Quote"आपका बैच अगले 25 वर्ष के अमृतकाल में देश के विकास में अहम भूमिका निभाएगा"
Quote"महामारी के बाद उभरती नई विश्व व्यवस्था में भारत को अपनी भूमिका बढ़ानी होगी और स्वयं को तेज गति से विकसित करना होगा"
Quote"आत्मनिर्भर भारत और आधुनिक भारत 21वीं सदी में हमारे लिए सबसे बड़े लक्ष्य हैं, आपको इसका हमेशा ध्यान रखना चाहिए"
Quote"आपकी सेवा के सभी वर्षों में, सेवा और कर्तव्य के कारक आपकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक सफलता का पैमाना होना चाहिए"
Quote"आपको नंबरों के लिए नहीं बल्कि लोगों के जीवन के लिए काम करना है"
Quote"अमृतकाल के इस दौर में हमें रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म को अगले स्तर पर ले जाना है, इसलिए आज का भारत 'सबका प्रयास'  की भावना से आगे बढ़ रहा है"
Quote"आपको कभी भी आसान काम न मिलने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए"
Quote"आप जितना अधिक कम्फर्ट जोन में जाने की सोचेंगे, उतना ही आप अपनी प्रगति और देश की प्रगति को रोकेंगे"

आप सभी युवा साथियों को फाउंडेशन कोर्स पूरा होने पर बहुत-बहुत बधाई ! आज होली का त्योहार है। मैं समस्त देशवासियों को, आपको, एकेडमी के लोगों को और आपके परिवारों को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। मुझे खुशी है कि आज आपकी एकेडमी द्वारा, सरदार वल्‍लभ भाई पटेल जी, लाल बहादुर शास्त्री जी को समर्पित पोस्टल सर्टिफिकेट भी जारी किए गए हैं। आज नए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का उद्घाटन और happy valley complex का लोकार्पण भी हुआ है। ये सुविधाएं टीम स्पिरिट की, health और fitness की भावना को सशक्त करेंगी, सिविल सेवा को और smart, और efficient बनाने में मदद करेंगी।

साथियों,

बीते वर्षों में मैंने अनेकों Batches के Civil Servants से बात की है, मुलाकात भी की है, और उनके साथ मैंने एक लंबा समय भी गुजारा है। लेकिन आपका जो Batch है ना, मेरी दृष्टि से बहुत स्पेशल है। आप भारत की आजादी के 75वें वर्ष में इस अमृत महोत्‍वस के समय अपना काम शुरू कर रहे हैं। हम में से बहुत से लोग उस समय नहीं होंगे जब भारत अपनी आजादी के 100वें वर्ष में प्रवेश करेगा। लेकिन आपका ये Batch, उस समय भी रहेगा, आप भी रहेंगे। आजादी के इस अमृतकाल में, अगले 25 साल में देश जितना विकास करेगा, उन सबमें आपकी स्‍टोरी की, आपकी इस टीम की बहुत बड़ी भूमिका रहने वाली है।

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साथियों,

21वीं सदी के जिस मुकाम पर आज भारत है, पूरी दुनिया की नजरें आज हिन्‍दुस्तान पर टिकी हुई हैं। कोरोना ने जो परिस्थितियां पैदा की हैं, उसमें एक नया वर्ल्ड ऑर्डर उभर रहा है। इस नए वर्ल्ड ऑर्डर में भारत को अपनी भूमिका बढ़ानी है और तेज गति से अपना विकास भी करना है। बीते 75 वर्षों में हमने जिस गति से प्रगति की है, अब उससे कई गुना तेजी से आगे बढ़ने का समय है। आने वाले बरसों में आप कहीं किसी जिले को संभाल रहे होंगे, किसी विभाग को संभाल रहे होंगे। कहीं इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत बड़ा प्रोजेक्ट आपकी निगरानी में चल रहा होगा, कहीं आप पॉलिसी लेवल पर अपने सुझाव दे रहे होंगे। इन सारे कामों में आपको एक चीज का हमेशा ध्यान रखना है और वो है 21वीं सदी के भारत का सबसे बड़ा लक्ष्य। ये लक्ष्य है- आत्मनिर्भर भारत का, आधुनिक भारत का। इस समय को हमें खोना नहीं है और इसलिए आज मैं आपके बीच बहुत सारी अपेक्षाएं लेकर आया हूं। ये अपेक्षाएं आपके व्यक्तित्व से भी जुड़ी हैं और आपके कृतत्‍वों से भी जुड़ी हैं। आपके काम करने के तौर-तरीकों से भी, Work-Culture से भी जुड़ी हुई हैं। और इसलिए मैं शुरूआत करता हूं कुछ छोटी-छोटी बातें जो आपके व्‍यक्तित्‍व के लिए हो सकता है कुछ काम आ जाएं।

