‘मेड इन अमेठी’ AK-203 राइफलों से आतंकियों और नक्सलियों के साथ होने वाली मुठभेड़ों में हमारे सैनिकों को निश्चित रूप से बहुत बढ़त मिलने वाली है: प्रधानमंत्री मोदी
ये फैक्ट्री अमेठी के नौजवानों के लिए रोजगार के नए अवसर भी ला रही है और देश के विकास और सुरक्षा लिए भी एक नया रास्ता खोल रही है: पीएम मोदी
वोट लेकर जनता को भूल जाना कुछ लोगों की प्रवृत्ति रही है, वो गरीब को गरीब बनाए रखना चाहते हैं ताकि पीढ़ी दर पीढ़ी गरीबी हटाओ के नारे लगा सकें, हम गरीब को इतनी ताकत दे रहे हैं कि वो अपनी गरीबी से तेजी से बाहर निकले: प्रधानमंत्री

करके जयकारा बोलना है। और तीन अलग-अलग जयकारे मैं बुलवाऊंगा।
भारत माता की जय का जयकारा बोलना है। पराक्रमी भारत के लिए-
भारत माता की – जय
जरा पूरी ताकत से बोलिए- पराक्रमी भारत के लिए-
भारत माता की – जय
विजयी भारत के लिए –
भारत माता की – जय
वीर जवानों के लिए-
भारत माता की – जय
बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

उत्‍तर प्रदेश के लोकप्रिय एवं यशस्‍वी मुख्‍यमंत्री श्रीमान योगी आदित्‍यनाथ जी, केन्‍द्र में मंत्रिपरिषद के मेरी साथी, देश की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण जी, मंत्रिपरिषद की साथी बहन स्‍मृति ईरानी जी, राज्‍य सरकार के मंत्री मोहसिन रजा जी, सुरेश पासी जी, विधायक मयंकेश्‍वर शरण सिंह जी, गरिमा‍ सिंह जी, दल बहादुर कोरी जी, उत्‍तर प्रदेश के मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों, जय राम जी की। और आप लोगन का हाल-चाल कैसा है। सब ठीक बा।

आप सभी इतनी भारी संख्‍या में इकट्ठा हुए हैं, आप सभी को मेरा प्रणाम। ये भूमि टीकरमाभी के महाराज की तपोभूमि रही है। ये भूमि जैमिना महापुराण के रचियता बाबा पुरुषोत्‍तम दास की भूमि है, मलिक मोहम्‍मद जयसी, आर्यसमाज के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और जनसंघ के विधायक रहे, राजा रमण जयसी की है। मैं इस भूमि को नमन करता हूं।

पिछले साढ़े चार साल में उत्‍तर प्रदेश और अमेठी के विकास के लिए हमारी सरकार ने जो विकास कार्य किए, आज उनको और विस्‍तार देने के लिए मैं आपके बीच आया हूं, और मैंने देखा कि आज भी हमारा स्‍वागत करने के लिए मेघराजा ने भी कृपा की है। और मुझे बराबर याद है कि 98 में अटलजी के साथ यहां मैं जनसभा करने आया था और उस दिन भी बड़ी भारी बारिश हुई थी; सारी व्‍यवस्‍थाएं तहस-नहस हो गई थीं और तब से ले करके मैं लगातार किसी न किसी संगठन के काम के लिए अमेठी आता रहा। प्रधानमंत्री बनने के बाद आज फिर एक बार आपके बीच आने का अवसर मिला है।
2014 में चुनाव के समय हमने कहा था- सबका साथ-सबका विकास। अमेठी के मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, अमेठी एक उत्‍तम उदाहरण है हमारे सबका साथ-सबका विकास के मंत्र का। और जब हम सबका साथ-सबका विकास की बात करते हैं तो मैं तब भी कहता था, आज भी कहता हूं जिन्‍होंने हमें वोट दिया वो भी हमारे हैं, जिन्‍होंने वोट नहीं दिया, वो भी हमारे हैं। जिन्‍होंने सीट हमें दी, वो क्षेत्र भी हमारा है और जिन्‍होंने हमें सीट नहीं दी, वो क्षेत्र भी हमारा है।

