मेरे प्याारे भाइयों और बहनों,
आज राष्ट्रम को ये आधुनिक Steel की इकाई समर्पित करते हुए, मैं गर्व महसूस कर रहा हूं। कोई इसको (IISCO) कहे, कोई उसको कहे, लेकिन आज का अवसर तो हम सबको गर्व देने वाला है। अभी मैं आदरणीय मुख्यSमंत्री जी को सुन रहा था। उन्होंगने बहुत ही अच्छीो बात बताई, और उन्होंरने कहा कि केंद्र और राज्यन हम मिल करके जितना काम करेंगे, देश उतना तेजी से आगे बढ़ेगा। भारत के संविधान में Federal structure तो दिया है लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद कई वर्षों तक केंद्र और राज्ये के संबंधों में हमेशा तनाव रहा है। केंद्र में बैठे हुए लोग मानते थे हम कुछ खास हैं और राज्योंऔ को वो कुछ गिनते ही नहीं थे। मैं भी बहुत लंबे अरसे तक राज्यम का मुख्य मंत्री रहा हूं। और इसलिए मुझे भली-भांति पता है कि केंद्र का राज्योंस के साथ यह व्यमवहार देश का भला नहीं करेगा। और इसलिए हमने आते ही एक बहुत बड़ा परिवर्तन लाया, Cooperative Federalism की बात कही। Cooperative competitive federalism की बात कही। नीति आयोग का निर्माण किया। और अब दिल्लीऔ अकेला देश नहीं चलाएगा, अब देश एक खंभे पर नहीं सभी राज्योंि का एक-एक खंभा मिला करके, 30 खंभों पर देश आगे बढ़ेगा। ये हमने सोचा है।
टीम इंडिया, मैं Day One से कह रहा हूं टीम इंडिया के बिना हिंदुस्ताचन प्रगति नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री और मुख्यैमंत्री ये मिल करके एक टीम है। ये टीम हिंदुस्तांन को आगे बढ़ाएगी, दल कोई भी हो लेकिन दल से बड़ा देश होता है। आज टीम इंडिया के कारण प्रगति कैसे होती है, आज एक बीमार इकाई ताकत के साथ खड़ी हो गई, हजारों लोगों के लिए नौकरी के अवसर मिल गये। हिंदुस्ता न को Steel के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में ये बर्नपुर की धरती, ये बंगाल की धरती काम आई। अगर यहां के मुख्यसमंत्री ने यहां की सरकार ने, रोड़े अटकाये होते तो ये काम संभव नहीं होता। मिल करके काम करते हैं तो परिणाम मिलता है। ये टीम इंडिया का सफलता का उदाहरण है कि आज हम देश को ये इकाई समर्पित कर रहे हैं।
दो दिन पहले आपने देखा होगा 41 साल से, Fourteen One Year से एक मामला लटका हुआ था। “बंग-बंधु” Mujibur Rahman के जमाने से यह काम लटका हुआ था। लेकिन अभी दो दिन पहले भारत और बांग्लाखदेश के बीच जो सीमा का विवाद रहता था, तनाव चलता रहता था, उसका समाधान हुआ। कैसे हुआ? टीम इंडिया के कारण हुआ। ममता जी ने, बंगाल की सरकार ने, असम ने, त्रिपुरा ने, मेघालय, मिजोरम ने, दिल्लीक सरकार के साथ कंधे से कंधा मिला करके फैसला किया। सभी राजनीतिक दलों ने फैसला लिया। और पहली बार यह देश गर्व कर सकता है कि राज्यीसभा हो या लोकसभा - दोनों सदनों में एक भी मत विरोध में नहीं पड़ा, सब के सब मत एक साथ पड़े और टीम इंडिया का यह दर्शन हम पूरी दुनिया को दिखा पाए। सारे विश्व के लिए भारत की संसद का यह निर्णय, टीम इंडिया का यह निर्णय, केंद्र और राज्यस के साथ मिलकर के चलने का प्रयास का परिणाम यह आज समस्या्एं दुनिया के किसी देश के साथ भी सुलझाई जा सकती है। अगर टीम इंडिया का भाव हो, अगर विदेशों से समस्या एं सुलझाई जा सकती है, तो घर में तो बहुत आसानी से सुलझाई जा सकती है। और इसलिए हमारी पूरी कोशिश है।
अब देखिए अभी 14th Finance Commission हमने शब्दइश: स्वीलकार किया और उसका परिणाम क्या आया? एक जमाना था जब दिल्लीn सरकार की तिजौरी में देश की 60-65% संपत्ति रहती थी। और 35-40% में सभी राज्योंस के खजाने में पैसे रहते थे। हमने आने के बाद जो फैसले किए उसका परिणाम यह आया है कि आज हिंदुस्ता न का Total जो खजाना है उस खजाने का 62% राज्योंक के खजानों में है और सिर्फ 38% दिल्ली के खजाने में है। यह बदलाव हम लाएं हैं, क्योंाकि विकास करना है तो राज्योंर की मदद के बिना हो नहीं सकता है। विकास करना है तो राज्योंप और दिल्लीो मिलकर के करेंगे तभी संभव होता है और इसका यह उदाहरण है। ऐसे बहुत उदाहरण बन सकते हैं, जिसको लेकर के हमारा चलने का प्रयास है।
