मेरी कामना है कि जेएनयू में लगी स्वामी जी की प्रतिमा सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे। यह प्रतिमा वो साहस दे, जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे : पीएम मोदी
देश का युवा दुनियाभर में ब्रांड इंडिया का ब्रांड एंबेसडर हैं। हमारे युवा भारत की संस्कृति और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करते हैं : प्रधानमंत्री मोदी
हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ नहीं : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

मैं प्रांरभ में सभी नौजवानों से एक नारा बोलने के लिए आग्रह करूंगा, आप जरूर मेरे साथ बोलिए- मैं कहूंगा स्‍वामी विवेकानंद – आप कहिए अमर रहे, अमर रहे।

स्‍वामी विवेकानंद – अमर रहे, अमर रहे। स्‍वामी विवेकानंद – अमर रहे, अमर रहे।

देश के शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक जी, जेएनयू के वाइस चांसलर प्रोफेसर जगदीश कुमार जी, प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर आर.पी.सिंह जी, आज के इस अवसर को साकार करने वाले JNU के पूर्व छात्र डॉ. मनोज कुमार जी, मूर्तिकार श्री नरेश कुमावत जी, अलग-अलग स्‍थानों से जुड़े Faculty members और विशाल संख्‍या में इस कार्यक्रम के साथ जुड़े हुए मेरे सभी युवा साथियों। मैं JNU प्रशासन, सभी शिक्षकों और students को इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

स्‍वामी विवेकानंद जी कहते थे- ‘’मूर्ति में आस्था का रहस् ये है कि आप उस एक चीज से ‘vision of divinity’ develop करते हैं।‘’ मेरी कामना है कि JNU में लगी स्‍वामीजी की ये प्रतिमा सभी को प्रेरित करे, ऊर्जा से भरे। ये प्रतिमा वो साहस दे, courage दे, जिसे स्वामी विवेकानंद प्रत्येक व्यक्ति में देखना चाहते थे। ये प्रतिमा वो करुणाभाव सिखाए, compassion सिखाए, जो स्वामी जी के दर्शन का मुख्य आधार है।

ये प्रतिमा हमें राष्ट्र के प्रति अगाध समर्पण सिखाए, प्रेम सिखाए, intense love for our country जो स्वामी जी के जीवन का सर्वोच्च संदेश है। ये प्रतिमा देश को vision of oneness के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी के चिंतन की प्रेरणा रहा है। ये प्रतिमा देश को youth-led development के Vision के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे, जो स्वामी जी की अपेक्षा रही है। ये प्रतिमा हमें स्वामी जी के सशक्त-समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की प्रेरणा देती रहे।

साथियों,

ये सिर्फ एक प्रतिमा नहीं है बल्कि ये उस विचार की ऊंचाई का प्रतीक है जिसके बल पर एक सन्‍यासी ने पूरी दुनिया को भारत का परिचय दिया। उनके पास वेदान्‍त का अगाध ज्ञान था। उनके पास एक Vision था। वो जानते थे कि भारत दुनिया को क्‍या दे सकता है। वो भारत के विश्‍व-बंधुत्‍व के संदेश को लेकर दुनिया में गए। भारत के सांस्‍कृतिक वैभव को, विचारों को, परम्‍पराओं को उन्‍होंने दुनिया के सामने रखा। गौरवपूर्ण तरीके से रखा।

आप सोच सकते हैं जब चारों तरफ निराशा थी, हताशा थी, गुलामी के बोझ में दबे हुए थे हम लोग, तब स्‍वामीजी ने अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी में कहा था, और ये पिछली शताब्‍दी के प्रारंभ में कहा था। उन्‍होंने क्‍या कहा था? मिशिगन यूनिवर्सिटी में भारत का एक सन्‍यासी घोषणा भी करता है, दर्शन भी दिखाता है।

वो कहते हैं – यह शताब्‍दी आपकी है। यानी पिछली शताब्‍दी के प्रारंभ में उनके शब्‍द हैं- ‘’ये शताब्दी आपकी है, लेकिन 21वीं शताब्दी निश्चित ही भारत की होगी।‘’ पिछली शताब्‍दी में उनके शब्‍द सही निकले हैं, इस शताब्‍दी में उनके शब्‍दों को सही करना, ये हम सबका दायित्‍व है।