और आज पांच साल के बाद मैं अमेठी के नागरिकों के सामने नतमस्‍तक हो करके बड़े गौरव के साथ कह सकता हूं कि बहन स्‍मृति ईरानी जी उम्‍मीदवार के रूप में आपके बीच आई थीं; आपके लिए नया चेहरा था, नया परिचय था, लेकिन आपने बहुत आशीर्वाद दिए। भले हम चुनाव उस समय नहीं जीत पाए, लेकिन आपका दिल जीतने में हम सफल हो गए। आपने इतना प्‍यार दिया कि पांच साल से स्‍मृति जी ने इतनी मेहनत इस क्षेत्र के विकास के लिए की है, कभी आपको ये लगने नहीं दिया कि आपने उनको हराया है या जिताया है; जीते हुए से ज्‍यादा काम करके दिखाया है। मैं जरा अमेठी के लोगों को पूछना चाहता हूं- क्‍या आप हमारे काम से संतुष्‍ट हैं? क्‍या हमने आपकी चिंता की है? क्‍या हमने आपका भला करने का ईमानदारी से प्रयास किया है? कहीं पर रत्‍तीभर भी हमने कोई अन्‍याय किया है? पूरी तरह न्‍याय किया है? यही सबका साथ-सबका विकास मंत्र है हमारा।

थोड़ी देर पहले अमेठी के विकास से जुड़ी सैंकड़ों करोड़ इन परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्‍यास किया गया है। इसमें स्‍कूल, सड़क है, चिकित्‍सा केन्‍द्र है, गोशाला है, बिजली है, खेती से जुड़ी अनेक परियोजनाएं शामिल हैं।

भाइयो और बहनों, इन प्रोजेक्‍ट के साथ ही आज मैं एक बहुत महत्‍वपूर्ण घोषणा करने जा रहा हूं। ये घोषणा अमेठी की नई पहचान, नई शान से जुड़ी हुई है। कितने ही बड़े-बड़े लीडर यहां आए होंगे; अ‍ब भविष्‍य में अमेठी उनके नाम से नहीं; आज जो योजना मैं लाया हूं, उसके नाम से जाना जाएगा।

भाइयो ओर बहनों, अब कोरबा की ordnance factory में दुनिया की सबसे आधुनिक, दुनिया की सबसे आधुनिक उन बंदूकों में से एक- AK203 यानी kalashnikovs राइफलों की सीरिज का सबसे नवीन हथियार, ये हमारे अमेठी में बनाया जाएगा। ये राइफलें रूस और भारत का एक joint venture मिलकर बनाएगा। थोड़ी देर पहले हमारे देश की पहली रक्षा मंत्री निर्मला जी ने रूस के राष्‍ट्रपति जी का संदेश भी यहां पढ़ा है। मैं अपने और भारत के बहुत करीबी दोस्‍त राष्‍ट्रपति पुतिन का इस साझेदारी के लिए बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। ये joint venture बहुत कम समय में उनके सहयोग से संभव हुआ है। उनके मित्रतापूर्ण संदेश और शुभकामनाओं के लिए भी मैं राष्‍ट्रपति पुतिन का बहुत-बहुत आभारी हूं; साथ ही इस joint venture से जुड़े रूसी मित्रों को भी मैं धन्‍यवाद और बधाई और इसकी सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