और मैं मानता हूं... हिंदुस्तारन का जो नक्शाय देखें तो मैं पहले ही दिन से मानता हूं कि भारत के विकास में सामाजिक स्त.र पर असंतुलन है, आर्थिक स्त र पर असंतुलन है, शैक्षणिक स्तिर पर अंसतुलन है लेकिन साथ-साथ भौगोलिक स्तथर पर भी असंतुलन है। हिंदुस्तासन का पश्चिमी किनारा देखिए - केरल हो, कर्नाटक हो, गोवा हो, महाराष्ट्र हो, राजस्थाेन हो, दिल्ली हो, हरियाणा हो, पंजाब हो - आपको पश्चिमी छोर पर आर्थिक गतिविधि तेज नज़र आती है। लेकिन हिंदुस्ताकन का पूर्वी क्षेत्र उपेक्षित रहा है। हिंदुस्ता न के पूर्वी क्षेत्र चाहे पूर्वी उत्तलर प्रदेश हो, चाहे बिहार, चाहे बंगाल हो, चाहे ओडि़शा हो, चाहे असम हो, चाहे नॉर्थ ईस्टव हो - बहुत ही शक्तिशाली राज्ये है। यहां के लोग सामर्थ्यतवान हैं। प्राकृतिक संपदाओं के भंडार भरे पड़े हैं। लेकिन फिर भी विकास के दौर में पीछे रहे गए है। अगर भारत मां को हमें भव्यस रूप से देखना है तो भारत मां का एक अंग अगर बीमार होगा तो भारत माता कभी मजबूत नहीं हो सकती है। और इसलिए हमारा सपना है हिंदुस्ताान के पूर्वी हिस्सेब को सबसे अधिक ताकतवर बनाना, हिंदुस्तापन के पश्चिमी छोर की बराबरी में लाकर के खड़ा कर देना और अगर बंगाल मजबूत नहीं बनता, कोलकाता मजबूत नहीं बनता तो हिंदुस्ता न का पूर्वी हिस्साअ भी मजबूत नहीं हो सकता है और इसलिए मां भारती को मजबूत बनाने के लिए भारत के इस भू-भाग को भी ताकत देने की आवश्यलकता है।
Second Green Revolution हम सपना तो देख रहे हैं लेकिन Second Green Revolution कहां होगा। मैं साफ देख रहा हूं Second Green Revolution के लिए सबसे अधिक उर्वरा भूमि कहीं है सबसे अधिक ताकत कहीं है तो वो पूर्वी हिंदुस्ताuन में है। चाहे पूर्वी उत्त र-प्रदेश हो, चाहे बिहार हो, ओडि़शा हो, बंगाल हो, असम हो, नॉर्थ इर्स्ट हो विपुल मात्रा में पानी है, जमीन भी बहुत मात्रा में है। अगर किसानों का कल्याओण करना है, देश का भला करना है, तो हिंदुस्ताबन की Second Green Revolution इसी धरती पर केंद्रित करके किया जा सकता है और आने वाले 5-10 साल में सारा गांव का आर्थिक जीवन बदला जा सकता है। और हम इस vision के साथ देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।
आप जानते हैं, 2014 के यह दिवस चुनाव के दिवस थे। चारों तरफ राजनीतिक दल एक दूसरे पर हमला कर रहे थे। हम भी बंगाल में आए थे, हम भी हमला कर रहे थे। और लोग हम पर हमला कर रहे थे लेकिन विचार क्या आते थे? 2014 के फरवरी, मार्च, अप्रैल के अखबार देख लीजिए एक ही बात आती थी। कोयले का घोटाला एक लाख 76 हजार का घोटाला, spectrum का घोटाला, पनडुब्बी7 का घोटाला, पानी में घोटाला, जमीन में घोटाला, आसमान में घोटाला, घोटालों ही घोटालों की खबरें हम पूरी देर सुनते आते थे। भाईयों-बहनों आज एक साल हो गया दिल्लीc में नई सरकार को। अखबार में खबर आती है तो क्या आती है? कोयले के घोटाले की खबर नहीं आती है। खबर आती है तो कोयले की नीलामी की खबर आती है और एक लाख 74 हजार करोड़ के घोटाले को निगल करके आज तीन लाख करोड़ रुपया सरकारी खजाने में जमा होने का खबर नजर आता है।
भाईयों बहनों, अगर विश्वा स के साथ काम किया जाए। यह कोयले की खदानें कहां हैं? हिंदुस्ताान के पूर्वी इलाके में है। जिसके पास इतनी प्राकृतिक संपदा हो, यह राज्य गरीब नहीं रहना चाहिए। और इसलिए हमने नीतिगत परिवर्तन किए। हमने कहा कोयले की खदानों का Auction होगा। पहले क्यान होता था? किसी नेता के घर से चिट्ठी आती थी कि यह कोयले की खदान उसको दे दो, और किसी को पूछे बिना दे देते थे। सरकारी खजाने में एक नया पैसा नहीं आता था। यह सारा हमने बंद कर दिया, पुराना खत्मे कर दिया, Auction किया और यह भी तय किया कि Auction में जो पैसा आएगा, कोयले के Auction में जो पैसा आएगा वो पैसा दिल्लीक की तिजोरी में नहीं, उस राज्य के खजाने में जाएगा ताकि वो सरकार राज्यी का भला कर पाए। इसका लाभ पश्चिम बंगाल को भी मिल रहा है, झारखंड को मिल रहा है, छत्तीरसगढ़ को मिल रहा है। जहां-जहां पर कोयले की खदानें हैं उन राज्योंग को मिल रहा है। पहली बार गरीबों के लिए काम करने वाली सरकार ने एक बड़ा महत्वेपूर्ण निर्णय किया। हमारे देश में खनिज संपदा हो, कोयला हो, ज्यातदातर जहां आदिवासी लोग रहते हैं, उस इलाके में हैं, जंगलों में हैं। कोयला तो जाता था, खजिन संपदा जाती थी, लेकिन उन जिले गरीबों का, आदिवसियों का भला नहीं होता था। हमने तय किया है उन जिलों में एक foundation बनाया जाएगा। इस रॉयल्टी का कुछ हिस्साक उस foundation में डाला जाएगा और वो पैसे उस जिले की नागरिकों की भलाई के लिए होगा। चाहे उनको शिक्षा देनी होगी, अरोग्य देना होगा, घर देना होगा, पानी पहुंचाना होगा। यह पैसे उनके लिए खर्च आएंगे।
