नमस्ते, मेरे किसान भाई-बहनों। नमस्ते-नमस्ते।
मेरे लिए खुशी की बात है कि आज मुझे देशभर के 600 जिलों के कृषि विज्ञान केंद्र, के.वी.के, एवं देश के विभिन्न गांवों में स्थित 2 लाख कॉमन सर्विस सेंटर पर जो हमारे किसान भाई-बहन मौजूद हैं, जो आज हमारे साथ जुड़े हुए हैं, उनसे उनके अनुभव जानने का, उनकी बातें सीधे-सीधे सुनने का एक दुर्लभ अवसर आज मुझे प्राप्त हुआ है।
आप समय निकाल करके आए, एक उत्सव का माहौल बना करके बैठे हैं और मैं यहां मेरे टीवी स्क्रीन पर देख रहा हूं आपके चेहरे की मुस्कान, आपका उमंग-उत्साह; मेरे लिए बहुत ही खुशी का दिवस है आज। किसान हमारे अन्नदाता हैं- वे लोगों को भोजन देते हैं, पशुओं को चारा देते हैं, सारे उद्योगों को कच्ची सामग्री देते हैं, देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का पूरा श्रेय हमारे किसान भाइयों और बहनों को जाता है।
भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो, इसके लिए हमारे किसान भाइयों-बहनों ने अपना खून-पसीना एक कर दिया, लेकिन समय के साथ किसान का अपना विकास धीरे-धीरे सिकुड़ता चला गया। शुरू से ही देश के किसानों को उनके नसीब पर छोड़ दिया गया। हर सोच को बदलने के लिए एक निरंतर प्रयास की जरूरत थी, वैज्ञानिक प्रयास की जरूरत थी। प्रगतिशील किसानों को आगे ला करके किसानों के बीच में बदलते हुए युग के अनुसार बदलाव के लिए प्रयास करने की जरूरत थी, लेकिन उस काम में हमने बहुत साल विलंब कर दिया है। पिछले चार सालों में हमने जमीन के रख-रखाव से ले करके उत्तम क्वालिटी के, अच्छी क्वालिटी के बीज तैयार हों, किसानों के लिए प्राप्त हों, बिजली-पानी से ले करके बाजार उपलब्ध कराने तक एक संतुलित और व्यापक योजना के तहत कार्य करने का हमने भरसक प्रयास किया है। और हमने तय किया कि 2022 तक देश के किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य ले करके आगे बढ़ना है। किसानों को साथ ले करके आगे बढ़ना है। सरकार की पुरानी नीतियों को बदल करके आगे चलना है। जहां-जहां कठिनाई है, उन्हें दूर कर-करके आगे बढ़ना है। जहां-जहां पर रुकावटें हैं उसको खत्म करके आगे बढ़ना है।
और जब हमने किसानों की आय दोगुनी करने की बात की है तो बहुत लोग ऐसे थे जिन्होंने उसका मजाक उड़ाया- ये तो संभव नहीं है, ये तो मुश्किल है, ये कैसे हो सकता है; निराश करने का एक वातावरण बना दिया, लेकिन हमने तय किया। देश के किसान को मेरा भरोसा था। अगर हमारे देश के किसान के सामने कोई लक्ष्य रखा जाए, आवश्यक वातावरण पैदा किया जाए, बदलाव लाया जाए तो मेरे देश का किसान रिस्क लेने को तैयार है, मेहनत करने को तैयार है, परिणाम लाने को तैयार है और भूतकाल में उसने करके दिखाया है।
हमने इसे पूरा करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किया और उस दिशा में आप सबको किसानों को साथ ले करके आगे बढ़ने का निरंतर प्रयास चल रहा है। इस काम को प्राप्त करने के लिए मुख्य रूप से चार बिन्दुओं पर बल दिया गया है। पहला है- किसान को जो लागत आती है, कच्चे माल की लागत आती है; वो कम से कम कैसे हो। दूसरा- वो जब पैदा करता है, जो उपज करता है, उसका उचित मूल्य मिले। तीसरा- किसान जो पैदा करता है, जो उपज करता है उसकी बर्बादी रुक जाए, और चौथा किसानी के उपरांत आमदनी के लिए वैकल्पिक स्रोत तैयार हो।