साथियो, कुछ लोग दुनिया में घूमते-घूमते बताते रहते हैं हर गांव में जाकर- मेड इन उज्‍जेन, मेड इन जयपुर, मेड इन जेसलमेर, मेड इन बड़ोदा- भाषण करते रहते हैं। उनके भाषण, भाषण ही रह जाते हैं। ये मोदी है, अब मेड इन अमेठी, ये मेड इन अमेठी, मेड इन अमेठी AK203 राइफलों से आतंकियों और नक्‍सलियों के साथ होने वाली मुठभेड़ों में हमारे सैनिकों को निश्चित रूप से बहुत बढ़त मिलने वाली है। अमेठी की फैक्‍टरी में अब लाखों की तादाद में ये राइफलें बनाई जाएंगी। आगे जा करके यहां जो राइफल बनेगी, वो दुनिया के दूसरे देशों में भी निर्यात की जाएगी। इसलिए ये फैक्‍टरी अमेठी के नौजवानों के लिए रोजगार के नए अवसर भी ला रही है और देश के विकास और सुरक्षा के लिए भी एक नया रास्‍ता खोल रही है।

भाइयो और बहनों, आज से जो काम यहां शुरू हो रहा है, ये काम 8-9 साल पहले शुरू हो जाना चाहिए था। कोरबा की इस फैक्‍टरी को बनाया ही इसलिए गया था कि यहां आधुनिक राइफल बनाई जाए, लेकिन इसकी पूर्ण क्षमता का कभी इस्‍तेमाल ही नहीं किया गया है। अमेठी की ये फैक्‍टरी इस बात की गवाह है कि पहले कैसे हमारी सेना और सुरक्षाबलों की आवश्‍यकताओं को नजरअंदाज कर दिया गया।

साथियो, देश की सुरक्षा के लिए हमारी सेना ने साल 2005 में आधुनिक हथियार की अपनी जरूरत को तबकी सरकार के सामने रखा था। इसी को देखते हुए अमेठी में उस फैक्‍टरी के लिए काम शुरू हुआ। आपके यहां के सांसद, जब 2007 में इसका शिलान्‍यास किया- तब ये कहा गया था कि साल 2010 से इसमें काम शुरू हो जाएगा। हुआ क्‍या, हुआ क्‍या? उन्‍होंने कहा था कि नहीं कहा था? उनकी सरकार थी‍ कि नहीं थी? वो जो कहें, वो होना चाहिए था कि नहीं होना चाहिए था? हुआ क्‍या? अरे जो इतना ही नहीं कर पाते, उनका भरोसा काहे को करते हो? लेकिन साथियो, काम शुरू होना तो दूर, शिलान्‍यास के बाद के तीन साल तक पहले की सरकार ये ही तय नही कर पाई कि यहां की ordnance factory में किस तरह के हथियार बनाए जाएंगे। इतना ही नहीं- ये फैक्‍टरी बनेंगी कहां, इसके लिए जमीन तक उपलब्‍ध नहीं कराई गई।

साथियो, सोचिए- जिस फैक्‍टरी में साल 2010 में काम शुरू हो जाना चाहिए था, उसकी बिल्डिंग 2013 तक लटकी रही। बिल्डिंग बनने के बाद जैसे-तैसे यहां काम तो शुरू हुआ, क्‍योंकि सामने चुनाव था, कुछ तो दिखावा करना जरूरी था, लेकिन आधुनिक राइफल तब भी नहीं बनी। और यहां हां, ये भी मत भू‍लिए कि फैक्‍टरी में इन्‍होंने वादा किया था- ये कहते हैं ना कि हम वादा करके निभाते हैं, हम कभी झूठ बोलते नहीं हैं- ये भी बहुत बड़ा झूठ बोलते हैं। और ये भी मत भू‍लिए- उन्‍होंने कहा था कि 1500 नौजवानों को रोजगार देने का वादा किया था। किया था भाई, 1500 लोगों को फैक्‍टरी में वादा किया था? इस अमेठी की बात है, देश की नहीं कर रहा हूं। लेकिन इतनी बड़ी बातें करने वाले लोगों ने अमेठी के लोगों की आंखों में धूल झोंकी और सिर्फ 200 लोगों को काम मिला, और आज देशभर में रोजगार के भाषण देते घूम रहे हैं।

