खेल का मूल्‍यांकन जीत और हार में नहीं समेटा जा सकता। खेलना और जूझना ही मूल्यांकन की सबसे बड़ी कसौटी है: प्रधानमंत्री
मुझे विश्‍वास है कि हमारे खिलाड़ी पूरी दुनिया का दिल जीतने में अवश्‍य सफल होंगे: प्रधानमंत्री मोदी
भारतीय खिलाड़ियों को जो भारतीय खाना पसंद है, उसकी व्यवस्था भारत सरकार करेगी: प्रधानमंत्री मोदी
मुझे विश्‍वास है कि रियो में हर दिन कहीं न कहीं तिरंगा फहराने का सौभाग्‍य प्राप्‍त होगा: प्रधानमंत्री
आओ खेलें, खेलें और‍ खिलें। हम भी खिलें, हमारा देश भी खिले: प्रधानमंत्री मोदी
 

मैं सबसे पहले, ये जो हजारों लोगों का जनसैलाब है, नौजवान है, उनसे आग्रह करता हूं कि आप सब मेरे साथ Rio पहुंचे हुए हमारे 119 खिलाडि़यों के लिए, उनके हौसले-अफजाई के‍ लिए मेरे साथ बोलेंगे भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।
ये उन 119 खिलाड़ी, भारत मां का जय-जयकार करने के लिए कठोर तपस्‍या करके, कड़ी मेहनत करके, वहां पर पहुंचे हैं। हर कसौटी से पार हो करके निकले हैं। जीतने के संकल्‍प को ले करके चले हैं। और वो जीत अपना नाम दर्ज कराने के लिए नहीं, वो जीत हिन्‍दुस्‍तान के सवा सौ करोड़ देशवासियों की आन-बान-शान के लिए है।
ज्‍यादातर खेल का मूल्‍यांकन जीत और हार में सिमट जाता है। खेल का मूल्‍यांकन जीत और हार में नहीं समेटा जा सकता। खेल, खिलाड़ी जूझने के लिए तैयार होता है, अपनी पूरी ताकत से कौश्‍लय से, stamina से देश के मान सम्‍मान के लिए, जूझता रहता है। यही उसकी सबसे बड़ी कसौटी होती है।

मुझे विश्‍वास है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों की शुभकामनाओं के साथ ये हमारे 119 खिलाड़ी, भारत की प्रतिष्‍ठा को बढ़ाने में अपना सब कुछ झोंक देंगे ये मुझे विश्‍वास है। और जब विदेश में हमारा दल जाता है, सिर्फ वो खेल के मैदान में, हिन्‍दुस्‍तान नजर नहीं आता, पूरे औलम्पिक के दौरान उसका बोलना-चालना, बैठना-उठना, मुझे विश्‍वास है कि हमारे खिलाड़ी, हमारे भारत का ये दल पूरी दुनिया के दिल को जीतने में अवश्‍य सफल होगा। उनके आचरण से, व्‍यवहार से, भारत की महान विरासत का परिचय करवाएगा।

आज हम Rio में बड़ी आस लगा करके बैठे हैं कि हमारे ये खिलाड़ी वहां क्‍या-क्‍या करते हैं। भारत एक शताब्‍दी से ज्‍यादा समय से ओलिम्‍पक खेलों के साथ जुड़ा हुआ है। एक सौ साल से भी ज्‍यादा समय से हम जुड़े हुए हैं। कम अधिक मात्रा में हमारे खिलाडि़यों को अवसर मिला है। लेकिन करीब करीब सौ साल से भी ज्‍यादा समय के बाद पहली बार 119 खिलाडि़यों का बड़ा दल हम Rio पहुंचाने में सफल हुए हैं।
2020 में (Twenty Twenty) में टोक्‍यों में ओलम्पिक होगा। मैं मेरे देश के नौजवानों का आह्वान करता हूं, हिन्‍दुस्‍तान के 600 से ज्‍यादा जिलों का आह्वान करता हूं, हर जिला संकल्‍प करे कि अगली बार टोक्‍यो के ओलम्पिक में न सिर्फ मेरे राज्‍य का, लेकिन मेरे जिले का भी कोई नुमाइदा टोक्‍यो खेलने तक पहुंचेगा। इस बार 119 गए हैं, क्‍या अगली बार 200 से ज्‍यादा खिलाडि़यों को पहुंचाने का संकल्‍प हम आज ही कर सकते हैं क्‍या?

