब स्वयं का विस्तार करते हैं। योगा एक प्रकार से स्व से समस्ति की यात्रा है। योगा एक प्रकार से अहम् से व्यम की ओर जाने का मार्ग है और इसलिए जो अहम् से व्यम की ओर जाना चाहता है जो स्व से समस्ति की ओर जाना चाहता है, जो प्रकृति के साथ जीना सीखना चाहता है, योग उसको अंगुली पकड़ के ले जाता है, चलना तो उसको ही पड़ता है और उस अर्थ में इसके सामर्थय को अगर जानें। और आज खुशी की बात है, जब हमने 20वीं शताब्दी की समाप्ति से 21वीं शताब्दी में प्रवेश किया। उस पल को याद कीजिए। पूरे विश्व में सूरज की किरणें जहां जहां जाती थी, आनंद उत्सव बनाया था। जब सदी  बदली थी वो पल कैसा था आज दुबारा वो पल विश्व अनुभव कर रहा है। जहां- जहां सूरज की किरणे जा रहीं हैं। योग को अभिषिक्त करती जा रही है। पूर्व से पश्चिमी छोर तक ये यात्रा चल रही है। ये वैसा ही अवसर पैदा हुआ है जैसा 20वीं शताब्दी की समाप्ति से 21वीं शताब्दी में प्रवेश का पल था और विश्व ने जो अनुभूति की थी वो विश्व आज योगा के लिए कर रहा है। हर भारतीय के लिए, हर योगा प्रेमी के लिए, विश्व के हर कोने में बैठे व्यक्ति के लिए इससे बड़ा कोई गौरव नहीं हो सकता और उस गौरवगान में जब हम आगे बढ़ रहे हैं तब प्राण पर नियंत्रण स्‍वास्‍थ्‍य, लंबे और रोग मुक्‍त जीवन की ओर ले जाता है और जीवन की पूर्ण क्षमता हासिल कराता है।
इसलिए योग बदलती दुनिया का प्रतीक है। अतीत में योग को चुनिंदा संतों से संरक्षित रखा। आज यह पतंजलि के शब्‍दों में सबके लिए उपलब्‍ध है जो सार्वभौम है।

आप कल्पना कर सकते है कि श्री अरबिंदो के ज़माने में ये कहीं नज़र नहीं आता था कि योग जन सामान्य का विषय बनेगा, बहुत ही सीमित दायरे में था लेकिन योगी अरविन्द के दृष्टि थी और उन्होंने ये तब देखा था कि वो वक्त आएगा जब योग जनसामान्य के जीवन का हिस्सा बनेगा. वो कुछ परम्पराओं में या संतों तक सीमित नहीं रहेगा , वो जन जन तक पहुंचेगा . आज से करीब 75 साल पहले श्री अरविन्द ने जो देखा था वो आज हम अनुभव कर रहे हैं . और यही तो ऋषि मुनियों के सामर्थ्य का परिचायक होता है और ये ताकत आती है योग के समर्पण से , योग कि अनुभूति से और योगमय जीवन से आती है.

इस दिन मैं भारत की भावना की, हमारे लोगों की सामूहिक ऊर्जा के साथ अधिक बराबरी वाले संसार के सृजन की प्रतिज्ञा करता हूं ऐसा संसार जहां भय न हो और शांति हो। हम वसुधैव कुटुम्बकम की परिकल्‍पना को साकार करेंगे।

मैं सबके स्‍वास्‍थ्‍य और शांति - शांति पथ की कामना के साथ अपनी बात समाप्‍त करूंगा।

सर्वे भवंतु सुखिन्

सर्वे संतु निरामया

सर्वे भद्राणि पस्‍यंतु

मा कस्चित दुख भागभवेत

सब खुश रहें

सब निरोग रहें

सब शुभ देखें

कोई पीड़ा न झेले

आप सब को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर बहुत-बहुत शुभकामनायें देता हूँ और ये दो दिवसीय सेमिनार... विश्‍व की हमसे अपेक्षाएं बहुत बढ़ जाएगी। अब यह हमारा दायित्‍व बनता है कि विश्‍व की अपेक्षाओं के अनुकूल योग के सही रूप को और समयानुकूल स्थिति में, हम जगत तक कैसे पहुंचाएं? दुनिया समझे उन शब्‍दों में, हम इसे कैसे पहुंचाएं? 

