"परिश्रम ही हमारा एकमात्र रास्ता है और विजय ही एकमात्र विकल्प"
पहले केंद्र और राज्य सरकारों ने जिस तरह प्री-एम्प्टिव, प्रो-एक्टिव और कलेक्टिव अप्रोच अपनाई है, वही इस समय भी जीत का मंत्र है"
“ये हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है कि आज भारत, लगभग 92 प्रतिशत वयस्क जनसंख्या को पहली खुराक दे चुका है। देश में दूसरी खुराक की कवरेज भी 70 प्रतिशत के आसपास पहुंच चुकी है"
“अर्थव्यवस्था की गति बनी रहे, कोई भी रणनीति बनाते समय इसका ध्यान रखना बहुत आवश्यक है"
"वैरिएंट के बावजूद, महामारी से निपटने के लिए टीकाकरण सबसे महत्वपूर्ण तरीका है"
“कोरोना को हराने के लिए हमें अपनी तैयारी हर प्रकार से आगे रखने की जरूरत है। ऑमिक्रोन से निपटने के साथ-साथ हमें भविष्य के किसी भी वैरिएंट के लिए अभी से तैयारी शुरू करने की जरूरत है।"
मुख्यमंत्रियों ने कोविड-19 की लगातार लहरों के दौरान प्रधानमंत्री को उनके नेतृत्व के लिए धन्यवाद दिया

पहली मीटिंग है 2022 की। सबसे पहले तो आप सभी को लोहड़ी की बहुत-बहुत बधाई। मकर संक्रांति, पोंगल, भोगली बीहू, उत्तरायण और पौष पर्व की भी अग्रिम शुभकामनाएं। 100 साल की सबसे बड़ी महामारी से भारत की लड़ाई अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। परिश्रम हमारा एकमात्र पथ है और विजय एकमात्र विकल्प। हम 130 करोड़ भारत के लोग अपने प्रयासों से कोरोना से जीतकर अवश्य निकलेंगे, और आप सबसे जो बातें मेने सुनी है। उसमे भी वही विश्वास प्रकट हो रहा है। अभी ऑमिक्रोन के रूप में जो नई चुनौती आई है, जो केसों की संख्या बढ़ रही है, उसके बारे में हेल्थ सेक्रेटरी की तरफ से विस्तार से हमें जानकारी दी गई है। अमित शाह जी ने भी प्रारंभ में कुछ बातें हमारे सामने रखी है। आज अनेक मुख्यमंत्री समुदाय की तरफ से भी और वो भी हिन्दुस्तान के अलग – अलग कोने के काफी महत्वपूर्ण बातें हम सबके सामने आई है।

साथियों,

ऑमिक्रोन को लेकर पहले जो संशय की स्थिति थी, वो अब धीरे-धीरे साफ हो रही है। पहले जो वैरिएंट थे, उनकी अपेक्षा में कई गुना अधिक तेज़ी से ऑमिक्रोन वैरिएंट सामान्य जन को संक्रमित कर रहा है। अमेरिका जैसे देश में एक दिन में 14 लाख तक नए केसेस सामने आए हैं। भारत में हमारे वैज्ञानिक और हेल्थ एक्सपर्ट्स, हर स्थिति और आंकड़ों का लगातार अध्ययन कर रहे हैं। ये बात साफ है, हमें सतर्क रहना है, सावधान रहना है लेकिन Panic की स्थिति ना आए, इसका भी हमे ध्यान रखना ही होगा। हमें ये देखना होगा कि त्योहारों के इस मौसम में लोगों की और प्रशासन की एलर्टनेस कहीं से भी कम नहीं पड़े। पहले केंद्र और राज्य सरकारों ने जिस तरह pre-emptive, pro-active और collective approach अपनाई है, वही इस समय की जीत का मंत्र है। कोरोना संक्रमण को हम जितना सीमित रख पाएंगे, परेशानी उतनी ही कम होगी। हमें जागरूकता के फ्रंट पर, साइंस आधारित जानकारियों को बल देने के साथ ही अपने मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर को, मेडिकल मैनपावर को स्केल अप करते ही रहना पड़ेगा।

 

