Quoteसरकार एक स्वस्थ भारत की दिशा में चार मोर्चों पर एक साथ काम कर रही है : प्रधानमंत्री
Quoteआज पूरे विश्व में भारत के हेल्थ सेक्टर की प्रतिष्ठा और भारत के हेल्थ सेक्टर पर भरोसा, नए स्तर पर है: प्रधानमंत्री
Quoteभारत को दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन के लिए कच्चे माल के आयात को कम करने की दिशा में काम करना चाहिए : प्रधानमंत्री

नमस्कार।

ये जो कार्यक्रम थोड़ा आपको विशेष लगता होगा, इस बार बजट के बाद हमने तय किया कि बजट में जो चीजें तय की गई हैं उन्हीं चीजों को ले करके अलग-अलग सेक्‍टर जिनका इस बजट के प्रावधानों से सीधा संबंध है, उनसे विस्‍तार से बात करें और एक अप्रैल से जब नया बजट लागू हो तो उसी दिन से सारी योजनाएं भी लागू हों, सारी योजनाएं आगे बढ़ें और फरवरी और मार्च, इसका भरपूर उपयोग इस तैयारी के लिए किया जाए।

बजट जब हमने पहले की तुलना में करीब एक महीना prepone किया हुआ है तो हमारे पास दो महीने का समय है। उसका maximum लाभ हम कैसे लें और इसलिए लगातार अलग-अलग क्षेत्र के लोगों से बात हो रही है। कभी infrastructure के संबंधित सबसे बात हुई, कभी defence sector से सं‍बंधित सबसे बात हुई। आज मुझे हेल्‍थ सेक्‍टर के लोगों से बात करने का मौका मिला है।

इस वर्ष के बजट में हेल्थ सेक्टर को जितना बजट आवंटित किया गया है, वो अभूतपूर्व है। ये हर देशवासी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने की हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। बीता वर्ष एक तरह से देश के लिए, दुनिया के लिए, पूरी मानवजाति के लिए और खास करके हेल्थ सेक्टर के लिए एक प्रकार से अग्निपरीक्षा की तरह था।

मुझे खुशी है कि आप सभी, देश का हेल्थ सेक्टर, इस अग्निपरीक्षा में हम सफल हुए हैं। अनेकों की जिंदगी बचाने में हम कामयाब रहे हैं। कुछ महीनों के भीतर ही जिस तरह देश ने करीब ढाई हज़ार लैब्स का नेटवर्क खड़ा किया, कुछ दर्जन टेस्ट से हम आज करीब 21 करोड़ टेस्ट के पड़ाव तक पहुंच पाए, ये सब सरकार और प्राइवेट सेक्टर के साथ मिलकर काम करने से ही संभव हुआ है।

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साथियों,

कोरोना ने हमें ये सबक दिया है कि हमें सिर्फ आज ही महामारी से नहीं लड़ना है बल्कि भविष्य में आने वाली ऐसी किसी भी स्थिति के लिए भी देश को तैयार करना है। इसलिए हेल्थकेयर से जुड़े हर क्षेत्र को मजबूत करना भी उतना ही आवश्यक है। Medical equipment से लेकर medicines तक, Ventilators से लेकर vaccines तक, Scientific research से लेकर surveillance infrastructure तक, Doctors से लेकर एपीडेमयोलोजिस्ट तक, हमें सभी पर ध्यान देना है ताकि देश में भविष्य में किसी भी स्वास्थ्य आपदा के लिए बेहतर तरीके से तैयार रहे।

पीएम- आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना के पीछे मूलत: यही प्रेरणा है। इस योजना के तहत रिसर्च से लेकर Testing और Treatment तक देश में ही एक आधुनिक इकोसिस्टम विकसित करना तय किया गया है। PM आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना, हर spectrum में हमारी क्षमताओं में वृद्धि करेगी। 15वें वित्त आयोग, इसकी सिफारिशे स्वीकार करने के बाद हमारी जो लोकल बॉडीज हैं उनको स्वास्थ्य सेवाओं की व्‍यवस्‍थाओं के लिए 70 हजार करोड़ रुपए से अधिक अतिरिक्त मिलने वाला है। यानि सरकार का जोर सिर्फ हेल्थ केयर में निवेश पर ही नहीं है बल्कि देश के दूर-दराज वाले इलाकों तक हेल्थ केयर को पहुंचाने का भी है। हमें ये भी ध्यान रखना है कि हेल्थ सेक्टर में किया गया निवेश, स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि रोजगार के अवसर भी बढ़ाता है।