अभी मुझे छत्तीासगढ़ के मुख्यमंत्री मिले थे, उन्होंंने बड़ी मजेदार बात बताई। उन्होंनने कहा साहब यह खदानों की रॉयल्टीस से आने वाले पैसों से यह जो foundation बनेगा इसमें अरबों, खरबों रुपये आने वाले हैं और उसके कारण हमारे यह जो tribal district है, उसको अब हमें सरकारी तिजोरी से शायद पैसा ही नहीं देना पड़ेगा। और शायद और राज्यों की तुलना में वो तेजी गति से बढ़ने वाले राज्य बन जाएंगे। अगर नीतिगत परिवर्तन करते हैं, दीर्घ दृष्टि से नीतियों का निर्माण करते हैं तो राष्ट्र के विकास को कैसे बदला जा सकता है, इसका हमने उदाहरण देखा है।
भाईयों और बहनों, यह कैसा देश है कि हम iron ore विदेशों में export करते रहे है, विकास करते रहे, कच्चास माल देते रहे और steel विदेशों से मंगवाते रहे? भाईयों बहनों ऐसे तो देश नहीं चल सकता कि हम गेहूं बाहर भेजे और चपाती बाहर से अंदर लाए। ऐसा नहीं हो सकता। अगर iron ore हमारा है तो स्टी ल भी हम बनाएंगे, नौजवानों को रोजगार देंगे और यह देश यह सपना देखकर के चलता है कि 2020 में आज हम दुनिया में जिस जगह हैं उससे दो कदम आगे चल सकते हैं या नहीं चल सकते। उस दिशा में हम काम करना चाहते हैं। आज China से स्टीयल हमकों लाना पड़ रहा है। हम स्टीाल iron ore होने के बावजूद भी उत्पाददन नहीं करते। हमारी जो खनिज संपदा है आखिरकार जो लोग अर्थशास्त्रा के पंडित हैं वो भलिभांति जानते हैं पैसा आएगा कहां से? वो भली-भांति जानते हैं पैसा आएगा कहां से आएगा? देश को विकास करना है तो धन कहां से आएगा, धन कहां से पैदा होगा, तीन प्रमुख जगहें हैं, तीन प्रमुख जगह हैं जहां से पैसा ज्यादा से ज्यासदा आने की संभावना है:
• एक हमारी उर्वरा भूमि से, हम जितना ज्या्दा मूल्येवान उत्पाददन करें,
• दूसरा हमारी खनिज संपदा उसमें Value Addition करके मूल्यू वृद्धि करके, उसमें से हम नये product बनायें, हमारे खजाने में पैसा आता है और
• तीसरा सवा सौ करोड़ देशवासियों की ताकत, उनका हुनर, हमारे नौजवानों की Skill , हमारे नौजवानों की बुद्धि, हमारी ज्ञान शक्ति, हमारी कौशल्य शक्ति, वो रूपयों को पैदा कर सकती है
और इसलिए हमने इन तीन ही धाराओं को ले करके, एक तरफ देश के नौजवानों को हुनर सिखाना, दूसरी तरफ खनिज संपदा में मूल्यन वृद्धि करना, और तीसरी तरफ, soil health Card जैसे प्रयोगों द्वारा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के द्वारा, किसानों को पानी पहुंचा करके जमीन की परख करके उतम से उत्पा दन कैसे हो, उसके रास्तेा दिखा करके कम जमीन में ज्या दा उत्पाेदन परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारे, ऐसा उत्पामदन उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।
और मुझे विश्वा्स है एक साल के भीतर-भीतर हमने पाया है। आज सारी दुनिया कहने लगी है, आज हिंदुस्ताहन दुनिया में, मेरे प्या रे भाइयों और बहनों गर्व कीजिए, पूरा विश्वो कह रहा था एक साल पहले कि हिंदुस्ता न डूब जाएगा, हिंदुस्तापन कुछ नहीं कर सकता है, हिंदुस्ता न लुढ़क गया है, दुनिया की आर्थिक रचना में, अब हिंदुस्तानन अपनी जगह नहीं बना सकता, ये सारी दुनिया ने मान लिया था। एक साल के भीतर-भीतर पूरा विश्वह एक स्वर से कह रहा है। IMF हो, World Bank हो, Moody’s हो हर कोई दुनिया की जितनी rating agency है सारी rating agency ये कह रही हैं - भारत आज दुनिया का सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला देश बन गया है। दुनिया का सबसे तेज गति से आर्थिक विकास करने वाला देश बन गया है।
भाईयों और बहनों, मजबूत नींव रखी गई है एक साल के भीतर-भीतर और मजबूत नींव को देख करके दुनिया कहने लगी है कि विश्वत की अर्थ रचना में भारत तेज गति से अपनी जगह बना रहा है। भाईयों और बहनों, खास करके नौजवानों को रोजगार देना है, गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है, नौजवानों की ताकत से लड़नी है, सरकार और जनता साथ मिल करके चलें तो हम कैसा परिवर्तन ला सकते हैं, इसका ये उत्तंम उदाहरण है। .
