डिजिटल इंडिया यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया था कि जीवन के सभी क्षेत्रों के लोग, खासकर ग्रामीण इलाकों के लोग डिजिटल रूप से सशक्त बने: प्रधानमंत्री मोदी
हमने सुनिश्चित किया कि प्रौद्योगिकी के फायदे कुछ चुनिंदा लोगों तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि समाज के सभी वर्गों तक इसकी पहुंच हो: पीएम मोदी
डिजिटल इंडिया पहल गांव के स्तर पर उद्यमियों का समूह तैयार करने की पहल है: प्रधानमंत्री
डिजिटल माध्यम से भुगतान से बिचौलिए हो रहे समाप्त: प्रधानमंत्री मोदी
‘मेक इन इंडिया’ के परिणामस्वरूप विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिल रहा हैं और इससे युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं: पीएम मोदी
डिजिटल सशक्तिकरण के साथ, हम प्रौद्योगिकी के माध्यम से रचनात्मकता को बढ़ावा देना चाहते हैं: प्रधानमंत्री

पिछले कुछ दिनों से मुझे सरकार की विभिन्‍न योजनाओं के देश भर के जो लाभार्थी हैं। उन सबसे रूबरू होने का, बातचीत करने का उनको सुनने का अवसर मिला और मैं कह सकता हूं कि मेरे लिए एक अद्भुत अनुभव है। और मैं हमेशा इस हिम्‍मत का आग्रही हूं। कि फाइलों से परे लाइफ भी होती है। और लाइफ में जो बदलाव आया है। जब उसको सीधा लोगों से सुना। उनके अनुभवों को जाना तो मन को एक बहुत ही संतोष मिलता है। और काम करने की एक नई ऊर्जा भी मुझे आप लोगों से मिली है। आज डिजिटल इंडिया की कुछ योजना के लाभार्थियों से बातचीत करने का अवसर मिला है।

मुझे बताया गया है कि आज के इस कार्यक्रम में देश भर के गरीब 3 लाख Common Service Centres इनके साथ जुड़ने का मुझे अवसर मिला है। इन CSC Common Service Centre को संचालित करने वाले VLEs और जो नागरिक इनसे अलग-अलग तरह की सेवाएं ले रहे हैं, सर्विस ले रहे हैं। वे सब आज यहां मौजूद हैं। इसके अलावा देश भर के NIC centre के माध्‍यम से Digital India के लाभार्थी वहां भी इकट्ठा हुए हैं। 1600 से अधिक संस्‍थाएं जो NKN National Knowledge Network उनसे जुड़े हैं। उनके विद्यार्थी, Researchers, Scientist, Professors ये सब हमारे साथ हैं। देश भर में सरकार की योजना से जो BPO स्‍थापित हुए हैं। उनके युवा अपने-अपने BPO centre से भी इस कार्यक्रम में हमारे साथ है। इतना ही नहीं Mobile, Manufacturing Units में काम करने वाले युवा भी हमें अपनी-अपनी Units भी दिखाएगें। और वो कुछ बात हमसे करेंगे।

देश भर में लाखों की संख्‍या में Mygov volunteers भी जुड़़े हैं। मैं मानता हूं ये अनोखा संवाद है जहां कम से कम 50 लाख से ज्‍यादा लोग एक ही विषय पर आज हम सब मिलकर के बाते करने वाले हैं। हर किसी का अनुभव सुनने का, उनसे बातचीत करने का एक ही अद्भुत अवसर है और जब Digital India launch हुआ था तो एक संकल्‍प था कि देश के सामान्‍य व्‍यक्ति को, गरीब को, किसानों को, युवाओं को, गांवों को डिजिटल की दुनिया से जोड़ रहा है। उन्‍हें Empower कर रहा है। इसी एक संकल्‍प को लेकर पिछले चार साल में Digital Empowerment के हर एक पहलू पर काम किया है चाहे गांवों को, Fibre Optics से जोड़ना हो। करोड़ो लोगों को डिजिटली साक्षर करना हो, सरकारी सेवाओं को मोबाइल के माध्‍यम से हर एक के हाथ में पहुंचाना हो, Electronic Manufacturing को देश में विकसित करना हो Strat up or Innovation को बढ़ावा देना हो, दूर-दराज के क्षेत्रों में BPO’s खोलने को अभियान चलाना हो। ऐसे अनेक प्रकल्‍प आज पेंशन प्राप्‍त करने वाले हमारे बुजुर्गों को कोसो दूर खुद जाकर अपने जीवन का प्रमाण नहीं देना पड़ता बल्कि वो अपने गांव में ही Common Service Centres CSC centre से पहुंच करके बड़ी आसानी से काम कर सकते हैं। देश का किसान मौसम का हाल जानना हो, फसल के संबंध में जानकारी लेनी हो, Soil आदि के बारे में जानकारी लेनी हो। वो बड़े आराम से आजकल प्राप्‍त कर लेता है। लेकिन साथ ही साथ एक Digital Market ENAM के माध्‍यम से अपने उत्‍पाद भी देश भर के बाजारों में वो बेच सकता है। अपने मोबाइल फोन के माध्‍यम से या CSC के सेंटर पर जाकर।

