नोएडा पूरी तरह से एक नया रूप ले चुका है, वह अब विकास और युवाओं के लिए रोजगार के अवसर उपलब्धक कराने के रूप में पहचाना जाता है: प्रधानमंत्री मोदी
देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा उत्त र प्रदेश के जेवर में बनाया जा रहा है, इसके बन जाने से न केवल लोगों को सुविधा होगी बल्कि यह आर्थिक रूप से भी राज्या के लिए फायदेमंद होगा: पीएम मोदी
‘एक विश्व, एक सूर्य और एक ग्रिड’ हमारा सपना है: प्रधानमंत्री

मेरी बात प्रारंभ करने से पहले मैं तीन बार भारत माता की जय का जयकारा बुलवाऊंगा। और मेरा आपसे आग्रह है कि दोनों हाथ ऊपर उठाकर, मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से जयकारा बोलें ताकि सीमा पर जो हमारा जवान खड़ा है, उसको भी लगे कि नोएडा उसके साथ है, हिन्‍दुस्‍तान उसके साथ है।

मैं तीन बार जयकारा बुलवाऊंगा

पराक्रमी भारत के लिए

भारत माता की – जय

विजयी भारत के लिए

भारत माता की – जय

वीर जवानों के लिए

भारत माता की – जय

उत्‍तर प्रदेश के यशस्‍वी और लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री श्रीमान योगी आदित्‍यनाथ जी, केन्‍द्र में मंत्रिपरिषद के मेरे सहयोगी श्रीमान महेश शर्मा जी, और इस कार्यक्रम के साथ बिहार में बक्‍सर के लोग भी जुड़े हुए हैं, और बक्‍सर में हमारे देश के ऊर्जा मंत्री श्रीमान आर.के.‍ सिंह जी, बक्‍सर में उपस्थित हमारे मंत्री श्रीमान अश्विनी चौबे जी, विधायक श्री तेजपाल नागर जी, विधायक पंकज सिंह जी, बहन बिमला सोलंकी जी, विरेन्‍द्र सिंह जी, विजेन्‍द्र सिंह जी और भारी संख्‍या में पधारे हुए ऊर्जावान भाइयो और बहनों-आपका जोश देखते ही बनता है। ये आपका उमंग, ये प्‍यार मेरी सिर-आंखों पर।नोएडा के मेरे प्‍यारे भाइयो-बहनों, आप यहां मोदी-मोदी कर रहे हैं और वहां कुछ लोगों की नींद हराम हो रही है।

साथियो, वो भी कुछ दिन थे जब नोएडा, ग्रेटर नोएडा की पहचान सरकारी धन की लूट, अथॉरिटी और टेंडर में होने वाले नए-नए खेल, जमीन आवंटन में होने वाले घोटालों की वजह से बनी। जब भी नोएडा की बात आती थी तो पहले ऐसी ही खबरें आया करती थीं। ऐसा होता था कि नहीं? आपको बुरा तो नहीं लगा ना- मैं कह रहा हूं? ये सच्‍चाई है कि नहीं है? अब आज नोएडा, ग्रेटर नोएडा की पहचान विकास और परियोजनाओं, रोजगार के नए अवसरों से है। मेरा देश, मेरा उत्‍तर प्रदेश वाकई बदल रहा है, आगे बढ़ रहा है।

भाइयो और बहनों, नोएडा आज Make in India के बड़े hub के तौर पर विकसित हो रहा है। आज भारत दुनिया में मोबाइल फोन बनाने में दूसरे नंबर पर पहुंचा है, उसमें नोएडा की बहुत बड़ी भूमिका है। 2014 से पहले मोबाइल फोन बनाने वाली सिर्फ दो फैक्‍टरियां देश में थीं और आज करीब-करीब सवा सौ फैक्‍टरियां देश में मोबाइल फोन बना रही हैं। कहां 2 और कहां 125, इसमें से बड़ी संख्‍या मैं फैक्‍टरियां हमारे इस नोएडा में हैं। मोबाइल के अलावा टीवी, फ्रिज जैसेदूसरेelectronics items की भी अनेककम्‍पनियां यहां पर हैं। इन सभी ने युवा साथियों के लिए लाखों नए रोजगार के अवसर बनाए हैं।

साथियो, आज मैं नोएडा में आपके जीवन को आसान बनाने वाली परियोजना समर्पित करने के लिए आपके बीच मौजूद हूं।इसके साथ-साथ पश्चिम उत्‍तर प्रदेश और बिहार को रोशन करने वाली महत्‍वपूर्ण परियोजनाओं का भी थोड़ी देरपहले शिलान्‍यास किया गया है। नोएडा सिटी सेंटर से नोएडा इलेक्‍ट्रॉनिक सेंटर तक चलने वाली मेट्रो के लिए मैं यहां के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

