चंद्रशेखर आजाद जैसे लोग हमें देश के लिए काम करने की प्रेरणा देते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
हमें देश के लिए जीने का अवसर मिला है। आइए राष्ट्र निर्माण में योगदान करें: प्रधानमंत्री
देश जन शक्ति के माध्यम से प्रगति करता है: प्रधानमंत्री मोदी
प्रत्येक भारतीय कश्मीर जाना चाहता है, प्रत्येक भारतीय कश्मीर से प्यार करता है: प्रधानमंत्री मोदी
कश्मीर के युवाओं से अपील है कि केंद्र और राज्य सरकार के साथ सहयोग करें, ताकि राज्य को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा सके: प्रधानमंत्री
हमारे लिए ये महत्वपूर्ण है कि हम एकमत होकर डटे रहें और देश को विकास के पथ पर आगे ले चलें: प्रधानमंत्री मोदी
हमारा तिरंगा हमें जोड़ता है और देश सेवा के लिए प्रेरित करता है: प्रधानमंत्री 

आज अगस्‍त क्रांति दिवस है। आठ अगस्‍त को महात्‍मा गांधी ने हिंद-छोड़ो एक आह्वान किया था अंग्रेजों को, Quit India, अंग्रेजों को ललकारा था, और 09 अगस्‍त को अंग्रेज सल्‍तनत पूरे हिंदुस्‍तान में आजादी के दिवानों के ऊपर झुल्‍म ढाने लगी थी। आज इस घटना को 75 साल हो रहे हैं। और अने वाले 15 अगस्‍त देश आजाद हुआ था, उसको 70 साल हो रहे है। और इसलिए एक ऐसा अवसर है, हम फिर एक बार उन आजादी के दिवानों को याद करें, जिन लोगों ने अपनी जवानी खपा दी, अपना जीवन आहूत कर दिया। जिनके कारण आज हम आजादी की सांस ले रहे हैं। हम एक स्‍वतंत्रता जो महसूस कर रहे हैं, वो उन आजादी के दिवानों की त्‍याग, तपस्‍या और बलिदान का परिणाम हैं। हमारे जिन पूर्वजों ने हमारे लिए जान की बाजी लगा दी, जिंदगी खपा दी, अपने परिवार को उजाड़ दिया। अपना सब कुछ देश के लिए समर्पित कर दिया। उनके संतानों के नाते, यह सवा सौ करोड़ देशवासियों का कर्तव्‍य बनता है, यह हमारा दायित्‍व बनता है कि हमारे लिए आजादी देने वाले इन सभी महापुरूषों का स्‍मरण करे। जिन महान उद्देश्‍यों को ले करके वो अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते रहे, उन महान उद्देश्‍यों की पूर्ति के लिए हम प्रण लें। जो भरत का सपना उन्‍होंने देखा था। जिस भारत के सपने को पूरा करने के लिए उन्‍होंने जो संकल्‍प किया था, उन सपनों को पूरा करने के लिए हम अपने आप को किसी न किसी जिम्‍मेदारी के साथ बांध दे। हर हिंदुस्‍तान को कोई संकल्‍प हो कि मैं भी देश के लिए कुछ करूंगा।

जब हम Tantia Bhil को याद करते हैं, जब हम Bheema Nayak को याद करते हैं, जब हम राणा बख्‍तियार सिंह को याद करते हैं, जब हम देश के लाखों समर्पित जीवनों को याद करते हैं तो हमें ध्‍यान में आता है कि वे अपने लिए एक पल भी जिये नहीं थे। उनको पढ़ने-लिखने का भी सौभाग्‍य मिला हो या न हो, लेकिन आजादी का मतलब क्‍या होता है इसका उनको पूरी-पूरी तरह पता था और इसको पाने के लिए वो सब कुछ लुटा देने के लिए तैयार थे।

