साथियो, केवड़िया में सरदार सरोवर बांध के पास Statue of Unity के सानिध्‍य में आज की शाम का ये अनुभव अद्भुत है, आजीवन स्‍मरण रहने वाला है और अभी-अभी हमने सरदार साहब की आवाज, उनका संदेश जो सुना, वो सीधे अंतर्मन को छू जाता है।

साथियो, देश की विभिन्‍न सिविल सर्विसेज के इस combined foundation course से एक तरह से एक नए अध्‍याय की शुरूआत हुई है। अभी तक तो ये चलता रहा है कि कुछ लोग मसूरी में ट्रेनिग लेते हैं तो कुछ लोग हैदराबाद में या फिर अन्‍य शहरों में। जैसा मैंने पहले भी आपसे कहा- जिन साइलोज की बात मैं अक्‍सर करता हूं, उनका एक स्‍वरूप ट्रेनिग से ही शुरू हो जाता था। सिविल सेवा के integration का सही मायने में आरंभ अब आप सभी साथियों के साथ हो रहा है। ये आरंभ अपने-आप में एक reform है। मैं इससे जुड़े तमाम अधिकारियों को, तमाम साथियों को भी बधाई देता हूं।

साथियो, ये reform सिर्फ ट्रेनिंग के integration तक सीमित नहीं है बल्कि इसकी सोच और एप्रोच को भी विस्‍तार दिया गया है। आप सभी युवा trainees का विस्‍तृत एक्‍सपोजर हो, ये कोशिश भी की गई है। यही कारण है कि सोशल और इकोनॉमिक दुनिया से जुड़े ग्‍लोबल लीडर्स से, एक्‍सपर्टस से आपको रूबरू कराया गया।

साथियो, Statue of Unity की छत्रछाया और उससे यहां पर हो रहा ये कार्यक्रम, इसका एक विशेष महत्‍व बन जाता है क्‍योंकि सभी सिविल सेवा को राष्‍ट्र निर्माण का, राष्‍ट्रीय एकता का अहम माध्‍यम बनाने का vision स्‍वयं सरदार वल्‍लभ भाई पटेल का था। अपने इस vision को जमीन पर उतारने के लिए उन्‍होंने अनेक चुनौतियों का सामना किया। तब कुछ लोगों को लगता था कि जिन अफसरों की भूमिका आजादी के आंदोलन को दबाने की रही, वो आजाद भारत के निर्माण में मददगार कैसे सिद्ध होंगे। और ये सवाल आना बहुत स्‍वाभाविक भी था। ये विचार भी स्‍वाभाविक था और नफरत का भाव भी बहुत स्‍वाभाविक था, लेकिन दूरदृष्‍टा सरदार साहब ने इन तमाम आलोचकों को याद कराया कि आखिरकर ये bureaucracy ही है जिसके भरोसे हमको आगे बढ़ना है। यही bureaucracy है जिसने रियासतों के व्‍यय में अहम कड़ी की तरह काम किया था।

साथियो, सरदार पटेल ने दिखाया है कि सामान्‍य जन के जीवन में सार्थक बदलाव के लिए हमेशा एक बुलंद इच्‍छा शक्ति का होना बहुत जरूरी होता है। करीब सौ साल पहले अहमदाबाद म्‍यूनसिपलिटी को दस साल के भीतर-भीतर सीमित संसाधनों के बीच transform करके उन्‍होंने सबको अपनी प्रतिभा का कायल बना दिया था। और इसी vision के साथ ही उन्‍होंने आज़ाद भारत की सिविल सेवा का खाका खींचा था।

साथियो, निष्‍पक्ष और निस्‍वार्थ भाव से किया गया हर प्रयास नए भारत की मजबूत नींव है। न्‍यू इंडिया के सपने को पूरा करने के लिए हमारी व्‍यवस्‍था में, हमारी bureaucracy में 21वीं सदी की सोच और सपने अनिवार्य हैं। ऐसी bureaucracy जो creative और constructive हो, जो imaginative और innovative हो, जो proactive और polite हो, जो professional और progressive हो, जो energetic और enabling हो, जो efficient और effective हो, जो transparent और tech-enabled हो।