सा‍थियो, यहां की connectivity को और सुधारने के लिए जेवर में, जेवर में देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा बनने जा रहा है। इससे जुड़ी तमाम प्रक्रियाओं को तेज गति से पूरा किया जा रहा है और इlसे नोएडा की air connectivity दूसरे शहरों से जुड़ जाएगी और अब दिल्‍ली जाने की जरूरत नहीं पड़़ेगी। मैं समझता हूं जेवर एयरपोर्ट पश्चिमी यूपी के लिए एक स्‍वर्णिम अवसर ले करके आएगा।

मुझे आपको ये बताते हुए भी खुशी हो रही है कि अगले कुछ हफ्तों में ‘UDAN योजना’ के तहत अब बरेली से भी उड़ानें शुरू हो जाएंगी। इसके लिए टर्मिनल बिल्डिंग व अन्‍य कार्यों को पूरा कर लिया गया है।

साथियो, उड़े देश का आम नागरिक- इस लक्ष्‍य के साथ शुरू की गई ‘UDANयोजना’ के तहत अब तक 120 रूट को शुरू किया जा चुका है। इसकी वजह से देश के अनेक टीयर टू और टीयर थ्री शहर भी पहली बार air connectivity से जुड़े हैं। इससे इन शहरों को इकोनॉमी को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियो, उद्योगों के विकास के लिए बिजली का आधुनिक इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर भी बहुत जरूरी है। आज दो और बड़े power plants का शिलान्‍यास यहां से किया गया है। एक प्‍लांट यूपी के ही बुलंदशहर के खुर्जा में लग रहा है और दूसरा बिहार के बक्‍सर में। खुर्जा वाले प्‍लांट पर 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा और बक्‍सर वाले थर्मल प्‍लांट पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये। बक्‍सर से जो साथी अभी video conference से मेरे साथ जुड़े हुए हैं, इतनी ही भारी भीड़ मैं आज यहां टीवी स्‍क्रीन पर बक्‍सर के लोगों भी देख रहा हूं। मैं यहां से दूर से उनको भी प्रणाम करता हूं और इस शुभ अवसर पर उनको भी बधाई देता हूं। बक्‍सर में बनने वाले थर्मल प्‍लांट 2015 में घोषित किए गए प्रधानमंत्री पैकेज और पूर्वी भारत को देश का ग्रोथ इंजन बनाने का हमारे विजन का हिस्‍सा है।

भाइयो और बहनों, जब ये दोनों प्‍लांट तैयार हो जाएंगे तो यूपी और बिहार को अधिक बिजली मिल पाएगी। खुर्जा के प्‍लांट से यूपी के साथ ही दिल्‍ली, उत्तराखंड, राजस्‍थान और हिमाचल प्रदेश को भी बिजली मिलेगी। इसी तरह बक्‍सर के प्‍लांट से बिहार समेत पूर्वी भारत में बिजली सप्‍लाई सुधारने में मदद मिलेगी। इसका एक बड़ा लाभ ये भी होगा कि राज्‍य में लगने वाले उद्योगों को भी बिजली आवश्‍यकता के मुताबिक मिल पाएगी। उद्योग लगाने हैं तो बिजली उसकी पहली आवश्‍यकता होती है।

सा‍थियो, हमारी सरकार 21वीं सदी में देश की ऊर्जा जरूरतों को ध्‍यान में रखते हुए अनेक क्षेत्रों में काम कर रही है। पहले की सरकारों ने इसे प्राथमिकता नहीं दी थी। देश में कैसे पॉवर सेक्‍टर को नजरअंदाज किया गया, देश की ऊर्जा जरूरतों को नजरअंदाज किया गया, इसका एक उदाहरण कल ही कानपुर में मुझे दिखाई दिया।

कल कानपुर में- यहां पढ़े-लिखे नौजवान हैं, उनको ये बात बराबर समझ आएगी। कल कानपुर में पनकी पॉवर प्रोजेक्‍ट के विस्‍तार का काम आरंभ हुआ है। लेकिन साथियो, आप ये जानकर हैरान रह जाओगे कि पनकी प्रोजेक्‍ट में 40-40, 50-50 साल पुरानी हो चुकी मशीनों से काम लिया जा रहा था। मशीनें हांफने लगी थीं, कांग्रेस जैसा हाल था उन मशीनों का भी। नतीजा ये था कि जो बिजली वहां बन भी रही थी, उसकी कीमत आ रही थी 10 रुपये प्रति यूनिट। आज जब हम सौर ऊर्जा से दो रुपये, तीन रुपये प्रति यूनिट बिजली की बात करते हैं तो सोचिए, 10 रुपये प्रति यूनिट बिजली पैदा करके किसका भला हो रहा था, लेकिन चल रहा था।