मैं कभी-कभी कहता हूं कि अच्‍छे-से-अच्‍छे मोबाइल फोन  की ब्रैंड हो लेकिन बहुत कम लोग होते हैं जिनको उसके यूजर-मैन्‍युअल  का अता-पता होता है। ज्‍यादातर तो लाल और हरे बटन  से ही उसका संबंध रहता है टेलीफोन कट  करना और टेलीफोन ऑन  करना और जिसको उसका ज्ञान होता है यूजर-मैन्‍युअल  का उस छोटी सी चीज से अपनी हथेली में सारी दुनिया को अपने हाथ में कर लेता है। परमात्‍मा ने हमें भी जो साफ्टवेयर  दिया है न हमें उसके यूजर-मैन्‍युअल  का पूरा पता ही नहीं है। हमें भी मालूम नहीं है कि परमात्‍मा ने हमें क्‍या-क्‍या दिया है? अगर हम योगा के माध्‍यम से उस यूजर-मैन्‍युअल  को पढ़ना सीख लें तो फिर उपयोग करना धीरे-धीरे आ ही जाएगा। 

मैं कभी-कभी सोचता हूं मेरी लिखाई तो अच्‍छी नहीं है लेकिन आपने देखा होगा कि एक शिक्षक जो कि अच्‍छी लिखाई  के प्रति बड़े आग्रही हैं। कक्षा में अपने विद्यार्थी को सिखाते हैं लेकिन कुछ बच्‍चे होते है जिनकी लिखाई  बहुत अच्‍छी तरह सुधरने लग जाती है और कुछ लोग होते है पेन  वैसे ही पकड़ते हैं बेहतरीन गुणता  का पेन भी होता है कागज भी बढि़या से बढि़या होता है शिक्षक  भी भरपूर मेहनत करता है वो भी ऐसे ही हाथ घुमाता है लेकिन लिखाई  अच्‍छे नहीं आती फर्क किया है जिसके लिखाई  उत्‍तरोत्‍तर ठीक होने लगती है और एक अवस्‍था ऐसी आ जाती है कि वो कितनी ही भीड़-भाड़ में क्‍यों न हो, कितनी ही जल्‍दी में क्‍यों न हो बुढ़ापे की ओर चल दिया हो, हाथ थोड़ा कांपने लगा हो तो भी लिखाई  अच्‍छी ही रहती है। उसको कोई चेतन प्रयास  नहीं करना पड़ता है। कोई जागरूक प्रयास नहीं करना पड़ता, वो सहज अवस्‍था होती है ...क्‍यों? उसने उसको आत्‍मसात कर दिया है। जिसकी लिखाई खराब है और वो चेतना  किसी विशेष व्‍यक्ति को चिठ्ठी लिखना चाहता है एक-दो लाईन तक तो ठीक कर लेता है फिर लुढ़क जाता है क्‍योंकि आत्‍मसात  नहीं किया है। 

योग को समझने के लिए, मैं मानता हूं जिस बालक ने बचपन में तुरंत इसको अपना  कर लिया अच्‍छे हस्‍तेलेखन  का कारण होगा उसके मन में जो चित्र बनता होगा उसकी आत्‍मा उसके साथ जुड़ती होगी, उसकी बुद्धि उसको आदेश देती होगी, उसका शरीर काम  करता होगा और वो परम्‍परा जीवनभर चलती होगी, वो योग का एक छोटा-सा रूप है और इसलिए मैं कहता हूं कि अभ्‍यास  से, प्रशिक्षण  से हम इन अवस्‍थाओं को प्राप्‍त कर सकते है और इन अवस्‍थाओं को प्राप्‍त करने के लिए अगर हम और ये बात सही है कि कोई बहुत बड़ी-बड़ी बातें बताता है तो फिर कठिनाई हो जाती है, फिर धीरे-धीरे विश्‍वास डूबने लग जाता है लेकिन छोटी-छोटी बातों से देखें तो पता चलता है यार ये तो मैं भी कर सकता हूं, ये तो दो कदम मैं भी चल सकता हूं। हमने विश्‍व के सामने योग का वो रूप लाना है कि भाई ठीक है आज नहीं लेकिन दो कदम चलो तो तुम पहुंच जाओगे। अगर ये हमने इसको बनाया तो मैं समझता हूं कि बहुत बड़ा लाभ होगा। 