साथियो, आपके सामने जितनी बड़ी opportunity है उतनी ही बड़ी responsibility भी है। एक समय था जब आपके वरिष्‍ठों को, आपके सीनियर्स को अभाव में ही सब कुछ संभालना होता था। सड़कें हो, रेलवे हो, पोर्ट हो, एयरपोर्ट हो, स्‍कूल हो, कॉलेज हो, ईवन टेलीफोन, ईवन रोड़; सब कुछ का अभाव था। आज स्थितियां ऐसी नहीं हैं। भारत तेजी से बदल रहा है। कभी अभावों में चलने वाली यात्रा आज विपुलता की तरफ बढ़ रही है। आज देश में विपुल युवा शक्ति है, आज देश में विपुल अन्‍न के भंडार हैं, आज देश में आधुनिक टेक्‍नोलॉजी की ताकत है- ऐसे में अब आपको इस विपुलता का पूरा लाभ उठाना है। आपको देश का सामर्थ्‍य बढ़ाना है, साथ-साथ स्‍थायित्‍व मजबूत करना है।

साथियो, आप इस रास्‍ते पर सिर्फ एक कैरियर के लिए नहीं आए हैं, महज जॉब के लिए नहीं आए हैं, बल्कि सेवा के लिए आए हैं, सेवा भाव से आए हैं, सेवा परमोधर्म- इस मंत्र को ले करके आए हैं। आपके हर निर्णय से, हर एक्‍शन से, हर सिग्‍नेचर से लाखों जीवन प्रभावित होंगे। और साथियो, आप जो भी‍ निर्णय लेंगे, उनका स्‍कोप बेशक स्‍थानीय होगा, क्षेत्रीय होगा, लेकिन उनका prospective- national होना चाहिए। यानी आप फैसले को आपके जिले, आपके ब्‍लॉक, आपके विभाग की आवश्‍यकताओं को और समस्‍याओं को जरूरत के अनुसार लेंगे। वो देश के विकास में कैसे contribute कर सकते हैं, ये परख आपको करनी ही चाहिए, हमेशा करनी चाहिए।

और साथियो, अपने हर निर्णय को आप सभी दो कसौटियों पर जरूर कसिएगा। एक- जो महात्‍मा गांधी ने रास्‍ता दिखाया था- आपका फैसला समाज के आखिरी छोर पर जो व्‍यक्ति खड़ा है, उसकी आशा-आकांक्षाओं को वो पूरा कर पा रहा है या नहीं कर पा रहा है। और दूसरा- आपका फैसला इस कसौटी से कसना चाहिए कि आपका निर्णय देश की एकता, अखंडता और प्रगति को आगे बढ़ाने वाला हो, उसे मजबूत करने वाला हो।

साथियो, यहां inspirational district की चर्चा हुई है। आखिर देश के 100 से अधिक जिले विकास की दौड़ में छूट क्‍यों गए? इसके पीछे सोच और एप्रोच भी एक बहुत बड़ा कारण रहा है। ये जिले geographically और socially बहुत challenging थे। लिहाजा हर स्‍तर पर इनकी उपेक्षा हुई, इनको अपने हाल पर छोड़ दिया गया। इस उपेक्षा के कारण सोसायटी में असंतोष की भावना आ गई, जिसका लाभ गलत ताकतों ने उठाना शुरू कर दिया। पर अब ये हुआ कि इन जिलों का विकास और भी मुश्किल हो गया। इस स्थिति‍ को बदलना आवश्‍यक था, इसलिए हमने इन जिलों के पिछड़ेपन के बजाय इनकी aspiration को आगे बढ़ाने का फैसला किया। हमने human development index के हर पैमाने पर समय-सीमा के भीतर काम करना शुरू किया। हमने टेक्‍नोलॉजी का उपयोग बढ़ाकर योजनाओं को ज्‍यादा प्रभावी तरीके से जमीन पर उतारा। आज हमें इसके अभूतपूर्व परिणाम भी मिलने लगे हैं। और अब आप सभी, आप पर इस काम को और गति देने का जिम्‍मा आने वाला है।