साथियो, पहले की सरकारों के इसी रवैये ने देश के पॉवर सेक्‍टर को खस्‍ताहाल कर दिया था। देश के लोग वो दिन नहीं भूल सकते जब टीवी चैनलों पर ब्रे‍किंग न्‍यूज चला करती थी कि पॉवर प्‍लांट्स में एक-दो दिन का ही कोयला बचा है। पावर सेक्‍टर की अव्‍यवस्‍था का एक वो दौर था जब ग्रिड फेल हो जाया करते थे, राज्‍य के राज्‍य अंधेरे में डूब जाते थे, भारत को अंतराष्‍ट्रीय स्‍तर पर शर्मिंदगी महसूस करनी पड़ती थी। देश के पॉवर सेक्‍टर को सुधारने के लिए, इसके लिए हमारी सरकार ने नई approach के साथ, नई नीतियों के साथ काम किया। हमने चार चीजों पर फोकस किया, चार अलग-अलग स्‍तरों पर काम किया- production, transmission, distribution और connection. अगर production नहीं होगा, बिजली का उत्‍पादन नहीं होगा, transmission, distribution सिस्‍टम मजूबत नहीं होगा तो connection की चाहे जितनी बातें कर ली जाएं, घर-घर बिजली नहीं पहुंच सकती है।

इसलिए 2014 में सरकार बनने के बाद हमने सबसे पहले बिजली के production पर बढ़ाने पर जोर दिया। सौर ऊर्जा, पानी से बनने वाली ऊर्जा, कोयले से बनने वाली ऊर्जा और nuclear power- सभी से उत्‍पादन बनाने की दिशा में काम शुरू हुआ। जिस कोयले में आवंटन में देश में करोड़ों का घोटाला हुआ था, उसी कोयले की नीलामी के लिए हमारी सरकार ने देश को एक पारदर्शी और आधुनिक व्‍यवस्‍था दी। भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करते समय हमने 2022 तक 175 गीगावाट की renewable energy क्षमता जोड़ने का लक्ष्‍य भी रखा। इस लक्ष्‍य पर चलते हुए अब 75 गीगावॉट renewable energy की क्षमता जोड़ी भी जा चुकी है।

साथियो, सरकार ने बिजली ट्रां‍समिशन के क्षेत्र में भी investment काफी बढ़ाया। जिसकी वजह से देश के ट्रां‍समिशन नेटवर्क में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। इसके कारण न केवल आज देश को सुरक्षित और संतुलित ग्रिड उपलब्‍ध हुआ है, बल्कि हमने One Nation One Grid का सपना पूरा किया है। और अब हम सौर ऊर्जा के माध्‍यम से और सपना- भाइयो, बहनों, मैं कभी छोटे सपने देखता नहीं और छोटे काम करता नहीं। हमारा सपना है- One World, One Sun, One Grid- एक दुनिया, एक सूरज, एक व्‍यवस्‍था। One World, One Sun, One Grid- और कभी न कभी ये साकार होने वाला है।

सा‍थियो, 1950 से लेकर, ये जरा सुनिए आप- ये आपको बहुत काम आएगा। जो मैं आंकड़े बोल रहा हूं, वो आंकड़ों की बड़ी ताकत है। ध्‍यान से सुनोगे? याद रखोगे? पक्‍का याद रखोगे? अगर इतना भी याद रखोगे ना तो फिर आपको आगे के लिए कभी सोचना ही नहीं पड़ेगा। आंख बंद करके सही निर्णय करोगे आप। बताऊं? याद रखोगे?

देखिए, 1950 से लेकर, 1950 से लेकर 2014 तक करीब-करीब 65 वर्षों में, 65 वर्षों में लगभग ढाई लाख मेगावॉट की क्षमता विकसित की गई। कितनी? कितनी? कितने सालों में? कितने सालों में? 65 साल में ढाई लाख मेगावॉट। और जबसे आपने मुझे बिठाया है- साथियो, आपको आश्‍चर्य होगा कहां 65 साल और कहां 5 साल दोस्‍तो– 65 साल में ढाई लाख मेगावॉट और पिछले मेरे आने के बाद पांच साल भी पूरे नहीं हुए हैं, पांच साल में हमारी सरकार ने एक लाख मेगावॉट से अधिक capacity तैयार की है। 65 साल में ढाई लाख, पांच साल में एक लाख। अब आप सोचिए- वो पुराने थके हुए लोगों से देश चलता तो कहां गया होता जी, कितने दशक बीत जाते। लेकिन नया भारत अब नई रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।

भाइयो-बहनों, वर्षों तक देश के पॉवर सेक्‍टर की उपेक्षा किए जाने की वजह से इस सेक्‍टर की बहुत बड़ी कमजोर बन गया था। पॉवर distribution, इस वजह से जितनी बिजली देश में पैदा हो रही थी, उतनी बिजली लोगों को मिल नहीं रही थी। इस कमजोरी को हमारी सरकार ने ठीक करने का प्रयास किया। ‘उदय योजना’ पर काम किया। गांवों के लिए विशेषतौर पर ‘दीनदयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना’ चल रही है और शहरों के लिएIntegrated Power Development Scheme यानी IPD, ये स्‍कीम चलाई गई है।

सरकार की कोशिश की वजह से अब देश में बिजली distribution भी सुधर रहा है। इन सुधारों के बीच हमारी सरकार ने देश के हर गांव तक बिजली पहुंचाने के अपने लक्ष्‍य को भी प्राप्‍त किया है। 18 हजार से ज्‍यादा ऐसे गांव, जहां आजादी के बाद भी अंधेरा था, बिजली नहीं पहुंची थी, उस काम को हमने पूरा कर दिया, बिजली से जोड़ दिया1

