प्रधानमंत्री मोदी ने हेरात में राष्ट्रपति अशरफ़ गनी के साथ संयुक्त रूप से अफ़गानिस्तान-भारत मैत्री बांध का उद्घाटन किया
यह परियोजना भूमि की सिंचाई और घरों को प्रकाशित करने में मददगार: प्रधानमंत्री
अफगानिस्तान में हम लोकतंत्र को मजबूत, लोगों को एकजुट और अर्थव्यवस्था को प्रगति करते हुए देखना चाहते हैं: प्रधानमंत्री
बांध से सिर्फ़ बिजली का उत्पादन नहीं होगा बल्कि यह अफगानिस्तान के भविष्य के प्रति आशावाद और उसमें विश्वास भी बढ़ाएगा: प्रधानमंत्री
हम एक समृद्ध भविष्य के निर्माण के लिए अफगानिस्तान के दृढ़ संकल्प को सम्मान और पहचान देने के लिए इकठ्ठा हुए हैं: प्रधानमंत्री
यह बांध ईंटों और मोटर से नहीं बल्कि हमारी मित्रता के विश्वास और अफगान एवं भारतीयों की वीरता से निर्मित है: प्रधानमंत्री
अफगानिस्तान के सभी क्षेत्रों में भारतीय सहयोग को बढ़ाया जाएगा ताकि अफगान समाज के हर वर्ग को इसका लाभ मिले: प्रधानमंत्री

अफगानिस्‍तान लौटने पर मुझे बेहद प्रसन्‍नता हो रही है, हमारी पीढ़ी के उन लोगों में शामिल होने पर मुझे सम्‍मान का अनुभव हो रहा है, जो लोग साहस के मानक स्‍थापित करते हैं। भारत के लिए प्‍यार के विशाल महासागर में आपकी दोस्‍ती की उच्‍च लहरों को देखकर मुझे आप लोगों के अपार प्रेम के प्रति बहुत प्रसन्‍नता हो है। अफगानिस्‍तान की प्रगति के पथ पर यह एक बड़ा कदम साबित होगा। साथ ही यह भारत और अफगानिस्‍तान के रिश्‍तों में ऐतिहासिक पल भी है।

मुझे अफगानिस्‍तान आने का निमंत्रण देने और इस बांध का नाम भारत-अफगानिस्‍तान मित्रता बांध रखने के लिए मैं राष्‍ट्रपति को धन्‍यवाद देता हूं। अफगानिस्‍तान की इस उदार भावना का हम सच्‍चे दिल से सम्‍मान करते हैं। विश्‍व की श्रेष्‍ठ सभ्‍यताएं नदियों के किनारे विकसित हुई हैं। नदियों की धाराप्रवाह में मानवीय विकास के काल निहित हैं। पवित्र कुरान में नदियों को जन्‍नत की छवि कहा गया है। भारत के प्राचीन ग्रंथों में नदियों को जीवनदायिनी कहा गया है और अफगानिस्‍तान की कहावत है कि ‘काबूल बी जर¬ बशा बी बर्फ नी’ इसका मतलब है कि काबूल सोने के बजाय रह सकता है, बर्फ के बिना नहीं। बर्फ नदियों को पोषित करती है और नदियां जीवन और कृषि को बनाए रखती हैं। इसलिए आज हम केवल ऐसी परियोजना का शुभारंभ नहीं कर रहे हैं जो केवल भूमि की सिंचाई करेगी और घरों को रोशन करेगी। हम एक क्षेत्र का पुनरुर्द्धार, उम्‍मीद को दोबारा कायम रखना और अफगानिस्‍तान के भविष्‍य को पुनर्भाषित कर रहे हैं। यह बांध केवल बिजली उत्‍पन्‍न करने वाला नहीं है, बल्कि अफगानिस्‍तान के भविष्‍य में आशावाद और विश्‍वास को पैदा करने वाला है।

इस परियोजना से न केवल चिश्‍ते, ओबे, पश्‍तुन जारगन, कारोख, गोजारा, इंजिल, जिंदजान कोहसन और घोरेयान गांवों के 640 गांवों के किसानों की भूमि के सिंचाई होगी, बल्कि यह इस क्षेत्र के लगभग 250 हजार घरों को भी रोशन करेगी। पिछले वर्ष दिसंबर में काबुल में मुझे अफगानिस्‍तान की संसद की नई इमारत का शुभारंभ करने का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ था। यह अफगानिस्‍तान का भविष्‍य हिंसा और बंदूक के बजाय वोट और चर्चा के माध्‍यम से बनाने के अफगानिस्‍तान के महान संघर्ष को एक श्रद्धांजलि थी। आज गर्मी के दिन, हम हेरात में समृद्ध भविष्‍य निर्माण के प्रति अफगानिस्तान की प्रतिबद्धता को सम्‍मानित करने और उसका उत्‍सव मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। भारत और अफगानिस्‍तान ने 1970 के दशक में इस परियोजना का सपना संजोया था। बीते दशक हमें लम्‍बी चली लड़ाई विध्‍वंस की गांथा बताते हैं। यह अफगानिस्‍तान के निर्माण की लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह वह लड़ाई थी जिसने अफगानिस्‍तान की समस्‍त पीढि़यों के भविष्‍य को बर्बाद कर दिया और जब 2001 में परिस्थितियां बदलीं हमने परियोजना पर फिर से काम करना शुरू किया।

