Quoteकिसान को कोई आगे नहीं लाता बल्कि किसान देश को आगे ले जाता है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteसाल 2022 तक जब आजादी के 75 साल होंगे देश के किसान की आय दोगुनी हो, इसके लिए सरकार संकल्पबद्ध है: पीएम मोदी
Quoteहमें तकनीक आधारित कुछ ऐसे ठोस उपायोंकी तरफ बढ़ना होगा जिससे हमारे किसान भाइयों के सामने पराली जलाने की मजबूरी खत्म हो जाए और इससे पर्यावरण की भी रक्षा हो: प्रधानमंत्री

नमस्कार!

मंत्रिपरिषद के मेरे साथी राधामोहन सिंह जी, उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय एवं यशस्‍वी ऊर्जावान मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, जापान सरकार के असिस्टेंट डिप्युटी मिनिस्टर तकामी नाकाडा जी, इजराइल की प्रभारी राजदूत माया काडोश जी, कृषि जगत के वैज्ञानिक गण, अन्य महानुभाव और यूपी के कोने-कोने से पहुंचे मेरे प्‍यारे किसान बहनों और भाइयों!

प्रयागराज में लगने वाले अर्धकुंभ के लिए तो अभी कुछ महीने बाकी है। लेकिन यूपी की धरती पर एक और कुंभ आज से शुरु हो गया है। यूपी के अलग-अलग गांवों से करीब 50 हज़ार किसान, देश-विदेश से आए वैज्ञानिक, उद्यमी, लखनऊ में इस कृषि कुंभ का हिस्सा बन रहे हैं। मैं आप सभी का अभिवादन करता हूं, स्वागत करता हूं। और यूपी के सांसद के नाते भी ये मेरा कर्तव्‍य बनता है कि आपके सुख-दु:ख के साथी बनकर के आपके विकास यात्रा के लिए कुछ न कुछ प्रयास करता रहूं।

कुछ महीने पहले कृषि उन्नति मेले के दौरान मैंने वृहद किसान मेले लगाने की सलाह दी थी। इसका ही विस्तार आज हम कृषि-कुंभ के तौर पर देख रहे हैं। इस उत्तम प्रयास के लिए मैं योगी जी और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं। मैं इजराइल और जापान की सरकारों का भी आभार व्यक्त करना चाहूंगा जो इस आयोजन में हमारे पार्टनर हैं। वहीं पार्टनर राज्य के रूप में हिस्सा ले रहे हरियाणा को भी इस आयोजन से बहुत लाभ होने वाला है।

साथियों, कुंभ शब्द जब भी किसी आयोजन के साथ जुड़ता है तो उसका महत्व और व्यापक हो जाता है। कुंभ एक तरह से मानवता का, विचार का, विमर्श का एक अनंत अंतर-प्रवाह है। मुझे विश्वास है कि इसी परंपरा, इसी भावना को ये कृषि कुंभ साकार करेगा और आने वाले तीन दिनों में कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए तकनीक और अन्‍य अवसरों का नया रास्ता खोलेगा।

साथियों, मुझे बताया गया है कि इस मेले मेंलगभग 200 स्टाल लगाए गए हैं, जिनमें किसानों को नई तकनीकों की जानकारी दी जा रही है, कृषि से जुड़ी नई मशीनें वहां रखी गई हैं। मुझे विश्‍वास है कि जो भी किसान यहां आएगा वो इससे लाभान्वित होगा और उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ, गुणवत्ता भी सुनिश्चित करने में भी किसानों को मदद मिलेगी। 

साथियों, देश भर में खरीफ का सीज़न करीब-करीब पूरा होने जा रहा है। सभी किसान भाई-बहन आजकल बहुत व्यस्त हैं। इस बार भी रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है। यूपी तो वो जगह है जहां के मेहनती किसानों द्वारा देश के खाद्यान्न का लगभग 20 प्रतिशत उत्पादन किया जाता है।इसके लिए मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।देशभर की मंडियों में धान और दालों समेत तमाम फसलों की खरीददारी आज चल रही है। मुझे बताया गया है कि प्रदेश के अनेक हिस्सों में इसके लिए व्यापक प्रबंध भी किए गए हैं। इस बार तो किसानों को जो मूल्य मिल रहा है वो नए समर्थन मूल्य के आधार पर मिल रहा है।आप सभी की जानकारी में है कि सरकार ने रबी और खरीफ की 21 फसलों के समर्थन मूल्य में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है।इन फसलों पर अब लागत का कम से कम 50 प्रतिशत सीधा लाभ किसान को मिले यहतय किया गया है।