यह मेरा सौभाग्‍य है कि आज चंद्रशेखर आजाद की जन्‍म भूमि पर आजाद मंदिर में आ करके सिर झुकाने का मुझे अवसर मिला, नमन करने का अवसर मिला। और जब ऐसे महान पुरूषों का स्‍मरण करते हैं, तो हमें भी देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिलती है। भाईयों-बहनों हम में से बहुत लोग हैं जो आजादी के बाद पैदा हुए हैं। भारत की अधिकतम जनसंख्‍या जिन्‍होंने गुलामी देखी नहीं है। हम आजाद हिंदुस्‍तान में पैदा हुए हैं। जो लोग आजादी के लिए लड़ते थे, उन्‍हें तो देश के लिए मरने का मौका मिला, देश के लिए बलि चढ़ने का मौका मिला, देश के लिए अपने परिवार को लुटाने का सौभाग्‍य मिला। यह सौभाग्‍य जिन्‍हें मिला वे अमर हो गए। हमें वो सौभाग्‍य नहीं मिला है। लेकिन आज जब अगस्‍त क्रांति के 75 साल मना रहे हो, आजादी का 70वां साल मनाने की तैयारी कर रहे हो, तो हम भी संकल्‍प करे कि हमें च्रदंशेखर आजादी की तरह, भीमा नायक की तरह, Tantia Bhil की तरह देश के लिए मरने का मौका नहीं मिला, लेकिन कम से कम देश के लिए जीने का मौका तो मिला है और हमारी कसौटी यह नहीं है कि देश के लिए हम बलि चढ़ जाएं तब महान हैं। आज बलि चढ़ने का सौभाग्‍य संभव नहीं है। आज तो देश के लिए जीने का सौभाग्‍य हमें मिला है। देश के लिए कुछ करने का मौका मिला है। गांव हो, गरीब हो,, दलित हो, पीडि़त हो, शोषित हो, वंचित हो, उनके जीवन में बदलाव लाना, उन सपनों को पूरा करने का प्रयास करना, आजादी के 70 साल के बाद क्‍या यह हमारा दायित्‍व नहीं बनता है कि कम से कम हमारे देश के हर गांव में बिजली पहुंचे।

भाईयों-बहनों 70 साल, यह कम समय नहीं है। लेकिन आज भी हिंदुस्‍तान में हजारों गांव ऐसे हैं, जहां बिजली का खम्‍भा भी नहीं लगा है, बिजली का तार भी नहीं पहुंचा है। उस गांव के लोग 18वीं शताब्‍दी में जो जिंदगी गुजारते थे, 21वीं सदी में भी उन्‍हें वैसी ही जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर होना पड़ता है। वो भी याद करते होंगे जब शाम के अंधेरे के बाद जिंदगी सौ जाती होगी, तो वो याद करते होंगे कि आजादी के दिवानों ने इतना बलिदान दिया, मुझे बिजली कब मिलेगी? भाईयों-बहनों जब मैं सरकार में आया, मैंने जरा हिसाब-किताब पूछा कि बताइये क्‍या है? 18 हजार से भी ज्‍यादा गांव ऐसे निकले कि जिन गांव के लोगों को अभी 21वीं सदी में भी बिजली क्‍या है, यह अनुभव नहीं हुआ है। भाईयों-बहनों मैंने बीड़ा उठाया कि इन 18 हजार गांव में बिजली पहुंचाऊंगा। पिछले 15 अगस्‍त को लालकिले से मैंने घोषणा की थी कि एक हजार दिन के अंदर इस काम को करने की मैं कोशिश करूंगा। जो काम 70 साल में नहीं हुआ वो एक हजार दिन में पूरा करने का प्रयास करूंगा। भाईयों-बहनों अभी तो एक साल भी पूरा नहीं हुआ है और करीब-करीब आधे से अधिक गांव का काम पूरा हो चुका है। बिजली पहुंच चुकी है, खम्‍भे लग गए, तारे लग गयीं, घर में लट्टू लग गया, और बालक पढ़ना भी शुरू कर दिए भाई। विकास हो, हर सरकार विकास के लिए प्रयास करती है। हम यह नहीं कहते कि 70 साल में किसी ने कुछ किया नहीं है, लेकिन 70 साल में जितना होना चाहिए था, वो नहीं हुआ है, यह मुसीबत हम भोग रहे हैं। इससे मुझे देश को बाहर लाना है।