अब इसी तरह से ‘सौभाग्‍य योजना’ के तहत हमने हर घर को बिजली से जोड़ने का अभियान चलाया। इस योजना के तहत अब तक ढाई करोड़ घरों को बिजली कनेक्‍शन मुफ्त में दिया जा चुका है। ढाई करोड़ परिवार आजादी के 70 साल के बाद भी अंधेरे में गुजारा कर रहे थे, उनके यहां उजाला पहुंचाने का काम हमारी सरकार ने किया है।

भाइयो-बहनों, बताइए- ढाई करोड़ परिवार जो अंधेरे की जिंदगी जी रहे थे, उनके घर में उजाला पहुंचा, आप खुश हैं? आप खुश हैं? ये किसने किया? किसने किया? किसने किया? बस यहीं पर तो गलती हो रही है, ये मोदी ने नहीं किया है। ये ढाई करोड़ परिवारों के घर में उजाला आया है आपके वोट की ताकत से आया है, आपके कारण आया है।

अगर आप मेरे साथ न होते, आप अगर मेरे साथ न होते, दिल्‍ली में मजबूत सरकार न होती, गरीबों का कल्‍याण करने वाली सरकार न होती तो ये पांच साल भी बीत जाते, ढाई करोड़ परिवार जिंदगी अंधेरे में गुजारते रहते और कोई पूछने वाला नहीं होता भाइयो। और इसलिए, इसलिए इसकी क्रेडिट मोदी को नहीं, सवा सौ करोड़ देशवासियों को जाती है, आपको जाती है।

पॉवर सेक्‍टर को मजबूत करने के साथ ही सरकार न इस बात पर भी जोर दिया कि पॉवर की डिमान्‍ड कम करने वाले आधुनिक तरीकों को अपनाया जाए। ये आधुनिक तरीके न सिर्फ बिजली बचाते ही हैं, लोगों का बिजली का बिल भी कम करते हैं। मध्‍यम वर्ग के परिवार के बहुत पैसे बिजली बिल में कम होने की दिशा में हमने काम किया। सरकार के प्रयास की वजह से LED bulb जो फरवरी 2014 में तीन-साढ़े तीन सौ रुपये का मिलता था, अब ये भी देखिए, 2014 में मेरे आने से पहले LED bulb करीब 350 रुपये में मिलता था। मेरे आने के बाद 350 का 40 रुपया, 50 रुपया हो गया। ऐसा क्‍यों हुआ भाई, ऐसा क्‍यों हुआ? हर जगह पर बिचौलिए बैठे थे, हर जगह पर बिचौलिए बैठे थे, हर जगह पर दलाली चलती थी। मोदी ने दलाली पर डंडा चलाया, 300-350 का बल्‍ब 40-50 पर आ गया।

 

मुझे बताइए कि जितने लूट करने वालों की दुकान बंद हो गई है, वो मोदी को गाली देंगे कि नहीं देंगे? मोदी को खत्‍म करने का षडयंत्र करेंगे कि नहीं करेंगे? मोदी के खिलाफ खेल खेलेंगे कि नहीं खेलेंगे? तो मेरी रक्षा कौन करेगा? मेरी रक्षा कौन करेगा? अरे सवा सौ करोड़ देशवासी जिसकी करते हों, वह ऐसे बिचौलियों से कभी डरता नहीं है।

अब तक सरकार और प्राइवेट कम्‍पनियों द्वारा मिलकर देश में लगभग 150 करोड़ LED bulb वि‍तरित किए गए, डेढ़ सौ करोड़। इससे लोगों को बिजली बिल में सालाना करीब-करीब 50 हजार करोड़ रुपये, इसकी बचत हो रही है, अनुमान है मेरा। आप विचार कीजिए, देश के नागरिकों की जेब में हर साल 50 हजार करोड़ रुपया बच जाए- ये कितना बड़ा काम हुआ, सिर्फ बिचौलियों को हटाने से हुआ है।

भाइयो और बहनों, नोएडा में आज एक और महत्‍वपूर्ण काम हुआ है। हमारे देश की समृद्ध, सांस्‍कृतिक विरासत, हमारी सभ्‍यता, हमारे दर्शन को रिसर्च से जोड़ने दीनदयाल उपाध्‍याय इंस्‍टीटयूट ऑफ Archeology का एक भव्‍य कैम्‍पस यहां बनकर तैयार हुआ है। 25 एकड़ में फैला ये परिसर भारत के गौरवशाली अतीत के अनुकूल है। अब दुनियाभर के research scholar, student यहां पर आधुनिक सुविधाओं के साथ भारत की समृद्ध विरासत, हमारे अध्‍यात्‍म, हमारे मंदिर, हमारे ग्रंथ, हमारे तीर्थ क्षेत्र, हमारे शिल्‍प, हमारी कला; हर पहलू का विस्‍तार से अध्‍ययन कर पाएंगे।

