प्रधानमंत्री की मौजूदगी में भारत सरकार और एनएससीएन के बीच ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर
नागालैंड के लोगों के साहस और उनकी प्रतिबद्धता को सभी जानते हैं। इसके साथ-साथ वे मानवता के उच्चतम स्तरों का भी प्रतिनिधित्व करते हैं: प्रधानमंत्री
पूर्वोत्तर क्षेत्रों की शांति, सुरक्षा और आर्थिक बदलाव मेरी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है: प्रधानमंत्री मोदी

गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह जी,

श्री मुइवाह एवं नेशनल सोशलिस्‍ट कौंसिल ऑफ नगालैंड के सभी वरिष्‍ठ नेता

आज यहां इस ऐतिहासिक अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं

मेरी इच्‍छा थी कि इस समझौते को संभव बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले श्री इसाक स्‍वू आज यहां उपस्थित होते। वह खराब स्‍वास्‍थ्‍य के कारण यहां उपस्थित नहीं हो सके। मैं उनके शीघ्र स्‍वस्‍थ होने की कामना करता हूं। जिस प्रकार इस समझौते में उनका विशाल योगदान है, आगे आने वाले समय में उनका दिशानिर्देश महत्‍वपूर्ण बना रहेगा।

नगा राजनीतिक मुद्दा छह दशकों तक चलता आ रहा था जिसका हमारी पीढियों पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा।  

मैं तहेदिल से श्री इसाक स्‍वू, श्री मुइवाह एवं अन्‍य नगा नेताओं को उनकी बुद्धिमता और उनके साहस, उनके प्रयासों और सहयोग के लिए धन्‍यवाद देता हूं जिसका परिणाम इस ऐतिहासिक समझौते के रूप में सामने आया है।

मेरे मन में नगा के महान लोगों के प्रति शांति प्रयासों के लिए उनके असाधारण सहयोग के कारण बेहद सम्‍मान है। मैं नेशनल सोशलिस्‍ट कौंसिल ऑफ नगालैंड को सम्‍मान की उस भावना के साथ, जो नगालैंड के महान लोगों को परिभाषित करती है, लगभग दो दशकों तक युद्धविराम समझौते को बनाये रखने के लिए धन्‍यवाद देता हूं।

पूर्वोत्‍तर के साथ मेरा संबंध बहुत गहरा रहा है। मैंने कई अवसरों पर नगालैंड की यात्रा की है। मैं नगा लोगों के समृद्ध एवं विविध संस्‍कृति तथा जीने की अनोखी शैली से काफी प्रभावित रहा हूं। यह न केवल हमारे देश बल्कि दुनिया को भी एक अधिक खूबसूरत जगह बनाती है।

नगाओं का साहस और प्रतिबद्धता प्रसिद्व रही है। इसके साथ-साथ, वे मानवता के उच्‍चतम स्‍तरों का भी प्रतिनिधित्‍व करते हैं। ग्राम प्रशासन एवं जमीनी स्‍तर के लोकतंत्र की उनकी प्रणाली शेष भारत के लिए एक प्रेरणा होनी चाहिए।

अशक्‍त और बुजुर्गों के लिए सम्‍मान, समाज में महिलाओं का दर्जा, प्रकृति माता के प्रति संवेदनशीलता और सामाजिक समानता पर जोर नगा जीवन का एक प्राकृतिक तरीका है। ये ही वे मूल्‍य हैं जो उस समाज की आधारशिला का निर्माण करते हैं जिसकी हम सभी कामना करते हैं।

दुर्भाग्‍य से नगा समस्‍या ने समाधान के लिए काफी लंबा समय लिया क्‍योंकि हमने एक दूसरे को नहीं समझा। यह ब्रितानी शासन की विरासत है। औपनिवेशिक शासकों ने जानबूझकर नगाओं को अलग थलग और पृथक रखा। उन्‍होंने शेष भारत में नगाओं को लेकर भयंकर कल्पित कथाओं का प्रचार किया। उन्‍होंने जानबूझकर इस वास्‍तविकता को दबाये रखा कि नगा एक बेहद विकसित समाज हैं। उन्‍होंने शेष भारत में भी नगा लोगों के बीच नकारात्‍मक धारणाएं फैलाईं। यह औपनिवेशिक शासकों द्वारा बांटो और शासन करो की कुख्‍यात नीति का हिस्‍सा था।

यह स्वतंत्र भारत की एक त्रासदी है कि हम इस विरासत के साथ जी रहे हैं। महात्मा गांधी की तरह नगा लोगों को प्यार करने वाले तथा उनके प्रति संवेदी लोग बहुत अधिक संख्या में नहीं थे। हम एक दूसरे को गलत धारणाओं और पुराने पूर्वाग्रहों के आईना से देखते रहे हैं।

इसका परिणाम यह हुआ कि नगालैंड और शेष भारत का संपर्क कमजोर रहा। नगालैंड में आर्थिक विकास और प्रगति कम हुई और स्थाई शांति दूर रही।

