किसान को कोई आगे नहीं लाता बल्कि किसान देश को आगे ले जाता है: प्रधानमंत्री मोदी
साल 2022 तक जब आजादी के 75 साल होंगे देश के किसान की आय दोगुनी हो, इसके लिए सरकार संकल्पबद्ध है: पीएम मोदी
हमें तकनीक आधारित कुछ ऐसे ठोस उपायोंकी तरफ बढ़ना होगा जिससे हमारे किसान भाइयों के सामने पराली जलाने की मजबूरी खत्म हो जाए और इससे पर्यावरण की भी रक्षा हो: प्रधानमंत्री

नमस्कार!

मंत्रिपरिषद के मेरे साथी राधामोहन सिंह जी, उत्तर प्रदेश के लोकप्रिय एवं यशस्‍वी ऊर्जावान मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, जापान सरकार के असिस्टेंट डिप्युटी मिनिस्टर तकामी नाकाडा जी, इजराइल की प्रभारी राजदूत माया काडोश जी, कृषि जगत के वैज्ञानिक गण, अन्य महानुभाव और यूपी के कोने-कोने से पहुंचे मेरे प्‍यारे किसान बहनों और भाइयों!

प्रयागराज में लगने वाले अर्धकुंभ के लिए तो अभी कुछ महीने बाकी है। लेकिन यूपी की धरती पर एक और कुंभ आज से शुरु हो गया है। यूपी के अलग-अलग गांवों से करीब 50 हज़ार किसान, देश-विदेश से आए वैज्ञानिक, उद्यमी, लखनऊ में इस कृषि कुंभ का हिस्सा बन रहे हैं। मैं आप सभी का अभिवादन करता हूं, स्वागत करता हूं। और यूपी के सांसद के नाते भी ये मेरा कर्तव्‍य बनता है कि आपके सुख-दु:ख के साथी बनकर के आपके विकास यात्रा के लिए कुछ न कुछ प्रयास करता रहूं।

कुछ महीने पहले कृषि उन्नति मेले के दौरान मैंने वृहद किसान मेले लगाने की सलाह दी थी। इसका ही विस्तार आज हम कृषि-कुंभ के तौर पर देख रहे हैं। इस उत्तम प्रयास के लिए मैं योगी जी और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं। मैं इजराइल और जापान की सरकारों का भी आभार व्यक्त करना चाहूंगा जो इस आयोजन में हमारे पार्टनर हैं। वहीं पार्टनर राज्य के रूप में हिस्सा ले रहे हरियाणा को भी इस आयोजन से बहुत लाभ होने वाला है।

साथियों, कुंभ शब्द जब भी किसी आयोजन के साथ जुड़ता है तो उसका महत्व और व्यापक हो जाता है। कुंभ एक तरह से मानवता का, विचार का, विमर्श का एक अनंत अंतर-प्रवाह है। मुझे विश्वास है कि इसी परंपरा, इसी भावना को ये कृषि कुंभ साकार करेगा और आने वाले तीन दिनों में कृषि क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए तकनीक और अन्‍य अवसरों का नया रास्ता खोलेगा।

साथियों, मुझे बताया गया है कि इस मेले मेंलगभग 200 स्टाल लगाए गए हैं, जिनमें किसानों को नई तकनीकों की जानकारी दी जा रही है, कृषि से जुड़ी नई मशीनें वहां रखी गई हैं। मुझे विश्‍वास है कि जो भी किसान यहां आएगा वो इससे लाभान्वित होगा और उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ, गुणवत्ता भी सुनिश्चित करने में भी किसानों को मदद मिलेगी। 

साथियों, देश भर में खरीफ का सीज़न करीब-करीब पूरा होने जा रहा है। सभी किसान भाई-बहन आजकल बहुत व्यस्त हैं। इस बार भी रिकॉर्ड उत्पादन होने की उम्मीद है। यूपी तो वो जगह है जहां के मेहनती किसानों द्वारा देश के खाद्यान्न का लगभग 20 प्रतिशत उत्पादन किया जाता है।इसके लिए मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।देशभर की मंडियों में धान और दालों समेत तमाम फसलों की खरीददारी आज चल रही है। मुझे बताया गया है कि प्रदेश के अनेक हिस्सों में इसके लिए व्यापक प्रबंध भी किए गए हैं। इस बार तो किसानों को जो मूल्य मिल रहा है वो नए समर्थन मूल्य के आधार पर मिल रहा है।आप सभी की जानकारी में है कि सरकार ने रबी और खरीफ की 21 फसलों के समर्थन मूल्य में ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है।इन फसलों पर अब लागत का कम से कम 50 प्रतिशत सीधा लाभ किसान को मिले यहतय किया गया है।