साथियों,

ट्रेनिंग के दौरान आपको सरदार पटेल जी के विजन, उनके विचारों से अवगत कराया गया है। सेवा भाव और कर्तव्य भाव, इन दोनों का महत्व, आपकी ट्रेनिंग का अभिन्न हिस्सा रहा है। आप जितने वर्ष भी इस सेवा में रहेंगे, आपकी व्यक्तिगत और प्रोफेशनल सफलता का पैमाना यही फैक्टर रहना चाहिए। कहीं ऐसा तो नहीं कि सेवा भाव कम हो रहा है, कर्तव्यभाव कम हो रहा है, ये बात, ये  सवाल हर बार खुद को, खुद को पूछना चाहिए। Evaluation करना चाहिए, और कहीं इस लक्ष्‍य को हम ओझल होते तो नहीं देख रहे हैं, हमेशा इस लक्ष्‍य को सामने रखिएगा। इसमें ना Diversion आना चाहिए और ना ही Dilution आना चाहिए। ये हम सबने देखा है कि जिस किसी में सेवा भाव कम हुआ, जिस किसी पर सत्ता भाव हावी हुआ, वो व्यक्ति हो या व्यवस्था, उसका बहुत नुकसान होता है। किसी का जल्‍दी हो जाए, किसी का देर से हो जाए, लेकिन नुकसान होना तय है।

साथियों,

आपको एक और बात मैं समझता हूं शायद काम आ सकती है। जब हम Sense of Duty और Sense of Purpose के साथ काम करते हैं, तो कभी भी, कोई काम हमें बोझ नहीं लगता है। आप भी यहां एक sense of purpose के साथ आए हैं। आप समाज के लिए, देश के लिए, एक सकारात्मक परिवर्तन का हिस्सा बनने आए हैं। आदेश देकर काम कराने और दूसरों को कर्तव्य बोध से प्रेरित करके इन दोनों में काम करवाने के दोनों तरीकों में आसमान-जमीन का अंतर होता है, बहुत बड़ा फर्क होता है। ये एक लीडरशिप क्वालिटी है, मैं समझता हूं जो आपको खुद में विकसित करनी होगी। टीम स्पीरिट के लिए ये अनिवार्यता है। उसमें कोई compromise संभव नहीं है। इसे करना बहुत जरूरी है।

साथियों,

अब से कुछ महीने बाद ही आप लोग फील्ड में काम करने जाएंगे। अपने आगे के जीवन को, अब उसमें आपको फाइलों और फील्ड का फर्क समझते हुए ही काम करना होगा। फाइलों में आपको असली फील नहीं मिलेगी। फील के लिए आपको फील्ड से जुड़े रहना होगा। और मेरी ये बात आप जीवन भर याद रखिएगा कि फाइलों में जो आंकड़े होते हैं, वो सिर्फ नंबर्स नहीं होते। हर एक आंकड़ा, हर एक नंबर, एक जीवन होता है। उस जीवन के कुछ सपने होते हैं, उस जीवन की कुछ आकांक्षाएं होती हैं, उस जीवन के सामने कुछ कठिनाइयां होती हैं, चुनौतियां होती हैं। और इसलिए, आपको नंबर के लिए नहीं, हर एक जीवन के लिए काम करना है। मैं आपके सामने मेरे मन एक भावना और भी रखना चाहता हूं। और ये मंत्र आपको निर्णय लेने का साहस भी देगा और इसे फॉलो करेंगे तो आपसे गलती होने की संभावना भी कम होगी।

साथियों,

आप जहां भी जाएंगे, आपमें एक उत्‍साह होगा, उमंग होगा, कुछ नया करने का जज्‍बा होगा, बहुत कुछ होगा। मैं ये कर दूंगा, वो कर दूंगा, मैं इसको बदलूंगा, उसको उठाकर पटक दूंगा, सब कुछ होगा मन में। लेकिन मैं आपसे आग्रह करूंगा कि ऐसा मन में जब भी विचार आए कि हां ये ठीक नहीं है, बदलाव होना चाहिए, तो आपको बरसों पहले की अनेकों ऐसी व्यवस्थाएं दिखेंगी, अनेकों नियम-कायदे मिलेंगे जो आपको irrelevant लगते होंगे, पसंद नहीं आते होंगे। आपको लगता है वो सब बोझ है। और वो सब गलत होगा ऐसा मैंने नहीं कहता, होगा। आपके पास पावर होगा तो मन करेगा नहीं, ये नहीं ये करो, वो नहीं ढिकना करो, फलाना नहीं फलाना करो, ये हो जाएगा। लेकिन थोड़ा धैर्य के साथ कुछ सोच करके मैं जो रास्‍ता दिखाता हूं उस पर चल सकते हैं क्‍या। 