साथियों,

कोरोना के दौरान भारत के हेल्थ सेक्टर ने जो मजबूती दिखाई है, अपने जिस अनुभव औऱ अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है, उसे दुनिया ने बहुत बारीकी से नोट किया है। आज पूरे विश्व में भारत के हेल्थ सेक्टर की प्रतिष्ठा और भारत के हेल्थ सेक्टर पर भरोसा, एक नए स्तर पर पहुंचा है। हमें इस भरोसे को ध्यान में रखते हुए भी अपनी तैयारियां करनी हैं। आने वाले समय में भारतीय डॉक्टरों की डिमांड विश्व में और ज्यादा बढ़ने वाली है और कारण है ये भरोसा। आने वाले समय में भारतीय नर्सेस, भारतीय पैरा मेडिकल स्टाफ की डिमांड पूरी दुनिया में बढ़ेगी, आप लिख करके रखिए। इस दौरान भारतीय दवाइयों और भारतीय वैक्सीनों ने एक नया भरोसा हासिल किया है। इनकी बढ़ती डिमांड के लिए भी हमें अपनी तैयारी करनी होगी। हमारे मेडिकल एजुकेशन सिस्टम पर भी स्‍वाभाविक रूप से लोगों का ध्‍यान जाएगा, उस पर भरोसा बढ़ेगा। आने वाले दिनों में दुनिया के और देशों से भी मेडिकल एजुकेशन के लिए, भारत में पढ़ाई करने के लिए विद्यार्थियों के आने की संभावना भी बढ़ने वाली है। और हमें इसे प्रोत्‍साहित भी करना चाहिए।

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कोरोना के दौरान हमने वेंटिलेटर और अन्य सामान बनाने में भी महारत हासिल कर ली है। इसकी वैश्विक डिमांड पूरी करने के लिए भी भारत को तेजी से काम करना होगा। क्‍या भारत ये सपना देख सकता है कि दुनिया को जिस-जिस आधुनिक medical equipment की आवश्‍यकता है वो cost effective कैसे बने? भारत ग्‍लोबल सप्‍लायर कैसे बने? और affordable व्‍यवस्‍था होगी, sustainable व्‍यवस्‍था होगी, user friendly technology होगी; मैं पक्‍का मानता हूं दुनिया की नजर भारत की तरफ जाएगी और health sector में जरूर जाएगी।

साथियों,

सरकार का बजट निश्चित तौर पर एक कैटेलेटिक एजेंट होता है। लेकिन बात तभी बनेगी, जब हम सब मिल करके काम करेंगे।

साथियों,

स्वास्थ्य को लेकर हमारी सरकार की अप्रोच, पहले की सरकारों की सोच से जरा अलग है। इस बजट के बाद आप भी ये सवाल देख रहे होंगे जिसमें स्‍वच्‍छता की बात होगी, पोषण की बात होगी, वेलनेस की बात होगी, आयुष का हेल्थ प्लानिंग होगा। ये सारी चीजें एक holistic approach के साथ हम आगे बढ़ा रहे हैं। यही वो सोच है जिसकी वजह से पहले हेल्थ सेक्टर को आमतौर पर टुकड़ों में देखा जाता था और टुकड़ों में ही उसको हैंडल किया जाता था।

हमारी सरकार Health Issues को टुकड़ों के बजाय Holistic तरीके से, एक integrated approach की तरह से और एक focus तरीके से देखने का प्रयास कर रही है। इसलिए हमने देश में सिर्फ Treatment ही नहीं Wellness पर फोकस करना शुरु किया है। हमने Prevention से लेकर Cure तक एक Integrated अप्रोच अपनाई है। भारत को स्वस्थ रखने के लिए हम 4 मोर्चों पर एक साथ काम कर रहे हैं।

पहला मोर्चा है, बीमारियों को रोकने का, मतलब कि Prevention of illness और Promotion of Wellness. स्वच्छ भारत अभियान हो, योग पर फोकस हो, पोषण से लेकर गर्भवती महिलाओं और बच्चों को समय पर सही केयर और ट्रीटमेंट हो, शुद्ध पीने का पानी पहुंचाने का प्रयास हो, ऐसे हर उपाय इसका हिस्सा हैं।