साथियो, आने वाले समय में आप में से अनेक साथियों की तैनाती ब्‍लॉक या फिर जिला स्‍तर पर होगी। जाहिर है वहां अनेक समस्‍याओं के समाधान आपको ढूंढने होंगे। मेरा आपको सुझाव रहेगा कि आप अपने क्षेत्र की एक बड़ी समस्‍या को एक वक्‍त में हाथ‍ में लें और उसका संपूर्ण समाधान करने का प्रयास करें यानी One district one problem and total solution. अक्‍सर हम जोश-जोश में हर तरफ हाथ मारना शुरू कर देते हैं जिससे हमारे प्रयास और हमारे resources, दोनों बंट जाते हैं। एक समस्‍या को हल करिए, जिससे आपको भी confidence मिलेगा, लोगों का भरोसा भी आप पर बढ़ेगा। अब जनता का भरोसा आप जीतते हैं तो आपके साथ जनता की भागीदारी भी बढ़ जाती है।

साथियो, आपके सामने bureaucracy और system को लेकर बनी एक negative धारा को बदलने की बहुत बड़ी चुनौती है। Bureaucracy और system, ये दो ऐसे शब्‍द बन गए हैं जिनको bad bureaucracy या bad system लिखने की जरूरत नहीं पड़ती। वो अपने-आप में ही negative connotation के लिए उपयोग होने लगा है। आखिर ये हुआ क्‍यों? हमारे अधिकतर अफसर मेहनती भी हैं और receptive भी हैं, लेकिन पूरे system और पूरी bureaucracy का negative perception बन गया है।

साथियो, सिविल सेवाओं को लेकर हर पॉवर की, अफसरशाही की, रौब की, रसूख की एक छवि रही है। ये छवि निश्चित रूप से Colonial Legacy है, जिसको छोड़ने में कुछ लोग पूरी तरह सफल नहीं हो पाए। आपको इस छवि से सिविल सेवा को बाहर निकालने की कोशिश करनी होगी। आपकी पहचान hard power से नहीं, soft power से होनी चाहिए। hard power आक्रोश का कारण बनती है और soft power सद्भाव विकसित करने का एक बहुत बड़ा माध्‍यम बन जाती है। Appointment से लेकर सुनवाई तक का एक सरल mechanism होना चाहिए। आप सात दरवाजों के पीछे रहते हैं, ये भाव जनता में कभी भी नहीं जाना चाहिए। आपके पास हर problem का instant solution हो, ऐसा संभव नहीं है। और सामान्‍य जनता इस बात को भी भलीभांति समझती है। वो सिर्फ सुनवाई चाहती है, सम्‍मान चाहती है। उसकी बात सही जगह पर पहुंचे, इतने से ही कभी-कभी हमारे देश का नागरिक संतुष्‍ट हो जाता है। आपका प्रयास होना चाहिए वो सम्‍मान और संतुष्टि के भाव के साथ आपके दफ्तर से निकलना चाहिए।

