मुझे जम्मू एवं कश्मीर का अक्सर दौरा करने के लिए सौभाग्य मिला है। यह भूमि मुझे अपनी तरफ़ खींचती है: प्रधानमंत्री
हमारा मंत्र “सबका साथ, सबका विकास” है। भारत के सभी भागों को विकसित करना होगा: प्रधानमंत्री मोदी
कश्मीर में आई बाढ़ के लिए मेरी माँ ने 5000 दान दिये थे: प्रधानमंत्री मोदी
हम पहले की तरह ही एक बार फिर कश्मीर को एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना चाहते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
भारत अब दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है: प्रधानमंत्री मोदी
भारत में भ्रष्टाचार कम हुआ है और पारदर्शिता बढ़ी है: प्रधानमंत्री मोदी
अटल जी कश्मीरियत, जम्हूरियत, इंसानियत का संदेश दिया करते थे: प्रधानमंत्री मोदी
भारत कश्मीरियत के बिना अधूरा है: प्रधानमंत्री मोदी
शीर्ष भारतीय क्रिकेटर जम्मू-कश्मीर में बने बल्ले का उपयोग करते हैं: प्रधानमंत्री मोदी
बुनियादी ढांचे के विकास के बिना पर्यटन का विकास नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर में पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा देने की काफ़ी गुंजाइश: प्रधानमंत्री
हमें हाइवेज (राजमार्गों) की जरूरत है। हमें आई-वेज़ की भी जरूरत: प्रधानमंत्री मोदी
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर के कल्याण के लिए राज्य को ₹ 80,000 करोड़ रुपये का पैकेज देने का निर्णय किया है: प्रधानमंत्री

विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

ये मेरा सौभाग्‍य है कि शायद किसी प्रधानमंत्री को सबसे ज्‍याद कश्‍मीर की धरती पर आने का सौभाग्‍य मिला हो, तो मेरा भी नाम उसमें जुड़ गया है। और कश्‍मीर मुझे खींच के ले आता है। मैंने कश्‍मीरियों के प्‍यार को अनुभव किया है। मैं जब भारतीय जनता पार्टी का संगठन का कार्य देखता था तब यहां बहुत बार आता था। दूर-सुदूर इलाकों में जाने का मुझे सौभाग्‍य मिलता था। और मैंने यहां के प्यार को अनुभव किया है। और यही प्‍यार है जब पिछले वर्ष बाढ़ के कारण चाहे जम्‍मू हो, चाहे कश्‍मीर हो - जब पीढ़ा महसूस करता था तो मैं भी दिल्‍ली में उतनी ही पीढ़ा महसूस कर रहा था जितनी की आप कर रहे थे। और उसी कारण मैं तुरंत चला आया था। उस समय की सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आपके दुख-दर्द को बांटने के लिए प्रयास किया था। 

जब दिवाली का त्‍यौहार आया, मेरे लिए दिल्‍ली में यार-दोस्‍तों के बीच दिवाली मनाना बड़ा सरल था। लेकिन मेरा मन कर गया कि जिस धरती में अभी-अभी आपदा से लोग गुजरे हैं, मैं दिवाली मनाने के बजाय अच्‍छा होगा कि मैं श्रीनगर चला जाऊं और मैं यहां चला आया था। जब यहां आपदा आई, उसी समय चीन के राष्‍ट्रपति भारत यात्रा पर आए थे। और उन्‍होंने डेट भी ऐसी चुनी थी कि वो 17 सितंबर को मेरे होम स्‍टेट गुजरात आना चाहते थे। और 17 सितंबर उन्‍होंने इसलिए पंसद की थी कि वो मेरा जन्‍मदिन था। और चीन के राष्‍ट्रपति बड़ी उमंग के साथ मेरा जन्‍मदिन मनाने के लिए योजना बना करके आए थे। लेकिन मैंने उस समय घोषित किया था कि कश्‍मीर में बाढ़ के कारण मेरे बंधु पीढि़त है, मैं जन्‍मदिन नहीं मना सकता। और मैंने उनका स्‍वागत किया, सम्‍मान किया, पर जन्‍मदिन मनाने से मना किया। मैं मेरी मां के पैर छूने गया था, आर्शीवाद लेने गया थ। मेरा जो सामाजिक बैकग्राउंड है, जिस अवस्‍था से मैं पैदा हुआ पला-बढ़ा तो मेरी मां ने, पहले जब भी जन्‍मदिन पे जाता था तो कभी वो मुझे सवा रुपया देती थी आर्शीवाद में, कभी 5 रुपया देती थी। ज्‍यादा से ज्‍यादा 11 रुपया देती थी। 11 रुपए से ज्‍यादा मेरी मां ने मुझे नहीं दिया। लेकिन उन दिन जब मैं गया तो मैं हैरान था। और ये संस्‍कार है, ये भावना हैं जो मेरी रगों में भरी हुई है। मेरी मां ने मुझे - मेरे लिए भी आश्‍चर्य था 5000 रुपया दिया मेरे जन्‍मदिन पर - और मां ने कहा “बेटे, ये पैसे कश्‍मीर के बाढ़ पीढि़तों के लिए ले जाना।“ ये संस्‍कार की ताकत है जो मुझे आपके दुख-दर्द को बांटने के लिए प्रेरणा भी देती है, ताकत भी देती है।

आपका प्‍यार मेरा हौसला बुलंद बनाए रखता है। और जिस मंत्र को ले करके हमने शासन व्‍यवस्‍था को संभाला है वो मंत्र है - ‘’सबका साथ-सबका विकास’’। अगर हिन्‍दुस्‍तान को कोई कोना न साथ हो तो मेरा सपना अधूरा रहता है। और हिन्‍दुस्‍तान का कोई कोना विकास से वंचित रहे तो भी मेरा सपना पूरा नहीं होता है। और इसलिए हिन्‍दुस्‍तान का हर कोना, हिन्‍दुस्तान का हर भू-भाग, हिन्‍दुस्‍तान का जन-जन - उनका हमें साथ चाहिए और हर कोने का हर जन का विकास चाहिए। और इस सपने को पूरा करना है तो मुझे भी जम्‍मू कश्‍मीर में वो दिन लौटा के लाने है जहां हिन्‍दुस्‍तान इस सर-जमीन पर आने के लिए पागल हुआ करता था। इस मिट्टी को माथे पर लगाने के लिए वो लालायित होता था। अगर थोड़े से पैसे भी बच जाए तो परिवार का एक सपना होता था कि इस छुट्टियों में कश्‍मीर चले जाएंगे। चाहे वो केरल हो, तमिलनाडु हो, असम हो, नागालैंड हो, महाराष्‍ट्र हो, गुजरात हो। हर परिवार का एक सपना हुआ करता था कि पैसे बचाओ, अगली साल कश्‍मीर जाने का कार्यक्रम बनाएंगे। वो दिन मुझे लौटा के वापस लाने है।

सवा सौ करोड़ देशवासियों में फिर से मुझे वो उमंग पैदा करना है, वो इच्‍छा को पैदा करना है ताकि वे कश्‍मीर की वादियों में आ करके आपके प्‍यार को अनुभव करें, आपकी सेवा को अनुभव करें और प्रकृति ने जो जन्‍नत बनाई है उस जन्‍नत को जीते जी जीने का एहसास करें ये मेरा सपना ले करके मैं चल रहा हूं। कौन कहता है कि संकटों के साथ के बाद भी उभरा नहीं जा सकता? मैं उस विश्‍वास के साथ जीने वाला इंसान हूं, और मैंने अपने जीवन में देखा संकट कितने ही गहरे क्‍यों न हो लेकिन एक जज्‍बा होता है जो संकटो को परास्‍त करना है और जीने की आस पैदा कर देता है।

2001 में जब गुजरात में भयंकर भूकंप आया, मौत की चादर ओढ़ करके हम सोए थे। सारी दुनिया ने मान लिया था कि अब गुजरात खड़ा नहीं हो सकता है। हजारों लोग मर चुके थे, लाखों घर तबाह हो चुके थे, पूरी अर्थव्‍यवस्‍था चरमरा गई थी, और सबसे बड़ी बात सपने चूर-चूर हो चुके थे। आंसू पोंछने वाला कोई बचा नहीं था। उन दिनों को मैंने देखा था, लेकिन मन में ठान ली थी कि इस स्थिति से मुझे गुजरात को बाहर निकालना है। और भाईयो, बहनों दुनिया कहती है, वर्ल्‍ड बैंक कहती है कि ऐसे भयंकर भूकंप के हादसे के बाद अगर उस राज्‍य को चारों तरफ से मदद मिल जाए तो भी बाहर निकलने में 7 साल से कम समय नहीं लगता है। लेकिन भाइयो, बहनों, हमने जिस प्रकार से एक के बाद एक योजनाओं को ले करके चल पड़े, 3 साल के भीतर-भीतर भूकंप ग्रस्‍त इलाका दौड़ने लग गया था और विकास की नई ऊंचाइयों को पार करने लगा था। जो कच्‍छ, भुज भयंकर भूकंप से पीडि़त था, वो आज हिंदुस्‍तान के सबसे तेज गति से दौड़ने वाले जिलों में उसने अपना नाम दर्ज करा दिया है। और इसलिए मैं कहता हूं - कश्‍मीर ने बहुत कुछ झेला है, अनेक संकटों से गुजरा है। दो-दो पी‍ढ़ी उन नौजवानों के सपने चूर-चूर हो चुके हैं। ये सारी बातों को जानते हुए भी मैं उस विश्‍वास को ले करके निकला हूं कि मेरा कश्‍मीर फिर से एक बार वो ही जन्‍नत, वो ही जज्‍बा, वो ही खुशहाली, वो दिन मैं अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं। और मैं सिर्फ सपने देखता हूं, ऐसा नहीं, उन सपनों को साकार करने के लिए एक के बाद एक कदम उठा करके, उन चीजों को साकार करने के लिए, जन-जन का साथ ले करके सफलतापूर्वक आगे बढ़ने का प्रयास कर रहा हूं।

17 महीने पहले हिंदुस्‍तान का कोई भी अखबार उठा लीजिए, किसी भी टीवी चैनल का डिबेट YouTube पर जा करके निकाल कर देख लीजिए, विश्‍व की कोई भी एजेंसी हो, उनकी आवाज सुन लीजिए, एक ही स्‍वर था कि अब भारत बर्बाद हो चुका है, भारत बच नहीं सकता है। भारत तबाही की कगार पर पहुंच चुका है। आर्थिक स्थिति, भ्रष्‍टाचार, कुशासन, भाई-भतीजावाद, न जाने कितनी बीमारियों ने भारत को तबाह करके रखा है। 17 महीने पहले हर पल हमारे कान में ये ही गूंज रहती थी। लेकिन आज 17 महीने के भीतर-भीतर सारी दुनिया में बड़े देशों में तेज गति से आगे बढ़ने वाली Economy में हिंदुस्‍तान ने अपना नाम दर्ज करा दिया है।

कभी भारत की तुलना चीन से कोई करने की हिम्‍मत नहीं करता था। क्योंकि चीन हमसे काफी आगे निकल चुका था। आज भारत की विकास की कोई भी चर्चा होती है, आर्थिक विकास की चर्चा होती है तो हर बार चीन के साथ तुलना होती है और इन दिनों बार-बार बात आती है अब तो भारत चीन से भी आगे निकल गया, ये 17 महीने में हो सकता है।

मैं आज ये रिपोर्ट पढ़ रहा था अभी आते-आते, एक regularly हर वर्ष एक रिपोर्ट आता है - Transparency International. विश्‍व के देशों में कौन देश हैं जहां भ्रष्‍टाचार की क्‍या स्थिति है? क्‍या भ्रष्‍टाचार बढ रहा है, कम हो रहा है? इन सारे हिसाब-किताब करते हैं। मैंने आज ये रिपोर्ट पढ़ी - पिछले 50 साल में पहली बार भारत - और उन्‍होंने तुलना की है कि हमेशा चीन इस विषय में अच्‍छी इज्‍जत थी और भारत से आगे माना जाता था - पहली बार पारदर्शिता के संबंध में, भ्रष्‍टाचार से मुक्ति पाने की दिशा में, भ्रष्‍टाचार को खत्‍म करने की दिशा में भारत चीन से दस पैदरी पर आगे सफलतापूर्वक पार कर गया है। दुनिया में पहले हमारा नम्‍बर 95 पर था, अभी जो रिपोर्ट आया, पारदर्शिता लाने के कारण, भ्रष्‍टाचार को खत्‍म करने की दिशा में अहम कदम लेने के कारण हम 95 से 85 पर पहुंच गए हैं। 17 महीने में भ्रष्‍टाचार के खिलाफ इतनी बड़ी लड़ाई लड़के आगे निकलना, ये हिंदुस्‍तान करके दिखाता है। एक बार हिंदुस्‍तान फैसला करे, कर लेता है।

भाइयों, बहनों जो हिंदुस्‍तान का स्‍वभाव है, कश्‍मीरी का अलग नहीं हो सकता है। वो ,भी और जैसे अभी मुफ्ती साहब कह रहे थे, यहां के लोगों में ताकत है जज्‍बा है। थोड़ा सा अगर व्‍यवस्‍था मिल जाए तो अपने-आप कश्‍मीर को नई ऊचाइंयों पर ले जाने की ताकत रखते हैं। मुझे मुफ्ती साहब की बात पर भरोसा है, मुझे आप पर भरोसा है, वरना 20 साल तक लगातार इतनी यातनाएं झेलने के बाद भी ये माहौल कभी नजर नहीं आ सकता था, ये इस बात का सबूत है। ये इस बात का सबूत है कि आपके भीतर वो कौन सा जज्‍बा है, वो कौन सी ताकत है और कश्‍मीर को आगे बढ़ाने के लिए आप किस कद्र लालायित हैं।

भाइयो-बहनों, हमें अटल जी के नक्‍शे-कदम पर चलना है। कश्‍मीर के लिए मुझे दुनिया के किसी की advise की आवश्‍यकता नहीं है, मुझे किसी के analysis की आवश्‍यकता नहीं है। इसी धरती पर, इसी मंच पर अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जो बात कही थी, इससे बड़ा कोई संदेश नहीं हो सकता। उन्‍होंने तीन मंत्र दिए थे- उन्‍होंने कहा था “कश्‍मीरियत, जमूरियत और इन्‍सानियत”। मैं आज भी इसी बात को मानता हूं कि कश्‍मीर के विकास का रास्‍ता इन तीन pillar पर खड़ा होना है। इसी को मजबूती देनी है।

जब “जमूरियत” की बात वाजपेयी जी करते थे, क्‍या कभी किसी ने सोचा था, इतने कम समय में कश्‍मीर के लोग जमूरियत को इतना बल दें और लोकसभा के चुनाव में, विधानसभा के चुनाव में कितना भारी मतदान किया? और आज जब मुफ्ती साहब कह रहे हैं मैं पंचायतों को अधिकार देना चाहता हूं, ये ही तो वो अटल जी वाली जमूरियत है। वो ही तो जमूरियत है। एक-एक गांव का पंच होगा, पंच के पास अधिकार होगा। वो अपने फैसले कर पाएगा और सरकार उसको हाथ पकड़ करके जो मदद चाहिए, मदद करती रहेगी। हमारा एक-एक गांव कितना ताकतवर बनेगा। ये जमूरियत की कसौटी पर वाजपेयी जी ने जो सपना देखा था कश्‍मीर के लोगों ने पूरा करके दिया है। और इसलिए मैं उस महापुरूषों के शब्‍दों के लिए आज कश्‍मीर के मेरे लाखों बहनों-भाईयों को शत-शत नमन करता हूं। मैं उनका अभिनंदन करता हूं, उन्‍होंने जम्‍मूरियत को यह ताकत दी है।

भाईयों-बहनों “कश्‍मीरियत” के बिना हिंदुस्‍तान अधूरा है सिर्फ कश्‍मीर ही नहीं। और इसलिए उस कश्‍मीरियत, जो भारत की आन-बान-शान है, अगर किसी को सच्‍ची बिनसाम्प्रदायिकता हो तो इसी की धरती से ही तो निकली थी। वो सूफी परंपरा कहां से आई थी? इसी धरती से आई थी, जिसने जोड़ना सिखाया। सम्बन्ध बनना सिखाया। और वो ही परंपरा, वही तो हमारी कश्‍मीरियत है।

और दुनिया कितनी ही बदल क्‍यों न जाए इंसान आसमान में घर बनाने की ताकत बना लें लेकिन “इंसानियत” के बिना कुछ भी आगे नहीं बढ़ सकता है। और इसलिए जिन्‍दगी कितनी ही आगे क्‍यों न बढ़े, technology हमें कहां से कहां पहुंचा दे, आर्थिक प्रभुसपंदा हमें कितनी ही नई ऊंचाइयों पर क्‍यों न ले जाए लेकिन इंसानियत का, हमारे भीतर की जो आत्‍मा है वो ही जीने के लिए, औरों के जीने के लिए, सबके जीने के लिए एक प्रेरणा देता है, ताकत देता है और इसलिए “कश्‍मीरियत, जम्‍मूरियत और इंसानियत” - इसी दायरे को लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

भाइयों-बहनों पिछले दिनों मुझे मु्फ्ती साहब से बहुत बातें करने का अवसर मिला। हमारे निर्मल सिंह जी से बहुत बातें करने का अवसर मिला है। हमारे डागो अनेक मंत्रियों को लेकर के बार-बार आते रहते हैं, अनेक विषयों से मुझे परिचित करवाते रहते हैं और उन सबसे बातें करते-करते विकास का एक जो खाका मन में बना है, उसको हमें समय सीमा में पूरा करना है। मेरे लिए पहली आवश्‍यकता है, पिछली बाढ़ में जिन किसानों को परेशानी हुई, व्‍यापार को जो नुकसान हुआ, घरों को जो नुकसान हुआ, प्राथमिक सुविधा की जो व्‍यवस्‍थाओं को नुकसान हुआ - जल्‍द से जल्‍द उसको पूरा करना और हर परिवार को संकट से बाहर लाना। और उसके लिए हमने पहले भी, मैंने पहले दिन आकर के एक हजार करोड़ घोषित किया था। बाद में भी जैसी जरूरत पड़ी देते रहे और आज भी उस काम को पूरा करने में जम्‍मू-कश्‍मीर सरकार के साथ दिल्‍ली कंधे से कंधा मिलाकर के चलेगा, ये मैं मेरे जम्‍मू-कश्‍मीर के भाई-बहनों को विश्‍वास दिलाता हूं। लेकिन सिर्फ आंसू पोंछ ले, उसका घर ठीक कर ले, अब दुकान ठीक हो जाए - इतने से कश्‍मीर की बात बनती नहीं है। वो तो एक संकट था, उसके लिए तो करना ही करना है लेकिन वहां अटकने से बात बनती नहीं है। मुझे तो बहुत आगे जाना है, बहुत आगे ले जाना है।

और इसलिए हमारे सामने सबसे बड़ा काम जो मुझे लगता है, वो है – जम्‍मू कश्‍मीर और लद्दाख के नौजवानों को रोजगार। हमारी सारी समस्‍याओं का समाधान हमारे नौजवानों के रोजगार में है। उन्‍हें काम का अवसर मिलना चाहिए और मैं आज कश्‍मीर के नौजवानों को बधाई देना चाहता हूं और पूरा भारत गर्व करे - आज हिन्‍दुस्‍तान में जो कोई मुझे सुनता हो इस खबर शायद आप तक पहुंचाने के लिए और लोगों ने मदद नहीं की होगी, मैं पहुंचाना चाहता हूं।

पिछले दिनों देखिए आप, कश्‍मीर के नौजवान आईएएस की परीक्षा हो, आईपीएस की परीक्षा हो, आईआईटी हो, आईआईएम हो जिसके लिए हिन्‍दुस्‍तान के और इलाके के लोग प्रवेश पाने के लिए पता नहीं उनको क्‍या-क्‍या करना पड़ता है। लेकिन पिछले कुछ समय से हर वर्ष कश्‍मीर के नौजवान सबसे उत्‍तम प्रदर्शन करते हैं और आईएएस, आईपीएस कैडर में आ रहे हैं, आईआईटी में दिखते हैं, आईआईएम में दिखते हैं। ये ताकत कश्‍मीर के नौजवान में है जिसे मैं भली भांति पहचानता हूं, दोस्तों। और जिसे मैं पहचानता हूं उसके लिए मैं सब कुछ करने के लिए तैयार हूं। कैसे होनहार नौजवान है!

मुझे कभी ये स्‍टेडियम में पहले भी आया था तब भी मेरे मन में विचार आया था। 30 साल पहले इस स्‍टेडियम में मैच खेला गया था। जिस प्रदेश के पास परवेज़ रसूल हो, उस प्रदेश में आज एक इंटरनेशनल मैच क्‍यों नहीं होना चाहिए? क्रिकेट में हमारा परवेज़ नाम कमा रहा है, आगे बढ़ रहा है वो लड़का, गर्व होता है हमें, इस स्‍टेडियम में हम वो सपना क्‍यों न देखे कि यही पर फिर से एक बार इंटरनेशनल क्रिकेट मैच शुरू हो जाए और देश दुनिया देखे? दुनिया में हमारे सचिन तेंदुलकर हो, युवराज हो, सहवाग हो, धोनी हो, कोई भी नाम ले लीजिए। अगर उन्‍होंने छक्‍के मारे हैं न तो बैट तो मेरी कश्‍मीर की धरती से बना हुआ था। यहां की तो लकड़ी है जो उत्‍तम से उत्‍तम बैट बनाती है। ये ताकत है यहां और उस ताकत को बल देना.. और इसलिए भाइयों-बहनों मैं जिस विकास के चित्र को लेकर के चर्चा करता रहा, पिछले लंबे समय से। उसमें मेरी प्राथमिकता यह है कि यहां पर विकास का वो मॉडल बने जो हमारे नौजवान को रोजगार दे, जैसे Tourism, यहां का मुख्‍य क्षेत्र है।

अब Tourism में आज जो हमारी व्‍यवस्‍था है, इसको अगर हम आधुनिक नहीं बनाते, हमारा infrastructure ठीक नहीं करते तो Tourism बढ़ नहीं सकता है। आज हिन्‍दुस्‍तान से करीब पौने दो करोड़ लोग - और वो कोई अमीर घराने के नहीं है, मध्‍यम वर्ग, उच्‍च मध्‍यम वर्ग के हैं - वे vacation में पांच दिन, सात दिन के लिए विदेश चले जाते हैं भ्रमण करने के लिए। भले ही दुबई जाते होगे, लेकिन जाते हैं विदेश। क्‍या हम कोशिश नहीं कर सकते हैं कि हिन्‍दुस्‍तान के पौने दो करोड़ लोग जो बाहर जाते हैं कम से कम पांच percent, ये तो तत्‍काल मेरे कश्‍मीर में लौट आए? आप देखिए, यहां का Tourism कितना बढ़ जाएगा। आज विदेश के टूरिस्‍ट 40-50 हजार के आसपास रहते हैं। विदेश के टूरिस्‍ट पांच लाख कैसे बनेंगे? 12 महीने यहां पर Adventure-Tourism के लिए स्‍कोप है, यहां Eco-Tourism के लिए स्‍कोप है। यहां पर सैर करने के लिए शौक से आने वाले लोगों के लिए Tourism का अवकाश है। हमारा डल lake, हमारी सारी boat पहले कैसे-कैसे अवसर होते थे, टूरिस्‍टों को engage करने के लिए, उनको बढ़ावा देने के लिए। उन सबको फिर से कैसे चालू किया जाए? हमारे ही प्रदेश में और कई तीन-चार ऐसे इलाके तो मेरे ध्‍यान में है कि जहां पर हम नए tourist destination develop कर सकते हैं। बहुत बड़ी मात्रा में infrastructure के द्वारा उसको हम विकास करा सकते हैं। और इसलिए मैं उन विकास के मॉडल की ओर जाना चाहता हूं जो हमारी परंपरागत ताकत है उसको बल देना चाहता हूं।

हमने पश्‍मीना, केसर, हमारे Apple उसको विशेष प्राधान्‍य दिया है। पश्‍मीना को बल मिले, ग्‍लोबल मार्किट मिले। हमारा केसर, उसको ग्‍लोबल मार्किट मिले, उसके लिए हम व्‍यवस्‍थाएं करें। उसका ट्रेडमार्क develop हो, उसका पैकेजिंग दुनिया को लुभाने वाला बने। हमारे लोकल नौजवानों को, हमारे किसान को, गांव में रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराएगा। और इसलिए एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर जिसमें बहुत बड़ा potential, जो अन्‍य प्रदेशों को सौभाग्‍य नहीं है, वो कश्‍मीर को है। हम उसको बल देना चाहते है।

हम infrastructure को बल देना चाहते हैं। अगर आज जम्‍मू से श्रीनगर आना है और 9 घंटे, 10 घंटे, 11 घंटे लग जाते हैं तो tourist भी 50 बार सोचेगा कि यार क्‍या जाउंगा, बात नहीं बनती है। हमारे नितिन जी के नेतृत्‍व में जम्‍मू से श्रीनगर का रास्‍ता और हमारी कोशिश है कि आने वाले ढाई साल के भीतर-भीतर हम ये काम पूरा कर दे। 34,000 करोड़ रुपया जम्‍मू-श्रीनगर का एक नया हम जो मार्ग दे रहे हैं उस पर लगा रहे हैं और उसके कारण जम्‍मू से श्रीनगर आने में आज 9 घंटे, 10 घंटे, 12 घंटे लग जाते हैं वो साढ़े तीन-चार घंटे में पहुंच पाएगा व्‍यक्‍ति और Tunnel बनाने के कारण करीब 65-70 किलोमीटर रास्‍ता कम हो जाएगा।

आप कल्‍पना कर सकते हैं कि विकास को कितनी नई ऊंचाइयां मिल सकती है। हम रेल ट्रेक और बलवान बनाना चाहते हैं। मुफ्ती साहब ने कहा, China में बन सकता है, यहां क्‍यों नहीं। बन सकता है, कश्‍मीर की धरती पर भी बन सकता है। और इसलिए मेरे भाईयों बहनों बिजली हो, पानी हो, सड़क हो, साथ-साथ अब सिर्फ हाईवे से चलने वाला नहीं है। हाईवे की एक जरूरत है उसके बिना चलना नहीं है, लेकिन सिर्फ हाईवे से भी नहीं चलना है। और इसलिए i-ways की भी जरूरत है। और इसलिए हमारा लक्ष्‍य highways का भी है, i-ways का भी है। Information ways - Optical Fiber Network, Digital Network विश्‍व के साथ जुड़ने के लिए हमारे मोबाइल फोन पर दुनिया हो, वो नेटवर्क कश्‍मीर की धरती पर मिलना चाहिए। और जो नोटिस आप कॉलसेंटर की बात करते थे जिसके कारण नौजवान को रोजगार मिले। यहां का नौजवान बड़ी आसानी से अंग्रेजी बोल लेता है थोड़ी सी पढ़ाई करे वो अंग्रेजी में तैयार हो जाता है। अगर हम कॉल सेंटर का नेटवर्क खड़ा करते हैं, हमारे नौजवान को यहीं पर रोजगार मिल सकता है और उसको हम बल देना चाहते हैं।

उसी प्रकार से बुर्जगों के लिए, बीमारी हो, अच्‍छे दवाखानों का नेटवर्क हो, दवाईयां उपलब्‍ध हो, हमारे अस्‍पताल बनें, छोटी जरूरत हो छोटा, बड़े की जरूरत हो बड़ा बने। चाहे जम्‍मू हो, चाहे लद्दाख हो, चाहे श्रीनगर हो – हमने आधुनिक एम्‍स अस्‍पताल उसको बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिसका लाभ जम्‍मू को भी मिलेगा, श्रीनगर को भी मिलेगा। हम IIT शुरू करना चाहते हैं, IIM शुरू करना चाहते हैं, ताकि हमारे नौजवान को उत्‍तम से उत्‍तम शिक्षा मिले और सस्‍ते से सस्‍ती शिक्षा मिले। यह उत्‍तम से उत्‍तम शिक्षा और सस्‍ते से सस्‍ती शिक्षा और वो भी ग्‍लोबल लेवल की। अब हरेक के नसीब में इसे ऊंचाईयों तक जाना तो संभव नहीं होता। छोटे परिवार के छोटे लोग भी होते हैं। उनको क्‍या किया जाए?

Skill Development का हम अभियान चलाए, यहां का जो handicraft उसको नए सिरे से डिजाइनिंग मिले, नये Talent ग्‍लोबल मार्केट में कौन से डिजाइन चाहिए, उस डिजाइन से उसकोकाम मिले। उस पर हम बल देना चाहते हैं। Skill Development भी हमारा जो Handicraft है उसमें Technology की involvement से speed कैसे बढ़ा सकते हैं, Quality कैसे improve कर सकते हैं, wastage कैसे बचा सकते हैं, packaging कैसे बदल सकते हैं, ब्रांडिग कैसे कर सकते है, ग्‍लोबल मार्किट कैसे एक्‍वायर कर सकते है - उसकी पूरी चेन बना करके। हम हमारे जो handicraft है, उसको बल देना चाहते है।

और इसलिए भाईयों-बहनों अच्‍छी शिक्षा, ह्यूमेन रिर्सास डेवलपमेंट के लिए बल, बुर्जुगों के लिए स्‍वास्‍थ्‍य के लिए व्‍यवस्‍थाएं ताकि उनकी आवश्‍यकताएं पूरी हो। गांव और किसान के लिए यहां की जो पैदावर है उसको बल, नौजवान को रोजगार के लिए अवसर इन बातों को ले करके हम चल रहें है। और उस सपने को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने जम्‍मू कश्‍मीर के लिए 80 हजार करोड़ रुपये का पैकेज देने का घोषित किया है।

80 हजार करोड़ रुपये का पैकेज मेरे नौजवानों मेरी दिली इच्‍छा है मेरे नौजवानों मेरी दिली इच्‍छा है ये 80 हजार करोड़ रुपया आपके भाग्‍य को बदलने के लिए काम आना चाहिए। कश्‍मीर के नौजवान को ताकत देने के लिए पैसा काम आना चाहिए। एक नया कश्‍मीर, एक आधुनिक कश्‍मीर, एक प्रगतिशील कश्‍मीर बनाने के लिए ये 80 हजार करोड़ रुपया लगना चाहिए। ये सपना ले करके मैं आपके पास आया हूं और मेरे भाईयों-बहनों इसे आप, इसे आप पूर्ण विराम मत समझना - ये 80 हजार करोड़ को पूर्ण विराम मत समझना, ये तो सिर्फ शुरुआत है। जो बातें मैंने बताई उसको करके दिखाइए। ये दिल्‍ली का खजाना आपके लिए है। ये दिल्‍ली का खजाना आपका है और दिल्‍ली का खजाना नहीं ये दिल भी आपके लिए है मेरे भाईयों-बहनों।

मैं लद्दाख के भाईयों का विशेष रूप से आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं कि पिछले दिनों जो चुनाव हुआ हिल काउंसिल में हमारे एमपी साहब और उनकी पूरी टीम को जम्‍मूरियत का जो बल मिला और पूर्ण बहुमत के साथ जो बॉडी बनाया उसके लिए लद्दाख के भाईयों को भी, मैं आज कश्‍मीर की धरती पर आया हूं, हृदय से अभिनंदन और आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं। भाईयों-बहनों ये विकास जम्‍मू हो, कश्‍मीर वेली हो, या लद्दाख हो। हर एक की आवश्‍यकता के अनुसार विकास को प्राथमिकता दे करके आगे बढ़ाने की मेरी चर्चा मुख्‍यमंत्री जी और वित्‍त मंत्री के साथ हुई है। और उसी की तरह उसको आगे बढ़ाया जाएगा। मैं फिर एक बार कश्‍मीर की धरती को नमन करता हूं, आप सबको शुभकामनाएं देता हूं और नौजवानों के भरोसे से एक नया कश्‍मीर, एक नया ताकतवर कश्‍मीर उसे बनाने के लिए आगे बढ़े। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।