दूसरा मोर्चा, गरीब से गरीब को सस्ता और प्रभावी इलाज देने का है। आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र जैसी योजनाएं यही काम कर रही हैं।

तीसरा मोर्चा है, हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की Quantity और Quality में बढ़ोतरी करना। बीते 6 साल से AIIMS और इस स्तर के दूसरे संस्थानों का विस्तार देश के दूर-सुदूर के राज्यों तक किया जा रहा है। देश में ज्यादा से ज्यादा मेडिकल कॉलेज बनाने के पीछे भी यही सोच है।

चौथा मोर्चा है, समस्याओं से पार पाने के लिए मिशन मोड पर, focus तौर पर और समय सीमा में हमें काम करना है। मिशन इंद्रधनुष का विस्तार देश के आदिवासी और दूर-दराज के इलाकों तक किया गया है।

देश से टीबी के खिलाफ जंग और टीबी को खत्म करने के लिए दुनिया ने 2030 का टारगेट रखा है, भारत ने 2025 तक का लक्ष्य रखा है। और मैं टीबी की तरफ इस समय विशेष ध्‍यान देने के लिए इसलिए कहूंगा कि टीबी भी infected person के droplets से ही फैलती है। टीबी की रोकथाम में भी मास्क पहनना, Early diagnosis और treatment, ये सारी बातें अहम हैं।

ऐसे में कोरोना काल में जो हमें अनुभव मिला है, जो एक प्रकार से हिन्‍दुस्‍तान के common man तक पहुंच चुका है, अब उसी हमारी practices को हम टीबी के क्षेत्र में भी उसी मोड में काम करेंगे तो टीबी से जो हमें लड़ाई लड़नी है, बहुत आसानी से हम जीत सकेंगे। और इसलिए कोरोना का experience, कोरोना के कारण जन-सामान्‍य में जो जागृति आई है वो, बीमारी से बचने में भारत के सामान्‍य नागरिक ने जो योगदान दिया है, उन सारी चीजों को देख करके लगता है कि इसी मॉडल को आवश्‍यक सुधार के साथ, addition-alternation के साथ अगर हम टीबी पर भी लागू करेंगे तो 2025 का टीबी मुक्‍त भारत का सपना हम पूरा कर सकते हैं।

इसी तरह आपको याद होगा, हमारे यहां खास करके उत्‍तर प्रदेश में गोरखपुर वगैरह जो क्षेत्र हैं जिसे पूर्वांचल भी कहते हैं, उस पूर्वांचल में दिमागी बुखार से हर वर्ष हजारों की तादाद में बच्चों की दुखद मृत्यु हो जाती थी। संसद में भी उसकी चर्चा होती थी। एक बार तो इस विषय पर चर्चा करते हुए हमारे वर्तमान उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगीजी बहुत रो पड़े थे, उन बच्‍चों की मरने की स्थिति देख करके। लेकिन जब से वो वहां के मुख्‍यमंत्री बने, उन्‍होंने एक प्रकार से focus activity की। पूरी तरह जोर लगाया। आज हमें बहुत आशास्‍पद परिणाम मिल रहे हैं। हमने दिमागी बुखार को फैलने से रोकने पर जोर दिया, इलाज की सुविधाएं बढ़ाईं तो इसका अब असर भी दिख रहा है।

साथियों,

कोरोना काल में आयुष से जुड़े हमारे नेटवर्क ने भी बेहतरीन काम किया है। ना सिर्फ human resource को लेकर बल्कि immunity और scientific research को लेकर भी हमारा आयुष का infrastructure देश के बहुत काम आया है।

भारत की दवाओं और भारत की वैक्‍सीन के साथ-साथ हमारे मसालों, हमारे काढ़े का भी कितना बड़ा योगदान है, ये दुनिया आज अनुभव कर रही है। हमारी traditional medicine ने भी विश्‍व मन पर अपनी एक जगह बनाई है। जो traditional medicine से जुड़े हुए लोग हैं, जो उसके उत्‍पादन के साथ जुड़े हुए लोग हैं, जो आयुर्वेदिक परम्‍पराओं से परिचित लोग हैं; हमारा फोकस भी ग्‍लोबल रहना चाहिए।

विश्‍व जिस प्रकार से योग को आसानी से स्‍वीकार कर रहा है, वैसे ही विश्‍व holistic health care की तरफ गया है। साइड इफेक्‍ट से मुक्‍त health care की तरफ विश्‍व का ध्‍यान गया है। उसमें भारत की traditional medicine बहुत काम आ सकती है। भारत की जो traditional medicine है, वो मुख्‍यत: herbal based हैं और उसके कारण विश्‍व में उसका आकर्षण बहुत तेजी से बढ़ सकता है। Harm के संबंध में लोग निश्चिन्त होते हैं कि इसमें कुछ harmfull नहीं है। क्‍या हम उसको भी जोर लगा सकते हैं? हमारे हेल्‍थ के बजट को और इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग मिलकर कुछ कर सकते हैं?