जिन खेलों में आज हमारा दूर दूर का भी नाता नहीं है, क्‍या ऐसे नए खेलों को भी भारत की धरती पर भारत के नौजवानों को हम तैयार करने का काम अभी से शुरू कर सकते हैं? भारत के नौजवानों में सामर्थ्‍य है, talent है, संकल्‍प है और बड़े बड़े सपने भी हैं। इस बार हमें ज्‍यादा समय नहीं मिला। दो साल हुए हमारी सरकार बने, लेकिन आते ही हमने पूरे department को खेल के प्रति अद्वित, जागरूक करने का, संवेदनशील बनाने का, सक्रिय बनाने का एक अभिनव प्रयास किया है। पहले की तुलना में काफी बदलाव लाने में सफल हुए हैं। मेरे देश के नौजवान, भारत की आन-बान-शान की चिंता करने वाले मेरे नौजवान, कुछ बदलाव ऐसे किए हैं, जिन बदलाव से आपको ध्‍यान में आएगा कि अब भारत टोक्‍यो के लिए कैसी तैयारी कर रहा है।

पहले हमारे खिलाड़ी दुनिया के किसी देश में जाते थे खेलने के लिए जाते थे ओलम्पिक के लिए, तो नियम था दो दिन पहले पहुंचने का। अब jet-lag लगता है, climate बदल जाता है, दो दिन में वो बेचारा वहां set ही नहीं हो सकता है, और फिर तुरंत उसको खेल के मैदान में आना पड़ता है। इस बार हमने 15 दिन पहले खिलाडि़यों को Rio पहुंचा दिया है। ये इसलिए किया कि वो वहां के माहौल से पूरी तरह परिचित हो जाएं, मैदान से परिचित हो जाएं, वहां के weather से परिचित हो जाएं, climate से परिचित हो जाएं। वे अपने आपको set कर लें।

मेरे देश के प्‍यारे भाइयो-बहनों, खिलाड़ी मेहनत करने के लिए तैयार होता है, लेकिन कुछ comfort की भी जरूरत होती है। उसको भी मन करता है कि 20-25 दिन यहां रहता हूं, महीने भर रहता हूं, कहीं तो मेरे देश का खाना मिल जाए। हमारे खिलाडि़यों को, ओलम्पिक में जाते थे, उसी देश का खाना खाना पड़ता था। इस बार हमने स्‍पेशल बजट allow किया है। भारतीय खिला‍डि़यों के दल को जो भारतीय चीजें खाने की पसंद हैं, और जो उनके खेल के मुताबिक आवश्‍यक है वे सारी खिलाडि़यों को उपलब्‍ध कराने की व्‍यवस्‍था भारत सरकार करेगी, ताकि उनको ऐसी छोटी छोटी चीजों में।
आपको हैरानी होगी जब ओलम्पिक का गैम समाप्‍त होता है तो मीडिया में sports के कॉलम writer बहुत आलोचना करते हैं। करी‍ब 15 दिन, महीने भर, बाल नोचने का बड़ा अभियान चलता है। लेकिन महीने के बाद वो सारा विषय भुला दिया जाता है, और फिर जब चार साल के बाद ओलम्पिक आती हैं, तब याद किया जाता है कि पिछली बार क्‍या क्‍या हुआ था। हमने इस बार पिछली ओलम्पिक के समय क्‍या क्‍या आलोचनाएं हुई थीं, उसका दो साल पहले अध्‍ययन शुरू किया। सरकार बनने के बाद उन कमियों को दूर करने के लिए एक-एक कदम उठाना प्रारंभ किया, हमने को criticism को opportunity में convert करने के लिए उसका उपयोग किया। आपको जानकारी होगी, पहले ओलम्पिक की खबरों के बाद आता था कि खिला‍डि़यों के साथ जो सरकार के बाबू जाते हैं, अफसर जाते हैं उनको तो daily allowance में 100-100 डॉलर मिलता है। लेकिन खिलाड़ी, जो देश के लिए जिंदगी खपा देता है, उसको सिर्फ 50 डॉलर मिलते हैं। हमने आ करके तय किया ये भेदभाव क्‍यों? क्‍या कारण है कि बाबू को तो 100 डॉलर, और खिलाड़ी को 50 डॉलर? इस बार हमने तय कर दिया, दल में जो जाएंगे, सबको समान रूप से 100 डॉलर दिया जाएगा ताकि खिलाडि़यों को कोई कठिनाई न हो।