एक सलाह में देना चाहता हूं वो व्यवस्था क्यों बनीं, या वो नियम क्यों बना, किन परिस्थितियों में बना, किस साल में बना, तब के हालात क्‍या थे, फाइल के एक-एक शब्‍दों को, सिचुएशन को आप visualize कीजिए कि 20 साल, 50 साल, 100 साल पहले क्‍यों बना होगा, उसके Root Cause को जरूर समझने की कोशिया कीजिए। और फिर सोचिए, उसका यानी पूरी तरह स्‍टडी करिएगा कि जो व्‍यवस्‍था बनाई गई, उसके पीछे कोई तो तर्क होगा, कोई सोच होगी, कोई requirement होगी। इस बात की तह तक जाइएगा कि जब वो नियम बनाया गया था, तो उसके पीछे की वजह क्या थी। जब आप अध्ययन करेंगे, किसी समस्या के Root Cause तक जाएंगे, तो फिर आप उसका Permanent Solution भी दे पाएंगे। हड़बड़ी में की हुई बातें तत्‍कालीन तो ठीक लगेंगी लेकिन permanent solution नहीं निकालेंगी। और इन सारी चीजों की गहराई में जाने से आपकी उस क्षेत्र के administration पर पूरी पकड़ आ जाएगी। और इतना कुछ करने के बाद जब आपको निर्णय लेना हो, तो फिर एक बात और याद रखिएगा।

महात्‍मा गांधी हमेशा कहा करते थे कि अगर आपके निर्णय से समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति को लाभ होगा, तो फिर आप उस निर्णय को लेने में संकोच मत करिएगा। मैं इसमें एक बात और जोड़ना चाहता हूं, आप जो भी निर्णय करें जो भी व्‍यवस्‍था परिवर्तन करें, तो पूरे भारत के संदर्भ में अवश्‍य सोचें क्‍योंकि हम ऑल इंडिया सिविल सर्विसेज को रिप्रेजेंट करते हैं। हमारे दिमाग में निर्णय भले लोकल होगा लेकिन सपना समग्र देश का होगा।

साथियों,

आजादी के इस अमृतकाल में हमें Reform, Perform, Transform को नेक्स्ट लेवल पर ले जाना है। इसलिए ही आज का भारत सबका प्रयास की भावना से आगे बढ़ रहा है। आपको भी अपने प्रयासों के बीच ये समझना होगा कि सबका प्रयास, सबकी भागीदारी की ताकत क्या होती है। अपने कार्यों में आप जितना ज्यादा व्‍यवस्‍था में जितने भी भाग हैं, सबको जोड़ करके प्रयास करें, हर मुलाजिम को जोड़ करके प्रयास करें, तो वो तो एक पहला दायरा हो गया, पहला सर्किल हो गया। लेकिन बड़ा सर्किल सामाजिक संगठनों को जोड़ें, फिर जन-सामान्‍य को जोड़ें, एक प्रकार से सबका प्रयास, समाज का आखिरी व्‍यक्ति भी आपके प्रयासों का हिस्‍सा होना चाहिए, उसकी ऑनरशिप होनी चाहिए। और अगर ये काम आप करते हैं तो आप कल्‍पना नहीं करेंगे, उतनी आपकी ताकत बढ़ जाएगी

अब जैसे सोच लीजिए किसी बड़े शहर का हमारे यहां कोई नगर निगम है, वहां उसके पास अनेक सफाई कर्मचारी होते हैं और वो इतना परिश्रम करते हैं, वो भी शहर को स्‍वच्‍छ रखने के लिए जी-जान से लगे रहते हैं। लेकिन उनके प्रयासों के साथ हर परिवार जुड़ जाए, हर नागरिक जुड़ जाए, गंदगी न होने देने का संकल्‍प जनआंदोलन बन जाए, तो मुझे बताइए, उन सफाई करने वालों के लिए भी ये हर दिन एक उत्‍सव बन जाएगा कि नहीं बन जाएगा। जो परिणाम मिलते हैं वो अनेक गुना बढ़ जाएंगे कि नहीं बढ़ जाएंगे। क्‍योंकि सबका प्रयास एक सकारात्‍मक परिणाम लाता है। जब जनभागीदारी होती है तब एक और एक मिलकर दो नहीं बनते, बल्कि एक और एक मिलकर ग्यारह बन जाते हैं।

साथियों,

आज मैं आपको एक और Task भी देना चाहता हूं। ये Task आपको अपने पूरे करियर भर करते रहना चाहिए, एक प्रकार से उसको आपके जीवन का हिस्‍सा बनाना चाहिए, आदत बना देना चाहिए। और संस्‍कार की मेरी सीधी-सीधी परिभाषा यही है कि प्रयत्‍नपूर्वक विकसित की हुई अच्‍छी आदत, उसका मतलब है संस्‍कार।