अमेठी के मेरे भाइयो और बहनों, अब आज इतने वर्षों के इंतजार के बाद अमेठी की ordnance factory में दुनिया की सबसे आधुनिक राइफलों में से एक का निर्माण शुरू होने जा रहा है।
साथियो, मैं आपसे जानना चाहता हूं क्‍या आधुनिक राइफलें न बनाकर हमारे वीर जवानों के साथ अन्‍याय हुआ कि नहीं हुआ? अन्‍याय हुआ कि नहीं हुआ? क्‍या ordnance factory की पूर्ण क्षमता का इस्‍तेमाल न करके यहां के संसाधनों के साथ अन्‍याय हुआ कि नहीं हुआ? क्‍या रोजगार न देकर अमेठी के नौजवानों के साथ अन्‍याय हुआ कि नहीं हुआ?

साथियो, पहले जो सरकार थी, उसने सुरक्षाबलों की सुरक्षा को नजरअंदाज करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी। हमारे वीर जवानों को बुलेटप्रूफ जैकेट के लिए कैसे तरसाया गया, इसे देश को बार-बार याद कराना आवश्‍यक है। साल 2009 में सेना ने एक लाख 88 हजार बुलेट प्रूफ जैकेट की मांग की थी। बिना बुलेट प्रूफ जैकेट के हमारा जवान दुश्‍मन की सेना की गोलियों और आतंकियों की छापामार कार्रवाई का सामना कर रहा था। अपनी जान की बाजी लगाकर आतंकियों के साथ खतरनाक एनकाउंटर करता था। 2009 से लेकर 2014 तक, पांच साल- पांच साल कम समय नहीं होता है, लेकिन सेना के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट नहीं खरीदी गई। ये हमारी ही सरकार है,‍ जिसने बीते साढ़े चार वर्षों में दो लाख 30 हजार से ज्‍यादा बुलेट प्रूफ जैकेट खरीदने का ऑर्डर दे दिया।

मैं आज अमेठी में आया हूं तो आप लोगों से जानना चाहता हूं कि देश के वीर जवानों को राइफल का इंतजार कराने वाले, बुलेट प्रूफ जैकेट का इंतजार कराने वाले ये लोग कौन थे? कौन लोग थे? मैं किसी का नाम नहीं लूंगा, लेकिन आप भलीभांति जानते हैं कि ये कौन लोग थे, आप भलीभां‍ति जानते हैं कि कौन लोग थे। और इसलिए भाइयो-बहनों- भारत माता की जय। और इसलिए भाइयो-बहनों, आप जानते हैं मुझे किसी का नाम लेने की जरूरत नहीं है।

भाइयो और बहनों, हमारे देश को आधुनिक राइफल ही नहीं, आधुनिक बुलेट प्रूफ जैकेट ही नहीं, आधुनिक तोप के लिए भी इन्‍हीं लोगों ने इंतजार कराया है। ये हमारी ही सरकार है जिसने आधुनिक तोप को सौदा किया और अब तो भारत में ही ये बनाई जा रही है।

साथियो, आधुनिक तोप की ही तरह आधुनिक लड़ाकू विमानों के लिए हमारी वायुसेना दशकों से कह रही थी, लेकिन जिनकी नीयत ही खराब हो, उनको भला वायुसेना की आवाज कहां सुनाई देगी। ये लोग सालों तक राफेल विमानों के सौदे पर बैठे रहे और जब सरकार जाने की बारी आई तो उसको ठंडे बस्‍ते में फेंक दिया। ये हमारी ही सरकार का प्रयास है कि अगले ही कुछ महीनों में पहला राफेल विमान भारत के आसमान में होगा। लेकिन ये लोग, अभी भी ये राफेल विमानों के सौदे को अपने निजी स्‍वार्थ के लिए, निजी हित के लिए, उसको भी नाकाम कराने के लिए, फेल कराने के लिए, कुछ न कुछ नए-नए नखरे कर रहे हैं।