संयम और संकल्‍प, साहस और विश्‍वास के साथ हमने दूरियों और रुकावटों, धमकियों और हिंसाओं पर मिलकर विजय प्राप्‍त की है। आज अफगानिस्‍तान की जनता विध्‍वंस और मृत्‍यु, खंडन और निर्दयता की ताकतों को यह संदेश दे रही है कि अब यह जारी नहीं रहेगा। वे अफगानिस्‍तान के सपनों और आकांक्षाओं के रास्‍ते में नहीं आएंगे। वह धरती जहां बेहतरीन फल और केसर की खेती की जाती है एक बार फिर से नदी के जल से पुनर्जीवित होगी। वे घर जो डर की काली रात साये में जीते थे अब आशा की किरण से रोशन होंगे। पुरुष और महिलाएं खेतों में मिलकर काम करेंगे और सुरक्षा के माहौल में कठिन परिश्रम के साथ व्‍यापार करेंगे। वो कंधे जो कभी बंदूक का बोझ उठाते थे अब भूमि की हरियाली के लिए हल का बोझ उठाएंगे। बच्‍चों का शिक्षा और अवसर के भविष्‍य की संभावना में विश्‍वास फिर से कायम होगा।

किसी अन्‍य युवा कवयित्री को दर्द, अस्‍वीकार्यता और उपेक्षा का जीवन जीने की जरूरत नहीं होगी। हेरात ने उत्‍कृष्‍ट काल और दुखद विध्‍वंस को देखा है और वो शहर जिस पर कभी जलादुद्दीन रुमी का शासन था एक बार फिर से उभरेगा। वो शहर जो पश्चिमी, दक्षिण और मध्‍य एशिया का प्रवेश द्वार था, एक बार फिर ऐसा केंद्र बनेगा जो कि समृद्धि, शांतिपूर्ण माहौल में क्षेत्रों को एक करने का काम करेगा। इसलिए अफगानिस्‍तान की सरकार और हेरात के प्रशासन को मैं आपके सहयोग, संयम और आपसी समझ और सबसे बढ़कर हम लोगों में आपके विश्‍वास की तहे दिल से सराहना करता हूं।

यह बांध केवल ईटों और गारों से नहीं ब‍ना है, बल्कि हमारी दोस्‍ती के विश्‍वास और भारत और अफगानिस्‍तान के साहस से बना है और इस महत्‍वपूर्ण क्षण पर हमें उन लोगों के लिए जिन्‍होंने अफगानिस्‍तान के लोगों के भविष्‍य के लिए अपने जीवन का बलिदान कर दिया उनके लिए दुख और सम्‍मान के साथ खड़े हैं इस भूमि में लोगों के आंसू और खून शामिल हैं, जो हमें एक अटूट बंधन में बांधते हैं और जो इस भूमि की मिट्टी में बिखरे हुए हैं। यह बंधन भारत और इस क्षेत्र के बीच प्राचीन संबंधों की याद दिलाता है। हरीरुद नदी का संबंध प्राचीन वैदिक काल से है। आज विश्‍व हरीरुद नदी को भविष्‍य की साझा प्रगति के लिए हमारी प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में देखेगा और यह मित्रता बांध हमें ऐसे मजबूत बंधन में बांधता है जैसे सदियों पहले चिश्‍ती शरीफ ने बांधा था।

यही से ही चिश्‍ती सिलसिला या चिश्‍ती परंपरा भारत पहुंची। उनकी महान परंपरा और संदेश अजमेर, दिल्‍ली और फतेहपुर सीकरी के दरगाहों के माध्‍यम से मिलती हैं। यह सभी धर्मों के मानने वाले लोगों के मध्‍य प्‍यार, शांति, भाईचारे और सद्भावना ईश्‍वर द्वारा निर्मित सभी प्राणियों के लिए आदर, मानवता की सेवा के संदेश के साथ सभी लोगों में व्‍याप्‍त है। भारत और अफगानिस्‍तान यह जानते हैं कि यह सिद्धांत अफगानिस्‍तान को ऐसे देश जिसमें शांति और भाईचारे की प्‍यार और आध्‍यात्‍मिक परंपरा की कविताओं से भरा हुआ है ऐसे देश के रूप में परिभाषित करते हैं न कि चरमपंथ और हिंसा। यह सिद्धांत अफगानिस्‍तान के लोगों को अपने ही लोगों जिन्‍होंने हिंसा का रास्‍ता चुना है और ऐसे लोगों से जो उन्‍हें समर्थन करते हैं ऐसे लोगों से शांति की अपेक्षा करने के लिए धैर्य और साहस प्रदान करते हैं।