भारत के सामने एक बहुत बड़ी जिम्‍मेवारी है, मैं बहुत जिम्‍मेवारी के साथ कहता हूं अगर योग को हम कमोडिटी  बना देंगे तो शायद योग का सबसे ज्‍यादा नुकसान हमारे ही हाथों हो जाएगा। योग एक कमोडिटी  नहीं है, योग वो ब्रैंड  नहीं है जो बिकाऊ हो सकती है। ये जीवन को जोड़ने वाला, जीवन को प्रकृति से जोड़ने वाला एक ऐसा महान उद्देशय है जिसको हमने चरितार्थ करना है और विश्‍व भारत की तरफ देखेगा और ये बात सही है आज से 50 साल पहले कभी भी हमने बाजार में बोर्ड  देखा था “शुद्ध घी की दुकान” देखा था 50 साल पहले शुद्ध घी की दुकान ऐसा बोर्ड नहीं होता था लेकिन आज होता है क्‍यों? क्‍योंकि बाजार में माल आ गया है। योगा के संबंद्ध में कभी ऐसा न आना चाहिए वो दिन अभी तो बचे हुए है लेकिन कभी वैसा दिन नहीं आना चाहिए कि हमारा ही योगा सच है बाकि तो तुम बे-फालतु में कान-नाक पकड़ करके डॉलर खर्च कर रहे हो। ये व्‍यापार नहीं है, व्‍यवस्‍था नहीं है, ये अवस्‍था है और इसलिए जगत के कल्‍याण के लिए, मानव के कल्‍याण के लिए, मानव के भाग्‍य को बदलने के लिए ये भारत की भूमि का योगदान है। उसमें संजोने-संवारने को काम भारत के बाहर के लोगों ने भी किया है उनका भी ऋण स्‍वीकार करना होगा। इसे हम हमारी बपौती बना करके न बैठे ये विश्‍व का है, मानवजात का है और मानवजात के लिए है। ये इस युग का नहीं अनेक युगों के लिए है और समय के अनुकूल उसमें परिवर्तन भी आने वाला है। 

जिन्‍होंने, जैसे हेगड़े जी बता रहे थे सोलर  विमान के अंदर योगा किया होगा तो हो सकता है जगह कम होगी तो उनको वो योगा सिखाया होगा कि भई तुम ऐसे नाक पकड़ों, ऐसे पैर करो, हाथ नहीं हिलता तो कोई नहीं ऐसे कर लो उन्‍होंने संशोधित  किया होगा। तो जहां जैसी आवश्‍यकता हो वैसे परिवर्तन करते हुए इसको और आधुनिक बनाना और अधिक वैज्ञानिक बनाना और विज्ञान की कसौटी पर कसता चला जाए तो विश्‍व कल्‍याण के इस काम को हम करते रहेंगे, करना होगा और उस जिम्‍मेवारी को हम निभाते रहेंगे। 

मैं फिर एक बार इस सारे अभियान में विश्‍वभर का ऋणी हूं। विश्‍व की सभी सरकारों का ऋणी हूं, विश्‍व के सभी समाजों का ऋणी हूं और मैं सबका बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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January 06, 2025
जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना और ओडिशा में रेल ढ़ांचा परियोजनाओं के शुभारंभ से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और इन क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास में मदद मिलेगी: प्रधानमंत्री
आज देश विकसित भारत की संकल्प सिद्धि में जुटा है और इसके लिए भारतीय रेलवे का विकास बहुत महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री
हम भारत में रेलवे के विकास को चार मापदंडों पर आगे बढ़ा रहे हैं। पहला- रेलवे ढ़ांचे का आधुनिकीकरण, दूसरा- रेलवे के यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं, तीसरा- रेलवे की देश के कोने-कोने में कनेक्टिविटी और चौथा- रेलवे से रोजगार सृजन और उद्योगों को मददः प्रधानमंत्री
आज भारत रेल लाइनों के शत-प्रतिशत विद्युतीकरण के करीब है, हमने रेलवे की पहुंच का भी निरंतर विस्तार किया है: प्रधानमंत्री