मैं चाहता हूं, बंगाल भी विकास की नई ऊंचाईयों पर पहुंचे, और जो बंगाल का भव्यी इतिहास था, पूरे हिंदुस्ताकन की आर्थिक डोर बंगाल के हाथ में हुआ करता था। देश को आर्थिक देने का काम कभी बंगाल किया करता था। वो ताकत फिर से मिलेगी। बंगाल बहुत आगे बढ़ेगा, पूर्वी हिंदुस्ताथन को आगे बढ़ाएगा। इतना ही नहीं पूर्व के देशों के साथ हमारे संबंधों को मजबूत बनाने में बंगाल की आर्थिक ताकत बहुत काम आने वाली है। इसलिए राष्ट्रीय कारणों से, अंतर्राष्ट्रीय कारणों से, पूरी दुनिया की तरफ आगे बढ़ने के लिए जब हमारी Act East Policy है तब बंगाल की एक अहम भूनिका है। और मुझे विश्वास है कि टीम इंडिया की यह ताकत, केन्द्र और राज्य की मिलकर के आगे बढ़ने की यह ताकत हमारे सारे सपनों का पूरा करने में काम आएगी।
इसी एक विश्वास के साथ मैं फिर एक बार आप सभी का हृदय से धन्यवाद करता हूँ। और मैं सभी मेरे मजदूर भाईयों और बहनों को विश्सास दिलाता हूँ कि आपका पसीना बेकार नही जाएगा। आपका पसीना बेकार नही जाएगा। आपका पसीना ही है जो पूरे विश्वा में हिंदुस्ता न की आबो-हवा को बदलेगा। यह मेरा विश्वा स है।
मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यैवाद।
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल जी, नवसारी के सांसद और केंद्र सरकार में मेरे साथी, केंद्रीय मंत्री भाई सी आर पाटिल, मंच पर उपस्थित पंचायत के सदस्यगण और लखपति दीदीयों, अन्य जनप्रतिनिधिगण और यहां बड़ी संख्या में आए, विशेषकर के मेरी माताएं-बहनें और बेटियां, आप सभी को नमस्कार!
कुछ दिन पहले महाकुंभ में मां गंगा का आशीर्वाद मिला था। और आज मातृशक्ति के इस महाकुंभ में मुझे आशीर्वाद मिला है। महाकुंभ में माता गंगा के आशीर्वाद मिले और आज मातृशक्ति के इस महाकुंभ में आप सभी माताओं–बहनों के आशीर्वाद मिले। आज महिला दिवस का ये दिन, गुजरात की मेरी मातृभूमि और इतनी बड़ी संख्या में आप सब माताओं-बहनों-बेटियों की उपस्थिति, इस विशेष दिन आपके इस प्यार, स्नेह और आशीर्वाद के लिए मैं मातृशक्ति को सर झुकाकर नमन करता हूं। गुजरात की इस धरती से मैं सभी देशवासियों को, देश की सभी माताओं-बहनों को, महिला दिवस की शुभकामनाएं भी देता हूं। आज यहां गुजरात सफल और गुजरात मैत्री, इन दो योजनाओं का शुभारंभ भी हुआ है। अनेक योजनाओं के पैसे भी महिलाओं के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर किए गए हैं। मैं इसके लिए भी आप सभी को बधाई देता हूं।
साथियों,
आज का दिन महिलाओं को समर्पित है, हम सबके लिए महिलाओं से प्रेरणा प्राप्त करने का दिवस है, महिलाओं से कुछ सीखने का दिवस है और आज के इस पवित्र दिवस पर, मैं आप सभी का अभिनंदन भी करता हूं, आभार भी व्यक्त करता हूं। आज इस दिन मैं गर्व से कह सकता हूं कि मैं दुनिया का सबसे धनवान व्यक्ति हूं। जब मैं कहता हूं ना, मैं दुनिया का सबसे धनवान व्यक्ति हूं, मैं जानता हूं कई लोगों के कान खड़े हो जाएंगे, आज पूरी ट्रोल सेना मैदान में उतर जाएगी, लेकिन मैं फिर भी दोहराऊंगा कि मैं दुनिया का सबसे धनवान व्यक्ति हूं। मेरी जिंदगी के एकाउंट में करोड़ों माताओं-बहनों-बेटियों का आशीर्वाद है और ये आशीर्वाद निरंतर बढ़ता जा रहा है। और इसलिए मैं कहता हूं, मैं दुनिया का सबसे धनवान व्यक्ति हूं। माताओं-बहनों और बेटियों का ये आशीर्वाद मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा है, सबसे बड़ी ताकत है, सबसे बड़ी पूंजी है, मेरा सुरक्षा कवच है।
साथियों,
हमारे यहां शास्त्रों में नारी को नारायणी कहा गया है। नारी का सम्मान, यही समाज और देश के विकास की पहली सीढ़ी होती है। इसलिए विकसित भारत बनाने के लिए, भारत के तेज विकास के लिए, आज भारत विमेन लेड डेवलपमेंट की राह पर चल पड़ा है। हमारी सरकार महिलाओं के जीवन में सम्मान और सुविधा दोनों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। हमने करोड़ों महिलाओं के लिए शौचालय बनवाकर उनका सम्मान बढ़ाया, और मेरी उत्तर प्रदेश की काशी की बहनें तो अब शौचालय शब्द का प्रयोग नहीं करती हैं, वो कहती हैं ये तो मोदी जी ने इज्जत घर बनाया है। हमने करोड़ों महिलाओं के बैंक खाते खुलवाकर उन्हें बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ा, हमने उज्ज्वला सिलेंडर देकर उन्हें धुएं जैसी तकलीफों से भी बचाया। कामकाजी महिलाओं को पहले गर्भावस्था में सिर्फ 12 हफ्ते की छुट्टी मिलती थी। सरकार ने इसे भी बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया। तीन तलाक के खिलाफ कानून की हमारी मुस्लिम बहनें वर्षों