Quoteभारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच सहयोग की अपार संभावनाएं हैं: प्रधानमंत्री
Quoteभारत मध्य एशिया के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है और इसमें तुर्कमेनिस्तान की अहम भूमिका होगी: प्रधानमंत्री
Quoteभारत और तुर्कमेनिस्तान सामूहिक रूप से आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला करने के लिए सहमत
Quoteप्रधानमंत्री ने योग दिवस की वैश्विक सफलता में योगदान देने के लिए तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति और वहां के लोगों की सराहना की#YogaDay

महामहिम श्री राष्‍ट्रपति,

मीडिया के सदस्‍यों,

तुर्कमेनिस्‍तान में आना बहुत खुशी की बात है। मुझे अशगावात में आकर बहुत खुशी हो रही है।

राष्‍ट्रपति महोदय, मुझे तुर्कमेनिस्‍तान में जो स्‍वागत मिला और यहां के आतिथ्‍यसत्‍कार के लिए मैं आप और यहां की जनता का आभारी हूं।

 

हमारे संबंध लंबे समय से हैं और यह सभ्‍यता और संस्‍कृति में रचे-बसे हैं। यहां आकर जाना-पहचाना अहसास होता है और हमारे लोगों के बीच जान-पहचान एवं नेकी की भावना रची-बसी दिखती है। यह हमारे दोनों देशों के बीच निकट संबंधों की बुनियाद है।

भारत इस संबंध को बहुत महत्‍व देता है। 125 करोड़ लोगों की आबादी के साथ तेजी से बढ़ती अर्थव्‍यवस्‍था वाले भारत और संसाधनों में समृद्ध तुर्कमेनिस्‍तान के बीच सहयोग की असीम संभावनाएं हैं।

भारत मध्‍य एशिया के साथ अपने रिश्‍ते प्रगाढ़ कर रहा है इसलिए तुर्कमेनिस्‍तान इसमें महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

शांत एवं स्थिर अफगानिस्‍तान और मध्‍य एशिया में हमारे साझा हित हैं। हमारे क्षेत्र में आतंकवाद और उग्रवाद को काबू करने के लिए भी हमारे साझा उद्देश्‍य हैं।
दक्षिण और मध्‍य एशिया को जोड़ने से हमारे क्षेत्र में और उससे भी परे नए आर्थिक अवसर खुलेंगे। 

मैं इस विजन के बारे में बात करने और संबंध के प्रति ठोस समर्थन के लिए राष्‍ट्रपति महोदय का आभारी हूं।

हमारे संबंधों में सबसे अधिक महत्‍वपूर्ण तापी गैस पाइपलाइन है। यह  क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग का कायाकल्‍प कर सकती है और अपने मार्ग में समृद्धि ला सकती है। हम पाइपलाइन के लिए चार देशों के बीच समझौतों का स्‍वागत करते हैं। हम इस परियोजना के तेजी से कार्यान्‍वयन की जरूरत पर बल देते हैं।

मैं राष्‍ट्रपति से प्रस्‍ताव करता हूं कि हमें ईरान के जरिए जमीन और समुद्री मार्ग की अतिरिक्‍त संभावना सहित अनेक विकल्‍प तलाशने चाहिए।

हमने दोनों देशों के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में भारत की रुचि के बारे में बहुत सकारात्‍मक चर्चा की है। अगर हम ईरान के मार्ग का उपयोग करें तो अशगाबात हमारे मध्‍य एशिया में पहुंचने के लिए पहली राजधानी होगी।

हम अशगाबात समझौते में भारत को शामिल करने के तुर्कमेनिस्‍तान के समर्थन के आभारी हैं।


कजाखस्‍तान - तुर्कमेनिस्‍तान-ईरान रेल लिंक के साथ भारत सहयोग के महत्‍वपूर्ण क्षेत्र के रूप में प्रशिक्षण और मानव संसाधन विकास का प्रस्‍ताव करता है। भारत अपने प्रशिक्षण स्‍कोलरशिप कार्यक्रम में वृद्धि करेगा। मैं अशगाबात में तुर्कमेनिस्‍तान भारत औद्योगिक प्रशिक्षण संस्‍थान को उन्‍नत बनाने का स्‍वागत करता हूं।  

खेल और पर्यटन पर समझौतों से दोनों देशों के बीच संपर्क प्रगाढ़ होंगे।

आज बाद में, मुझे महात्‍मा गांधी की वक्ष प्रतिमाा का अनावरण करते हुए खुशी होगी। मुझे शांतिपूर्ण, समावेशी और न्‍यायप्रिय विशव के लिए साझा प्रतिबद्धता का स्‍मरण है।


मुझे उम्‍मीद है कि योग और पारंपरिक चिकित्‍सा केंद्र के शुभारंभ से लोगों को फायदा होगा। यह हमारे सांस्‍कृतिक रिश्‍तों का सम्‍मान है। इस अवसर पर पारंपरिक चिकित्‍सा पद्धति में सार्थक सहयोग की हमारी अति प्राचीन परंपरा को फिर से जीवित करने का अवसर मिला है। मैं प्रस्‍ताव करता हूं कि अशगाबात को अंतर्राष्‍ट्रीय साकल्‍यवादी हेल्‍थकेयर केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। मैं इसके लिए पूरे समर्थन का प्रस्‍ताव करता हूं।

