"संगीत एक ऐसा माध्यम है जो हमें हमारे सांसारिक कर्तव्यों से अवगत कराता है और यह हमें सांसारिक आसक्तियों को पार करने में भी मदद करता है"
"योग दिवस के अनुभव ने संकेत दिया है कि दुनिया को भारतीय विरासत से लाभ हुआ है और भारतीय संगीत में भी मानव मन की गहराई में उतरने की क्षमता है"
"दुनिया में हर व्यक्ति भारतीय संगीत के बारे में जानने, सीखने और लाभ पाने का हकदार है, इसका ख्याल रखना हमारी जिम्मेदारी है"
"आज के युग में जब प्रौद्योगिकी का प्रभाव व्यापक है, संगीत के क्षेत्र में भी प्रौद्योगिकी और आईटी क्रांति होनी चाहिए"
"आज हम काशी जैसे अपनी कला और संस्कृति के केन्द्रों का पुनर्जागरण कर रहे हैं"
 
 

 

नमस्कार !

इस विशेष आयोजन में उपस्थित दुर्गा जसराज जी, सारंगदेव पंडित जी, पंडित जसराज कल्चरल फ़ाउंडेशन के सह-संस्थापक नीरज जेटली जी, देश और दुनिया के सभी संगीतज्ञ और कलाकारगण, देवियों और सज्जनों !

हमारे यहाँ संगीत, सुर और स्वर को अमर माना गया है। कहा जाता है कि स्वर की ऊर्जा भी अमर होती है, उसका प्रभाव भी अमर होता है। ऐसे में, जिस महान आत्मा ने संगीत को ही जिया हो, संगीत ही जिसके अस्तित्व के कण-कण में गूँजता रहा हो, वो शरीर त्यागने के बाद भी ब्रह्मांड की ऊर्जा और चेतना में अमर रहता है।

आज इस कार्यक्रम में संगीतज्ञों, कलाकारों द्वारा जो प्रस्तुतियाँ दी जा रही हैं, जिस तरह पंडित जसराज जी के सुर, उनका संगीत हमारे बीच आज गूँज रहा है, संगीत की इस चेतना में, ये एहसास होता है जैसे पंडित जसराज जी हमारे बीच ही उपस्थित हैं, साक्षात् अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं।

मुझे खुशी है कि उनकी शास्त्रीय विरासत को आप सब आगे बढ़ा रहे हैं, उनकी विरासत को आने वाली पीढ़ियों और सदियों के लिए सुरक्षित कर रहे हैं। आज पंडित जसराज जी की जन्मजयंती का पुण्य अवसर भी है। इस दिन, पंडित जसराज कल्चरल फ़ाउंडेशन की स्थापना के इस अभिनव कार्य के लिए मैं आप सभी को बधाई देता हूँ। विशेष रूप से मैं दुर्गा जसराज जी और पंडित सारंगदेव जी को शुभकामनाएँ देता हूँ। आपने अपने पिता की प्रेरणा को, उनकी तपस्या को, पूरे विश्व के लिए समर्पित करने का बीड़ा उठाया है। मुझे भी कई बार पंडित जसराज जी को सुनने का, उनसे मुलाकात करने का सौभाग्य मिला है।

साथियों,

संगीत एक बहुत गूढ़ विषय है। मैं इसका बहुत जानकार तो नहीं हूँ, लेकिन हमारे ऋषियों ने स्वर और नाद को लेकर जितना व्यापक ज्ञान दिया है, वो अपने-आप में अद्भुत है। हमारे संस्कृत ग्रन्थों में लिखा है-

नाद रूपः स्मृतो ब्रह्मानाद रूपो जनार्दनः।

नाद रूपः पारा शक्तिःनाद रूपो महेश्वरः॥

अर्थात्, ब्रह्मांड को जन्म देने वाली, पालन करने वाली और संचालित करने वाली और लय करने वाली शक्तियाँ, नाद रूप ही हैं। नाद को, संगीत को, ऊर्जा के इस प्रवाह में देखने की, समझने की ये शक्ति ही भारतीय शास्त्रीय संगीत को इतना असाधारण बनाती है। संगीत एक ऐसा माध्यम है जो हमें सांसारिक कर्तव्यों का बोध भी कराता है और सांसारिक मोह से मुक्ति भी करता है। संगीत की खासियत यही है कि आप उसे छू भले ही नहीं सकते लेकिन वो अनंत तक गूंजता रहता है।

मुझे बताया गया है कि पंडित जसराज कल्चरल फ़ाउंडेशन का प्राथमिक उद्देश्य भारत की राष्ट्रीय विरासत, कला और संस्कृति की रक्षा होगा, इसका  विकास और प्रचार करना होगा। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि ये फाउंडेशन, उभरते हुये कलाकारों को सहयोग देगा, कलाकारों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए भी प्रयास करेगा। संगीत के क्षेत्र में शिक्षा और शोध को भी आप लोग इस फ़ाउंडेशन के जरिए आगे बढ़ाने का काम सोच रहे हैं। मैं मानता हूँ कि पंडित जसराज जी जैसी महान विभूति के लिए ये जो आपकी कार्य योजना है, आपने जो रोडमैप बनाया है, ये अपने-आप में बहुत बड़ी श्रद्धांजलि है। और मैं ये भी कहूंगा कि अब उनके शिष्यों के लिए एक तरह से ये गुरूदक्षिणा देने का समय है।