साथियो archeology यानी धरती में दबे इतिहास के पन्‍नों को उजागर करने वाला, पत्‍थर में से भी इतिहास की महक निकालने वाला, वैज्ञानिक तथ्‍यों के आधार पर इतिहास के सच को सामने लाना। हमारे गौरवशाली देश में, जिसने सैंकड़ों वर्षां की गुलामी का कालखंड देखा है, जिसने अनेक बार बाहरी आक्रांताओं के हमले देखे हैं, उन हमलों में हमारी प्राचीन विरासतों को नष्‍ट होते देखा है, उसें archeology का बहुत बड़ा महत्‍व है।

आप लोगों में कई को पता होगा कि कल मैं वाराणसी में था। वहां मैंने विश्‍वनाथ धाम, काशी विश्‍वनाथ धाम से जुड़े निर्माण कार्यों का शिलान्‍यास किया है। विश्‍वनाथ धाम के निर्माण के लिए भोले बाबा के मंदिर के आसपास ऐसे मकान बन गए थे जी- आप जो काशी विश्‍वनाथ गए होंगे तो पता होगा ऐसी सकरी गली से जाते थे, पता ही नहीं भगवान का वहां क्‍या हाल होता होगा। सांस भी ले पाते होंगे कि नहीं ले पाते होंगे, पता नहीं क्‍या हाल करके रखा था। अब मैं वहां- वहां के लोगों ने मुझे एमपी बना दिया तो मैंने सोचा कि चलो यहां कुछ करना चाहिए, मैं लग गया।

अब जा करके देखना, भोले बाबा के अगल-बगल में जो 300 properties थीं, उन सारी हमने acquire की और उनको तोड़ना शुरू किया। और जब तोड़ना शुरू किया तो मैं हैरान हो गया। जब मकान तोड़ रहा था तो अंदर से मंदिर निकलने लगे। लोगों ने दीवारें बना करके मंदिर को घर बना दिया था, बेडरूम बना दिया था। सारी दीवारें जब तोड़ते गए तो सारे मंदिर और 200-200, 250-250 साल पुराने उत्‍तम के archeology नमूने, 40 मंदिर अंदर से मिले।

आप विचार कीजिए, मेरे आने के पहले ये जो सांस्‍कृतिक मंत्रालय जिन्‍होंने चलाया होगा, archeologydepartment जिन्‍होंने चलाया होगा, वो कितने सोए हुए रहे होंगे, इसका ये जीता-जागता नमूना है।अगर एक, कहीं पर एक पत्‍थर हटाना है तो archeology वाले आ करके आपका गला दबोच लेंगे, लेकिन वहां भोले बाबा के परिसर में 40 मंदिर दबोच करके लोग बैठ गए थे। कोई 50 साल से दबोच करके बैठा होगा, कोई 40 साल से दबोचकर बैठा होगा। राजनेताओं ने आशीर्वाद दिया होगा। बताइए बुराई जानी चाहिए कि नहीं जानी चाहिए भाइयो? अब जिनका ये सब गया, वो मोदी को प्‍यार करेगा क्‍या?मोदी का जयकार करेगा क्‍या? लेकिन मोदी ने अपने जयकार के लिए काम करना चाहिए कि भारत माता की जयकार के लिए काम करना चाहिए? मोदी- मोदी के जयकार के लिए काम नहीं करता है, मोदी हिन्‍दुसतान के जयकार के लिए काम करता है दोस्‍तो। अब इन मंदिरों को सहेजा जा रहा है, उनको भी जीर्णोद्धार किया जा रहा है। लेकिन आपने ये भी देखा है कि उस पर किस तरह की राजनीति की गई है।

साथियो, राजनीति करने वाले ये वही लोग हैं जो देश के प्राचीन गौरव और archeology की मदद के सामने आए तथ्‍यों को नकारते हैं। ये वही लोग हैं जो अपने फायदे के लिए ऐसी प्राचीन संपत्तियों की सुरक्षा और नियम-कायदों तक की परवाह नहीं करते। आपको कितने ही उदाहरण मिल जाएंगे जब पहले की सरकारों ने अपने किसी राजदरबारी, नोएडा के भाइयो-बहनों, ये बातें आपके काम की हैं, जरा मैं बताना चाहता हूं, सुननी हैं ना? आपका मूड है तो मेरा भी मूड है आज।

आपको कितने ही उदाहरण मिल जाएंगे जब पहले की सरकारों ने अपने, अपने किसी राजदरबारी, अपने किसी चाटुकार को इनाम देने के लिए archeology के हिसाब से महत्‍वपूर्ण इमारतों के बगल में अपने बंगले बनाने, अपने फार्म हाउस बनाने की इजाजतें दे दीं। आपको पता नहीं है ना? ऐसा-ऐसा होता था। भाई दिल्‍ली में ही ऐसे कितने मामले हैं। और मेरे मीडिया के साथी जरा सूंघने निकल जाओगे, इधर-उधर देखोगे, थोड़ी छानबीन करोगे तो सारा सच उभर करके बाहर आ जाएगा। आप दिखा पाओ, न दिखा पाओ; छाप पाओ न छाप पाओ वो अलग बात है, वो आपकी मजबूरी होगी, लेकिन ढूंढो तो सही, जानो तो सही। ये कौन राजदरबारी हैं जिनके लिए स्‍पेशल व्‍यवस्‍था की गई।