पिछले वर्ष प्रधानमंत्री बनने के बाद से पूर्वोत्तर में शांति, सुरक्षा और आर्थिक बदलाव मेरी उच्च प्राथमिकताओं में रहा है। यह मेरी विदेश नीति विशेषकर लुक ईस्ट नीति के हृदय में है।

 मैं नगा समस्या को सुलझाने के लिए गंभीर रूप से चिंतित हूं। मैंने पदभार ग्रहण करते ही नगा लोगों से बातचीत के लिए एक वार्ताकार की नियुक्ति की जिन्होंने न केवल नगा लोगों, उनकी आकांक्षाओं और आशाओं को समझा बल्कि लोगों के प्रति काफी लगाव और आदर है।

इस महत्व को देखते हुए मैंने अपने कार्यालय से बातचीत की देखरेख करने को कहा और मैंने व्यक्तिगत रूप से वार्ता की प्रगति के बारे में संपर्क में रहा। मैं अपने वरिष्ठ सहयोगी गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह को विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं जिनका समर्थन और सलाह हमें यहां लाने में अमूल्य रहा ।

आज का समझौता इस बात का चमकता उदाहरण है कि हम एक दूसरे के साथ समानता, आदर और विश्वास की भावना से काम करके, चिंताओं को समझकर तथा आकांक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करके, विवाद का रास्ता छोड़कर और बातचीत का मार्ग अपना कर लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। यह हमारे अशांत विश्व में शिक्षा और प्रेरणा का अध्याय है।  

आज हम समस्या के अंत का नहीं बल्कि नए भविष्य की शुरुआत का प्रतीक मना रहे हैं। हम न केवल घाव को भरने और समस्याओं को हल करने का का काम करेंगे बल्कि आपके गौरव और सम्मान की स्थापना में सहयोगी होंगे।

आज नगालैंड के नेताओं और जनता के लिए मैं कहता हूं: आप न केवल नगालैंड का चमकता भविष्य बनाएंगे बल्कि आपकी प्रतिभा, परंपरा और आपका प्रयास देश को मजबूत, अधिक सुरक्षित, अधिक समावेशी तथा समृद्ध बनाने में योगदान करेंगे। आप हमरी पूर्वी सीमा के अभिभावक हैं और विश्व के लिए मुख्य द्वार हैं।

समान रूप से बाकी देश नगा लोगों के लिए सम्मान, अवसर और समृद्धि के साथ भविष्य संवारने में शामिल होगा।

आज आप गौरव, आत्म विश्वास और आत्म सम्मान के भाव से एक नया गौरवशाली अध्याय शुरु कर रहे हैं। मैं देश के साथ आपके नमन में शामिल होता हूं और नगा लोगों के लिए शुभ कामना व्यक्त करता हूं।

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पिछले वर्ष भारत की प्रेसीडेंसी में G20 ग्लोबल साउथ की आवाज बनकर उभरा: पीएम मोदी
November 21, 2024

उपस्थित सभी महानुभाव,

मैं आप सभी के बहुमूल्य सुझावों और व्यक्त किए गए सकारात्मक विचारों का स्वागत करता हूं। भारत के प्रस्तावों के संबंध में मेरी टीम आपके साथ सभी विवरण साझा करेगी और हम सभी विषयों पर समयबद्ध तरीके से आगे बढ़ेंगे।

भारत और कैरिकॉम देशों के बीच संबंध हमारे अतीत के साझा अनुभवों, वर्तमान आवश्यकताओं और भविष्य के लिए हमारी साझा आकांक्षाओं पर आधारित हैं।

भारत इन संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हमने अपने सभी प्रयासों में ग्लोबल साउथ की चिंताओं और उसकी प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित किया है।
पिछले वर्ष भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में उभरा। कल ब्राजील में भी मैंने वैश्विक समुदाय से ग्लोबल साउथ के देशों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया।

मुझे खुशी है कि भारत और हमारे सभी कैरिकॉम मित्र इस बात पर सहमत हैं कि वैश्विक संस्थाओं में सुधार आवश्यक हैं।

उन्हें आज की दुनिया और आज के समाज के हिसाब से खुद को ढालने की जरूरत है। यह समय की मांग है। इसे साकार करने के लिए कैरिकॉम के साथ घनिष्ठ सहयोग और कैरिकॉम का समर्थन बहुत महत्वपूर्ण है।

आज हमारी बैठक में लिए गए निर्णय, हर क्षेत्र में हमारे सहयोग को नए आयाम देंगे। इनके क्रियान्वयन में भारत-कैरिकॉम संयुक्त आयोग और संयुक्त कार्य समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

हमारे सकारात्मक सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए, मैं प्रस्ताव करता हूं कि तीसरा कैरिकॉम शिखर सम्मेलन भारत में आयोजित किया जाए।

मैं एक बार फिर राष्ट्रपति इरफान अली, प्रधानमंत्री डिकॉन मिशेल, कैरिकॉम सचिवालय और आप सभी के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।