साथियों, यूपी के किसान जहां उत्पादन का रिकॉर्ड बना रहे हैं तो योगी जी की सरकार किसानों से खरीद के रिकॉर्ड तोड़ती ची जा रही है। और इसलिए मैं योगी जी की सरकार को बधाई देता हूं।गेहूं के मामले में इस बार करीब 50-55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है। जबकि पहले की सरकार में यही खरीद मात्र 7-8 लाख मीट्रिक टन हुआ करती थी। यानि करीब-करीब 7-8 गुणा किसानों से ख्‍रीददारी करके उनको सही दाम मिले इसकी चिंता भारतीय जनता पार्टी योगी जी की सरकार ने की है। यही नहीं ये जो खरीदारी की गई है ये ई-उपार्जन यानि तकनीक के माध्यम से सीधे किसान से की गई है, जिससे बिचौलियों को हटाने में भी मदद मिली है।

साथियों, ये बदलाव सिर्फ धान और गेहूं की खरीद में ही नहीं बल्कि गन्ने की खरीद प्रक्रिया को लेकर भी परिवर्तन स्पष्ट दिख रहा है। इस सीज़न का करीब 27 हजार करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किसानों को किया जा चुका है। इतना ही नहीं पिछले बकाए में से भी करीब 11 हजार करोड़ रुपए किसानों को दे दिए जा चुके हैं। मुझे बताया गया है कि चीनी मिलों पर जो बकाया है उसको भी जल्द दिलवाने का प्रयास योगी सरकार कर रही है।मुझे ये जानकर भी खुशी हुई कि यूपी सरकार ने पहली बार आलू खरीदने का भी फैसला लिया है। इससे निश्चित तौर पर उन किसानों को लाभ मिलने वाला है जिनको आलू का उचित मूल्य मिलने में समस्या आती थी।

साथियों, यूपी में हो रहे ये प्रयास केंद्र सरकार की उस प्रतिबद्धता का हिस्सा हैं, जिससे गांव और किसान हमारे आर्थिक चिंतन का एक प्रखर हिस्सा बने हैं। हमारा ये स्पष्ट मत है कि किसान को कोई आगे नहीं लाता बल्कि किसान देश को आगे ले जाता है। यही कारण है कि सरकार कृषि और किसान से जुड़ी समस्याओं पर टुकड़ों में काम करने की पुरानी सोच के बजाय अब पूरी समग्रता से काम कर रही है। हमारा ध्यान किसानों की छोटी-छोटी मुश्किलों को दूर करने पर है।

साथियों, साल 2022 तक जब आजादी के 75 साल होंगे देश के किसान की आय दोगुनी हो, इसके लिए सरकार संकल्पबद्ध है।किसानों की आय बढ़ाने के लिए कम लागत, अधिक लाभ की नीति पर चलते हुएखेती में वैज्ञानिक तरीकों का अभूतपूर्व समावेश किया जा रहा है। बीज से लेकर बाजार तक की एक मज़बूत व्यवस्था देश में तैयार की जा रही है।मिट्टी की सेहत से लेकर मंडियों में सुधार को लेकर अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। देशभर में करीब 16 करोड़ से अधिक सॉयल हैल्‍थ कार्ड किसानों को दिए जा चुके हैं, जिसमें से करीब 3 करोड़ यहीं यूपी में बांटे गए हैं। इससे किसानों को ये तय करने में आसानी होती है कि कौन सी फसल उस मिट्टी के लिए उपयुक्त रहेगी और कौन सा फर्टिलाइजर, कितनी मात्रा में डालना जरूरी है।

साथियों, मिट्टी की गुणवत्ता के साथ-साथ इसकी उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने के लिए आर्गेनिक फॉरमिंग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, wasteसे जो खाद बनती है उसके अधिक उपयोग के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। लेकिन देश की आवश्यकताओं के हिसाब से उत्पादन भी हो इसके लिए यूरिया जैसे फर्टिलाइजर की पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है। वहीं सिंचाई की व्यवस्था को भी मजबूत किया जा रहा है। बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट्स के अलावासिंचाई कीनई तकनीक को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। Per Drop, More Crop एक-एक बूंद से फसल को कैसे फायदा मिला। Per Drop, More Crop के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। Drip Irrigation, Sprinkler irrigation,यानि टपक सिंचाई, सूक्ष्‍म सिंचन पद्धतिजैसे वैज्ञानिक तरीके हमारी सिंचाई व्यवस्था का हिस्सा बन रहे हैं।