सा‍थियो, जब पहले की सरकारों का ये रवैया था तो उनसे archeology जैसे गंभीर विषय को गंभीरता से लेने की उम्‍मीद करना भी बेमानी होगा। मैं उम्‍मीद करता हूं कि दीनदयाल जी के विजन पर चलते हुए ये संस्‍थान हमारे अतीत को वर्तमान और भविष्‍य से जोड़ने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। आपके परिसर में देश के विकास के लिए आर्थिक और सामाजिक विजन देने वाले दीनदयाल उपाध्‍याय जी के प्रति मुझे पुण्‍य कार्य करने का अवसर मिला है।

सा‍थियो, पहले की सरकारों ने कैसे काम किया है, ये आप भलीभांति जानते हैं। स्थिति ये थी कि आधी आबादी के पास गैस कनेक्‍शन नहीं था। आधी आबादी के पास बैंक में खाता नहीं था। आधे से अधिक परिवारों के पास शौचालय नहीं था। ऐसी अनेक अधूरी और अपूर्ण योजनाएं बनाकर रखी गई थीं। यही कारण है कि भारत उन देशों से पिछड़ गया जो हमारे ही साथ आजाद हुए थे और जिन्‍होंने साथ ही विकास यात्रा शुरू की थी।

भाइयो-बहनों, 2014 के बाद जब आपने दिल्‍ली में एक प्रधान सेवक के रूप में आपकी सेवा करने का अवसर दिया तो हमने ‘सबका साथ सबका विकास’ के मंत्र के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।

साथियो, हमारी सरकार ने लेन-देन वाली संस्‍कृति पर पूरी सख्‍ती से निपटा जा रहा है और योजनाओं को सम्‍पूर्णता के साथ सामान्‍य मानवी के हित में बनाया जा रहा है। और इसलिए आज हर भ्रष्‍ट, आज हर भ्रष्‍ट को मोदी से कष्‍ट है, हर भ्रष्‍ट को मोदी से कष्‍ट है और ऐसे लोग इस चौकीदार को गाली देने के competition में जुटे हैं। वो सुबह तय करते हैं, अगर तू 15 गाली देगा तो मैं मोदी को 16 गाली दूंगा। उनको लगता है गाली देने से वोट मिल जाता है। इतना ही नहीं, वे इतने हताश हो चुके हैं कि मोदी विरोध की जिद में वे देश का भी विरोध करने लग गए हैं।

साथियो, आज भारत नई रीति और नई नीति पर चल रहा है। पुरी हमले के बाद भारत ने surgical strike करके आतंक के आकाओं को पहली बार उस भाषा में समझाया, जो भाषा वो समझते हैं। आप मुझे बताइए मैंने सही किया कि नहीं किया? ये काम मुझे करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? क्‍या सरकारें सोती रहें, वो आपको मंजूर है? चौकीदार सो जाए, ये आपको मंजूर होगा? आपको जागने वाला चौकीदार चाहिए कि नहीं चाहिए? देश को जिताने वाला चौकीदार चाहिए कि नहीं चाहिए?

भाइयो-बहनों, उरी के बाद सबूत मांग रहे थे सबूत। अभी पुलवामा हमला हुआ तो भारत के वीरों ने जो काम किया, ऐसा काम दशकों तक कभी नहीं हुआ है। हमारे वीरों ने आतंकियों को उनके घर में घुस करके मारा है। आतंकियों को, उनके सरपरस्‍तों को भारत से इस तरह के जवाब की उम्‍मीद नहीं थी। वे सोच रहे थे कि मोदी ने पहली बार surgical strike की तो दूसरी बार भी ऐसा ही कुछ करेंगे और इसलिए उन्‍होंने क्‍या किया- सीमा पर बड़ी तैनाती कर दी टैंक ला करके, पता नहीं क्‍या-क्‍या रख दिया। उन्‍होंने यहां सारी सजावट कर दी, हम ऊपर से चले गए। और मजा देखिए- हम तो ये साहब कर-करके चुप थे। रात के 3.30 बज रहे थे, देश को क्‍योंजगाना भाई।

लेकिन ये ऐसी, ये घटना इतनी बड़ी थी, घटना इतनी बड़ी थी कि रात को 3.30 बजे पाकिस्तान की नींद खत्‍म हो गई, पाकिस्‍तान की नींद खत्‍म हो गई। हम तो चुप थे, हम सोच रहे थे क्‍या होता है देखते हैं। पाकिस्‍तान ऐसा घबरा गया था कि पांच बजे उसने ट्वीट कर-करके रोना शुरू कर दिया- मोदी ने मारा, मोदी ने मारा, मोदी ने मारा। दुनिया को उनकी हालत बिगड़ी है, इसके समाचार हमने नहीं दिए, पाकिस्‍तान ने दिए थे।