रक्षा सहयोग समझौते से आतंकवाद पर लगाम कसने में सहयोग सहित हमारे निकट सुरक्षा सहयोग में साझा हितों का पता चलता है।

मैं 21 जून को अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस को दुनिया भर में बेहद सफल बनाने के लिए समर्थन देने पर तुर्कमेनिस्‍तान की राष्‍ट्रपति और जनता का आभारी हूं।

मैं तुर्कमेनिस्‍तान की स्‍थायी निष्‍पक्षता की 20वीं वर्षगांठ पर राष्‍ट्रपति को बधाई देता हूं। भारत तुर्कमेनिस्‍तान और व्‍यापक क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता के लिए इस नीति के योगदान का समझता है।


मैं फिर कहता हूं कि राष्‍ट्रपति जी यह बहुत छोटी मगर बेहद सार्थक यात्रा रही है। मुझे विश्‍वास है कि हमारा रिश्‍ता आने वाले वर्षों में और मजबूत होगा।

राष्‍ट्रपति जी, मुझे उम्‍मीद है कि आप जल्‍द भारत आएंगे।

धन्‍यवाद ।

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महामहिम,

विशिष्‍ट प्रतिनिधिगण, प्रिय मित्रों, नमस्कार।

आपदा रोधी अवसंरचना 2025 पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आपका स्वागत है। यूरोप में यह सम्मेलन पहली बार आयोजित किया जा रहा है। मैं अपने मित्र, राष्ट्रपति मैक्रों और फ्रांस सरकार की ओर से दिए गए सहयोग के लिए उनका आभार प्रकट करता हूँ। आगामी संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन के लिए भी मैं अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ।

मित्रों,

इस सम्मेलन का विषय है ‘तटीय क्षेत्रों के लिए सुदृढ़ भविष्य को आकार देना'। प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय क्षेत्र और द्वीप अतिशय जोखिम में हैं। हाल के दिनों में, हम : भारत और बांग्लादेश में चक्रवात रेमल, कैरिबियन में तूफान बेरिल, दक्षिण-पूर्व एशिया में तूफान यागी, अमेरिका में तूफान हेलेन, फिलीपींस में तूफान उसागी और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में चक्रवात चिडो के घटित होने के साक्षी बनें। ऐसी आपदाओं ने जान-माल को हानि पहुँचायी है।

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मित्रों,

भारत ने भी 1999 के सुपर-साइक्लोन और 2004 की सुनामी के दौरान इस दर्द को झेला है। हमने मजबूती को ध्यान में रखते हुए अनुकूलन और पुनर्निर्माण किया। संवेदनशील क्षेत्रों में चक्रवात आश्रयों का निर्माण किया गया। हमने 29 देशों के लिए सुनामी चेतावनी प्रणाली बनाने में भी मदद की।

मित्रों,

आपदा रोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन 25 छोटे द्वीपीय विकासशील देशों के साथ काम कर रहा है। मजबूत मकान, अस्पताल, स्कूल, ऊर्जा, जल सुरक्षा और पूर्व चेतावनी प्रणाली का निर्माण किया जा रहा है। इस सम्मेलन की थीम को देखते हुए, मुझे प्रशांत, हिंद महासागर और कैरिबियन के मित्रों को यहाँ देखकर प्रसन्‍नता हो रही है। इसके अलावा, मुझे खुशी है कि अफ्रीकी संघ भी सीडीआरआई में शामिल हो गया है।

मित्रों,

मैं आपका ध्यान कुछ महत्वपूर्ण वैश्विक प्राथमिकताओं की ओर आकर्षित करना चाहूंगा।

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प्रथम : आपदा से निपटने के लिए पाठ्यक्रम, मॉड्यूल और कौशल विकास कार्यक्रम को उच्च शिक्षा का हिस्सा बनाना चाहिए। इससे कुशल कार्यबल का निर्माण होगा, जो भविष्य की चुनौतियों से निपट सकता है।

द्वितीय : कई देश आपदाओं का सामना करते हैं और मजबूती के साथ पुनर्निर्माण करते हैं। उनकी सीख और सर्वोत्तम प्रथाओं का एक वैश्विक डिजिटल संग्रह तैयार करना लाभकारी होगा।

तृतीय : आपदा से निपटने के लिए अभिनव वित्तपोषण की आवश्यकता है। हमें कार्रवाई योग्य कार्यक्रम तैयार करने चाहिए और वित्त तक विकासशील देशों की पहुँच सुनिश्चित करनी चाहिए ।

चतुर्थ : हम छोटे द्वीपीय विकासशील देशों को बड़े महासागरीय देशों के रूप में देखते हैं। उनकी अतिसंवेदनशीलता के कारण उन पर विशेष रूप पर ध्यान देने की आवश्‍यकता है।

पंचम : प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों की मज़बूती और समन्वय बहुत महत्‍वपूर्ण है। इससे समय पर निर्णय लेने और अंतिम-सिरे तक प्रभावी संचार में मदद मिलती है। मुझे यकीन है कि इस सम्मेलन में होने वाली चर्चाओं में इन पहलुओं पर विचार किया जाएगा।

मित्रों,

आइए, हम ऐसे बुनियादी ढाँचे का निर्माण करें, जो हर चुनौती के खिलाफ मजबूती से डटा रहे। आइए, हम दुनिया के लिए एक मजबूत और लचीला भविष्य बनाएं।

धन्यवाद।