आज भी हमारी बेटियां शिक्षा से वंचित रह जाएं, स्‍कूल हो, टीचर हो, गांव में बालक हो, लेकिन उसके बावजूद भी अगर पढ़ाई न हो, तो मेरे प्‍यारे देशवासियों आजादी के 70 साल में हम संकल्‍प करे कि हमारे गांव में एक भी बालक स्‍कूल से हम छूटने नहीं देंगे, उसको पढ़ाई के बाहर रहने नहीं देंगे। हम कुछ न कुछ उसको पढ़ा कर रहेंगे। क्‍या यह मेरे देशवासी संकल्‍प नहीं कर सकते। स्‍कूल है, टीचर है, सब है, सरकार तनख्‍वाह देती है। लेकिन उसके बावजूद भी हमारे बालकों को हम स्‍कूल जाने के लिए प्रेरित न करे, प्रोत्‍साहित न करे, तो मेरे प्‍यारे भाईयों-बहनों हमारा देश पिछड़ जाएगा। देश को आगे बढ़ाने की सबसे बड़ी ताकत होती है, उस देश की जनशक्ति। रुपये-पैसे तो आगे बढ़ाने में काम आते हैं, लेकिन देश आगे बढ़ता है जनशक्ति से, जनशक्ति के मिजाज से, जनशक्ति के संकल्‍प से, जनशक्ति के पुरूषार्थ से, जनशक्ति के सपनों से, जनशक्ति के बलिदान से, तब देश आगे बढ़ता है। और इसलिए सवा सौ करोड़ देशवासी देश को आगे बढ़ाने का संकल्‍प टीम इंडिया के रूप में लें...!

इन दिनों संसद चल रही है। आपने देखा होगा एक के बाद एक जनहित के कानून पारित हो रहे हैं। लम्‍बे अरसे से जनता को लाभ होने वाले कानून पास हो रहे हैं। अब इसको लागू करने के लिए नीचे तक सरकारी मशनरी ने सामान्‍य मानव से जुड़ना पड़ता है, तब जा करके उसके लाभ मिलते हैं। भाईयों-बहनों हमारे देश के आजादी के दिवानों ने देश के लिए बलिदान दिया था, इस देश को सुजलाम-सुफलाम बनाने का। हमारे कश्‍मीर हमारे देशवासियों के लिए स्‍वर्ग भूमि है। हर हिंदुस्‍तानी का सपना होता है कि कभी न कभी कश्‍मीर जाना है। उसके मन में वो स्‍वर्ग भूमि देखने की इच्‍छा रहती है। लेकिन हम देख रहे हैं जो हिंदुस्‍तान पूरा कश्‍मीर को इतना प्‍यार करता हो, वहां कुछ मुठ्ठीभर लोग, गुमराह हुए कुछ लोग, कश्‍मीर की इस महान परंपरा को कहीं न कहीं ठेस पहुंचा रहे हैं। जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे तो उन्‍होंने जो मार्ग अपनाया था – इंसानियत, कश्‍मियरत और जम्‍मूरियत का। उसी मार्ग पर चलने वाले हम लोग हैं और मैं मेरे कश्‍मीर के भाईयों और बहनों को आज चंद्रशेखर आजाद की इस महान पवित्र भूमि से कहना चाहता हूं देश की आजादी के दिवानों ने जो ताकत हिंदुस्‍तान को दी है वो कश्‍मीर को भी वही ताकत मिली है। जो आजादी हर हिंदुस्‍तानी अनुभव करता है, वो आजादी हर कश्‍मीरी को भी नसीब है। हम कश्‍मीर को विकास की नई ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते हैं। हम कश्‍मीर की हर पंचायत को एक ताकत देना चाहते हैं। हम कश्‍मीर में जो युवा पीढ़ी है, उसके लिए रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराना चाहते हैं। और मैं जम्‍मू-कश्‍मीर की सरकार को बधाई देता हूं कि कुछ लोगों के मलीन इरादों के बावजूद भी आन, बान, शान के साथ अमरनाथ यात्रा चल रही है। लाखों लोग अमरनाथ यात्रा कर रहे हैं। लद्दाख की धरती पर solar-energy के नये अभियान चल रहे हैं। कश्‍मीर में शांति, एकता, सद्भावना, और मैं खास करके कश्‍मीर के युवकों को आह्वान करता हूं आइये, मेरे दोस्‍त आइये, हम सब मिल करके कश्‍मीर को दुनिया का स्‍वर्ग बना करके रखे, इस सपने को ले करके चले।