जब surgical strike हुआ था देश को खबर पहले हमने की थी‍, इस बार हम देखते हैं नए तरीके से आगे बढ़ेंगे और वो ही रोने लग गए। वो तो यही सोच रहे थे कि भारत पर घाव किए जाओ, हमले किए जाओ, proxy war किए जाओ, भारत तो कुछ नहीं कहेगा। वो हाथ पर हाथ जोड़ करके बैठा रहेगा। देश के दुश्‍मनों में भारत के प्रति ये जो सोच बनी है तो उसका मूल कारण 2014 के पहले जो सरकारें थीं, रिमोट कंट्रोल वाली, उनका रवैया ऐसा था, इसके कारण इनको ये आदत हो गई थी।

साथियो, भारत कभी नहीं भूल सकता कि 26/11 को, 26.11.2008 को मुम्‍बई में पाकिस्‍तान से आए आतंकियों ने आतंकी हमला किया था। क्‍या भूल सकते हैंक्‍या? उस समय कुछ करने की जरूरत थी कि नहीं थी?दुनिया हमारे साथ खडी हो जाती कि नहीं हो जाती? लेकिन इसके लिए दम चाहिए दोस्‍तो। सारे सबूत पाकिस्‍तान में बैठे आतंक के, आतंकियों के प्रूफ मिल रहे थे। सारे प्रूफ उनको गुनहगार सिद्ध कर रहे थे लेकिन भारत ने क्‍या किया, पाकिस्‍तान को कैसे जवाब दिया? ख्‍बरें तो ये भी हैं, उस समय भी हमारी सेना, हमारी वायुसेना, हमारी नौसेना बदला लेने के लिए तैयार थी।

सेना का खून गरम हो रहा था, दिल्‍ली ठंडे बिस्‍तर में पड़ा था। लेकिन हमारे सुरक्षा बलों को इजाजत नहीं दी गई उनके हाथ-पैर बांधकर रखा गया। क्‍या हाथ-पैर बांधकर आतंकवाद का मुकाबला हो सकता है क्‍या? सेना के जवानो को बेड़ियां पहना करके हम कहेंगे मारो, ये चल सकता है क्‍या? क्‍या ऐस देश की सुरक्षा होती है क्‍या? क्‍या देश के दुश्‍मन के साथ ऐसी नरमी दिखानी चाहिए क्‍या?

साथियो, यही वजह थी कि मुम्‍बई हमले के बाद भी देश में लगातार आतंक के हमले होते रहे। याद करिए- साल 2010 में पुणे में एक बेकरी में बम धमाका हुआ, उसी साल वाराणसी में में एक घाट पर बम धमाका हुआ। याद करिए- साल 2011 में मुम्‍बई में फिर आतंकी हमला हुआ, ओपेरा हाऊस, कावेरी बाजार, दादर में बम फटे। फिर उसी साल 2011 में दिल्‍ली हाईकोर्ट के सामने भी बम फटा।

इसी तरह साल 2013 में हैदराबाद के भीड़ वाले बाजार में बम धमाका हुआ। एक के बाद एक बम धमाके हो रहे थे, सैंकड़ों बेकसूर लोग मारे जा रहे थे, सैंकड़ो घायल हो रहे थे। इन हमलों के तार भी हर बार सीमा पार जुड़े हुए थे- लेकिन पहले की सरकार ने क्‍या किया? उन लोगों ने अपनी नीति नहीं बदली, सिर्फ गृहमंत्री बदले। अब नीति बदलनी चाहिए कि गृहमंत्री बदलना चाहिए?

सा‍थियो, अगर पहले की सरकार ने दम-खम दिखाया होता तो आतंकियों को उसी भाषा में जवाब दिया होता जो भाषा वो समझते हैं, तो आज- आज आतंक इतना बड़ा जो नासूर बन गया है, वो नहीं बन पाता। सितम्‍बर 2016 में surgical strike और इस साल फरवरी में air strike के बाद आतंक के आकाओं को समझ आ गया है कि ये पुराने वाला भारत नहीं है।

भारत की कार्रवाई के बाद अब वो बुरी तरह बौखलाए हुए हैं। देश के सुरक्षाबल, हमारे वीर जवान अपना काम कर रहे हैं। लेकिन इस देश के नागरिक के तौर पर हमें भी सतर्क रहना, अपना दायित्‍व निभाना है। हर उस ताकत को जवाब देना है जो देश के टुकड़े-टुकड़े करने का सपना देख रही है। जो भारत में हमले की साजिश रच रहे हैं, हमें उन लोगों पर भी अपनी दृष्टि रखनी हैI

भाइयो-बहनों, एक बात की ओर भी देश के नागरिकों को ध्‍यान देना होगा। आज हमारे देश के भीतर अपने-आपको बड़े नेता मानने वाले लोग, सत्‍ता के सिहांसन पर भूतकाल में बैठे हुए लोग जो भाषा बोल रहे हैं, उस भाषा से दुश्‍मनों को ताकत मिल रही है, दुश्‍मनों को ताकत मिल रही है। ये लोग यहां विवादित बयान दे रहे हैं, सवाल भारत के वीरों के पराक्रम पर उठा रहे हैं और उनके निवेदन सुन करके तालियां पाकिस्‍तान में बज रही हैं। ऐसे लोगों को देश की जनता ने सही रास्‍ते पर लाना चाहिए कि नहीं लाना चाहिए? ये सही रास्‍ते पर लाने का काम आप करोगे कि नहीं करोगे?