आप जहां भी काम करें, जिस भी जिले में काम करें, आप मन में तय करिए कि इस जिले में इतनी सारी मुसीबतें हैं, इतनी कठिनाई है, जहां पहुंचना चाहिए नहीं पहुंच पाता तो आपका analysis होगा। आपके मन में ये भी आएगा पुराने लोगों ने पता नहीं ये क्‍यों नहीं किया, ये नहीं किया, सब होगा। क्‍या आप खुद उस क्षेत्र में जो भी आपको कार्यक्षेत्र मिले, छोटा हो या बड़ा हो, आप ये तय कर सकते हैं कि जो 5 Challenges हैं, मैं उसको Identify करूंगा। और ऐसी चुनौतियां जो उस क्षेत्र में लोगों के जीवन को मुश्किल बनाती हैं, उनके विकास में बाधा बनकर खड़ी हैं।

Local लेवल पर आपके द्वारा इनका Identification बहुत जरूरी है। और ये जरूरी क्यों है, ये भी मैं आपको बताता हूं। जैसे हम सरकार में आए तो हमने भी ऐसे ही कई सारे Challenges को Identify किया था। एक बार Challenges, Identify हो गए तो फिर हम Solution की तरफ बढ़े। अब जैसे आजादी के इतने साल हो गए क्‍या गरीबों को पक्‍का घर होना चाहिए, नहीं होना चाहिए, ये चैलेंज था। हमने उस चैलेंज को उठाया। हमने उन्हें पक्के घर देने की ठानी और पीएम आवास योजना तेज गति से विस्‍तार कर दिया।

देश में ऐसे अनेकों जिले भी बहुत बड़ा चैलेंज थे जो विकास की दौड़ में दशकों पीछे थे। एक राज्‍य है काफी आगे है, लेकिन दो जिले बहुत पीछे है। एक जिला बहुत आगे हैं लेकिन दो ब्‍लॉक बहुत पीछे हैं। हमने नेशन के रूप में, भारत के  रूप में  एक विचार तैयार किया कि ऐसे जिलों को भी चिन्हित किया जाये और Aspirational District का एक अभियान चलाया जाये और उनको राज्‍य की एवरेज के बराबर लाया जाए। हो सके तो नेशनल एवरेज तक ले जाया जाए।

इसी तरह एक चैलेंज था गरीबों को बिजली कनेक्शन का, गैस कनेक्शन का।  हमने सौभाग्य योजना शुरू की, उज्जवला योजना चलाकर उन्हें मुफ्त गैस कनेक्शन दिया। आजादी के बाद भारत में पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी सरकार ने योजनाओं को सैचुरेशन की तरफ ले जाने की यानी एक प्रकार बात कही है और उसके लिए योजना बनाई है।

अब इस परिप्रेक्ष्‍य में मैं आपको एक उदाहरण देना चाहता हूं। हमारे यहां अलग-अलग विभागों में तालमेल की कमी की वजह से परियोजनाएं बरसों-बरस अटकती रहती थीं। ये भी हमने देखा है कि आज सड़क बनी, तो कल टेलिफोन वाले आकर उसे खोद गए, परसो नाली बनाने वालों ने उसे खोद दिया। कॉर्डिनेशन में कमी के कारण इस चैलेंज को ठीक करने के लिए हमने पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टरप्लान बनाया है। सभी सरकारी विभागों को, सभी राज्यों को, सभी स्थानीय निकायों को, हर स्टेकहोल्डर को एडवांस में जानकारी हो, ये सुनिश्चित किया जा रहा है। यानि जब आप Challenge को Identify कर लेते हैं तो Solution खोजकर उस पर काम करना भी आसान हो जाता है।

मेरा आपसे आग्रह है कि आप भी ऐसी 5, 7, 10, जो भी आपको ठीक लगे, ऐसे कौन से Challenges हैं जो क्षेत्र के लोगों के लिए अगर वो मुक्ति बन जाए उन मुसीबतों से तो एक आनंद की लहर छा जाएगी। सरकार के प्रति विश्‍वास बढ़ जाएगा। आपके प्रति आदर बढ़ जाएगा। और मन में तय करिए, मेरे कार्यकाल में मैं इस क्षेत्र को इस समस्‍या से मुक्‍त करके रहूंगा।

और आपने सुना होगा, हमारे यहां शास्‍त्रों में स्वांत सुखाय की बात कही गई है। कभी-कभी जीवन में अनेक काम करने के बाद भी जितना आनंद नहीं मिलता है एकाध काम खुद ने तय किया और किया जिसमें स्‍वत: को सुख मिलता है, आनंद मिलता है, उमंगों से भर जाते हैं। कभी थकान नहीं लगती है। ऐसा स्‍वांत सुखाय, इसकी अनुभूति यदि एक चैलेंज, 2 चैलेंज, 5 चैलेंज उठा करके उसको पूरी तरह निर्मूल कर देंगे आपकी पूरी resources का उपयोग करते हुए या आपके अनुभव का उपयोग करते हुए, आपके टेलेंट का उपयोग करते हुए। आप देखिए जीवन संतोष से जो आगे बढ़ता है ना उस चैलेंज के बाद के समाधान से संतोष की जो तीव्रता होती है वो कई गुना सामर्थ्‍यवान होती है।  