साथियों,

आज हम एक ऐसे समय में मिल रहे हैं जब टेक्नोलॉजी, संगीत की दुनिया में काफी प्रवेश कर चुकी है। मेरा इस कल्चरल फाउंडेशन से आग्रह है कि वो दो बातों पर विशेष फोकस करे। हम लोग ग्लोबलाइजेशन की बात तो सुनते हैं, लेकिन ग्लोबलाइजेशन की जो परिभाषाएं हैं, और वो सारी बातें घूम-फिर करके अर्थ केन्द्रित हो जाती हैं, अर्थव्‍यवस्‍था के पहलुओं को ही स्‍पर्श करती हैं। आज के ग्लोबलाइजेशन के जमाने में, भारतीय संगीत भी अपनी ग्लोबल पहचान बनाए, ग्लोबली अपना प्रभाव पैदा करे, ये हम सबका दायित्व है।

भारतीय संगीत, मानवीय मन की गहराई को आंदोलित करने का सामर्थ्य रखता है। साथ- साथ, प्रकृति और परमात्मा की वन-नेस के अनुभव को भी बल देता है। इंटरनेशनल योगा डे- अब सारी दुनिया में योगा एक प्रकार से सहज अस्तित्‍व उसका अनुभव होता हे। और उसमें एक बात अनुभव में आती है, कि भारत की इस विरासत से पूरी मानव जाति, पूरा विश्‍व लाभान्वित हुआ है। विश्व का हर मानवी, भारतीय संगीत को जानने-समझने, सीखने और लाभान्वित होने का भी हकदार है। ये हमारा दायित्व है कि हम इस पवित्र कार्य को पूरा करें।  

मेरा दूसरा सुझाव है कि जब  टेक्नोलॉजी का प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र में है, तो संगीत के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी और आईटी का रिवॉल्यूशन होना चाहिए। भारत में ऐसे स्टार्ट अप तैयार हों जो पूरी तरह संगीत को डेडिकेटेड हों, भारतीय वाद्य यंत्रों पर आधारित हों, भारत के संगीत की परंपराओं पर आधारित हों। भारतीय संगीत की जो पवित्र धारा है, गंगा जैसी पवित्र धाराएं हैं, उनको आधुनिक टेक्नोलॉजी से सुसज्जित कैसे करें, इस पर बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। जिसमें हमारी जो गुरू-शिष्‍य परंपरा है वो तो बरकरार रहनी चाहिए, लेकिन टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से एक वैश्विक ताकत प्राप्‍त होनी चाहिए, value addition होना चाहिए।

साथियों,

भारत का ज्ञान, भारत का दर्शन, भारत का चिंतन, हमारे विचार, हमारे आचार, हमारी संस्कृति, हमारा संगीत, इनके मूल में, ये सारी बातें मानवता की सेवा का भाव लिए हुए सदियों से हम सबके जीवन में चेतना भरती रहती हैं। पूरे विश्व के कल्याण की कामना सहज रूप से उसमें प्रकट होती है। इसीलिए, हम भारत को, भारत की परम्पराओं और पहचान को जितना आगे बढ़ाएँगे, हम मानवता की सेवा के उतने ही अवसर प्रशस्त करेंगे। यही आज भारत का मन्तव्य है, यही आज भारत का मंत्र है।

आज हम काशी जैसे अपनी कला और संस्कृति के केन्द्रों का पुनर्जागरण कर रहे हैं, पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति प्रेम को लेकर हमारी जो आस्था रही है, आज भारत उसके जरिए विश्व को सुरक्षित भविष्य का रास्ता दिखा रहा है। विरासत भीविकास भी इस मंत्र पर चल रहे भारत की इस यात्रा में 'सबका प्रयास' शामिल होना चाहिए।

मुझे विश्वास है, पंडित जसराज कल्चरल फ़ाउंडेशन अब आप सभी के सक्रिय योगदान से सफलता की नई ऊंचाई प्राप्त करेगा। ये फाउंडेशन, संगीत सेवा का, साधना का, और देश के प्रति हमारे संकल्पों की सिद्धि का एक महत्‍वपूर्ण माध्यम बनेगा।

इसी विश्वास के साथ, आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद और इस नवतर प्रयास के लिए मेरी अनेक-अनेक शुभकामनाएं !

धन्‍यवाद!

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
Employment increases 36 pc to 64.33 cr in last ten years: Mansukh Mandaviya

Media Coverage

Employment increases 36 pc to 64.33 cr in last ten years: Mansukh Mandaviya
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Prime Minister greets on the occasion of Urs of Khwaja Moinuddin Chishti
January 02, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi today greeted on the occasion of Urs of Khwaja Moinuddin Chishti.

Responding to a post by Shri Kiren Rijiju on X, Shri Modi wrote:

“Greetings on the Urs of Khwaja Moinuddin Chishti. May this occasion bring happiness and peace into everyone’s lives.