इजरायलको तो सिंचाई के इन नए तरीकों में महारथ हासिल है। वहीं जापान भी कृषि से जुड़ी तकनीक के मामले में बहुत व्यापक काम कर रहा है। लिहाज़ा इस कृषि कुंभ का पार्टनर होने के नाते आप सभी को, पूरे देश को इन दोनों देशों की विशेषज्ञता का लाभ मिलने वाला है।

साथियों, इसके साथ-साथ हम बिजली और डीजल पर चलने वाले पंपों को सोलर पंप में बदलने की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। इन व्यवस्थाओं के अतिरिक्त सिंचाई का बहुत बड़ा साधन हमारे पंप हैं, लिहाज़ा इसकी तरफ भी बहुत बड़ा प्रयास हो रहा है। बिजली या डीजल पर चल रहे इन पंपों को सूर्य ऊर्जा से चलने वाले सौर पंपों से बदलने का एक व्यापक अभियान चल रहा है। इसके तहत आने वाले चार वर्षों में, देशभर में करीब 28 लाख किसानों के खेतों में सोलर पंप लगाए जाने हैं।इससे किसानों को एक तो मुफ्त बिजली मिलेगी, दूसरा, जरूरत के अतिरिक्त जो बिजली पैदा होती है उसको वो बिजली वितरण कंपनियोंको बेच भी पाएंगे।

साथियों,एक समय था कल जो हमारा किसान अन्‍नदाता था वो आज ऊर्जादाता भी बनने की संभावना भी पैदा हो गई है। वो अन्‍नदाता भी है अब ऊर्जादाता भी बन जाएगा। साथियों,इस अभियान से किसानों के जीवन में कितना परिवर्तन आ रहा है इसका साक्षी मैं कुछ दिन पहले गुजरात जब गया तो मुझे देखने को मिला वहां एक गांव में कुछ किसान परिवारों ने मिलकर खेत के अंदर ही सोलर पैनल और सोलर पंप का काम शुरु किया। सूर्य किरणों से बिजली पैदा करना शुरू किया उससे अपना खेता का काम चलता था, पंप चलता था। इससे उनकी बिजली की जरूरत तो पूरी हुई ही, साथ में करीब 50 ह़जार रुपए प्रतिवर्ष वो बिजली बेचकर कमा रहे हैं।

साथियों, विज्ञान का सीधा लाभ किसान को मिले इसके लिए सरकार ने गंभीर प्रयास किए हैं। किसानों और वैज्ञानिकों से, अनुसंधान केन्‍द्रों से सीधे जोड़ने का काम किया जा रहा है। ताकि जो भी नई खोज खेती से जुड़ी हुई हो, बीज से जुड़ी हो, उसकी सही जानकारी कम से कम समय में किसान तक पहुंच सके।इसके लिए देशभर के लगभग 700 कृषि विज्ञान केन्‍द्रों को भी बहुत बड़ी भूमिका दी गई है। खेती पर रिसर्च से जुड़े आधुनिक संस्थान तैयार किए जा रहे हैं। वाराणसी में बन रहा Rice Research Centre इसी दिशा में एक बड़ा प्रयास भी है।किसान की पैदावार का अधिक दाम दिलाने के लिए Value Addition के लिए भी बड़े कदम सरकार ने उठाए हैं। Food Processing Sector में सौ प्रतिशत FDI का फैसला सरकार ने लिया है।

हम भी जानते हैं कि टमाटर बेचें तो सस्‍ते में जाता है लेकिन टमाटर का सूप बेचें और बोतल में भरकर बेचें तो ज्‍यादा पैसे मिलता है। कच्‍चे आम का कम पैसा मिलता है लेकिन कच्‍चे आम का अचार बनाकर बेचें तो अधिक पैसा मिलता है। हरी मिर्च का कम पैसा मिलता है लकिन मिर्ची का पाउडर बनाकर बेचें तो ज्‍यादा पैसा मिलता है। यह है Value Addition. इसके अलावा, इस साल बजट में टमाटर, प्याज और आलू की पैदावार से जुड़े Value addition के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि से TOPयोजना का भी ऐलान किया गया। इससे भी यूपी के आलू किसानों को काफी लाभ मिलेगा।इससे कृषि क्षेत्र में निवेश के रास्ते खुले हैं, जिसका बहुत बड़ा लाभ उत्तर प्रदेश को हो रहा है। मुझे बताया गया है कि यूपी Investors Summit में Food Processing sectorयानि कृषि उत्‍पादन सेक्‍टर में मूल्‍य वृद्धिमें करीब 16 हजार करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव आए थे। इसमें से साढ़े 3 हज़ार करोड़ की 14 परियोजनाओं का लोकार्पण भी हो चुका है।