आपके कार्य भी ऐसे होने चाहिए जो मन को सुकून पहुंचाएं, और जब उसका लाभार्थी आपके मिले तो लगे कि हां, ये साहब थे ना, तो मेरा अच्‍छा काम हो गया। आपको इस क्षेत्र को छोड़ने के बीस साल बाद भी वहां के लोग याद करें, अरे भाई वो एक साहब आए थे ना अपने इलाके में, एक बहुत पुरानी समस्‍या का सामधान करके गए। बहुत अच्‍छा काम करके गए।

मैं चाहूंगा आप भी ऐसे विषय खोजिएगा जिसमें आप Qualitative Change ला पाएं। इसके लिए आपको International studies खंगालनी पड़े तो वो करिएगा, कानून का अध्ययन करना पड़े, तो वो करिएगा, Technology की मदद लेनी पड़े तो वो भी करिए, उसमें भी पीछे मत रहिए। आप सोचिए, आप सैकड़ों लोगों की शक्ति देश के अलग-अलग जिलों में एक साथ लगेगी, आप 300-400 लोग हैं, यानी देश के आधे जिलों में कहीं न कहीं आपके पैर पड़ने वाले हैं। मतलब आधे हिन्‍दुस्‍तान में आप एक नई आशा को जन्‍म दे सकते हैं मिल करके। तो कितना बड़ा बदलाव आएगा। आप अकेले नहीं हैं, 400 जिलों में आपकी ये सोच, आपका ये प्रयास, आपका ये कदम, आपका ये initiative आधे हिन्‍दुस्‍तान को प्रभावित कर सकता है।  

साथियों,

सिविल सेवा के transformation के इस दौर को हमारी सरकार Reforms से सपोर्ट कर रही है। मिशन कर्मयोगी और आरंभ प्रोग्राम इसका ही एक हिस्सा है। मुझे बताया गया है कि आपकी एकेडमी में भी ट्रेनिंग का स्वरूप अब मिशन कर्मयोगी पर आधारित कर दिया गया है। मुझे विश्वास है, इसका भी बहुत लाभ आप सभी को मिलेगा। एक और बात आपके ध्‍यान में लाना चाहता हूं। आप ये प्रार्थना जरूर करिएगा कि भविष्य में आपको कोई आसान काम ना मिले। मैं देख रहा हूं आपके चेहरे जरा उतर गए मैंने ये कहा तो।

आप ऐसी प्रार्थना कीजिए कि आपको कोई आसान काम न मिले। आपको लगेगा ये ऐसा कैसा प्रधानमंत्री है, जो हमें ऐसी सलाह दे रहा है। आप हमेशा खोज-खाज करके चैलेंजिंग जॉब का इंतजार कीजिए। आप कोशिश कीजिए कि आपको चैलेंजिंग जॉब मिले। Challenging Job का आनंद ही कुछ और होता है। आप जितना Comfort Zone में जाने की सोचेंगे, उतना ही अपनी प्रगति और देश की प्रगति को रोकेंगे। आपके जीवन में ठहराव आ जाएगा। कुछ साल के बाद आपका जीवन ही आपके लिए बोझ बन जाएगा। अभी आयु के उस पड़ाव पर हैं आप जब आयु आपके साथ है। अभी Risk Taking Capacity सर्वाधिक इस उम्र में होती है। आपने जितना पिछले 20 साल में सीखा है, उससे ज्यादा आप अगर चैलेंजिंग जॉब से जुड़ेगे तो अगले 2-4 साल में सीखेंगे। और ये जो सबक आपको मिलेंगे, वो अगले 20-25 साल तक आपके काम आएंगे।

साथियों,

आप भले अलग-अलग राज्यों से हैं, अलग-अलग सामाजिक परिवेश से हैं, लेकिन आप एक भारत-श्रेष्ठ भारत को सशक्त करने वाली कड़ियां भी हैं। मुझे विश्वास है, आपका सेवा भाव, आपके व्यक्तित्व की विनम्रता, आपकी ईमानदारी, आने वाले वर्षों में आपकी एक अलग पहचान बनाएगी। और साथियो, आप क्षेत्र की तरफ जाने वाले हैं तब, मैंने बहुत पहले ही सुझाव दिया था मुझे मालूम नहीं इस बार हुआ है कि नहीं हुआ है कि जब एकेडमी में आते हैं तो आप एक लंबा निबंध लिखिए कि इस फील्‍ड में आने के पीछे आपकी सोच क्‍या थी, सपना क्‍या था, संकल्‍प क्‍या था। आप आखिरकार इस धारा में क्‍यों आए हैं। आप क्‍या करना चाहते हैं। जीवन को इस सेवा के माध्‍यम से आप कहां पहुंचाना चाहते हैं। आपकी सेवा का क्षेत्र है उसको कहां पहुंचाएंगे। उसका एक लम्‍बा Essay लिखकर आप एकेडमी को जाइए। क्‍लाउड में रख दिया जाए उसको। और जब आप 25 साल पूरा करने के बाद, 50 साल पूरा करने के बाद, आपके यहां 50 साल के बाद शायद एक कार्यक्रम होता है।