साथियों,

दुनिया के अधिकतर एक्सपर्ट्स का कहना है कि वेरिएंट चाहे कोई भी हो, कोरोना से लड़ने का सबसे कारगर हथियार - वैक्सीन ही है। भारत में बनी वैक्सीन्स तो दुनिया भर में अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर रही हैं। ये हर भारतीय के लिए गर्व का विषय है कि आज भारत, लगभग 92 प्रतिशत वयस्क जनसंख्या को पहली डोज़ दे चुका है। देश में दूसरी डोज की कवरेज भी 70 प्रतिशत के आसपास पहुंच चुके हैं। और हमारे वैक्सीनेशन अभियान को एक साल पूरा होने में अभी भी तीन दिन बाकी हैं। 10 दिन के भीतर ही भारत अपने लगभग 3 करोड़ किशोरों का भी टीकाकरण कर चुका है। ये भारत के सामर्थ्य को दिखाता है, इस चुनौती से निपटने की हमारी तैयारी को दिखाता है। आज राज्यों के पास पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन्स उपलब्ध हैं। Frontline workers और सीनियर सिटिजन्स को precaution dose जितनी जल्दी लगेगी, उतना ही हमारे हेल्थकेयर सिस्टम का सामर्थ्य बढ़ेगा। शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए हर घर दस्तक अभियान को हमें और तेज़ करना है। मैं आज अपने उन हेल्थकेयर वर्कर्स, हमारी आशा बहनों का भी अभिनंदन करता हूं जो मौसम की कठिन परिस्थितियों के बीच वैक्सीनेशन अभियान को गति देने में जुटे हैं।

साथियों,

टीकाकरण को लेकर भ्रम फैलाने की किसी भी कोशिश को भी हमें टिकने नहीं देना है। कई बार हमें ये सुनने को मिलता है कि टीके के बावजूद संक्रमण हो रहा है तो क्या फायदा? मास्क को लेकर भी ऐसी अफवाहें उड़ती हैं कि इससे लाभ नहीं होता। ऐसी अफवाहों को काउंटर करने की बहुत ज़रूरत है।

साथियों,

कोरोना से इस लड़ाई में हमें एक और बात का बहुत ध्यान रखना होगा। अब हमारे पास कोरोना से लड़ाई का दो साल का अनुभव है, देशव्यापी तैयारी भी है। सामान्य लोगों की आजीविका, आर्थिक गतिविधियों को कम से कम नुकसान हो, अर्थव्यवस्था की गति बनी रहे, कोई भी रणनीति बनाते समय हम इन बातों को जरूर ध्यान में रखें। ये बहुत आवश्यक है। और इसलिए लोकल containment पर ज्यादा फोकस करना बेहतर होगा। जहां से ज्यादा केस आ रहे हैं, वहां ज्यादा से ज्यादा और तेज़ी से टेस्टिंग हो, ये सुनिश्चित करना भी आवश्यक है। इसके अलावा हमें ये भी सुनिश्चित करना होगा कि होम आइसोलेशंस में ही ज्यादा से ज्यादा ट्रीटमेंट हो सके। इसके लिए होम आइसोलेशंस से जुड़ी गाइडलाइंस को, प्रोटोकॉल को उसे फॉलो करना और स्थितियों के अनुसार इंप्रोवाइज़ करना भी बहुत ज़रूरी है। होम आइसोलेशन्स के दौरान ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट की व्यवस्था जितनी बेहतर होगी, उतना ही अस्पतालों में जाने की आवश्यकता कम होगी। संक्रमण का पता चलने पर लोग सबसे पहले कंट्रोल रूप में संपर्क करते हैं। इसलिए उचित रिस्पॉन्स और फिर मरीज़ की लगातार ट्रैकिंग कॉन्फिडेंस बढ़ाने में बहुत मदद करती हैं।