नमस्कार जी।

तेलंगाना के गवर्नर श्रीमान जिष्णु देव वर्मा जी, ओडिशा के गवर्नर श्री हरि बाबू जी, जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा जी, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री श्रीमान उमर अब्दुल्ला जी, तेलंगाना के सीएम श्रीमान रेवंत रेड्डी जी, ओडिशा के मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी अश्विनी वैष्णव जी, जी किशन रेड्डी जी, डॉ. जीतेंद्र सिंह जी, वी सोमैया जी, रवनीत सिंह बिट्टू जी, बंडी संजय कुमार जी, अन्य मंत्रीगण, सांसद, विधायकगण, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

आज गुरु गोविंद सिंह जी की, उनका ये प्रकाश उत्सव है। उनके विचार, उनका जीवन हमें समृद्ध और सशक्त भारत बनाने की प्रेरणा देता है। मैं सभी को गुरू गोविंद सिंह जी के प्रकाश उत्सव की शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

2025 की शुरुआत से ही भारत, कनेक्टिविटी की तेज रफ्तार बनाए हुए है। कल मैंने दिल्ली-एनसीआर में नमो भारत ट्रेन का शानदार अनुभव लिया, दिल्ली मेट्रो की अहम परियोजनाओं की शुरूआत की। कल भारत ने बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है, हमारे देश में अब मेट्रो नेटवर्क, एक हजार किलोमीटर से ज्यादा का हो गया है। अभी आज यहाँ करोड़ों रुपए की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। उत्तर में जम्मू कश्मीर, पूरब में ओडिशा, और दक्षिण में तेलंगाना, आज देश के एक बड़े हिस्से के लिए 'new age connectivity' के लिहाज से बहुत बड़ा दिन है। इन तीनों राज्यों में आधुनिक विकास की शुरुआत, ये बताता है कि पूरा देश अब एक साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहा है। और यही 'सबका साथ, सबका विकास' वो मंत्र है जो विकसित भारत के सपने में विश्वास के रंग भर रहा है। मैं आज इस अवसर पर, इन तीनों राज्यों के लोगों को और सभी देशवासियों को इन प्रोजेक्ट्स की बधाई देता हूं। और ये भी संयोग है कि आज हमारे ओडिशा के मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण माझी जी का जन्मदिन भी है, मैं उनको भी आज सबकी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

आज देश विकसित भारत की संकल्प सिद्धि में जुटा है, और इसके लिए भारतीय रेलवे का विकास बहुत महत्वपूर्ण है। हमने देखा है, पिछला एक दशक भारतीय रेलवे के ऐतिहासिक ट्रांसफॉर्मेशन का रहा है। रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर में एक visible change आया है। इससे देश की छवि बदली है, और देशवासियों का मनोबल भी बढ़ा है।

साथियों,

भारत में रेलवे के विकास को हम चार पैरामीटर्स पर आगे बढ़ा रहे हैं। पहला- रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर का modernization, दूसरा- रेलवे के यात्रियों को आधुनिक सुविधाएं, तीसरा- रेलवे की देश के कोने-कोने में कनेक्टिविटी, चौथा- रेलवे से रोजगार का निर्माण, उद्योगों को सपोर्ट। आज के इस कार्यक्रम में भी इसी विजन की झलक दिखाई देती है। ये नए डिविजन, नए रेल टर्मिनल, भारतीय रेलवे को 21वीं सदी की आधुनिक रेलवे बनाने में अहम योगदान देंगे। इनसे देश में आर्थिक समृद्धि का इकोसिस्टम डवलप करने में मदद मिलेगी, रेलवे के संचालन में मदद मिलेगी, निवेश के ज्यादा मौके बनेंगे और नई नौकरियों का सृजन भी होगा।