साथियों, यूपी के किसान जहां उत्पादन का रिकॉर्ड बना रहे हैं तो योगी जी की सरकार किसानों से खरीद के रिकॉर्ड तोड़ती ची जा रही है। और इसलिए मैं योगी जी की सरकार को बधाई देता हूं।गेहूं के मामले में इस बार करीब 50-55 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है। जबकि पहले की सरकार में यही खरीद मात्र 7-8 लाख मीट्रिक टन हुआ करती थी। यानि करीब-करीब 7-8 गुणा किसानों से ख्‍रीददारी करके उनको सही दाम मिले इसकी चिंता भारतीय जनता पार्टी योगी जी की सरकार ने की है। यही नहीं ये जो खरीदारी की गई है ये ई-उपार्जन यानि तकनीक के माध्यम से सीधे किसान से की गई है, जिससे बिचौलियों को हटाने में भी मदद मिली है।

साथियों, ये बदलाव सिर्फ धान और गेहूं की खरीद में ही नहीं बल्कि गन्ने की खरीद प्रक्रिया को लेकर भी परिवर्तन स्पष्ट दिख रहा है। इस सीज़न का करीब 27 हजार करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किसानों को किया जा चुका है। इतना ही नहीं पिछले बकाए में से भी करीब 11 हजार करोड़ रुपए किसानों को दे दिए जा चुके हैं। मुझे बताया गया है कि चीनी मिलों पर जो बकाया है उसको भी जल्द दिलवाने का प्रयास योगी सरकार कर रही है।मुझे ये जानकर भी खुशी हुई कि यूपी सरकार ने पहली बार आलू खरीदने का भी फैसला लिया है। इससे निश्चित तौर पर उन किसानों को लाभ मिलने वाला है जिनको आलू का उचित मूल्य मिलने में समस्या आती थी।

साथियों, यूपी में हो रहे ये प्रयास केंद्र सरकार की उस प्रतिबद्धता का हिस्सा हैं, जिससे गांव और किसान हमारे आर्थिक चिंतन का एक प्रखर हिस्सा बने हैं। हमारा ये स्पष्ट मत है कि किसान को कोई आगे नहीं लाता बल्कि किसान देश को आगे ले जाता है। यही कारण है कि सरकार कृषि और किसान से जुड़ी समस्याओं पर टुकड़ों में काम करने की पुरानी सोच के बजाय अब पूरी समग्रता से काम कर रही है। हमारा ध्यान किसानों की छोटी-छोटी मुश्किलों को दूर करने पर है।

साथियों, साल 2022 तक जब आजादी के 75 साल होंगे देश के किसान की आय दोगुनी हो, इसके लिए सरकार संकल्पबद्ध है।किसानों की आय बढ़ाने के लिए कम लागत, अधिक लाभ की नीति पर चलते हुएखेती में वैज्ञानिक तरीकों का अभूतपूर्व समावेश किया जा रहा है। बीज से लेकर बाजार तक की एक मज़बूत व्यवस्था देश में तैयार की जा रही है।मिट्टी की सेहत से लेकर मंडियों में सुधार को लेकर अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। देशभर में करीब 16 करोड़ से अधिक सॉयल हैल्‍थ कार्ड किसानों को दिए जा चुके हैं, जिसमें से करीब 3 करोड़ यहीं यूपी में बांटे गए हैं। इससे किसानों को ये तय करने में आसानी होती है कि कौन सी फसल उस मिट्टी के लिए उपयुक्त रहेगी और कौन सा फर्टिलाइजर, कितनी मात्रा में डालना जरूरी है।

साथियों, मिट्टी की गुणवत्ता के साथ-साथ इसकी उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने के लिए आर्गेनिक फॉरमिंग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, wasteसे जो खाद बनती है उसके अधिक उपयोग के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। लेकिन देश की आवश्यकताओं के हिसाब से उत्पादन भी हो इसके लिए यूरिया जैसे फर्टिलाइजर की पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित की गई है। वहीं सिंचाई की व्यवस्था को भी मजबूत किया जा रहा है। बड़े सिंचाई प्रोजेक्ट्स के अलावासिंचाई कीनई तकनीक को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। Per Drop, More Crop एक-एक बूंद से फसल को कैसे फायदा मिला। Per Drop, More Crop के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। Drip Irrigation, Sprinkler irrigation,यानि टपक सिंचाई, सूक्ष्‍म सिंचन पद्धतिजैसे वैज्ञानिक तरीके हमारी सिंचाई व्यवस्था का हिस्सा बन रहे हैं।