मुझे खुशी है की कई राज्य सरकार इस दिशा में बहुत अच्छी तरह नए – नए इनोवेटिव प्रयास भी कर रही है प्रयोग भी कर रही हैं। केंद्र सरकार ने टेलिमेडिसिन के लिए भी काफी सुविधाएं विकसित की हैं। इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग, कोरोना संक्रमित मरीजों को बहुत मदद करेगा। जहां तक ज़रूरी दवाओं और ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की बात है, तो केंद्र सरकार हर बार की तरह हर राज्य के साथ खड़ी है। 5-6 महीने पहले 23 हज़ार करोड़ रुपए का जो विशेष पैकेज दिया गया था, उसका सदुपयोग करते हुए अनेक राज्यों ने हेल्थ इंफ्रा को सशक्त किया है। इसके तहत देशभर मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पतालों बच्चों के लिए 800 से अधिक विशेष पीडिएट्रिक केयर यूनिट्स स्वीकृत हुए हैं, करीब डेढ़ लाख नए ऑक्सीजन, ICU और HDU बेड्स तैयार किए जा रहे हैं, 5 हज़ार से अधिक विशेष एंबुलेंस और साढ़े 9 सौ से अधिक लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक की कैपेसिटी जोड़ी है। इमरजेंसी इंफ्रास्ट्रक्चर की कैपेसिटी को बढ़ाने के लिए ऐसे अनेक प्रयास हुए हैं। लेकिन हमें इस इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करते रहना है।

कोरोना को हराने के लिए हमें अपनी तैयारियों को कोरोना के हर वैरिएंट से आगे रखना होगा। ओमिक्रोन से निपटने के साथ ही हमें आने वाले किसी और संभावित वेरिएंट के लिए भी अभी से तैयारी शुरू कर देनी है। मुझे विश्वास है, हम सभी का आपसी सहयोग, एक सरकार का दूसरी सरकार के साथ समन्वय, कोरोना से लड़ाई में देश को ऐसे ही ताकत देता रहेगा। एक बात हम भलिभांति जानते हैं हमारे देश में एक हर घर में ये परंपरा है। जो आयुर्वेदिक चीजें हैं, जो काड़ा वगेरह पीने की परंपरा है। इस सीजन में उपकारक है इसको कोई मेडिसिन के रूप में नही कहता है। लेकिन उसका उपयोग है। और मैं तो देशवासियों से भी आग्रह करुंगा। कि यो जो हमारी परंपरागत घरगत्थु जो चीजें रहती हैं। ऐसे समय उसका भी काफी मदद मिलती है। उस पर भी हम ध्यान केंद्रित करें।

साथियों,

आप सभी ने समय निकाला, हम सबने अपनी चिंताएं साझा की। और हम सबने मिलकर के संकट कितना ही बड़ा क्यों न आए, हमारी तैयारियां, हमारा मुकाबला करने का विश्वास और विजयी होने के संक्लप के साथ हरेक की बातों में से निकल रहा है, और ये ही सामान्य नागरिक को विश्वास देता है। और सामान्य नागरिकों के सहयोग से हम इस परिस्थिति को भी सफलता से पार करेंगें। आप सभी ने समय निकाला इसके लिए मैं हृदय से आपका आभार व्यक्त करता हूं। बहुत – बहुत धन्यवाद।

 

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Prime Minister condoles passing away of former Prime Minister Dr. Manmohan Singh
December 26, 2024
India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji: PM
He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years: PM
As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives: PM

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has condoled the passing away of former Prime Minister, Dr. Manmohan Singh. "India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji," Shri Modi stated. Prime Minister, Shri Narendra Modi remarked that Dr. Manmohan Singh rose from humble origins to become a respected economist. As our Prime Minister, Dr. Manmohan Singh made extensive efforts to improve people’s lives.

The Prime Minister posted on X:

India mourns the loss of one of its most distinguished leaders, Dr. Manmohan Singh Ji. Rising from humble origins, he rose to become a respected economist. He served in various government positions as well, including as Finance Minister, leaving a strong imprint on our economic policy over the years. His interventions in Parliament were also insightful. As our Prime Minister, he made extensive efforts to improve people’s lives.

“Dr. Manmohan Singh Ji and I interacted regularly when he was PM and I was the CM of Gujarat. We would have extensive deliberations on various subjects relating to governance. His wisdom and humility were always visible.

In this hour of grief, my thoughts are with the family of Dr. Manmohan Singh Ji, his friends and countless admirers. Om Shanti."