भाईयों-बहनों कभी-कभी पीढ़ा होती है। जिन बालकों के हाथ में, जिन युवकों के हाथ में, जिन बच्‍चों के हाथ में लैपटॉप होना चाहिए। जिन बालकों के हाथ में बॉलीबॉल का बॉल होना चाहिए, क्रिकेट का बैट होना चाहिए, बागानों में मस्‍ती से खेल होना चाहिए, हाथ में किताब होनी चाहिए, मन में सपने होने चाहिए, आज ऐसे निर्दोष बालकों के हाथ में पत्‍थर पकड़ा दिये जाते हैं। कुछ लोगों की राजनीति तो चल पाएगी, लेकिन मेरे इन भोले-भाले बालकों का क्‍या होगा? मेरे इन भोले-भाले बच्चों का क्‍या होगा? और इसलिए इंसानियत, कश्‍मिरियत इसको दाग नहीं लगने दिया जाएगा। इसको चोट नहीं पहुंचाने दी जाएगी। जम्‍मूरियत का रास्‍ता ही है, बातचीत का रास्‍ता है, संवाद का रास्‍ता है, लोकतंत्र के उसूलों का रास्‍ता है।

इस आजादी का पर्व दिन मनाने जा रहे हैं। मैं देश में भी कोई माओवाद के नाम पर, कोई उग्रवाद के नाम पर, कंधे पर बंदूक निकले नौजवानों से भी कहना चाहूंगा। कितना लहू बहा दिया, कितने निर्दोषों को गवां दिया, लेकिन किसी ने कुछ पाया क्‍या? आइये कंधे से बंदूक उतारिये, खेत में हल उठाइये, यह लाल धरती, हरियाली हो जाएगी। यह देश सुजलाम-सुफलाम बन जाएगा।

कश्‍मीर की वादियां, भाईयों-बहनों एक तरफ हम वो लोग हैं महबूबा जी के नेतृत्‍व में जम्‍मू-कश्‍मीर की सरकार हो या दिल्‍ली में बैठी हुई हमारी सरकार हो। हम वो लोग हैं, जो विकास के मार्ग पर हमारी समस्‍याओं का, कठिनाईयों का रास्‍ता खोज रहे हैं। और वो लोग हैं जिनको विकास पच नहीं रहा, सिर्फ विनाश का ही रास्‍ता पकड़ करके बैठे हैं। मैं देश के राजनीतिक दलों का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं, विशेष रूप से मैं कांग्रेस पार्टी का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि कश्‍मीर के मुद्दे पर हिंदुस्‍तान के सभी राजनीतिक दलों ने बहुत ही mature way में, पूर्णत: देशभक्ति के वातावरण में, उस समस्‍या के समाधान के प्रयास किए हैं। आज भी हिंदुस्‍तान के सभी राजनीतिक दल कश्‍मीर के विषय में एक स्‍वर से बोल रहे हैं, एक दिशा में जाने पर संकल्‍पबद्ध हैं। और यही हिंदुस्‍तान की ताकत है, यही हिंदुस्‍तान का सामर्थ्‍य है। उस सामर्थ्‍य को ले करके हम आगे बढ़ना चाहते हैं। कश्‍मीर शांति चाहता है। कश्‍मीर का सामान्‍य मानव tourism के आधार पर रोजी-रोटी कमाता है। जो लोग अमरनाथ यात्रा पर जाते थे, वो श्रीनगर भी जाते थे और वहां की रोजी-रोटी के लिए tourism काम आता था। आने वाले दिनों में apple का season शुरू होगा। पूरा हिंदुस्‍तान कश्‍मीर के apple खाने के लिए लालायित रहता है। मेरे कश्‍मीर के भाईयों-बहनों यह आपका apple हिंदुस्‍तान में पहुंचना चाहिए, आपने जो मेहनत करके खेती की है, उसका पैसा आपको मिलना चाहिए, आपका बाजार चलना चाहिए। उसके लिए आपको जो मदद चाहिए, भारत सरकार आपके साथ खड़ी है। डॉक्‍टर हो, वकील हो, इंजीनियर हो, प्रोफेसर हो, किसान हो, व्‍यापारी हो, फलों की खेती करने वाले लोग हो, आपको अपना व्‍यापार करना है, अपना रोजगार चलाना है।