अपने विश्‍वास की इस ताकत के साथ कि अपनी स्‍वतंत्रता के लिए जिस तरह वह संघर्ष कर सकते हैं, इस पृथ्‍वी पर कोई और नहीं कर सकता। अफगानिस्‍तान इस पथ पर चलता रहा है। इन्‍हीं सिद्धांतों की बुनियाद पर भारत अफगानिस्‍तान को एक दूसरे की जरूरत है न कि एक दूसरे के विरोधियों को शरण देने के लिए। भारत में चिश्‍ती संत परंपरा के पहले संत ख्‍वाजा मोइनुद्दीन चिश्‍ती का कहना था कि मानव जाति के लोगों को सूर्य, नदियों की उदारता और भूमि के प्रति सम्‍मान होना चाहिए। उनके मन में न केवल अपने पैतृक भूमि का विहंगम परिदृश्‍य का बल्कि वह अफगान नागरिकों को परिभाषित भी करता था। इसीलिए जब मैं दिसंबर में काबुल आया और आपके शानदार स्‍वागत में मैंने आपके दिलों की उदारता को देखा, आपकी आंखों में मैंने भारत के प्रति आपके गहरे प्‍यार को देखा। आपकी मुस्‍कुराहट में मैंने इस रिश्‍ते के प्रति आपके उत्‍साह को देखा। आपके दृढ़ आलिंगन से मैंने इस रिश्‍ते में विश्‍वास महसूस किया और उन महत्‍वपूर्ण क्षणों में भारत ने एक बार फिर आप लोगों के विनीत भाव, इस धरती की खूबसूरती और एक राष्‍ट्र की मित्रता का अनुभव किया। आज मैं 1.25 करोड़ लोगों के आभार और विश्‍वास के साथ और हमारी दोस्‍ती को नया आयाम देने की प्रतिज्ञा के साथ लौटा हूं।

हमारी साझेदारी ने मिलकर ग्रामीण समुदायों के लिए स्‍कूलों, स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों और सिंचाई सुविधाओं का निर्माण किया है। इस साझेदारी ने अफगानिस्‍तान के भविष्‍य का दायित्‍व उठाने के लिए महिलाओं को कौशल और युवाओं को शिक्षा के साथ सशक्‍त बनाने का काम किया है। हम लोगों ने जारांज से देलाराम तक सड़क और पुल बनाने और संप्रेषण लाइन जो कि आपके घरों तक बिजली पहुंचाने का काम करेगी इसके लिए आपस में गठजोड़ किया है। अब ईरान में चाहबहार बंदरगाह में भारत का निवेश अफगानिस्‍तान के लिए विश्‍व और समृद्धि के लिए नये रास्‍तों को खोल देगा और इस उद्देश्‍य को कार्यान्वित करने के लिए पिछले महीने भारत, इरान और अफगानिस्‍तान के मध्‍य राष्‍ट्रपति गनी और ईरान के राष्‍ट्रपति रोहानी और मैंने चाबहार व्‍यापार और पारगमन समझौते पर हस्‍ताक्षर किए।

हमारी दोस्ती का लाभ केवल काबुल, कंधार, मजार और हेरात तक ही सीमित नहीं हैं। हमारे सहयोग का अफगानिस्तान के हर हिस्से तक विस्तार होगा। हमारी भागीदारी से अफगान समाज के हर वर्ग को फायदा होगा क्योंकि अपने कठिन भूगोल, अपनी विविधता से अलग और पुश्तों, ताजिक, उज़बेक और हजारा के रूप में अपनी पहचानों से भी आगे बढ़ते हुए अफगानिस्तान को एक ही राष्ट्र के रूप में जीना और समृद्ध होना चाहिए। अफगान की जनता में विभाजन के कारण केवल उन लोगों को मदद मिलेगी जो इस राष्ट्र पर बाहर से हावी होना चाहते हैं। जब हम एक साथ काम करते हैं तो हमें अन्य लोगों की सोच से अपनी गहरी भागीदारी की रक्षा के लिए अपनी वचनबद्धता से शक्ति और विश्वास प्राप्त होता है।