भाइयो और बहनों, ये कैसे लोग हैं, पाकिस्‍तान...आप देखिए, इनको पहचानिए। ये टुकड़े-टुकड़े गैंग कैसी है इनको पहचानिए। पाकिस्‍तान ने खुद ने कहा, सबसे पहले ट्वीट पाकिस्‍तान ने किया कि हिन्‍दुस्‍तान की सेना ने हमारे घरों में घुस करके मारा है, ये उन्‍होंने कहा। हमारे देश में ऐसे सिरफिरे लोग हैं – उन्‍होंने सात-आठ बजते-बजते क्‍या चालू किया, पता नहीं ये बालाकोट कहां है, ये हिन्‍दुस्‍तान...ये-ये आपने देखा होगा। ये टीवी पर था, यूट्यूब पर जाकर देख लीजिए। उनकी ऑनलाइन मेगजीनों में था। अभी तो 3-4 घंटे हुए थे, शुरू हो गए।

पाकिस्‍तान कह रहा है- मारा, पाकिस्‍तान बोल रहा है- हमें मारा, मोदी आ करके मार करके चला गया- वो बोल रहा है। और यहां, यहां लोगों की नींद हराम हो गई, वो क्‍या कर रहे थे- सुबह 7-8 बजे शुरू कर दिया- ये बालाकोट हिन्‍दुस्‍तान में है कि पाकिस्‍तान में है? ये बालाकोट भारत की सीमा में है कि पाकिस्‍तान की सीमा में है? ये बालाकोट पाक occupied कश्‍मीर में है कि हमारे कश्‍मीर के बगल में है? ये बालाकोट- अभी तो पूरी जांच हो रही है कि पाकिस्‍तान रो रहा है और यहां उनकी मदद करने के लिए लोग निकल पड़े। देश को गुमराह करने के लिए हमारे ही देश का खाना खाने वाले चिल्‍ला-चिल्‍ला कर कहने लग गए। और जब तीन घंटे के बाद पता चला, अरे बाप रे, ये मोदी तो वहां जाके आया। तब जाकर वो चुप हुए, वरना चार-पांच घंटे तक यही चलाया कि बालाकोट यहां है कि वहां है, यहां है कि वहां है।

अरे देश की सेना कहती है, पाकिस्‍तान खुद रो रहा है, तो किसी हिन्‍दुस्‍तानी के मन में शक होना चाहिए क्‍या? जिसकी रंगों में हिन्‍दुस्‍तान का खून है उसको शक होना चाहिए क्‍या? जो भारत के तिरंगे झंडे को प्‍यार करता है, उसको शक होना चाहिए क्‍या? जो भारत मां की जय बोलता है, उसको शक होना चाहिए क्‍या? तो शक करने वाले लोग कौन हैं? ऐसे लोगों की बातों पर भरोसा करेंगे क्‍या? ऐसे लोगों की बातों पर भरोसा करोग क्‍या?

और इ‍सलिए मैं कहता हूं- भाइयो-बहनों, 2014 से लेकर हम निरन्‍तर नए भारत की मजबूत नींव तैयार करने का काम कर रहे हैं। हमने देश की आवश्‍यकताओं को पूरा करने, देश के लोगों तक मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने के लिए काम किया है। अब आने वाला समय देश की आकांक्षाओं को पूरा करने का है। बीते पांच वर्षों में हमने नए भारत की जो नींव बनाई है, अब आने वाले वर्षों में उस पर वैभवशाली भारत की इमारत तैयार होगी।ऐसा भारत- जो सफल हो, ऐसा भारत- जो सक्षम हो, ऐसा भारत- जो सुरक्षित हो।

सा‍थियो, नए हिन्‍दुस्‍तान का सामर्थ्‍य जो दुनिया अनुभव कर रही है, नीति और नीति में जो बदलाव दिख रहा है, उसके पीछे कौन है? इसे पीछे आप हैं, सवा सौ करोड़ देशवासियों की शक्ति है, इसके पीछे आपके आशीर्वाद हैं। इस विश्‍वास के साथ- आपका आशीर्वाद मुझ पर हमेशा बना रहेगा, इसी भाव के साथ आप सबका मैं हृदय से अभिनंदन करता हूं,, हृदय से धन्‍यवाद करता हूं। मेरे साथ बोलेंगे-

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

दोनों मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत दिखाएं आज-

भारत माता की – जय

वंदे – मातरम

वंदे – मातरम

वंदे – मातरम

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!