जम्‍मू कश्‍मीर की सरकार, दिल्‍ली की सरकार, हिंदुस्‍तान के सभी राजनीतिक दल और सवा सौ करोड़ हिंदुस्‍तानी सब कोई आपका भला चाहते हैं, आपकी भलाई चाहते हैं, आपका विकास चाहते हैं और आपके विकास के लिए हिंदुस्‍तान को जो कुछ भी देना पड़े वो देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं । अगर कहीं पर रास्‍ता दो किलोमीटर कम होगा तो चलेगा, मगर हम आपका रास्‍ता कम नहीं होने देंगे।

भाईयों-बहनों हम विकास के मंत्र को ले करके चले हैं और आजादी के दिवानों को स्‍मरण करते हुए कश्‍मीर की धरती पर भी देश के लिए मर-मिटने वाले लोगों की कोई कमी नहीं रही है। भाईयों-बहनों कश्‍मीर से कन्‍या कुमारी आसेतु, हिमाचल, यह पूरा हिंदुस्‍तान एक बन करके आजादी के सपनों के लिए मर-मिटता था। आज समय की मांग है कि हम एक देश के रूप में एक सपने को ले करके, एक संकल्‍प को ले करके, एक मार्ग निर्धारित करके राष्‍ट्र को ऊंचाईयों की मंजिल तक पहुंचाने के लिए आगे बढ़ने का यह अवसर है।

आने वाले दिनों में पूरे देशभर में तिरंगा यात्राएं चलने वाली है। यह तिरंगा यात्रा, यह तिरंगा झंडा हम सबको जोड़ता है। यह तिरंगा झंडा वीर बलिदानियों की याद दिलाता है। यह तिरंगा झंडा भारत का भाग्‍य बदलने की प्रेरणा देता है। तिरंगे झंडे से बड़ा क्‍या होता है हमारे लिए? उस तिरंगे झंडे को ले करके आजादी के 70 साल में गांव-गांव, गली-गली फिर एक बार देशभक्ति का ज्‍वार चले। देश के लिए मर-मिटना नहीं है, तो देश के लिए कुछ करने का विश्‍वास पैदा हो, यह माहौल बनाना है और मुझे विश्‍वास है मेरे प्‍यारे देशवासियों, पूरा हिंदुस्‍तान आजादी के 70 साल देश में एक नया उमंग, नया उत्‍साह, नई चेतना जगाने के लिए पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ेगा।