साथियों,

2014 में हमने भारतीय रेलवे को आधुनिक बनाने का सपना लेकर काम शुरू किया था। वंदे भारत ट्रेनों की फैसिलिटी, अमृत भारत और नमो भारत रेल की सुविधा, अब भारतीय रेल का नया बेंचमार्क बन रही हैं। आज का Aspirational India, कम समय में बहुत ज्यादा पाने की आकांक्षा रखता है। आज लोग लंबी दूरी की यात्रा को भी कम समय में पूरा करना चाहते हैं। ऐसे में देश के हर हिस्से में हाई स्पीड ट्रेनों की मांग बढ़ रही है। आज 50 से ज्यादा रूट्स पर वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं। 136 वंदे भारत सेवाएं लोगों की यात्रा को सुखद बना रही हैं। अभी मैं दो-तीन दिन पहले ही एक वीडियो देख रहा था, अपने ट्रायल रन में वंदे भारत का नया स्लीपर वर्जन कैसे 180 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ रहा है, और ये देखकर मुझे ही नहीं किसी भी हिन्दुस्तानी को अच्छा लगेगा। ऐसे अनुभव ये तो शुरुआत हैं, वो समय दूर नहीं जब भारत में पहली बुलेट ट्रेन भी दौड़ेगी।

साथियों,

हमारा लक्ष्य है कि- फ़र्स्ट स्टेशन से लेकर डेस्टिनेशन तक, भारतीय रेल से यात्रा एक यादगार अनुभव बने। इसके लिए देश में 1300 से ज्यादा अमृत स्टेशनों का कायाकल्प भी हो रहा है। पिछले 10 वर्षों में रेल कनेक्टिविटी का भी अद्भुत विस्तार हुआ है। 2014 तक देश में सिर्फ thirty five percent, 35 परसेंट रेल लाइनों का electrification हुआ था। आज भारत, रेल लाइनों के शत प्रतिशत electrification के करीब है। हमने रेलवे की reach को भी लगातार expand किया है। बीते 10 वर्षों में 30 हजार किलोमीटर से ज्यादा नए रेलवे ट्रैक बिछाए गए हैं, सैकड़ों रोड ओवर ब्रिज और रोड अंडर ब्रिज का निर्माण किया गया है। अब ब्रॉड गेज लाइनों पर मानव रहित क्रॉसिंग्स खत्म हो चुकी हैं। इससे दुर्घटनाएं भी कम हुई हैं और यात्रियों की सुरक्षा भी बढ़ी है। देश में Dedicated freight corridor जैसे आधुनिक रेल नेटवर्क का काम भी तेजी से पूरा हो रहा है। ये स्पेशल corridor बनने से सामान्य ट्रैक पर दबाव कम होगा और हाई स्पीड ट्रेनों को चलाने के अवसर भी बढ़ेंगे।

साथियों,

रेलवे में आज कायाकल्प का जो अभियान चल रहा है, जिस तरह मेड इन इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है, मेट्रो के लिए, रेलवे के लिए आधुनिक डिब्बे तैयार किए जा रहे हैं, स्टेशनों को री-डवलप किया जा रहा है, स्टेशनों पर सोलर-पैनल लगाए जा रहे हैं, 'वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट' इसके स्टॉल लग रहे हैं, उससे भी रेलवे में रोजगार के लाखों नए अवसर बन रहे हैं। पिछले 10 साल में रेलवे में लाखों युवाओं को पक्की सरकारी नौकरी मिली है। हमें याद रखना है, जिन कारखानों में नई ट्रेनों के डिब्बे बनाए जा रहे हैं, उसके लिए कच्चा माल दूसरी फैक्ट्रियों से आ रहा है। वहां डिमांड बढ़ने का मतलब है, रोजगार के ज्यादा अवसर। रेलवे से जुड़ी विशेष स्किल को ध्यान में रखते हुए देश की पहली गति-शक्ति यूनिवर्सिटी की भी स्थापना की गई है।

साथियों,

आज जैसे-जैसे रेलवे नेटवर्क का विस्तार हो रहा है, उसी हिसाब से नए हेडक्वार्टर और डिवीजन भी बनाए जा रहे हैं। जम्मू डिवीज़न का लाभ जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश और पंजाब के कई शहरों को भी होगा। इससे लेह-लद्दाख के लोगों को भी सुविधा होगी।