हर वर्ष जो 50 साल जिन्‍हें मंसूरी छोड़े हुए होता है, वो दोबारा 50 साल के बाद आते हैं। आप 50 साल के बाद, 25 साल के बाद जो पहला Essay लिखा है ना उसको पढ़ लीजिए। जिन सपनों को ले करके आए थे, जो लक्ष्‍य तय करके आए थे, 25 साल बाद उस Essay को फिर पढ़ करके जरा हिसाब लगाइए कि आप सचमुच में जिस काम के लिए चले थे, वही दिशा में हैं या कहीं भटक गए हैं। हो सकता है आपके आज के विचार 20 साल के बाद आप ही के गुरु बन जाएंगे। और इसलिए ये बहुत आवश्‍यक है कि आप न लिखा हो तो वहा लिख करके ही ये कैम्‍पस छोड़कर जाइए।

दूसरा मेरा इस कैम्‍पस में और डायरेक्‍टर वगैरह से आग्रह है कि आपकी ट्रेनिंग के बहुत सारे क्षेत्र हैं, आपके यहां लायब्रेरी है सब है, लेकिन दो चीजों को आपकी ट्रेनिंग में जोड़ना चाहिए, एक Artificial Intelligence का एक अच्‍छा लैब हमारे यहां होना चाहिए और हमारे सभी अफसरों को ट्रेनिंग का वो हिस्‍सा बनाना चाहिए। उसी प्रकार से एक Data Governance एक थीम के रूप में हमारे सारे trainees के ट्रेनिंग का हिस्‍सा होना चाहिए, Data Governance. आने वाला समय डेटा एक बहुत बड़ी शक्ति बन चुका है। हमें Data Governance की हर चीज को सीखना, समझना होगा और जहां जाएं वहां लागू करना होगा। इन दो चीजों को भी अगर आप जोड़े...ठीक है ये लोग तो जा रहे हैं इनको तो शायद नसीब नहीं होगा, लेकिन आने वाले लोगों के लिए होगा।

और दूसरा, हो सके तो ये आपका जो कर्मयोगी मिशन चलता है उसमें Data Governance का एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू हो, ऑनलाइन लोग exam दें, सर्टिफिकेट प्राप्‍त करें। Artificial Intelligence का एक सर्टिफिकेट कोर्स शुरू हो। उसको ऑनलाइन exam दें, ब्‍यूरोक्रेसी के लोग ही exam दें, सर्टिफिकेट प्राप्‍त करें। तो धीरे-धीरे एक culture आधुनिक भारत का जो सपना है उसको पूरा करने के लिए बहुत काम आएगा।

सा‍थियो,

मुझे अच्छा लगता, मैं रूबरू में आपके बीच आता, कुछ समय आप लोगों के साथ बिताता। और फिर कुछ बातें करता तो हो सकता है और ज्‍यादा आनंद आता। लेकिन समय के अभाव से, पार्लियामेंट भी चल रही है। तो कुछ कठिनाइयां होने के कारण मैं आ नहीं पाया हूं। लेकिन फिर भी टेक्‍नोलॉजी मदद कर रही है, आप सबके दर्शन भी मैं कर रहा हूं। आपके चेहरे के हावभाव पढ़ पा रहा हूं। और मेरे मन में जो विचार हैं वो आपके सामने मैं प्रस्‍तुत कर रहा हूं।

मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। बहुत-बहुत बधाई।

धन्यवाद !!

  • krishangopal sharma Bjp December 18, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
  • krishangopal sharma Bjp December 18, 2024

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
  • krishangopal sharma Bjp December 18, 2024

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  • Chandra Kant Dwivedi December 05, 2024

    जय हिन्द जय भारत
  • JBL SRIVASTAVA July 04, 2024

    नमो नमो
  • MLA Devyani Pharande February 17, 2024

    जय श्रीराम
  • Vaishali Tangsale February 15, 2024

    🙏🏻🙏🏻👏🏻
  • Mahendra singh Solanki Loksabha Sansad Dewas Shajapur mp November 04, 2023

    Jay shree Ram
  • Laxman singh Rana July 30, 2022

    namo namo 🇮🇳🙏🚩
  • Laxman singh Rana July 30, 2022

    namo namo 🇮🇳🙏🌷
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140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