साथियो, किसी भी public servant के लिए, effective service delivery के लिए, policy के effective implementation के लिए ईमानदार feedback बहुत जरूरी है। ये mechanism, ये भी आपको ही विकसित करना ही होगा। पहले के जमाने में कलेक्‍टर के लिए नाईट हाल्‍ट के लिए एक नियम होता था, एक मार्च टू हाल्‍ट ratio भी होता था। इस पूरी कवायद से पता चलता था कि अफसर ने फील्‍ड में कितना समय गुजारा है। अब ये परम्‍परा एक प्रकार से, उसमें काफी ढीलापन आ गया है; कहीं–कहीं तो खत्‍म हो गई नजर आती है। ऐसी ही एक पुरानी परम्‍परा थी-district gazetteer की, जो अब करीब-करीब लुप्‍त होती नजर आ रही है। Handing over note की भी एक व्‍यवस्‍था थी,‍ जिसमें हर जाने वाला अफसर आने वाले अफसर के लिए एक note छोड़ करके जाता था। इस note के माध्‍यम से नए अफसर को उस पोस्‍ट से या उस ऑफिस से जुड़ी चुनौतियों, समस्‍याओं और अहम मुद्दों को समझने में बहुत बड़ी सुविधा होती थी, Government की continuity रहती थी। ऐसी अनेक best practices हमारी पुरानी व्‍यवस्‍थाओं में रही हैं, जिन्‍हें फिर से जीवित करने की जरूरत है। पुरानी अच्‍छी परम्‍पराओं को आज के युग में नई टेक्‍नोलॉजी से जोड़कर हमें उन्‍हें और समृद्ध करना है, और मजबूत करना है। तकनीक को हमें alternative नहीं, multiplier के तौर पर उपयोग करना चाहिए। जैसे feedback mechanism, मेल-मुलाकातों के पुराने तरीकों के साथ-साथ हम सोशल मीडिया का भी अच्‍छा-बेहतर उपयोग कर सकते हैं। सोशल मीडिया को reliable source भले ही नहीं माना जाना चाहिए और नहीं माना जा सकता, लेकिन एक tool जरूर है, जिसका उपयोग हम कर सकते हैं। और हां, हमारे फैसलों, हमारी नीतियों को लेकर जो input आता है, जो feedback आता है, उसका ईमानदार आकलन भी उतना ही जरूरी है। ऐसा नहीं है कि जो हमारी आंखों और हमारे कानों को अच्‍छा लगे, वही सुनना और वही देखना है। हमें feedback प्राप्‍त करने के अपने दायरे का विस्‍तार करते हुए अपने विरोधियों तक की राय को पढ़ना और सुनना चाहिए। इससे हमारे ही vision को depth मिलेगी।

साथियो, सरकारी व्‍यवस्‍था में रहते हुए कभी-कभी हम एक और गलती कर देते हैं। अक्‍सर एसी कमरों में बैठे हुए हमें सब कुछ ठीक-ठाक लगता है। हमारा एक सीमित सोशल सर्कल होता है, जिसमें हमारे जैसे ही लोग शामिल होते हैं। यही कारण है कि बहुत बार हमें सामान्‍य समस्‍याओं की भी सही जानकारी नहीं मिल पाती। इसलिए हम किसी भी सर्विस में हों, हमें अपने comfort zone से बाहर निकलकर लोगों से जुड़ना बहुत आवश्‍यक है। इससे हमें सही policy decision लेने में बहुत मदद मिलेगी।

साथियो, हमें ये भी समझना होगा कि ministries हों या municipal corporations हों या दूसरे सरकारी विभाग, हम एक service provider हैं। Service provider के लिए consumer ही सबसे ऊपर होना चाहिए। जब ये बात हमारी समझ में आ जाती है तो supply chain management में man power की inventory में, technology में हर स्‍तर पर जरूरी बदलाव होने लगेगा। जब service delivery में जरूरी बदलाव होंगे तो लाइफ अपने-आप easy हो जाएगी।

साथियो, अभी मैंने आपसे management की प्रचलित भाषा का उपयोग किया और वो इसलिए किया क्‍योंकि कभी-कभी किसी बात को समझाने के लिए known to unknown की तरफ जाना बड़ा सरल रहता है, एक सुगम तरीका भी रहता है। इन सबसे ऊपर और सबसे गहरी है- और वो है हमारे भीतर की भावना, हमारे भीतर की वेदना, हमारे भीतर की संवेदना। एक विचार हल पल, हर आती और जाती हुई सांस के साथ, आपके अस्तित्‍व के साथ जुड़ जाना चाहिए। वो विचार क्‍या है?