कोरोना के दौरान हमारी परंपरागत औषधियों की ताकत देखने के बाद हमारे लिए खुशी का विषय है और आयुर्वेद में traditional medicine में विश्‍वास करने वाले भी सभी और उससे अलग हमारे medical profession से जुड़े हुए लोगों के लिए गर्व की बात है कि विश्व स्वास्थ्य सेंटर- WHO, भारत में अपना Global Centre of Traditional Medicine भी शुरू करने जा रहा है। Already उन्होंने announcement कर दिया है। भारत सरकार उसकी प्रक्रिया भी कर रही है। ये जो मान-सम्‍मान मिला है इसको दुनिया तक पहुंचाना हमारा दायित्‍व बनता है।

साथियों,

Accessibility और Affordability को अब नेक्स्ट लेवल पर ले जाने का समय है। इसलिए अब हेल्थ सेक्टर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी का उपयोग बढ़ाया जा रहा है। डिजिटल हेल्थ मिशन, देश के सामान्य नागरिकों को समय पर, सुविधा के अनुसार, प्रभावी इलाज देने में बहुत मदद करेगा।

साथियों,

बीते सालों की एक और अप्रोच को बदलने का काम तेज़ी से किया गया है। ये बदलाव आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत ज़रूरी है। आज हम Pharmacy of the World, इस बात पर गर्व करते हैं, लेकिन आज भी कई बातों के लिए जो Raw Material है उसके लिए हम विदेशों पर निर्भर हैं।

दवाओं और Medical Devices के Raw Material के लिए देश की विदेशों पर निर्भरता, विदेशों पर गुजारा करना हमारी इंडस्ट्री के लिए कितना बुरा अनुभव रहा है, ये हम देख चुके हैं। ये सही नहीं है। इसलिए गरीबों को सस्ती दवाएं और उपकरण देने में भी ये बहुत बड़ी कठिनाई पैदा करते हैं। हमें इसका रास्‍ता खोजना ही होगा। भारत को हमें इन क्षेत्रों में आत्‍मनिर्भर बनाना ही होगा। इसके लिए चार विशेष योजनाएं इन दिनों शुरू की गई हैं। बजट में भी उसका उल्‍लेख है, आपने भी अध्‍ययन किया होगा।

इसके तहत देश में ही दवाओं और मेडिकल उपकरणों के Raw Material के उत्पादन के लिए Production Linked Incentives दिए जा रहे हैं। इसी तरह, दवाएं और Medical Devices बनाने के लिए मेगा पार्क्स के निर्माण को भी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है।

साथियों,

देश को सिर्फ last mile health access ही नहीं चाहिए बल्कि हमें हिन्‍दुस्‍तान के हर कोने में, दूर-दराज के क्षेत्रों में...जैसे हमारे यहां जब इलेक्‍शन होता है तो रिपोर्ट आती है, एक मतदाता था वहां भी पोलिंग बूथ लगा; मुझे लगता है कि हेल्‍थ सेक्‍टर में भी और एजुकेशन दो विषय हैं कि जहां एक नागरिक होगा, तो भी हम पहुंचेंगे। ये हमारा मिजाज होना चाहिए और हमें इस पर जोर देना है। उस पर हमें पूरी कोशिश करनी है। और इसलिए सभी क्षेत्रों में health excess पर भी हमें जोर देना है। देश को wellness centres चाहिए, देश को district hospitals चाहिए, देश को critical care units चाहिए, देश को health surveillance infrastructure चाहिए, देश को आधुनिक labs चाहिए, देश को telemedicine चाहिए, हमें हर स्तर पर काम करना है, हर स्तर को बढ़ावा देना है।

हमें ये सुनिश्चित करना है कि देश के लोग, चाहे वो गरीब से गरीब हों, चाहे वो सुदूर इलाकों में रहते हों, उन्हें best possible treatment मिले और समय पर मिले। और इन सभी के लिए जब केंद्र सरकार, सभी राज्य सरकारें, स्थानीय निकाय और देश का प्राइवेट सेक्टर, मिलकर काम करेंगे, तो बेहतर नतीजे भी मिलेंगे।