हमारे कभी कभी talent होती है लेकिन अंतराष्‍ट्रीय खेलों के लिए जिस प्रकार के साधन होते हैं, नियम होते हैं, पद्धतियां होती हैं, उससे हमारा खिलाड़ी परिचित नहीं होता। उसके लिए एक Global Level का exposure आवश्‍यक होता है। और इसलिए इस बार जो खिलाड़ी चुने गए, कि हां भई ये लोग हैं, जो ओलम्पिक में पहुंच सकते हैं, उनको कहा गया आप बताओ आपको दुनिया में किस जगह पर training के लिए जाना है? आपको किसके पास training लेनी है? शहर कौन सा, देश कौन सा, मैदान कौन सा, आपका trainer कौन सा, आप तय कीजिए। पहली बार देश के खिलाडि़यों ने अपनी पंसद का international trainer पसंद किया, अपनी पसंद का देश तय किया, अपनी पंसद का मैदान तय किया, और भारत सरकार ने एक एक खिलाड़ी के पीछे 30 लाख रुपये से ले करके डेढ़ करोड़ रुपये तक खर्च किया।

एक समय था ओलम्पिक को ध्‍यान में रखते हुए ज्‍यादा से ज्‍यादा 15 करोड़, 20 करोड़ का बजट रहता रहा करता था, इस बार हमने ये बजट करीब करीब सवा सौ करोड़ तक पहुंचा दिया है। और मेरे प्‍यारे नौजवानों, आप तैयारी करो, स्‍कूल के छोटे छोटे बालक तैयारी करो, Twenty-Twenty Tokyo के लिए तैयारी करो, ये सरकार हमारे खिलाडि़यों के माध्‍यम से दुनिया में अपनी आन-बान-शान के लिए पूरी ताकत आने वाले चार साल में लगा देगी, ये मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं। मैं आज भारत जिस खिलाड़ी के नाम से गर्व अनुभव करता है, उनकी साक्षी से खेल जगत की महान परम्‍परा को याद करते हुए Rio में जो खेल हो रहा है, Host Country को, हिस्‍सा लेने वाले देशों को, करतब दिखाने वाले खिलाडि़यों को सवा सौ करोड़ हिन्‍दुस्‍तानियों की तरफ से अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

मुझे विश्‍वास है कि पूरा ये समारोह जो विश्‍व में बंधुता का संदेश भी देता है, वो पूरी तरह निर्विघ्‍न सम्‍पन्‍न होगा और Host Country की भी आन-बान-शान को बढ़ाएगा, ऐसी मैं शुभकामनाएं देता हूं। मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों की तरफ से हिन्‍दुस्‍तान के उन 119 खिलाड़ी, उनको भी इन सवा सौ करोड़ देशवासियों की तरफ से शुभकामनाएं देता हूं।
Rio पहुंचे मेरे खिलाड़ी भाइयो-बहनों दुनिया से बहुत सारे खिलाड़ी वहां आए होंगे, लेकिन आप हैं, जिसके पीछे सवा सौ करोड़ लोग जी-जान से खड़े हैं। जब 15 अगस्‍त को हम हिन्‍दुस्‍तान में आजादी की 70वीं जयंती का तिरंगा फहरांएगे, मुझे विश्‍वास है इसी कालखंड में, Rio में भी हर दिन कहीं न कहीं तिरंगा फहराने का सौभाग्‍य प्राप्‍त होगा।

भाइयो-बहनों खेलना, ये जिंदगी की आवश्‍यकता है, अंतर्राष्‍ट्रीय जीवन में राष्‍ट्र की भी आवश्‍यकता बन गया है। आओ खेलें; खेलें और‍ खिलें। हम भी खिलें, हमारा देश भी खिले। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
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प्रधानमंत्री ने डॉ. हरेकृष्ण महताब को उनकी 125वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की
November 22, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज डॉ. हरेकृष्ण महताब जी को एक महान व्यक्तित्व के रूप में स्‍मरण करते हुए कहा कि उन्होंने भारत की स्‍वतंत्रता और प्रत्येक भारतीय के लिए सम्मान और समानता का जीवन सुनिश्चित करने के लिए अपना सम्‍पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। उनकी 125वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, श्री मोदी ने डॉ. महताब के आदर्शों को पूर्ण करने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई।

राष्ट्रपति की एक एक्स पोस्ट पर प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हुए प्रधानमंत्री ने लिखा:

"डॉ. हरेकृष्ण महताब जी एक महान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता दिलाने और हर भारतीय के लिए सम्मान और समानता का जीवन सुनिश्चित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। ओडिशा के विकास में उनका योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। वे एक प्रबुद्ध विचारक और बुद्धिजीवी भी थे। मैं उनकी 125वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनके आदर्शों को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता को दोहराता हूं।"