आज गांव में पढ़ने वाला विद्यार्थी सिर्फ अपने स्‍कूल-कॉलेज में उपलब्‍ध किताबों तक सीमित नहीं है। वो इंटरनेट का इस्‍तेमाल करके digital library के जरिये लाखों किताबों का access कर रहा है। वो अब scholarship की धनराशि के लिए स्‍कूल-कॉलेज के प्‍लानिंग सिस्‍टम पर निर्भर नहीं है। उसकी scholarship अब सीधा उसके बैंक खाते में आ जाती है। ये सब संभव हुआ है टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से संचार क्रांति के द्वारा। आज से कुछ वर्ष पहले तक महानगरों से दूर छोटे शहरों, कस्‍बों और गांवों में रहने वालों के लिए इस बात की कल्‍पना भी मुश्किल थी कि रेलवे टिकट बिना स्‍टेशन पर गए हुए, बिना लाइन में लगे हुए रेलवे टिकट बुक हो सकती है। या रसोई गैस बिना लाइन में घंटों बिताए सीधा घर तक पहुंच सकती है। टैक्‍स, बिजली, पानी का बिल बिना किसी सरकारी दफ्तर का चक्‍कर लगाए ही जमा हो सकता है। लेकिन आज ये सब संभव है आपके जीवन से जुड़े हुए तमाम जरूरी काम अब बस अंगुली भर की दूरी पर है। और ऐसा नहीं है कि कुछ चंद लोगों को ही ये उपलब्‍ध है, हर एक को उपलब्‍ध है। देश के हर नागरिक को अधिक से अधिक सुविधाएं अपने घर के पास ही मिल सके। इसके लिए देश भर के Common Service Centres CSC network को मजबूत किया जा रहा है।

अब तक देश में करीब 3 लाख Common Service Centres खोले जा चुके हैं। आज Digital Service Deliver Centres का ये विशाल नेटवर्क भारत के 1 लाख 83 हजार ग्राम पंचायतों में फैला हुआ है। आज लाखों की संख्‍या में युवा Village Level Entrepreneurs (VLE) के रूप में काम कर रहा है। और खुशी की बात है कि इनमें 52 हजार महिलाएं उद्यमी काम कर रही हैं।

इन केंद्रों के माध्‍यम से 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला है। समग्र रूप से देखें तो ये केंद्र न सिर्फ Empowerment का माध्‍यम बने हैं बल्कि इससे Education, Entrepreneurship और Employment को भी बढ़ावा मिला है।

देखिए आज लगभग 60 लाख volunteers Mygov Platfarm से जुड़े हुए हैं। यानी एक प्रकार से नागरिक सरकार जिसको कहे citizen government इसका रूप बन गया है। Ideas और suggestion देने के अलावा अलग-अलग volunteers activity में भी युवा बढ़ चढ़ कर के हिस्‍सा ले रहे हैं।