भाइयो और बहनों, सुप्रीम कोर्ट से लेकर सीएजी तक, हर संस्‍था कह रही है कि भारत सरकार ने सही निर्णय किया है, सही समय पर किया है, सही सौदा किया है और देश के हित में किया है। लेकिन ये लोग झूठ पर झूठ बोले जा रहे हैं। रक्षा सौदे में कमीशन न‍ मिलने की बौखलाहट क्‍या होती है, ये कुछ लोगों के चेहरों पर साफ देखी जा सकती है।
सा‍थियो, आधे-अधूरे मन से जैसे इन लोगों ने देश की सुरक्षा की परवाह नहीं की, वैसा ही व्‍यवहार अमेठी के लोगों के साथ भी किया गया है। अमेठी के‍ लिए क्‍या-क्‍या कहा गया था, लेकिन आज अमेठी की स्थिति कया है, ये आपसे बेहतर कौन जानता है।

भाइयो और बहनों, जब नीयत न हो, जब गरीब का भला करने की मंशा न हो, जब लोगों से सिर्फ झूठ ही झूठ बोलना हो तो यही परिणाम आता है। आप याद करिए, यहां पर लगी स्‍टील फैक्‍टरी भी सिर्फ इसलिए चली गई क्‍योंकि इसके लिए गैस की व्‍यवस्‍था नहीं की गई। यहां के मेघापुर foodpark के साथ भी यही किया गया। वहीं हमने स्‍टील फैक्‍टरी के बारे में सोचा तो गैस पाइप लाइन की व्‍यवस्‍था की। अब ये स्‍टील फैक्‍टरी अमेठी को रोजगार देने के लिए और देश में स्‍टील उत्‍पादन को और गति देने के लिए तैयार है।

भाइयो और बहनों, यही हाल गोलीगंज में साइकिल की फैक्‍टरी लगनी थी, उसका भी क्‍या हुआ। किसानों से जमीन ले ली, हां किसानों से जमीन ले ली, फैक्‍टरी नहीं लगाई और जमीन पिछले दरवाजे से अपने नाम कर ली। अमेठी के विकास के नाम पर आपकी भावनाओं से इसी तरह खेला गया है।

साथियो, जब सत्ता स्‍वार्थ बन जाती है, विरासत को विस्‍तार देना ही एकमात्र लक्ष्‍य बन जाता है, तब देश की जरूरतों का पीछे छूट जाना बहुत स्‍वाभाविक होता है। जब अपने लोगों का, अपने रिश्‍तेदारों का भला करना प्राथमिकता बन जाता है तो सामान्‍य मानवी के कल्‍याण की भावना खत्‍म हो जाती है। दुर्भाग्‍य से अमेठी के साथ यही हुआ है।

मैं एक टीवी रिपोर्ट देख रहा था। उसमें यहां एक दलित बस्‍ती की रिपोर्ट दिखाई गई। बताया गया कि 2008 में दलितों को जो घर दिए गए थे, वो दस साल के भीतर की गिरने की स्थिति के कगार पर आकर खड़े हो गए हैं। उन बस्तियों के लोग बता रहे थे कि यहां के सांसद ने बस्तियों को अपना नाम तो दे दिया लेकिन उसे बाद उन लोगों को वो भुला दिया गया

साथियो, अमेठी के लोगों के साथ किस तरह का बर्ताव किया गया, आप इसके गवाह हैं। और आज आप ये भी देख रहे हैं कि हमारी सरकार ने यहां कैसे विकास का कार्य किया है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अमेठी में ऐसे 9 हजार से अधिक घरों का निर्माण किया गया है। उज्‍ज्‍वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्‍शन देकर, सौभाग्‍य योजना के तहत मुफ्त बिजली कनेक्‍शन देकर, शौचालयों का निर्माण कराकर यहां के लोगों का जीवन आसान बनाने की कोशिश की गई है।

भाइयो और बहनों, वोट लेकर जनता को भूल जाना कुछ परिवारों की प्रवृत्ति है, कुछ लोगों की प्रवृत्ति होती है। वो गरीब को गरीब बनाए रखना चाहते हैं ताकि पीढ़ी-दर-पीढ़ी गरीबी हटाओ के नारे लगा सकें। हम गरीब को सशक्‍त बना करके उसे इतनी ताकत दे रहे हैं कि वो अपनी गरीबी से तेजी से बाहर‍ निकले। यही वजह है कि आज भारत उन देशों में गिना जाता है जहां बेहद तेजी के साथ गरीबी कम हो रही है। गरीबों के प्रति, उनकी जरूरतों के प्रति संवेदनशीलता कुछ लोगों में रही नहीं है।