साथियो, आपके मन-मस्तिष्‍क में ये रच-बस जाना चाहिए कि मैं आज जो कुछ भी हूं, ये मुझे मेरे देश ने दिया है, मेरे समाज ने दिया है, इस देश के करोड़ों लोगों ने दिया है। ये देश मेरा है, इस देश के लोग मेरे हैं। इस सर्विस में आने के बाद जो तामझाम मुझे मिला हुआ है, उसमें किसी गरीब के पसीने की महक है।

साथियो, हम देश के गरीब के, देश के लोगों के, हम सब कर्जदार हैं, ऋणी हैं; उस गरीब का कर्ज चुकाने का, देश के सामान्‍य मानवी का कर्ज चुकाने का हमारे पास एक ही तरीका है- हम देशवासियों की जिंदगी आसान बनाएं, जो उनका हक है उसके लिए र्इमानदारी से प्रयास करें, जी-तोड़ मेहनत करें।

साथियो, आज का नया भारत कहीं ज्‍यादा आकांक्षी है, वो अधीर भी है और विकास की उसकी ललक पहले से कहीं ज्‍यादा हो गई है। आज पूरे भारत में हम देख रहे हैं कि नागरिक पहले से कहीं ज्‍यादा जागरूक है, अलर्ट है, कहीं ज्‍यादा involve है और कहीं ज्‍यादा sensitive भी है। सरकार एक आवाज लगाए, जरा सी भी मदद मांग लें या किसी मुहिम में शामिल होने के लिए request करे, तो तमाम देशवासी खुशी-खुशी उसमें शामिल हो जाते हैं। ऐसे में हमारी भी जिम्‍मेदारी बनती है कि हम देशवासियों की ease of living को बढ़ाएं। इसके लिए हमें proactively काम करना ही होगा। हमें इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि सामान्‍य मानवी को रोजमर्रा की जिंदगी में सरकार से जूझना न पडे। हमें ये ध्‍यान रखना होगा कि सामान्‍य मानवी की जिंदगी सरकार के प्रभाव में दब न जाए और गरीब की जिंदगी सरकार के अभाव में दम न तोड़ दे।

सा‍थियो, ease of living सुनिश्चित करने में एक और चीज अहम भूमिका निभाती है। हमारी अर्थव्‍यवस्‍था, हमारी per capita income, five trillion dollar अर्थव्‍यवस्‍था बनाने का लक्ष्‍य है- उसके पीछे सोच भी यही है। इस लक्ष्‍य तक पहुंचने में आप सभी साथियों पर भी बड़ी जिम्‍मेदारी है। आप जहां भी तैनात होंगे, वहां की व्‍यवस्‍थाओं को business friendly बनाने में, वहां एक बेहतर eco system तैयार करने में सिविल सेवा के सभी अंगों को मिल करके प्रयास करना है।

साथियो, आज समय की मांग है कि देश के जिले भी अपनी आर्थिक प्रगति के लिए आपस में स्‍पर्धा करें। कोई जिला जितना आगे बढ़ेगा, उतना ही उसका राज्‍य भी आगे बढ़ेगा और इसका सीधा प्रभाव पूरे देश की जीडीपी पर भी पड़ेगा। और इसलिए भविष्‍य में आप जिस भी जिले में नियुक्‍त हों, वहां पर आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिए हर प्रकार के प्रयास- जैसे मानो एक्‍सपोर्ट ले लीजिए-क्‍या आपके जिले में एक्‍सपोर्ट होता है? वहां का कोई प्रोडक्‍ट दुनिया के देशों में जाता है? क्‍या एक्‍सपोर्ट बढ़ाने के लिए आपकी कोई योजना है? आप target तय करें, एक्‍सपोर्टस बढ़ाने से जुड़े हुए, manufacturing से जुड़े हुए, agriculture से जुड़े हुए; और फिर उन्‍हें प्राप्‍त करने के लिए पूरी शक्ति लगाएं। मुझे उम्‍मीद है कि आपकी साझा ताकत से हम हर लक्ष्‍य को जरूर हासिल कर पाएंगे।

साथियो, बड़े लक्ष्‍यों के लिए हमारे निर्णय स्‍पष्‍ट हों, समय पर हों; ये भी उतना ही जरूरी है। लेकिन कई बार हम देखते हैं कि कुछ ऐसे भी साथी होते हैं जो निर्णय लेने से बचने की कोशिश करते हैं। इससे व्‍यक्तिगत स्‍तर पर लाभ-हानि हो या न हो, लेकिन देश का बहुत बड़ा नुकसान होता है। आप सभी से देश को, हमें समाधानों की अपेक्षा है। Status quo की अपेक्षा आपसे नहीं है।