भारतीयों के उसी आत्‍मविश्‍वास, उसी जज्‍बे को ये प्रतिमा समेटे हुए है। ये प्रतिमा उस ज्‍योतिपुंज का दर्शन है जिसके गुलामी के लंबे कालखंड में खुद को, अपने सामर्थ्‍य को, अपनी पहचान को भूल रहे भारत को जगाया था, जगाने का काम किया था। भारत में नई चेतना का संचार किया था।

साथियो,

आज देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य और संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। आज आत्मनिर्भर भारत का विचार 130 करोड़ से अधिक भारतीयों के Collective Consciousness का, हमारी Aspirations का हिस्सा बन चुका है। जब हम आत्‍म्‍निर्भर भारत की बात करते हैं तो लक्ष्‍य सिर्फ Physical या Material Self Reliance तक ही सीमित नहीं है। आत्‍मनिर्भरता का अर्थ भी व्‍यापक है, दायरा भी व्‍यापक है, उसमें गहराई भी है, उसमें ऊंचाई भी है। आत्‍मनिर्भर राष्‍ट्र तभी बनता है जब संसाधनों के साथ-साथ सोच और संस्‍कारों में भी वो आत्‍मनिर्भर बने।

विदेश में एक बार किसी ने स्‍वामीजी से पूछा था कि, आप ऐसा पहनावा क्यों नहीं पहनते जिससे आप Gentleman भी लगें? इस पर स्‍वामीजी ने जो जवाब दिया, वो भारत के आत्‍मविश्‍वास, भारत के मूल्‍यों की गहराई को दिखाता है। बड़ी विनम्रता के साथ उन सज्‍जन को स्‍वामीजी ने जवाब दिया कि- आपके culture में एक Tailor Gentleman बनाता है, लेकिन हमारे culture में character तय करता है कि कौन Gentleman है। आत्‍मनिर्भर सोच और संस्‍कारों का निर्माण ये Campus बनाते हैं, आप जैसे युवा साथी बनाते हैं।

साथियों,

देशकायुवाहीदुनियाभरमें Brand India का Brand Ambassador हैं।हमारेयुवाभारतके Culture और Traditions काप्रतिनिधित्वकरतेहैं।इसलिएआपसेअपेक्षासिर्फहज़ारोंवर्षोंसेचलीआरहीभारतकीपुरातनपहचानपरगर्वकरनेभरकीहीनहींहै, बल्कि 21वींसदीमेंभारतकीनईपहचानगढ़नेकीभीहै।अतीतमेंहमनेदुनियाकोक्‍यादियायेयादरखनाऔरयेबतानाहमारेआत्‍मविश्‍वासकोबढ़ाताहै।इसीआत्‍मविश्‍वासकेबलपरहमेंभविष्‍यपरकामकरनाहै।भारत 21वींसदीकीदुनियामेंक्‍या contribute करेगा, इसकेलिए innovate करनाहमसभीकादायित्‍वहै।

साथियों,

हमारे युवा साथी जो देश की Policy और Planning की अहम कड़ी हैं, उनके मन में ये सवाल जरूर उठता होगा कि भारत की आत्‍मनिर्भरता का मतलब क्‍या खुद में ही रमने का है, अपने में ही मग्‍न रहने का है क्‍या? तो इसका जवाब भी हमें स्‍वामी विवेकानंद जी के विचारों में मिलेगा। स्वामी जी से एक बार किसी ने पूछा कि क्या संत को अपने ही देश के बजाय सभी देशों को अपना नहीं मानना चाहिए? इस पर स्‍वामीजी ने सहज ही जवाब दिया कि वो व्यक्ति जो अपनी मां को स्नेह और सहारा ना दे पाए, वो दूसरों की माताओं की चिंता कैसे कर सकता है? इसलिए हमारी आत्मनिर्भरता पूरी मानवता के भले के लिए है और हम ये करके दिखा रहे हैं। जब जब भारत का सामर्थ्य बढ़ा है, तब-तब उससे दुनिया को लाभ हुआ है। भारत की आत्मनिर्भरता में 'आत्मवत् सर्व-भूतेषु' की भावना जुड़ी हुई है, पूरे संसार के कल्याण की सोच जुड़ी हुई है।

साथियों,

आज हर सेक्टर में किए जा रहे अभूतपूर्व सुधार आत्मनिर्भरता की भावना से किए जा रहे हैं। देश की जनता ने वोट के माध्यम से इन Reforms को समर्थन भी दिया है। आप सभी तो JNU में भारत की सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था का गंभीरता से विश्लेषण करते हैं। आप से बेहतर ये कौन जानता है कि भारत में Reforms को लेकर क्या क्या बातें होती थीं। क्या ये सच नहीं है क्‍या भारत में Good Reforms को Bad Politics नहीं माना जाता था? तो फिर Good Reforms, Good Politics कैसे हो गए?