इजरायलको तो सिंचाई के इन नए तरीकों में महारथ हासिल है। वहीं जापान भी कृषि से जुड़ी तकनीक के मामले में बहुत व्यापक काम कर रहा है। लिहाज़ा इस कृषि कुंभ का पार्टनर होने के नाते आप सभी को, पूरे देश को इन दोनों देशों की विशेषज्ञता का लाभ मिलने वाला है।

साथियों, इसके साथ-साथ हम बिजली और डीजल पर चलने वाले पंपों को सोलर पंप में बदलने की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। इन व्यवस्थाओं के अतिरिक्त सिंचाई का बहुत बड़ा साधन हमारे पंप हैं, लिहाज़ा इसकी तरफ भी बहुत बड़ा प्रयास हो रहा है। बिजली या डीजल पर चल रहे इन पंपों को सूर्य ऊर्जा से चलने वाले सौर पंपों से बदलने का एक व्यापक अभियान चल रहा है। इसके तहत आने वाले चार वर्षों में, देशभर में करीब 28 लाख किसानों के खेतों में सोलर पंप लगाए जाने हैं।इससे किसानों को एक तो मुफ्त बिजली मिलेगी, दूसरा, जरूरत के अतिरिक्त जो बिजली पैदा होती है उसको वो बिजली वितरण कंपनियोंको बेच भी पाएंगे।

साथियों,एक समय था कल जो हमारा किसान अन्‍नदाता था वो आज ऊर्जादाता भी बनने की संभावना भी पैदा हो गई है। वो अन्‍नदाता भी है अब ऊर्जादाता भी बन जाएगा। साथियों,इस अभियान से किसानों के जीवन में कितना परिवर्तन आ रहा है इसका साक्षी मैं कुछ दिन पहले गुजरात जब गया तो मुझे देखने को मिला वहां एक गांव में कुछ किसान परिवारों ने मिलकर खेत के अंदर ही सोलर पैनल और सोलर पंप का काम शुरु किया। सूर्य किरणों से बिजली पैदा करना शुरू किया उससे अपना खेता का काम चलता था, पंप चलता था। इससे उनकी बिजली की जरूरत तो पूरी हुई ही, साथ में करीब 50 ह़जार रुपए प्रतिवर्ष वो बिजली बेचकर कमा रहे हैं।

साथियों, विज्ञान का सीधा लाभ किसान को मिले इसके लिए सरकार ने गंभीर प्रयास किए हैं। किसानों और वैज्ञानिकों से, अनुसंधान केन्‍द्रों से सीधे जोड़ने का काम किया जा रहा है। ताकि जो भी नई खोज खेती से जुड़ी हुई हो, बीज से जुड़ी हो, उसकी सही जानकारी कम से कम समय में किसान तक पहुंच सके।इसके लिए देशभर के लगभग 700 कृषि विज्ञान केन्‍द्रों को भी बहुत बड़ी भूमिका दी गई है। खेती पर रिसर्च से जुड़े आधुनिक संस्थान तैयार किए जा रहे हैं। वाराणसी में बन रहा Rice Research Centre इसी दिशा में एक बड़ा प्रयास भी है।किसान की पैदावार का अधिक दाम दिलाने के लिए Value Addition के लिए भी बड़े कदम सरकार ने उठाए हैं। Food Processing Sector में सौ प्रतिशत FDI का फैसला सरकार ने लिया है।