प्राइवेट सेक्टर, PM-JAY में हिस्सेदारी के साथ-साथ public health laboratories का नेटवर्क बनाने में PPP मॉडल्स को भी सपोर्ट कर सकता है। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन, नागरिकों के डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड और दूसरी Cutting Edge Technology को लेकर भी साझेदारी हो सकती है।

मुझे विश्वास है कि हम सभी मिलकर एक मजबूत साझेदारी के रास्ते निकाल पाएंगे, स्वस्थ और समर्थ भारत के लिए आत्मनिर्भर समाधान तलाश कर पाएंगे। मेरा आप सबसे आग्रह है कि हम जो stake holders के साथ, इस विषय के जो ज्ञाता लोग हैं उनके साथ चर्चा कर रहे हैं...बजट जो आना था वो आ गया। बहुत सी आपकी अपेक्षाएं होंगी, वो शायद इसमें नहीं होगा। लेकिन उसके लिए ये कोई आखिरी बजट नहीं है...अगले बजट में देखेंगे। आज तो जो बजट आया है इसका तेज गति से ज्‍यादा से ज्‍यादा और जल्‍दी से जल्‍दी हम सब मिलकर implementation कैसे करें, व्‍यवस्‍थाएं कैसे विकसित करें, सामान्‍य मानवी तक पहुंचने में हम तेजी कैसे लाएं। मैं चाहूंगा कि आप सबका अनुभव, आपकी बातें आज भारत सरकार को बजट के बाद...हम पार्लियामेंट में तो चर्चा करते हैं। पहली बार बजट की चर्चा संबंधित लोगों से हम कर रहे हैं। बजट की पूर्व चर्चा करते हैं तब सुझाव की होती हैं...बजट के बाद चर्चा करते हैं तब समाधान की होती हैं।

और इसलिए आइए हम मिल करके समाधान निकालें, हम मिल करके बहुत तेज गति से आगे बढ़ें और हम सब मिल करके चलें। सरकार और आप अलग नहीं हैं। सरकार भी आप ही की है और आप भी देश के लिए ही हैं। हम सब मिल करके देश के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को ध्‍यान में रखते हुए हेल्‍थ सेक्‍टर का उज्‍ज्‍वल भविष्‍य, तंदुरूस्‍त भारत के लिए हम सब इस बात को आगे बढ़ाएंगे। आप सबने समय निकाला है। आपका मार्गदर्शन बहुत काम आएगा। आप की सक्रिय भागीदारी बहुत काम आएगी।

मैं फिर एक बार...आपने समय निकाला, इसके लिए आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं और आपके मूल्‍यवान सुझाव हमें आगे ले जाने में बहुत काम आएंगे। आप सुझाव भी देंगे, साझेदारी भी करेंगे। आप अपेक्षाएं भी करेंगे, जिम्‍मेदारी भी उठाएंगे। इसी विश्‍वास के साथ...

बहुत-बहुत धन्यवाद !

  • krishangopal sharma Bjp March 04, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp March 04, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp March 04, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp March 04, 2025

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  • krishangopal sharma Bjp March 04, 2025

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  • Devendra Kunwar October 17, 2024

    BJP
  • Laxman singh Rana September 08, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌹🌹
  • Laxman singh Rana September 08, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌹
  • Laxman singh Rana September 08, 2022

    नमो नमो 🇮🇳
  • G.shankar Srivastav June 20, 2022

    नमस्ते
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140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

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सरकार देश में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर के मॉडर्नाइजेशन पर फोकस कर रही है: खेलो इंडिया यूथ गेम्स में पीएम मोदी
May 04, 2025
Quoteबिहार में आयोजित हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भाग लेने वाले एथलीटों को शुभकामनाएं, आप इस मंच पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें और सच्ची खेल उत्कृष्टता को प्रोत्साहन मिले: प्रधानमंत्री
Quoteभारत इस समय वर्ष 2036 में अपने देश में ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए प्रयास कर रहा है: प्रधानमंत्री श्री मोदी
Quoteसरकार देश में खेल अवसंरचना को आधुनिक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है: प्रधानमंत्री
Quoteपिछले एक दशक में खेल बजट में तीन गुना से अधिक की वृद्धि की गई है, इस वर्ष खेल बजट लगभग 4,000 करोड़ रुपये का है: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
Quoteहमने देश में अच्छे खिलाड़ियों के साथ-साथ उत्कृष्ट खेल पेशेवर तैयार करने के उद्देश्य से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेलों को मुख्यधारा की शिक्षा का हिस्सा बनाया है: प्रधानमंत्री