से डिमांड कर रही थीं। तीन तलाक के खिलाफ सख्त कानून बनाकर हमारी सरकार ने लाखों मुस्लिम बहनों का जीवन तबाह होने से बचाया है। जब कश्मीर में आर्टिकल 370 लागू था, तो वहां की बहनें-बेटियां कई अधिकारों से वंचित थीं। अगर वो राज्य के बाहर किसी से शादी कर लेती थीं, तो पुश्तैनी संपत्ति पाने का उनका अधिकार छिन जाता था। आर्टिकल 370 की दीवार गिरने के बाद जम्मू-कश्मीर में भी महिलाओं को वो सारे अधिकार मिले हैं, जो भारत की बेटियों को, बहनों को मिलते हैं। भारत का हिस्सा होने के बावजूद भी मेरी माताएं-बहनें-बेटियां कश्मीर में उससे वंचित थी और संविधान का ढोल पीटने वाले लोग आंखें बंद कर करके बैठे थे। महिलाओं का अन्याय उनके लिए चिंता का विषय नहीं था। संविधान का सम्मान कैसे होता है, ये मोदी ने धारा 370 हटाकर के देश के चरणों में समर्पित कर दिया।
साथियों,
आज समाज के स्तर पर, सरकार के स्तर पर, बड़ी-बड़ी संस्थाओं में महिलाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा अवसर बन रहे हैं। राजनीति का मैदान हो या खेल का मैदान, न्यायपालिका हो या फिर पुलिस, देश के हर सेक्टर में, हर क्षेत्र में, हर आयाम में महिलाओं का परचम लहरा रहा है। 2014 के बाद से देश के महत्वपूर्ण पदों पर महिलाओं की भागीदारी बहुत तेजी से बढ़ी है। 2014 के बाद ही, केंद्र सरकार में सबसे ज्यादा महिला मंत्री बनीं। संसद में भी महिलाओं की मौजूदगी में बड़ा इजाफा हुआ। 2019 में पहली बार हमारी संसद में 78 महिला सांसद चुन कर आई थीं। 18वीं लोकसभा में, यानी इस बार भी, 74 महिला सांसद लोकसभा का हिस्सा हैं। हमारी अदालतों में, न्यायपालिका में भी महिलाओं की भागीदारी उतनी ही बढ़ी है। जिला न्यायालयों में महिलाओं की उपस्थिति 35 प्रतिशत से ज्यादा पहुँच गई है। कई राज्यों में सिविल जज के तौर पर नई भर्तियों में 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा हमारी बेटियाँ ही चुनकर आई हैं।
आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप ecosystem है। इनमें से करीब-करीब आधे स्टार्टअप्स में कोई ना कोई महिला निदेशक की भूमिका में है। भारत अन्तरिक्ष में, स्पेस साइन्स में अनंत ऊंचाइयों को छू रहा है। वहाँ भी, ज्यादातर बड़े मिशन को महिला वैज्ञानिकों की टीम लीड कर रही है। हम सबको ये देखकर गर्व होता है कि आज दुनिया में सबसे बड़ी संख्या में महिला पायलट हमारे भारत में हैं। हम यहां नवसारी के इस आयोजन में भी नारीशक्ति के सामर्थ्य को देख सकते हैं। इस आयोजन की पूरी जिम्मेदारी महिलाओं ने संभाली है। इतने बड़े आयोजन की सुरक्षा में जो पुलिसकर्मी और ऑफिसर्स तैनात हैं, वे सब की सब महिलाएं ही हैं। कॉन्सटेबल, इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर, डीएसपी से लेकर वरिष्ठ ऑफिसर्स तक यहां की सुरक्षा व्यवस्था महिलाएं ही संभाल रही हैं। ये नारीशक्ति के सामर्थ्य का ही उदाहरण है। अभी कुछ देर पहले मैं यहां स्वयं सहायता समूह से जुड़ी, आप में से ही, कुछ बहनों से बात भी कर रहा था। मेरी बहनों के वो शब्द, आप सबका ये उत्साह, ये आत्मविश्वास, ये दिखा रहा है कि भारत की नारीशक्ति का सामर्थ्य क्या है! ये दिखा रहा है कि भारत की नारीशक्ति ने कैसे देश की प्रगति की बागडोर थाम ली है। मैं आप सभी से मिलता हूं, तो मेरा ये भरोसा और पक्का हो जाता है कि विकसित भारत का संकल्प अब पूरा होकर ही रहेगा। और इस संकल्प की सिद्धि में हमारी नारीशक्ति की सबसे बड़ी भूमिका होगी।
माताओं-बहनों,
हमारा गुजरात तो women led development, यानी महिलाओं के नेतृत्व में विकास का बड़ा उदाहरण है। गुजरात ने देश को सहकारिता का सफल मॉडल दिया। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी आप सब बहनें जानती हैं, गुजरात का सहकार मॉडल यहां की महिलाओं के श्रम और सामर्थ्य से ही विकसित हुआ है। अमूल की चर्चा तो आज पूरी दुनिया में है। गुजरात के गाँव-गाँव से लाखों महिलाओं ने दुग्ध उत्पादन को एक क्रांति बना दिया। गुजरात की बहनों ने न केवल खुद को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई ताकत दी। गुजराती महिलाओं ने ही लिज्जत पापड़ की भी शुरुआत की। आज लिज्जत पापड़ अपने आप में सैकड़ों करोड़ रुपए का एक ब्रैंड बन गया है।
माताओं-बहनों,