जब हमारे लोगों पर हमले हो रहे थे तो बहादुर अफगानों ने अपनों की तरह ही हमारी रक्षा की। उन्होंने अपने आप को आग में झोंक दिया ताकि उनके भारतीय मित्र सुरक्षित रहें। यह आपके दिल का बड़प्पन है और आपकी दोस्ती की ताकत है। मैंने इसे एक प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण करने के समय से ही देखा है। उस दिन, जब आतंकवादियों ने हेरात शहर में हमारे दूतावास पर बड़ा हमला किया है तो अफगानी सैनिकों और हमारे कर्मियों की बहादुरी ने अनेक लोगों की जानें बचायीं और एक बड़ी त्रासदी को होने से रोका।

राष्ट्रपति महोदय और मेरे मित्रों,

अफगानिस्तान की सफलता के लिए भारत का हर नागरिक गहरी उम्मीद और इच्छा रखता है। यह भावना अफगान के लोगों के लिए हमारे दिलों से निकलने वाला प्यार और प्रशंसा है। हम यह देखना चाहते हैं कि आपके लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी हों, आपकी जनता एक जुट रहें और आपकी अर्थव्यवस्था समृद्ध हो। हम अपकी कला, संस्कृति और कविता को पनपते देखना चाहते हैं। हम आपके क्रिकेटरों को टेस्ट खिलाड़ी की श्रेणी में शामिल होते और आईपीएल में प्रसिद्धि पाते देखना चाहते हैं।

लेकिन, यह भी मान्यता है कि जब अफगानिस्तान सफल होगा, तभी विश्व अधिक सुरक्षित और अधिक सुंदर हो जाएगा। जब अफगानों को परिभाषित करने वाले मूल्य प्रबल होंगे आतंकवाद और उग्रवाद को पीछे हटना ही पड़ेगा।

हम जानते हैं कि उग्रवाद और आतंकवाद आपकी सीमा पर नहीं रुक सकता है या हमारे क्षेत्र की सीमा पर समाप्त नहीं हो सकता है इसलिए हमारे दौर में अशांति के समय संसार अफगानी जनता के बहादुरी से परिपूर्ण उस संघर्ष को नहीं भूल सकता जो वे अपने लिए और विश्व के लिए लड़ रहे हैं। भारत न तो इसे भूलेगा और न ही इससे इंकार करेगा। जैसा मैंने तब कहा था मैं एक बार फिर कहना चाहूंगा आपकी दोस्ती हमारे लिए सम्मान की बात है और आपके सपने हमारा कर्तव्य है। भारत की क्षमता सीमित हो सकती है लेकिन हमारी प्रतिबद्धता की कोई सीमा नहीं है। हमारे संसाधन मामूली हो सकते हैं, लेकिन हमारी इच्छा असीमित है। दूसरों के लिए उनकी प्रतिबद्धता में सूर्य अस्त हो सकता है लेकिन हमारे संबंधों में समय का कोई बंधन नहीं है। हम भूगोल और राजनीति की बाधाओं का सामना करते हैं लेकिन हम अपने उद्देश्य की स्पष्टता से अपना मार्ग परिभाषित करते हैं। हम दूसरों के प्रतिरोध और संदेह देखते हैं, लेकिन हमारे संकल्प बहुत मजबूत हैं और आपकी आस्था और विश्वास हमें आगे बढ़ने में मार्ग-दर्शन करते हैं।

जहां कुछ लोगों को आपके भविष्य के प्रति संदेह है, हम इस बारे में निश्चित हैं कि कोई शक्ति या ताकत अफगान के लोगों द्वारा चुनी गई नियति से इंकार नहीं कर सकती है। चाहे इसकी यात्रा कितनी लंबी और कठिन क्यों न हो। इसलिए अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मंचों पर हम एक शांतिपूर्ण, समृद्ध, एकजुट, समावेशी और लोकतांत्रिक देश के लिए अफगान के लोगों के अधिकार के लिए एक आवाज में बात करेंगे और उस भविष्य के लिए हम क्षेत्रों में, गांवों और अफगानिस्तान के शहरों में मिलकर काम करेंगे।

एक उजले और एक अंधेरे पल में जो कुछ भी होता है उसका हमें अनुभव होगा। जैसा हेरात के महान सूफी कवि हाकिम जामी ने कहा है कि ताजगी और खुशी दोस्ती की मंद–मंद बयार में बसती है

इस सम्मान, इस स्नेह और इस दोस्ती के लिए धन्यवाद।

धन्यवाद।

 

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PM to attend Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 22, 2024
PM to interact with prominent leaders from the Christian community including Cardinals and Bishops
First such instance that a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India

Prime Minister Shri Narendra Modi will attend the Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) at the CBCI Centre premises, New Delhi at 6:30 PM on 23rd December.

Prime Minister will interact with key leaders from the Christian community, including Cardinals, Bishops and prominent lay leaders of the Church.

This is the first time a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India.

Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) was established in 1944 and is the body which works closest with all the Catholics across India.