साथियो, आप पूरी आजादी के साथ, पूरी जिम्‍मेदारी के साथ काम कर सकें, इसके लिए हर जरूरी administrative reform किए जा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि ट्रांसफर राज खत्‍म हो, एक stable tenure bureaucracy को मिले, posting की Lobbying नहीं ability count हो, ट्रेनिंग के मौजूदा सिस्‍टम को overhaul करने के प्रयास के तो आप खुद साक्षी बन चुके हैं। हम एक integrated mechanism की तरफ बढ़ रहे हैं जो continuous customized delivery पर आधारित होगा।

सा‍थियो, आपके सामने एक लंबा कार्यकाल है। आप सबके बीच करीब-करीब पूरा दिन मुझे रहने का अवसर मिला। एक प्रकार से मुलाकात का भी- उसकी शुरूआत है, एक प्रकार से आरंभ है। आपमें से अनेक साथियों से आगे भी मुलाकात होती रहेगी। ट्रेनिंग के दौरान आप नित नया सीखें, नई सीख को देश की सेवा में लगाएं, अपने भीतर का‍ विद्यार्थी कभी मरने मत देना। जीवन में कितनी भी ऊंचाइयों को पार कर जाएं, भीतर का विद्यार्थी बहुत कुछ सिखाकर जाता है, बहुत कुछ सीखने की प्रेरणा देता रहता है।

साथियो, सरदार पटेल के सपनों को साकार करना हम सबकी सामूहिक जिम्‍मेदारी है। इसे पूरा करना है और इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्‍त करते हुए आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। और आज सुबह जैसे मैंने कहा कि आप जिस सेवा से जुड़े हुए हो, ये सेवा सरदार साहब के सपने का अंश है। और इसलिए जिस मजबूत नींव की शुरूआत सरदार साहब ने की थी, जो पिछले 70 साल तक अपना क्रमिक विकास करती रही है। अब वक्‍त बदला है, सदी बदल चुकी है, सपने बदल चुके हैं, इरादे बदल चुके हैं, अपेक्षाएं बदल चुकी हैं, आवश्‍यकताएं बदल चुकी हैं। ऐसे समय हम भी पिछली शताब्‍दी की सोच से 21वीं सदी का नया भारत नहीं बना सकते थे, हमारी सोच भी 21वीं सदी की चाहिए, हमारे सपने भी 21वीं सदी के चाहिए और सरदार साहब के आशीर्वाद से हमें इसे साकार करने के लिए अपने-आपको सज्‍ज करना है, अपने-आपको समर्पित करना है, अपने प्रयासों से परिवर्तन ला करके रहना है। नया भारत बनाने का सपना हर हिन्‍दुस्‍तानी का है, लेकिन हम लोगों की जिम्‍मेदारी कुछ ज्‍यादा है। उस जिम्‍मेदारी के लिए अपने-आपको योग्‍य बनाएं।

ये सरदार साहब की प्रतिमा, विश्‍व में ऊंची प्रतिमा के रूप में लोग जानते होंगे, लेकिन हमारे लिए ये सिर्फ ऊंची नहीं है, आने वाली सदियों तक प्रेरणा देने वाली ये प्रतिमा है। ये आने वाली सदियों तक प्रेरणा देने वाली प्रतिमा से हम प्रेरणा ले करके, अपना सिर झुका करके, उनके आदर्शों पर चलने का संकल्‍प ले करके, इस नर्मदा मईया के आशीर्वाद को ले करके, मां नर्मदा की पावन धारा की इस पवित्र छाया से संकल्‍प को और मजबूत करते हुए हम यहां से प्रस्‍थान करेंगे। इसी एक अपेक्षा के साथ मेरी आपको अनेक-अनेक शुभकामनाएं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।