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सरकार देश में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर के मॉडर्नाइजेशन पर फोकस कर रही है: खेलो इंडिया यूथ गेम्स में पीएम मोदी
May 04, 2025
Quoteबिहार में आयोजित हो रहे खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भाग लेने वाले एथलीटों को शुभकामनाएं, आप इस मंच पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें और सच्ची खेल उत्कृष्टता को प्रोत्साहन मिले: प्रधानमंत्री
Quoteभारत इस समय वर्ष 2036 में अपने देश में ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए प्रयास कर रहा है: प्रधानमंत्री श्री मोदी
Quoteसरकार देश में खेल अवसंरचना को आधुनिक बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है: प्रधानमंत्री
Quoteपिछले एक दशक में खेल बजट में तीन गुना से अधिक की वृद्धि की गई है, इस वर्ष खेल बजट लगभग 4,000 करोड़ रुपये का है: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
Quoteहमने देश में अच्छे खिलाड़ियों के साथ-साथ उत्कृष्ट खेल पेशेवर तैयार करने के उद्देश्य से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेलों को मुख्यधारा की शिक्षा का हिस्सा बनाया है: प्रधानमंत्री

बिहार के मुख्यमंत्री श्रीमान नीतीश कुमार जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनसुख भाई, बहन रक्षा खड़से, श्रीमान राम नाथ ठाकुर जी, बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी जी, विजय कुमार सिन्हा जी, उपस्थित अन्य महानुभाव, सभी खिलाड़ी, कोच, अन्य स्टाफ और मेरे प्यारे युवा साथियों!

देश के कोना-कोना से आइल,, एक से बढ़ के एक, एक से नीमन एक, रउआ खिलाड़ी लोगन के हम अभिनंदन करत बानी।

साथियों,

खेलो इंडिया यूथ गेम्स के दौरान बिहार के कई शहरों में प्रतियोगिताएं होंगी। पटना से राजगीर, गया से भागलपुर और बेगूसराय तक, आने वाले कुछ दिनों में छह हज़ार से अधिक युवा एथलीट, छह हजार से ज्यादा सपनों औऱ संकल्पों के साथ बिहार की इस पवित्र धरती पर परचम लहराएंगे। मैं सभी खिलाड़ियों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। भारत में स्पोर्ट्स अब एक कल्चर के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। और जितना ज्यादा भारत में स्पोर्टिंग कल्चर बढ़ेगा, उतना ही भारत की सॉफ्ट पावर भी बढ़ेगी। खेलो इंडिया यूथ गेम्स इस दिशा में, देश के युवाओं के लिए एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म बना है।

साथियों,

किसी भी खिलाड़ी को अपना प्रदर्शन बेहतर करने के लिए, खुद को लगातार कसौटी पर कसने के लिए, ज्यादा से ज्यादा मैच खेलना, ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगिताओं में हिस्सा, ये बहुत जरूरी होता है। NDA सरकार ने अपनी नीतियों में हमेशा इसे सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। आज खेलो इंडिया, यूनिवर्सिटी गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया यूथ गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया विंटर गेम्स होते हैं, खेलो इंडिया पैरा गेम्स होते हैं, यानी साल भर, अलग-अलग लेवल पर, पूरे देश के स्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर लगातार स्पर्धाएं होती रहती हैं। इससे हमारे खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बढ़ता है, उनका टैलेंट निखरकर सामने आता है। मैं आपको क्रिकेट की दुनिया से एक उदाहरण देता हूं। अभी हमने IPL में बिहार के ही बेटे वैभव सूर्यवंशी का शानदार प्रदर्शन देखा। इतनी कम आयु में वैभव ने इतना जबरदस्त रिकॉर्ड बना दिया। वैभव के इस अच्छे खेल के पीछे उनकी मेहनत तो है ही, उनके टैलेंट को सामने लाने में, अलग-अलग लेवल पर ज्यादा से ज्यादा मैचों ने भी बड़ी भूमिका निभाई। यानी, जो जितना खेलेगा, वो उतना खिलेगा। खेलो इंडिया यूथ गेम्स के दौरान आप सभी एथलीट्स को नेशनल लेवल के खेल की बारीकियों को समझने का मौका मिलेगा, आप बहुत कुछ सीख सकेंगे।