इसको लेकर आप JNU के साथी ज़रूर रिसर्च करें। लेकिन अनुभव के आधार पर मैं एक पहलू आपके सामने ज़रूर रखूंगा। आज सिस्टम में जितने Reforms किए जा रहे हैं, उऩके पीछे भारत को हर प्रकार से बेहतर बनाने का संकल्प है। आज हो रहे Reforms के साथ नीयत और निष्ठा पवित्र है। आज जो Reforms किए जा रहे हैं, उससे पहले एक सुरक्षा कवच तैयार किया जा रहा है। इस कवच का सबसे बड़ा आधार है- विश्वास, भरोसा। अब जैसे pro-farmer reforms, उसी की बात कर लें। किसान दशकों तक सिर्फ राजनीतिक चर्चा का ही विषय रहा, ज़मीन पर उसके हित में कदम सीमित ही थे।

बीते 5-6 सालों में हमने किसानों के लिए एक सुरक्षा तंत्र विकसित किया। सिंचाई का बेहतर infrastructure हो, मंडियों के आधुनिकीकरण पर निवेश हो, यूरिया की उपलब्धता हो, Soil Health Cards हों, बेहतर बीज हों, फसल बीमा हो, लागत का डेढ़ गुणा MSP हो, ऑनलाइन मार्केट की व्यवस्था ई-नाम हो, और पीएम सम्मान निधि से सीधी मदद हो। बीते सालों में MSP को भी अनेक बार बढ़ाया गया और किसानों से रिकॉर्ड खरीद भी की गई है। किसानों के इर्द-गिर्द जब ये सुरक्षा कवच बन गया, जब उनमें विश्वास जागा तब जाकर Agro-reforms को हमने आगे बढ़ाया।

पहले किसानों की अपेक्षाओं पर काम किया गया और अब किसानों की आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए काम किया जा रहा है। अब किसानों को पारंपरिक साधनों से ज्यादा विकल्प बाज़ार में मिल रहे हैं। जब विकल्प ज्यादा मिलते हैं, तो खरीदारों में Competition भी बढ़ रहा है, जिसका सीधा लाभ किसान को मिलने वाला है। Reforms के कारण अब किसान उत्पादक संघ यानि FPOs के माध्यम से किसानों के सीधे Exporters बनने का भी रास्ता साफ हुआ है।

साथियों,

किसानों के साथ-साथ गरीबों के हित में किए गए Reforms के मामले में भी यही रास्ता अपनाया जा रहा है। हमारे यहां लंबे समय तक गरीब को सिर्फ नारों में ही रखा गया। लेकिन सच्चाई ये थी कि देश के गरीब को कभी सिस्टम से जोड़ने की चेष्टा ही नहीं हुई। जो सबसे ज्यादा Neglected था, वो गरीब था। जो सबसे ज्यादा Unconnected था, वो गरीब था। जो सबसे ज्यादा Financially excluded था, वो गरीब था। अब गरीबों को अपना पक्का घर, टॉयलेट, बिजली, गैस, साफ पीने का पानी, डिजिटल बैंकिंग, सस्ती मोबाइल कनेक्टिविटी और तेज़ इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा जैसे अन्‍य नागरिकों मिल रही है, गरीबों तक भी पहुंच रही है। ये गरीब के इर्द-गिर्द बुना गया वो सुरक्षा कवच है, जो उसकी आकांक्षाओं की उड़ान के लिए ज़रूरी है।

साथियों,

एक और reforms जो सीधे आपको, JNU जैसे देश के Campuses को प्रभावित करता है, वो है नई National Education Policy. इस नई National Education Policy की Core Values ही, Confidence, Conviction और Character से भरे युवा भारत का निर्माण करना है। यही स्वामी जी का भी Vision था। वो चाहते थे कि भारत में शिक्षा ऐसी हो जो आत्मविश्वास दे, उसको हर प्रकार से आत्मनिर्भर बनाए।

जीवन के दो ढाई दशक के बाद युवा साथियों को जो हौसला मिलता है, वो स्कूली जीवन की शुरुआत में ही क्यों ना मिले? किताबी ज्ञान तक, Streams की बंदिशों तक, Mark sheet, Degree, Diploma तक ही युवा ऊर्जा को क्यों बांध कर रखा जाए? नई National Education Policy का फोकस इसी बात पर सबसे अधिक है। Inclusion, नई NEP के मूल में है। भाषा सिर्फ एक माध्यम है, ज्ञान का पैमाना नहीं, ये इस NEP की भावना है। गरीब से गरीब को, देश की बेटियों को, उनकी ज़रूरत, उनकी सुविधा के अनुसार बेहतर शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार मिले, ये इसमें सुनिश्चित किया गया है।