साथियों, ये तो वो काम हैं जो खेती को लाभकारी बनाने के लिए किए जा रहे हैं, इसके अलावा दूसरे माध्यमों से भी किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं।Green Revolution के सफल प्रयोग के बाद अब हम White Revolution, Sweet Revolution, Blue Revolution जैसे नए रास्तों पर निकल पड़े हैं। दूध उत्पादन हो, शहद उत्पादन हो, अंडा या मछली उत्पादन हो, देश नए-नए रिकॉर्ड बना रहा है।दो दिन पहले ही भारत सरकार ने मछली उत्पादन से जुड़े किसान परिवारों को, मछुआरे भाई-बहनों के लिए एक बहुत बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने साढ़े 7 हज़ार करोड़ रुपए के एक नए फंड को मंज़ूरी दे दी है।

साथियों, इस कृषि कुंभ में मौजूद आप सभी किसान, खेती से जुड़े एक्सपर्ट, वैज्ञानिक, भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। क्योंकि आप जो कुछ भी कर रहे हैं उसका आने वाले समय में तेज़ी से बढ़ते हमारे आर्थिक सामर्थ्य पर बहुत बड़ा असर होने वाला है।मेरी आपसे अपेक्षा है कि इस कृषि कुंभ में किसानों के साथ बैठकर खेतीसे जुड़ीतकनीक पर और गहन मंथन हो। खाद का उपयोग कैसे कम हो, कम पानी का उचित उपयोग कैसे हो, फसल के भंडारण की तकनीक बेहतर कैसे हो, रोबोट और ड्रोन जैसी तकनीक का खेती में प्रभावी उपयोग कैसे किया जाए, ऐसे अनेक विषय हैं जिन पर अधिक कार्य करने की जरूरत है।

इसके अलावा पराली को, जो कि एक Waste के रूप में देखा जाता है, उसे भी नई तकनीक के माध्यम से Wealth में कैसे बदला जाए, कचड़े को भी कंचन बनाया जा सकता है। खेत के अंदर कोई चीज निक्‍कमी नहीं होती है, फसल के पहले भी नहीं फसल के बाद भी नहीं। खेत की हर चीज सोना ही तो है। किसान अगर उसे जोहरी की तरह उपयोग कर लो तो उसकी खेत की एक भी चीज बेकार नहीं जाएगी। कचड़ा भी कंचन बन सकता है, waste में भी wealth create हो सकता है। इसपर भी और व्यापक तरीके से काम करने की आवश्यकता है। सरकार अभी पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को मशीनों के लिए 50 से 80 प्रतिशत तक की छूट दे रही है। लेकिन हमें तकनीक आधारित कुछ ऐसे ठोस उपायोंकी तरफ बढ़ना होगा जिससे हमारे किसान भाइयों के सामने पराली जलाने की मजबूरी खत्म हो जाए और इससे पर्यावरण की भी रक्षा हो।

मुझे विश्वास है कि आने वाले तीन दिनों के दौरान कृषि को लाभकारी बनाने के लिए इन विषयों पर, और इनमेंValue Addition कैसे हो, इस पर आप चिंतन करेंगे। विशेष रूप से यूपी के अलग-अलग जिलों में, वहां की ज़रूरत के हिसाब से कैसे नए प्रयोग किए जा सकते हैं, इस पर भी चर्चा करेंगे।

ये कृषि कुंभ यूपी के साथ-साथ पूरे देश की कृषि व्यवस्था को नई दिशा देगा, इसी कामना के साथ एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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प्रधानमंत्री: शुभांशु नमस्कार!

शुभांशु शुक्ला: नमस्कार!

प्रधानमंत्री: आप आज मातृभूमि से, भारत भूमि से, सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूं, तो सबसे पहले तो यह बताइए वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?

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शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी wishes का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के wishes का, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं, सुरक्षित हूं। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से… बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है यह और कहीं ना कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं, जो दर्शाती है कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। यह जो मेरी यात्रा है, यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की जो छोटे सी यात्रा है, यह सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं ना कहीं यह हमारे देश के भी यात्रा है because जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व feel कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!

प्रधानमंत्री: शुभ, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी ना के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! यह कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेकर आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस और मैं चाहता था कि यह बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वह भी इसका स्वाद लें और चखें, जो भारत का जो rich culinary हमारा जो हेरिटेज है, उसका एक्सपीरियंस लें, तो हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोग कहे कि कब वह नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ…

प्रधानमंत्री: शुभ, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! इस समय तो मेरे पास यह इनफॉरमेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से, विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्य उदय और 16 सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है। इस परिक्रमा में, इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त और यह गति पता नहीं चलती क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री: वाह!