मुझे याद है, जब मैं यहां मुख्यमंत्री के रूप में आपकी सेवा में था, तब हमारी सरकार ने बहनों-बेटियों के हितों को ध्यान में रखते हुए चिरंजीवी योजना, बेटी बचाओ अभियान, ममता दिवस, कन्या केलवणी रथ यात्रा, कुँवरबाई नु मामेरु, सात फेरा समूह लग्न योजना, अभयम हेल्पलाइन, ऐसे कितने ही काम किए थे। जब नीतियाँ सही होती हैं, तो नारी का सामर्थ्य कैसे बढ़ता है, गुजरात ने ये पूरे देश को दिखाया है। जैसे अभी मैंने दुग्ध सहकारिता की बात की! डेयरी के काम से जुड़ी इन्हीं महिलाओं के लोगों के खातों में गुजरात ने इसकी शुरुआत की। पहले ऐसा नहीं था, या तो कैश दिया जाता था या दूधवाला पैसे ले जाता था। हमने तभी तय कर लिया था कि डेयरी से दूध के पैसै बहनों के खाते में ही जमा होंगे, कोई भी उसे हाथ नहीं लगा सकता, और सीधे पैसे बहनों के खातों में ट्रान्सफर करना शुरू किया। आज उसी तरह देश के करोड़ों लाभार्थियों के खातों में कितनी ही योजनाओं का पैसा सीधा उनके खाते में पहुँच रहा है। Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए हजारों करोड़ रुपए के घोटाले बंद हुये, गरीबों को मदद मिल रही है।
साथियों,
गुजरात में ही, भुज भूकंप के बाद जब घरों का पुनर्निर्माण हुआ, तो हमारी सरकार ने वो घर भी महिलाओं के नाम कर दिए थे। यानि जब से हमने ये परंपरा शुरू की कि कि सरकार द्वारा बनाए गए मकान अब बहनों के नाम पर ही मिलेंगे और आज पूरे देश में जो पीएम आवास योजना चल रही है, वह सारी बातें देश भर में लागू हुई हैं। इतना ही नहीं बच्चे जब स्कूल में दाखिला लेते हैं, तब उनके पीछे बाप का नाम ही होता था, मैंने तय किया नहीं मां का नाम भी होना चाहिए। 2014 के बाद से अब तक करीब 3 करोड़ महिलाएं घर की मालकिन बन चुकी हैं।
साथियों,
आज पूरी दुनिया में जल जीवन मिशन की भी बड़ी चर्चा है। जल जीवन मिशन के जरिए आज देश के गाँव-गाँव में पानी पहुँच रहा है। पिछले 5 साल में ही लाखों गांवों के साढ़े 15 करोड़ घरों तक पाइप से पानी पहुंचाया गया है। इतने बड़े मिशन की सफलता में महिला पानी समितियों, महिलाओं की पानी समितियां हमने गुजरात में शुरू की। अब वह पूरे देश में चल रही है। पानी समितियों ने बड़ी भूमिका निभाई है। यह महिला पानी समितियों का ये मॉडल भी गुजरात ने ही दिया है। आज यही मॉडल पूरे देश में पानी के संकट को हल कर रहा है।
साथियों,
जब हम पानी की समस्या के समाधान की बात करते हैं, तो पानी को बचाना, यानी जल संरक्षण भी उतना ही जरूरी हो जाता है। आज देश भर में एक अभियान चलाया जा रहा है- Catch the rain! बूंद-बूंद पानी को पकड़ो, Catch the rain का मतलब है, जहां बारिश का पानी गिरे, उसे व्यर्थ नहीं जाने देना। गांव की सीमा का पानी गाँव में ही और घर का पानी घर में, उस पानी का संरक्षण करना! और मुझे खुशी है कि आज ये अभियान हमारे नवसारी के सांसद, सी आर पाटिल जी के नेतृत्व में देश भर में आगे बढ़ रहा है। और मुझे बताया गया है कि नवसारी की आप सभी बहनों ने भी इस दिशा में बहुत अच्छा काम किया है। बारिश के पानी को बचाने के लिए नवसारी में तालाब, चेक डैम, बोरवेल रीचार्ज, कम्यूनिटी सोक पिट जैसे 5 हजार से ज्यादा निर्माण पूरे किए जा चुके हैं। एक जिले में ये बहुत बड़ी बात है। अभी भी जल संरक्षण से जुड़े सैकड़ों कार्य नवसारी में चल रहे हैं। अभी सी आर मुझे बता रहे थे, पिछले दो-तीन दिन में ही 1100 और काम हो चुके हैं। आज भी एक ही दिन में एक हजार पर्कोलेशन पिट बनाने का काम किया जाना है। नवसारी जिला रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, यानी जल संरक्षण में गुजरात के सबसे आगे रहने वाले जिलों में से एक है। मैं इस उपलब्धि के लिए नवसारी की माताओं-बहनों-बेटियों को विशेष तौर पर बधाई देता हूँ। आज मैं देख रहा था, एक ही जिले से यह लाखों माताओं का महाकुंभ और मैं देख रहा था कि जब बेटा घर आता है तो मां का चेहरा कैसे खिल उठता है। ऐसे सब के चेहरे आज खिल उठे हैं और यह तो वो बेटा है, जिसे आपने तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाया है, आप के आशीर्वाद से बना है और इसलिए, बेटा घर आये और मां का चेहरा खिल उठे, ऐसे आज यहां हरेक मां के चेहरे पर यह संतोष, यह आनंद और यह आशीर्वाद के भाव मेरे जीवन को धन्य बना रहा है।
साथियों,
गुजरात की महिलाओं का सामर्थ्य, गुजरात के उदाहरण किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं। यहां पंचायत चुनावों में 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की गई है। जब आपने मुझे प्रधानसेवक के तौर पर दिल्ली भेजा, तो उसी अनुभव को, उसी प्रतिबद्धता को मैं देश में लेकर के गया। जब देश को नई संसद मिली, तो हमने सबसे पहला बिल नारी शक्ति के लिए पास किया। यह संसद का जो भवन बना है, उसमें हमने पहला काम किया, बहनों के लिए और यही, माताओं और बहनों के प्रति मोदी की समर्पण भावना को दर्शाता है। और आप जानती हैं, नारी शक्ति वंदन अधिनियम से जुड़ी हुई सबसे गर्व की बात क्या है? एक सामान्य पृष्ठभूमि, एक आदिवासी परिवार से आने वाली हमारी राष्ट्रपति जी ने इस बिल पर मुहर लगाई, मंजूरी दी है। वो दिन दूर नहीं, जब आप में से कोई सांसद या विधायक बनकर ऐसे ही मंच पर बैठा होगा।