नागरिकों से प्राप्‍त विभिन्‍न सुझावों को संबंधित मंत्रालयों तक पहुंचाना, उनके implementation की संभावनाओं पर काम करना और अधिक से अधिक युवाओं को इससे जोड़ना इन सबके लिए Mygov एक मजबूत Platform बनके उभरा है। मैं आपको इन voluntary और एक प्रकार से अपने योगदान के जरूर कुछ उदाहरण देना चाहूंगा जो लोगों ने मेरे सामने रखे। केंद्र सरकार हर साल बजट में volunteers द्वारा प्राप्‍त सुझावों को सम्मिलित करती है। स्‍वच्‍छ भारत अभियान, जन-धन योजना, डिजिटल इंडिया जैसे अनेक योजनाओ के logo और उसकी tag line भी Mygov के माध्‍यम से नागिरकों के योगदान से बनी है। सरकार ने उसमें टाइम नहीं खपाया। सरकार के लिए ये crowd sourcing से आगे बढ़ कर जनभागीदारी का एक प्‍लेटफार्म बना है।

हर महीने मन की बात कार्यक्रम के लिए भी देश के कोने-कोने से लोग अपने सुझाव और प्रेरणा देने वाले उदाहरण भी मुझे इस प्‍लेटफार्म के माध्‍यम से भेजते हैं। डिजिटल इंडिया आज देश भर में करोड़ो लोगों की जिंदगी में बदलाव ला रहा है। डिजिटल इंडिया से 4 E साकार हो रहे हैं, Education, Employment, Entrepreneurship, Empowerment. Digital India से सामान्‍य व्‍यक्ति का जीवन बेहतर बने इसी शुभकामना के साथ मैं आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद करता हूं। लेकिन एक काम के लिए मैं आज आपको आग्रह करना चाहता हूं। और वो भी common service centre से मेरी ज्‍यादा अपेक्षा है। सब common service centre वाले सुन रहे हैं मैं आपको यहां screen पर देख रहा हूं। Common service centre वाले जरा हाथ ऊपर करें मेरा काम करोगे आप लोग। सारे common service centre वाले हाथ ऊपर करें, बताइए करेंगें। इसका मतलब ये नहीं कि BPO वाले न करें।

देखिए मैं बताता हूं क्‍या करना है, मैं चाहता हूं। आप लिख कर रखिए आने वाली 20 तारीख को इसी समय ठीक सुबह साढ़े नौ बजे मैं देश के किसानों के साथ बात करने वाला हूं। किसान भाईयों-बहनों के साथ बात करने वाला हूं। क्‍या आप एक मेरी मदद कर सकते हैं क्‍य। आप अपने CSC सेंटर में जैसे आज 10-12 लोग बैठे हैं, 20 तारीख को सुबह साढ़े नौ बजे 50-100 किसानों को बिठा सकते हैं क्‍या? मैं उन किसानों से बात करूंगा। हाथ ऊपर कीजिए, कौन करेंगे ये काम, सब किसानों से बात करेंगे। किसान के ही विषय की बात करेंगे।

देखिए, इससे आपका CSC Centre इतना powerful हो जाएगा, कि आप देश में तीन लाख सेंटर से देश का प्रधानमंत्री उस गांव को सीधी अपनी बात बता देगा और वहां लोग बैठेगें जैसे मैं कभी कह दूंगा कि भई मुझे टीकाकरण के पहले सब लोगों से बात करनी है। तो टीकाकरण को कितनी बड़ी ताकत मिल जाएगी। टीवी वगैरह के माध्‍यम से जानने की बजाय इसकी ताकत बहुत बढ़ जाती है। तो मैं चाहूंगा कि आप 20 तारीख को सुबह साढ़े नौ बजे अपने CSC Centre पर 50-100 किसान भाईयो-बहनों को लाकर के बिठाइए। मैं उनसे बात करूंगा, उनसे चर्चा करूंगा। कृषि के क्षेत्र में कैसे परिवर्तन आ रहा है। एक गांव का व्‍यक्ति भी उसका कैसे फायदा उठा सकता है, वो बाते मैं करना चाहता हूं। और मैं उनके अनुभव भी सुनना चाहता हूं।

तो दोस्‍तो मुझे आज बहुत अच्‍छा लगा। मेरे हिन्‍दुस्‍तान में जो बदलाव आ रहा है। जो बदलाव आप लोग ला रहे हैं और अपनी ऊंगली की ताकत से ला रहे हैं।

ये प्रगति, ये विश्‍वास, ये विकास, reform, perform, transform इसको साकार करने वाला है। मैं फिर एक बार आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बुहत धन्‍यवाद देता हूं। नमस्‍ते।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!