साथियों,

ओलंपिक्स कभी भारत में आयोजित हों, ये हर भारतीय का सपना रहा है। आज भारत प्रयास कर रहा है, कि साल 2036 में ओलंपिक्स हमारे देश में हों। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में भारत का दबदबा बढ़ाने के लिए, स्पोर्टिंग टैलेंट की स्कूल लेवल पर ही पहचान करने के लिए, सरकार स्कूल के स्तर पर एथलीट्स को खोजकर उन्हें ट्रेन कर रही है। खेलो इंडिया से लेकर TOPS स्कीम तक, एक पूरा इकोसिस्टम, इसके लिए विकसित किया गया है। आज बिहार सहित, पूरे देश के हजारों एथलीट्स इसका लाभ उठा रहे हैं। सरकार का फोकस इस बात पर भी है कि हमारे खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा नए स्पोर्ट्स खेलने का मौका मिले। इसलिए ही खेलो इंडिया यूथ गेम्स में गतका, कलारीपयट्टू, खो-खो, मल्लखंभ और यहां तक की योगासन को शामिल किया गया है। हाल के दिनों में हमारे खिलाड़ियों ने कई नए खेलों में बहुत ही अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया है। वुशु, सेपाक-टकरा, पन्चक-सीलाट, लॉन बॉल्स, रोलर स्केटिंग जैसे खेलों में भी अब भारतीय खिलाड़ी आगे आ रहे हैं। साल 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला टीम ने लॉन बॉल्स में मेडल जीतकर तो सबका ध्यान आकर्षित किया था।

साथियों,

सरकार का जोर, भारत में स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने पर भी है। बीते दशक में खेल के बजट में तीन गुणा से अधिक की वृद्धि की गई है। इस वर्ष स्पोर्ट्स का बजट करीब 4 हज़ार करोड़ रुपए है। इस बजट का बहुत बड़ा हिस्सा स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो रहा है। आज देश में एक हज़ार से अधिक खेलो इंडिया सेंटर्स चल रहे हैं। इनमें तीन दर्जन से अधिक हमारे बिहार में ही हैं। बिहार को तो, NDA के डबल इंजन का भी फायदा हो रहा है। यहां बिहार सरकार, अनेक योजनाओं को अपने स्तर पर विस्तार दे रही है। राजगीर में खेलो इंडिया State centre of excellence की स्थापना की गई है। बिहार खेल विश्वविद्यालय, राज्य खेल अकादमी जैसे संस्थान भी बिहार को मिले हैं। पटना-गया हाईवे पर स्पोर्टस सिटी का निर्माण हो रहा है। बिहार के गांवों में खेल सुविधाओं का निर्माण किया गया है। अब खेलो इंडिया यूथ गेम्स- नेशनल स्पोर्ट्स मैप पर बिहार की उपस्थिति को और मज़बूत करने में मदद करेंगे। 

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साथियों,

स्पोर्ट्स की दुनिया और स्पोर्ट्स से जुड़ी इकॉनॉमी सिर्फ फील्ड तक सीमित नहीं है। आज ये नौजवानों को रोजगार और स्वरोजगार को भी नए अवसर दे रहा है। इसमें फिजियोथेरेपी है, डेटा एनालिटिक्स है, स्पोर्ट्स टेक्नॉलॉजी, ब्रॉडकास्टिंग, ई-स्पोर्ट्स, मैनेजमेंट, ऐसे कई सब-सेक्टर्स हैं। और खासकर तो हमारे युवा, कोच, फिटनेस ट्रेनर, रिक्रूटमेंट एजेंट, इवेंट मैनेजर, स्पोर्ट्स लॉयर, स्पोर्ट्स मीडिया एक्सपर्ट की राह भी जरूर चुन सकते हैं। यानी एक स्टेडियम अब सिर्फ मैच का मैदान नहीं, हज़ारों रोज़गार का स्रोत बन गया है। नौजवानों के लिए स्पोर्ट्स एंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में भी अनेक संभावनाएं बन रही हैं। आज देश में जो नेशनल स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बन रही हैं, या फिर नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी बनी है, जिसमें हमने स्पोर्ट्स को मेनस्ट्रीम पढ़ाई का हिस्सा बनाया है, इसका मकसद भी देश में अच्छे खिलाड़ियों के साथ-साथ बेहतरीन स्पोर्ट्स प्रोफेशनल्स बनाने का है। 

मेरे युवा साथियों, 

हम जानते हैं, जीवन के हर क्षेत्र में स्पोर्ट्समैन शिप का बहुत बड़ा महत्व होता है। स्पोर्ट्स के मैदान में हम टीम भावना सीखते हैं, एक दूसरे के साथ मिलकर आगे बढ़ना सीखते हैं। आपको खेल के मैदान पर अपना बेस्ट देना है और एक भारत श्रेष्ठ भारत के ब्रांड ऐंबेसेडर के रूप में भी अपनी भूमिका मजबूत करनी है। मुझे विश्वास है, आप बिहार से बहुत सी अच्छी यादें लेकर लौटेंगे। जो एथलीट्स बिहार के बाहर से आए हैं, वो लिट्टी चोखा का स्वाद भी जरूर लेकर जाएं। बिहार का मखाना भी आपको बहुत पसंद आएगा।

साथियों, 

खेलो इंडिया यूथ गेम्स से- खेल भावना और देशभक्ति की भावना, दोनों बुलंद हो, इसी भावना के साथ मैं सातवें खेलो इंडिया यूथ गेम्स के शुभारंभ की घोषणा करता हूं।