शुभांशु शुक्ला: इस समय हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।

प्रधानमंत्री: अच्छा शुभ अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले विचार क्या आया आपको?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्बिट में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था, वह पृथ्वी का था और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला ख्याल, वो पहला जो thought मन में आया, वह ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है, मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत noticeable थी, जब पहली बार भारत को देखा, तो जब हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वह मैप पर देखते हैं, लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि वह एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पर हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा और जो oneness की फीलिंग है, पृथ्वी की oneness की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता, वह बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्जिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य ही नहीं एक्जिस्ट करता, कंट्रीज़ नहीं एक्जिस्ट करती, फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सबके सब उसके सिटीजंस हैं।

प्रधानमंत्री: शुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे अडॉप्ट कर रहे हैं?

शुभांशु शुक्ला: यहां पर तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे 1 साल में, सारे systems के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था। लेकिन यहां आते ही suddenly सब चेंज हो गया, because हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है, पर यहां आने के बाद चूंकि ग्रेविटी माइक्रोग्रेविटी है absent है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा और माइक को भी ऐसे जैसे यह छोटी-छोटी चीजें हैं, यानी ऐसे छोड़ भी दूं, तो भी यह ऐसे float करता रहा है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है, आप छत पर सो सकते हैं, आप दीवारों पर सो सकते हैं, आप जमीन पर सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है, तो थोड़ा सा used to होने में एक-दो दिन लगते हैं but फिर ठीक हो जाता है, फिर normal हो जाता है।

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प्रधानमंत्री: शुभ भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों हैं। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी। भीतर में भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफूलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं ना कहीं यह मानता हूं कि भारत already दौड़ रहा है और यह मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे और माइंडफूलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी, जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं और माइंडफूलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और अपने आप को calm रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं, तो आप अच्छे डिसीजंस ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हो भोजन कोई भी नहीं कर सकता, तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही आप अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो I think माइंडफूलनेस का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में, तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाएं, तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को adapt करने में मदद करेंगी।

प्रधानमंत्री: आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने 7 यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वह है Stem Cells के ऊपर, so अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी क्योंकि एब्सेंट होती है, तो लोड खत्म हो जाता है, तो मसल लॉस होता है, तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इंप्लीकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है, ओल्ड एज की वजह से, उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है, वह Microalgae की ग्रोथ के ऊपर। यह Microalgae बहुत छोटे होते हैं, लेकिन बहुत Nutritious होते हैं, तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पर और ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि यह ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सके और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें, तो कहीं ना कहीं यह फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का, वह यह है कि यह जो प्रोसेस है यहां पर, यह बहुत जल्दी होते हैं। तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती, तो जो यहां के जो रिजल्‍ट्स होते हैं वो हम और…

प्रधानमंत्री: शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को explore करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, Never Stop Trying. अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।

प्रधानमंत्री: मुझे पक्का विश्वास है कि आपकी ये बातें देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती हैं, तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशंस में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है, आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल ये पूरे मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान, जो मुझे lessons मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है, वो सब एक स्पंज की तरह में absorb कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि यह सारी चीजें बहुत वैल्युएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशंस में, इनके lessons अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। Because मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं ना कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं, जो सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्द ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी तो सीख मुझे यहां मिल रही है, वह मैं वापस आकर, उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100 परसेंट अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका ये संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपके परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी सभी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। शुभांशु आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया, मैं जानता हूं आपकी जिम्मे बहुत काम है और 28000 किलोमीटर की स्पीड से काम करने हैं आपको, तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं, कुछ और भी सुनने की इच्छा है, आपके मन में क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता, आपके मन में जो भाव है, अगर वो आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी, तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं, कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए।

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शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी! यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे पर्सनल accomplishment तो एक है ही, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ये लगता है कि यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो यह देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से, तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा और केवल एक बात अपने मन में रखिए, that sky has never the limits ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए और यह बात हमेशा अगर अपने मन में रखी, तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे और बस मेरा यही मैसेज है प्रधानमंत्री जी और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आप के थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का, जो यह देख पा रहे हैं, यह जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, यह यहां नहीं था, कल के पहले जब मैं यहां पर आया हूं, तब हमने यह यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देखकर कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शुभांशु, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारती का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक-अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके, इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय!

शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय!