Quoteजेपी नारायण की जयंती पर मुंबई में बाबा साहेब अम्बेडकर स्मारक का भूमि पूजन करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है: प्रधानमंत्री
Quoteलंबी तटरेखा वाले देश में एक व्यावसायिक बंदरगाह क्षेत्र का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteतटीय क्षेत्र और अंतरिक्ष इस सदी में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। चाहे अंतरिक्ष हो या समुद्र, हमें तेज़ गति से आगे बढ़ना होगा: प्रधानमंत्री
Quoteडॉ अम्बेडकर सिर्फ़ एक समुदाय के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteडॉ अंबेडकर एक महापुरुष हैं। उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनमें कटुता या बदले की भावना कभी नहीं आई: प्रधानमंत्री
Quote26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाएगा। लोगों को हमारे संविधान के बारे में पता होना चाहिए कि ये कैसे तैयार हुआ: प्रधानमंत्री

मंच पर विराजमान सभी वरिष्‍ठ महानुभाव और विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों,

आज 11 अक्‍तूबर, जयप्रकाश नारायण जी की जन्‍म जयंती है और ये सुयोग है कि जयप्रकाश जी की जन्‍म जयंती के दिन मुझे आज मुंबई में, विशेषकर के बाबा साहेब आंबेडकर के भव्‍य स्‍मारक निर्माण का भूमि पूजन का सौभाग्‍य मिला है। ये सुयोग इसलिए है कि भारत के संविधान के जन्‍मदाता बाबा साहेब आंबेडकर और भारत के संविधान का दुरुपयोग करते हुए, भारत के लोकतंत्र पर खतरा पैदा करने का पाप जब इस देश में हुआ तो संविधान के spirit को बचाने के लिए, संविधान की भावनाओं को बचाने के लिए बाबा साहेब आंबेडकर ने जो हमें लोकतंत्र के अधिकार दिए थे, वो वापिस लाने के लिए जयप्रकाश नारायण ने आपातकाल के खिलाफ जंग किया था और देश आपातकाल से मुक्‍त हुआ था और उस अर्थ में मैं इस सुयोग को बहुत बड़ा महत्‍वपूर्ण मानता हूं।

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आज यहां कई योजनाओं का शुभारंभ करने का मुझे सुअवसर मिल रहा है। दुनिया के किसी भी समृद्ध देश, तो ये एक बात बहुत ध्‍यान में आती है, उस देश का Port sector कितना vibrant है। समुद्री तट का देश हो और port sector vibrant हो। आपने देखा होगा, उस देश की economy और port की vibrancy साथ-साथ चलती है। भारत को भी एक वैश्विक आर्थिक वातावरण में अपना स्थान बनाने के लिए अपने port sector को मजबूत करने की आवश्यकता है, उसका विस्तार करने की आवश्यकता है, उसका विकास करने की आवश्कता है, उसे आधुनिक बनाने की आवश्यकता है और मैं आज गर्व के साथ कहता हूं कि हमारे नितिन जी ने पंद्रह महीने की छोटी अवधि में जो काम पिछले दस साल में नहीं हो पाए थे, ऐसे अनेक नए initiative लेकर के पूरे port sector को नई ताकत दी है, नई ऊर्जा दी है और नई गति दी है।

Foreign Direct Investment की चर्चा होती है। आज मैं देख रहा हूं कि सिंगापुर के साथ आठ हजार करोड़ रुपयों के पूंजी निवेश से मुंबई को और हिन्‍दुस्‍तान को port sector का ऐसा एक नजराना मिल रहा है जो सिर्फ यहां के लोगों को रोजगार ही देता है, ऐसा नहीं है। विश्‍व व्‍यापार में हमारी साख बढ़ेगी। मेक इन इंडिया की जब मैं बात करता हूं तो जो लोग इस देश में manufacturing के लिए आएंगे उनको विश्‍व भर में अपना माल बेचने के लिए अच्‍छे port sector की आवश्‍यकता होगी, अच्‍छे बंदरगाहों की आवश्‍यकता होती है। हम जिस तेजी से काम कर रहे है उसके कारण मेक इन इंडिया के तहत, जब देश में उत्‍पादन की परंपरा चलेगी और वो उत्‍पादित चीजें वैश्‍विक बाजार को पकड़ेगी तब हमारी ये port का development पीछे नहीं रहना चाहिए और इसलिए एक तरफ मेक इन इंडिया और दूसरी तरफ विश्‍व व्‍यापार के अंदर अपनी जगह बनाने के लिए हमारे port sector को vibrant बनाना है।

हमारे देश में बंदरगाहों का विकास कम अधिक मात्रा में हर कोई सोचता रहा है। लेकिन आज सिर्फ port development से काम चलने वाला नहीं है। आज आवश्‍यक है Port led development, और Port led development के आधार पर हमारे port के साथ maximum infrastructure की connectivity हो, रेल हो, road हो, एयरपोर्ट हो, cold storage का network हो, warehousing का network हो और इस काम के लिए हमारे देश के पूरे समुद्री तट को जोड़ने वाला एक सागरमाला project हम आगे बढ़ा रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी जी ने ये सागरमाला project की शुरूआत की थी। लेकिन वो सरकार चली गई, बाद में जो सरकार आई उसका एजेंडा कुछ और था और उसके कारण वो विचार वहीं का वहीं रह गया था। हमारी सरकार बनने के बाद अटल जी के उस विचार को हमने मूर्त रूप देने का प्रयास किया है जो coastal states है, उनकी भागीदारी से क्‍योंकि हम cooperative, competitive federalism इस पर बल दे रहे हैं। समुद्री तट के राज्‍यों का सहयोग हो, समुद्री तट के राज्‍यों के बीच स्‍पर्धा हो, कौन अच्‍छा port बनाए, कौन अच्‍छे port में आगे बढ़े। भारत सरकार और राज्‍य मिलकर के port sector को कैसे develop करे, उन काम की ओर हम आगे बढ़ रहे हैं और आज जिस काम का शिलान्‍यास किया है। हमारी ताकत बहुत बड़ी मात्रा में एक ही जगह पर बढ़ जाएगी और उसके कारण जो wear and tear के खर्च होते हैं वो कम होते हैं, profit का level बढ़ता है, expansion का अवसर भी मिलता है। मजदूरों को सम्‍मानपूर्वक जीने के लिए सुविधाएं उपलब्‍ध कराई जा सकती हैं। गरीब के कल्‍याण के लिए विकास का ये मार्ग प्रशस्‍त करने की दिशा में आज नितिन जी के नेतृत्‍व में हम पहुंच रहे हैं, हम विश्‍व में अपनी जगह बना रहे हैं।

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भारत ईरान में Chabahar port के विकास के अंदर भागीदारी कर रहा है। क्‍योंकि हम मानते हैं कि आने वाले दिनों में दो क्षेत्र का प्रभाव रहने वाला है – एक सामुद्रिक और दूसरा space technology का। 21वीं सदी में ये दो क्षेत्र बहुत प्रभाव पैदा करने वाले हैं। और इसलिए space हो या sea हो भारत समय के साथ तेज गति से आगे बढ़ना चाहता है।

हमारे नितिन जी के पास road भी है। महाराष्‍ट्र ने उनके काम को पहले भी देखा हुआ है। वो speed में विश्‍वास करते हैं। पहले के समय पिछली सरकार में प्रति दिवस कितने किलोमीटर road बनते थे, आज मैं उसकी चर्चा नहीं करना चाहता हूं। इस विषय में जो रूचि रखते हैं, जानकार लोग हैं जरूर खोजकर के निकाले कि per day हमारे कितने किलोमीटर road बनते हैं। लेकिन आज मैं बड़े गर्व और संतोष के साथ कहता हूं कि नितिन जी ने जिस प्रकार से गति लाई है, औसत प्रति दिन 15 किलोमीटर से ज्‍यादा road आज देश में बन रहे हैं। और इसको और बढ़ाने का प्रयास है क्‍योंकि विकास करना है, तो infrastructure पर बल देना बहुत आवश्‍यक होता है। और रास्‍ते जब बनते है तो ऐसा नहीं है कि पैसे है इसलिए रास्‍ते बनते हैं। जब रास्‍ते बनते हैं तब पैसा बनना शुरू हो जाता है, ये रास्‍तों की ताकत होती है।

मैं श्रीमान देवेन्‍द्र जी को बधाई देना चाहता हूं। हमारे देश में कम से कम एक मेट्रो रेल type काम DPR बनाने हैं तो डेढ़-डेढ दो-दो साल चले जाते हैं। लेकिन उन्‍होंने चार महीने के भीतर-भीतर उसकी DPR तैयार कर दी और जो इस field को जानते हैं, उनको मालूम है कि चार महीने में इतना बड़ा काम कागज पर बनाना, ये हमारे देश के स्‍वभाव में नहीं है, हमारी व्‍यवस्‍था में ही नहीं है। और उसको कोई बुरा भी नहीं मानता। सब मानते हैं हां भाई, इतना तो समय लगता है। लेकिन उन सारी आदतों को छुड़वा करके देवेन्‍द्र जी ने जिस तेज गति से मेट्रो के इस काम को बल दिया है, ये बदलते हुए शहरों के जीवन की अनिवार्यता बन गया है। अगर हम environment friendly development का विचार करे तो mass transportation, ये इसका एक बहुत बड़ा पहलू है। जिस प्रकार से हमारे शहर बढ़ रहे हैं, उन बढ़ते हुए शहरों को कभी लोग संकट मानते थे। मैं बढ़ते हुए शहरों को अवसर मानता हूं। urban growth, ये बोझ नहीं हैं, ये opportunity हैं और इसलिए हमारी सारी योजनाएं उस opportunity को ध्‍यान में रखकर के होनी चाहिए।

आज देश में 50 शहरों में मेट्रो नेटवर्क बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। हमने रेलवे में 100% Foreign Direct Investment, इसके दरवाजे खोल दिए है और उसका परिणाम यह आया है कि आज देशभर में से, दुनिया भर में से लोग भारत के रेलवे के अंदर अपनी पूंजी लगाने के लिए तैयार हो रहे हैं। 400 के करीब रेलवे स्‍टेशन जो heart of the city हैं, बहुत बड़ी मात्रा में जमीन है, लेकिन प्‍लेटफार्म के सिवा वहां कुछ नहीं है। ticket window है, rest room है, प्‍लेटफार्म है। ये इसको multi storey रेलवे स्‍टेशन नहीं हो सकते हैं क्‍या? आधुनिक से आधुनिक 100 मंजिला रेलवे स्‍टेशन नहीं हो सकता क्‍या? heart of the city कितनी मूल्‍यवान जमीन होती है, लेकिन कोई उपयोग नहीं हो रहा है। हमने दिशा उठाई है 400 रेलवे स्‍टेशन जो heart of the city है country में, वहां पर अनेक प्रकार का development। नीचे ट्रेन चलती रहेगी, ऊपर उस पर development होगा, उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

ये जो मेट्रो का काम है, हजारों करोड़ रुपया लगते हैं लेकिन सुविधा बनती है। अब तो technology भी काफी, आधुनिक technology दिन पर दिन नई मिलती जा रही है। उसके कारण गति मिलने की संभावना भी बढ़ रही है और मैं इस काम के लिए श्रीमान देवेन्‍द्र जी को बधाई देता हूं।

हमारे सुरेश प्रभु जी ने रेलवे में भी सचमुच में उत्‍तम काम करके दिखाया है। पहले रेलवे का expansion, gaze conversion, डीजल इंजन से electricity इंजन की तरफ जाना। इन सारी बातों में एक उदासीनता थी। आज गति आई है और उसके परिणाम भी नजर आने लगे हैं। आने वाले दिनों में, और जब में रेलवे की बात करता हूं, तो बाबा साहेब आंबेडकर को भी याद करता हूं। बाबा साहेब आंबेडकर ने रेल नेटवर्क का सामाजिक मूल्‍यांकन किया और उन्‍होंने कहा था के समाज में जो छुआछूत का भाव है, ऊंच-नीच का भाव है, दूरी बनाने का जो स्‍वभाव है, इसको तोड़ने का काम रेलवे करेगी, ऐसा बाबा साहेब आंबेडकर ने रेलवे का एक analysis किया था।

मैं मानता हूं कि public transportation system बाबा साहेब आंबेडकर जिसमें सामाजिक एकता का अवसर देखते थे, उसको भी चरितार्थ करने का एक कारण बन सकता है। मुझे विशेष रूप से देवेन्‍द्र जी को इस बात के लिए भी बधाई देनी है।

हमारे देश में किसानों के लिए सिंचाई की जितनी व्‍यवस्‍था चाहिए वो नहीं हुई, वे बारिश पर निर्भर उसकी जिंदगी है, अगर वर्षा नहीं हुई तो किसान बेचारा तबाह हो जाता है और अकाल उसके लिए एक ऐसा काल बन करके आता है जो उसका जीना हराम कर देता है। अकाल के प्रति संवेदना करना, किसान के प्रति संवेदना व्‍यक्‍त करना, या तो दिल्‍ली में जा करके भारत सरकार के पास मांगे रखना, या राजनीतिक खेल खेलना, देवेन्‍द्र जी उससे बाहर निकल करके उन्‍होंने समस्‍या का समाधान खोजने का बहुत ही अभिनंदनीय प्रयास किया है। आज वो मुझे बता रहे थे कि करीब 6200 गांवों में जल संचय के एक लाख से ज्‍यादा छोटे-छोटे-छोटे प्रोजेक्‍ट किए हैं और उसके कारण पानी का संग्रह हुआ है। नीचे water level कहीं ऊपर आए हैं और उस इलाके के किसान रबी पांक ले सकें ऐसी आज परिस्थिति पैदा हुई है, और खर्चा ज्‍यादा नहीं हुआ। मुझे बताया गया कि करीब 1400 करोड़ रुपये में इतना बड़ा काम हो गया, अब मजा ये है कि 300 करोड़ रुपया लोगों ने जन-भागीदारी में दिया। मैं उन जन-भागीदारी करने वाले, उन गांव के लोगों को लाख-लाख अभिनंदन करता हूं, आपने देश को दिशा दिखाई।

जल संचय, संकटों से सामना करने का सबसे बड़ा शस्‍त्र होता है। मैं गुजरात में काम करता था, वहां तो रेगिस्‍तान है, वर्षा बहुत कम होती है, लेकिन जल संचय का अभियान चलाया हमने, दस साल लगातार चलाया, लाखों छोटे-छोटे check dam बनाए, और हमारा किसान संकटों से बचने में ताकतवर बना। लेकिन मैं दो और सुझाव देना चाहूंगा देवेन्‍द्र जी को, कुछ नयेपन से सोचने के लिए भी सोचें वो। एक हमारे यहां Marginal किसान हैं, बड़े किसान नहीं हैं छोटे किसान हैं लेकिन दो खेतों के बीच bifurcation के लिए division के लिए एक बहुत बड़ी बाड़ लगा दी। एक मीटर जमीन उसकी खराब होती है, एक मीटर जमीन इस वाले की खराब होती है, और ऐसे असीम लाखों एकड़ भूमि हमारी बाड़ बनाने में ही चली जाती है। इन इलाकों में जहां बाड़ है, वहां पेड़ लगा करके Timber की खेती, इस पर बल दिया जा सकता है और उस किसान को 15 साल, 20 साल के बाद जब पेड़ बड़े होते हैं, अगर उसको हर साल एक पेड़ काटने का भी अवसर दिया जाए तो भी उसको दो-पांच लाख रुपया Timber का वैसे ही मिल जाएगा। उसको कभी इधर-उधर देखना नहीं पड़ेगा। सिर्फ किनारे पर, अपनी बॉर्डर पे। दूसरा एक उपाय ये भी है कि दो पड़ौसी किसान मिल करके अगर Solar Panel लगा देते हैं, बिजली भी पैदा होगी, सरकार बिजली खरीद ले, किसान का खेत भी चलेगा, खेत में बिजली भी आएगी, किसान के काम आएगी। और एक काम है जिस पर हमारे महाराष्‍ट्र में, खास करके विदर्भ में ध्‍यान देने की आवश्‍यकता मुझे लगती है, और वो Honey Bee, शहद Honey, मधु।खेतों में किसानों को ट्रेनिंग देनी चाहिए। आज बहुत बड़ा Global Market है Honey का, और वो खराब नहीं होता है, कितने ही साल रहे खराब नहीं होता। उसकी Extra Income के लिए हमने उसको प्रेरित करना चाहिए। इसी प्रकार से Organic Farming। शहरों के नजदीक में, Earth Worm, महिलाओं की मंडलियां बना करके, छोटे-छोटे गड्ढे कर करके कूड़ा-कचरा शहर का उसमें डालते जाओ, Earth Worm रख दो, केंचुए, वो गंदगी भी साफ कर देते हैं, Organic Fertilizer तैयार कर देते हैं, किसान की जो जमीन Chemical, Fertilizer और दवाईयों के कारण बर्बाद होती है, उसको बचाने का काम होगा, हम Multiple Activity के द्वारा हमारे किसानों को मदद कर सकते हैं, और मैं देख रहा हूं कि देवेन्‍द्र जी जिस प्रकार से Innovative और सतत् कर्मशील व्‍यक्‍ति के रूप में इन चीजों का initiative ले रहे हैं, आने वाले दिनों में महाराष्‍ट्र के कृषि जगत में एक आमूल-चूल परिवर्तन ला करके पूरे देश को एक नई दिशा देंगे, ऐसा मेरा विश्‍वास है, और इन कामों के लिए मैं उनको ह्दय से अभिनंदन करता हूं।

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आज एक महत्‍वपूर्ण कार्य करने का जो सौभाग्‍य मिला, एक प्रकार से मुझे लगता है, ये काम ऐसा है जिसका सौभाग्‍य शायद हम लोगों को ही मिला होगा, और किसी के नसीब में ये पवित्र कार्य लिखा हुआ ही नहीं है। ये इंदु मिल की जमीन मैं प्रधानमंत्री बना उसके बाद आई है क्‍या? पहले थी, लेकिन कोई पवित्र काम करने का सौभाग्‍य हमारे ही हाथ में लिखा हुआ है और इसलिए आज उस इंदु मिल की जमीन पर डॉक्‍टर बाबा साहेब आंबेडकर का, एक प्रेरणा स्‍थली बनने वाली है। ये चैत्‍य भूमि.. भारत में नई चेतना जगाने का एक कारण बनने वाली है। और आप देखिए पंच-तीर्थ का निर्माण, ये पंच-तीर्थ का निर्माण.. आने वाले दिनों में ये पंच-तीर्थ, जिनकी लोकतंत्र में आस्‍था है, जिनकी सामाजिक न्‍याय में आस्‍था है, जिसकी देश की अखंडता और एकता में आस्‍था है, उन लोगों के लिए ये तीर्थाटन के.. यात्रा के धाम बनने वाले हैं। ये पंच-तीर्थ, इसका सौभाग्‍य हमें मिला। आप देखिए मध्‍य प्रदेश में Mhow, इतनी सरकारें रहीं लेकिन उसकी तरफ किसी का ध्‍यान नहीं गया। जब मध्‍य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तब जा करके उस जगह पर बाबा साहेब का स्‍मारक बना, जीवंत स्‍मारक बना और आज बाबा साहेब के प्रति श्रद्धारखने वाले लोगों के लिए वो एक तीर्थ क्षेत्र बना हुआ है। उसी प्रकार से दिल्‍ली में, दिल्‍ली में जहां बाबा साहेब रहते थे, वो जगह अलीपुर रोड वाली, 25 साल तक ये विषय फाइलों में लटकता रहा। बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति श्रद्धा रखने वाले लोग इसके पीछे प्रयास करते रहे। अटल जी की सरकार ने उस को move किया। लेकिन सरकार गयी उसको फिर दबा दिया गया। हम आये, हमने उस बात को हाथ में लिया और कुछ महीने पहले मुझे अलीपुर रोड के बाबा साहेब आंबेडकर के उस मकान में एक भव्‍य स्‍मारक बनाने का Foundation, उसका शिलान्‍यास करने का सौभाग्‍य मिला, करीब 300 करोड़ रुपये की लागत से एक भव्‍य स्‍मारक वहां बन रहा है। दिल्‍ली में जो भी लोग आएंगे, और स्‍थानों पर जाते हैं, अब इस स्‍थान पर भी जाएंगे और बाबा साहेब आंबेडकर ने कितना बड़ा योगदान किया था ये उनके ध्‍यान में आएगा।

बाबा साहेब आंबेडकर के माता-पिता रत्‍नागिरी जिले के Ambavade गांव में रहते थे, हमारे एक सांसद ने उस आदर्श गांव के लिए strike किया और महाराष्‍ट्र सरकार भी उसमें मदद कर रही है, जहां बाबा साहेब आंबेडकर के माता-पिता रहे, वो भी एक तीर्थ क्षेत्र के रूप में विकसित हो रहा है। और आज ये इंदु मिल में एक नए स्‍मारक का निर्माण और पांचवां लंदन में, जहां बाबा साहेब आंबेडकर रहते थे, वो भवन, अब हिंदुस्‍तान से कोई लंदन जाएगा, तो प्रेरणा का केंद्र बिंदु बनेगा, विश्‍व के लोग भारत के आर्थिक चिंतन को समझने के लिए लंदन में जो बाबा साहेब रहते थे, उस मकान के अंदर आ करके, अध्‍ययन करके, विश्‍व को, भारत के संबंध में समझ ले करके, अपनी बात बताने का उनको अवसर मिलेगा।

ये पंच-तीर्थ, ये पंच-तीर्थ निर्माण सिर्फ और सिर्फ हम भारतीय जनता पार्टी के समय में ही हुआ है और हम सब जानते हैं, मुझे राजनीति नहीं करनी है, लेकिन मेरे मन की पीड़ा मैं कहे बिना रह नहीं सकता हूं, क्‍या कारण है कि बाबा साहेब आंबेडकर की पार्लियामेंट में, जिस महापुरुष ने संविधान दिया, उस महापुरुष का तैल चित्र पार्लियामेंट में रखने के लिए वो सरकारें सहमत नहीं थीं। 90 में जब गैर-कांग्रेसी सरकार बनी, भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से बनी, तब जा करके बाबा साहेब आंबेडकर का तैल चित्र हिन्‍दुस्‍तान की पार्लियामेंट में लगा।

भारत रत्‍न, हम जानते हैं औरों को कब मिला, लेकिन बाबा साहेब आंबेडकर को भारत रत्‍न दिलाने के लिए नाकों दम आ गया और वो भी उन लोगों के द्वारा नहीं मिला। और इसलिए मैं कहता हूं कि देश में जिस प्रकार के एक सामंतशाही मानसिकता वाले लोग हैं, एक दलित के बेटे को स्‍वीकार करने के लिए कभी तैयार नहीं, और मैं, आज कई लोग यहां बैठे हैं, जिन्‍होंने अपना जीवन बाबा साहेब आंबेडकर के विचारों के पीछे खपा दिया है, मैं उनको भी आज कहना चाहता हूं, मेरी बात शायद कड़वी लगेगी, लेकिन ये बात करने का मैं साहस करता हूं, अगर हम दीर्घ दृष्‍टि के अभाव में बाबा साहेब को, अगर सिर्फ दलितों का बाबा साहेब बना देंगे तो उससे बड़ा बाबा साहेब को कोई अपमान नहीं होगा, कोई अन्‍याय नहीं होगा। बाबा साहेब न सिर्फ भारत के, विश्‍व के दलित, पीड़ित, शोषित, वंचितों की प्रेरणा का नाम बाबा साहेब आंबेडकर है। दुनिया मार्टिन लूथर किंग को तो जानती है, लेकिन दुनिया बाबा साहेब आंबेडकर को नहीं जानती है, ये हमारा दुर्भाग्‍य है और इसके लिए हम लोगों का दायित्‍व है, के विश्‍व बाबा साहेब आंबेडकर किस परिस्‍थिति में पैदा हुए, कैसे पले-बढ़े, और इतना जुल्‍म सहने के बाद, इतना अपमान सहने के बाद किसी भी व्‍यक्‍ति के मन में लबालब जहर भरा रहना, शायद कोई बुरा नहीं मानता। इतना अपमान झेलने के बाद कटुता होना, कोई बुरा नहीं मानता लेकिन ये बाबा साहेब आंबेडकर थे, जिंदगी के हर पल अपमान झेला, हर पल बाबा साहेब को संकटों से गुजरना पड़ा, लेकिन जब खुद को निर्णय करने के अवसर आए, कटुता का नामो-निशान नहीं था, बदले की भावना का नामो-निशान नहीं था, किसी को मैं बता दूंगा ये भाव नहीं था, इससे बड़ा महापुरुष कौन हो सकता है और इसलिए भाइयो-बहनों, मेरे जैसे लोग बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति वो श्रद्धा भाव से देखते हैं।

मैं तो खुद के लिए कभी सोचता था, कभी-कभी मेरे मन में विचार आता था के बाबा साहेब आंबेडकर न होते तो मोदी कहां होता? हम जैसे सामान्‍य लोगों को कौन पूछता? ये बाबा साहेब आंबेडकर हैं, जिसके कारण ये बातें संभव हुई हैं और इसलिए मैं कहता हूं हम जो कर रहे हैं, वो तो सिर्फ कर्ज चुकाने का एक प्रामाणिक प्रयास कर रहे हैं। इस महापुरुष ने जो किया है.. और इसलिए हम सबका दायित्‍व बनता है लेकिन बाबा साहेब ने जो हमें कहा है उससे हम अगर हटेंगे तो बाबा साहेब के साथ घोर अन्‍याय होगा। बाबा साहेब ने हमें कहा, शिक्षित बनो। दलित हो, शोषित हो, वंचित हो, गरीब हो, शिक्षा उसके जीवन का सबसे प्रमुख धर्म बनना चाहिए, जो बाबा साहेब ने हमें सिखाया। बाबा साहेब ने हमें सिखाया संगठित बनो।

आज मुझे खुशी है नितिन जी कह रहे थे कि दलित समाज के सभी, अलग-अलग दिशा में काम करने वाले आज सब लोग इकट्ठे हुए हैं। बाबा साहेब की इसलिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि यही है कि हम संगठित बने, हम एक बने और अन्‍याय के खिलाफ जब संघर्ष की बात आए तो उसके लिए भी हम तैयार रहे। यही हम लोगों को बाबा साहेब ने संदेश दिया है और इसलिए मेरे भाइयों-बहनों आज Indu mill में बाबा साहेब का जो स्‍मारक बन रहा है। मेरे मन में एक इच्‍छा है, मैंने अध्‍ययन तो नहीं किया है लेकिन जिस दिन मैंने जमीन दी थी उस दिन भी मैंने कहा था। आज architecture मिले तब भी मैंने कहा। मैंने कहा मुंबई या महाराष्‍ट्र में आया हुआ व्‍यक्‍ति जिन्‍दगी से तंग आया हो, परेशान हुआ हो तो यहां ऐसी जंद जगह बननी चाहिए कि वो घंटे भर वहां बैठे, एक शांति का अहसास लेकर के जाए, ऐसी जगह बननी चाहिए और इसलिए मैंने कहा जहां स्‍मारक बने वहां साथ-साथ, ये विशाल भूमि है, वहां एक घना जंगल बनाना चाहिए। इतने पेड़ लगाने चाहिए, इतनी हरियाली कर देनी चाहिए कि एक शांति की भूमि 60 फुट में बन जाए और ये बन सकता है। और मैं देवेन्‍द्र जी से आग्रह करूंगा कि ये स्‍मारक सिर्फ ईंट-माटी-पत्‍थर-चूने तक सीमित न रहे। वो तो भव्‍य होना ही चाहिए, दुनिया के लोगों के लिए अजूबा होना चाहिए। लेकिन इसको जन भागीदारी से जोड़ा जा सकता है क्‍या? महाराष्‍ट्र में 40 हजार गांव है। हर गांव से लोग आए और उनको जो बताया गया हो वो पौधा लेकर के आए और वहां पर हर गांव का एक पौधा लगे और वो गांव भी उसके लालन-पालन के लिए गांव समस्‍त की तरफ से एक रूपया, दो रुपया, पांच रुपया collect करके एक पेड़ लगाए और 11 हजार रुपया दान दे। आप देखिए कितनी बड़ी जन भागीदारी से काम हो सकता है। हर गांव को लगेगा कि चैत्‍य भूमि में, Indu mill के मैदान में जो स्‍मारक बना है, बाबा साहेब आंबेडकर के प्रति हमारे गांव की भी श्रद्धा है, हमारा भी एक पेड़ उस गांव में लगा है।

दूसरा, हिन्‍दुस्‍तान के सभी राज्‍यों से एक पेड़ मंगाया जाए, वो पेड़ भी लगाया जाए और दुनिया के सभी देशों से हर देश से एक पेड़ मंगवाया जाए और ये विश्‍व महापुरुष थे, उनका भी एक पेड़ लगाया जाए दुनिया का और वहां लिखा जाए। सारा विश्‍व Indu mill के इस हरियाली के साथ कैसे जोड़ा जाए। अगर हम नई कल्पना के साथ, जन सामान्‍य को जोड़ने के विचार के साथ स्‍मारक को बनाएंगे, हिन्‍दुस्‍तान में शायद कभी किसी महापुरुष का ऐसा स्‍मारक नहीं बना हो जहां पर 40 हजार गांव सीधे-सीधे जुड़े हों। ऐसा कभी नहीं हुआ होगा। ये हो सकता है और महीने भर हर सप्‍ताह गांव के लोग आते चले, वहां रहे, चैत्‍य भूमि जाए, देखे Indu mill जाए, जहां डिजाइन हो वही पर पौधा लगाए। जो पौधे का sample तय किया हो, वही लगाए। आप देखिए क्‍या से क्‍या हो सकता है और इसलिए ये अपने आप में प्रेरणा स्‍थल बनना चाहिए और इसलिए मैंने कहा, हम पंचतीर्थ निर्माण कर रहे हैं। ये पंचतीर्थ लोकतंत्र पर आस्‍था रखने वालों के लिए, संविधान को स्‍वीकार करने वाले लोगों के लिए, सामाजिक एकता के लिए जीने वालों के लिए वे तीर्थ क्षेत्र बनेंगे।

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भाइयों-बहनों कभी-कभी हम लोगों के खिलाफ झूठ फैलाना, अफवाहें फैलाना, लोगों में भ्रम पैदा करना इसके लिए टोली लगातार लगी रहती है, क्‍योंकि वो सहन नहीं कर पाते हैं कि ऐसे लोग कैसे आए गए। उन लोगों को मैं कहना चाहता हूं। आज हिन्‍दुस्‍तान में जिन राज्‍यों में सर्वाधिक दलित जनसंख्‍या है, जिन राज्‍यों में सर्वाधिक आदिवासी जनसंख्‍या है, जिन राज्‍यों में सर्वाधिक OBC जनसंख्‍या है, उनमें से अधिकतर राज्‍य ऐसे हैं, जहां के नागरिकों ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार को चुना है। महाराष्‍ट्र हो, हरियाणा हो, पंजाब हो, सबसे ज्‍यादा आदिवासी जनसंख्‍या महाराष्‍ट्र हो, गुजरात हो, राजस्‍थान हो, छत्‍तीसगढ़ हो, उड़ीसा हो, उड़ीसा हमारा NDA का partner है, हमारा झारखंड हो। अधिकतम! इसका मतलब हुआ कि बाबा साहेब आंबेडकर के साथ तत्‍वत: जुडकर के काम करने वाले कोई लोग है, तो हम लोग हैं और समाज के ये दलित पीड़ित शोषित आज हमें स्‍वीकार करते हैं। इसका ये जीता-जागता सबूत है।

दूसरा, जब भी हम सत्‍ता में आते हैं, जब भी चुनाव आता है, जब भी सरकार बननी होती है एक झूठ प्रचारित किया जाता है – भाजपा वाले आएंगे आरक्षण खत्‍म कर देंगे। अटल बिहारी वाजपेयी की जब सरकार बनी थी ऐसा ही बवंडर खड़ा कर दिया गया था। अटल जी की सरकार में बैठे लोग कह कहकर के थक गए, लेकिन ये झूठ फैलाने वाली टोली मुंह बंद करने को तैयार ही नहीं थी। फिर एक बार जब हम राज्‍यों में चुनकर के आते हैं, तो राज्‍यों में चालू कर देते हैं - आरक्षण हटा देंगे, आरक्षण हटा देंगे, आरक्षण हटा देंगे। फिर हमारी दिल्‍ली में सरकार बनी, फिर तूफान खड़ा कर दिया। बाबा साहेब आंबेडकर ने जो हमें दिया है, उसी ने देश को एक ताकत दी है और उस ताकत को कोई रोक नहीं सकता है, मेरे भाइयों-बहनों कोई रोक नहीं सकता है। और इसलिए मैं ऐसा भ्रम फैलाने वाले लोग, आज तक कोई राजनीतिक फायदा ले नहीं पाए हैं लेकिन समाज में वही वैमनस्‍य पैदा करते हैं, झूठ फैलाते हैं, समाज को भ्रमित करते हैं। मैंने, मैंने गरीबी देखी है, मैं उस दर्द को जी चुका हूं और मुझे मालूम है समाज की इस अवस्‍था में जीने वालों के लिए अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है, बहुत कुछ करना बाकी है और ये देश दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, गरीब, इनको छोड़ करके आगे नहीं निकल सकता है। और मेरी सरकार, मुझे जब संसद के अंदर नेता के रूप में चुना गया, संसद के अंदर नेता के रूप में चुना गया, अभी प्रधानमंत्री बना नहीं था, उस दिन मेरा भाषण है कि मेरी सरकार गरीबों को समर्पित है, गरीबों के कल्‍याण के लिए हम जीएंगे। देश में गरीबी को, गरीबी से मुक्‍ति चाहिए, गरीबी से मुक्‍ति के मार्ग अलग-अलग हो सकते हैं, हमारा मार्ग है, वो देश पूरी तरह जानता है और इसलिए भाइयो-बहनों ये अप्रचार बंद होना चाहिए, ये झूठ बंद होना चाहिए, समाज को आशंकित, भयभीत करने का खेल बंद होना चाहिए, इससे राजनीति नहीं होती। आइए, मिल-बैठ करके चलें। दलित, पीड़ित, शोषित, वंचित, गरीब, गांव का हो, उनको आगे बढ़ाए बिना देश कभी आगे बढ़ नहीं सकता। और इसलिए मेरे भाइयो-बहनों, इस मूलमंत्र को ले करके, समाज के सभी लोगों को साथ ले करके चलने का इरादा ले करके देश चल रहा है। राज्‍यों में जहां हमें सेवा करने का मौका मिला है, हम पूरे मनोयोग से काम कर रहे हैं। दिल्‍ली में हमें सेवा करने का मौका मिला है, जी-जान से जुटे हुए हैं और बदलाव ला करके रहेंगे, ये विश्‍वास में प्रकट करता हूं।

मेरे साथ बोलेंगे, मैं बोलूंगा, बाबा साहेब आंबेडकर, आप बोलेंगे अमर रहे, अमर रहे

बाबा साहेब आंबेडकर, अमर रहे, अमर रहे

बाबा साहेब आंबेडकर, अमर रहे, अमर रहे

बाबा साहेब आंबेडकर, अमर रहे, अमर रहे

26 नवम्‍बर भारत के संविधान का महत्‍वपूर्ण दिवस है। बाबा साहेब के जीवन का महत्‍वपूर्ण दिवस है और इसलिए भारत सरकार ने 26 नवम्‍बर को पूरे देश में संविधान दिवस के रूप में मनाना तय किया और हिन्‍दुस्‍तान के बच्‍चे-बच्‍चे को स्‍कूल-कॉलेज में ही संविधान क्‍या है? कैसे बना? क्‍यों बना? ये बात बताने का ये Regular व्‍यवस्‍था होनी चाहिए और इसलिए हमारी सरकार ने 26 नवम्‍बर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का तय किया है।

मैं फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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भारत में परंपरा का इनोवेशन से, अध्यात्म का विज्ञान से और जिज्ञासा का रचनात्मकता से मिलन होता है: पीएम मोदी
August 12, 2025
Quoteभारत में, परंपरा नवाचार से मिलती है, आध्यात्मिकता विज्ञान से मिलती है और जिज्ञासा रचनात्मकता से मिलती है; सदियों से, भारतीय आसमान को निहारते रहे हैं और बड़े प्रश्न पूछते रहे हैं: प्रधानमंत्री
Quoteलद्दाख में दुनिया की सबसे ऊंची खगोलीय वेधशालाओं में से हमारी एक वेधशाला है, समुद्र तल से 4,500 मीटर की ऊंचाई पर, यह वेधशाला सितारों के साथ हाथ मिलाने के लिए बहुत निकट है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteभारत वैज्ञानिक जिज्ञासा को पोषित करने और युवा प्रतिभाओं को सशक्त बनाने के लिए मज़बूती से प्रतिबद्ध है: प्रधानमंत्री
Quoteजब हम ब्रह्मांड का पता लगाते हैं, तो हमें यह भी पूछना चाहिए कि अंतरिक्ष विज्ञान पृथ्वी पर लोगों के जीवन को और कैसे बेहतर बना सकता है: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteभारत का अंतरराष्ट्रीय सहयोग की शक्ति में विश्वास है और यह ओलंपियाड उस भावना को प्रदर्शित करता है: प्रधानमंत्री

माननीय अतिथिगण, विशिष्ट प्रतिनिधिगण, शिक्षकगण, मार्गदर्शकगण और मेरे प्रिय प्रतिभाशाली युवा मित्रों, नमस्कार!

64 देशों के 300 से ज़्यादा चमकते सितारों से जुड़ना मेरे लिए बेहद प्रसन्‍नता की बात है। खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी पर 18वें अंतर्राष्ट्रीय ओलंपियाड के लिए मैं आपका भारत में हार्दिक स्वागत करता हूँ। भारत में: परंपरा का मिलन नवीनता से, अध्यात्म का मिलन विज्ञान से, और जिज्ञासा का मिलन रचनात्मकता से होता है । सदियों से, भारतीय आकाश का अवलोकन करते रहे हैं और बड़े सवाल पूछते रहे हैं। उदाहरण के लिए, पाँचवीं शताब्दी में आर्यभट्ट ने शून्य का आविष्कार किया था। वह यह कहने वाले पहले व्यक्ति भी थे कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है। वस्‍तुत:, उन्होंने शून्य से शुरुआत की और इतिहास रच दिया!

आज, दुनिया की सबसे ऊंची खगोलीय वेधशालाओं में से एक भारत में है, जो लद्दाख में है । समुद्र तल से 4,500 मीटर की ऊँचाई पर स्थित यह वेधशाला तारों से हाथ मिलाने के लिए काफ़ी निकट है! पुणे स्थित हमारा विशाल मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप दुनिया के सबसे संवेदनशील रेडियो टेलीस्कोपों में से एक है। यह हमें पल्सर, क्वासर और आकाशगंगाओं के रहस्यों को सुलझाने में मदद कर रहा है!

भारत स्क्वायर किलोमीटर एरे और लिगो-इंडिया जैसी वैश्विक मेगा-विज्ञान परियोजनाओं में गर्व से योगदान देता है। दो साल पहले, हमारे चंद्रयान-3 ने इतिहास रच दिया था। हम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने वाले पहले देश हैं। हमने आदित्य-एल1 सौर वेधशाला के माध्यम से सूर्य पर भी अपनी नज़रें गड़ा दी हैं। यह सौर ज्वालाओं, तूफ़ानों और सूर्य के मिजाज़ पर नज़र रखता है! पिछले महीने, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए अपना ऐतिहासिक मिशन पूरा किया। यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का और आप सभी जैसे युवा अन्‍वेषणकर्ताओं के लिए प्रेरणा ग्रहण करने का क्षण था।

मित्रों,

भारत वैज्ञानिक जिज्ञासा को बढ़ावा देने और युवाओं को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। अटल टिंकरिंग लैब्स में 1 करोड़ से ज़्यादा विद्यार्थी प्रायोगिक तरीके से एसटीईएम की अवधारणाओं को समझ रहे हैं। इससे सीखने और नवाचार की संस्कृति का सृजन हो रहा है। ज्ञान तक सबकी पहुँच सुगम बनाने के लिए, हमने वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन योजना शुरू की है। यह लाखों विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं तक निशुल्‍क पहुँच प्रदान करती है। आपको यह जानकर प्रसन्‍नता होगी कि एसटीईएम के क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी के मामले में भारत एक अग्रणी देश है। विभिन्न पहलों के तहत, अनुसंधान के क्षेत्र में अरबों डॉलर का निवेश किया जा रहा है। हम दुनिया भर से आप जैसे युवाओं को भारत में अध्ययन, शोध और सहयोग के लिए आमंत्रित करते हैं। हो सकता है कि अगली बड़ी वैज्ञानिक खोज ऐसी साझेदारियों की बदौलत ही हो!

मित्रों,

मैं आपको, आपके सभी प्रयासों में यह सोचने के लिए प्रोत्साहित करता हूं कि हम मानवता के हित में कैसे काम कर सकते हैं। जब हम ब्रह्मांड की खोज कर रहे हैं, तो यह भी सोचना जरूरी है कि अंतरिक्ष विज्ञान से पृथ्वी पर लोगों के जीवन को कैसे और बेहतर बनाया जा सकता है? किसानों को किस प्रकार और भी बेहतर मौसम पूर्वानुमान प्रदान किए जा सकते हैं? क्या हम प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी कर सकते हैं, क्या हम जंगल की आग और पिघलते ग्लेशियरों की निगरानी कर सकते हैं? क्या हम दूर-दराज के इलाकों के लिए बेहतर संचार व्यवस्था बना सकते हैं? विज्ञान का भविष्य आपके हाथों में है। यह कल्पना और करुणा के साथ वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने में है। मैं आपसे आग्रह करता हूँ कि आप पूछते रहिए कि "वहाँ पर क्या है?" और इस बात पर भी गौर कीजिए कि वह यहाँ पर हमारी कैसे मदद कर सकता है।

मित्रों,

भारत अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की शक्ति में विश्वास करता है। यह ओलंपियाड उसी भावना को दर्शाता है। मुझे बताया गया है कि ओलंपियाड का यह अब तक का सबसे विशालतम संस्करण है। इस आयोजन को संभव बनाने के लिए मैं होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च को धन्यवाद देता हूँ। ऊँचे लक्ष्य रखिए, बड़े सपने देखिए। और याद रखिए, भारत में, हम मानते हैं कि आकाश कोई सीमा नहीं है, यह तो बस शुरुआत है!

धन्यवाद।