बिहार के मुख्यमंत्री श्रीमान नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनसुख भाई, बहन रक्षा खड़से, श्रीमान राम नाथ ठाकुर जी, बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी जी, विजय कुमार सिन्हा जी, उपस्थित अन्य महानुभाव, सभी खिलाड़ी, कोच, अन्य स्टाफ और मेरे प्यारे युवा साथियों!

देश के कोना-कोना से आइल,, एक से बढ़ के एक, एक से नीमन एक, रउआ खिलाड़ी लोगन के हम अभिनंदन करत बानी।

साथियों,

खेलो इंडिया यूथ गेम्स के दौरान बिहार के कई शहरों में प्रतियोगिताएं होंगी। पटना से राजगीर, गया से भागलपुर और बेगूसराय तक, आने वाले कुछ दिनों में छह हज़ार से अधिक युवा एथलीट, छह हजार से ज्यादा सपनों औऱ संकल्पों के साथ बिहार की इस पवित्र धरती पर परचम लहराएंगे। मैं सभी खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। भारत में स्पोर्ट्स अब एक कल्चर के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। और जितना ज्यादा भारत में स्पोर्टिंग कल्चर बढ़ेगा, उतना ही भारत की सॉफ्ट पावर भी बढ़ेगी। खेलो इंडिया यूथ गेम्स इस दिशा में, देश के युवाओं के लिए एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म बना है।

साथियों,

किसी भी खिलाड़ी को अपना प्रदर्शन बेहतर करने के लिए, खुद को लगातार कसौटी पर कसने के लिए, ज्यादा से ज्यादा मैच खेलना, ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगिताओं में हिस्सा, ये बहुत जरूरी होता है। NDA सरकार ने अपनी नीतियों में हमेशा इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। आज खेलो इंडिया, यूनिवर्सिटी गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया यूथ गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया विंटर गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया पैरा गेम्स होते हैं, यानी साल भर, अलग-अलग लेवल पर, पूरे देश के स्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर लगातार स्पर्धाएं होती रहती हैं। इससे हमारे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ता है, उनका टैलेंट निखरकर सामने आता है। मैं आपको क्रिकेट की दुनिया से एक उदाहरण देता हूं। अभी हमने IPL में बिहार के ही बेटे वैभव सूर्यवंशी का शानदार प्रदर्शन देखा। इतनी कम आयु में वैभव ने इतना जबरदस्त रिकॉर्ड बना दिया। वैभव के इस अच्छे खेल के पीछे उनकी मेहनत तो है ही, उनके टैलेंट को सामने लाने में, अलग-अलग लेवल पर ज्यादा से ज्यादा मैचों ने भी बड़ी भूमिका निभाई। यानी, जो जितना खेलेगा, वो उतना खिलेगा। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के दौरान आप सभी एथलीट्स को नेशनल लेवल के खेल की बारीकियों को समझने का मौका मिलेगा, आप बहुत कुछ सीख सकेंगे।

साथियों,

ओलंपिक्स कभी भारत में आयोजित हों, ये हर भारतीय का सपना रहा है। आज भारत प्रयास कर रहा है, कि साल 2036 में ओलंपिक्स हमारे देश में हों। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भारत का दबदबा बढ़ाने के लिए, स्पोर्टिंग टैलेंट की स्कूल लेवल पर ही पहचान करने के लिए, सरकार स्कूल के स्तर पर एथलीट्स को खोजकर उन्हें ट्रेन कर रही है। खेलो इंडिया से लेकर TOPS स्कीम तक, एक पूरा इकोसिस्टम, इसके लिए विकसित किया गया है। आज बिहार सहित, पूरे देश के हजारों एथलीट्स इसका लाभ उठा रहे हैं। सरकार का फोकस इस बात पर भी है कि हमारे खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा नए स्पोर्ट्स खेलने का मौका मिले। इसलिए ही खेलो इंडिया यूथ गेम्स में गतका, कलारीपयट्टू, खो-खो, मल्लखंभ और यहां तक की योगासन को शामिल किया गया है। हाल के दिनों में हमारे खिलाड़ियों ने कई नए खेलों में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया है। वुशु, सेपाक-टकरा, पन्चक-सीलाट, लॉन बॉल्स, रोलर स्केटिंग जैसे खेलों में भी अब भारतीय खिलाड़ी आगे आ रहे हैं। साल 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला टीम ने लॉन बॉल्स में मेडल जीतकर तो सबका ध्यान आकर्षित किया था।