देश के किसानों को फसलों की उचित कीमत मिले- इसके लिए इस बार के बजट में सरकार ने एक बहुत बड़ा फैसला किया है। सरकार ने तय किया कि अधिसूचित फसलों के लिए एमएसपी उनकी लागत का कम से कम डेढ़ गुना घोषित किया जाएगा। इसमें बहुत सारी चीजों का समावेश किया गया है। और मैं आपको बताता हूं एमएसपी के लिए जो लागत जोड़ी जाएगी उसमें दूसरे श्रमिकों के परिश्रम का मूल्य जोड़ा जाएगा, मवेशी और मशीन पर जो खर्च किया जाएगा वो भी जोड़ा जाएगा, बीज और खाद का जो खर्च होगा वो भी जोड़ा जाएगा, सिंचाई का खर्च भी जोड़ा जाएगा, राज्य सरकार जो-जो रेवन्यू देते हैं वो भी जोड़ा जाएगा, वर्किंग केपिटल पर जो ब्याज देना पड़ता है वो भी जोड़ा जाएगा, लीज ली गई जमीन के लिए दिया गया किराया भी उसमें जोड़ा जाएगा; ये सब एमएसपी में शामिल है। इतना ही नहीं, किसान जो अपनी मेहनत करता है और उसके परिवार के सदस्य जो मेहनत करते हैं, उस मेहनत का भी मूल्य निर्धारित करके लागत के अंदर उसको भी जोड़ा जाएगा; और उसके आधार पर एमएसपी तय किया जाएगा।
कृषि के लिए सरकार बजट में एक निश्चित फंड आवंटित करती है। पिछली सरकार के पांच वर्षों में कृषि के लिए बजट आवंटन एक लाख 21 हजार करोड़ रुपये का था जिसे 2014 से 19 के लिए बढ़ाकर करीब-करीब हमने इस पांच साल के लिए इसको 2 लाख 12 हजार करोड़ कर दिया। यानी करीब-करीब कृषि के लिए बजट डबल कर दिया। यह किसानों के कल्याण के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता को साफ-साफ दिखाता है।
आज देश में न सिर्फ अनाज का बल्कि फल, सब्जियां और दूध का रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। हमारे किसान भाइयों ने पिछले 70 साल के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए, एक नया रिकॉर्ड बना दिया है। पिछले 48 महीनों में कृषि के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। वर्ष 2017-18 में खाद्यान्न उत्पादन करीब-करीब 280 मिलियन टन से अधिक हुआ है, जबकि 2010 से 2014 तक पिछली सरकार के दरम्यान एवरेज औसत वो ढाई सौ मिलियन टन के आसपास रहा था।इसी तरह दलहन के क्षेत्र में भी औसत उत्पादन में 10.5 प्रतिशत ten point five percent एवं बागवानी के क्षेत्र में 15 प्रतिशतन यानी कि fifteen percent की वृद्धि दर्ज की गई।
Blue revolution या नीली क्रांति के अंतर्गत मछली पालन के क्षेत्र में 26 प्रतिशत,twenty six percent,वृद्धि हुई है तो दूसरी ओर पशुपालन व दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में करीब 24 प्रतिशत,twenty four percent की वृद्धि हुई है। हमारा प्रयास है कि किसानों को खेती की पूरी प्रक्रिया में हर कदम पर मदद मिले यानी बुवाई से पहले और बुवाई के बाद भी और फसल कटाई के बाद भी। सीधे तौर पर कहें तो फसलों के तैयार होने से लेकर बाजार में उसकी बिक्री तक यानी बीज से लेकर बाजार तक सरकार कैसे मदद रूप हो सकती है, कैसे सुविधा बढ़ा सकती है, कैसे किसान को न्याय दिला सकती है; इसके लिए निर्णय किए जा रहे हैं, योजनाएं बनाई जा रही हैं।
किसान कल्याण के लिए एक पूरी व्यवस्था बनी रहे, उस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। बुवाई से पहले किसान ये जान पाए कि किस मिट्टी पर कौन सी फसल उगानी चाहिए, उसके लिए soil health card शुरू किया गया। एक बार जब ये पता चल जाए कि क्या उगाना है तो फिर किसानों को अच्छी क्वालिटी के बीज मिलें और पूंजी की समस्या से गुजरना न पड़े, इसके लिए किसान ऋण व्यवस्था की गई, किसान क्रेडिट कार्ड का दायरा बढ़ाया गया।
पहले खाद के लिए लम्बी-लम्बी कतारें हुआ करती थीं, लेकिन अब किसानों को यूरिया और अतिरिक्त खाद लेने के लिए, वो आसानी से प्राप्त हो रहा है, कालेबाजारी नहीं करनी पड़ रही है। आज किसानों के लिए 100 प्रतिशत-शत-प्रतिशत- hundred percent नीम कोटिंग वाला यूरिया देश में उपलब्ध है।