साथियों,
गांधी जी कहते थे- देश की आत्मा ग्रामीण भारत में बसती है। आज मैं इसमें एक पंक्ति और जोड़ता हूं। ग्रामीण भारत की आत्मा, ग्रामीण नारी के सशक्तिकरण में बसती है। इसीलिए, हमारी सरकार ने महिलाओं के अधिकारों को और महिलाओं के लिए नए अवसरों को बड़ी प्राथमिकता दी है। आज भारत दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी economy बन चुका है। देश की इस आर्थिक प्रगति की जो नींव है, वो आप जैसी करोड़ों महिलाओं ने ही रखी है। इसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था और महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप्स की अहम भूमिका है। आज देश की 10 करोड़ से ज्यादा महिलाएं 90 लाख से ज्यादा सेल्फ हेल्प ग्रुप्स चला रही हैं, स्वयं सहायता समूह। इनमें से 3 लाख से ज्यादा सेल्फ हेल्प ग्रुप्स अकेले गुजरात में काम कर रहे हैं। हमने देश की आर्थिक प्रगति के लिए इन करोड़ों महिलाओं की आमदनी बढ़ाने का संकल्प लिया है। हम इन बहनों को लखपति दीदी बना रहे हैं। करीब डेढ़ करोड़ महिलाएं ऐसी हैं, जो लखपति दीदी बन चुकी हैं। अगले 5 वर्षों में हम कुल 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का संकल्प लेकर चल रहे हैं। और जिस तेजी से बहनें काम कर रहीं हैं, उससे तो लगता है, शायद हमें इतना इंतजार भी नहीं करना पड़ेगा, उसके पहले ही हो जाएगा।
माताओं-बहनों,
जब हमारी एक बहन लखपति दीदी बनती हैं, तो पूरे परिवार का भाग्य बदल जाता है। महिलाएं अपने काम में गाँव की दूसरी महिलाओं को भी जोड़ती हैं। और मेरा तो विश्वास है जिस काम को माताएं-बहनें हाथ लगाती हैं ना, उस काम का गर्व भी बढ़ जाता है। धीरे-धीरे घर से शुरू हुआ काम एक आर्थिक आंदोलन बन जाता है। सेल्फ हेल्प ग्रुप्स के इसी सामर्थ्य को निखारने के लिए बीते 10 वर्षों में हमारी सरकार ने इसके बजट को 5 गुना बढ़ा दिया। इन स्वयं सहायता समूहों को 20 लाख रुपए तक का बिना गारंटी का लोन दिया जा रहा है, 20 लाख रुपया और वो भी कोई गारंटी नहीं, बिना गारंटी के मिलता है। सेल्फ हेल्प ग्रुप की महिलाओं को नए कौशल और नई तकनीक से जुड़ने के रास्ते भी दिए जा रहे हैं।
साथियों,
आज देश की नारीशक्ति, हर आशंका को परास्त करके, हर संदेह को पीछे छोड़कर, आगे बढ़ रही है। जब हमने ड्रोन दीदी योजना शुरू की, तो कई लोगों को आशंका थी। उन्हें, ड्रोन जैसी आधुनिक टेक्नॉलजी और ग्रामीण महिलाओं के बीच तालमेल होने पर ही संदेह था। उनको लगता था नहीं-नहीं ये कैसे कर सकती हैं। लेकिन मुझे अपनी बहनों, बेटियों की प्रतिभा और लगन पर पूरा भरोसा था। आज, नमो ड्रोन दीदी अभियान से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में, खेती में नई क्रांति हो रही है और इस क्रांति का नेतृत्व करने वाली बहनों को लाखों रुपए की आय हो रही है, पूरे गांव में उनका सम्मान बदल जाता है। घर, परिवार, रिश्तेदार, गांव, बड़े गर्व के साथ पायलट दीदी को देख रहे हैं, ड्रोन दीदी को देख रहे हैं। इसी तरह, बैंक सखी और बीमा सखी जैसी योजनाओं ने गांवों में महिलाओं को नए अवसर दिए हैं। ग्रामीण बहनों के सशक्तिकरण के लिए कृषि सखी और पशु सखी अभियान शुरु किए गए हैं। इनसे लाखों बहनें जुड़ी हैं, उनकी आय बढ़ रही है।
बहनों-बेटियों,
सरकार के ऐसे सारे प्रयासों का ज्यादा से ज्यादा लाभ गुजरात की महिलाओं तक पहुंचे, इसके लिए गुजरात सरकार ने 10 लाख और महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का अभियान शुरू कर दिया है। मैं इसके लिए भूपेंद्र भाई को, गुजरात सरकार को शुभकामनाएं देता हूं।
साथियों,
मैंने लाल किले से प्रधानमंत्री के बाद जब पहली बार मुझे लाल किले पर से देश को संबोधन करने का अवसर मिला था और मेरे पहले संबोधन में, मैंने चिंता व्यक्त की थी और मैंने कहा था कि जब बेटी शाम को अगर देर से घर आती है, तो मां और बाप दोनों उसे नोच लेते हैं, कहां गई थी? क्यों देर से आई? कहां थी?सैंकड़ों सवाल पूछते हैं। और मैंने सवाल उठाया था, कि बेटियां अगर बाहर से देर से आ जाए तो सैंकड़ों सवाल तो पूछ लेते हो, लेकिन क्या कभी बेटा देर रात घर आता है, तो कभी उसको भी तो पूछा करो, बेटे कहां गए थे तुम? किसके पास थे? क्या कर रहे थे?
महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए, एक बेहतर समाज बनाने के लिए ये बहुत ज़रूरी है। बीते दशक में हमने महिला सुरक्षा को बहुत बड़ी प्राथमिकता दी है। उनके खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए नियम-कानूनों को हमने और सख्त बनाया है। महिलाओं के खिलाफ गंभीर अपराधों की तेजी से सुनवाई हो, दोषियों को तेजी से सज़ा हो, इसके लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट्स का गठन किया गया। अभी तक ऐसी करीब 800 कोर्ट्स, देशभर में स्वीकृत की गई हैं और इनमें से ज्यादातर ने काम करना शुरू कर दिया है। इनमें रेप और पॉक्सो से जुड़े करीब 3 लाख केस तेजी से निपटाए गए हैं। बहनों और बच्चों के साथ जुड़े ऐसे तीन लाख केसों पर फैसले निपटाए गए हैं। ये हमारी सरकार है, जिसने रेप जैसे संगीन अपराध में बलात्कारी को, हमने आ कर कानून बदला और ऐसे पापी को फांसी के फंदे पर ही लटकाना चाहिये, फांसी की सज़ा, ये हमने कानून बदला। हमारी सरकार ने 24x7, चौबीस घंटे, 365 दिन वीमेन हेल्पलाइन को मजबूत किया, महिलाओं के लिए वन स्टॉप सेंटर शुरु किए। देशभर में ऐसे 800 के करीब सेंटर चालू हो चुके हैं। इनसे भी 10 लाख से अधिक महिलाओं को मदद मिली है।
साथियों,
अब जो भारतीय न्याय संहिता देश में लागू हुई है, अंग्रेजों के काले कानून को हमने हटाया, देश की आजादी के 75 साल के बाद, ये पुण्य कार्य करने का सौभाग्य आप सबने मुझे दिया और क्या बदलाव किया? उसमें महिला सुरक्षा से जुड़े प्रावधानों को और ज्यादा सशक्त किया गया है। भारतीय न्याय संहिता में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों पर एक अलग अध्याय जोड़ा गया है। हम सभी की, पीड़ित बहनों की, समाज की ये शिकायत थी, कि अपराध होने पर बेटियों को तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख, यही सिलसिला चलता है, न्याय का लंबा इंतजार करना पड़ता है। भारतीय न्याय संहिता में इसका भी ध्यान रखा गया है। बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में 60 दिन के भीतर आरोप तय हों, 45 दिन के भीतर फैसला सुनाया जाए, ये व्यवस्था बनाई गई है। पहले पीड़ित को पुलिस थाने आकर FIR करवानी पड़ती थी, पुलिस स्टेशन जाना पड़ता था। अब नए कानूनों में, कहीं से भी e-FIR दर्ज कराई जा सकती है। इससे पुलिस को भी फौरन कार्रवाई करने में आसानी होती है। जीरो FIR के प्रावधान के तहत कोई भी महिला, अपने ऊपर अत्याचार होने पर किसी भी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करा सकती है। एक और प्रावधान किया गया है कि अब रेप विक्टिम का बयान पुलिस, ऑडियो-वीडियो के माध्यम से भी दर्ज कर सकती है। इसे भी कानूनी मान्यता दी गई है। पहले मेडिकल रिपोर्ट में भी काफी समय लग जाता था। अब डॉक्टरों द्वारा मेडिकल रिपोर्ट आगे बढ़ाने के लिए भी 7 दिन का समय तय कर दिया गया है। इससे पीड़ित महिलाओं को काफी मदद मिल रही है।
साथियों,
ये जितने भी नए प्रावधान, भारतीय न्याय संहिता में किए गए हैं, इनके परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं। सूरत जिले का ही एक उदाहरण है। पिछले साल अक्टूबर में, वहां एक बेटी के साथ गैंगरेप की दुखद वारदात हुई, वारदात गंभीर थी। भारतीय न्याय संहिता के बाद इस केस में सिर्फ 15 दिन के भीतर आरोप तय हुए और कुछ सप्ताह पहले दोषियों को उम्रकैद की सज़ा भी हो गई। 15 ही दिन में पुलिस ने अपना काम पूरा किया, न्याय की प्रक्रिया चली और छोटी अवधि में ही उम्रकैद की सजा हो गई। भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद, देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सुनवाई में बहुत तेजी आई है। यूपी के अलीगढ़ में एक अदालत ने नाबालिग से रेप के मामले में 20 साल की जेल की सजा सुनाई है। ये यूपी में भारतीय न्याय संहिता के तहत पहली सजा है, जिसमें आरोप पत्र दाखिल होने के 30 दिन के भीतर सज़ा सुनाई गई। कोलकाता की एक अदालत ने सात महीने की बच्ची से रेप के मामले में दोषी को फांसी की सज़ा सुनाई है। ये सज़ा अपराध के 80 दिनों के भीतर सुनाई गई है। देश के अलग-अलग राज्यों के ये उदाहरण, ये साफ दिखाते हैं कि भारतीय न्याय संहिता ने, हमारी सरकार ने जो अन्य फैसले लिए हैं, उन्होंने कैसे नारी की सुरक्षा को बढ़ाया है और नारी को जल्द न्याय भी सुनिश्चित किया है।
माताओं-बहनों,
सरकार के मुखिया के रूप में, आपके सेवक के रूप में, आप सबको ये विश्वास दिलाता हूं कि आपके सपनों के रास्ते में कोई बाधा नहीं रहने दूंगा। एक बेटा जिस भाव से मां की सेवा करता है, उसी भाव से मैं भारत मां और मेरी इन माताओं-बहनों की सेवा कर रहा हूं। मुझे भी पक्का भरोसा है, आप सबका ये श्रम, ये लगन, ये आशीर्वाद, इसी से 2047 तक, जब भारत की आजादी के 100 वर्ष हो रहे होंगे, 2047 में, विकसित भारत का हमारा जो लक्ष्य है, ये लक्ष्य पूरा होकर रहेगा। इसी भाव के साथ, आप सभी को, देश की हर माता-बहन-बेटी को एक बार फिर महिला दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूं, बहुत बधाई देता हूं। मेरे साथ बोलिये, दोनों हाथ ऊपर करके बोलिये-
भारत माता की– जय।
आज नारी की आवाज तेज होनी चाहिए,
भारत माता की – जय।
भारत माता की – जय।
भारत माता की – जय।
वंदे मातरम।
वंदे मातरम।
वंदे मातरम।
वंदे मातरम।
वंदे मातरम।
वंदे मातरम।
वंदे मातरम।
आज जब हम वंदे मातरम कहते हैं, तो भारत माता के साथ-साथ देश की करोड़ों माताओं के लिए भी- वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम। बहुत-बहुत धन्यवाद।