साथियों,

सरकार का जोर, भारत में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने पर भी है। बीते दशक में खेल के बजट में तीन गुणा से अधिक की वृद्धि की गई है। इस वर्ष स्पोर्ट्स का बजट करीब 4 हज़ार करोड़ रुपए है। इस बजट का बहुत बड़ा हिस्सा स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो रहा है। आज देश में एक हज़ार से अधिक खेलो इंडिया सेंटर्स चल रहे हैं। इनमें तीन दर्जन से अधिक हमारे बिहार में ही हैं। बिहार को तो, NDA के डबल इंजन का भी फायदा हो रहा है। यहां बिहार सरकार, अनेक योजनाओं को अपने स्तर पर विस्तार दे रही है। राजगीर में खेलो इंडिया State centre of excellence की स्थापना की गई है। बिहार खेल विश्वविद्यालय, राज्य खेल अकादमी जैसे संस्थान भी बिहार को मिले हैं। पटना-गया हाईवे पर स्पोर्टस सिटी का निर्माण हो रहा है। बिहार के गांवों में खेल सुविधाओं का निर्माण किया गया है। अब खेलो इंडिया यूथ गेम्स- नेशनल स्पोर्ट्स मैप पर बिहार की उपस्थिति को और मज़बूत करने में मदद करेंगे। 

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साथियों,

स्पोर्ट्स की दुनिया और स्पोर्ट्स से जुड़ी इकॉनॉमी सिर्फ फील्ड तक सीमित नहीं है। आज ये नौजवानों को रोजगार और स्वरोजगार को भी नए अवसर दे रहा है। इसमें फिजियोथेरेपी है, डेटा एनालिटिक्स है, स्पोर्ट्स टेक्नॉलॉजी, ब्रॉडकास्टिंग, ई-स्पोर्ट्स, मैनेजमेंट, ऐसे कई सब-सेक्टर्स हैं। और खासकर तो हमारे युवा, कोच, फिटनेस ट्रेनर, रिक्रूटमेंट एजेंट, इवेंट मैनेजर, स्पोर्ट्स लॉयर, स्पोर्ट्स मीडिया एक्सपर्ट की राह भी जरूर चुन सकते हैं। यानी एक स्टेडियम अब सिर्फ मैच का मैदान नहीं, हज़ारों रोज़गार का स्रोत बन गया है। नौजवानों के लिए स्पोर्ट्स एंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में भी अनेक संभावनाएं बन रही हैं। आज देश में जो नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बन रही हैं, या फिर नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी बनी है, जिसमें हमने स्पोर्ट्स को मेनस्ट्रीम पढ़ाई का हिस्सा बनाया है, इसका मकसद भी देश में अच्छे खिलाड़ियों के साथ-साथ बेहतरीन स्पोर्ट्स प्रोफेशनल्स बनाने का है। 

मेरे युवा साथियों, 

हम जानते हैं, जीवन के हर क्षेत्र में स्पोर्ट्समैन शिप का बहुत बड़ा महत्व होता है। स्पोर्ट्स के मैदान में हम टीम भावना सीखते हैं, एक दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ना सीखते हैं। आपको खेल के मैदान पर अपना बेस्ट देना है और एक भारत श्रेष्ठ भारत के ब्रांड ऐंबेसेडर के रूप में भी अपनी भूमिका मजबूत करनी है। मुझे विश्वास है, आप बिहार से बहुत सी अच्छी यादें लेकर लौटेंगे। जो एथलीट्स बिहार के बाहर से आए हैं, वो लिट्टी चोखा का स्वाद भी जरूर लेकर जाएं। बिहार का मखाना भी आपको बहुत पसंद आएगा।

साथियों, 

खेलो इंडिया यूथ गेम्स से- खेल भावना और देशभक्ति की भावना, दोनों बुलंद हो, इसी भावना के साथ मैं सातवें खेलो इंडिया यूथ गेम्स के शुभारंभ की घोषणा करता हूं।