बुवाई के बाद जरूरत होती है सिंचाई की। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत आज देशभर में करीब-करीब 100 सिंचाई परियोजनाएं पूरी की जा रही हैं। हर खेत को पानी मिले- इस लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं। किसानों को फसल में किसी भी तरह का जोखिम न हो, इसके लिए आज फसल बीमा योजना है। फसल कटाई के बाद जब किसान का उत्पाद बाजार में पहुंचता है, उसमें उसे अपनी उपज की सही कीमत मिले- इसके लिए online platform ई-नाम शुरू किया गया है, ताकि किसानों को अपनी उपज का पूरा पैसा मिल सके। और सबसे बड़ी बात कि अब बिचौलिए किसानों का प्रॉफिट हजम नहीं कर सकते, मार नहीं खा सकते, कटिंगनहीं कर सकते।आइए देखते हैं इन योजनाओं से हमारे किसान भाई-बहनों को क्या लाभ मिला, उनके जीवन में क्या बदलाव आया और उन्हीं के मुंह से सुनेंगे, उन्हीं के अपने अनुभव से सुनेंगे तो शायद और देश के किसानों को भी एक अवसर मिलेगा कि हां, अगर वहां का किसान ये कर सकता है तो मैं भी कर सकता हूं।
मेरे प्यारे भाइयो-बहनों, आज जो लोग ये पूरा संवाद देख रहे हैं उन्हेंबहुत गर्व होता होगा हमारे इन किसानों पर, उनकी मेहनत पर, उनकी प्रगति पर और उनके नए प्रयोगों पर। मैं मानता हूं कि जब देश के गांव का, किसानों का उदय होगा तभी भारत का भी उदय होगा। जब हमारा किसान सशक्त होगा तभी देश सशक्त होगा।
मेरे किसान भाइयो-बहनों, मैं लगातार इस टैक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए देश के अलग-अलग लोगों से बात करता हूं। आज भी लाखों लोग लाखों किसान मेरे साथ जुड़े हुए हैं। आपकी बात सिर्फ मैं नहीं पूरा हिन्दुस्तान सुन रहा है, हर किसान सुन रहा है, आपसे वो सीख भी रहा है। सरकार में बैठे हुए लोग भी सुन रहे हैं। आपकी बातें वो भी रजिस्टर कर रहे हैं। आपके प्रयोगों की वो भी चर्चा करेंगे। इन चीजों को आगे लागू करने के लिए प्रयास करेंगे। और ये मेरा क्रम चलता रहेगा क्योंकि मेरे लिए ये कार्यक्रम एक यूनिवर्सिटी बन गया है जो मुझे हर हफ्ते कुछ न कुछ सिखाता है। देशवासियों से सिखाता है, हिन्दुस्तान के दूर-दराज के लोगों से मिलने का मौका देता है, बातचीत का मौका मिलता है। टैक्नोलॉजी के माध्यम से मैं आपसे बहुत कुछ सीख रहा हूं, समझ रहा हूं और देश के भिन्न-भिन्न भागों में क्या-क्या हो रहा है, कैसे हो रहा है, उसकी सीधी जानकारी मुझे आपके माध्यम से मिल रही है।
तो मैं अगले बुधवार को फिर मिलने वाला हूं। अगले बुधवार यानी कि 27 जून को। और मैं 27 जून को हमारे गरीब लोग, हमारे निम्न-मध्यम वर्ग के लोग, हमारे मध्यम वर्ग के लोग, हमारे किसान भाई-बहन हमारे कारीगर भाई-बहन, जो सामाजिक सुरक्षा लेकर जो बीमा योजनाएं चलाई जा रही हैं, उनके बारे में मैं उनसे बात करूंगा। सुरक्षा बीमा योजना से उनको क्या लाभ हुआ है, क्योंकि बहुत बड़े व्यापक तौर पर हमने काम किया है। और मुझे पूरा भरोसा है कि आप सब किसान, मेरी बहनों और भाइयो, इन योजनाओं को अपनाया ही होगा। आपने भी सुरक्षा बीमा का लाभ लिया होगा और मुझे इस बात की खुशी है कि आज मेरे सभी देश के किसानों के दर्शन करने का मुझे मौका मिला, उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का मौका मिला, उनके परिश्रम की गाथाएं सुनने का मौका मिला, उनकी लगन, उनकी तपस्या ये आज देश को नई ऊंचाईयों पर ले जा रही हैं।
मैं फिर एक बार मेरे सभी किसान भाइयों-बहनों को नमन करता हूं। आपने समय निकाला, मुझे बहुत कुछ बातें बताईं। मैं बहुत-बहुत आपका आभारी हूं। धन्यवाद।