हम भी जानते हैं कि टमाटर बेचें तो सस्‍ते में जाता है लेकिन टमाटर का सूप बेचें और बोतल में भरकर बेचें तो ज्‍यादा पैसे मिलता है। कच्‍चे आम का कम पैसा मिलता है लेकिन कच्‍चे आम का अचार बनाकर बेचें तो अधिक पैसा मिलता है। हरी मिर्च का कम पैसा मिलता है लकिन मिर्ची का पाउडर बनाकर बेचें तो ज्‍यादा पैसा मिलता है। यह है Value Addition. इसके अलावा, इस साल बजट में टमाटर, प्याज और आलू की पैदावार से जुड़े Value addition के लिए 500 करोड़ रुपए की राशि से TOPयोजना का भी ऐलान किया गया। इससे भी यूपी के आलू किसानों को काफी लाभ मिलेगा।इससे कृषि क्षेत्र में निवेश के रास्ते खुले हैं, जिसका बहुत बड़ा लाभ उत्तर प्रदेश को हो रहा है। मुझे बताया गया है कि यूपी Investors Summit में Food Processing sectorयानि कृषि उत्‍पादन सेक्‍टर में मूल्‍य वृद्धिमें करीब 16 हजार करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव आए थे। इसमें से साढ़े 3 हज़ार करोड़ की 14 परियोजनाओं का लोकार्पण भी हो चुका है।

साथियों, ये तो वो काम हैं जो खेती को लाभकारी बनाने के लिए किए जा रहे हैं, इसके अलावा दूसरे माध्यमों से भी किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास हो रहे हैं।Green Revolution के सफल प्रयोग के बाद अब हम White Revolution, Sweet Revolution, Blue Revolution जैसे नए रास्तों पर निकल पड़े हैं। दूध उत्पादन हो, शहद उत्पादन हो, अंडा या मछली उत्पादन हो, देश नए-नए रिकॉर्ड बना रहा है।दो दिन पहले ही भारत सरकार ने मछली उत्पादन से जुड़े किसान परिवारों को, मछुआरे भाई-बहनों के लिए एक बहुत बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने साढ़े 7 हज़ार करोड़ रुपए के एक नए फंड को मंज़ूरी दे दी है।

साथियों, इस कृषि कुंभ में मौजूद आप सभी किसान, खेती से जुड़े एक्सपर्ट, वैज्ञानिक, भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। क्योंकि आप जो कुछ भी कर रहे हैं उसका आने वाले समय में तेज़ी से बढ़ते हमारे आर्थिक सामर्थ्य पर बहुत बड़ा असर होने वाला है।मेरी आपसे अपेक्षा है कि इस कृषि कुंभ में किसानों के साथ बैठकर खेतीसे जुड़ीतकनीक पर और गहन मंथन हो। खाद का उपयोग कैसे कम हो, कम पानी का उचित उपयोग कैसे हो, फसल के भंडारण की तकनीक बेहतर कैसे हो, रोबोट और ड्रोन जैसी तकनीक का खेती में प्रभावी उपयोग कैसे किया जाए, ऐसे अनेक विषय हैं जिन पर अधिक कार्य करने की जरूरत है।

इसके अलावा पराली को, जो कि एक Waste के रूप में देखा जाता है, उसे भी नई तकनीक के माध्यम से Wealth में कैसे बदला जाए, कचड़े को भी कंचन बनाया जा सकता है। खेत के अंदर कोई चीज निक्‍कमी नहीं होती है, फसल के पहले भी नहीं फसल के बाद भी नहीं। खेत की हर चीज सोना ही तो है। किसान अगर उसे जोहरी की तरह उपयोग कर लो तो उसकी खेत की एक भी चीज बेकार नहीं जाएगी। कचड़ा भी कंचन बन सकता है, waste में भी wealth create हो सकता है। इसपर भी और व्यापक तरीके से काम करने की आवश्यकता है। सरकार अभी पराली जलाने से रोकने के लिए किसानों को मशीनों के लिए 50 से 80 प्रतिशत तक की छूट दे रही है। लेकिन हमें तकनीक आधारित कुछ ऐसे ठोस उपायोंकी तरफ बढ़ना होगा जिससे हमारे किसान भाइयों के सामने पराली जलाने की मजबूरी खत्म हो जाए और इससे पर्यावरण की भी रक्षा हो।

मुझे विश्वास है कि आने वाले तीन दिनों के दौरान कृषि को लाभकारी बनाने के लिए इन विषयों पर, और इनमेंValue Addition कैसे हो, इस पर आप चिंतन करेंगे। विशेष रूप से यूपी के अलग-अलग जिलों में, वहां की ज़रूरत के हिसाब से कैसे नए प्रयोग किए जा सकते हैं, इस पर भी चर्चा करेंगे।

ये कृषि कुंभ यूपी के साथ-साथ पूरे देश की कृषि व्यवस्था को नई दिशा देगा, इसी कामना के साथ एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.