साथियों,

Reforms का निर्णय करना ही अपने आप में काफी नहीं होता। उनको जिस प्रकार से हम अपने जीवन में उतारते हैं, ये सबसे अहम होता है। नई National Education Policy से हमारी शिक्षा व्यवस्था में सार्थक बदलाव भी तभी तेज़ी से आएगा, जब हम, आप सभी साथी ईमानदारी से प्रयास करेंगे। विशेषतौर पर हमारे शिक्षक वर्ग, बुद्धिजीवी वर्ग पर इसका सबसे ज्यादा दायित्व है। वैसे साथियों, JNU के इस कैंपस में एक बेहद लोकप्रिय जगह है। कौन सी जगह है वो? साबरमती ढाबा? है न? और वहां पर कितनों का खाता चल रहा है? मैंने सुना है कि आप लोग क्लास के बाद इस ढाबे पर जाते हैं और चाय परांठे के साथ Debate करते हैं, Ideas exchange करते हैं। वैसे पेट भरा हो तो Debate में भी मजा आता है। आज तक आपके Ideas की, Debate की, Discussion की जो भूख साबरमती ढाबा में मिटती थी, अब आपके लिए स्वामी जी की इस प्रतिमा की छत्रछाया में एक और जगह मिल गई है।

साथियों,

किसी एक बात जिसने हमारे देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहुत बड़ा नुकसान पहुंचाया है- वो है राष्ट्रहित से ज्यादा प्राथमिकता अपनी विचारधारा को देना। क्योंकि मेरी विचारधारा ये कहती है, इसलिए देशहित के मामलों में भी मैं इसी साँचे में सोचूंगा, इसी दायरे में काम करूंगा, ये रास्‍ता सही नहीं है दोस्‍तों, ये गलत है। आज हर कोई अपनी विचारधारा पर गर्व करता है। ये स्वाभाविक भी है। लेकिन फिर भी, हमारी विचारधारा राष्ट्रहित के विषयों में, राष्ट्र के साथ नजर आनी चाहिए, राष्ट्र के खिलाफ कतई नहीं।

आप देश के इतिहास में देखिए, जब-जब देश के सामने कोई कठिन समस्‍या आई है, हर विचार, हर विचारधारा के लोग राष्ट्रहित में एक साथ आए हैं। आज़ादी की लड़ाई में महात्मा गांधी के नेतृत्व में हर विचारधारा के लोग एक साथ आए थे। उन्होंने देश के लिए एक साथ संघर्ष किया था।

ऐसा नहीं था कि बापू के नेतृत्व में किसी व्यक्ति को अपनी विचारधारा छोड़नी पड़ी हो। उस समय परिस्थिति ऐसी थी, तो हर किसी ने देश के लिए एक Common Cause को प्राथमिकता दी। अब Emergency को याद करिए, Emergency के दौरान भी देश ने यही एकजुटता देखी थी। और मुझे तो उस आंदोलन का हिस्‍सा बनने का सौभाग्‍य मिला था, मैं ने सारी चीजों को खुद देखा था, अनुभव किया था, मैं प्रत्यक्ष गवाह हूँ।

Emergency के खिलाफ उस आंदोलन में काँग्रेस के पूर्व नेता और कार्यकर्ता भी थे। आरएसएस के स्वयंसेवक और जनसंघ के लोग भी थे। समाजवादी लोग भी थे। कम्यूनिस्ट भी थे। JNU से जुड़े कितने ही लोग थे जिन्होंने एक साथ आकर Emergency के खिलाफ संघर्ष किया था। इस एकजुटता में, इस लड़ाई में भी किसी को अपनी विचारधारा से समझौता नहीं करना पड़ा था। बस उद्देश्य एक ही था- राष्ट्रहित। और ये उद्देश्य ही सबसे बड़ा था। इसलिए साथियों, जब राष्ट्र की एकता अखंडता और राष्ट्रहित का प्रश्न हो तो अपनी विचारधारा के बोझ तले दबकर फैसला लेने से, देश का नुकसान ही होता है।