आज मुझे यहां आने का अवसर मिला और मैं विशेष करके मध्‍य प्रदेश सरकार को, इस जिला के अधिकारियों को, छोटे-मोटे सरकार के हर मुलाजिम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। क्‍योंकि मैंने उतरते समय देखा चारों तरफ पानी भरा है और ऐसी कठिन परिस्थित में आपने कैसे काम किया होगा, कल्‍पना करते ही मेरे मन में बड़ी चिंता होती है। कभी चिंता हो रही है कि आप में से कोई बीमार न हो जाए, कयोंकि आपने रात-रात काम किया होगा, तब जा करके संभव हुआ होगा। लेकिन चंद्रशेख्‍र आजाद एक ऐसी प्रेरणा है कि आपने नींद भी छोड़ी होगी, बारिश में भी काम किया होगा, खाना भी इतने छोटे स्‍थान पर उपलब्‍ध न हुआ हो तो भी काम किया होगा और यही तो देश की प्रेरणा है। और यही तो देश की ताकत है।

मैं आज चंद्रशेखर आजाद के जन्‍म स्‍थान पर हिंदुस्‍तान में देश के लिए इस प्रकार से मेहनत करने वाले सभी लोगों की टीम इंडिया की हृदय से बधाई करता हूं। बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। मैं जनता जनारदन को भी प्रणाम करता हूं। मैं देख रहा हूं आप सब पानी में खड़े हैं। जमीन नहीं दिखती है, सब दूर पानी ही पानी था, लेकिन पानी में खड़े रह करके देश की आजदी के दिवानों को याद करने के लिए आना, चंद्रशेखर आजाद को इससे बड़ी श्रद्धांजलि क्‍या हो सकती है। और निमित चंद्रशेखर आजाद है, लेकिन आप लोग जो इस प्रकार से कष्‍ट झेल करके आए हैं यह नमन हिंदुस्‍तानभर के लाखों भर के आजादी के दिवानों के लिए है। जो अंडमान-निकोबार की जेलों में जिंदगी काटते थे, उनके लिए है जो फांसी के तख्‍़ते पर चढ़ जाते थे, उनके लिए है जो जवानी जेलों में खपा देते थे, उनके लिए है जो लोग जीवनभर समाज कल्‍याण करते-करते आजादी का मंत्र गूंजा रहे थे, उनके लिए है, जो अहिंसा के रास्‍ते पर चलते थे, उनके लिए है जो सशस्‍त्र क्रांति के मार्ग पर चल रहे थे, उनके लिए है, यह नमन उन सभी महान पुरूषों के लिए है, जिन्‍होंने हमें आजादी दिलायी है। मैं आपको नमन करता हूं। आपका अभिनंदन करता हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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PM Modi addresses the Parliament of Guyana
November 21, 2024


Prime Minister Shri Narendra Modi addressed the National Assembly of the Parliament of Guyana today. He is the first Indian Prime Minister to do so. A special session of the Parliament was convened by Hon’ble Speaker Mr. Manzoor Nadir for the address.

In his address, Prime Minister recalled the longstanding historical ties between India and Guyana. He thanked the Guyanese people for the highest Honor of the country bestowed on him. He noted that in spite of the geographical distance between India and Guyana, shared heritage and democracy brought the two nations close together. Underlining the shared democratic ethos and common human-centric approach of the two countries, he noted that these values helped them to progress on an inclusive path.

Prime Minister noted that India’s mantra of ‘Humanity First’ inspires it to amplify the voice of the Global South, including at the recent G-20 Summit in Brazil. India, he further noted, wants to serve humanity as VIshwabandhu, a friend to the world, and this seminal thought has shaped its approach towards the global community where it gives equal importance to all nations-big or small.

Prime Minister called for giving primacy to women-led development to bring greater global progress and prosperity. He urged for greater exchanges between the two countries in the field of education and innovation so that the potential of the youth could be fully realized. Conveying India’s steadfast support to the Caribbean region, he thanked President Ali for hosting the 2nd India-CARICOM Summit. Underscoring India’s deep commitment to further strengthening India-Guyana historical ties, he stated that Guyana could become the bridge of opportunities between India and the Latin American continent. He concluded his address by quoting the great son of Guyana Mr. Chhedi Jagan who had said, "We have to learn from the past and improve our present and prepare a strong foundation for the future.” He invited Guyanese Parliamentarians to visit India.

Full address of Prime Minister may be seen here.