साथियों,

हमारा जम्मू-कश्मीर आज रेल इंफ्रास्ट्रक्चर में नए रिकॉर्ड बना रहा है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन इसकी चर्चा आज पूरे देश में है। ये परियोजना जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य हिस्सों के साथ और बेहतरी से जोड़ देगी। इसी परियोजना के तहत दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे आर्च ब्रिज, चिनाब ब्रिज का काम पूरा हुआ है। अंजी खड्ड ब्रिज, जो देश का पहला केबल आधारित रेल ब्रिज है, वो भी इसी परियोजना का हिस्सा है। ये दोनों इंजीनियरिंग के बेजोड़ उदाहरण हैं। इनसे इस क्षेत्र में आर्थिक प्रगति होगी और समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से हमारे ओडिशा के पास प्राकृतिक संसाधनों का भंडार है। इतना बड़ा समुद्री तट मिला है। ओडिशा में इंटरनेशनल ट्रेड की प्रबल संभावनाएं हैं। आज ओडिशा में रेलवे के नए ट्रैक से जुड़े लगभग अनेकों प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है। इन पर 70 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश हो रहा है। राज्य में 7 गति शक्ति कार्गो टर्मिनल शुरू किए गए हैं, जो व्यापार और उद्योगों को बढ़ावा दे रहे हैं। आज भी ओडिशा में जिस रायगड़ा रेल मंडल का शिलान्यास किया गया है, इससे प्रदेश का रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर और मजबूत होगा। इससे ओडिशा में पर्यटन, व्यापार और रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। खास तौर पर, इसका बहुत लाभ उस दक्षिण ओडिशा को मिलेगा, जहां जनजातीय परिवारों की संख्या ज्यादा है। हम जनमन योजना के तहत जिन अति-पिछड़े आदिवासी इलाकों का विकास कर रहे हैं, ये इंफ्रास्ट्रक्चर उनके लिए वरदान साबित होगा।

साथियों,

आज मुझे तेलंगाना के चर्लपल्ली न्यू टर्मिनल स्टेशन के उद्घाटन का भी अवसर मिला है। इस स्टेशन के आउटर रिंग रोड से जुड़ने से क्षेत्र में विकास को गति मिलेगी। स्टेशन पर आधुनिक प्लेटफॉर्म, लिफ्ट, एस्केलेटर जैसी सुविधाएं हैं। एक और खास बात है कि ये स्टेशन सोलर ऊर्जा से संचालित हो रहा है। ये नया रेलवे टर्मिनल, शहर के मौजूदा टर्मिनल्स जैसे सिकंदराबाद, हैदराबाद और काचिगुड़ा पर प्रेशर को बहुत कम करेगा। इससे लोगों के लिए यात्रा और सुविधाजनक होगी। यानि ease of living के साथ-साथ ease of doing business को भी बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

आज देश में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण का महायज्ञ चल रहा है। भारत के एक्सप्रेसवे, वॉटरवे, मेट्रो नेटवर्क का तेज गति से विस्तार हो रहा है। आज देश के एयरपोर्ट्स पर सबसे बेहतरीन सुविधाएं मिल रही हैं। 2014 में देश में एयरपोर्ट्स की संख्या 74 थी, अब इनकी संख्या बढ़कर 150 के पार हो चुकी है। 2014 तक सिर्फ 5 शहरों में मेट्रो की सुविधा थी, आज 21 शहरों में मेट्रो है। इस स्केल और स्पीड को मैच करने के लिए भारतीय रेलवे को भी लगातार अपग्रेड किया जा रहा है।

साथियों,

ये सभी विकास कार्य विकसित भारत के उस रोडमैप का हिस्सा हैं, जो आज हर देशवासी के लिए एक मिशन बन चुका है। मुझे विश्वास है, हम सब साथ मिलकर इस दिशा में और भी तेज गति से आगे बढ़ेंगे। मैं एक बार फिर इन परियोजनाओं के लिए देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।