साथियो, गरीबों के साथ जो किया गया, वही देश के किसानों के साथ भी हुआ। इन लोगों ने कभी किसानों को सशक्‍त करने की कोशिश ही नहीं की। उसकी छोटी-बड़ी दिक्‍कत को ये नजरअंदाज करते रहे। जब किसान इनकी योजनाओं से परेशान हो जाता था तो ये कर्ज माफी के भ्रम में उसे फंसा देते थे। पिछली बार साल 2008 में इन्‍होंने 52 हजार करोड़ रुपये की कर्ज माफी की जबकि देश के किसानों पर 6 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था।

इतना ही नहीं, जितनी कर्ज माफी की, उसका लाभ भी औसतन देश के तीन-साढ़े तीन करोड़ यानी अगर आपके गांव में 100 किसान हैं तो मुश्किल से 20 या 25 किसानों को लाभ मिला। बाकी कर्ज माफी का लाभ तो इनके सारे सिपहसलार, ठेकेदार, दलाल, बिचौलिए ले गए। वहीं हमारी सरकार जो प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि योजना लेकर आई है उसका लाभ देश के 12 करोड़ किसानों को मिलना सुनिश्चित हुआ है। कुछ दिन पहले ही करोड़ों किसानों के खाते में दो हजार रुपये की पहली किश्‍त पहुंच भी गई है। जिन किसानों के खाते में पैसे नहीं आए हैं, उन्‍हें भी बहुत ही जल्‍द इसका लाभ मिलने वाला है।

साथियो, ये योजना इतनी बड़ी है कि आने वाले दस वर्ष के तहत साढ़े सात लाख करोड़ रुपये किसानों के खाते में सीधे पहुंच जाएंगे। सोचिए, देश के गांवों को, किसानों को, ग्रामीण अर्थव्यवस्‍था को इससे कितनी बड़ी ताकत मिलने जा रही है। इससे अमेठी के भी हजारों किसानों को बहुत फायदा होगा। खाद खरीदना हो, बीज खरीदना हो, बिजली का बिल भरना हो, कीटनाशक खरीदना हो; ऐसे तमाम काम वो इस पैसे से कर पाएगा।

भाइयो और बहनों, किसान हो, जवान हो या फिर हमारे देश के नौजवान बेटे-बेटियां हों, आपका ये प्रधान सेवक आज काम कर पा रहा है तो इसके पीछे आपकी शक्ति है, आपका आशीर्वाद है। आपका ये उत्‍साह देख करके मैं कह सकता हूं कि अमेठी और अमेठी के लोग नया इतिहास रचने जा रहे हैं। एक ऐसा इतिहास, जिसकी गूंज पूरे देश में सुनाई देगी।

साथियो, मैं अमेठी के विकास के अनेक काम कराने वाली स्‍मृतिजी को भी विशेष धन्‍यवाद देता हूं। साथ में फिर एक बार रूस के राष्‍ट्रपति पुतिन जी, जिनका संदेश देश की पहली रक्षामंत्री निर्मलाजी ने पढ़ा; उनको भी धन्‍यवाद देता हूं, और दुनिया ने भारत की नारी शक्ति क्‍या होती है, अब भलीभांति समझ लिया है। जिस देश की रक्षामंत्री नारी है, उसने दुनिया को दिखा दिया कि देश की रक्षा के लिए कैसे कदम उठाए जाते हैं।

एक बार फिर, अमेठी से इतनी बड़ी मात्रा में इस विराट जनसागर को मैं यहां देख रहा हूं। आप हमें आशीर्वाद देने के लिए आए, मैं आपका हृदयसे बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!