हां, मैं मानता हूं कि स्वार्थ के लिए, अवसरवाद के लिए अपनी विचारधारा से समझौता करना भी उतना ही गलत है। इस Information Age में, अब इस तरह का अवसरवाद सफल नहीं होता, और हम ये होते हुए देख रहे हैं। हमें अवसरवाद से दूर, लेकिन एक स्वस्थ संवाद को लोकतन्त्र में जिंदा रखना है।

साथियों, आपके यहां तो आपके hostels के नाम भी गंगा, साबरमती, गोदावरी, ताप्ती, कावेरी, नर्मदा, झेलम, सतलुज जैसी नदियों के नाम पर हैं। इन नदियों की तरह ही आप सब भी देश के अलग अलग हिस्सों से आते हैं, अलग अलग विचार लेकर आते हैं, और यहाँ मिलते हैं। Ideas की इस sharing को, नए-नए विचारों के इस प्रवाह को अविरल बनाए रखना है, कभी सूखने नहीं देना है। हमारा देश वो महान भूमि है जहां अलग-अलग बौद्धिक विचारों के बीज अंकुरित होते रहे हैं, विकसित होते रहे हैं और फलते-फूलते भी हैं। इस परंपरा को मजबूत करना आप जैसे युवाओं के लिए तो खास तौर पर आवश्यक है। इसी परंपरा के कारण भारत दुनिया का सबसे vibrant लोकतन्त्र है।

मैं चाहता हूं कि हमारे देश का युवा कभी भी किसी भी Status quo को ऐसे ही Accept न करे। कोई एक कह रहा है, इसलिए सही मान लो, ये नहीं होना चहिए। आप तर्क करिए, वाद करिए, विवाद करिए, स्वस्थ चर्चा करिए, मनन-मंथन करिए, संवाद करिए, फिर किसी परिणाम पर पहुंचिए।

स्वामी विवेकानंद जी ने भी कभी status quo को स्वीकार नहीं किया था। और हाँ, एक चीज जिस पर मैं खास तौर पर बात करना चाहता हूँ और वो है- Humor, आपस में हंसी मजाक। ये बहुत बड़ा Lubricating force है। अपने भीतर Spirit of Humor को जरूर जिंदा रखिए। कभी-कभी तो मैं कई नौजवानों को देखता हूं जैसे इतने बोझ नीचे दबे हुए होते हैं जैसे सारा पूरी दुनिया का बोझ उनके सिर पर है। कई बार हम अपनी कैम्पस लाइफ में, पढ़ाई में, कैम्पस पॉलिटिक्स में Humor को भूल ही जाते हैं। इसलिए, हमें इसे बचाकर रखना है, अपने sense of humor को खोने नहीं देना है।

युवा साथियों, छात्र जीवन खुद को पहचानने के लिए एक बहुत उत्‍तम अवसर होता है। खुद को पहचानना ये जीवन की बहुत अहम आवश्‍यकता भी होती है। मैं चाहूंगा इसका भरपूर उपयोग कीजिए। JNU कैंपस में लगी स्वामी जी की ये प्रतिमा राष्ट्र निर्माण, राष्ट्रप्रेम और राष्ट्रजागरण के प्रति यहां आने वाले हर युवा को प्रेरित करती रहे। इसी कामना के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं !

आप सब सफल होइए, स्वस्थ रहिए। आने वाले दिनों के पर्वों को धूमधाम से मनाइए। अपने परिजन यहां रहते हैं उनको भी ये संतोष हो कि आप भी दिवाली के माहौल में उसी खुशी मिजाज से काम कर रहे हैं। यही अपेक्षा के साथ मेरी तरफ से आप सबको अनेक-अनेक शुभकामनाएं।

बहुत बहुत धन्यवाद !

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November 23, 2024
आज महाराष्ट्र ने विकास, सुशासन और सच्चे सामाजिक न्याय की जीत देखी है: पीएम मोदी
महाराष्ट्र की जनता ने भाजपा को कांग्रेस और उसके सहयोगियों की कुल सीटों से कहीं ज़्यादा सीटें दी हैं: पीएम मोदी
महाराष्ट्र ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। यह पिछले 50 सालों में किसी भी पार्टी या चुनाव-पूर्व गठबंधन की सबसे बड़ी जीत है: पीएम मोदी
‘एक हैं तो सेफ हैं’ देश का ‘महामंत्र’ बन गया है: पार्टी मुख्यालय में भाजपा कार्यकर्ताओं से पीएम मोदी
महाराष्ट्र देश का छठा राज्य बन गया है जिसने लगातार तीसरी बार भाजपा को जनादेश दिया है: पीएम मोदी

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।